अनुलग्नक III
संचार का प्रसारण कैलेंडर
विशेष आंकड़ा प्रसार मानक (एसडीडीएस)
भारतीय रिज़र्व बैंक विश्व के सर्वाधिक पारदर्शी केंद्रीय बैंकों के बीच बने रहने का प्रयास करता है। यह उद्देश्य रिज़र्व बैंक के अपने वार्षिक, तिमाही, मासिक, साप्ताहिक और सामयिक प्रकाशनों में प्रस्तुत सूचना और आंकड़ों से प्राप्त होता है। यह आंकड़ा प्रकाशित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (URL: www.imf.org.) द्वारा परिभाषित विशेष आंकड़ा प्रसार मानक (एसडीडीएस) का अभिदानकर्ता भी है।
यह विभिन्न समय अंतरालों पर विभिन्न लक्ष्य श्रोताओं के साथ संचार स्थापित करता है। कुछ संचार नियमित पर और कुछ संचार आवश्यकता आधारित होते हैं।
1. वार्षिक
(i) वार्षिक नीति वक्तव्य
गवर्नर का वार्षिक नीति वक्तव्य अत्यधिक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो प्रत्येक वर्ष अप्रैल में जारी किया जाता है। इस वक्तव्य में मौद्रिक नीति और विकासात्क तथा विनियामक नीतियां शामिल हैं। इन्हें वार्षिक नीति वक्तव्य और इसकी मध्यावधि समीक्षा में दो विशिष्ट खंडों में शामिल किया जाता है। प्रथम तिमाही और तीसरी तिमाही समीक्षा में मौद्रिक नीति उपायों के साथ समष्टि आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियों की समीक्षा शामिल रहती है।
(ii) वार्षिक रिपोर्ट
वार्षिक रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष अगस्त के अंत में जारी किया जाने वाला रिज़र्व बैंक का अत्याधिक महत्वपूर्ण सांविधिक प्रकाशन है। यह अर्थव्यवस्था की स्थिति पर बोर्ड के निदेशकों तथा रिज़र्व बैंक के तुलनपत्र पर वक्तव्य है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के आकलन और आगे आने वाली अवधि में इसकी संभावनाओं को भी प्रस्तुत करता है।
(iii) भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट
रिज़र्व बैंक द्वारा प्रस्तुत यह भी एक सांविधिक प्रकाशन है। वार्षिक रूप से जारी किया जाने वाला यह दस्तावेज वित्तीय क्षेत्र के लिए नीतियों और उसके कार्यनिष्पादन की समीक्षा करता है। इस प्रकाशन में अप्रैल से मार्च तक के आंकड़े शामिल किए जाते हैं और सामान्यत: इसे प्रत्येक वर्ष नवंबर/दिसंबर के आस-पास जारी किया जाता है।
(iv) मुद्रा और वित्त पर रिपोर्ट
अनुसंधानकर्ताओं की पसंद वाला यह वार्षिक दस्तावेज रिज़र्व बैंक के स्टाफ द्वारा तैयार किया जाता है। वर्ष 1998-99 से यह रिपोर्ट एक विशेष विषय पर आधारित है और उस विषय से संबंधित मामलों का विस्तृत आर्थिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। यह विषय सामान्यत: रिज़र्व बैंक के परिचालनों से संबंधित है। इस रिपोर्ट का केंद्र बिंदु भारत के लिए प्रासंगिक नीति दृष्टिकोण उन्मुख अनुसंधान, मुद्दे और चुनौतियां है। इन क्षेत्रों का विश्लेषण वर्तमान सैद्धांतिक समझ और सार्वदेशिक अनुभवजन्य साक्ष्य के आधार पर किया जाता है। यह प्रकाशन दिसंबर के आस-पास जारी किया जाता है और यह अर्थव्यवस्था की एक मध्यावधि समीक्षा प्रस्तुत करने का प्रयोजन भी सिद्ध करता है।
(v) भारतीय अर्थव्यवस्था पर सांख्यिकी पुस्तिका
पूर्व में मुद्रा और वित्त पर रिपोर्ट भाग-II के रूप में जारी यह प्रकाशन एक ही स्थान पर सांख्यिकीय सूचना का एक उपयोगी भंडार उपलब्ध कराते हुए आंकड़ा प्रसारण में सुधार के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा प्रमुख दबाव के संकेत के साथ वर्ष 1998-99 में तैयार किया गया था। यह प्रकाशन राष्ट्रीय आय, उत्पादन और मूल्य, मुद्रा और बैंकिंग, वित्तीय बाज़ार, सार्वजनिक वित्त, व्यापार और भुगतान संतुलन, करेंसी और सिक्का निर्माण तथा सामाजिक आर्थिक संकेतकों से संबंधित आर्थिक चर वस्तुओं के व्यापक परिदृश्य के संबंध में समय-श्रृंखला (वार्षिक/तिमाही/पाक्षिक/दैनिक) आंकड़े उपलब्ध कराता है।
