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भुगतान और निपटान प्रणाली

अर्थव्‍यवस्‍था की समग्र दक्षता में सुधार करने में भुगतान और निपटान प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अंतर्गत राशि-मुद्रा, चेकों जैसी कागज़ी लिखतों के सुव्‍यवस्थित अंतरण और विभिन्‍न इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यमों के लिए विभिन्‍न प्रकार की व्‍यवस्‍थाएं हैं।

अधिसूचनाएं


भुगतान संबंधी आधारभूत संरचना विकास निधि (पीआईडीएफ) योजना का क्रियान्वयन (09 जून 2022 को यथा संशोधित)

आरबीआई/2020-21/81
डीपीएसएस.सीओ.एडी.सं.900/02.29.005/2020-21

05 जनवरी 2021
(09 जून 2022 को यथा संशोधित)
(26 अगस्त 2021 को यथा संशोधित)

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
कार्ड जारी करने वाले और अधीग्राहक तथा गैर-बैंक / प्राधिकृत कार्ड नेटवर्क

महोदया / महोदय,

भुगतान संबंधी आधारभूत संरचना विकास निधि (पीआईडीएफ) योजना का क्रियान्वयन

कृपया दिनांक 4 अक्तूबर 2019 को जारी विकासात्मक और विनियामक नीतियों के वक्तव्य और दिनांक 05 जून 2020 को जारी प्रेस विज्ञप्ति का संदर्भ लें, जिसमें भुगतान संबंधी आधारभूत संरचना विकास निधि (पीआईडीएफ) के सृजन की घोषणा की गई थी। पीआईडीएफ का उद्देश्य देश के पूर्वोत्तर राज्यों पर विशेष ध्यान देने के साथ टियर-3 से टियर-6 केंद्रों में भुगतान स्वीकृति संबंधी आधारभूत संरचना की स्थापना हेतु अनुवृत्ति प्रदान करना है। इसके अंतर्गत डिजिटल भुगतान के लिए हर साल 30 लाख नए टच पॉइंट बनाने की परिकल्पना की गई है।

2. पीआईडीएफ का फ्रेमवर्क संलग्न है (अनुबंध - I)। पीआईडीएफ के प्रबंधन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर की अध्यक्षता में एक सलाहकार परिषद का गठन किया गया है। पीआईडीएफ 01 जनवरी 2021 से तीन साल की अवधि के लिए परिचालनरत रहेगा और इस संबंध में हुई प्रगति के आधार पर इसे दो और वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है। वर्तमान में पीआईडीएफ के पास 345 करोड़ (भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 250 करोड़ का योगदान और देश के प्रमुख प्राधिकृत कार्ड नेटवर्क द्वारा 95 करोड़) का एक कोष है।

3. सभी हितधारकों से अनुरोध है कि वे निम्नलिखित अनुसार इस प्रयास में सहयोग करें - (क) समय-सीमा के भीतर पीआईडीएफ में अपना योगदान दें, और (बी) भुगतान स्वीकृति संबंधी आधारभूत संरचना की स्थापना करें और पीआईडीएफ से प्रतिपूर्ति की मांग करें।

4. ये निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के अंतर्गत जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(पी वासुदेवन)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध - I

भुगतान अवसंरचना विकास कोष (पीआईडीएफ) योजना

पीआईडीएफ का उद्देश्य देश में स्वीकृति उपकरणों की संख्या को कई गुना बढ़ाना है। समग्र स्वीकृति संबंधी मूलभूत ढांचे की लागत को कम करने के माध्यम से इस योजना से अधिग्राहक बैंकों / गैर-बैंकों और व्यापारियों को लाभ होने की उम्मीद है।

1. वैधता अवधि और पीआईडीएफ लक्ष्य

1.1 01 जनवरी 2021 से तीन वर्ष, यदि आवश्यक हो, तो दो और वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

