आरबीआई/2020-21/87
उशिसंवि.केंका.नीअप्र.परि.सं.01/13.01.013/2020-21
27 जनवरी 2021
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोडकर)
महोदया/महोदय,
बैंकों में शिकायत निवारण तंत्र को सशक्त बनाना
कृपया 4 दिसंबर 2020 के मौद्रिक नीति वक्तव्य के साथ जारी की गई ‘विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य’ का संदर्भ लें, जिसमें यह कहा गया था कि बैंकों के आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र की प्रभावकारिता को मजबूत और बेहतर बनाने व श्रेष्ठतर ग्राहक सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से नियत उपायों से युक्त एक व्यापक रूपरेखा स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
2. विगत वर्षों में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों में ग्राहक सेवा और ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र में सुधार के लिए कई पहलें की हैं। ग्राहकों को प्रभावित करने वाले परिचालनों के विविध पहलुओं को शामिल करते हुए ग्राहक सेवा के संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश बैंकों को जारी किए गए थे। बैंकों के विरुद्ध ग्राहकों की शिकायतों के लिए एक वैकल्पिक शिकायत निवारण तंत्र के रूप में कार्य करने के लिए 1995 में बैंकिंग लोकपाल योजना शुरू की गई थी। 2019 में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लोकपाल के पास अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए ग्राहकों को 24x7 उपलब्ध एक पूरी तरह से स्वचालित प्रक्रिया-प्रवाह (ऑटोमेटड प्रोसेस फ्लो), आधारित प्लैटफ़ार्म के रूप में शिकायत प्रबंध प्रणाली (सीएमएस) भी शुरू की।
3. प्रकटीकरण पहल के रूप में, बैंकों को यह सूचित किया गया था कि वे उनके द्वारा निपटाई जाने वाली शिकायतों की संक्षिप्त सूचना अपनी वार्षिक रिपोर्ट में प्रकाशित करें; भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रकाशित की जाने वाली लोकपाल योजना की वार्षिक रिपोर्ट में भी कुछ प्रकटन किए जा रहे थे। शिकायत निवारण को और मज़बूत बनाने के लिए बैंकों को अपने आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र के शीर्ष पर एक स्वतंत्र और निष्पक्ष प्राधिकरण के रूप में आंतरिक लोकपाल नियुक्त करना अनिवार्य किया गया था।
4. प्रभावी शिकायत निवारण, बैंकों की व्यावसायिक रणनीति का अभिन्न अंग होना चाहिए। हालांकि, बैंकिंग लोकपाल के कार्यालयों (ओबीओ) में प्राप्त शिकायतों की बढ़ती संख्या से यह स्पष्ट है कि बैंकों द्वारा इस क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। ग्राहक सेवा और शिकायत निवारण पर अधिक ध्यान संतोषजनक ग्राहक परिणाम और अधिक ग्राहक विश्वास सुनिश्चित करेगा।
5. उक्त के मद्देनजर, और बैंकों में ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र को और मज़बूत करने के लिए, एक व्यापक रूपरेखा को स्थापित करने का निर्णय लिया गया है जिसमें, अन्य बातों के साथ, ग्राहकों की शिकायतों पर बैंकों द्वारा वर्धित प्रकटीकरण, ओबीओ में उनके खिलाफ समकक्ष समूह (पीयर ग्रूप) की औसत से अधिक में प्राप्त की गई स्वीकार्य शिकायतों के लिए बैंकों से निवारण की लागत की वसूली, और शिकायत निवारण तंत्र की गहन समीक्षा व उन बैंकों के विरुद्ध पर्यवेक्षक कार्रवाई करना जो निवारण तंत्र में समयबद्ध तरीके से सुधार करने में विफल रहते हैं, शामिल हैं। रूपरेखा की विस्तृत जानकारी अनुबंध में दी गयी है।
6. यह रूपरेखा परिपत्र के जारी होने की तारीख से लागू होगी।
भवदीया,
(रंजना सहजवाला)
मुख्य महाप्रबंधक
अनुबंध
बैंकों में शिकायत निवारण रूपरेखा को सशक्त बनाना
बैंकों में शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने के लिए तैयार की गई रूपरेखा में निम्नलिखित मुख्य घटक होंगे:
I. शिकायतों के संबंध में वर्धित प्रकटीकरण
2. प्रकटीकरण बाजार अनुशासन के साथ-साथ उपभोक्ता जागरूकता और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण व्यवस्था के रूप में कार्य करता है। ग्राहकों की शिकायतों की संख्या और उनकी प्रकृति और उसके निवारण से संबंधित प्रकटीकरण, ग्राहकों और इच्छुक बाज़ार सहभागियों को बैंकों के बीच अंतर करने और उनके उत्पादों और सेवाओं को चुनने के संबंध में बेहतर निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करते हैं। बैंक ग्राहकों और अन्य हितधारकों को इस संबंध में प्रासंगिक और महत्वपूर्ण जानकारी के प्रावधान को सुनिश्चित करने के लिए, बैंकों और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए प्रकटीकरण के वर्तमान स्वरूप को निम्नानुसार वर्धित किया जा रहा है:
बैंकों द्वारा प्रकटीकरण
3. वर्तमान में बैंकों द्वारा अपनी वार्षिक रिपोर्ट में ग्राहकों की शिकायतों और शिकायत निवारण के संबंध में किए गए प्रकटीकरण, बैंकों में ग्राहक सेवा पर 1 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र के पैरा 16.4 (ए और बी)1 के अनुरूप किए जाते हैं। प्रकटीकरण संक्षिप्त प्रकृति के होते हैं एवं निम्नानुसार समाविष्ट होते हैं:
वर्तमान में बैंकों द्वारा शिकायतों और शिकायत निवारण पर किए जाने वाले प्रकटीकरण
ग्राहकों की शिकायत (बैंकों में प्राप्त)
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पिछले वर्ष |
वर्तमान वर्ष |
(a) |
वर्ष के प्रारंभ में लंबित शिकायतों की संख्या |
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(b) |
वर्ष के दौरान प्राप्त शिकायतों की संख्या |
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(c) |
वर्ष के दौरान निपटाई गई शिकायतों की संख्या |
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(d) |
वर्ष के अंत में लंबित शिकायतों की संख्या |
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बैंकिंग लोकपाल द्वारा पारित अधिनिर्णय
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पिछले वर्ष |
वर्तमान वर्ष |
(a) |
वर्ष के प्रारंभ में गैर अनुपालित अधिनिर्णयों की संख्या |
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(b) |
वर्ष के दौरान बैंकिंग लोकपाल द्वारा पारित अधिनिर्णयों की संख्या |
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(c) |
वर्ष के दौरान अनुपालित अधिनिर्णयों की संख्या |
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(d) |
वर्ष के अंत में गैर अनुपालित अधिनिर्णयों की संख्या |
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4. अब यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों द्वारा अपने वार्षिक रिपोर्ट में उक्त प्रकटीकरण के स्थान पर निम्नलिखित रूप से बारीक प्रकटीकरण स्वरूप को प्रतिस्थापित किया जाएगा। अपने ग्राहकों से बैंकों को प्राप्त शिकायतों की मात्रा और प्रकृति और बैंकों को लोकपाल के कार्यालयों से प्राप्त शिकायतों के संबंध में और निवारण की गुणवत्ता और उसके प्रतिवर्तन काल की जानकारी बैंकों के ग्राहकों और जनता को दिया जाना इन प्रकटीकरणों का उद्देश्य है।
शिकायतों और शिकायत निवारण पर बैंकों द्वारा किए जाने वाले विस्तृत प्रकटीकरण
ग्राहकों और बैंकिंग लोकपाल के कार्यालयों से बैंक को प्राप्त शिकायतों की संक्षिप्त जानकारी
क्रम सं. |
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विवरण |
पिछले वर्ष |
वर्तमान वर्ष |
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अपने ग्राहकों से बैंक को प्राप्त शिकायतें |
1. |
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वर्ष के प्रारंभ में लंबित शिकायतों की संख्या |
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2. |
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वर्ष के दौरान प्राप्त शिकायतों की संख्या |
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3. |
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वर्ष के दौरान निपटाई गई शिकायतों की संख्या |
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3.1 |
जिसमें से, बैंक द्वारा निरस्त शिकायतों की संख्या |
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4. |
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वर्ष के अंत में लंबित शिकायतों की संख्या |
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बैंकिंग लोकपाल के कार्यालयों से बैंक को प्राप्त स्वीकार्य शिकायतें |
5. |
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बैंकिंग लाकपाल के कार्यालयों से प्राप्त स्वीकार्य शिकायतों की संख्या |
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5.1 |
5 में से, बैंकिंग लोकपाल द्वारा बैंक के हित में निपटाई गई शिकायतों की संख्या |
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5.2 |
5 में से, बैंकिंग लोकपाल द्वारा सुलह/ मध्यस्थता/ परामर्श जारी करते हुए निपटाई गई शिकायतों की संख्या |