(vi) राज्य वित्त बजटों का अध्ययन
विषयवस्तु को समर्पित प्रसारण के रूप में यह प्रकाशन राज्य सरकारों के वित्त का एक व्यापक विश्लेषणात्मक आकलन उपलब्ध कराता है। सभी राज्य सरकारों के समेकित आंकड़े नीति प्रभावों को आकर्षित करने के लिए राज्यवार विश्लेषण के अतिरिक्त विश्लेषित किए जाते हैं।
(vii) भारत में बैंकों से संबंधित सांख्यिकीय सारणियां
इस वार्षिक प्रकाशन में वाणिज्यिक बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित व्यापक आंकड़े शामिल रहते हैं। इसमें तुलन पत्र संबंधी जानकारी के साथ-साथ विदेशों में पंजीकृत भारत के बैंकों सहित भारत के प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक के कार्यनिष्पादन संकेतक शामिल रहते हैं। ये आंकड़े बैंक-वार और राज्य-वार प्रस्तुत किए जाते हैं।
(viii) आधारभूत सांख्यिकीय विवरणियां
तथापि आंकड़ा उन्मुख एक अन्य वार्षिक प्रकाशन के रूप में यह प्रकाशन अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के व्यवसाय के अनुसार कार्यालयों की संख्या, कर्मचारियों, जमाराशियों और ऋण पर व्यापक आंकड़े प्रस्तुत करता है। इस प्रकाशन में क्षेत्रवार, राज्य-वार और जिला-वार सूचना पर आंकड़े आम जनता को उपलब्ध कराए जाते हैं।
(ix) व्याख्यान
भारतीय रिज़र्व बैंक ने तीन वार्षिक व्याख्यान श्रृंखलाओं की स्थापना की है। इनमें से दो श्रृंखलाएं रिज़र्व बैंक के दो पूर्व गवर्नरों नामत: सी.डी. देशमुख और एल.के. झा तथा तीसरी श्रृंखला पी.आर. ब्रह्मानंद नामक एक विख्यात अर्थशास्त्री के नाम पर है। ये व्याख्यान अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाले अर्थशास्त्रियों और केंद्रीय बैंकरों द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं। इन व्याख्यानों के लिए कोई निर्धारित समय-सारणी नहीं है।
II. अर्द्ध-वार्षिक
प्रत्येक छह महीने में रिज़र्व बैंक बाह्य ऋण पर आंकड़े प्रकाशित करता है। जबकि रिज़र्व बैंक मार्च और जून में समाप्त तिमाहियों के लिए भारत की बाह्य ऋण सांख्यिकी का संकलन और प्रसारण करता है, सितंबर और दिसंबर में समाप्त तिमाहियों के लिए आंकड़े वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संकलित और जारी किए जाते हैं। रुपया और अमरीकी डॉलर के स्वरूप में बाह्य ऋण का विस्तृत लेखाजोखा जून और सितंबर के अंतिम कार्य दिवस को जारी किया जाता है।
III. त्रि-वार्षिक
भारतीय रिज़र्व बैंक सामयिक पेपर
यह चार महीने में एक बार प्रकाशित होता है और इसमें रिज़र्व बैंक के व्यावसायिक स्टाफ द्वारा प्रस्तुत अनुसंधान पेपर शामिल रहते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक सामयिक पेपर वर्ष 1999 से वर्ष में तीन बार प्रकाशित होता है।
IV. तिमाही
(i) समष्टि-आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियां
वार्षिक नीति वक्तव्य और इसकी मध्यावधि तथा तिमाही समीक्षाओं के साथ जारी यह प्रकाशन चार्ट और सारणियों की सहायता से समीक्षाधीन अवधि के दौरान समष्टि आर्थिक और मौद्रिक गतिविधयों का एक विश्लेषणात्मक विहंगावलोकन उपलब्ध कराता है। यह प्रकाशन एक पृष्ठभूमि का कार्य करता है और समीक्षाधीन अवधि के लिए मौद्रिक नीति के रुझान हेतु औचित्य उपलब्ध कराता है।
