'सूचना का प्रकाशन - सरफेसी अधिनियम, 2002 केतहत प्रतिभूति आस्तियां' पर 25 सितंबर 2023 को जारी परिपत्र पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)
1. क्या परिपत्र के अनुसार परिपत्र की तारीख से पहले मौजूद आस्तियों का प्रकाशन शामिल है?
वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन (सरफेसी) अधिनियम, 2002 के अंतर्गत विनियमित संस्थाओं (आरई) के पास मौजूद प्रतिभूति आस्तियों का परिपत्र की तारीख पर अथवा उसके बाद उनकी वेबसाइट पर प्रकाशन किया जाना चाहिए।
2. क्या पहले ही बेची जा चुकी आस्तियों को वेबसाइट पर प्रकाशित करने की आवश्यकता है? प्रतिभूति आस्ति को वेबसाइट पर प्रकाशित सूची से कब हटाया जाएगा?
नहीं, सरफेसी अधिनियम, 2002 के अंतर्गत मौजूद और पहले ही बेची जा चुकी आस्तियों को वेबसाइट पर प्रकाशित करने की आवश्यकता नहीं है।
निम्नलिखित परिस्थितियों में आरई के पास मौजूद प्रतिभूति आस्तियों को वेबसाइट से हटा दिया जाएगा:
i) जब प्रतिभूति आस्ति बेची जा चुकी हो; अथवा
ii) जब प्रतिभूति लेनदार को बकाया राशि प्राप्त हो गई हो (जिसमें मूलधन, ब्याज और उधारकर्ता द्वारा प्रतिभूति लेनदार को देय कोई अन्य बकाया राशि शामिल है) अथवा उधारकर्ता से सहमत निपटान राशि का भुगतान हो गया हो।
3. क्या वेबसाइट पर प्रकाशन प्रत्यक्ष रूप से मौजूद आस्तियों तक ही सीमित होना चाहिए, या इसमें प्रतीकात्मक और प्रत्यक्ष रूप से मौजूद दोनों आस्तियों को शामिल किया जाना चाहिए?
सरफेसी अधिनियम, 2002 में आस्ति के कब्जे को प्रतीकात्मक अथवा प्रत्यक्ष के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है, और ये ऐसी परंपराएँ हैं जो समयानुसार विकसित हुई हैं। तदनुसार, आरई को सरफेसी अधिनियम, 2002 की धारा 13 (4) के तहत प्रतिभूति आस्तियों पर जानकारी प्रदर्शित करेगा। इसमें आरई की वेबसाइट पर प्रतीकात्मक और प्रत्यक्ष रूप से मौजूद आस्तियों का प्रकाशन शामिल है।
4. क्या अचल संपत्ति के साथ चल संपत्ति का विवरण भी वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए?
हाँ, सरफेसी अधिनियम, 2002 की धारा 13 (4) के अंतर्गत चल और अचल दोनों प्रतिभूति आस्तियां, जिस पर चल संपत्ति के मामले में प्रतिभूति (प्रवर्तन) नियम 2002 के नियम 3 (1) अथवा नियम 6 (2) और अचल संपत्ति के मामले में नियम 8 (2) के अनुसार पहले से ही समाचार पत्रों में सूचना प्रकाशित हो चुकी है, ऐसी प्रतिभूति आस्तियों को आरई की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाना चाहिए।
5. परिपत्र के अनुसार 'बकाया राशि' में क्या शामिल है?
आरई की वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाने वाली 'बकाया राशि' सरफेसी अधिनियम, 2002 की धारा 13 (9) (बी) के अंतर्गत दी गई परिभाषा के अनुसार होगी, अर्थात इसमें सुरक्षित ऋणदाता के खाते की बहियों के अनुसार प्रतिभूति आस्ति के संबंध में उधारकर्ता द्वारा सुरक्षित ऋणदाता को देय मूलधन, ब्याज और कोई अन्य बकाया शामिल होगा।
6. क्या 'बकाया शेष', 'आस्ति वर्गीकरण' और 'आस्ति वर्गीकरण की तिथि' को मासिक आधार पर अद्यतन किया जाना चाहिए?
नहीं। सरफेसी अधिनियम, 2002 की धारा 13 (4) के अंतर्गत प्रतिभूति आस्तियों की 'बकाया शेष', 'आस्ति वर्गीकरण' और 'आस्ति वर्गीकरण की तारीख', जो चल संपत्ति के मामले में प्रतिभूति (प्रवर्तन) नियम 2002 के नियम 3 (1) या नियम 6 (2) और अचल संपत्ति के मामले में नियम 8 (2) के अनुसार समाचार पत्रों में प्रकाशित जानकारी के अनुसार होगा।
7. क्या अनुबंध का "राज्य" कॉलम शाखा से संबंधित है या उधारकर्ता से?
परिपत्र के अनुबंध का "राज्य" कॉलम शाखा के कॉलम से मेल खाता है, क्योंकि उधारकर्ता का पता कॉलम स्वाभाविक रूप से उस राज्य को दर्शाता है जिससे उधारकर्ता संबंधित है।
8. क्या प्रतिभूति हित के बिना गारंटरों का विवरण अपलोड किया जाना चाहिए?
नहीं, "गारंटर का नाम (जहां भी लागू हो)" कॉलम में विवरण उन गारंटरों तक सीमित होना चाहिए जिन्होंने आरई के पक्ष में प्रतिभूति हित बनाया है और जिनकी आस्त्ति अधिनियम के तहत कब्जे में है।
9. परिपत्र के अनुसार 'सूची को मासिक आधार पर अद्यतन किया जाएगा' का क्या मतलब है?
परिपत्र में उल्लिखित मासिक अपडेट विशेष रूप से आरई के पास मौजूद नई प्रतिभूति आस्तियों को शामिल करने और आरई द्वारा बेची अथवा निपटान की गई प्रतिभूति आस्तियों को हटाने से संबंधित हैं।
10. कंसोर्टियम ऋण देने में, क्या सभी सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से प्रतिभूति आस्तियों की जानकारी प्रकाशित करनी चाहिए?
जबकि कंसोर्टियम करार के अनुसार प्रमुख ऋणदाता द्वारा सरफेसी कार्यवाही प्रारंभ की जा सकती है, परिपत्र में सभी कंसोर्टियम सदस्यों को पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से अपनी वेबसाइट पर कब्जे में ली गई आस्तियों का विवरण प्रदर्शित करने की आवश्यकता है, जिसमें समरूप प्रभार और कंसोर्टियम करार के अनुसार बकाया राशि और अन्य विवरण शामिल हैं। |