आरबीआइ/2011-12/06
मास्टर परिपत्र सं.06/2011-12
01 जुलाई , 2011
सेवा में,
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक और प्राधिकृत बैंक
महोदया /महोदय
मास्टर परिपत्र - अनिवासी सामान्य रुपया ( एनआरओ ) खाता
प्राधिकृत व्यापारियों/ प्राधिकृत बैंकों द्वारा भारत से बाहर निवासी व्यक्तियों से जमाराशियों की स्वीकृति समय-समय पर यथासंशोधित 03 मई 2000 की फेमा अधिसूचना सं.5/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 की उप धारा (1) और (2) के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित की जाती हैं।
2. इस मास्टर परिपत्र में "अनिवासी सामान्य रुपया ( एनआरओ ) खाता" विषय पर वर्तमान अनुदेशों को एक ही स्थान में समेकित किया गया है। इसमें निहित परिपत्र / अधिसूचनाएं परिशिष्ट में दी गई हैं।
3. इस मास्टर परिपत्र को एक वर्ष की अवधि के लिए ("सनसेट खंड" के साथ) जारी किया जा रहा है। इस परिपत्र को 01 जुलाई 2012 को वापस ले लिया जाएगा तथा उसके स्थान पर इस विषय पर अद्यतन मास्टर परिपत्र जारी किया जाएगा।
भवदीया
(मीना हेमचंद्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
अनुक्रमाणिका
1 |
परिभाषाएं |
2 |
पात्रता |
3 |
खातों के प्रकार |
4 |
निवासी/ अनिवासी के साथ संयुक्त खाता |
5 |
स्वीकार्य जमा/ नामे |
6 |
परिसंपत्तियों का प्रेषण |
7 |
भारत के दौरे पर गैर- भारतीय मूल के विदेशी नागरिक |
8 |
प्राधिकृत बैंक द्वारा खाताधारकों और तीसरी पार्टियों को ऋण/ओवरड्राफ्ट प्रदान करना |
9 |
खाताधारक के निवासी हैसियत में परिवर्तन |
10 |
उधारकर्ता के निवासी हैसियत में परिवर्तन की स्थिति में ऋण/ ओवरड्राफ्ट की प्रक्रिया |
11 |
अनिवासी/ निवासी नामिती को निधियों का भुगतान |
12 |
अटर्नी अधिकार (मुख्तारनामा) धारक द्वारा अनिवासी सामान्य रुपया खाते का परिचालन |
13 |
अध्ययन के लिए विदेश जानेवाले व्यक्ति को दी जानेवाली सुविधाएं |
14 |
अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड्स |
15 |
आयकर |
अनुबंध-1 रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किये जानेवाले विवरण/ विवरणियां |
अनुबंध-2 प्राधिकृत व्यापारी बैंकों के लिए परिचालनात्मक अनुदेश |
परिशिष्ट |
1. परिभाषाएं
अनिवासी भारतीय
इस प्रयोजन के लिए अनिवासी भारतीय को 3 मई 2000 की फेमा अधिसूचना सं. 5 के विनियम 2 में परिभाषित किया गया है। इस अधिसूचना के अनुसार एक अनिवासी भारतीय, भारत के बाहर निवास करनेवाला एक व्यक्ति है जो भारत का नागरिक है अथवा भारतीय मूल का एक व्यक्ति है।
भारतीय मूल का व्यक्ति
इस प्रयोजन के लिए भारतीय मूल के व्यक्ति की परिभाषा वही फेमा अधिसूचना के विनियम 2 में परिभाषित है, जिसके अनुसार बांगलादेश अथवा पाकिस्तान को छोड़कर किसी अन्य देश के नागरिक के रूप में यदि (क) उसके पास किसी भी समय भारतीय पासपोर्ट था; अथवा (ख) वह अथवा उसके माता-पिता दोनों अथवा उसके दादा-दादी, नाना-नानी में से कोई एक भारतीय संविधान अथवा नागरिकता अधिनियम, 1955 (1955 का 57) के नाते भारतीय नागरिक थे; अथवा (ग) वह किसी भारतीय नागरिक का/की पति/पत्नी है अथवा उप खंड (क) अथवा (ख) में उल्लिखित व्यक्ति है।
2. पात्रता
(क) भारत के बाहर रहनेवाला कोई व्यक्ति ( फेमा के विनियम 2 के अनुसार ) फेमा के प्रावधानों एवं उसके तहत बनाए गए नियमों, विनियमों के उल्लंघन में शामिल न होते हुए भारतीय रुपया मूल्यवर्ग में वास्तविक लेनदेन को पूरा करने हेतु किसी प्राधिकृत व्यापारी या प्राधिकृत बैंक के साथ एनआरओ खाता खोल तथा बनाये रख सकता है।
