आरबीआई/मुप्रवि/2024-25/114
मुप्रवि (सीसी) सं.G-2/03.35.01/2024-25
अप्रैल 01, 2024
अध्यक्ष/ प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी
(मुद्रा तिजोरी धारित सभी बैंक)
महोदया /महोदय
मुद्रा तिजोरी में लेनदेन/शेष की रिपोर्टिंग के लिए दंड के प्रावधान पर मास्टर निदेश
आरबीआई अधिनियम, 1934 की प्रस्तावना एवं धारा 45 और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक, स्वच्छ नोट नीति के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दिशानिर्देश / अनुदेश जारी करता है। इस संदर्भ में मुद्रा तिजोरियों के लेनदेन की समयबद्ध और सटीक रिपोर्टिंग के लिए, समय-समय पर अनुदेश जारी किए गए हैं।
2. संलग्न मास्टर निदेश में उक्त विषय पर अद्यतित दिशानिर्देश/परिपत्र संलग्न हैं।
भवदीय,
(संजीव प्रकाश)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नक: यथोक्त
अनुलग्नक
मुद्रा तिजोरियों में लेनदेनों / शेष की रिपोर्टिंग के लिए दंडात्मक प्रावधानों पर मास्टर निदेश
1. रिपोर्टिंग प्रक्रिया
1.1 मुद्रा तिजोरी (सीसी) लेनदेनों की सूचना
मुद्रा तिजोरियों में जमा करने/मुद्रा तिजोरियों से आहरण करने की न्यूनतम राशि ₹1,00,000/- रुपये होगी और उसके बाद से यह ₹50,000/- रुपये के गुणकों में होगी।
1.2 सूचना देने के लिए निर्धारित समय - सीमा
1.2.1 मुद्रा तिजोरियाँ समस्त लेनदेनों की रिपोर्टिंग अनिवार्य रूप से सीवायएम – सीसी पोर्टल माध्यम से उसी दिन शाम 7 बजे तक करेंगी।
1.2.2 रविवार या अवकाश के दिन मुद्रा तिजोरी को खोलना-सीवाईएम में रिपोर्टिंग:
यदि, (स्थानीय अवकाश) के दिन विशेष मुद्रा तिजोरी को संचालन की अनुमति है और सीवाईएम पोर्टल उपलब्ध है, ऐसी स्थिति में सीसी उसी दिन लेनदेन को रिपोर्ट करेंगे। यदि (वैश्विक अवकाश/माह के दूसरे या चौथे शनिवार/रविवार के कारण) उस दिन सीवाईएम पोर्टल उपलब्ध नहीं है, तो सीसी, दिन के मूल्यवर्ग-वार समेकित जमा और/ या निकासी राशि और मूल्यवर्ग-वार तिजोरी के समापन पर शेष को सायं 7 बजे तक संबंधित निर्गम कार्यालय को ईमेल के माध्यम से और अगले कार्यदिवस पर उक्त लेनदेन को सीवाईएम पोर्टल पर रिपोर्ट करेंगे।
1.2.3 बैंकों में हड़ताल के दौरान छूट
हड़ताल की स्थिति में, सूचना देने की अवधि में छूट देने पर विचार परिस्थितिवार आधार पर किया जाएगा।
2. मुद्रा तिजोरी लेन-देन की विलंब से रिपोर्टिंग / गलत रिपोर्टिंग
2.1 दण्डात्मक ब्याज लगाना
2.1.1 रिपोर्टिंग में विलंब
मुद्रा तिजोरी की लेनदेनों की विलंब से सूचना देने के मामलों में इस परिपत्र के पैरा-4 में निर्दिष्ट दर से, विलंब की अवधि के लिए, दण्डात्मक ब्याज, तिजोरी वाले बैंक से बकाया राशि पर लगाया जाएगा। दण्डात्मक ब्याज की गणना टी+0 आधार पर की जाएगी अर्थात् मुद्रा तिजोरियों द्वारा तिजोरी लेनदेनों की सूचना निर्गम कार्यालय को उसी कारोबार दिवस के उपरोक्त निर्धारित समय सीमा में नहीं देने पर दण्डात्मक ब्याज लगाया जाएगा।
2.1.2 गलत सूचना देना
गलत सूचना देने के मामलों में भी रिज़र्व बैंक से संशोधित सूचना प्राप्त होने की तारीख तक की अवधि के लिये उपर्युक्त की भाँति दण्डात्मक ब्याज लगाया जाएगा। चूँकि बैंक के चालू खातों में नामे/जमा, मुद्रा तिजोरियों द्वारा सूचित की गई लेनदेन सूचना के आधार पर किए जाते हैं, अत: मुद्रा तिजोरी द्वारा गलत रिपोर्ट किए गए सभी मामलों में दंडात्मक ब्याज अनिवार्यत: लगाया जाएगा। यह अपेक्षा की जाती है कि मुद्रा तिजोरियाँ सीवायएम – सीसी पोर्टल पर रिपोर्ट किए गये आंकड़ों की सत्यता सुनिश्चित करेंगे। यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष सावधानी बरती जाए कि आरबीआई/प्रेस से मुद्रा तिजोरियों को प्रेषित नये नोटों / पुन: जारी करने योग्य नोटों के विप्रेषण को, “जमा” लेन देन के रुप में न दर्शाया जाए।