1.2 प्रत्येक वर्ष 30 लाख स्पर्श बिंदु जोड़ते हुए भुगतान स्वीकृति के बुनियादी ढांचे को बढ़ाना - 10 लाख भौतिक और 20 लाख डिजिटल भुगतान स्वीकृति उपकरण।

2. पीआईडीएफ की अभिशासन संरचना

2.1 पीआईडीएफ एक पदेन सलाहकार परिषद (एसी) द्वारा शासित होगा।

2.2 सलाहकार परिषद की संरचना : -

  1. श्री टी रबी शंकर*, उप गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक;

  2. श्री सुनील मेहता, मुख्य कार्यपालक, भारतीय बैंक संघ;

  3. श्री जे एस उपाध्याय, मुख्य महाप्रबंधक, डीएफआईबीटी, नाबार्ड;

  4. श्री दिलीप अस्बे, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम;

  5. श्री विश्वास पटेल, अध्यक्ष, पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया;

  6. श्री शैलेश पॉल, उपाध्यक्ष और प्रमुख मर्चेन्ट सेल्स और सल्यूशन्स, वीजा;

  7. श्री विकास सरावगी, उपाध्यक्ष व्यवसाय विकास, मास्टरकार्ड;

  8. श्री आर विट्टल राज, चार्टर्ड एकाउंटेंट, कुमार और राज चार्टर्ड एकाउंटेंट; तथा

  9. श्री अजय मिचयारी, क्षेत्रीय निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय (पीआईडीएफ के प्रशासक)।

मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक सलाहकार परिषद के लिए सचिवालय के रूप में कार्य करेंगे।

2.3 सलाहकार परिषद आवश्यकतानुसार पीआईडीएफ के विभिन्न पहलुओं को देखने के लिए उप-समितियों का गठन कर सकती है।

2.4 सलाहकार परिषद अपने विवेक पर सदस्यों को सहयोजित कर सकती है।

2.5 सलाहकार परिषद पीआईडीएफ के संचालन के लिए उपयुक्त नियम बनाएगी।

3. लक्षित भौगोलिक स्थान

3.1 टियर -3 से टियर -6 केंद्रों में भुगतान स्वीकृति संबंधी बुनियादी ढाँचा बनाने पर प्राथमिक रूप से ध्यान दिया जाएगा।

3.2 इस योजना में टियर -1 और टियर -2 केंद्रों में पीएम स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि योजना) के अंतर्गत कवर किए गए पात्र स्ट्रीट वेंडर शामिल होंगे।

3.3 देश के पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू और कश्मीर और लद्दाख़ के केंद्र शासित प्रदेशों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

3.4 धन के उपयोग के लिए मानदंड निर्धारित करते समय, उन व्यापारियों को लक्षित करना होगा जिन्हें अभी तक टर्मिनल के अंतर्गत नहीं लाया जा सका हैं (ऐसे व्यापारी जिनके पास कोई भुगतान स्वीकृति उपकरण नहीं है) । इस तरह के व्यापारियों को योजना के तहत प्रत्येक एक भौतिक और एक डिजिटल स्वीकृति उपकरण के लिए अधिग्रहित किया जा सकता है।

3.5 विभिन्न खंडों / स्थानों में अधिग्राहक बैंकों / गैर-बैंकों के लिए लक्ष्य निर्धारित करने के लिए सलाहकार परिषद एक पारदर्शी तंत्र तैयार करेगी।

3.6 केंद्रों पर लक्ष्य का अनंतिम वितरण निम्नानुसार होगा:

स्वीकृति उपकरणों का वितरण कुल का % हिस्सा
टियर-3 से टियर-4 केंद्र
टियर-1 से टियर-4 केंद्र
30
टियर-5 और टियर-6 केंद्र 60
पूर्वोत्तर राज्य और जम्मू और कश्मीर और लद्दाख़ के केंद्र शासित प्रदेश 10