(ख) बांगलादेश/ पाकिस्तान की राष्ट्रीयता/ स्वामित्व वाले व्यक्तियों/ संस्थाओं द्वारा खाता खोलने के लिए रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति लेना आवश्यक है।
3. खातों के प्रकार
चालू, बचत, आवर्ती या सावधि जमा के रूप में एनआरओ खाते खोले/ रखे जा सकते हैं। इन खातों पर लागू ब्याज दर और इन खातों को खोलने, परिचालित करने और बनाए रखने संबंधी रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निर्देश/ अनुदेशों का पूर्णतया पालन होना चाहिए।
4. निवासी/अनिवासी के साथ संयुक्त खाता
खाते निवासी और/ या अनिवासी के साथ संयुक्त रूप से रखे जा सकते हैं।
5. स्वीकार्य जमा/नामे
अ. जमा
(i) विदेशी मुद्रा में सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिए भारत के बाहर से प्राप्त प्रेषण आय, जो मुक्त रूप में परिवर्तनीय है ।
(ii) खाता धारक के अस्थायी भारत दौरे के दरम्यान उसके द्वारा प्रस्तुत कोई भी विदेशी मुद्रा, जो मुक्त रूप में परिवर्तनीय है। नकद रूप में 5000 अमरीकी डॉलर से अधिक या इसके समतुल्य राशि के साथ करेंसी घोषणा फार्म होना चाहिए। भारत के बाहर से लाई गई निधियों को दर्शानेवाली रुपया निधियों के साथ नकदी प्रमाणपत्र होना चाहिए।
(iii) अनिवासी बैंकों के रुपया खातों से अंतरण।
(iv) खाता धारक के भारत में विधिसम्मत प्राप्य राशि। इसमें किराया, लाभांश, पेंशन, ब्याज आदि जैसी चालू आय शामिल है।
(v) रुपया/ विदेशी मुद्रा निधियों में से अथवा वसीयत/ विरासत में अधिगृहीत अचल संपत्ति सहित परिसंपत्तियों की बिक्री आय ।
आ. नामे
(i) रिज़र्व बैंक द्वारा बनाए गए संबंधित विनियमों के अनुपालन की शर्त पर भारत में निवेश के लिए भुगतान सहित रुपयों में सभी स्थानीय भुगतान।
(ii) खाता धारक के भारत में किराया, लाभांश, पेंशन, ब्याज आदि जैसी चालू आय का भारत के बाहर विप्रेषण।
(iii) प्राधिकृत व्यापारी बैंक की संतुष्टि पर सभी सद्-भावी प्रयोजनों के लिए प्रति वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) एक मिलियन अमरीकी डॉलर का विप्रेषण।
6. परिसंपत्तियों का विप्रेषण
6.1 गैर -भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों द्वारा परिसंपत्तियों का विप्रेषण
विदेशी राष्ट्र का एक नागरिक, जो नेपाल अथवा भूटान अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति नहीं है, जो भारत में नौकरी से सेवानिवृत्त हुआ है अथवा फेमा की धारा 6 की उप धारा (5) में उल्लिखित किसी व्यक्ति से विरासत में परिसंपत्ति प्राप्त की है; अथवा भारत के बाहर निवास करने वाली विधवा है और जिसे विरासत में अपने मृत पति की, जो भारत में निवासी भारतीय नागरिक था, संपत्ति मिली है वे प्रेषणकर्ता द्वारा परिसंपत्ति के अधिग्रहण, विरासत अथवा पैतृक रूप से प्राप्त होने के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्यों और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के दिनांक 09 अक्तूबर 2002 के परिपत्र सं.10/2002 द्वारा निर्धारित फार्मेटों में प्रेषणकर्ता द्वारा एक वचन पत्र और सनदी लेखाकार से प्राप्त प्रमाणपत्र की प्रस्तुति पर प्रति वित्तीय वर्ष में एक मिलियन अमरीकी डालर की राशि का विप्रेषण कर सकते हैं।
6.2 अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्ति द्वारा परिसंपत्तियों का विप्रेषण
