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भुगतान और निपटान प्रणाली

अर्थव्‍यवस्‍था की समग्र दक्षता में सुधार करने में भुगतान और निपटान प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अंतर्गत राशि-मुद्रा, चेकों जैसी कागज़ी लिखतों के सुव्‍यवस्थित अंतरण और विभिन्‍न इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यमों के लिए विभिन्‍न प्रकार की व्‍यवस्‍थाएं हैं।

अधिसूचनाएं


केंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों में बड़े मूल्य के लेन-देन के लिए लीगल एंटिटी आइडेंटिफ़ायर को लाया जाना

आरबीआई/2020-21/82
डीपीएसएस.सीओ.ओडी सं.901/06.24.001/2020-21

05 जनवरी 2021

आरटीजीएस / एनईएफटी में भाग लेने वाले सदस्य बैंकों के
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी

महोदया / महोदय,

केंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों में बड़े मूल्य के लेन-देन के लिए लीगल एंटिटी आइडेंटिफ़ायर को लाया जाना

लीगल एंटिटी आइडेंटिफ़ायर (एलईआई) एक 20-अंकीय संख्या है जिसका उपयोग दुनिया भर में वित्तीय लेनदेन के लिए विशिष्ट रूप से पार्टियों की पहचान करने के लिए किया जाता है। वैश्विक वित्तीय संकट के बाद बेहतर जोखिम प्रबंधन के लिए वित्तीय डेटा सिस्टम की गुणवत्ता और सटीकता में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय के रूप में इसकी कल्पना की गई थी।

2. एलईआई को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ओवर दी काउंटर (ओटीसी) डेरिवेटिव और नॉन-डेरिवेटिव बाज़ारों के प्रतिभागियों और बड़े पैमाने पर ऋण लेने वाले कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के लिए भी चरणबद्ध तरीके से लाया गया है।

3. अब यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संचालित केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली अर्थात रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफ़टी) का उपयोग करते हुए संस्थाओं (गैर-व्यक्तियों) द्वारा किए गए 50 करोड़ और उससे अधिक के सभी भुगतान लेनदेन के लिए एलईआई प्रणाली आरंभ की जाए ।

4. सभी भुगतान लेनदेन में एलईआई को व्यापक रूप से लाने की तैयारी के संबंध में सदस्य बैंकों से अपेक्षित है कि वे :

  1. ऐसी संस्थाएं जो बड़े मूल्य के लेनदेन (रुपये 50 करोड़ और उससे अधिक) करती हैं उन्हें सूचित करें कि यदि उनके पास एलईआई पहले से नहीं है तो वे इसे समय से प्राप्त कर लें;

  2. आरटीजीएस और एनईएफटी भुगतान संदेशों में धन प्रेषक और लाभग्राही की एलईआई संबंधी जानकारी शामिल करें (एलईआई जानकारी शामिल करने के लिए आरटीजीएस और एनईएफटी के मैसेज स्ट्रक्चर में पहचान किए गए स्थानों का विवरण अनुबंध में दिया गया है);

  3. आरटीजीएस और / या एनईएफटी के माध्यम से 50 करोड़ और उससे अधिक के सभी लेनदेन का रिकॉर्ड रखें।

5. संस्थाएं, ग्लोबल लीगल एंटिटी आइडेंटिफ़ायर फाउंडेशन (जीएलईआईएफ़), एलईआई के कार्यान्वयन और उपयोग का समर्थन करने के लिए गठित निकाय द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी स्थानीय परिचालन इकाई (एलओयू) से एलईआई प्राप्त कर सकती हैं। भारत में, एलईआई को लीगल एंटिटी आइडेंटिफ़ायर (एलईआईएल) (https://www.ccilindia-lei.co.in) से प्राप्त किया जा सकता है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत एलईआई के जारीकर्ता के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।

6. ये निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 के अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और ये दिनांक 1 अप्रैल, 2021 से प्रभावी होंगे।

भवदीय,

(पी. वासुदेवन)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

बैंक ग्राहक, जिन्हें एलईआई आवश्यक रूप से प्राप्त करना होगा

  1. सभी गैर-व्यक्ति ग्राहक जो आरटीजीएस और / या एनईएफटी के माध्यम से रुपये 50 करोड़ या उससे अधिक का लेन-देन आरंभ कर रहे हैं या प्राप्त कर रहे हैं।

एनईएफ़टी और आरटीजीएस भुगतान मैसेजेस में वे स्थान जहां रेमिटर और लाभग्राही एलईआई से संबन्धित जानकारी दर्ज की जाएगी

  1. आरटीजीएस ग्राहक भुगतान लेनदेन के लिए, एलईआई जानकारी 'प्रेषण सूचना' स्थान में उपलब्ध कराई जाएगी।

  2. एनईएफटी आउटवर्ड डेबिट मैसेजों के लिए, एलईआई से संबन्धित जानकारी 'प्रेषक से प्राप्तकर्ता सूचना' स्थान में उपलब्ध कराई जाएगी।

  3. आरटीजीएस और एनईएफटी मैसेजों में पहचान किए गए स्थानों में एलईआई की प्रविष्टि करने के लिए तकनीकी दिशानिर्देश अलग से प्रेषित किए जाएंगे ।

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