(ii) बाह्य क्षेत्र पर आंकड़े
प्रत्येक तिमाही के अंतिम दिन (यदि अंतिम दिन अवकाश अथवा रविवार पड़ता हो तो उसके पहले दिन) को रिज़र्व बैंक भुगतान संतुलन तथा विदेशी मुद्रा प्रारक्षित निधि में अभिवृद्धि सहित बाह्य क्षेत्र पर आंकड़े प्रकाशित करता है।
भुगतान संतुलन
भुगतान संतुलन आंकड़े की प्रमुख मदों में निर्यात, आयात, व्यापार शेष, निवल अदृश्य, चालू खाता शेष, पूंजी खाता तथा प्रारक्षित निधियों में परिवर्तन शामिल रहता है। ये आंकड़े रुपया और अमरीकी डॉलर स्वरूप में प्रत्येक तिमाही के अंत में जारी किए जाते हैं।
विदेशी मुद्रा प्रारक्षित निधि में अभिवृद्धि
रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2003 में (i) प्रारक्षित निधियों में अभिवृद्धि के स्रोत क्या हैं? (ii) क्या वे अंतर्निहित अधिनिर्णय अवसरों के कारण हैं ? (ii) इन प्रारक्षित निधियों की लागत क्या है ? जैसे ‘भारत में विदेशी मुदा प्रारक्षित निधि में अभिवद्धि : स्रोत, अधिनिर्णय और लागत’ विषय पर एक अध्ययन आयोजित किया था। इसके बाद रिज़र्व बैंक लगातार ‘विदेशी मुद्रा प्रारक्षित निधि में अभिवृद्धि’ पर सूचना को प्रत्येक तिमाही में अद्यतन करता है और जारी करता है।
अंतरराष्ट्रीय निवेश स्थिति
एक विशिष्ट अवधि जैसेकि मार्च के अंत में संकलित अंतरराष्ट्रीय निवेश स्थिति किसी देश की बाह्य वित्तीय आस्तियों और देयताओं के स्टॉक का विवरण है। वित्तीय आस्तियों में देश का अनिवासियों पर वित्तीय दावे और वित्तीय देयताओं में अनिवासियों की वित्तीय देयताएं शामिल रहती हैं। इस लेनदेन को संस्थागत निवासी क्षेत्रों, नामत: मौद्रिक प्राधिकारी, सरकार, बैंक और कंपनी क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। निवल अंतरराष्ट्रीय निवेश स्थिति (बाह्य वित्तीय देयताओं के स्टॉक को घटाकर बाह्य वित्तीय आस्तियों का स्टॉक) उस अंतर को दर्शाती है जो कोई अर्थव्यवस्था के सत्वाधिकार के संबंध में जो कुछ इसकी देयता होती है।
भारत की अंतरराष्ट्रीय निवेश स्थिति (आइआइपी) सांख्यिकी नियमित अंतरालों पर प्रकाशित की जाती है। प्रारंभिक आंकड़े दो तिमाहियों के बाद उदाहरणार्थ संदर्भित तारीख अर्थात् मार्च 2007 के लिए आंकड़े सितंबर 2007 के अंत में प्रकाशित किए जाते हैं।
प्रारंभिक आंकड़े वर्ष के दौरान कुछ संशोधनों के अधिक होते हैं तथा आंशिक रूप से संशोधित आंकड़े संदर्भित तारीख से 18 महीनों के अंतराल के साथ जारी किए जाते हैं। ये आंकड़े उसके बाद ‘निष्क्रिय’ हो जाते हैं तथा अंतिम संशोधनों को आंशिक रूप से संशोधित आंकड़ों में शामिल किया जाता है। इस प्रकार संशोधित आंकड़े संदर्भित तारीख से 30 महीनों के अंतराल के बाद जारी किया जाता है।
बैंकिंग सांख्यिकी पर तिमाही पुस्तिका
आंकड़ा उन्मुख यह प्रकाशन प्रत्येक तिमाही के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमाराशियों और ऋण पर आंकड़े प्रस्तुत करता है। बैंक विवरणियों से संकलित आंकड़े केंद्रवार, राज्यवार, जनसंख्या समूहवार और बैंक समूहवार प्रस्तुत किए जाते हैं। तिमाही पुस्तिका मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए उपलब्ध है।
V. मासिक
भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन
प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में जारी किया जानेवाला यह मासिक प्रकाशन है। बुलेटिन में अक्सर विशेष रूप से इस प्रयोजन के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा संकलित आंकड़ों पर आधारित विश्लेषणात्मक आलेख प्रकाशित किए जाते हैं। इसमें गवर्नर, उप गवर्नरों और कार्यपालक निदेशकों द्वारा दिए गए व्याख्यान शामिल रहते हैं। ये व्याख्यान केंद्रीय बैंक की नीतियों के सुधार और समझ से संबंधित इस बुलेटिन में शामिल उपयोगी सूचनाएं हैं। इस बुलेटिन के अन्य उपयोगी समावेश रिज़र्व बैंक के विभिन्न विभागों द्वारा जारी महत्वपूर्ण प्रेस प्रकाशनियां और परिपत्र तथा अर्थव्यवस्था, वित्त और बैंकिंग से संबंधित आंकड़े हैं। अक्सर वार्षिक रिपोर्ट और भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट सहित रिज़र्व बैंक द्वारा जारी महत्वपूर्ण रिपोर्टें इस मासिक प्रकाशन के संपूरक के रूप में जारी की जाती हैं।
VI. साप्ताहिक
भारतीय रिज़र्व बैंक का साप्ताहिक सांख्यिकी संपूरक
परिचालनात्मक स्तर बैंकरों को लक्ष्य में रखते हुए यह एक चार पृष्ठों वाली मासिक पत्रिका है। यह पत्रिका माह के दौरान केंद्रीय बैंक द्वारा जारी महत्वपूर्ण परिपत्रों का सारांश प्रस्तुत करती है। इसका प्रकाशन प्रत्येक महीने की पहली और पांचवीं तारीख के बीच किया जाता है।
VII. दैनिक
रिज़र्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति के परिचालनों से संबंधित कई प्रेस प्रकाशनियां जारी करता है जो वायर एजेंसियों और इसकी वेबसाइट के माध्यम से तत्काल आधार पर जारी की जाती है। पूर्वाह्न 9.00 बजे यह पिछले दिन के मुद्रा बाजार परिचालन पर प्रेस प्रकाशनी जारी करता है जो बाज़ार सहभागियों को प्रणाली में चलनिधि का एक स्वरूप देती है। उस दिन चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) परिचालनों के परिणाम उसी दिन अपराह्न 12.30 बजे तक वेबसाइट पर डाल दिए जाते हैं। संदर्भ विनिमय दरें प्रत्येक कार्य दिवय को अपराह्न 12.45 बजे तक वेबसाइट पर डाली जाती है।
VIII. सामयिक
विभिन्न विभागों के सभी विनियामक और प्रशासनिक परिपत्र उन्हें अंतिम स्वरूप दिए जाने के एक घंटे के भीतर वेबसाइट पर डाल दिए जाते हैं। रिज़र्व बैंक द्वारा गठित समितियों और कार्य दलों की रिपोर्टें भी वेबसाइट पर डाली जाती हैं। इनके अलावा रिज़र्व बैंक सामयिक विषय विशिष्ट विनिबन्ध और अध्ययन प्रकाशित करता है। गवर्नर, उप गवर्नरों तथा समय-समय पर कार्यपालक निदेशकों द्वारा दिए गए व्याख्यान भी जो नीति के औचित्य का विवरण देते हैं, वेबसाइट पर जारी किए जाते हैं तथा उसके बाद आरबीआई बुलेटिन में प्रकाशित किए जाते हैं।
विकास अनुसंधान समूह अध्ययन
ये अनुसंधान अध्ययन भारत के बाहरी विशेषज्ञों और रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों के बीच समन्वित प्रयास होते हैं। ये अध्ययन वर्तमान अभिरूचि के विषयों पर आयोजित किए जाते हैं।
रिपोर्टें
विशिष्ट क्षेत्रों / विषयों / विनियमनों के अध्ययन के लिए रिज़र्व बैंक अपने द्वारा गठित समितियों / कार्य दलों की रिपोर्टें भी प्रकाशित करता है।
विवरणिकाएं
आम जनता को बैंक ग्राहकों के रूप में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में परिचित कराने के लिए रिज़र्व बैंक पुस्तिकाएं प्रकाशित करता है। ये पुस्तिकाएं मुख्यत: बैंकिंग विनियमनों, नोट और सिक्के, बचत बांडों सहित सरकारी प्रतिभूतियों, विदेशी मुद्रा से संबंधित होती हैं। इसने हाल में बच्चों को बैंकिंग और केंद्रीय बैंकिंग की जानकारी देने के लिए कॉमिक पुस्तिकाएं प्रकाशित की हैं।
फिल्म / विज्ञापन