(क) अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्ति अनिवासी सामान्य रुपया खाते में शेष राशि/ परिसंपत्तियों/ विरासत/ पैतृक रूप में उसके द्वारा भारत में अर्जित परिसंपत्तियों की बिक्री आय में से प्रेषण कर्ता द्वारा परिसंपत्ति के अधिग्रहण, विरासत अथवा पैतृक रूप से प्राप्त होने के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्यों और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के 9 अक्तूबर 2002 के परिपत्र सं 10/2002 द्वारा निर्धारित फार्मेटों में प्रेषणकर्ता द्वारा एक वचन पत्र और सनदी लेखाकार द्वारा प्रमाणपत्र की प्रस्तुति पर प्रति वित्तीय वर्ष में एक मिलियन अमरीकी डालर की राशि का विप्रेषण कर सकते हैं।
(ख) जैसा कि ऊपर कहा गया है, अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्ति भी एक मिलियन अमरीकी डालर की समग्र सीमा के अंदर अपने माता-पिता में से किसी एक के द्वारा अथवा किसी निकट संबंधी ( कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6 में यथापरिभाषित) द्वारा समझौता विलेख के तहत अर्जित परिसंपत्तियों की बिक्री की आय अधिवासी की मृत्यु के बाद समझौता प्रभावी होने पर मूल समझौता विलेख और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के 09 अक्तूबर 2002 के परिपत्र सं.10/2002 द्वारा निर्धारित फार्मेटों में प्रेषणकर्ता द्वारा एक वचन पत्र तथा सनदी लेखाकार द्वारा एक प्रमाण पत्र की प्रस्तुति पर विप्रेषित कर सकते है।
6.3 रुपया मुद्रा निधि में से भारत में अर्जित परिसंपत्ति
अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्ति निवासी के रूप में अथवा अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के रूप में रुपया निधियों में से उसके द्वारा खरीदी गई अचल संपत्ति की बिक्री आय का विप्रेषण प्रति वित्तीय वर्ष 1 मिलियन अमरीकी डालर की उपर्युक्त सीमा के अधीन बिना किसी समयबंदी ( लॉक-इन ) अवधि के कर सकते हैं।
6.4 प्रतिबंध
(क) अचल संपत्ति की बिक्री आय की विप्रेषण सुविधा पाकिस्तान, बांगलादेश, श्रीलंका, चीन, अफगानिस्तान, ईरान, नेपाल और भूटान के नागरिकों को उपलब्ध नहीं है।
(ख) अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों की बिक्री आय की विप्रेषण सुविधा पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के नागरिकों को उपलब्ध नहीं है।
7. भारत के दौरे पर गैर- भारतीय मूल के विदेशी नागरिक
भारत का दौरा करनेवाले गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिक बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत के बाहर से भेजी गई निधियों अथवा उसके द्वारा भारत में लाए गए विदेशी मुद्रा की बिक्री आय से अनिवासी सामान्य खाता (चालू/ बचत) खोल सकता है। खाताधारक के भारत से प्रस्थान के समय खाताधारक के भुगतान के लिए प्राधिकृत व्यापारी बैंक अनिवासी सामान्य खाते के शेष को विदेशी मुद्रा में परिवर्तित कर दें बशर्ते खाता छः महीने की अधिकतम अवधि तक परिचालित किया गया हो तथा खाते में उस पर उपचित ब्याज से इतर किसी स्थानीय निधि को जमा नहीं किया गया हो। यदि खाते का संचालन छ: महीनों से अधिक अवधि के लिए किया गया है, तो संबंधित खाताधारक द्वारा शेष राशि के प्रत्यावर्तन के लिए आवेदनपत्र रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
8. प्राधिकृत बैंक द्वारा खाताधारकों और तीसरी पार्टियों को ऋण/ ओवरड्राफ्ट प्रदान करना
(क) मीयादी जमा (टर्म डिपाजिट) की जमानत पर प्राधिकृत व्यापारी/ बैंक निम्नलिखित शर्तों के अधीन अनिवासी खाताधारकों और तीसरी पार्टी को रुपए में ऋण प्रदान कर सकता है:
(i) ऋण का उपयोग केवल उधारकर्ता की वैयक्तिक आवश्यकताओं और/अथवा व्यापार प्रयोजन को पूरा करने के लिए किया जाएगा न कि कृषि/ बागवानी कार्यकलापों अथवा जमीन – जायदाद कारोबार अथवा पुनः उधार देने के लिए किया जाएगा।
(ii) रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथा निर्धारित मार्जिन और ब्याज दर संबंधी विनियमों का अनुपालन किया जाएगा।
