आरबीआइ /2011 -12 / 85
ग्राआऋवि.जीएसएसडी.बीसी.सं. 5 /09.03.01/2011-12
1 जुलाई 2011
अध्यक्ष /प्रबंध निदेशक
सार्वजनिक क्षेत्र के सभी भारतीय बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय,
सभी शेष स्वच्छकारों और उनके आश्रितों के पुनर्वास हेतु सामाजिक न्याय
और सशक्तिकरण मंत्रालय की "मैला ढोने वाले स्वच्छकारों के पुनर्वास के
लिए स्वरोजगार योजना" (एसआरएमएस) पर मास्टर परिपत्र
भारतीय रिज़र्व बैंक ने पहले नई मेला ढोने वाले स्वच्छकारों के पुनर्वास के लिए स्वरोजगार योजना (एसआरएमएस) आरंभ करने के लिए अप्रैल 2008 में बैंकों को अनुदेश जारी किए थे । बैंकों के पास वर्तमान अनुदेश एक साथ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सभी वर्तमान दिशानिर्देशों / अनुदेशों /निदेशों /रिपोर्टिंग प्रोफार्मा को शामिल करते हुए एक मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है जो संलग्न है । इस मास्टर परिपत्र को अद्यतन किया गया है तथा इसमें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 30 जून 2011 तक जारी विषयों पर पहले के अनुदेश समेकित हैं। योजना का ब्योरा तथा इस योजना को कार्यान्वित करने में बैंकों द्वारा पालन किए जानेवाले व्यापक दिशा-निर्देश इस परिपत्र के अनुबंध I में दिए गए हैं । इस नई योजना के कार्य-निष्पादन और वसूली की रिपोर्टिंग के प्रोफार्मा क्रमशः अनुबंध II और अनुबंध III में दिए गए हैं । चूंकि भारत सरकार ने 2005-06 से वर्तमान स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास के लिए राष्ट्रीय योजना (एनएसएलआरएस) को निधि देना बंद कर दिया है अतः आपको सूचित किया जाता है कि अब से एसएलआरएस (स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास के लिए योजना) के स्थान पर एसआरएमएस योजना कार्यान्वित की जाए ।
कृपया प्राप्ति सूचना दें ।
भवदीया,
( डॉ. दीपाली पन्त जोशी )
पभारी मुख्य महाप्रबंधक
अनुलग्नक : यथोक्त + परिशिष्ट
अनुबंध I
मैला ढोने वाले स्वच्छकारों के पुनर्वास के लिए स्वरोजगार योजना (एसआरएमएस)
1. परिचय
1.1 जैसा कि आपको ज्ञात है, स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास के लिए राष्ट्रीय योजना (एनएसएलआरएस) वर्ष 1993 से सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। योजना का उद्देश्य 5 वर्ष की अवधि में स्वच्छकारों और उनके आश्रितों को मैला ढोने के वर्तमान पैतृक घृणित व्यवसाय से मुक्त कराके अन्य कोई सम्मानजनक व्यवसाय उपलब्ध कराना है। भारत सरकार ने 2005-06 से वर्तमान एनएसएलआरएस को निधि देना बंद कर दिया और "मैला ढोने वाले स्वच्छकारों के पुनर्वास के लिए स्वरोज़गार योजना" (एसआरएमएस) अनुमोदित की है जिसका उद्देश्य मार्च 2009 तक शेष स्वच्छकारों और उनके आश्रितों का पुनर्वास करना है। चूंकि भारत सरकार, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय ने यह निर्णय लिया है कि इस योजना को सितंबर 2009 के बाद जारी रखा जाए, तदनुसार, बैंकों को सूचित किया गया है कि वे योजना का कार्यान्वयन 31 दिसंबर 2009 तथा अपरिहार्य मामलों में स्पिल ओवर 31 मार्च 2010 तक पूरा कर लें (देखें दिनांक 18 दिसंबर 2009 का परिपत्र ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.सं. 47/ 09.03.01/ 2009-10 द्वारा ) । इस अनुमोदित योजना में पूँजीगत सब्सिडी, रियायती ऋण तथा वैकल्पिक पेशे में स्वच्छकारों के पुनर्वास हेतु क्षमता निर्माण के प्रावधान शामिल हैं। साथ ही, भारत सरकार चाहती है कि योजना के कार्यान्वयन में किसी प्रकार की बाधा को पार करने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ इस योजना को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में लागू किया जाए।
1.2 इस योजना का सफल कार्यान्वयन, सभी नियंत्रण स्तरों पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की इस योजना में प्रभावी सहभागिता और निगरानी पर निर्भर करेगा। अतः बैंकों को इस पहलू पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि इस योजना को दिसंबर 2009 तक स्वच्छकारों और उनके आश्रितोंतथा वैकल्पिक व्यवसाय हेतु उनकी क्षमता का पता लगाकर निर्धारित समयावधि में कार्यान्वित करना तथा अपरिहार्य मामलों में स्पिल ओवर 31 मार्च 2010 तक पूरा करना है ।
