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सरकारों और बैंकों का बैंकर

व्यक्तियों, व्यवसायों और बैंकों की तरह, सरकारों को भी अपने वित्तीय लेनदेन को कुशल और प्रभावी तरीके से करने के लिए एक बैंकर की आवश्यकता होती है। सरकार के बैंकिंग लेन-देन का प्रबंधन करना, रिज़र्व बैंक को सौंपा गया एक महत्वपूर्ण कार्य है। दूसरी ओर, बैंकों को भी निधि अंतरण और अन्‍य बैंकों से उधार लेने या देने तथा ग्राहक के लेनदेनों को पूरा करने के लिए अपनी एक व्‍यवस्‍था ज़रूरी होती है। बैंकों के बैंकर के रूप में रिज़र्व बैंक यह भूमिका अदा करता है।

अधिसूचनाएं


राज्‍य सरकार के चेकों के लिए पेपर टु फॉलो (पी 2एफ) की आवश्‍यकता को बंद किया जाना

आरबीआई/2018-19/216
डीजीबीए.जीबीडी.सं.3136/42.01.035/2018-19

20 जून 2019

अध्‍यक्ष और प्रबंध निदेशक
मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी
सभी ऐजंसी बैंक

महोदया/महोदय

राज्‍य सरकार के चेकों के लिए पेपर टु फॉलो (पी 2एफ) की आवश्‍यकता को बंद किया जाना

चेक समाशोधन की दक्षता को बढ़ाने की दृष्टि से रिज़र्व बैंक ने चेकों के समाशोधन के लिए चेक ट्रंकेशन प्रणाली की शुरूआत किया है जिससे प्रस्‍तुतीकरण और चेकों के भुगतान बिना उसके भौतिक आवागमन सहज हुआ। पी 2एफ फरवरी 2016 से सीजी चेकों को बंद कर दिया गया है। इस पहल को आगे बढ़ाते हुए भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सी एण्‍ड एजी), भारत सरकार के कार्यालय से परामर्श करके अब यह निर्णय लिया गया है कि भौतिक रूप में (सामान्‍यत: पी2एफ के रूप में जाना जाता है) भुगतान किए गए राज्‍य सरकार के चेकों को राज्‍य सरकारों/कोषागारों में अग्रेषित करने की वर्तमान आवश्‍यकता को समाप्‍त कर दिया जाए।

2. तद्नुसार, यह निर्णय लिया गया है कि ‘राज्‍य सरकार के लेनदेनों (फरवरी 2003)- लेखांकन और समाधान संबंधी अनुदेशों का ज्ञापन’ को निम्‍नानुसार संशोधित किया जाए:

ए) इस परिपत्र को अनुदेशों के परिशिष्‍ट के रूप में माना जाए और ‘’राज्‍य सरकारों के चेक आधारित भुगतानों के लिए पी 2एफ को बंद करने हेतु ऐजंसी बैंक शाखाओं के द्वारा प्रक्रिया को पालन करने के संबंध में’’ अनुदेशों के ज्ञापन शीषर्क के पैरा 5.16 को इसमें शामिल किया गया है।

बी) चेक ट्रंकेशन प्रणाली में अदाकर्ता बैंक का अर्थ यह है कि किसी मंत्रालय / विभाग / ट्रेजरी / उप-ट्रेजरी से मान्यता प्राप्त बैंक की कोई शाखा जहां चेकों को आहरित किया जाता है। प्रजेंटिंग बैंक का अर्थ यह है कि कोई बैंक की शाखा जहां ग्राहक द्वारा भुगतान के लिए चेकों को प्रस्‍तुत किया गया है। प्रजेंटिंग बैंक और अदाकर्ता बैंक दोनों विभिन्‍न अधिनयमों/विनियमों/ नियमों यथा परक्राम्‍य लिखत अधिनियम 1881, बैंकर बही साक्ष्‍य अधिनियम 1891, समाशोधन गृहों के संबंध में बैंकरों के लिए एकीकृत विनियम और नियम, चेक ट्रंकेशन प्रणाली आदि के लिए प्रक्रियात्‍मक दिशा निर्देशों के तहत अपने कार्यों को करते रहेंगे। अब से सरकारी चेकों का भुगतान सीटीएस समाशोधन में उनके इलेक्‍ट्रानिक ईमेज़ के द्वारा किया जाएगा। भौतिक रूप में भुगतान किए गए चेक प्रजेंटिंग बैंक के पास रखा जाएगा।