2.1.3 मुद्रा तिजोरी शेषों में अनुचित राशियों का समावेश
i. ऐसे सभी मामलों में दण्डात्मक ब्याज भी लगाया जाता है, जिसमें बैंकों द्वारा लेनदेन की गलत / विलंब से सूचना देने के कारण बैंकों को रिज़र्व बैंक के पास उनके चालू खाते में ‘अपात्र’ जमा का लाभ मिला है।
ii. केवल संयुक्त अभिरक्षकों की अभिरक्षा में रखी गई तथा उन्हें “निर्बाध रुप से उपलब्ध” नकदी राशि ही तिजोरी शेषों में शामिल किये जाने योग्य है। इस प्रकार, वॉल्ट/सीसीटीवी कैमरे के दायरे से बाहर रखी गई नकदी/ सुरक्षित अभिरक्षा के लिए किसी भी कारण से सील कवर में रखी नकदी, ट्रंकों में, एकल लॉक में/ खुला हुआ / संयुक्त अभिरक्षकों के अलावा किसी अधिकारी/अधिकारियों के ताले से बंद या संयुक्त अभिरक्षकों के दो तालों के अलावा किसी अन्य अधिकारी द्वारा तीसरा ताला लगाये जाने पर वह राशि मुद्रा तिजोरी शेषों में शामिल किये जाने योग्य नहीं होगी। इस प्रकार की नकदी राशि यदि मुद्रा तिजोरी शेषों में मिला दी जाती है तो इसे गलत सूचना के रूप में माना जाएगा और उस राशि पर पैराग्राफ 4 में निर्दिष्ट दर से दंडात्मक ब्याज लगाया जाएगा।
iii. उपर्युक्त सभी मामलों में (तिजोरी शेष / विप्रेषण में कमी, चोरी / धोखाधड़ी की वजह से कमी/ तिजोरी शेष में जाली बैंक नोटों / विप्रेषण में कमियों को छोड़कर), “अयोग्य” राशि को तिजोरी शेषों में शामिल किये जाने की तारीख से लेकर तिजोरी शेष से यह राशि निकाल दिये जाने की तारीख तक के लिए दंडात्मक ब्याज लगाया जाएगा।
2.1.4 अन्य कमियों के लिए दंडात्मक उपाय
"दंड की मौजूदा योजना” के अनुसार तिजोरी शेष / विप्रेषण में कमी के मामलों में, चोरी / धोखाधड़ी के कारण कमी, तिजोरी शेष / विप्रेषण में पाये गये जाली बैंकनोटों के कारण दंड के उपाय भी किए जाएंगे।
3. दण्ड लगाना
3.1 भारतीय रिज़र्व बैंक को गंदे नोटों का विप्रेषण
भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजे गए गंदे नोटों के विप्रेषण को तिजोरी(रियों.) द्वारा आहरण के रूप में नहीं दिखाया जाएगा। यदि आरबीआई को ऐसे प्रेषणों को गलती से आहरण के रूप में दिखाया जाता है तो, विप्रेषण मूल्य और गलत सूचना की अवधि पर विचार किये बिना निरपेक्ष रूप से ₹50,000/- का दंड लगाया जाएगा।
3.2 सीवायएम – सीसी पोर्टल में विचलनों की सूचना
सभी मुद्रा तिजोरियों के विचलनों (उसी बैंक की तिजोरियों के बीच तथा अन्य बैंकों की तिजोरियों के बीच दोनों के लिए) को सीवायएम – सीसी पोर्टल के ‘विचलन’(डायवर्जन मॉड्यूल) के माध्यम से रिपोर्ट किया जाएगा। विचलन प्रेषित करने वाली सीसी प्रविष्टि प्रारम्भ करेगी। प्राप्तकर्ता सीसी इसकी प्राप्ति सूचना देगी। किसी भी स्थिति में विचलन को जमा / आहरण के रूप में रिपोर्ट नहीं किया जाए। इस प्रकार की किसी भी गलत रिपोर्टिंग के लिए ₹50,000 का दण्ड लगाया जाएगा।
3.3 देरी से रिपोर्टिंग जहां मुद्रा तिजोरियों के पास “निवल जमा” है
रिपोर्टिंग में देरी के मामलों में, जहां मुद्रा तिजोरी ने “निवल जमा” रिपोर्ट किया था, प्रचलित दर से दण्डात्मक ब्याज प्रभारित नहीं किया जाए। यद्यपि, मुद्रा तिजोरी के लेन देन की रिपोर्टिंग को सुचारू रूप से अनुशासित करने के क्रम में, मुद्रा तिजोरियों को देरी से रिपोर्टिंग करने के लिए निवल जमा के मूल्य पर ध्यान दिए बिना निरपेक्ष रूप से एक समान दर से ₹50000/- का दण्ड लगाया जाएगा।
