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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

अधिसूचनाएं


मास्टर परिपत्र – पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)

आरबीआई/2024-25/09
डीओआर.सीएपी.आरईसी.5/09.18.201/2024-25

अप्रैल 01, 2024

सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदया / महोदय

मास्टर परिपत्र – पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)

कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक अप्रैल 20, 2023 का हमारा मास्टर परिपत्र डीओआर.सीएपी.आरईसी.11/09.18.201/2023-24 देखें।

2. संलग्न मास्टर परिपत्र परिशिष्ट में सूचीबद्ध किए गए अनुसार इस विषय पर मार्च 31, 2024 तक के सभी अनुदेशों/दिशानिर्देशों को समेकित और अद्यतन करता है।

भवदीया

(उषा जानकीरामन)
मुख्य महाप्रबंधक

संलग्न: यथोक्त


मास्टर परिपत्र

पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)

विषयवस्तु

क्र.सं.

विषय
1. परिचय
2. सांविधिक आवश्यकता
3. निवल मालियत
4. पूंजी पर्याप्तता मानदंड
5. बाज़ार जोखिम के लिए पूंजी
6. उधार के साथ शेयर लिंकिंग
7. शेयर पूंजी की धनवापसी
8. अनुबंध-3 और अनुबंध-4 में विनिर्दिष्ट विनियामक पूंजी लिखतों में निवेशकों की सुरक्षा के उपाय
9. विवरणी
10. अनुबंध 1 – यूसीबी द्वारा निवल मालियत की गणना
11. अनुबंध-2 - सीआरएआर की गणना के लिए जोखिम भार
12. अनुबंध-3 - अधिमानी शेयर जारी करने संबंधी दिशानिर्देश
13. अनुबंध-4 - ऋण पूंजी लिखत जारी करने संबंधी दिशानिर्देश
14. अनुबंध-5 - रिटर्न के लिए प्रोफार्मा
15.

पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)

1. परिचय

पूँजी किसी बैंक के संकट अथवा खराब कार्य-निष्पादन के समय सुरक्षित पूंजी (बफर) के रूप में कार्य करती है। पूंजी की पर्याप्तता जमाकर्ताओं में विश्वास पैदा करती है। इसलिए पूँजी की पर्याप्तता किसी नए बैंक के लाइसेंसीकरण तथा व्यवसाय में उसके बने रहने की एक पूर्वशर्त है।

2. सांविधिक अपेक्षाएँ

बैंककारी विनियमन अधिनियम (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 11 में निहित उपबंधों के अनुसार कोई भी सहकारी बैंक तब तक बैंकिंग व्यवसाय प्रारंभ अथवा जारी नहीं रख सकता जब तक उसकी चुकता पूँजी तथा आरक्षित निधि का कुल मूल्य एक लाख रुपये से कम है। इसके अतिरिक्त, उपर्युक्त अधिनियम की धारा 22(3) के अंतर्गत रिज़र्व बैंक किसी नए शहरी सहकारी बैंक की स्थापना के लिए समय-समय पर न्यूनतम प्रवेश बिंदु पूँजी (प्रवेश बिंदु संबंधी मानदंड) निर्धारित करता है।

3. निवल मूल्य

यूसीबी का न्यूनतम निवल मूल्य निम्नानुसार होगा:

  • एक जिले में संचालित टियर 11 यूसीबी का न्यूनतम नेटवर्थ 2 करोड़ रुपये होगा।

  • अन्य सभी यूसीबी (सभी टियर के) का न्यूनतम निवल मूल्य 5 करोड़ होगा।

  • यूसीबी जो वर्तमान में उपर्युक्त के अनुसार न्यूनतम निवल मूल्य आवश्यकता को पूरा नहीं करते हैं, चरणबद्ध तरीके से 2 करोड़ या 5 करोड़ (जैसा लागू हो) का न्यूनतम निवल मूल्य प्राप्त करेंगे। ऐसे यूसीबी को 31 मार्च, 2026 को या उससे पहले लागू न्यूनतम निवल मूल्य का कम से कम 50 प्रतिशत और 31 मार्च, 2028 को या उससे पहले पूरे निर्धारित न्यूनतम निवल मूल्य को प्राप्त करना होगा।

इस संदर्भ में "निवल मूल्य" की गणना अनुबंध 1 में प्रदान की गई है।

4. पूँजी पर्याप्तता संबंधी मानदंड

यूसीबी निम्नानुसार न्यूनतम पूंजी और जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात (सीआरएआर) बनाए रखेंगे:

  • टियर 1 यूसीबी को अब तक की तरह, निरंतर आधार पर जोखिम भारित परिसंपत्तियों (आरडब्ल्यूए) के 9 प्रतिशत का न्यूनतम सीआरएआर बनाए रखना होगा।

  • टियर 2 से 4 यूसीबी को निरंतर आधार पर आरडब्ल्यूए के 12 प्रतिशत का न्यूनतम सीआरएआर बनाए रखना होगा।