1.3 राज्यों से प्राप्त सर्वेक्षण रिपोर्टों के अनुसार भारत में 7,70,338 स्वच्छकार और उनके आश्रित हैं। एनएसएलआरएस के अंतर्गत सहायता प्राप्त कर चुके 4,27,870 तथा सहायता हेतु अपात्र मैला ढोने वाले स्वच्छकारों को हिसाब में लेते हुए परिशिष्ट - I में दिए राज्य-वार ब्योरे के अनुसार 3,42,468 मैला ढोने वाले स्वच्छकारों का पुनर्वास अब भी शेष है। मैला ढोने वाले शेष स्वच्छकारों (342468) के पुनर्वास हेतु निधि की आवश्यकता का विवरण परिशिष्ट - II में दिया गया है ।
योजना का उद्देश्य
योजना का उद्देश्य समयबद्ध तरीके से सितंबर 2009 तक शेष स्वच्छकारों को सहायता प्रदान करना है जिन्हें अब तक पुनर्वास हेतु सहायता नहीं मिली है।
पात्रता
स्वच्छकार और उनके आश्रित जिन्हें भारत सरकार / राज्य सरकारों की किसी भी योजना के अंतर्गत पुनर्वास हेतु सहायता प्रदान की जानी है, भले ही उनकी आय, कितनी भी हो, इस सहायता हेतु पात्र होंगे ।
स्वच्छकार की परिभाषा
"स्वच्छकार" वह व्यक्ति है जो मैला ढोने के घृणित और अमानवीय कार्य में पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से कार्यरत है। स्वच्छकार का आश्रित वह है जो उनके परिवार का सदस्य है तथा उन पर आश्रित है चाहे वह आंशिक रूप से अथवा पूर्णतः उस व्यवसाय से जुड़ा हो। प्रत्येक स्वच्छकार और उसके संतान जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है और जिसे रोजगार (स्वच्छकार के अलावा) प्राप्त नहीं है, को पहचान कर उसका पुनर्वास किया जाएगा।
2. मुख्य विशेषताएं
2.1 मैला ढोनेवाले स्वच्छकारों के पुनर्वास के लिए स्वरोजगार योजना सरकारी क्षेत्र के बैंकों के लिए लागू है।
2.2 यह योजना परिशिष्ट III में संलग्न सूची के अनुसार सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय के शीर्ष कार्पोरेशनों के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है। बैंकों से ऋण प्राप्त करने हेतु पात्र हिताधिकारियों को राज्य द्वारा निर्दिष्ट एजेंसियाँ प्रायोजित करेंगी। इस नई योजना के कार्यान्वयन में योजना के समग्र मानदंडों के भीतर स्वयं सहायता समूहों को शामिल किया जा सकता है। चूंकि यह समयबद्ध योजना है, इसलिए अन्य योजनाओं के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों पर लागू मानदंड यहां लागू नहीं होंगे।
2.3 पहचाने गए स्वच्छकारों को प्रशिक्षण, ऋण और सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। बैंक केवल राज्य द्वारा निर्दिष्ट एजेंसियों द्वारा प्रायोजित उम्मीदवारों को ऋण देंगे। ऋण स्वीकृत किए जाने के बाद बैंक राज्य द्वारा निर्दिष्ट एजेंसियों से पूंजीगत सब्सिडी की राशि का दावा करेंगे जो बदले में स्वीकार्य पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करेंगे जिसे हिताधिकारियों को ऋण की राशि के साथ संवितरित किया जाएगा। हिताधिकारियों को ऋण संवितरित करने के बाद बैंक की संबंधित शाखा तिमाही आधार पर राज्य द्वारा निर्दिष्ट एजेंसियों से ब्याज सब्सिडी का दावा करेगी।
2.4 ऋण बैंकों द्वारा दिया जाएगा जो हिताधिकारियों से योजना के अंतर्गत निर्धारित दरों पर ब्याज लेंगे। राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम (एनएसकेएफडीसी) या शीर्ष स्तर पर चुनी गई कोई अन्य एजेंसी, राज्य द्वारा निर्दिष्ट एजेंसियों या राज्य स्तर पर चुनी गई किसी अन्य एजेंसी के माध्यम से, इस योजना के अंतर्गत बैंकों द्वारा लगाए जाने वाले ब्याज तथा हिताधिकारियों से वसूले जानेवाले ब्याज के बीच के अंतर के लिए बैंकों को ब्याज सब्सिडी उपलब्ध कराएगी। तथापि, ब्याज और पूंजीगत सब्सिडी के दावे के लिए बताई गई क्रियाविधि सांकेतिक स्वरुप की है। संबंधित राज्य सरकारों और एसएलबीसी के पास योजना के सुचारु कार्यान्वयन हेतु आपसी सहमति से अन्य वैकल्पिक क्रियाविधि विकसित करने का विकल्प रहेगा।
3. निधियन
3.1 यह योजना 5.00 लाख रुपए तक की लागतवाली परियोजनाओं के लिए है। ऋण की राशि, स्वीकार्य पूंजीगत सब्सिडी घटाए जाने के बाद परियोजना लागत का शेष भाग होगी। इस योजना के अंतर्गत कोई मार्जिन राशि/प्रवर्तक का अंशदान देना अपेक्षित नहीं है।
3.2 मीयादी ऋण (अधिकतम 5 लाख रुपए तक) तथा व्यष्टि वित्त (अधिकतम 25,000 रुपए तक) दोनों इस योजना के अंतर्गत स्वीकार्य होंगे। व्यष्टि वित्तपोषण, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और विख्यात गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के माध्यम से भी किया जाएगा।
3.3 हिताधिकारियों से वसूली जाने वाली ब्याज दर निम्नानुसार होगी :
(क) 25,000 रुपए तक की परियोजनाओं के लिए |
4% प्रति वर्ष (महिला हिताधिकारियों के लिए) 5% प्रति वर्ष |
(ख) 25,000 रूपए से अधिक परियोजनाओं के लिए |
6% प्रति वर्ष |