4. बाजार और व्यापारी श्रेणी

4.1 आवश्यक सेवाएं (परिवहन, आतिथ्य, आदि), सरकारी भुगतान, ईंधन पंप, पीडीएस दुकानें, स्वास्थ्य सेवा, किराना दुकानें, सडक विक्रेता आदि प्रदान करने वाले व्यापारियों को विशेष रूप से लक्ष्यित भौगोलिक क्षेत्रों में कवर किया जाए।

5. शामिल किए गए स्वीकृत उपकरणों के प्रकार

5.1 एकाधिक भुगतान स्वीकृति उपकरण / अंतर्निहित कार्ड से भुगतान का समर्थन करने वाला बुनियादी ढांचा जैसे कि फिजिकल पीओएस, एम पीओएस (मोबाइल पीओएस), जीपीआरएस (जनरल पैकेट रेडियो सेवा), पीएसटीएन (सार्वजनिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क), क्यूआर कोड आधारित भुगतान इत्यादि।

5.2 जैसे कि स्वीकृति उपकरणों की लागत संरचना में भिन्नता होती है, तदनुसार अनुवृत्ति की राशि स्थापित की गई भुगतान स्वीकृति उपकरण के प्रकार के अनुसार भिन्न-भिन्न होगी। भौतिक पीओएस की लागत का 30% से 50% और डिजिटल पीओएस के लिए 50% से 75% तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। भौतिक पीओएस की लागत का 60% से 75% और डिजिटल पीओएस के लिए 75% से 90% तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

5.3 भुगतान विधि जो अंत: परिचालनीय नहीं है, उनपर पीआईडीएफ के अंतर्गत विचार नहीं किया जाएगा।

5.4 आवेदक द्वारा अन्य स्रोतों जैसे नाबार्ड इत्यादि से अनुवृत्ति का दावा नहीं किया जाएगा। यदि स्वीकृति संबंधी बुनियादी ढांचे की स्थापना की लागत के लिए सब्सिडी उपलब्ध कराने अथवा इसकी प्रतिपूर्ति के लिए अन्य तंत्र मौजूद हैं, तो पीआईडीएफ से प्रतिपूर्ति का कोई दावा नहीं किया जाएगा।

6. प्रारंभिक कॉर्पस

6.1 पीआईडीएफ के प्रारंभिक कॉर्पस को पैन-इंडिया टर्मिनलाइजेशन शुरू करने और पहले साल में पे-आउट को कवर करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। बैंकों और कार्ड नेटवर्क के लिए पीआईडीएफ में योगदान देना अनिवार्य होगा।

6.2 भारतीय रिज़र्व बैंक कॉर्पस में 250 करोड़ का योगदान करेगा; प्राधिकृत कार्ड नेटवर्क कुल मिलाकर 100 करोड़ का योगदान करेंगे।

6.3 कार्ड जारी करने वाले बैंक क्रमशः 1 और 3 प्रति डेबिट और क्रेडिट कार्ड की दर से कार्ड जारी करने की मात्रा (जिसमें डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड दोनों शामिल हैं) के आधार पर कॉर्पस में योगदान करेंगे।

6.4 31 जनवरी 2021 तक योगदान एकत्र करने का प्रयास किया जाएगा।

6.5 कार्ड भुगतान इको-सिस्टम (कार्ड जारीकर्ता और कार्ड नेटवर्क) में कोई भी नया प्रवेशकर्ता पीआईडीएफ के लिए एक उचित राशि का योगदान करेगा।

7. आवर्ती योगदान

7.1 प्रारंभिक कॉर्पस के अलावा, पीआईडीएफ को कार्ड नेटवर्क और कार्ड जारी करने वाले बैंकों से वार्षिक अंशदान भी प्राप्त होगा:

क) कार्ड नेटवर्क - टर्नओवर आधारित - 1 आधार बिंदु (बीपीएस) अर्थात, 0.01 पैसे प्रति रुपया लेनदेन पर;