  • टियर 2 से 4 में यूसीबी, जो वर्तमान में आरडब्ल्यूए के 12 प्रतिशत के संशोधित सीआरएआर को पूरा नहीं करते हैं, चरणबद्ध तरीके से इसे प्राप्त करेंगे। ऐसे यूसीबी को 31 मार्च, 2024 तक कम से कम 10 प्रतिशत, 31 मार्च, 2025 तक 11 प्रतिशत और 31 मार्च, 2026 तक 12 प्रतिशत सीआरएआर हासिल करना होगा।

सीआरएआर की गणना निम्नानुसार होगी:

पूंजी पर्याप्तता उद्देश्यों के लिए पूंजीगत निधियों (पात्र कुल पूंजी) में टियर I और टियर II पूंजी शामिल होगी जैसा कि नीचे परिभाषित किया गया है। सीआरएआर मानदंडों के अनुपालन के उद्देश्य से कुल टियर II पूंजी को कुल टीयर I पूंजी के अधिकतम 100 प्रतिशत तक सीमित रखी जाएगी।

बैंकों के विभिन्न श्रेणी के ऋण जोखिम के लिए जोखिम भार अनुबंध-2 में उल्लिखित हैं।

4.1 टियर I पूंजी

टियर I में निम्नलिखित मदें शामिल है:

(i) मताधिकार रखनेवाले नियमित सदस्यों से प्राप्त चुकता शेयर पूँजी2

(ii) सहायक/नाममात्र के सदस्यों से प्राप्त अंशदान जहाँ उप-विधियों के अनुसार उन्हें शेयरों के आबंटन की अनुमति है और बशर्ते ऐसे शेयरों के आहरण पर प्रतिबंध हो, जैसा कि नियमित सदस्यों पर लागू होता है।

(iii) सहायक और नाममात्र के सदस्यों से वसूल किए गए अंशदान/अप्रतिदेय प्रवेश शुल्क जिसे अलग से उपयुक्त शीर्ष के अंतर्गत "आरक्षित निधियाँ" के रूप में धारित किया जाता है, क्योंकि वे अप्रतिदेय हैं।

(iv) स्थायी गैर-संचयी अधिमान्य शेयर (पीएनसीपीएस), जो अनुबंध-3 में निर्दिष्ट नियामक आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं।

(v) लेखापरीक्षित खातों के अनुसार मुक्त आरक्षित निधि। बाहरी देनदारियों को पूरा करने के लिए सृजित भंडार, यदि कोई हों, को टियर-I कैपिटल में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। मुक्त आरक्षित निधियों में उन सभी आरक्षित निधियों / प्रावधानों को शामिल नहीं किया जाएगा जिन्हें प्रत्याशित ऋण हानियों, धोखाधड़ी आदि के कारण होने वाली हानियों, निवेशों तथा अन्य आस्तियों के मूल्यह्रास तथा अन्य बाह्य देयताओं को पूरा करने के लिए सृजित किया गया हो। उदाहरण के लिए ‘भवन निधि' शीर्ष के अंतर्गत धारित राशियां मुक्त आरक्षित निधि के हिस्से के रूप में मानी जाने के लिए पात्र होंगी जबकि “अशोध्य और संदिग्ध आरक्षित निधियों'' को उसमें शामिल नही किया जाएगा।

(vi) संपत्ति की बिक्री प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाले अधिशेष को दर्शानेवाली पूंजीगत आरक्षित निधि।

(vii) स्थायी ऋण लिखत (पीडीआई) जो अनुबंध-4 में निर्दिष्ट नियामक आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं।

(viii) लाभ और हानि खाते में कोई अधिशेष (निवल) अर्थात, देय लाभांश, शिक्षा निधि, अन्य निधि, जिसका उपयोग परिभाषित किया गया है, संपत्ति हानि, यदि कोई हो, आदि के लिए विनियोग के बाद शेष राशि है।

(ix) आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 36(1) (viii) के तहत सृजित विशेष रिजर्व में बकाया राशि।

(x) पुनर्मूल्यांकन रिज़र्व, जो बैंक की आस्ति के पुनर्मूल्यांकन के परिणामस्वरूप उसकी वहन राशि में परिवर्तन से उत्पन्न होता है, को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने के अधीन 55 प्रतिशत की छूट पर टियर 1 पूंजी के रूप में माना जा सकता है:

  • बैंक अपनी इच्छा से संपत्ति को आसानी से बेचने में सक्षम है और संपत्ति बेचने में कोई कानूनी बाधा नहीं है;

  • पुनर्मूल्यांकन भंडार को बैलेंस शीट में "रिज़र्व फंड और अन्य भंडार" के तहत अलग से प्रस्तुत / प्रकट किया जाता है;

