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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

जमा बीमा

प्रश्न 1 डीआईसीजीसी द्वारा किन बैंकों का बीमा किया जाता है?

वाणिज्य बैंक: भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों की शाखाओं, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित सभी वाणिज्य बैंक का बीमा डीआईसीजीसी द्वारा किया जाता है।

सहकारी बैंक: राज्यों /संघ शासित क्षेत्रों में कार्य कर रहे सभी राज्य, मध्यवर्ती और प्राथमिक सहकारी बैंक, जिन्हें शहरी सहकारी बैंक भी कहा जाता है, के संबंधित राज्य/संघशासित क्षेत्र की सरकारों द्वारा रिज़र्व बैंक को यह अधिकार देने के लिए अपने सहकारी समिति अधिनियम को संशोधित किया गया है कि वह राज्यों /संघ शासित क्षेत्रों की समितियों के रजिस्ट्रार को आदेश दे सके कि किसी सहकारी बैंक का समापन कर दे अथवा इसकी प्रबंध समिति को अधिक्रमित करे और रजिस्ट्रार से अपेक्षित है कि वह रिज़र्व बैंक से लिखित पूर्व स्वीकृति के बिना किसी सहकारी बैंक के समापन, समामेलन या पुनर्निमाण के लिए कोई कार्रवाई न करें, जमा बीमा स्कीम के अंतर्गत आते हैं । वर्तमान में सभी सहकारी बैंक डीआईसीजीसी द्वारा बीमित किए जाते हैं।

डीआईसीजीसी द्वारा प्राथमिक सहकारी समितियों का बीमा नहीं किया जाता है।

प्रश्न 2 डीआईसीजीसी किसका बीमा करता है?

डीआईसीजीसी निम्नलिखित जमाराशियों को छोड़कर बचत, मीयादी, चालू, आवर्ती आदि जैसे सभी बैंक जमाराशियों को बीमा प्रदान करता है:-

  • विदेशी सरकारों की जमाराशियां;

  • केंद्र/राज्य सरकारों की जमाराशियां;

  • अंतर बैंक जमाराशियां;

  • राज्य सहकारी बैंकों में रखी गई राज्य भूमि विकास बैंकों की जमाराशियां;

  • भारत के बाहर प्राप्त जमाराशि के कारण देय कोई राशि; और

  • रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से निगम द्वारा विशेष रूप से छूट प्राप्त कोई राशि

प्रश्न 3 डीआईसीजीसी द्वारा बीमा की जाने वाली अधिकतम जमाराशि क्या है?

बैंक के लाइसेंस रद्द करने/परिसमापन की तारीख तक अथवा समामेलन/विलय/पुनर्निर्माण स्कीम लागू होने की तारीख तक, प्रत्येक जमाकर्ता को किसी बैंक में समान अधिकार एवं क्षमता में रखे गए मूलधन और ब्याज दोनों के लिए अधिकतम रु 5,00,000 (पांच लाख रुपए) तक बीमा प्रदान किया जाता है।

प्रश्न 4 मुझे किस तरह पता चलेगा कि मेरा बैंक डीआईसीजीसी द्वारा बीमाकृत है या नहीं?

डीआईसीजीसी बैंकों को बीमाकृत बैंकों के रूप में पंजीकृत करते समय उन्हें मुद्रित पर्चे प्रदर्शित करने के लिए उपलब्ध कराता है जिसमें बीमाकृत बैकों के जमाकर्ताओं को निगम द्वारा दी जाने वाली बीमा सुरक्षा संबंधी जानकारी दी जाती है। किसी संदेह की स्थिति में जमाकर्ता इस संबंध में शाखा अधिकारी से पूछताछ कर सकता है।

प्रश्न 5 किसी बैंक की विभिन्न शाखाओं में एक व्यक्ति द्वारा रखी गई बीमाकृत जमाराशि की उच्चतम सीमा क्या है?

किसी बैंक की विभिन्न शाखाओं में रखी गई विभिन्न जमाराशियों को बीमा सुरक्षा कवर के प्रयोजन से जोड़ा जाता है और अधिकतम पाँच लाख रुपए तक भुगतान किया जाता है।

प्रश्न 6 क्या डीआईसीजीसी केवल खाते के मूलधन का बीमा करता है या मूलधन और उस पर उपचित ब्याज दोनों का?