4. दंडात्मक ब्याज की दर
विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना न देने की अवधि/ मुद्रा तिजोरी शेषों में अपात्र राशियों को शामिल करने पर प्रचलित बैंक दर से 2% ज्यादा के हिसाब से दंडात्मक ब्याज लगाया जाएगा।
5. कारोबार निरंतरता योजना
सीवाईएम सीसी पोर्टल में समग्र देश में एक बैंक के भीतर उपयोगकर्ता को बदलने/इंटरचेंज करने की क्षमता है (तत्पर संदर्भ के लिए उपयोगकर्ता पुस्तिका संलग्न है)। यदि कोई सीसी, सीसी विशेष में कनेक्टिविटी या अन्य तकनीकी समस्याओं के कारण सीवाईएम पोर्टल में दैनिक लेनदेन की रिपोर्ट करने में असमर्थ है, तो बैंक का बैक ऑफिस (बीओ) प्रशासक उस बैंक के दूसरे सीसी के यूजर आईडी को कनेक्टिविटी वाले सीसी से दैनिक लेनदेन की रिपोर्टिंग के लिए मैप कर सकता है। लेन-देन के पूरा होने पर उपयोगकर्ता अधिकार मूल सीसी में बहाल हो जाएंगे। कार्य का यह आयाम सीसी को विलंबित/रिपोर्टिंग न करने और परिणाम स्वरूप दंडात्मक कार्रवाई से बचने में मदद करेगी। मुद्रा तिजोरी धारक बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इस पहलू को अपनी सीसी कारोबार निरंतरता उपाय में शामिल करें।
6. दण्ड / दंडात्मक ब्याज लगाने को लेकर परिचालन दिशानिर्देश
6.1 सक्षम प्राधिकारी अनियमितताओं का स्वरूप निर्धारित करने के लिए व उनपे दंड लगाने के लिए, उस क्षेत्रीय कार्यालय के निर्गम विभाग के प्रभारी अधिकारी, जिनके क्षेत्राधिकार में चूककर्ता मुद्रा तिजोरी/ बैंक शाखा स्थित है, ही सक्षम प्राधिकारी होंगें।
6.2 अपीलीय प्राधिकारी
6.2.1 सीवाईएम द्वारा प्रदान की जा रही कारोबार निरंतरता क्षमता को ध्यान में रखते हुए(उपर्युक्त पैराग्राफ 5 देखें) सामान्यतया इस बात की गुंजाइश नहीं बचती कि बैंक रिज़र्व बैंक के निर्णय पर पुनर्विचार हेतु अनुरोध करें। तथापि, खासकर पहाड़ी/दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित मुद्रा तिजोरियों/प्राकृतिक आपदाओं आदि से पीड़ित अन्य मुद्रा तिजोरियों के प्रत्यावेदन, यदि कोई हों तो, वास्तविक कठिनाइयों के आधार पर, उन प्रत्यावेदनों को नामे करने की तारीख से 1 महीने के भीतर उस बैंक के प्रधान /नियंत्रक कार्यालय के माध्यम से संबधित क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्रीय निदेशक / मुख्य महाप्रबंधक / प्रभारी अधिकारी को भेजा जा सकता हैं।
6.2.2 किसी भी दंड/दंडात्मक ब्याज माफी के अनुरोध पर विचार निर्धारित समय सीमा के भीतर सीसी पोर्टल, सीवाईएम में किये गए आवेदन के आधार पर ही किया जाएगा। किसी अन्य माध्यम में छूट के अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा।
6.2.3 गलत रिपोर्टिंग के मामलों में छूट देने हेतु प्रत्यावेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा (उपर्युक्त पैरा 2.1.2 देखें)।
6.2.4 चूंकि दण्ड / दंडात्मक ब्याज लगाये जाने के पीछे यह धारणा है कि बैंकों में त्वरित/सही रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिये बैंकों को अनुशासनबद्ध किया जाए, अत: बैंकों द्वारा विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने के लिए दिये गये तर्क जैसे कि उससे भारतीय रिज़र्व बैंक की निधियों के उपयोग में कोई परिणाम नहीं होना, आरक्षित नकदी निधि अनुपात/सांविधिक चल निधि अनुपात को बनाए रखने में कोई कमी न होना, लिपिकीय त्रुटि, गैर इरादतन अथवा अंकगणितीय त्रुटि/प्रथम त्रुटि/ अनुभवी स्टाफ के अभाव, आदि को दंडात्मक ब्याज से छूट के लिये वैध कारण नहीं माना जाएगा।
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