3.4 जहां ऋण पर बैंकों द्वारा लगाई जाने वाली ब्याज दर इस योजना में निर्धारित दरों से अधिक होगी, वहां इस अंतर को पूरा करने के लिए बैंकों को ब्याज सब्सिडी दी जाएगी और इसकी निगरानी एनएसकेएफडीसी/मंत्रालय द्वारा चुनी गई अन्य एजेंसियों द्वारा की जाएगी।
3.5 प्रत्येक राज्य में योजना के राज्यवार लक्ष्यों के अनुसार प्रत्येक बैंक के वार्षिक लक्ष्य राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियों (एसएलबीसी) द्वारा निर्धारित किए जाएंगे ।
4. चुकौती
25,000 रुपए तक की परियोजनाओं के लिए ऋण चुकौती की अवधि तीन वर्ष तथा 25,000 रुपए से अधिक की परियोजनाओं के लिए 5 वर्ष होगी। ऋण चुकौती प्रारंभ करने के लिए अधिस्थगन अवधि 6 माह होगी। राज्य द्वारा निर्दिष्ट एजेंसियां (एससीए) हिताधिकारियों को तीन माह के भीतर निधि का संवितरण करेंगी।
5. सब्सिडी
5.1 हिताधिकारियों को ऋण संबद्ध पूंजीगत सब्सिडी प्रचारित करते हुए पैमानाबद्ध तरीके से दी जाएगी :
(क) 25,000/- रुपए तक की लागतवाली परियोजनाओं के लिए |
परियोजना लागत के 50% की दर से |
(ख) 25,000/- रूपए से अधिक की लागत वाली परियोजनाओं के लिए |
परियोजना लागत के 25% की दर से जिसकी न्यूनतम राशि 12,500/- रूपए और अधिकतम राशि 20,000/- रूपए होगी |
5.2 हिताधिकारियों को योजना के अंतर्गत आवश्यकतानुसार पूंजीगत सब्सिडी और ब्याज सब्सिडी एवं अन्य अनुदानों के बिना दूसरा और बाद में भी ऋण लेने की अनुमति होगी।
6. कार्यान्वयनकर्ता एजेंसियां
6.1 राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम (एनएसकेएफडीसी) या योजना के अंतर्गत चुनी गई अन्य एजेंसी, योजना के अंतर्गत सभी कार्यकलापों की जिम्मेवारी लेगी तथा हिताधिकारियों को सर्वोत्तम लाभ सुनिश्चित करने हेतु संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय बनाए रखेगी। एनएसकेएफडीसी या चुनी गई अन्य एजेंसी को योजना के अंतर्गत स्वीकार्य व्यय के लिए अपनी स्वयं की निधि में से खर्च करने की स्वतंत्रता होगी जिसकी प्रतिपूर्ति उनको की जाएगी।
एनएसकेएफडीसी या चुनी गई अन्य एजेंसी को योजना में निर्धारित दरों पर स्वयं की निधि से लक्ष्य समूह को ऋण प्रदान करने तथा उसकी वसूली करने का विकल्प होगा। तथापि, ऐसी राशियों की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा नहीं की जाएगी। ऐसे मामलों में, वे योजना में बताए गए अनुसार प्रशिक्षण, ब्याज सब्सिडी (यदि आवश्यक हो), पूंजीगत सब्सिडी आदि का दावा करने हेतु पात्र होंगे।
6.2 प्रस्ताव है कि इस योजना को एनएसकेएफडीसी या इस प्रयोजनार्थ चुनी गई अन्य एजेंसियों के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वित किया जाए। राज्य स्तर पर कार्यान्वयनकर्ता एजेंसियां, इस प्रयोजन हेतु चुनी गई राज्य द्वारा निर्दिष्ट एजेंसियां होंगी जिनमें सरकारी एजेंसियां और विख्यात गैर-सरकारी संगठन भी शामिल हो सकते हैं। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से व्यष्टि वित्त योजनाओंके लिए विख्यात व्यष्टि वित्त संस्थानों और एनजीओ की सहभागिता को बढ़ावा देने की भी बात कही गई। हिताधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए सरकारी संस्थानों के अतिरिक्त विख्यात विशेषीकृत प्रशिक्षण संस्थानों को शामिल करने पर के लिए भी कहा गया है।
6.3 मंत्रालय के अंतर्गत मौजूद संस्थानों जैसे एनएसकेएफडीसी और उनके राज्य द्वारा निर्दिष्ट एजेंसियों को प्रस्तावित योजना को कार्यान्वित करने का पर्याप्त अनुभव होता है। तथापि, बुनियादी सुविधाओं की उनकी सीमित क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है। उनसे यह अपेक्षित है कि वे अपने मौजूदा कार्यकलापों के अतिरिक्त इस योजना को कार्यान्वित करें। अतः उन्हें बढ़ते हुए कार्य का सामना करने की अपनी क्षमता को विकसित करने हेतु सहारे की आवश्यकता होगी तथा सौंपे गए कार्य को पूरा करने के लिए नवोन्मेष तंत्र तैयार करने की भी आवश्यकता होगी। इसी प्रकार, विभिन्न स्तरों पर शामिल अन्य चुनी गई एजेंसियों को सहारा देने की आवश्यकता होगी। विभिन्न स्तरों पर योजना के कार्यान्वयन में लगी एजेंसियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने हतु 5.00 करोड़ रुपए की एक सुविधा निधि निर्धारित की गई है।
6.4 कार्यान्वयन की प्रगति की निगरानी एनएसकेएफडीसी तथा इस प्रयोजनार्थ चुनी गई अन्य शीर्ष स्तर की एजेंसियों द्वारा की जाएगी। सफाई कर्मचारियों का राष्ट्रीय आयोग अपनी शर्तों के अनुसार , कार्यक्रमों और योजनाओं के कार्यान्वयन, मैला ढोने वाले स्वच्छकारों के सामाजिक और आर्थिक पुनर्वास की समीक्षा कर सकता है। योजना का मूल्यांकन एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा किया जाएगा जिसके लिए निगरानी और संगामी मूल्यांकन के अंतर्गत योजना की कुल लागत का 1% (अर्थात् 7.35 करोड़ रुपए) निर्धारित किया गया है।
