2 मई 2013
वर्ष 2012-13 में समष्टि-आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियां
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज वर्ष 2012-13 की समष्टि-आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियां जारी की। यह दस्तावेज़ 3 मई 2013 को घोषित किए जाने वाले मौद्रिक नीति वक्तव्य 2013-14 की पृष्ठभूमि को दर्शाता है। मुख्य-मुख्य बातें इस प्रकार हैं :
समग्र संभावना
समष्टि-वित्तीय जोखिमों के लिए आगे सतर्क मौद्रिक नीति रुझान अपेक्षित है
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समष्टि-वित्तीय जोखिमों की दृष्टि से जो महत्वपूर्ण बने हुए हैं, हेडलाइन मुद्रास्फीति प्रारंभिक सीमा से ऊपर बनी हुई है तथा उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति उच्चतर बनी हुई है जिससे वर्ष 2013-14 के लिए कार्रवाई हेतु बहुत सीमित स्थान है। यदि इनमें से कुछ जोखिम सामने आते हैं तो दोनों दिशाओं में नीति को दुबारा सही करने की आवश्यका होगी।
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धीमी गति का सुधार बाद में वर्ष 2013-14 में उन्नत अभिशासन तथा खासकर मूलभूत सुविधा क्षेत्र में संरचनात्मक अवरोधों का समाधान करने में समेकित कार्रवाई पर निर्भर रहेते हुए संभावित है। उत्पादन अंतराल में कमी संभावित है लेकिन नकारात्मक बना हुआ है।
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हेडलाइन मुद्रास्फीति को व्यापक रूप से आधार प्रभाव के कारण दूसरी छमाही में कुछ कमी के पहले दबी हुई उत्पादक मूल्यांकन शक्ति तथा गिरती हुई वैश्विक पण्य वस्तु कीमतों के कारण पहली छमाही में कुछ और सुधार के साथ वर्ष 2013-14 में सीमाबद्ध रहने की संभावना है।
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बाहरी व्यवसायिक अनुमानकर्ताओं का रिज़र्व बैंक का सर्वेक्षण वर्ष 2013-14 में 5.0 प्रतिशत से 6.0 प्रतिशत तक वृद्धि के साथ एक हल्के सुधार तथा औसत थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति को 7.3 प्रतिशत से 6.5 प्रतिशत तक नरम रहने की आशा दर्शाता है। सर्वेक्षण यह दर्शाते हैं कि मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं में हल्का सुधार हुआ है जबकि कारोबार प्रत्याशाएं मंद है।
वैश्विक आर्थिक स्थितियां
वैश्विक वृद्धि में मंदी बनी रहनी संभावित है, पण्य वस्तु मूल्य मुद्रास्फीति नरम है
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वैश्विक वृद्धि वर्ष 2012 में कमज़ोर हुई है और यह आशा की जाती है कि यह वर्ष 2013 में मंद रहेगी। राजकोषीय समायोजन उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि को नीचे लाएंगे तथा उभरते हुए बाज़ार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में चक्रीय सुधार में देरी करेंगे।
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धातु और तेल सहित वैश्विक पण्य वस्तु कीमतों के लिए मामूली संभावना बनी हुई है। इससे व्यापक रूप से स्थायी विनिमय दर के अधीन आयातीत मुद्रास्फीति को कम करने में सहायता मिलेगी। तथापि, परिमाणात्क सहजता के भारी और निरंतर सहयोग से कुछ जोखिम बने हुए हैं।
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गैर पारंपरिक मौद्रिक नीति सरलता तथा समर्थक नीति कार्रवाईयों के परिणामस्वरूप वैश्विक वित्तीय बाज़ार स्थितियां सुधरी हैं। तथापि, उससे जुड़ी जोखिमें उल्लेखनीय बनी हुई हैं जिनके लिए तुलनपत्र एक्सपोजरों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध कार्रवाई किए जाने तथा संभावित आकस्मिक जोखिमों के विरूद्ध पर्याप्त बफर तैयार रखने की ज़रूरत है।
भारतीय अर्थव्यवस्था
उत्पादन
सेवा क्षेत्र में नरमी को देखते हुए अर्थव्यवस्था में मंदी बनी हुई है
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वर्ष 2012-13 के दौरान मंदी जारी थी क्योंकि खनन और विनिर्माण गतिविधि रुकी हुई थी, कृषि उत्पादन वर्षा में सामायिक और छिटपुट कमी के कारण प्रभावित हुआ था तथा सेवा क्षेत्र में नरमी आई थी। वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही में वृद्धि के न्यूनतर बने रहने की संभावना है।