डीआईसीजीसी मूलधन और ब्याज का अधिकतम पांच लाख रु. तक बीमा करता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति के खाते में 4,95,000 रु. मूलधन और उस पर उपचित ब्याज 4,000 रु है तो डीआईसीजीसी द्वारा बीमाकृत राशि 4,99,000 रु. है। यदि उस खाते में मूलधन पांच लाख है तो उस पर उपचित ब्याज का बीमा नहीं किया जाएगा, इसलिए नहीं कि यह राशि ब्याज है बल्कि इसलिए कि यह राशि बीमा सीमा से अधिक है।

प्रश्न 7 क्या किसी एक ही बैंक के विभिन्न खाते में निधियां जमा करने से जमा बीमा को बढ़ाया जा सकता है?

जमा बीमा निर्धारित करने से पहले एक ही बैंक में एक ही स्वामित्व के अंतर्गत रखी गई सभी निधियों को जोड़ा जाता है। यदि निधियां विभिन्न स्वामित्व वाली हैं अथवा अलग-अलग बैंकों में रखी गई हों फिर उनका अलग-अलग बीमा किया जाएगा।

प्रश्न 8 क्या विभिन्न बैंकों में रखी गई जमाराशियों का बीमा अलग -अलग किया जाता है?

हां। यदि आपकी जमाराशियां एक से अधिक बैंक में हैं तो जमा बीमा कवरेज की सीमा प्रत्येक बैंक के लिए अलग-अलग लागू होगी।

प्रश्न 9 यदि दो भिन्न-भिन्न बैंकों में मेरी निधियां हैं और दोनों बैंक एक ही दिन बंद हो जाते हैं तो क्या मेरी निधियों को एक साथ जोड़ा जाएगा या अलग -अलग बीमा किया जाएगा?

समापन तारीख पर विचार किए बिना प्रत्येक बैंक में आपकी निधियों का अलग-अलग बीमा किया जाएगा।

प्रश्न 10 समान अधिकार और क्षमता में और विभिन्न अधिकार और क्षमता में रखी गई जमाराशियों का अर्थ क्या है?

यदि कोई व्यक्ति बैंक की एक या अधिक शाखाओं में एक से अधिक जमा खाता खोलता है, उदाहरण के लिए, श्री एस.के. पंडित एक या एक से अधिक बचत/चालू खाता और एक या एक से अधिक सावधि/आवर्ती जमा खाते आदि खोलते हैं, इन सभी को एक ही क्षमता और एक ही अधिकार में धारित खाते के रूप में माना जाता है। इसलिए, इन सभी खातों में शेष राशि एकत्र की जाती है और बीमा कवर अधिकतम पांच लाख रुपये तक उपलब्ध है।

यदि श्री एस.के. पंडित बैंक की एक या एक से अधिक शाखाओं में एक फर्म के भागीदार या नाबालिग के अभिभावक या कंपनी के निदेशक या ट्रस्ट के ट्रस्टी या अपनी पत्नी श्रीमती के. ए. पंडित के साथ संयुक्त खाते के रूप में अन्य जमा खाते भी खोलते हैं, ऐसे खातों को अलग-अलग क्षमता और अलग-अलग अधिकार में माना जाता है। तदनुसार, ऐसे जमा खाते पर भी अलग से पांच लाख रुपये तक का बीमा कवर प्रदान किया जाएगा।

आगे यह भी स्पष्ट किया जाता है कि स्वामित्व वाली संस्था के नाम पर रखी गई जमाराशि जहां एक जमाकर्ता एकमात्र मालिक है और उसकी व्यक्तिगत क्षमता में रखी गई जमा राशि को एकत्रित किया जाता है और बीमा कवर अधिकतम पांच लाख रुपये तक उपलब्ध है।

उदाहरण :

  बचत खाता चालू खाता मीयादी जमा खाता कुल जमाराशि बीमाकृत जमाराशि
श्री.एस.के.पंडित (व्यक्तिगत) 4,17,200 22,000 80,000 5,19,200 5,00,000
श्री.एस.के.पंडित (एबीसी एंड कं के भागीदार)   4,75,000 50,000 5,25,000 5,00,000
श्री.एस.के.पंडित (मास्टर अजित के अभिभावक) 97,800   3,80,000 4,77,800 4,77,800
श्री.एस.के.पंडित (निदेशक जे.के उद्योग लिमि.)   4,30,000 2,45,000 6,75,000 5,00,000
श्री.एस.के.पंडित (श्रीमती के.ए.पंडित के साथ संयुक्त) 87,500 4,50,000 70,000 6,07,500 5,00,000
संयुक्त खाते में रखी गई जमाराशियाँ (26 अप्रैल 2007 से संशोधित)