सी) यदि अदाकर्ता बैंक सरकारी चेक का भुगतान के लिए उसे पारित (पास) करने से पहले सत्‍यापित करना चाहता है तो ईमेज़ को ‘दस्‍तावेज़ के साथ प्रस्‍तुत’ का कारण बताते हुए बिना भुगतान किए वापस करेगा। ऐसी स्थिति में प्रजेंटिंग बैंक यह सुनिश्‍चित करेगा कि प्रस्‍तुत किया गया लिखत खाता धारक (आदाता) को बिना किसी संदर्भ दिए लागू अगले समाशोधन सत्र में प्रस्‍तुत हुआ है।

डी) प्रेजेंटिंग बैंकों से अपेक्षित है कि वे भौतिक लिखतों को 10 वर्षों की अवधि के लिए अपनी अभिरक्षा में सुरक्षित रूप से रखें जैसा कि सीटीएस की प्रक्रिया दिशा-निर्देशों के तहत अपेक्षित है। विधि के अंतर्गत यदि कुछ विशिष्‍ट चेकों को किसी अन्‍वेषण, पूछताछ आदि के प्रयोजन के लिए आवश्‍यक है तो वे उसे 10 वर्षों से अधिक समय के लिए संरक्षित किया जाए। अदाकर्ता बैंक सभी सरकारी चेकों के ईमेज़ को 10 वर्षों की अवधि के लिए संरक्षित करने की आवश्‍यक व्‍यवस्‍था स्‍वयं या भारतीय राष्‍ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा बनाए गए राष्‍ट्रीय आर्काइवल प्रणाली के माध्‍यम से करेगा।

ई) सरकारी चेकों को अदाकर्ता बैंक के उनके सभी काउंटर द्वारा नकद आहरण या अंतरण के रूप में किए गए भुगतान को भी ट्रंक किए जाने की आवश्‍यकता है और इसे भी 10 वर्षों के लिए संरक्षित किया जाए। यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्‍त सुरक्षा व्‍यवस्‍था की जाएगी कि इन ईमेजों को अदाकर्ता बैंक द्वारा अलग से कैप्‍चर की गई है और समाशोधन में भुगतान के लिए प्राप्‍त हुई लिखतों के ईमेज़ों के साथ नहीं मिला हुआ है। सभी भुगतान किए गए चेकों के ईमेज़ों से संबंधित एक सामान्‍य इलेक्‍ट्रानिक फाइल राज्‍य सरकार के विभागों/ ट्रेजरी/ उप-ट्रेजरी को भेजने के लिए दैनिक आधार पर सृजित की जाएगी।

एफ) जैसा कि अनुदेशों के ज्ञापन के पैराग्राफ 5.1 में निर्धारित है, राज्य सरकार के लेनदेनों को संचालित करने वाली शाखा अबतक की भाँति दैनिक आधार पर निर्धारित फार्म में भुगतान स्क्रॉल उप ट्रेजरी/ट्रेजरी, जिससे यह संबद्ध है, को भेजेगी। तथापि, चूँकि प्रदत्त चेक अधिकृत शाखा में उपलब्ध नहीं होंगे, अत: इसे भुगतान स्क्रॉल के साथ संलग्न नहीं किया जाएगा लेकिन प्रेजेंटिंग बैंक द्वारा प्रदत्त (नकद, समाशोधन और अंतरण के रूप में) चेकों की इलेक्ट्रानिक इमेज को संरक्षित रूप से रखा जाएगा और इसे सुरक्षित इलेक्ट्रानिक कम्यूनिकेशन/ई-मेल आदि के माध्यम से महा लेखापरीक्षक के कार्यालय/राज्य सरकार को उनकी अपेक्षानुसार उपलब्ध कराया जाएगा।