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संरचनात्मक अवरोधों के कारण विकास लड़खड़ाया हुआ है। विद्युत, कोयला और प्राकृतिक गैस की कमी, गैर-कानूनी खनन पर कानूनी दबाव के बाद कुछ राज्यों में खनन कार्यकलाप में अवरोध औद्योगिक विकास के लिए प्रमुख बाध्यकारी के रूप में उभरे हैं। इस पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण उद्योगों ने अल्प निष्पादन किया है।
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रिज़र्व बैंक की आदेश पुस्तिकाएं, वस्तु सूची और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण यह दर्शाता है कि क्षमता उपयोग में मंदी वर्ष 2012-13 की तीसरी तिमाही में भी जारी रही। नए आदेशों में बहुत कम तेज़ी आई। बिक्री अनुपात के रूप में वस्तुसूची पिछली पांच तिमाहिओं में तैयार माल के लिए अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गई, किंतु कच्चे माल के लिए उच्चतम बिन्दु पर थी।
सकल मांग
निवेश चक्र में गिरावट जारी, उपभोग में नरमी
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वास्तविक उपभोग पर प्रतिकूल प्रभाव वाली मुद्रास्फीति और निवेश को बाधित करने वाले चक्रीय और संरचनात्मक कारकों के साथ कुल मांग में कमी रही। निवेश में गिरावट के साथ-साथ बचत दर में भी गिरावट रही क्योंकि मुद्रास्फीति के लगातार बने रहने से परिवारों की वित्तीय बचत घट गई।
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कंपनी बिक्री वृद्धि में वर्ष 2009-10 की तीसरी तिमाही के अपने निम्नतम स्तर से वर्ष 2012-13 की तीसरी तिमाही में सुधार हुआ। परिचालनात्मक लाभों में सकारात्मक दर से वृद्धि हुई।
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योजनाबद्ध कंपनी निवेश में वर्ष 2012-13 की तीसरी तिमाही में अधिक नरमी आई, जो वर्ष 2010-11 की दूसरी छमाही में शुरू हुई गिरावट के साथ जारी रही। निवेश और वृद्धि को पुनर्जीवित करने के लिए कोयला, विद्युत, सड़क और दूरसंचार क्षेत्रों में बाधाओं को तुरंत दूर करने की आवश्यकता है।
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वर्ष 2012-13 के मध्य से राजकोषीय समेकन में गति जारी है। इसके परिणामस्वरूप, राजकोषीय जोखिम कम हो गए हैं किंतु खत्म नहीं हुए हैं। यदि वृद्धि में और कमी आती है, तो इससे राजस्व में कमी हो सकती है और राजकोषीय जोखिम बढ़ सकते हैं।
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निजी निवेश को बढ़ाने के लिए संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने और सार्वजनिक निवेश प्रोत्साहन को हटाने से निवेश में गिरावट को रोका जा सकता है। तथापि, इसे सरकार के वर्तमान व्ययों में समायोजन कमी द्वारा संतुलित करने की आवश्यकता होगी।
बाह्य क्षेत्र
चालू खाता घाटे के जोखिम बने हुए हैं यद्यपि, वैश्विक पण्य वस्तुओं के मूल्यों में गिरावट से अस्थायी राहत मिली है
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वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही में निर्यात में हल्की वृद्धि और आयात में थोड़ी गिरावट होने से वर्ष 2012-13 की तीसरी तिमाही में उच्च रिकार्ड 6.7 प्रतिशत जीडीपी के बाद चौथी तिमाही में चालू खाता घाटे में सुधार में सहायता मिलने की संभावना है। इसके बावजूद, वर्ष 2012-13 के लिए चालू खाता घाटा/सकल घरेलू उत्पाद अनुपात से लगभग 5.0 प्रतिशत रहने की संभावना है जो जरूरी स्तर से दुगना है।
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वर्ष 2012-13 की तीसरी तिमाही में उच्च चालू खाता घाटे को प्रारक्षित निधियों में बिना किसी कमी के पूंजी प्रवाहों से पर्याप्त रूप से वित्तपोषित किया गया। वर्ष 2013-14 में चालू खाता घाटे को वैश्विक पण्य वस्तुओं के मूल्यों में नरमी आने से लाभ पहुंचने की संभावना है। फिर भी, इसकी धारणीयता उन आकस्मिक झटकों से जोखिम का सामना कर रही है जिससे पूंजी प्रवाहों में अवरोध आ सकता है या वे विपरीत हो सकते हैं।