  • लागू लेखांकन मानकों के अनुसार पुनर्मूल्यांकन यथार्थवादी हैं;

  • मूल्यांकन हर तीन साल में कम से कम एक बार दो स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ताओं से प्राप्त किया जाता है;

  • जहां संपत्ति का मूल्य किसी भी घटना से काफी हद तक गिर गया है, इन्हें तुरंत पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए और पूंजी पर्याप्तता गणनाओं में उचित रूप से शामिल किया जाना चाहिए;

  • बैंक के बाहरी लेखा परीक्षक (ओं) ने संपत्ति के पुनर्मूल्यांकन पर एक योग्य राय व्यक्त नहीं की है;

  • संपत्तियों के मूल्यांकन और अन्य विशिष्ट अपेक्षाओं पर अनुदेश अग्रिमों का प्रबंधन – यूसीबी, समय-समय पर यथासंशोधित, पर दिनांक जुलाई 25, 2023 के मास्टर परिपत्र विवि.सीआरई.आरईसी.सं.27/07.10.002/2023-24 के अनुबंध 1 (संपत्तियों के मूल्यांकन पर दिशानिर्देश – मूल्यांकनकर्ताओं का पैनल) में उल्लिखित किए गए अनुसार कड़ाई से पालन किया जाता है।

पुनर्मूल्यांकन रिज़र्व जो टियर 1 पूंजी के रूप में अर्हता प्राप्त नहीं करते हैं, वे भी टियर 2 पूंजी के रूप में अर्हता प्राप्त नहीं करेंगे। बैंक ऊपर निर्दिष्ट सभी शर्तों को पूरा करने के अधीन, अपने विवेकानुसार टियर 1 पूंजी या टियर 2 पूंजी में पुनर्मूल्यांकन रिज़र्व की गणना करने का विकल्प चुन सकता है।

नोट:

(i) अमूर्त आस्तियों की राशि, चालू वर्ष के दौरान तथा पिछली अवधियों से आगे लाई गई हानियों, एन पी ए प्रावधानों में घाटे, अनर्जक आस्तियों पर गलती से दर्ज की गई आय, बैंक पर अंतरित देयता के लिए अपेक्षित प्रावधान आदि को टियर I पूँजी से घटा दिया जाए।

(ii) किसी निधि को टियर I पूँजी में शामिल करने के लिए निधि को दो मानदंडों पर खरा उतरना चाहिए जैसे निधि लाभ के विनियोग से सृजित की जानी चाहिए और उसे मुक्त आरक्षित निधि होना चाहिए न कि विशेष आरक्षित निधि। तथापि, यदि उसे लाभ के विनियोग से न सृजित करके लाभ पर प्रभार के द्वारा सृजित किया गया हो तो वस्तुत: यह निधि एक प्रावधान होगी और इस प्रकार वह नीचे दिए गए अनुसार केवल टियर II पूँजी के रूप में परिगणित की जाने की पात्र होगी और वह जोखिम भारित आस्तियों के 1.25% की सीमा के अधीन होगी बशर्ते वह किसी समान संभावित हानि या किसी आस्ति के मूल्य में ह्रास या किसी ज्ञात देयता के कारण न हुई हो।

(iii) बकाया नवोन्मेषी स्थायी ऋण लिखत (आईपीडीआई) जो दिनांक 23 जनवरी 2009 के परिपत्र यूसीबी.पीसीबी.परि.सं.39/09.16.900/08-09 के अनुबंध के अनुसार जारी किए गए थे, को इस मास्टर परिपत्र के अनुबंध में निर्धारित सीमा के अधीन टियर-I पूंजी के रूप में भी माना जाएगा। यह ध्यान दिया जा सकता है कि दिनांक 23 जनवरी, 2009 के परिपत्र के अनुबंध को दिनांक 08 मार्च, 2022 के परिपत्र सं. DOR.CAP.REC.92/09.18.201/2021-22 द्वारा निरस्त कर दिया गया है और 08 मार्च, 2022 से यूसीबी की पुनर्जीवन योजना/ वित्तीय पुनर्निर्माण (23 जनवरी 2009 के परिपत्र के अनुसार) के हिस्से के रूप में मौजूदा जमाओं को परिवर्तित करके पीडीआई के माध्यम से जारी राशि इस मास्टर परिपत्र के अनुबंध-4 का अनुपालन करेगी।

4.2 टियर II पूँजी

टियर II पूँजी के अंतर्गत निम्नलिखित मदें शामिल होंगी:

4.2.1 सामान्य प्रावधान तथा हानि आरक्षित निधि

इनके अंतर्गत बैंक की बहियों में प्रकट होने वाले सामान्य प्रकृति के ऐसे प्रावधान शामिल होते हैं जो किसी स्पष्ट संभावित हानि, किसी आस्ति या ज्ञात देयता के मूल्य में ह्रास के कारण नहीं किए गए हों। यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए कि ऊपर दिए गए अनुसार टियर II पूँजी के एक भाग के रूप में सामान्य प्रावधान की किसी राशि पर विचार करने से पहले सभी ज्ञात हानियों तथा पूर्वाभासी एवं संभावित हानियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं। उदाहरण के लिए: मानक परिसंपत्तियों के लिए सामान्य प्रावधान, दबावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण पर अतिरिक्त प्रावधान आदि को इस श्रेणी के तहत शामिल करने पर विचार किया जा सकता है। ऐसे प्रावधान जिन्हें टियर II पूंजी में शामिल करने पर विचार किया जाता है, कुल भारित जोखिम आस्तियों के 1.25% तक स्वीकार किया जाएगा।

विद्यमान अनुदेशों के अनुसार निवल एनपीए की राशि परिकलित करने के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार एनपीए के लिए किया गया प्रावधान सकल एनपीए की राशि से घटाकर किया जाता है। विभिन्न प्रकार के प्रावधानों का विवेकपूर्ण व्यवहार और पूंजी पर्याप्तता उद्देश्यों के लिए इसका व्यवहार नीचे दिया गया है:

(ए) अतिरिक्त सामान्य प्रावधान (अस्थिर प्रावधान)

अशोध्य ऋणों के लिए अतिरिक्त सामान्य प्रावधान (अस्थिर प्रावधान) अर्थात् किसी विशेष ऋण अशोध्यता (एनपीए) के लिए निर्धारित नहीं किए गए प्रावधानों का प्रयोग सकल एनपीए के नेटिंग के लिए अथवा कुल जोखिम भारित परिसंपत्तियों की 1.25% समग्र सीमा के भीतर टियर II पूँजी में शामिल करने के लिए किया जा सकता है लेकिन उनका प्रयोग दोनों रूपों में नहीं किया जा सकता।

(बी) एनपीए के लिए निर्धारित राशि से अधिक विशेष प्रावधान

ऐसे मामलों में जहां बैंक विवेकपूर्ण मानदंडों के तहत निर्धारित से अधिक एनपीए के लिए विशिष्ट प्रावधान करते हैं, शुद्ध एनपीए की राशि की रिपोर्ट करते समय कुल विशिष्ट प्रावधान को सकल एनपीए की राशि से घटाएँ। बैंक द्वारा किया गया अतिरिक्त प्रावधान को टियर II पूंजी के रूप में नहीं माना जाएगा

(सी) आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) को दबावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण पर अतिरिक्त प्रावधान

भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021 दिनांक 24 सितंबर, 2021 और समय-समय पर यथासंशोधित निर्देशों के अनुसार, एआरसी को तनावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण पर अतिरिक्त प्रावधानों को, रिवर्सल होने तक, 'प्रावधानों' के तहत दिखाया जाना जारी रहेगा और इसे जोखिम वाली परिसंपत्तियों के 1.25% की समग्र सीमा के भीतर टियर II पूंजी के रूप में माना जाएगा।

(डी) उचित मूल्य में ह्रास के लिए प्रावधान

पुनर्रचित खातों, मानक परिसंपत्तियों और एनपीए दोनों के संबंध में, के उचित मूल्य में कमी के प्रावधानों को संबंधित ऋण परिसंपत्ति से समायोजित करने की अनुमति है और इसे टियर II पूंजी के रूप में नहीं माना जाएगा।

4.2.2 निवेश उतार-चढ़ाव आरक्षित निधि

दिनांक 1 अप्रैल 2023 के मास्टर निर्देश - भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन) निदेश, 2023 के अनुसार सृजित निवेश उतार-चढ़ाव रिजर्व में शेष राशि टियर II पूंजी में शामिल करने के लिए पात्र होंगे।

4.2.3 टियर II पूंजी लिखत

शहरी सहकारी बैंक अपनी टियर-II पूंजी बढ़ाने के लिए निम्नलिखित लिखत जारी करें:

ए) अपर टियर-II लिखत - स्थायी संचयी अधिमानी शेयर (पीसीपीएस), मोचनीय गैर-संचयी अधिमानी शेयर (आरएनसीपीएस) और मोचनीय संचयी अधिमानी शेयर (आरसीपीएस) जो अनुबंध-3 में निर्दिष्ट नियामक आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं।

बी) लोअर टियर-II लिखत – दीर्घावधि अधीनस्थ बॉन्ड (एलटीएसबी) जो अनुबंध-4 में निर्दिष्ट नियामक आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं।

नोट: बकाया दीर्घावधि (अधीनस्थ) जमा (एलटीडी) जो 15 जुलाई 2008 के परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.4/09.18.201/08-09 के अनुबंध-II के अनुसार जारी किए गए थे, और उसके बाद किए गए अनुवर्ती संशोधन, इस मास्टर परिपत्र के अनुबंध-4 में निर्धारित उच्चतम सीमा के अधीन टियर-II पूंजी के रूप में माने जाने के लिए भी पात्र होंगे। यह नोट करें कि दिनांक 15 जुलाई 2008 के परिपत्र को दिनांक 08 मार्च 2022 के परिपत्र सं. डीओआर.सीएपी.आरईसी.92/09.18.201/2021-22 द्वारा निरस्त कर दिया गया है।