(iii) व्यापार/ उद्योग के अग्रिमों के मामले में यथा लागू सामान्य मानदंडों और प्रतिफल अन्य पक्षों को दिए गए ऐसे ऋण/ सुविधाओं पर लागू होंगे।
(ख) खाताधारक के वाणिज्यिक निर्णय और ब्याज दर आदि निर्देशों के अनुपालन के अधीन प्राधिकृत व्यापारी/ बैंक खाताधारक के खाते में ओवरड्राफ्ट की अनुमति दें।
9. खाताधारक के निवासी हैसियत में परिवर्तन
(क) निवासी से अनिवासी
(i) जब भारत का कोई निवासी व्यक्ति रोजगार अथवा व्यापार अथवा व्यवसाय अथवा किसी अन्य प्रयोजन हेतु अनिश्चित अवधि के लिए किसी दूसरे देश (नेपाल अथवा भूटान से इतर) में रुकने का अपना इरादा व्यक्त करते हुए भारत छोड़ता है तो उसके वर्तमान खाते को अनिवासी (सामान्य) खाते के रूप में नामित किया जाए। जब भारत का कोई निवासी व्यक्ति रोजगार अथवा व्यापार अथवा व्यवसाय अथवा अन्य प्रयोजन हेतु अनिश्चित अवधि के लिए नेपाल अथवा भूटान में रुकने का अपना इरादा व्यक्त करते हुए भारत छोड़ता है तो उसका वर्तमान खाता, निवासी खाते के रूप में रहेगा। ऐसे खाते को अनिवासी (सामान्य) खाते के रूप में नामित न किया जाए।
(ii) विदेशी राष्ट्रिक जो भारत में रोजगार के लिए आते हैं और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 2 (v) के अनुसार निवासी हो जाते हैं और निवासी बचत बैंक खाता खोलने/रखने के लिए पात्र हो जाते हैं, उन्हें रोजगार के बाद देश छोड़ने पर अपने भारत में रखे निवासी खाते को एनआरओ खाते में पुनर्नामित करने की अनुमति है ताकि वे कतिपय शर्तों का अनुपालन कर वैध प्राप्तियाँ प्राप्त कर सकें।
(ख) अनिवासी से निवासी
रोजगार अथवा व्यापार अथवा व्यवसाय करने अथवा किसी अन्य प्रयोजन हेतु खाता धारक के अनिश्चित अवधि के लिए भारत लौटने पर अथवा भारत में रहने का इरादा रखने के लिए खाता धारक के अनिवासी सामान्य खाते को निवासी रुपया खाता के रूप में पुनः नामित किया जाए। यदि खाताधारक भारत के केवल अस्थायी दौरे पर है तो खाते को ऐसे दौरे की अवधि में अनिवासी खाता समझा जाएगा।
10. उधारकर्ता के निवासी हैसियत में परिवर्तन की स्थिति में ऋण/ ओवरड्राफ्ट की अभिक्रिया
यदि भारत में रहते हुए किसी व्यक्ति ने ऋण अथवा ओवरड्राफ्ट लिया हो और बाद में वह भारत से बाहर का निवासी बन जाता है तो प्राधिकृत व्यापारी/ बैंक अपने विवेक और वाणिज्यिक निर्णय के आधार पर ऋण/ ओवरड्राफ्ट सुविधाओं को जारी रखने की अनुमति दे सकता है। ऐसे मामलों में ब्याज अदायगी और ऋण चुकौती संबंधित व्यक्ति के आवक प्रेषणों अथवा भारत में उसके विधिसम्मत स्रोतों से की जाए।
11. अनिवासी/ निवासी नामिती को निधियों का भुगतान
मृत खाताधारक के अनिवासी सामान्य खाते से अनिवासी नामिती को प्राप्य/देय राशि को नामिती के भारत में प्राधिकृत व्यापारी/ प्राधिकृत बैंक के पास अनिवासी सामान्य खाते में जमा किया जाएगा। मृत खाताधारक के अनिवासी खाते से निवासी नामिती को देय राशि को भारत स्थित बैंक में नामिती के निवासी खाते में जमा किया जाएगा।
12. अटर्नी अधिकार (मुख्तारनामा) धारक द्वारा अनिवासी सामान्य रुपया खाते का परिचालन
प्राधिकृत व्यापारियों/ बैंकों को यह अधिकार दिए गए हैं कि वे अनिवासी व्यक्तिगत खाता धारक द्वारा निवासी के पक्ष में प्रदान किए गए पावर ऑफ एटर्नी द्वारा अनिवासी सामान्य खाते को परिचालित करने की अनुमति दें बशर्ते ऐसे परिचालन निम्नलिखित तक सीमित हों:
(i) रिज़र्व बैंक द्वारा तैयार किये गए संबंधित विनियमों के अनुपालन के अधीन पात्र निवेशों के लिए भुगतान सहित सभी स्थानीय भुगतान रुपये में हों;
