भा.रि.बैंक/विमुवि/2024-25/78
एपी (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 17/2024-25
01 अक्टूबर 2024
सेवा में,
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक और प्राधिकृत बैंक
महोदया / महोदय,
निदेश – फेमा,1999 के तहत उल्लंघनों की शमन
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) (जिसे इसके पश्चात फेमा,1999 संदर्भित किया गया है) की धारा-15 के प्रावधान उल्लंघनों का शमन (शमन) करने की अनुमति देते हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक को फेमा, 1999 की धारा 13 के तहत परिभाषित किसी भी उल्लंघन की, फेमा, 1999 की धारा 3 (ए) के अंतर्गत उल्लंघनों को छोड़कर, ऐसे उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के आवेदन पर, शमन करने का अधिकार प्रदान करते हैं। भारत सरकार ने 12 सितंबर 2024 की अधिसूचना जी.एस. आर. 566 (ई) के माध्यम से विदेशी मुद्रा (शमन कार्यवाही) नियम, 2000 को अधिक्रांत करते हुए विदेशी मुद्रा (शमन कार्यवाही) नियम, 2024 को अधिसूचित किया है।
2. तदनुसार, पहले के परिपत्रों के माध्यम से जारी निदेशों की समीक्षा की गयी है एवं इस परिपत्र द्वारा जिन परिपत्रों का अधिक्रमण किया गया है, उनकी सूची परिशिष्ट में दी गयी है।
3. इसके अलावा, फेमा, 1999 की धारा 11 (2) के अनुसार, रिज़र्व बैंक इस अधिनियम के प्रावधानों या इसके तहत बनाए गए किसी नियम, विनियमन, और इसके अंतर्गत जारी किसी अधिसूचना, निदेश या आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करवाने के उद्देश्य से किसी प्राधिकृत व्यक्ति को कोई जानकारी, उस तरीके से जैसा वह उचित समझे, प्रस्तुत करने का निदेश दे सकता है। इसलिए, प्राधिकृत व्यापारियों को सूचित किया जाता है कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएँ कि विदेशी मुद्रा लेनदेन करने और उसकी रिपोर्टिंग से संबंधित जो प्रणालियाँ हैं, उनमें नियंत्रण और संतुलन सुनिश्चित किया जाए ताकि प्राधिकृत व्यापारियों के कारण फेमा, 1999 के प्रावधानों का उल्लंघन न हो। इस संबंध में, एक बार पुन: यह उल्लेख किया जाता है कि फेमा, 1999 की धारा 11 (3) के अनुसार, रिज़र्व बैंक इस अधिनियम के तहत रिज़र्व बैंक द्वारा दिए गए किसी भी निदेश का उल्लंघन करने या रिज़र्व बैंक द्वारा निदेशित किसी भी विवरणी को दाखिल करने में विफल रहने पर प्राधिकृत व्यक्ति पर जुर्माना लगा सकता है।
4. सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक और प्राधिकृत बैंक इस परिपत्र में निहित दिशा-निर्देशों से अपने घटकों को अवगत करा दें।
भवदीय
(डॉ. आदित्य गेहा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
फेमा,1999 के तहत उल्लंघनों के शमन हेतु दिशानिर्देश
1. सामान्य
1.1 फेमा, 1999 की धारा 15 की उप-धारा (1) के साथ पठित धारा-46 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) (इसके बाद 'फेमा, 1999' से संदर्भित) के तहत उल्लंघनों के शमन से संबंधित विदेशी मुद्रा (शमन कार्यवाही) नियम, 2024 (इसके पश्चात् ' शमन नियम, 2024' के रूप में संदर्भित) तैयार/ अधिसूचित किया है।
1.2 फेमा, 1999 की धारा 15 के अनुसरण में, फेमा 1999 की धारा 13 के अधीन किसी भी उल्लंघन (अधिनियम की धारा 3 (क) को छोड़कर), का शमन ऐसे उल्लंघन करने वाले व्यक्ति द्वारा किए गए आवेदन पर (जिसे इसके पश्चात् 'आवेदक' के रूप में संदर्भित किया गया है) आवेदन की प्राप्ति की तारीख से एक सौ अस्सी दिनों के भीतर, जैसा कि शमन नियम, 2024 के नियम 4 में निर्धारित किया गया है, रिज़र्व बैंक के अधिकारियों द्वारा किया जा सकता है।