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बाह्य संवेदनशीलता सूचक वर्ष 2012-13 की तीसरी तिमाही में और बदतर हो गए। व्यापक होते चालू खाता घाटे को पूरा करने के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार और लघु आवधिक उधारों पर निरंतर निर्भरता परिलक्षित करते हुए भारत का विदेशी ऋण बढ़ गया। अवशिष्ट परिपक्वता आधार पर लघु आवधिक ऋण दिसंबर 2012 के अंत तक कुल ऋण के 44 प्रतिशत और विदेशी मुद्रा निधियों के 56 प्रतिशत तक बढ़ गया।
मौद्रिक और चलनिधि स्थितियां
समष्टि-आर्थिक गतिविधियों और वृद्धि - मुद्रास्फीति गतिशीलता में परिवर्तन के कारण मौद्रिक स्थितियां विकसित हो सकती हैं।
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सीमित मौद्रिक विस्तार का प्रयोग करते हुए रिज़र्व बैंक ने संचयी रूप से नीति दरों को 100 आधार अंकों से घटाते हुए और पूर्णतया खुले बाज़ार परिचालनों के माध्यम से ` 1.5 ट्रिलियन की प्राथमिक चलनिधि अर्थव्यवस्था में डालते हुए सही तरीके से वर्ष 2012-13 के दौरान मौद्रिक नीति को सुगम बनाया। इसके अलावा उसने जनवरी 2012 से आरक्षित नकदी निधि अनुपात में कटौती करते हुए ` 1.3 ट्रिलियन की प्राथमिक चलनिधि अर्थव्यवस्था में डाली।
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व्यापक मुद्रा वृद्धि वर्ष 2012-13 के दौरान सांकेतिक सीमा में बनी रही और आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) में परिवर्तनों से समायोजित आरक्षित मुद्रा योग्य गति से बढ़ीं। तथापि, खाद्येतर ऋण वृद्धि सांकेतिक सीमा के नीचे बनी रही, जो वृद्धि में मंदी और बिगड़ती आस्ति गुणवत्ता से बैंकों के बीच जोखिम प्रतिकूलता को दर्शाती है।
वित्तीय बाज़ार
मज़बूत विदेशी संस्थागत निवेशक प्रवाह भारतीय रुपया और ईक्विटी बाज़ारों के लिए शुभ साबित हुए
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वर्ष 2012-13 में खासकर दूसरी छमाही में मज़बूत विदेशी संस्थागत निवेशक अंतर्वाह भारतीय ईक्विटी बाज़ारों और भारतीय रुपए के लिए शुभ साबित हुए। मुद्रा बाज़ार वर्ष के अंत में चलनिधि दबावों के बावजूद व्यवस्थित रहा।
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वर्ष 2012-13 के दौरान प्राथमिक बाज़ार मंद रहे, हालांकि म्यूचूअल निधियों और योग्यता प्राप्त संस्थागत नियोजन के कारण संसाधन जुटाने में वर्ष के दौरान कुछ गति आयी।
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रिज़र्व बैंक के आवास मूल्य सूचकांक में पिछली आठ तिमाहियों में 20 प्रतिशत के आस-पास वार्षिक वृद्धि बने रहने के साथ वर्ष 2012-13 की तीसरी तिमाही के दौरान वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई। लेनदेन की मात्रा ने तीसरी तिमाही के दौरान 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
मूल्य स्थिति
हेडलाइन मुद्रास्फीति में कमी के बावजूद मुद्रास्फीति जोखिम बनी हुई है
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हेडलाइन मुद्रास्फीति और मांग जनित दबाव कम हुए हैं, किंतु दो-अंकों में उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति, खाद्य आपूर्ति बाध्यताएं और डीज़ल, कोयला और बिजली सहित ऊर्जा खण्ड में दबी हुई मुद्रास्फीति में दर्शाई गई मुद्रास्फीति जोखिम बनी हुई है।
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मज़दूरी का निरंतर दबाव मुद्रास्फीति में कमी के लिए प्रमुख जोखिम बना हुआ है। हालांकि ग्रामीण मज़दूरी में वृद्धि की गति में कुछ कमी आयी है, फिर भी वह उच्च बनी हुई है।
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उच्च खाद्य मुद्रास्फीति और आवासीय किराया तथा यातायात लागत में वृद्धि जैसे अन्य कारकों के कारण थोक मूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति में भिन्नता बढ़ी है।
अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/1819 |