5. बाजार जोखिम के लिए पूँजी

5.1 बाजार जोखिम को बाजार कीमतों में परिवर्तनों के कारण उत्पन्न तुलन पत्र तथा तुलनपत्रेतर स्थितियों में हानि के जोखिम के रूप में परिभाषित किया गया है। बाजार जोखिम स्थितियाँ, जो पूँजी प्रभारों के अधीन हैं, नीचे दी गई है:

  • ट्रेडिंग बुक के अंतर्गत ब्याज दर से संबंधित लिखतों तथा इक्विटियों से संबंधित जोखिम; तथा

  • बैंक (बैंकिंग एवं ट्रेडिंग बुक दोनों) के संपूर्ण दायरे में विदेशी मुद्रा जोखिम (मूल्यवान धातुओं में खुली स्थिति सहित)

5.2 बाजार जोखिमों के लिए पूंजी की आवश्यकता निर्धारित करने की दिशा में एक प्रारंभिक कदम के रूप में, शहरी सहकारी बैंकों को निवेश पर 2.5 प्रतिशत का अतिरिक्त जोखिम भार निर्दिष्ट करने की सलाह दी गई थी। इन अतिरिक्त जोखिम भारों को संलग्नक-2 के अनुसार शहरी सहकारी बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो के संबंध में ऋण जोखिम के लिए निर्धारित जोखिम भार के साथ जोड़ा जाता है और बैंकों को इसके लिए अलग से प्रावधान करने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा, शहरी सहकारी बैंकों को सलाह दी जाती है कि वे विदेशी मुद्रा और सोने पर खुली स्थिति की सीमा पर 100% का जोखिम भार निर्धारित करें और मौजूदा निर्देशों के अनुसार निवेश में उतार-चढ़ाव आरक्षित निधि का निर्माण करें।

5.3 एडी श्रेणी I लाइसेंस रखने वाले शहरी सहकारी बैंकों को 8 फरवरी 2010 के परिपत्र शबैंवि.बीपीडी (पीसीबी)परि.सं.42/09.11.600/2009-10 के अनुसार बाजार जोखिम के लिए पूंजी उपलब्ध कराना आवश्यक है।

6. उधार से शेयर को लिंक करना

शहरी सहकारी बैंकों से उधार (केवल सावधि जमाराशियों के आधार पर अग्रिम मामले में) को उधार लेने वाले सदस्यों की शेयरधारिता के साथ निम्न प्रकार से जोड़ा जाएगा:

  1. उधार का 5 प्रतिशत, यदि उधार गैर-प्रतिभूतीकृत आधार पर हैं।

  2. उधार का 2.5 प्रतिशत, प्रतिभूतीकृत उधार के मामलों में।

  3. सूक्ष्म और लघु उद्यमों द्वारा प्रतिभूतीकृत उधार के मामलों में, उधार का 2.5 प्रतिशत, जिसमें से 1 प्रतिशत शुरू में एकत्र किया जाना है और शेष 1.5 प्रतिशत अगले 2 वर्षों के दौरान एकत्र किया जाना है।

उपरोक्त शेयर लिंकिंग मानदंड बैंक की कुल चुकता शेयर पूंजी के 5 प्रतिशत की सीमा तक सदस्य की शेयरधारिता के लिए लागू हो सकते हैं। जहां किसी सदस्य के पास पहले से ही यूसीबी की कुल चुकता शेयर पूंजी का 5 प्रतिशत है, तो उसके लिए मौजूदा शेयर लिंकिंग मानदंडों के लागू होने के कारण किसी भी अतिरिक्त शेयर पूंजी की सदस्यता लेना आवश्यक नहीं होगा। दूसरे शब्दों में, एक उधार लेने वाले सदस्य को उस राशि के लिए शेयर रखने की आवश्यकता है जिसकी गणना मौजूदा शेयर लिंकिंग मानदंडों के अनुसार की जा गई है या उस राशि के लिए जो बैंक की कुल चुकता शेयर पूंजी का 5 प्रतिशत है, जो भी कम हो।

