20 नवंबर 2019
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने रिज़र्व बैंक द्वारा जारी आदाता खाता चेक का संग्रहण, धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग, बचत खाता (एसबी) खोलने, ग्राहक के पहचान संबंधी रिकॉर्ड का संरक्षण और अपने ग्राहक को जाने (केवाईसी)/ धन- शोधन निवारण (एएमएल) मानदंड संबंधी निदेशों के गैर अनुपालन के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा तथा एसबी खाता खोलने एवं केवाईसी/ एएमएल संबंधी मानदंडों के गैर अनुपालन के लिए इंडियन बैंक पर 18 नवंबर 2019 के आदेश द्वारा मौद्रिक दंड लगाया, जो कि निम्नानुसार है:
क्रम सं. |
बैंक का नाम |
दंड की राशि
(₹ करोड़ में) |
1. |
बैंक ऑफ बड़ौदा |
2.50 |
2. |
इंडियन बैंक |
0.75 |
यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 51 (1) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
रिज़र्व बैंक ने बैंकों के साथ रखे गए सहकारी समिति के विभिन्न खातों के माध्यम से विभिन्न सरकारी एजेंसियों/ विभागों के खातों से धन की हेराफेरी और धोखाधड़ी के बारे में कुछ शिकायतें प्राप्त करने के आधार पर एक छानबीन की जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला है कि उपर्युक्त बैंकों द्वारा रिज़र्व बैंक द्वारा जारी आदाता खाता चेक का संग्रहण, धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग, बचत खाता (एसबी) खोलने, ग्राहक के पहचान संबंधी रिकॉर्ड का संरक्षण और केवाईसी/ एएमएल मानदंड संबंधी निदेशों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। निष्कर्षों के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें उससे यह पूछा गया था कि वह यह बताएं कि उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन न करने हेतु बैंक पर मौद्रिक दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि रिज़र्व बैंक दिशानिर्देशों के गैर-अनुपालन के उपर्युक्त आरोप, प्रत्येक बैंक में गैर-अनुपालन की सीमा तक, सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/1233 |