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5.3 |
5 में से, बैंकिंग लोकपाल द्वारा बैंक के विरुद्ध अधिनिर्णय पारित करते हुए निपटाई गई शिकायतों की संख्या |
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6. |
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निर्धारित समय सीमा के भीतर गैर अनुपालित अधिनिर्णयों की संख्या (जिसका अपील नहीं किया गया है) |
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नोट: स्वीकार्य शिकायतें वे शिकायत हैं जो बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 में निर्धारित आधारों पर और योजना के दायरे में है। |
ग्राहकों से बैंकों को प्राप्त शिकायतों के शीर्ष पांच आधार
शिकायतों का आधार (अर्थात शिकायत किस से संबंधित है) |
वर्ष के प्रारंभ में लंबित शिकायतों की संख्या |
वर्ष के दौरान प्राप्त शिकायतों की संख्या |
पिछले वर्ष की तुलना में प्राप्त शिकायतों में हुई घट/बढ़ का प्रतिशत |
वर्ष के अंत में लंबित शिकायतों की संख्या |
पांच में से, 30 दिनों से ज्यादा लंबित मामलों की संख्या |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
वर्तमान वर्ष |
आधार – 1 |
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आधार – 2 |
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आधार – 3 |
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आधार – 4 |
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आधार – 5 |
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अन्य |
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कुल |
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पिछले वर्ष |
आधार – 1 |
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आधार – 2 |
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आधार – 3 |
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आधार – 4 |
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आधार – 5 |
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अन्य |
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कुल |
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नोट: शिकायतों के आधारों की पहचान करने के लिए मास्टर सूची परिशिष्ट 1 में प्रदान की गई है। |
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II. बैंकों से स्वीकार्य शिकायतों के निवारण के लागत की वसूली
5. वर्तमान में, बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 के तहत शिकायत निवारण बैंकों के साथ-साथ उनके ग्राहकों के लिए नि:शुल्क है। यह देखते हुए कि बैंकर-ग्राहक संबंध प्राथमिक संबंध है, ग्राहक शिकायत निवारण की मुख्य जिम्मेदारी बैंकों की है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बैंक इस जिम्मेदारी का प्रभावी ढंग से निर्वहन करते हैं, शिकायतों के निवारण की लागत उन बैंकों से वसूल की जाएगी जिनके खिलाफ बैंकिग लोकपाल के कार्यालय में स्वीकार्य शिकायतें2 उनके समकक्ष समूह (पीयर ग्रूप) के औसत से अधिक हैं जो कि नीचे पैरा 7 में विस्तृत हैं। हालांकि, ग्राहकों के लिए बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 के तहत शिकायत निवारण नि:शुल्क बना रहेगा।
6. बैंकों के लिए लागत वसूली रूपरेखा को परिचालित करने के लिए, बैंकों के पिछले वर्ष की 31 मार्च के अनुसार परिसंपत्ति आकार के आधार पर समकक्ष समूहों की पहचान की जाएगी और बैंकिंग लोकपाल के कार्यालय के पास प्राप्त स्वीकार्य शिकायतों के समकक्ष समूहों (पीयर ग्रूप) के औसत की गणना निम्नलिखित तीन मापदंडों पर की जाएगी:
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प्रति शाखा स्वीकार्य शिकायतों की औसत संख्या;
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बैंक द्वारा धारित प्रति 1,000 खातों (जमा और ऋण खातों की कुल) पर प्राप्त स्वीकार्य शिकायतों की औसत संख्या; और
-
ग्राहकों द्वारा बैंक के माध्यम से निष्पादित प्रति 1,000 डिजिटल3 लेनदेन के संबंध में प्राप्त स्वीकार्य डिजिटल शिकायतों की औसत संख्या।
7. समकक्ष समूह (पीयर ग्रूप) की औसत से अधिक लागत की शिकायतों का निवारण बैंकों से निम्नानुसार किया जाएगा:
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किसी एक मापदंड में अधिकता- समकक्ष समूह (पीयर ग्रूप) की औसत से अधिक शिकायतों की संख्या के लिए एक शिकायत निवारण (बैंकिंग लोकपाल में) की लागत का 30%;