उधार मानदंडों से शेयर-लिंकिंग उन शहरी सहकारी बैंकों के विवेकाधीन होगा जो नवीनतम लेखापरीक्षित वित्तीय विवरणों के अनुसार लागू न्यूनतम नियामक सीआरएआर और 5.5 प्रतिशत के टीयर 1 सीआरएआर और वैधानिक निरीक्षण के दौरान आरबीआई द्वारा मूल्यांकन किए गए अंतिम सीआरएआर को पूरा करते हैं। ऐसे शहरी सहकारी बैंकों के पास उधार मानदंडों से शेयर-लिंकिंग पर बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति होगी जिसे पारदर्शी, सुसंगत और गैर-भेदभावपूर्ण तरीके से लागू किया जाएगा। लेखा वर्ष की शुरुआत में बोर्ड द्वारा नीति की समीक्षा की जाए। शहरी सहकारी बैंक, जो लागू न्यूनतम सीआरएआर और 5.5 प्रतिशत के टीयर 1 सीआरएआर को बनाए नहीं रखते हैं, उन्हें ऊपर निर्दिष्ट उधार के साथ शेयर-लिंकिंग संबंधी मानदंडों द्वारा निर्देशित होना जारी रहेगा।

सदस्यों / ग्राहकों द्वारा रखे गए स्थायी गैर-संचयी वरीयता शेयरों (पीएनसीपीएस) को मौजूदा उधार मानदंडों को शेयर से जोड़ने के साथ अनुपालन के प्रयोजन के लिए माना जाए।

7. शेयर पूंजी को वापस करना

बीआर अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित धारा 12(2) (ii) के अनुसार, एक सहकारी बैंक अपनी शेयर पूंजी को वापस नहीं लेगा या कम नहीं करेगा, सिवाय उस सीमा और शर्तों के, जैसा कि इस दिशा में रिजर्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन अपने सदस्यों या मृत सदस्यों के नामितों/उत्तराधिकारियों को मांग पर3 शेयर पूंजी वापस करने की अनुमति दी जाए:

ए) दोनों नवीनतम लेखापरीक्षित वित्तीय विवरणों और वैधानिक निरीक्षण के दौरान आरबीआई द्वारा मूल्यांकन किए गए अंतिम सीआरएआर बैंक के लिए लागू न्यूनतम नियामक सीआरएआर का अनुपालन करता है।

बी) इस तरह की वापसी के परिणामस्वरूप बैंक का सीआरएआर बैंक पर लागू न्यूनतम विनियामक सीआरएआर स्तर से नीचे नहीं जाता है।

ऊपर्युक्त के अनुसार सीआरएआर की गणना के प्रयोजन के लिए, तुलन पत्र की तारीख4 के बाद पूंजीगत निधियों में वृद्धि, लाभ को छोड़कर अन्य तरीके से, ध्यान में रखा जाए। उक्त अवधि के दौरान पूंजीगत निधियों में किसी प्रकार की कमी, जिसमें हानियां भी शामिल हैं, पर भी विचार किया जाएगा।

8. अनुबंध-3 और अनुबंध-4 में विनिर्दिष्ट विनियामक पूंजी लिखतों में निवेशकों की सुरक्षा के उपाय

विनियामक पूंजी लिखतों की जोखिम विशेषताओं पर निवेशक शिक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से, शहरी सहकारी बैंक, जो अनुबंध-3 और अनुबंध-4 में निर्दिष्ट विनियामक पूंजी लिखत जारी करते हैं, निम्नलिखित शर्तों का पालन करेंगे:

ए) फ्लोटिंग दर लिखतों के लिए, बैंकों को अपनी सावधि जमा दर को बेंचमार्क के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए।

बी) उपकरणों की विशेषताओं और जोखिमों को समझने के लिए निवेशकों से नीचे उद्धृत एक विशिष्ट साइन-ऑफ को प्रस्तावित इश्यू के सामान्य आवेदन पत्र में शामिल किया जाए:

"यह आवेदन करके, मैं/हम स्वीकार करते हैं कि मैं/हम ने [बैंक का नाम] द्वारा जारी किए जा रहे [शेयर/प्रतिभूति का नाम] निर्गम के नियम और शर्तों को समझ लिया है, जैसा कि प्रॉस्पेक्टस और प्रस्ताव दस्तावेज़ में बताया गया है।".

सी) शहरी सहकारी बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी प्रचार सामग्री/प्रस्ताव दस्तावेज, आवेदन पत्र और निवेशक के साथ अन्य संचार में स्पष्ट रूप से बड़े अक्षरों में (एरियल फ़ॉन्ट, आकार 14, अंग्रेजी / वर्नाक्यूलर संस्करण में समकक्ष आकार) स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि कैसे एक पीएनसीपीएस / पीसीपीएस / आरएनसीपीएस / आरसीपीएस / पीडीआई / एलटीएसबी, जैसा भी मामला हो, एक सावधि जमा से अलग है, और यह कि ये उपकरण जमा बीमा द्वारा कवर नहीं किए जाते हैं।

डी) लिखत के ग्राहक की मृत्यु की स्थिति में कानूनी उत्तराधिकारियों को हस्तांतरण की प्रक्रिया भी निर्दिष्ट की जानी चाहिए।