7. बैंकों की भूमिका
7.1 योजना के प्रति हमारा दृष्टिकोण लक्ष्योन्मुख होने के बजाए रोजगार / आयोन्मुख होना चाहिए। योजना का सफल कार्यान्वयन बैंकों की सभी स्तरों पर प्रभावी सहभागिता और निगरानी पर निर्भर करेगा।अतः बैंक इस पहलू की ओर विशेष रुप से ध्यान दें और यह सुनिश्चित करें कि पर्याप्त संख्यामें शाखाएं राज्य स्थानीय अनुसूचित जाति विकास और वित्त निगम के साथ घनिष्ठ तालमेल रखते हुए योजना के कार्यान्वयन में सक्रिय रुप से सहभागी होती हैं। बैंक हिताधिकारियों को वित्त प्रदान करने के लिए जिला ऋण योजना (डीसीपी) के लिए कवर की गई सभी बैंक शाखाओं को उनके परिचालन क्षेत्र के अंदर पात्र हिताधिकारियों की उपलब्धता के अनुसार वार्षिक कार्य योजना (एसीपी) के अंतर्गत जिले के लिए योजना में निर्धारित कुल लक्ष्य को यथानुपातिक आधार पर वितरित करते हुए लक्ष्य आबंटित करें। बैंक योजना के कार्यान्वयन के लिए अपनी शाखाओं / नियंत्रक कार्यालयों को यथोचित अनुदेश जारी करें।
7.2 बैंक यह सुनिश्चित करें कि उनकी शाखाएं आवेदक हिताधिकारियों को पूरा सहयोग देती हैं और ऐसे दस्तावेजों और गारंटियों आदि की मांग नहीं करती हैं जिनका योजना में उल्लेख नहीं है।
7.3 बैंक हिताधिकारियों से सावधि जमा खाते में राशि जमा करने का आग्रह न करें।
7.4 बैंक हिताधिकारियों और बैंकों के बीच काम करने वाले मध्यस्थितियों को दूर रखने के लिए आसान और पारदर्शी क्रियाविधि अपनाएं और आवेदनों को समय पर निपटाएं।
7.5 रुपए 25,000/- तक की ऋण सीमा वाले सभी ऋण आवेदनों को एक पखवाड़े के अंदर और रुपए 25,000/- से अधिक ऋण सीमा वाले आवेदनों को 8 से 9 सप्ताह के अंदर निपटा दिया जाए।
7.6 अपेक्षितानुसार आवेदनों की प्राप्ति और उनके निपटान का उचित रिकार्ड रखा जाए।
7.7 शाखा प्रबंधक आवेदनों को अस्वीकृत (अजा/अजजा को छोड़कर) कर सकते हैं बशर्ते अस्वीकृत किए गए मामलों को बाद में मंडल/क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा सत्यापित किया जाता है। आवेदनों को छिट-पुट कारणों की वजह से अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए। यदि कोई आवेदन अस्वीकृत किया जाता है तो आवेदन पर उसका कारण अवश्य लिखा जाए।
7.8 निर्धारित समय सीमा के बाद भी लंबित पड़े सभी ऋण आवेदनों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाए।
7.9 एसएलबीसी की बैठकों आदि में योजना के अंतर्गत बैंकों के कार्यनिष्पादन की अग्रणी बैंक योजना के अंतर्गत विभिन्न मंचों पर आवधिक समीक्षा की जाए।
7.10 हिताधिकारियों को ऋण देने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु बैंक स्टाफ को शिक्षित करने और उनके दृष्टिकोण को बदलने के प्रयास किए जाएं।
7.11 लक्ष्य प्राप्त करने के लिए बैंकों को मंजूरी पूर्व संवीक्षा में सुधार लाना चाहिए तथा संवितरण पश्चात् अनुवर्ती कार्रवाई सख्त कर दी जाए।
7.12 योजना के कार्यान्वयन के दौरान कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर उसी समय निर्णय लेना जरुरी होगा। योजना के कार्यान्वयन और गंभीर स्वरुप के मुद्दों पर तत्काल निर्णय लिए जाने की सुगमता के लिए एक विशेष तंत्र निर्धारित किया गया है। सचिव, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी जिसमें निम्नलिखित सदस्य होंगे :-
* अतिरिक्त सचिव, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय - सदस्य
* संयुक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय - सदस्य
* योजना आयोग के संबंधित सलाहकार - सदस्य
* संयुक्त सचिव (अनुसूचित जाति विकास)आयोजक
समिति यदि आवश्यक समझे तो, विशेष व्यक्तियों को बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित कर सकती है। समिति की सिफारिशें योजना के मुख्य मापदंडों के अनुसार होंगे और उनका कार्यान्वयन सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्री के अनुमोदन से होगा।
8. परियोजना के प्रकार
8.1 हिताधिकारी किसी व्यवहार्य आय अर्जन स्वरोजगार परियोजना का चयन करने हेतु स्वतंत्र हैं। परियोजनाओं की निर्देशक सूची नीचे प्रस्तुत है जिनका प्रायः हिताधिकारियों द्वारा चयन किया जाता है, जिन्हें जारी रखा जा सकता है तथा जिनसे नियमित आय की संभाव्यता अच्छी होती है –
क्रम सं. |
परियोजनाएं |