(ii) अनिवासी व्यक्तिगत खाता धारक के भारत में चालू आय का भारत से बाहर विप्रेषण, लागू करों का निवल; और
(iii) निवासी पावर ऑफ एटर्नी धारक को न तो खाते में धारित निधियों को अनिवासी व्यक्तिगत खाता धारक से इतर को भारत से बाहर प्रत्यावर्तित करने की, न ही अनिवासी खाताधारक की ओर से किसी निवासी को उपहार के रूप में भुगतान करने अथवा खाते से निधियां अन्य अनिवासी सामान्य खाते में अंतरण की अनुमति है।
13. अध्ययन के लिए विदेश जानेवाले व्यक्ति को दी जानेवाली सुविधाएं
अध्ययन के लिए विदेश जानेवाले व्यक्तियों को अनिवासी भारतीय समझा जाता है तथा वे अनिवासी भारतीयों को उपलब्ध सभी सुविधाओं के हकदार होते हैं। भारत में निवासियों के रूप में उनके द्वारा लिए गये शैक्षणिक और अन्य ऋण फेमा विनियमों के अनुसार मिलते रहेंगे।
14. अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्डस्
प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को अनुमति दी गई है कि वे भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों को अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड जारी करें। आवक प्रेषणों अथवा कार्डधारक के एफसीएनआर(बी) / एनआरई/ एनआरओ खाते की शेष राशि से ऐसे लेनदेनों का निपटान किया जाए।
15. आयकर
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के 9 अक्तूबर, 2002 के उनके परिपत्र सं.10/2002 द्वारा निर्धारित फॉर्मेटों में प्रेषक द्वारा दिए गए वचनपत्र और सनदी लेखाकार से प्राप्त प्रमाणपत्र की प्रस्तुति पर प्राधिकृत व्यापारी बैंक द्वारा किये जाने वाले विप्रेषणों (लागू करों का निवल) की अनुमति दी जाएगी। [26 नवंबर, 2002 का हमारा ए.पी. (डीआआर सिरीज़) परिपत्र सं.56 देखें]।
अनुबंध-1
रिज़र्व को प्रस्तुत किये जानेवाले विवरण/विवरणियां
विवरण के ब्योरे |
आवधिकता |
संबंधित
अनुदेश |
अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों और विदेशी राष्ट्रीकों को सुविधाएं- उदारीकरण- एनआरओ खाते से विप्रेषण |
तिमाही |
16 नवंबर 2006 का ए.पी (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 12 |
अनुबंध-2
प्राधिकृत व्यापारी बैंकों के लिए परिचालनात्मक अनुदेश
1. सामान्य
प्राधिकृत व्यापारी बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 के तहत जारी अधिनियम/ विनियमों/ अधिसूचनाओं के प्रावधानों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें।
विभिन्न लेनदेनों के लिए विप्रेषण की अनुमति देते समय प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा सत्यापित किए जानेवाले दस्तावेज़ों का निर्धारण रिज़र्व बैंक नहीं करेगा।
अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा 5 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार, किसी व्यक्ति की ओर से विदेशी मुद्रा में कोई लेनदेन करने के पहले प्राधिकृत व्यापारी से अपेक्षित है कि वह उस व्यक्ति (आवेदक), जिसकी ओर से लेनदेन किया जा रहा है, से एक घोषणा और अन्य ऐसी सूचनाएं प्राप्त करें जो उसे उपयुक्त रूप से संतुष्ट करेगा कि लेनदेन अधिनियम के प्रावधानों अथवा बनाए गए नियमों अथवा विनियमों अथवा अधिसूचनाओं अथवा अधिनियम के तहत जारी निदेशों अथवा आदेशों का उल्लंघन अथवा अपवंचन नहीं करते हैं। प्राधिकृत व्यापारी बैंक लेनदेन करने से पूर्व आवेदक से प्राप्त सूचनाएं/ दस्तावेज़ों को रिज़र्व बैंक द्वारा सत्यापन के लिए सुरक्षित रखे।