1.3 तदनुसार, फेमा, 1999 की धारा 13(1) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति फेमा, 1999 के किसी प्रावधान का उल्लंघन करता है अथवा इस अधिनियम के तहत प्रत्यायोजित की गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किये गये किसी नियम, विनियम, अधिसूचना, निदेश अथवा आदेश का उल्लंघन करता है अथवा ऐसी किसी शर्त, जिसके लिए रिज़र्व बैंक द्वारा निदेश जारी किया गया है, का उल्लंघन करता है तो वह न्यायनिर्णयन के उपरांत, जहाँ उल्लंघन की राशि गणना योग्य है वहाँ उल्लंघन में निहित राशि से तीन गुनी राशि अथवा जहां उल्लंघन राशि सीधे गणन योग्य नहीं है, वहाँ दो लाख रूपयों तक दण्ड का भागीदार होगा। यदि उल्लंघन सतत रूप से हो रहा है तो इस प्रकार के निरंतर उल्लंघन के लिए अतिरिक्त दण्ड, जो उल्लंघन की पुनरावृत्ति के पहले दिन के बाद अगले दिन से प्रत्येक दिन के लिए पाँच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
1.4 तदनुसार, फेमा, 1999 की धारा 15(1) में निर्दिष्ट उल्लंघनों के शमन की सुविधा विदेशी मुद्रा लेनदेन में शामिल व्यक्ति को प्रदान की गई है, ताकि जहां भी अधिनियम या अधिनियम के तहत जारी नियमों और विनियमों का उल्लंघन शामिल हो, वहां अनुपालन के बोझ और लागत को कम किया जा सके। हालाँकि, शमन नियम के नियम 4(2) और नियम 9 के अंतर्गत आने वाले मामलों के उल्लंघन का शमन नहीं किया जाएगा।
2. रिज़र्व बैंक द्वारा उल्लंघनों की शमन
2.1 परिचालनगत सुविधा के लिए, अधिनियम के अंतर्गत जारी नियमावली और/या विनियमावली के उल्लंघन का शमन क्षेत्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक के शमन प्राधिकारियों द्वारा किया जाएगा।
दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना संख्या फेमा 20/2000-आरबी के तहत विनियम |
दिनांक 07 नवम्बर 2017 की अधिसूचना संख्या फेमा 20(आर)/2017-आरबी के तहत विनियम |
दिनांक 17 अक्तूबर 2019 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (गैर-कर्ज़ लिखत) नियमावली, 2019 के तहत नियम |
दिनांक 17 अक्तूबर 2019 की अधिसूचना संख्या फेमा 395/2019-आरबी के तहत विनियम |
अनुसूची-। का पैराग्राफ-9 (1) (ए) |
विनियम 13.1(1) |
नियम 5 के साथ पठित नियम 2(के) |
विनियम 3.1(I)(ए) |
अनुसूची-। का पैराग्राफ-9 (1) (बी) |
विनियम 13.1(2) |
नियम 21 |
विनियम 4 (1) |
अनुसूची-। का पैराग्राफ-9 (2) |
विनियम 13.1(3) |
अनुसूची-I का पैराग्राफ 3 (बी) (भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा सरकार के अनुमोदन के बिना, जहाँ भी आवश्यक हो, शेयरों का निर्गमन) |
विनियम 4 (2) |
अनुसूची-। का पैराग्राफ 8 |
अनुसूची-। का पैराग्राफ 2 |
नियम - 4 (किसी अनिवासी से भारत में निवेश प्राप्त करना अथवा निवेशग्राही कंपनी द्वारा शेयरों के अंतरण को रिकॉर्ड में लेना) |
विनियम 4 (3) |
अनुसूची-। का पैराग्राफ 5 |
विनियम 11 |
नियम 9(4) एवं नियम 13(3) |
विनियम 4 (6) |
विनियम 5(1) के साथ पठित विनियम 2(ii) |
विनियम 5 के साथ पठित विनियम 2(v) |
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विनियम 4 (7) |
अनुसूची-। का पैराग्राफ 2 अथवा 3
(भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा सरकार के अनुमोदन के बिना शेयरों का निर्गम, जहाँ अनुमोदन लेना आवश्यक हो) |
विनियम 16. बी.
(भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा सरकार के अनुमोदन के बिना शेयरों का निर्गम, जहाँ अनुमोदन लेना आवश्यक हो) |
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विनियम 4 (11) |
अनुसूची-। के पैराग्राफ 10 के साथ पठित विनियम 10A (b) (i) |
विनियम 13.1(4) |
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अनुसूची-। के पैराग्राफ 10 के साथ पठित विनियम 10B (2) |
विनियम 4. (किसी अनिवासी से भारत में निवेश प्राप्त करना अथवा किसी निवेशग्राही कंपनी द्वारा शेयरों के अंतरण को रेकॉर्ड पर लेना) |
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विनियम-4 (किसी अनिवासी से भारत में निवेश प्राप्त करना अथवा किसी निवेशग्राही कंपनी द्वारा शेयरों के अंतरण को रेकॉर्ड पर लेना) |
विनियम 13.1(11) |
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विनियम-14(6)(ii)(a) |
विनियम 13.1(7) विनियम 13.1(8) |
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अनुसूची-9 के पैराग्राफ 7(1) (दिनांक 02.03.2017 तक की अवधि हेतु) तथा पैराग्राफ 6(1) (दिनांक 03.03.2017 से 06.11.2017 अवधि तक) |
विनियम 10(5) |
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विनियम 10 (ए) (a) |
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2.2 संपर्क/शाखा/परियोजना कार्यालय (LO/BO/ PO), अनिवासी विदेशी खाता (NRFAD) और अचल संपत्ति (IP) से संबंधित नियमावली और/या विनियमावली के उल्लंघन का शमन भारतीय रिज़र्व बैंक के नई दिल्ली कार्यालय में एफईडी, सीओ, सेल से संबद्ध शमन प्राधिकारियों द्वारा किया जाएगा:
फेमा अधिसूचना |
फेमा 7/2000-आरबी, दिनांक 03-05-2000 / फेमा 7(आर)/2015-आरबी, दिनांक 21.01.2016 / विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) विनियमावली, 2022 का नियम 21, दिनांक 22-08-2022 |
फेमा 21/2000-आरबी, दिनांक 3-5-2000 / फेमा 21(आर)/2018-आरबी, दिनांक 26-3-2018/दिनांक 17.10.2019 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (गैर-कर्ज़ लिखते) नियमावली, 2019 का चैप्टर –IX |
फेमा 22/2000-आरबी, दिनांक 3-5-2000 / फेमा 22(आर)/2016-आरबी, दिनांक 31-03-2016 |
फेमा 5/2000-आरबी, दिनांक 3-5-2000 / फेमा 5(आर)/2016-आरबी, दिनांक 01-04-2016 |
2.3 तदनुसार, उपर्युक्त उल्लंघनों से संबंधित शमन आवेदन आवेदकों द्वारा उन क्षेत्रीय कार्यालयों को प्रेषित करने होंगे, जिनके अधिकार क्षेत्र में वे स्थित हैं या नई दिल्ली में एफईडी, सीओ सेल को प्रस्तुत किए जाएंगे। जहाँ तक क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा अधिकार क्षेत्र के निर्धारण का प्रश्न है, विदेशी निवेश से जुड़े उल्लंघनों (जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है) के शमन से संबंधित कोई भी आवेदन उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किया जाना है जिसके क्षेत्राधिकार में संबंधित निवेशग्राही भारतीय कंपनी का पंजीकृत कार्यालय स्थित हो।
2.4 अन्य सभी उल्लंघनों के लिए, आवेदन पत्र फेमा के प्रभावी कार्यान्वयन कक्ष (CEFA), विदेशी मुद्रा विभाग, 11 वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, फोर्ट, मुंबई-400001 को प्रस्तुत किए जाएंगे।
3. शमन हेतु आवेदन