परियोजना की निर्देशक लागत |
1. |
फल और सब्जी विक्रेता और मीट शॉप, पान की दुकान, घड़ी मरम्मत की दुकान तथा गीली पिसाई आदि |
प्रति 25,000 रूपए तक |
2. |
नाई की दुकान, दरज़ी की दि, आटे की चक्की, भाड़े पर साइकिल देना और मरम्मत तथा एसटीडी/पीसीओ बुथ आदि |
रिति 25,001/- रूपए से 50,000 रुपए |
3. |
ऑटो रिक्शा (पैट्रोल), ऑटोमोबाइल मरम्मत की दुकार पीसीओ/फोटो कॉपीयर बुथ, किराणा की दुकान, ब्युटी पार्लर और संगीत स्टोर आदि |
प्रति 50,001/- रूपए से 1,00,000 रूपए |
4. |
परिवहन, वाहनों और घरेलू उपकरणों की डेटिंग और रंगाई, लाँड्री और ड्राई क्लिनिंग की दुकान, सैनिटरी और हार्डवेयर की दुकान, घरेलू विद्युत उपकरणों की सर्विसिंग और मरम्मत, टेंट गारमेंट की दुकान, नॉन-लैंड आधारित योजनाएं जैसे ट्रैक्टर, ट्राली, मुर्गी पालन सहित कृषि और कृषि संबद्ध् कार्यकलाप |
प्रति 1,00,001/- रूपए से 5,00,000 रूपए |
9. प्रशिक्षण
9.1 चूंकि स्वच्छकारों का पुनर्वास गैर-परंपरागत व्यवसायों में किया जाता है अतः उन्हें नए कौशल और उद्यमवृत्ति क्षमताएँ प्राप्त करने हेतु प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। यह कार्य सरकारी एजेंसियों/संस्थानों तथा विख्यात विशेषीकृत प्रशिक्षण एजेंसियों द्वारा दिया जा सकता है। प्रशिक्षणार्थियों को लाभकारी रोज़गार प्रदान करने हेतु चयनित उद्योगों/कारोबारी संगठनों को प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रत्येक हिताधिकारी के लिए औसत प्रशिक्षण लागत 14,000 रुपए होगी जिसमें प्रशिक्षण शुल्क, औज़ार तथा प्रशिक्षणार्थियों के स्टाइपेंड का प्रावधान शामिल हैं।
9.2 सभी स्तरों पर जागरुकता निर्माण करने के उद्देश्य से प्रचार का एक व्यापक कार्यक्रम चलाया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हिताधिकारियों को संभावित कम से कम समय में अधिक से अधिक लाभ मिल रहा है।
10. निगरानी और मूल्यांकन
मैला ढोने वाले स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास के बीच के अंतर को जोड़ने के लिए इस योजना को आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय (MOH & UPA) तथा राज्य/स्थानीय स्तरों पर नगरपालिका निकायों के समन्वय से सूखे शौचालयों को परिवर्तित करने के कार्यक्रम से सहबद्ध किया जाएगा। चूंकि भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय और राज्य सरकारें अलग-अलग विकासात्मक कार्यक्रम कार्यान्वित कर रही हैं, इसलिए ऐसे प्रयास किए जाएंगे कि अन्य मौजूद कार्यक्रमों को भी ये लाभ मिल सकें ताकि लक्ष्य समूह को अर्थपूर्ण पैकेज दिया जा सके । वर्ष 2007 तक मैला ढोने की प्रथा के संपूर्ण उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना के कार्यान्वयन की निगरानी हेतु अंतर-मंत्रालय प्रतिनिधित्व सहित सचिव (एमएसजे एँड इ) की अध्यक्षता में केन्द्रीय निगरानी समिति (सीएमसी) के मौजूदा तंत्र का उपयोग इस प्रयोजन हेतु किया जाएगा।
10.1 राष्ट्रीय, राज्य, जिला और नगर स्तरों पर कार्यरत कार्यान्वयनकर्ता एजेंसियां योजना के कार्यान्वयन की निगरानी और मूल्यांकन करती हैं और सुधारात्मक कार्रवाई करती हैं ताकि कार्यक्रम निर्धारित लक्ष्य के अनुसार कार्यान्वित होता रहे।
10.2 कार्यान्वयनकर्ता शाखा अनुबंध II के अनुसार अग्रणी बैंक अधिकारी (अग्रणी बैंक की शाखाओं के मामले में) या जिला संयोजक (अन्य बैंकों की शाखाओं के मामले में) के साथ-साथ अपने संबंधित नियंत्रक कार्यालयों को भी मासिक विवरण प्रस्तुत करेंगी। संबंधित अग्रणी बैंक अधिकारी / जिला संयोजक जिले के अपने बैंक की सभी शाखाओं के बारे में उसी फार्मेट में आंकड़े समेकित करेगा ताकि योजना के अंतर्गत प्रत्येक जिले में प्रत्येक बैंक का कार्यनिष्पादन संबंधी डाटा उपलब्ध हो सके। जिला संयोजक, जिले में अपनी शाखाओं के संबंध में समेकित डाटा अग्रणी बैंक अधिकारी को भेजेगा ताकि जिला परामर्शदात्री समिति की बैठकों में समीक्षा हेतु बैंक-वार आँकड़े रखे जा सकें।
10.3 बैंकों के नियंत्रक कार्यालय अपने क्षेत्राधिकार में आनेवाली सभी शाखाओं से संबधित आंकड़े समेकित करें और उन्हें राज्य स्तर के क्षेत्रीय / आंचलिक कार्यालयों को प्रस्तुत करें । बैंकों के क्षेत्रीय / आंचलिक कार्यालय राज्य स्तर पर पूरे राज्य के लिए अपनी शाखाओं द्वारा योजना के कार्यान्वयन में की गयी प्रगति की समीक्षा करें । प्रत्येक बैंक के क्षेत्रीय / आचंलिक कार्यालय राज्य/ संघ शासित क्षेत्र स्तर के आंकड़े राज्य स्तरीय बैंकर समिति के आयोजकों को राज्य स्तरीय बैंकर समिति की बैठकों में समीक्षा हेतु उपलब्ध कराएं। इस विवरण की एक प्रति भारतीय रिज़र्व बैंक के ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भी प्रस्तुत की जाए।