समय-समय पर करेंसी नोटों की सुरक्षा विशेषताओं, किस प्रकार उनका व्यवहार किया जाए, लॉटरी विंग्स के बदले विप्रेषण में सतर्कता बरतने, सरकारी प्रतिभूतियों की ग्राहक सुविधा विशेषताएं आदि सहित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में निवेश करते समय सावधानी बरतने जैसे मामलों पर आम जनता को शिक्षित करने के लिए यह प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापन भी जारी करता है।
IX. भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस: भारतीय रिज़र्व बैंक का डेटा वेयरहाउस
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ऐतिहासिक रूप से अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर आंकड़ों की भारी मात्रा तैयार करता है और उसका संकलन करता है। अपने कई प्रकाशनों में इन आंकड़ों को प्रकाशित करने की इसकी समृद्ध परंपरा रही है। समय के साथ रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए जाने वाले आंकड़ों का क्षेत्र बढ़ा है और जिस तरीके से आंकड़े जारी किए जाते थे उसमें मुद्रित संस्करण से इलेक्ट्रॉनिक में और जब इंटरनेट पर चर्चापरक डेटाबेस के माध्यम से परिवर्तन हुआ है।
मूल रूप से दिसंबर 2002 में अपने आंतरिक उपयोग के लिए गठित डेटा वेयरहाउस के प्रकाशन योग्य भाग को रिज़र्व बैंक ने अनुसंधानकर्ताओं, विश्लेषकों और भारतीय रिज़र्व बैंक के बाहर के अन्य लोगों के लिए सुलभ बनाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस: भारतीय रिज़र्व बैंक का डेटा वेयरहाउस नामक लिंक के साथ अपनी वेबसाइट (www.rbi.org.in) के माध्यम से इंटरनेट पर उपलब्ध कराया है।
यह डेटा वेयरहाउस उन रिपोर्टों के माध्यम से डेटा तक पहुंच की अनुमति देता है जो पूर्व-संरचित हैं और उपयोगकर्ता को समयावधि के चयन की अनुमति देती हैं। विशेष तथा तदर्थ अपेक्षाओं के लिए उपयोगकर्ता उन पूछताछ सुविधाओं का उपयोग कर सकता है जो उपयोगकर्ता को अपनी परिवर्तनीयता तथा समयावधि के चयन के अनुसार नई रिपोर्टों के सृजन की अनुमति देती हैं। ये सभी रिपोर्टें एक्सेल / सीएसवी / पीडीएफ फाइल फॉर्मेट में डाउनलोड की जा सकती हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट
रिज़र्व बैंक एक सक्रिय वेबसाइट (URL: http://www.rbi.org.in) का रखरखाव करता है। रिज़र्व बैंक द्वारा जारी सभी सूचना भी एक ही साथ पीडीएफ फॉर्म में वेबसाइट पर उपलब्ध करायी जाती है। आंकड़े एक्सेल फॉर्मेट में उपलब्ध कराए जाते हैं। इस साइट को दिन में कई बार अद्यतन किया जाता है।
रिज़र्व बैंक के पास आम आदमी और वित्तीय शिक्षण प्रत्येक के लिए एक उप-साइट है। आम आदमी के लिए साइट ऐसी सूचना जैसेकि बैंकों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक विनियमावली, विदेशी मुद्रा और करेंसी मामले, उधार दरें, सेवा प्रभार, कुरियर और डाक प्रभार, तत्काल समल भुगतान प्रणाली (आरटीजीएस) प्रदान करने वाली बैंक शाखाओं, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनइएफटी), इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (इएफटी) आदि प्रकाशित करती है जिसका उपयोग कोई बैंक ग्राहक कर सकता है।
वित्तीय शिक्षण साइट का लक्ष्य आम आदमी के बीच वित्तीय साक्षरता को प्रोत्साहित करना है जो किसी बैंक का ग्राहक अथवा ग्राहक नहीं हो, बच्चे, वरिष्ठ नागरिक, प्रतिरक्षा कार्मिक, लघु उद्योग अथवा विदेशी मुद्रा का कोई उपयोगकर्ता हो। दोनों साइटें हिंदी और अंगेजी सहित 13 भाषाओं में उपलब्ध हैं और उनका नियमित रूप से अद्यतन किया जाता है।
8 जुलाई 2008 |