3.1 आवेदनकर्ता शमन हेतु आवेदन संबंधित दस्तावेजों के साथ, भौतिक रूप से या रिज़र्व बैंक के प्रवाह (PRAVAH) पोर्टल के माध्यम से प्रस्तुत कर सकता है। ऐसा या तो अपनी इच्छा से या रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उल्लंघन ज्ञापन के आधार पर किया जा सकता है। यदि आवेदक रिज़र्व बैंक द्वारा उल्लंघन ज्ञापन जारी किए जाने की तारीख के बाद, उक्त उल्लंघन ज्ञापन में बताई गई अवधि के भीतर शमन का विकल्प नहीं चुनता है, तब फेमा, 1999 के संबंधित प्रावधान लागू होंगे।
3.2 शमन के लिए सभी आवेदनों को ₹10,000/- (साथ में यथालागू जीएसटी, जो वर्तमान में 18% है) के निर्धारित शुल्क के साथ प्रस्तुत किया जाएगा जिसका भुगतान “भारतीय रिज़र्व बैंक” के पक्ष में आहरित और संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय/ सीओ सेल, नई दिल्ली/ केंद्रीय कार्यालय में भुगतान योग्य डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से अथवा राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (NEFT) के माध्यम से या किसी अन्य स्वीकार्य इलेक्ट्रॉनिक या ऑनलाइन भुगतान माध्यम से किया जाना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान करने के लिए आवश्यक ब्योरा अनुबंध I में दिया गया है। यह सुनिश्चित किया जाए कि आवेदन शुल्क के भुगतान की सूचना, संबंधित आरओ, सीओ सेल या केंद्रीय कार्यालय को, जैसा भी मामला हो, अनुबंध I के पैरा बी में दिए गए टेम्पलेट के अनुसार ईमेल के माध्यम से यथाशीघ्र, लेकिन भुगतान समय से 2 घंटे से अधिक अवधि के बाद नहीं, भेज दी जाए। ऐसे मामलों में, शमन हेतु आवेदन के साथ आवेदन शुल्क के भुगतान को प्रमाणित करने वाले यूटीआर नंबर सहित भुगतान का ब्योरा संलग्न किया जाना चाहिए।
3.3 आवेदन पत्र का फॉर्मेट शमन नियम, 2024 के परिशिष्ट में दिया गया है। रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किए जाने वाले आवेदन में संपर्क ब्योरा जैसे कि, आवेदक/ आवेदक द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या उसके प्रतिनिधि का नाम, टेलीफोन/ मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी शामिल होना चाहिए।
3.4 निर्धारित प्रारूप में शमन आवेदन के साथ, आवेदक को अनुबंध-II के अनुसार विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, बाह्य वाणिज्यिक उधार, पारदेशीय प्रत्यक्ष निवेश और यथालागू शाखा कार्यालय/ संपर्क कार्यालय से संबंधित ब्यौरा; संस्था के बहिर्नियम (Memorandum of Association) की एक प्रति, यदि उपलब्ध हो तो, नवीनतम लेखापरीक्षित तुलन-पत्र और प्रवर्तन निदेशालय (डीओई) द्वारा पूछताछ/ अन्वेषण / न्याय-निर्णयन के संबंध में अनुबंध-III के अनुसार एक वचन-पत्र भी संलग्न किया जाए।
3.5 यदि आवेदक द्वारा प्रशासनिक कार्रवाई पूरी नहीं की गई है या आवेदन अधूरा है या आवेदक द्वारा आवेदन शुल्क का भुगतान नहीं किया गया है तो उस स्थिति में शमन आवेदन वापस कर दिया जाएगा। आवेदन शुल्क, यदि इसका भुगतान किया जा चुका है, तो शमन आवेदन वापस किए जाने पर उसे वापस नहीं किया जाएगा। हालाँकि, यदि ऐसे आवेदन पुनः प्रस्तुत किये जाते हैं, तो आवेदन शुल्क का पुनः भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है।
3.6 आवेदकों को यह भी सूचित किया जाता है कि रिज़र्व बैंक के पास शमन आवेदन लंबित होने के दौरान यदि आवेदक के पते/संपर्क विवरण में कोई परिवर्तन होता है तो इसकी सूचना शमन प्राधिकारी को दी जाए।
3.7 यदि कोई आवेदन अपूर्ण है और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा आवेदक को कोई आवश्यक जानकारी या दस्तावेज़ निर्धारित समय के भीतर प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाती है, तो ऐसी जानकारी या दस्तावेज़ प्राप्त होने की तिथि को, जैसा भी मामला हो, आवेदन प्राप्ति की तिथि माना जाएगा।