यदि किसी बैंक की एक अथवा उसकी कई शाखाओं में कई व्यक्तियों के एक या अधिक संयुक्त जमा खाते (बचत, चालू, आवर्ती अथवा मीयादी जमा खाता) हैं जैसे ए, बी और सी नाम के तीन व्यक्तियों के नाम से संयुक्त रूप से एक से अधिक संयुक्त जमा खाते हैं जहाँ इन सभी खातों में ये नाम इसी क्रम में प्रदर्शित हैं, तो इन सभी खातों को समान अधिकार तथा समान क्षमता वाला खाते माना जाएगा। तदनुसार, इन सभी खातों में रखी शेष राशि को रु.5 लाख तक की सीमा के अंतर्गत बीमित जमाराशि का निर्धारण करते समय जोड़/शामिल कर लिया जाएगा।

तथापि यदि व्यक्तियों द्वारा एक से अधिक संयुक्त खाते खोले जाते हैं और वहाँ इनके नाम उसी क्रम में नहीं लिखे गए हैं उदाहरण के लिए ए,बी और सी; सी, बी और ए; सी,ए और बी; ए, सी और बी अथवा व्यक्तियों के समूह में अंतर है जैसे: ए, बी और सी तथा ए, बी और डी तो इन संयुक्त खातों में रखी जमाराशि को विभिन्न क्षमता तथा विभिन्न अधिकार के अंतर्गत माना जाएगा। तदनुसार ऐसे प्रत्येक संयुक्त खाते, जहाँ पर नाम अलग क्रम में प्रदर्शित हैं अथवा अलग-अलग नाम हैं, के लिए पांच लाख रुपए तक का बीमा कवर उपलब्ध होगा।

उदाहरण:

खाता (i)
(बचत अथवा चालू खाता)
पहला खाता धारक - "ए"
दूसरा खाता धारक - "बी"
अधिकतम बीमित राशि रु.5 लाख तक
खाता (ii) पहला खाता धारक - "ए"
दूसरा खाता धारक - "सी"
अधिकतम बीमित राशि रु.5 लाख तक
खाता (iii) पहला खाता धारक - "बी"
दूसरा खाता धारक - "ए"
अधिकतम बीमित राशि रु.5 लाख तक
बैंक की ‘एक्स’ शाखा में खाता (iv) पहला खाता धारक - "ए"
दूसरा खाता धारक - "बी"
तीसरा खाताधारक – “सी”
अधिकतम बीमित राशि रु.5 लाख तक
खाता (v) पहला खाता धारक - "बी"
दूसरा खाता धारक - "सी"
तीसरा खाताधारक – “ए”
अधिकतम बीमित राशि रु.5 लाख तक
खाता(vi) (आवर्ती अथवा मीयादी जमा) पहला खाता धारक - "ए"
दूसरा खाता धारक - "बी"
इस खाते को खाता (i) के साथ जोड़ दिया जाएगा।
बैंक की ‘वाई’ शाखा में खाता (vii) पहला खाता धारक - "ए"
दूसरा खाता धारक - "बी"
तीसरा खाताधारक – “सी”
इस खाते को खाता (iv) के साथ जोड़ दिया जाएगा।
खाता (viii) पहला खाता धारक - "ए"
दूसरा खाता धारक - "बी"
तीसरा खाताधारक – “डी”
अधिकतम बीमित राशि रु.5 लाख तक

प्रश्न 11 क्या बैंक जमाकर्ता द्वारा देय राशि की कटौती कर सकता है?

हाँ। बैंकों को यह अधिकार है कि वे कट ऑफ तिथि को जमा राशि में से अपनी देय राशि का समायोजन कर सकते हैं। जमा बीमा ऐसी देय राशियों के समायोजन के बाद उपलब्ध है।

प्रश्न 12 जमा बीमा की लागत का वहन कौन करता है?

जमा बीमा प्रीमियम पूर्णत: बीमाकृत बैंक द्वारा वहन किया जाता है।

प्रश्न 13 डीआईसीजीसी भुगतान करने के लिए कब जिम्मेदार होगा?

यदि कोई बैंक परिसमापन में जाता है, तो डीआईसीजीसी परिसमापक को दावा सूची प्राप्त होने की तारीख से दो महीने के भीतर प्रत्येक जमाकर्ता की पांच लाख रुपये तक की दावा राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। परिसमापक को प्रत्येक बीमित जमाकर्ता को उनकी दावा राशि के अनुरूप दावा राशि का वितरण करना होता है।

यदि एक बैंक का पुनर्निर्माण या समामेलन / दूसरे बैंक के साथ विलय किया जाता है: डीआईसीजीसी संबंधित बैंक को जमा की पूरी राशि या उस समय लागू बीमा कवर की सीमा के बीच का अंतर, जो भी कम हो और पुनर्गठन / समामेलन योजना के तहत उसके द्वारा प्राप्त राशि को हस्तांतरिती बैंक / बीमित बैंक / हस्तांतरिती बैंक, जो भी हो, के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से दावा सूची की प्राप्ति की तारीख से दो महीने के भीतर भुगतान करता है।

प्रश्न 14 क्या डीआईसीजीसी विफल बैंकों के जमाकर्ताओं साथ सीधे व्यवहार करता है?