ख) कार्ड जारी करने वाले बैंक - टर्नओवर आधारित - 1 बीपीएस और 2 बीपीएस अर्थात क्रमशः डेबिट और क्रेडिट कार्ड के लिए 0.01 पैसे और 0.02 पैसे प्रति रुपया लेनदेन; और वर्ष के दौरान उनके द्वारा जारी किए गए प्रत्येक नए डेबिट और क्रेडिट कार्ड के लिए क्रमशः 1 और 3 की दर से।

7.2 भारतीय रिज़र्व बैंक वार्षिक कमी में योगदान करेगा, यदि कोई हो।

8. संग्रहण तंत्र

8.1 क्रमशः 31 दिसंबर और 30 जून के कार्ड डेटा के आधार पर 31 जनवरी और 31 जुलाई तक।

9. शामिल किए गए व्यय के प्रकार

9.1 उपकरण के प्रकार, तैनाती स्थान आदि को ध्यान में रखते हुए पूंजीगत व्यय के लिए सब्सिडी की राशि का दावा करने के लिए मानदंड / नियम सलाहकार परिषद द्वारा निर्धारित किए जाएंगे।

9.2 यह सुनिश्चित करने के बाद कि सलाहकार परिषद द्वारा यथा परिभाषित स्वीकृति डिवाइस की 'सक्रिय' स्थिति और 'न्यूनतम उपयोग' मानदंड की शर्तों सहित प्रदर्शन मानदंड हासिल कर लिए गए हैं, अनुवृत्ति अर्ध-वार्षिक आधार पर दी जाएगी।

9.3 न्यूनतम उपयोग 90 दिनों की अवधि में 50 लेनदेन के रूप में कहा जाएगा और 90-दिन की अवधि में न्यूनतम 10 दिनों का उपयोग सक्रिय स्थिति कही जाएगी।

9.4 अनुवृत्ति के दावों को छमाही आधार पर संसाधित किया जाएगा और उक्त राशि का 75 प्रतिशत जारी किया जाएगा। शेष 25 प्रतिशत को बाद में आगामी वर्ष की 4 तिमाहियों में से 3 में स्वीकृति उपकरण के सक्रिय रहने की स्थिति के अधीन जारी किया जाएगा।

9.2 सब्सिडी तिमाही आधार पर दी जाएगी।

9.3 सब्सिडी के दावों पर कार्रवाई की जाएगी और शुरू में सब्सिडी राशि का 75 प्रतिशत जारी किया जाएगा। शेष 25 प्रतिशत बाद में यह सुनिश्चित करने के बाद जारी किया जाएगा कि निष्पादन पैरामीटर हासिल किए गए हैं, जिसमें स्वीकृति उपकरण की 'सक्रिय' स्थिति और एसी द्वारा परिभाषित 'न्यूनतम उपयोग' मानदंड शामिल हैं, और आगामी वर्ष की 4 तिमाहियों में से 3 में सक्रिय स्वीकृति उपकरण की स्थिति के अधीन है।

9.4 न्यूनतम उपयोग 90 दिनों की अवधि में 50 लेनदेन के रूप में कहा जाएगा और 90-दिन की अवधि में न्यूनतम 10 दिनों का उपयोग सक्रिय स्थिति कही जाएगी।

10. अधिग्राहकों के लिए स्थापना लक्ष्य

10.1 स्थापनाकर्ताओं को स्थापना क्षेत्रों की पहचान के लिए एक वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनाने की आवश्यकता है, क्षेत्रीय निदेशक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय (एमआरओ), भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्ताव प्रस्तुत करें और परियोजना को प्रभावी ढंग से लागू करें। इस संबंध में प्रस्तुत करने के लिए पीआईडीएफ प्रस्ताव का प्रारूप संलग्न है (प्रारूप I)।

11. दावा

11.1 योजना प्रतिपूर्ति के आधार पर है; तदनुसार, वेंडर को भुगतान करने के बाद ही दावा प्रस्तुत किया जाएगा।

11.2 अनुवृत्ति के लिए पात्र भौतिक स्वीकृति उपकरण की अधिकतम लागत - 10,000 (अधिकतम 500 तक एकबारगी परिचालन लागत सहित)।