10.4 बैंकों के क्षेत्रीय / आंचलिक कार्यालय राज्य / संघ शासित क्षेत्रवार आंकड़े बैंकों के मुख्य कार्यालयों को समीक्षा हेतु उपलब्ध कराएं। बैंकों के प्रधान कार्यालय ऐसे विवरणों के आधार पर योजना के अंतर्गत बैंकों के कार्यनिष्पादन की समीक्षा करें। बैंकों के प्रधान कार्यालय राज्य / संघ शासित क्षेत्रवार ब्योरे देते हुए अपने कार्यनिष्पादन संबंधी मासिक आंकड़े अगले माह के अंत तक ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय को भेजेंगे।
10.5 अनुबन्ध II में दिए फार्मेट का प्रयोग बैंकों के नियंत्रक / क्षेत्रीय / आंचलिक / प्रधान कार्यालयों और साथ ही साथ राज्य स्तरीय बैंकर समिति के आयोजकों द्वारा आँकड़े भेजने के लिए किया जाएगा।
10.6 योजना के सुचारु कार्यान्वयन के संबंध में सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय से प्राप्त स्पष्टीकरण / अनुदेश बाद में जारी किए जाएंगे।
अनुबंध II
-------------माह के लिए मैला ढोने वाले स्वच्छकारों के पुनर्वास के लिए स्वरोजगार योजना के अंतर्गत संचयी मासिक प्रगति रिपोर्ट
(बैंकों द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किया जाना है )
(वास्तविक संख्या)
(राशि लाख रूपए में)
क्रम सं. |
राज्य/संघ शासित क्षेत्र का नाम |
फिसिकल लक्ष्य |
प्राप्त आवेदन |
स्वीकृत ऋण |
|
संवितरित ऋण |
|
निरस्त आवेदन |
पिछले माह तक |
चालू माह के दौरान |
पिछले माह तक |
चालू माह के दौरान |
पूंजीगत सब्सिडी कॉलम 11 के अनुरूप |
पिछले माह तक |
चालू माह के दौरान |
सब्सिडी
कॉलम 16 के अनुरूप |
पिछले माह तक |
चालू माह के दौरान |
1 |
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8 |
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10 |
11 |
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14 |
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19 |
20 |
21 |
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10 |
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11 |
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12 |
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13 |
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14 |
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15 |
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16 |
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17 |
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18 |
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19 |
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20 |
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21 |
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22 |
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23 |
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अनुबंध III
मैला ढोने वाले स्वच्छकारों के पुनर्वास हेतु योजना (एसआरएमएस)
सितंबर / मार्च को समाप्त छमाही / वर्ष के लिए एसआरएमएस के अंतर्गत वसूली की स्थिति
बैंक का नाम -
राज्य / संघशासित क्षेत्र का नाम
( राशि लाख रूपए में )
|
मांग |
वसूली |
अतिदेय |
मांग की तुलना में वसूली का प्रतिशत |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
आंध्र प्रदेश |
|
|
|
|
असम |
|
|
|
|
बिहार |
|
|
|
|
गुजरात |
|
|
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|
हरियाणा |
|
|
|
|
हिमाचल प्रदेश |
|
|
|
|
जम्मू और कश्मीर |
|
|
|
|
कर्नाटक |
|
|
|
|
केरल |
|
|
|
|
मध्य प्रदेश |
|
|
|
|
महाराष्ट्र |
|
|
|
|
मणिपुर |
|
|
|
|
मेघालय |
|
|
|
|
नागालैंड |
|
|
|
|
उड़ीसा |
|
|
|
|
पंजाब |
|
|
|
|
राजस्थान |
|
|
|
|
सिक्कीम |
|
|
|
|
तमिल नाडु |
|
|
|
|
त्रिपुरा |
|
|
|
|
उत्तर प्रदेश |
|
|
|
|
पश्चिम बंगाल |
|
|
|
|
अंदमान और निकोबार |
|
|
|
|
अरुणाचल प्रदेश |
|
|
|
|
चंडीगढ़ |
|
|
|
|
दादरा और नगर हवेली |
|
|
|
|
गोवा |
|
|
|
|
मिज़ोरम |
|
|
|
|
पांडिचेरी |
|
|
|
|
लक्षद्वीप |
|
|
|
|
दमन और दीव |
|
|
|
|
दिल्ली |
|
|
|
|
छत्तीसगढ़ |
|
|
|
|
झारखंड |
|
|
|
|
उत्तरांचल |
|
|
|
|
कुल |
|
|
|
|
योजना का परिशिष्ट - I