उस स्थिति में जहां व्यक्ति, जिसकी ओर से लेनदेन किया जा रहा है, प्राधिकृत व्यापारी बैंक की अपेक्षाओं को पूरा करने से इंकार करता है अथवा संतोषजनक अनुपालन नहीं करता है तो, लिखित रूप में उसे लेनदेन करने से इंकार कर दिया जाएगा। जहां प्राधिकृत व्यापारी बैंक को यह विश्वास करने का कारण है कि लेनदेन में अधिनियम अथवा उसके तहत बनाए गए नियमों अथवा विनियमों अथवा जारी अधिसूचनाओं के उल्लंघन अथवा अपवंचन के इरादे से उस व्यक्ति ने लेनदेन करने से इंकार किया है तो वह रिज़र्व बैंक को इसकी सूचना दे। समान पद्धति बनाए रखने की दृष्टि से प्राधिकृत व्यापारी बैंक अपनी शाखाओं से प्राप्त होने वाली अपेक्षाओं और दस्तावेज़ों पर विचार करें जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (5) के प्रावधानों का अनुपालन किया जाता है।
2. बांगलादेश/ पाकिस्तान के व्यक्तियों/ की संस्थाओं द्वारा खाते खोलना
बांगलादेश/ पाकिस्तानी राष्ट्रीयता/ स्वामित्व वाले व्यक्तियों/ संस्थाओं द्वारा खाते खोलने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता है। ऐसे सभी अनुरोध प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, (विदेशी निवेश प्रभाग), भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई 400 001 को भेजें जाएं।
3. चालू आय का प्रेषण
खाता धारक के भारत में किराया, लाभांश, पेंशन, ब्याज आदि जैसे चालू आय का भारत से बाहर विप्रेषण एनआरओ खाते में स्वीकार्य नामे है।
प्राधिकृत व्यापारी बैंक एनआरओ खाता न रखनेवाले अनिवासी भारतीयों के किराया, लाभांश, पेंशन, ब्याज जैसे चालू आय का भारत में प्रत्यावर्तन करने के लिए अनुमति सनदी लेखाकार द्वारा उचित प्रमाणपत्र के आधार पर दे सकते हैं कि प्रेषित की जानेवाली प्रस्तावित राशि प्रेषण के लिए पात्र है और लागू करों का भुगतान किया गया है/उसका प्रावधान किया गया है।
4. प्रतिबंध
(क) पाकिस्तान, बांगलादेश, श्रीलंका, चीन, अफगानिस्तान, ईरान, नेपाल और भूटान के नागरिकों को अचल संपत्ति की बिक्री आय के संबंध में विप्रेषण की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
(ख) पाकिस्तान, बांगलादेश, नेपाल और भूटान के नागरिकों को अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों की बिक्री आय के विप्रेषण की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
5.कर भुगतान अपेक्षाओं का अनुपालन
प्राधिकृत व्यापारी बैंक, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के 9 अक्तूबर 2002 के परिपत्र सं. 10/2002 द्वारा निर्धारित फार्मेटों मे प्रेषक द्वारा एक वचनपत्र और सनदी लेखाकार से प्राप्त प्रमाणपत्र की प्रस्तुति पर ही अनिवासियों को विप्रेषण की अनुमति दे सकते हैं।[26 नवंबर 2002 का ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.56 देखें]।
परिशिष्ट
अनिवासी सामान्य खाते ( एनआरओ खाता ) के संबंध में इस मास्टर परिपत्र मे समेकित अधिसूचनाओं/ परिपत्रों की सूची
http://www.rbi.org.in/Scripts/BS_ApCircularsDisplay.aspx
http://www.rbi.org.in/Scripts/Bs_FemaNotifications.aspx
टिप्पणी
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प्राधिकृत व्यापारियों की सुविधा के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किए जानेवाले विवरण/ विवरणियों की सारणी और परिचालनात्मक मार्गदर्शी सिद्धांत क्रमश: संलग्नक -1 और 2 में दिए गए हैं।
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सभी उपयोगकर्ताओं की सूचना के लिए यह भी स्पष्ट किया जाता है कि आवश्यक नहीं है कि मास्टर परिपत्र सुविस्तृत ही हों और जहां कहीं आवश्यक हो, अधिक सूचना/स्पष्टीकरण के लिए संबंधित ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र का संदर्भ देखें ।
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