नहीं । किसी बैंक के परिसमापन की स्थिति में परिसमापक जमाकर्तावार दावा सूची तैयार करता है और संवीक्षा तथा भुगतान हेतु डीआईसीजीसी को प्रेषित करता है। डीआईसीजीसी परिसमापक को भुगतान करता है जो जमाकर्ताओं को भुगतान करने के लिए जिम्मेदार है। बैंकों के समामेलन/विलय की स्थिति में प्रत्येक जमाकर्ता को देय राशि का भुगतान अंतरिती बैंक को किया जाता है।

प्रश्न 15 क्या कोई बीमाकृत बैंक डीआईसीजीसी कवरेज से अलग हो सकते हैं?

नहीं। जमा बीमा स्कीम अनिवार्य है और कोई बैंक इससे अलग नहीं हो सकता है।

प्रश्न 16 क्या डीआईसीजीसी किसी बैंक का बीमा कवरेज समाप्त कर सकता है?

यदि बीमाकृत बैंक लगातार तीन अवधियों तक प्रीमियम का भुगतान करने में विफल रहता है तो निगम उसका पंजीकरण रद्द कर सकता है। प्रीमियम के भुगतान में चूक के लिए डीआईसीजीसी द्वारा किसी भी बैंक से अपना कवरेज वापस लेने की स्थिति में जनता को समाचार पत्रों के माध्यम से सूचित किया जाएगा। यदि बैंक को नई जमा राशि प्राप्त करने से प्रतिबंधित किया जाता है; या इसका लाइसेंस रद्द कर दिया गया है या आरबीआई द्वारा लाइसेंस देने से इनकार कर दिया गया है; या इसे स्वेच्छा से या अनिवार्य रूप से समाप्त किया गया है; या यह बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 36ए(2) के अर्थ के तहत एक बैंकिंग कंपनी या सहकारी बैंक नहीं रह जाता है; या इसने अपनी सभी जमा देनदारियों को किसी अन्य संस्था को हस्तांतरित कर दिया है; या इसे किसी अन्य बैंक के साथ समामेलित किया गया है या किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा समझौता या व्यवस्था या पुनर्निर्माण की योजना को मंजूरी दी गई है और उक्त योजना नए जमा की स्वीकृति की अनुमति नहीं देती है, तो बीमित बैंक का पंजीकरण रद्द कर दिया जाता है। बैंक का पंजीकरण रद्द होने की स्थिति में, बैंक की जमा राशि, रद्द होने की तिथि तक बीमा द्वारा कवर की जाती है।

प्रश्न 17 पंजीकरण रद्द करने की स्थिति में बैंकों के प्रति निगम का क्या दायित्व है?

"बीमाकृत बैंकों" के परिसमापन आदि की स्थिति में अर्थात् ऐसे बैंक जिनका पंजीकरण निम्नलिखित कारणों से रद्द कर दिया गया है: (क) भविष्य में और जमाराशियां स्वीकार करने से प्रतिबंधित किया हो अथवा (ख) जिसका लाइसेंस रद्द कर दिया गया हो या यह पाये जाने पर कि लाइसेस नहीं दिया जा सकता है, उन बैंकों के प्रति जमा बीमा दायित्व है। इन मामलों में निगम का दायित्व बीमाकृत बैंक के रूप में बैंक का पंजीकरण रद्द किए जाने की तारीख तक जमाराशियों की सीमा तक है।

पंजीकरण रद्द किए गए अन्य बैंकों के परिसमापन आदि के संबंध में अर्थात ऐसे बैंक जिनका पंजीकरण प्रीमियम का भुगतान न करने अथवा डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 2(जीजी) के आशय के अंतर्गत पात्र सहकारी बैंकों के रूप में कार्य करना बंद कर दिया हो तो निगम का कोई दायित्व नहीं है।

नोटिस: ऊपर दी गई जानकारी निगम की जमा बीमा योजना के मूल प्रावधानों से अवगत कराने के लिए है। यह जानकारी गैर-तकनीकी प्रकृति की है और और निक्षेप बीमा योजना का विधिक आशय प्रदर्शित नहीं करती है।


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