11.3 अनुवृत्ति के लिए पात्र डिजिटल स्वीकृति उपकरण की अधिकतम लागत - 300 (अधिकतम 200 तक एकबारगी परिचालन लागत सहित)।

11.4 स्थापना के स्थान के आधार पर भौतिक और डिजिटल भुगतान स्वीकृति उपकरणों की लागत की अनुवृत्ति राशि निम्नानुसार होगी:

स्थान भौतिक भुगतान स्वीकृति उपकरण
(कुल लागत का %)
डिजिटल भुगतान स्वीकृति उपकरण
(कुल लागत का %)
टियर-3 और टियर-4 केंद्र 30 50
टियर-5 और टियर-6 केंद्र 40 60
पूर्वोत्तर राज्य 50 75

स्थान भौतिक भुगतान स्वीकृति उपकरण
(कुल लागत का %)
डिजिटल भुगतान स्वीकृति उपकरण
(कुल लागत का %)
टियर-1 और टियर-4 केंद्र 60 75
टियर-5 और टियर-6 केंद्र, पूर्वोत्तर राज्य और जम्मू और कश्मीर और लद्दाख़ के केंद्र शासित प्रदेश 75 90

11.5 अधिग्रहणकर्ता अपने बैंकरों के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय को स्थापित उपकरणों के संबंध में 'न्यूनतम उपयोग' और 'सक्रिय स्थिति' मानदंड की पूर्ति अन्य योजनाओं के दावों के गैर-दोहराव, टर्मिनलीकृत व्यापारियों की विशिष्टता और परिनियोजित उपकरणों की अंतर-संचालन के संबंध में स्वघोषणा के साथ अपने दावों को प्रस्तुत करेंगे।

11.6 सभी प्रारंभिक दावों को व्यय की प्रतिपूर्ति (जीएसटी के अंतर्गत बैंक / गैर-बैंक द्वारा प्राप्त / प्राप्त करने योग्य इनपुट टैक्स क्रेडिट घटाएँ) (प्रारूप II) के अनुसार प्रस्तुत किया जाएगा। पात्र अनुवृत्ति के शेष के लिए के लिए दूसरा दावा प्रारूप (प्रारूप III) के अनुसार स्थापित उपकरणों के संबंध में 'न्यूनतम उपयोग' और 'सक्रिय स्थिति' मानदंड की पूर्ति के संबंध में स्वघोषणा के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।

12. लक्ष्य के कार्यान्वयन की निगरानी

12.1 पीआईडीएफ़ के अंतर्गत लक्ष्यों के कार्यान्वयन की निगरानी भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा कार्ड नेटवर्क, भारतीय बैंक संघ (आईबीए) और पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) की सहायता से की जाएगी।

12.2 अधिग्राहक भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय को लक्ष्यों की प्राप्ति पर त्रैमासिक स्थापना रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

12.3 अधिग्राहक जो समय पर अपने लक्ष्यों को पूरा करेंगे / लक्ष्य से अधिक कार्य करेंगे और / अथवा लेनदेन के संदर्भ में स्वीकृति उपकरणों के अधिक से अधिक उपयोग को सुनिश्चित करेंगे उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा जबकि जो लोग अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं करेंगे उन्हें प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा और यह निम्नलिखित अनुसार उनकी अनुवृत्ति की प्रतिपूर्ति की सीमा को बढ़ाकर या घटाकर किया जाएगा।

लक्ष्य प्राप्ति / उपयोग पात्र अनुवृत्ति का %
75 प्रतिशत से कम 90
75 प्रतिशत से 125 प्रतिशत 100
125 प्रतिशत से अधिक 110

* पूर्वाधिकारी: श्री बी पी कानूनगो

पूर्वाधिकारी: सुश्री रोज़ी शेरिंग तथा श्री दी नागेस्वरा राव

पूर्वाधिकारी: श्री राजीव कुमार

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