(जी) चेकों की संरक्षण अवधि के दौरान किसी भी समय समाशोधन, पूछताछ, अन्‍वेषण आदि के प्रयोजन से एजी का कार्यालय/राज्य सरकार को अदा किए गए चेकों की भौतिक रूप में आवश्यकता हो सकती है, जिसके लिए संबंधित राज्य सरकार/ ट्रेजरी/ उप-ट्रेजरी डीलिंग शाखा से संपर्क कर सकती है। जबकभी इनके लिए मांग की जाती है तो डीलिंग शाखा नकद और अंतरण के माध्यम से प्रदत्त ऐसे चेकों को तुरंत प्रस्तुत करने की व्यवस्था करेगी। समाशोधन के माध्यम से प्रदत्त चेकों के मामले में प्रजेंटिंग बैंक से प्राप्त करने के बाद उपयुक्त अवधि के भीतर इन्हें एजी का कार्यालय/राज्य सरकार के विभागों/ ट्रेजरी/ उप-ट्रेजरी को इसकी आपूर्ति की व्‍यवस्‍था करेगी। ऐसे अवसरों में प्रजेंटिंग बैंक की यह जिम्मेदारी होगी कि वह भौतिक रूप में चेकों के संबंध में एजी का कार्यालय/राज्य सरकार के विभागों/ ट्रेजरी/ उप-ट्रेजरी/ अदाकर्ता बैंक के अनुरोध का अनुपालन करे और उचित अवधि के भीतर इसे संबंधित अदाकर्ता बैंक को उपलब्ध कराए।

(एच) वर्तमान में, सीटीएस का परिचालन ग्रिड आधार पर किया जाता है। अत: भारतीय रिज़र्व बैंक/ऐजंसी बैंकों पर आहरित सरकारी चेकों को ग्रेड में उनके क्षेत्राधिकार में स्थित अदाकर्ता बैंक की मान्यता प्राप्त/प्राधिकृत शाखा में प्रस्तुत किया जाएगा।

(आई) अबतक की भाँति अदाकर्ता बैंक डीलिंग बैंक के माध्यम से भुगतान स्क्रॉलों, मासिक डीएमएस आदि में इंगित त्रुटियों/विसंगतियों को प्रक्रिया के अनुसार सुधारा जाना, प्रदत्त चेकों की खोई हुई (मिसिंग) इमेज तुरंत प्रस्तुत किया जाना, उप-ट्रेजरी/ट्रेजरी द्वारा यथाविधि रूप से सत्यापित स्क्रॉलों की प्रतियों का अभिलेख रखा जाना आदि सुनिश्चित करेगा।

(3) संशोधित दिशानिर्देश राज्य सरकारों द्वारा जारी किए गए चेकों के संबंध में 1 जुलाई 2019 से प्रभावी होंगे और उन राज्य सरकारों पर लागू होंगे, जिन्होंने पी2एफ व्यवस्था को समाप्त करने के लिए अपनी सहमति दी है। जैसे ही कोई राज्य सरकार इसके लिए अपनी सहमति देती है तो इसके बारे में बैंकों को सूचित किया जाएगा। कोई राज्य सरकार द्वारा इसके समानान्तर रूप से चलाने (रन) की इच्छा व्यक्त करती है तो ऐसा तीन माह से अनधिक की अवधि के लिए किया जाएगा। समानान्तर रन की अवधि के दौरान पी2एफ का परिचालन बना रहेगा और अदाकर्ता बैंक भौतिक रूप से लिखतों और उसके इमेजों दोनों को संबंधित ट्रेजरी/ उप ट्रेजरी को उनकी अपेक्षानुसार भेजेगा। समानान्तर रन की अवधि पूर्ण होने के बाद पी2एफ को बंद कर दिया जाएगा और ऊपर दिए गए अनुसार केवल इमेज भेजी जाएगी।

भवदीया

(चारुलता एस.कर)
मुख्य महाप्रबंधक

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