राज्य-वार स्वच्छकारों की जनसंख्या, एम/ओ एसजे एंड ई, एनएसकेएफडीसी आदि द्वारा पुनर्वासित स्वच्छकारों तथा स्वच्छकारों की संख्या दर्शाने वाला विवरण |
क्र.सं. |
राज्य का नाम |
स्वच्छकारों की जनसंख्या |
अतिरिक्त (पुनःसर्वेक्षण) |
कुल |
पुनर्वासित तथा अपात्र स्वच्छकारों की सं. |
पुनर्वास हेतु शेष स्वच्छकारों |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
1 |
आंध्र प्रदेश |
30921 |
14901 |
45822 |
45822 |
0 |
2 |
असम |
40413 |
|
40413 |
1594 |
38819 |
3 |
बिहार |
12226 |
|
12226 |
285 |
11941 |
4 |
दिल्ली |
17420 |
|
17420 |
2941 |
14479 |
5 |
गुजरात |
64195 |
|
64195 |
11653 |
52542 |
6 |
हरियाणा |
36362 |
|
36362 |
15558 |
20804 |
7 |
हिमाचल प्रदेश |
4757 |
|
4757 |
2023 |
2734 |
8 |
जम्मू और कश्मीर |
4150 |
|
4150 |
211 |
3939 |
9 |
कर्नाटक |
14555 |
|
14555 |
12597 |
1958 |
10 |
केरल |
1339 |
|
1339 |
141 |
1198 |
11 |
मध्य प्रदेश |
80072 |
1235 |
81307 |
77512 |
3795 |
12 |
महाराष्ट्र |
64785 |
|
64785 |
19086 |
45699 |
13 |
मेघालय |
607 |
|
607 |
0 |
607 |
14 |
नागालैंड |
1800 |
|
1800 |
0 |
1800 |
15 |
उड़ीसा |
35049 |
|
35049 |
10681 |
24368 |
16 |
पांडिचेरी |
476 |
|
476 |
129 |
347 |
17 |
पंजाब |
531 |
2457 |
2988 |
2988 |
0 |
18 |
राजस्थान |
57736 |
|
57736 |
14169 |
43567 |
19 |
तमिल नाडु |
35561 |
|
35561 |
23687 |
11874 |
20 |
उत्तर प्रदेश |
149202 |
64773 |
213975 |
180719 |
33256 |
21 |
पश्चिम बंगाल |
23852 |
|
23852 |
2338 |
21514 |
22 |
छत्तीसगढ़ |
|
3243 |
3243 |
3243 |
0 |
23 |
झारखंड |
|
5750 |
5750 |
0 |
5750 |
24 |
उत्तरांचल |
|
1970 |
1970 |
493 |
1477 |
|
कुल |
676009 |
94329 |
770338 |
427870 |
342468 |
योजना का परिशिष्ट II
मैला ढोने वाले स्वच्छकारों की शेष संख्या (342468) के पुनर्वास हेतु निधि आवश्यकता का विवरण -
अनुमान :-
(एनएसकेएफडीसी के अनुभव के आधार पर) |
मैला ढोने वाले स्वच्छकारों की संख्या |
1. स्वच्छकारों की संख्या (25%) जिनके व्यष्टि ऋण वित्त (एमसीएफ) अर्थात् 25,000 रुपए तक ऋण के विकल्प की संभावना है ।
|
= 85617 |
2. स्वच्छकारों की संख्या (40%) जिनके मीयादी ऋण अर्थात् 25,001 रुपए से 50,000 रुपए तक के ऋण के विकल्प की संभावना है। |
= 136987 |
3. स्वच्छकारों की संख्या (35%) जिनके मीयादी ऋण अर्थात् 50,001 रुपए से 5,00,000 रुपए तक के ऋण के विकल्प की संभावना है। |
= 119864 |
कुल |
= 342468 |
4. योजना के अंतर्गत परियोजनाओं की लागत -
(क) एमसीएफ के अंतर्गत परियोजना की लागत 25,000 रुपए ली गई है,
(ख) 25,001 रुपए से 50,000 रुपए तक की लागत वाली परियोजना के लिए औसतन आधार पर औसत लागत 37,500 रुपए ली गई है,
(ग) 50,001 रुपए से 5,00,000 रुपए तक की लागत वाली परियोजना के लिए औसतन आधार पर औसत लागत 62,500 रुपए ली गई है।
5. ऋण तथा पूंजीगत सब्सिडी का ब्योरा निम्नानुसार है :
(राशि करोड़ रुपए में)
क्रम सं. |
परियोजना लागत |
रु. 25000 तक |
रु. 25001 से
रु. 50,000 तक |
रु. 50001 से रु.
5,00,000 तक |
कुल |
परियोजनाओं का अनुपात |
25% |
40% |
35% |
1. |
स्वच्छकारों की संख्या |
85617 |
136987 |
119864 |
342468 |
2. |
ऋण राशि (बैंकों से व्यवस्था की जानी है) |
107.02 |
342.46 |
561.86 |
1011.34 |
3. |
सब्सिडी |
107.02 |
171.23 |
187.30 |
465.55 |
4. |
कुल (2) + (3) |
214.04 |
513.69 |
749.16 |
1476.89 |
6. कुल आवश्यकताएँ
विवरण |
राशि |
पूंजीगत सब्सिडी |
465.55 |
प्रशिक्षण
प्रति व्यक्ति औसतन लागत
(i) |
पाठ्यक्रम शुल्क |
Rs.6,000 |
(ii) |
औजार किट आदि |
Rs. 2,000 |
(iii) |
स्टाइपेंड |
Rs. 6,000 |
|
कुल |
Rs.14,000 |
औसत रु. 14,000
हिताधिकारियों की संख्या (एनएसएलआरएस के अनुभव के अनुसार 3,42,468 में से 40%)
1,26,987 X रु. 14,000 = रु. 191.78 करोड़
|
191.78 |
निगरानी और मूल्यांकन (कुल लागत का 1%) |
7.35 |
सुविधा निधि |
5.00 |
प्रचार और जानकारी कैम्प |
रु. 2.52 |
सुविधा निधि |
5.00 |
ब्याज सब्सिडी |
63.40 |
कुल |
735.60 |
टिप्पणी : उपर्युक्त आकलन की गणना औसतन आधार पर की गई है तथा पाठ्यक्रम शुल्क, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की अवधि, लिए गए ऋण आदि के कारण अलग-अलग परियोजनाओं में भिन्नता के कारण वे अलग-अलग हो सकते हैं। |
परिशिष्ट - III
क्रम सं. |
शीर्ष निगम का नाम एवं पता |
राज्य अनुसूचित जाति विकास निगम (एससीडीसी) का नाम |
क्रम सं. |
पता |
1. |