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किन्हीं दो मापदण्डों में अधिकता- उच्चतर अधिकता वाले मापदंड में समकक्ष समूह (पीयर ग्रूप) औसत से अधिक शिकायतों की संख्या का निवारण करने की लागत का 60%;
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सभी तीन मापदण्डों में अधिकता- उच्चतम अधिकता वाले मापदंड में समकक्ष समूह (पीयर ग्रूप) औसत से अधिक शिकायतों की संख्या का निवारण करने की लागत का 100%।
8. इस संबंध में वसूली की जाने वाली निवारण लागत वर्ष के दौरान बैंकिंग लोकपाल के कार्यालय में शिकायत को निपटाने की औसत लागत होगी।
III. शिकायत निवारण तंत्र की गहन समीक्षा
9. भारतीय रिज़र्व बैंक अपने पर्यवेक्षी तंत्र के एक भाग के रूप में, शिकायत प्रबंधन प्रणाली और अन्य स्त्रोतों एवं चर्चाओं से प्राप्त जानकारी और आंकड़ों के माध्यम से ग्राहक सेवा और शिकायत निवारण का वार्षिक मूल्यांकन करेगा। शिकायत निवारण में स्थायी रूप से समस्याग्रत पहचाने गए बैंकों के शिकायत निवारण तंत्र की गहन समीक्षा की जाएगी जिससे अंतर्निहित प्रणालीगत समस्यों की बेहतर पहचान की जा सके और उन समस्यों के समाधान हेतु सुधारात्मक उपाय शूरू किए जा सकें। गहन समीक्षा में निम्नलिखित क्षेत्र को शामिल किए जाएँगे लेकिन वह सिर्फ इन तक सीमित नहीं रहेगी:
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ग्राहक सेवा और ग्राहक शिकायत निवारण से संबंधित नीतियों की पर्याप्तता;
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बोर्ड की ग्राहक सेवा समिति की कार्यप्रणाली;
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ग्राहक सेवा और ग्राहक शिकायत से संबंधित मामलों में शीर्ष प्रबंधन की भागीदारी का स्तर;
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आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र की प्रभावशीलता।
10. समीक्षा के आधार पर, एक सुधारात्मक कार्य योजना बनाई जाएगी और एक निर्धारित समय सीमा के भीतर उसके कार्यान्वन हेतु बैंकों को औपचारिक रूप में सूचित किया जाएगा। यदि किए गए उपायों के बावजूद निर्धारित समयसीमा के भीतर शिकायत निवारण तंत्र में कोई सुधार नहीं देखा जाता है, तो बैंक पर उचित विनियामक और पर्यवेक्षी उपायों के माध्यम से सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी।
परिशिष्ट I
बैंकों में शिकायत निवारण प्रणाली को सशक्त बनाना
अनुबंध के पैरा 4 के तहत बैंकों द्वारा शिकायतों की शीर्ष पांच आधार वार प्राप्ति पर प्रकटीकण के लिए उपयोग की जाने वाली शिकायतों के आधारों की मास्टर सूची
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एटीएम/ डेबिट कार्ड
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क्रेडिट कार्ड
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इंटरनेट/ मोबइल/ इलेक्ट्रॉनिक बैंकिग
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खाता खोलना/ खातों के परिचालन में कठिनाई
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दुर्विक्रय/ पैरा बैंकिंग
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वसूली एजेंट/ सीधे विक्री एजेंट
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पेंशन और वरिष्ठ नागरिकों/ दिव्यांग के लिए उपलब्ध सुविधाएं
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ऋण और अग्रिम
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पूर्व सूचना के बिना प्रभार लगाना/ अतिरिक्त शुल्क/ पुरोबंध प्रभार
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चेक/ ड्राफ्ट/ बिल
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उचित व्यवहार संविदा का गैर अनुपालन
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सिक्कों के विनियमन, छोटे मूल्य के नोटों और सिक्कें को जारी करना/ स्वीकार करना
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बैंक गारंटी/ साख पत्र और प्रलेखी ऋण
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स्टाफ व्यवहार
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शाखा में आने वाले ग्राहकों के लिए उपलब्ध सुविधाएं/ शाखा द्वारा निर्धारित कार्य समय का अनुपालन आदि
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अन्य
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