9. विवरणी

बैंकों को संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों को वार्षिक विवरणी प्रस्तुत करनी चाहिए जिसमें (i) पूंजीगत निधियां, (ii) ऑफ बेलेन्स शीट / गैर-निधि एक्सपोजर का रूपांतरण, (iii) जोखिम भारित आस्तियों की गणना, और (iv) पूंजीगत निधियों की गणना और जोखिम संपत्ति अनुपात का उल्लेख किया गया हो। विवरणी का प्रारूप अनुबंध-5 में दिया गया है। विवरणी पर दो अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने चाहिए जो रिजर्व बैंक को प्रस्तुत वैधानिक रिटर्न पर हस्ताक्षर करने के लिए प्राधिकृत हैं।


परिशिष्ट

मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची

क्र.सं. परिपत्र दिनांक विषय
1 डीओआर.सीएपी.आरईसी.सं.86/09.18.201/2022-23 01.12.2022 शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए संशोधित नियामक ढांचा – निवल मूल्य और पूंजी पर्याप्तता
2 डीओआर.एसटीआर.आरईसी.67/21.06.201/2022-23 07.09.2022 विवेकपूर्ण मानदंडों की समीक्षा – क्रेडिट गारंटी योजनाओं (सीजीएस) द्वारा गारंटीकृत एक्सपोजर के लिए जोखिम भार
3 डीओआर.एमआरजी.आरईसी.64/00.00.005/2022-23 के अनुबंध का भाग डी 11.08.2022 अर्हित वित्तीय अनुबंधों की द्विपक्षीय नेटिंग – विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों में संशोधन
4 डीओआर.सीएपी.आरईसी.सं.97/21.06.201/2021-22 अनुबंध का भाग 2 31.03.2022 अर्हित वित्तीय अनुबंधों की द्विपक्षीय नेटिंग – विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों में संशोधन
5 डीओआर.सीएपी.आरईसी.92/09.18.201/2021-22 08.03.2022 शेयर पूंजी और प्रतिभूतियों का निर्गम और विनियमन – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक।
6 यूबीडी.सीओ.बीपीडी.पीसीबी.परिपत्र.सं.67/09.50.001/2013-14 30.05.2014 आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 36(1) (viii) के तहत बनाए गए विशेष रिजर्व पर आस्थगित कर देयता – शहरी सहकारी बैंक।
7 यूबीडी.बीपीडी(पीसीबी) परिपत्र सं.45/13.05.000/2013-14 28.01.2014 आवास क्षेत्र: नया उप-क्षेत्र – सीआरई क्षेत्र-निवासीय आवास क्षेत्र (सीआरई-आरएच) सीआरई क्षेत्र और प्रावधान का युक्तिकरण और जोखिम भार के भीतर क्षेत्र
8 यूबीडी.बीपीडी.पीसीबी परिपत्र सं.37/09.22.010/2013-14 14.11.2013 कम आय वाले आवास के लिए क्रेडिट रिस्क गारंटी फंड ट्रस्ट (सीआरजीएफटीएलआईएच) द्वारा गारंटीकृत अग्रिम – जोखिम भार और प्रावधान।
9 यूबीडी.बीपीडी(एससीबी) परिपत्र सं.4/16.20.000/2012-13 का पैरा 2 10.06.2013 कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में तैयार वायदा अनुबंध।
10 यूबीडी.बीपीडी(पीसीबी) परिपत्र सं.42/09.11.600/2009-10 08.02.2010 बाजार जोखिमों के लिए पूंजी प्रभार पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश।
11 यूबीडी.पीसीबी.परिपत्र सं.30/09.14.000/2008-09 16.12.2009 ऋण पोर्टफोलियो के संबंध में विभिन्न प्रकार के प्रावधानों का विवेकपूर्ण व्यवहार।
12 यूबीडी.पीसीबी.परिपत्र सं.73/09.14.000/2008-09 29.06.2009 ऋण पोर्टफोलियो के संबंध में विभिन्न प्रकार के प्रावधानों का विवेकपूर्ण व्यवहार।
13 यूबीडी.पीसीबी.परिपत्र सं.29/09.11.600/2008-09 01.12.2008 विवेकपूर्ण मानदंडों की समीक्षा- वाणिज्यिक अचल आस्ति और एनबीएफसी के एक्सपोजर के लिए मानक आस्तियों और जोखिम भार के लिए प्रावधान।
14 यूबीडी.पीसीबी.परिपत्र सं.53/13.05.000/07-08 16.06.08 आवासीय आस्ति द्वारा प्रतिभूति किए दावे – जोखिम भार के लिए सीमा में परिवर्तन।
15 यूबीडी.पीसीबी.परिपत्र सं.31/09.11.600/07-08 29.01.08 पूंजी पर्याप्तता के लिए विवेकपूर्ण मानदंड – शैक्षिक ऋणों के लिए जोखिम भार।