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम, 14वीं मंज़िल, स्कोप मीनार, कोर-1 और 2, उत्तर टॉवर लक्ष्मी नगर जिला केन्द्र, लक्ष्मी नगर, दिल्ली 110092 |
1. |
प्रबंध निदेशक,
अनुसूचित जाति हेतु असम राज्य विकास निगम लि.,
शहीद दिलीप होज़ोरी पथ,
सारुमोटोरिया,
दिसपुर,गुवाहटी - 7810006 |
|
|
2. |
प्रबंध निदेशक
बिहार राज्य अनुसूचित जाति को-आपरेटिव विकास निगम लि.,
मल्या नील भवन, बुद्ध कालोनी,
पटना 800 001 |
|
|
3. |
प्रबंध निदेशक
छत्तीसगढ़ राज्य को-ऑप.अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लि., 68, जल विहार कॉलोनी, रायपुर (छत्तीसगढ़) |
|
|
4. |
प्रबंध निदेशक
हरियाणा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लि.,
एससीओ नं. 2427-28, सेक्टर - 22
चंडीगढ़ 160022 |
|
|
5. |
प्रबंध निदेशक
हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निगम
जैन भवन, अस्पताल मार्ग
सोलन 173212 |
|
|
6. |
प्रबंध निदेशक
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए केरल राज्य विकास निगम लि., टाउन हॉल रोड, त्रिचुर 680020 |
|
|
7. |
कार्यपालक निदेशक
पंजाब अनुसूचित जाति भूमि विकास निगम लि., एससीओ.सं. 101-103,
सेक्टर 17-सी, चंडीगढ़ 160017 |
|
|
8. |
प्रबंध निदेशक
पश्चिम बंगाल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास एवं वित्त निगम,
दूसरी मंज़िल, 135ए, बिपलाबी राशबेहरी बसु मार्ग, कोलकाता 700 001 |
2. |
प्रबंध निदेशक
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम,
बी-2, पहली मंजिल, ग्रेटर कैलाश
एनक्लेव-II, नई दिल्ली |
क्रम सं. |
पता |
|
|
1. |
प्रबंध निदेशक
आंध्र प्रदेश अनुसूचित जाति सहकारी वित्त निगम लि., 5वीं मंजिल, तेलुगु समक्षेमा भवन,
मसहब टैंक, हैदराबाद 500 028 |
|
|
2. |
प्रबंध निदेशक
गुजरात सफाई कामदार विकास निगम
ब्लॉक नं.3, जीएफ
डॉ. जिवराज मेहता भवन
गांधीनगर 382010 |
|
|
3. |
प्रबंध निदेशक
कर्नाटक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास निगम लि.,
9वीं और 10वीं मंज़िल
विश्वेश्वरैया मीनी टॉवर, डॉ.आंबेडकर वीधि,
बंगलूर 560001 |
|
|
4. |
प्रबंध निदेशक
मध्य प्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम, राजीव गांधी भवन,
35, श्यामला हिल्स
भोपाल 462002 |
|
|
5. |
प्रबंध निदेशक
महात्मा फुले पिछड़ा वर्ग विकास निगम लि.
सुप्रीम शॉपिंग सेन्टर, गुलमोहर क्रास रोड
नं.9, जे.वी.पी.डी. स्कीम, जुहु
मुंबई 400 049 |
|
|
6. |
प्रबंध निदेशक
उड़ीसा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास वित्त निगम लि., लेविस रोड, भुवनेश्वर 751014 |
|
|
7. |
प्रबंध निदेशक
पुडुचेरी अडी द्रविदर विकास निगम लि.,
नं.23, वी.क्रास, सिथान कुडी, पुडुचेरी 605013 |
|
|
8. |
प्रबंध निदेशक
राजस्थान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निगम लि.,
नेहरु सहकार भवन, सेन्ट्रल ब्लॉक, तीसरी मंज़िल, भवानी सिंह रोड, जयपुर 302002 |
|
|
9. |
प्रबंध निदेशक
तमिलनाडु अडी द्रविदर आवास और विकास निगम लि.,तमिलनाडु आवास बोर्ड शॉपिंग कॉम्प्लेक्स,दूसरी मंज़िल, थिरुमंगलम (अण्णा नगर), चैनै 600010 |
|
|
10. |
झारखंड राज्य अनुसूचित जाति को-ऑपरेटिव विकास निगम, बलिहार मार्ग,
मोर्ताबादी, रांची 834008 |
|
|
11. |
प्रबंध निदेशक
मेघालया शहरी विकास एजेंसी
रायटॉग भवन, शिलोंग 793001 |
|
|
12. |
सचिव
समाज कल्याण विभाग
नागालैंड सरकार, कोहिमा |
3. |
प्रबंध निदेशक
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त और विकास निगम
एनसीयूआइ भवन, अगस्त क्रांति मार्ग
हौज़ ,खास, नई दिल्ली |
क्रम सं. |
पता |
|
|
1. |
प्रबंध निदेशक
जम्मू एंड कश्मीर अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग विकास निगम, रोमेश मार्केट,
शास्त्री नगर, जम्मू 180004 |
|
|
2. |
प्रबंध निदेशक
यू.पी.अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लि.,
बी-912, सेक्टर सी, महानगर
लखनऊ 226006 |
|
|
3. |
प्रबंध निदेशक
बहु उदासे विता आवाम विकास निगम
सेक्टर -1-सी-10, डिफेन्स कॉलोनी
देहरादून (उत्तरांचल) |
4. |
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
राष्ट्रीय विकलांग वित्त एवं विकास निगम
रेड क्रास भवन, मीनी सचिवालय के सामने,
सेक्टर 12, फरिदाबाद 127007 |
क्रम सं,
1. |
पता
प्रबंध निदेशक
दिल्ली अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम
आंबेडकर भवन, संस्थागत क्षेत्र
सेक्टर 16, रोहिणी, दिल्ली |
परिशिष्ट IV
मास्टर परिपत्र में समेकित मास्टर परिपत्रों की सूची
|