16 यूबीडी.पीसीबी.परिपत्र सं.40/13.05.000/2006-07 04.05.07 वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य – निवासीय आवास ऋण- जोखिम भार में कमी।
17 यूबीडी(पीसीबी) परिपत्र सं.39/13.05.000 30.04.07 2007-08 के लिए वार्षिक नीति विवरण-सोने/चांदी के गहनों पर ऋण-जोखिम भार में कमी।
18 यूबीडी(पीसीबी) परिपत्र सं.30/09.11.600/06-07 19.02.07 वर्ष 2006-07 के लिए मौद्रिक नीति पर वार्षिक विवरण की तीसरी तिमाही की समीक्षा – मानक आस्तियों के लिए प्रावधान की आवश्यकता।
19 यूबीडी(पीसीबी) परिपत्र सं.7/09.29.000/2006-07 का पैरा 1(सी) 18.08.06 केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में ‘जब जारी’ लेनदेन – लेखांकन और संबंधित पहलू।
20 यूबीडी.पीसीबी.परिपत्र सं.55/09.11.600/05-06 01.06.06 वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति विवरण – वाणिज्यिक अचल संपत्ति के जोखिम पर जोखिम भार।
21 यूबीडी(पीसीबी).बीपीडी.परिपत्र सं. 46/13.05.000/2005-06 19.04.06 एलसी के तहत छूट वाले बिल – जोखिम भार और एक्सपोजर मानदंड।
22 यूबीडी.पीसीबी.परिपत्र सं.9/13.05.00/05-06 09.08.05 पूंजी बाजार एक्सपोजर के लिए जोखिम भार।
23 यूबीडी.पीसीबी.परिपत्र सं.8/09.116.00/05-06 09.08.05 पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड – आवास वित्त / वाणिज्यिक अचल संपत्ति एक्सपोजर पर जोखिम भार।
24 यूबीडी.डीएस.परिपत्र सं.44/13.05.00/04-05 15.04.05 अग्रिमों की अधिकतम सीमा – व्यक्तियों/उधारकर्ताओं के समूह के लिए एक्सपोजर।
25 यूबीडी.पीसीबी.परिपत्र सं.33/09.116.00/2004 05.01.05 आवास वित्त और उपभोक्ता ऋण पर जोखिम भार।
26 यूबीडी.पीसीबी.परिपत्र सं.26/09.140.00/2004-05 01.11.04 विवेकपूर्ण मानदंड – राज्य सरकार गारंटीकृत एक्सपोजर।
27 यूबीडी.सं.बीपीडी.पीसीबी.परिपत्र.52/09.116.00/2003-04 15.06.04 सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों (पीएफआई) के एक्सपोजर के लिए जोखिम भार।
28 यूबीडी.सं.बीपीडी.पीसीबी.परिपत्र.37/13.05.00/03-04 16.03.04 बैंकों द्वारा बिलों की भुनाई / पुनर्भुनाई।
29 यूबीडी.सं.बीपीडी.पीसीबी.परिपत्र.34/13.05.00/2003-04 11.02.04 अग्रिमों की अधिकतम सीमा – व्यक्तिगत/उधारकर्ताओं के समूह के लिए ऋण एक्सपोजर की सीमा – पूंजीगत निधियों की गणना।
30 यूबीडी.सं.पीओटी.पीसीबी.परिपत्र.18/09.22.01/2002-03 30.09.02 आवास वित्त पर जोखिम भार।
31 यूबीडी.सं.पीओटी.पीसीबी.परिपत्र.45/09.116.00/2000 25.04.01 शहरी (प्राथमिक) सहकारी बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता मानदंड लागू करना।
32 एसीडी.प्लान.1310/पीआर.36-72/3 24.11.1972 प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों में उधार से संबद्ध शेयर लिंकिंग

1 टियर 1 - सभी यूनिट यूसीबी और वेतन भोगियों के यूसीबी (जमा आकार के बावजूद), और अन्य सभी यूसीबी जिनके पास 100 करोड़ रुपये तक की जमा राशि है;
टियर 2 - 100 करोड़ रुपये से अधिक और 1000 करोड़ रुपये तक जमा वाले यूसीबी;
टियर 3 - 1000 करोड़ रुपये से अधिक और 10,000 करोड़ रुपये तक की जमा राशि वाले यूसीबी;
टियर 4 - 10,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा वाले यूसीबी

2 शहरी सहकारी बैंकों को अब तक की तरह (i) अपने परिचालन क्षेत्र में व्यक्तियों को उनके उप-नियमों के प्रावधानों के अनुसार शेयर जारी करके, और (ii) मौजूदा सदस्यों को अतिरिक्त शेयर जारी करके शेयर पूंजी जुटाने की अनुमति है।

3 रिफंड के लिए सभी पात्रता शर्तों को पूरा करने वाले सदस्य के अधीन।

4 पूंजी निधि लेखापरीक्षित आंकड़ों के अनुसार होगी।

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