4. मामले जो शमन हेतु पात्र नहीं हैं
4.1 किसी व्यक्ति (आवेदक) द्वारा किया गया कोई उल्लंघन जिसका शमन जिस तारीख को किया गया था, उस तारीख से अगले तीन वर्षों की अवधि के भीतर उसी प्रकार के उल्लंघन की पुनरावृत्ति होने पर उसका शमन नहीं किया जाएगा और उस पर अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधान लागू होंगे। पूर्व में किए गए उल्लंघन के शमन की तारीख से तीन वर्षों की अवधि की समाप्ति के बाद किये गये किसी उल्लंघन को पहला उल्लंघन समझा जाएगा।
4.2 जब तक आवेदक द्वारा अपेक्षित प्रशासनिक कार्रवाई पूरी नहीं कर ली जाती, तब तक शमन हेतु किसी भी आवेदन पर कार्रवाई नहीं की जाएगी।
स्पष्टीकरण: प्रशासनिक कार्रवाई का अर्थ है ऐसी कार्रवाई जो संबंधित लेन-देन के संदर्भ में आवश्यक हो (शमन नियम, 2024 के नियम 8(1) के अनुसार) और इसमें वह सुधारात्मक कार्रवाई शामिल होगी जो आवेदक द्वारा उल्लंघन में शामिल लेनदेन को फेमा के लागू प्रावधानों के अनुपालन में लाने के लिए की जाएगी। ऐसी प्रशासनिक कार्रवाइयों की एक सांकेतिक (लेकिन संपूर्ण नहीं) सूची निम्नानुसार है:
(i) संबंधित मामले में सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक, या किसी अन्य वैधानिक प्राधिकरण से आवश्यक अनुमतियाँ/स्वीकृतियाँ प्राप्त करना;
(ii) मोचन/ लेन-देन को वापस लेना;
(iii) मिलने वाली प्राप्य राशि का प्रत्यावर्तन;
(iv) मूल्य निर्धारण दिशानिर्देशों का अनुपालन या मूल्यांकन प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना;
(v) रिपोर्टिंग से जुड़ी अपेक्षाओं का अनुपालन;
(vi) कोई अन्य ऐसी सुधारात्मक कार्रवाई, जो अपेक्षित हो
4.3 गंभीर प्रकृति के उल्लंघन, जैसे धन-शोधन, आतंकवाद का वित्तपोषण, या राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को प्रभावित करने वाले लेन-देन, या जहाँ उल्लंघनकर्ता शमन आदेश के अनुसार निर्दिष्ट अवधि के भीतर शमन राशि का भुगतान करने में विफल रहता है, ऐसे मामलों को आगे की जांच और अधिनियम के तहत आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रवर्तन निदेशालय (DoE) को संदर्भित किया जाएगा।
4.4 इसके अलावा, शमन कार्यवाही नियम, 2024 के नियम 9 के अनुसार, ऐसे लेनदेन, जिनमें शामिल राशि का मात्रात्मक आकलन संभव ना हो, अथवा जिस पर अधिनियम की धारा 37ए के प्रावधान लागू होते हों, या जहां न्यायाधिकरण प्राधिकारी ने अधिनियम की धारा 13 के तहत जुर्माना लगाने का आदेश पहले ही पारित कर दिया हो, या जिसके संबंध में डीओई का यह मानना हो कि उक्त शमन कार्यवाही धन शोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण से संबंधित है या इससे राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता प्रभावित होने जैसी गंभीर आशंका हो, तो ऐसे लेनदेन से जुड़े उल्लंघन रिज़र्व बैंक द्वारा शमनीय नहीं होंगे।
4.5 इसके अलावा, शमन नियमावली, 2024 के नियम 4(1) के अनुसार अधिनियम की धारा 3(ए) का उल्लंघन करने वाले लेनदेन रिज़र्व बैंक द्वारा शमन के लिए पात्र नहीं होंगे।
4.6 यह स्पष्ट किया जाता है कि जब भी किसी उल्लंघन की पहचान भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की जाती है या उल्लंघन में शामिल संस्था द्वारा इसकी सूचना उसे प्राप्त होती है, तो भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात की जांच करेगा कि क्या:
(i) ऐसे उल्लंघनों का शमन किया जा सकता है, और आवश्यक शमन प्रक्रिया का पालन किया जा सकता है या
(ii) इससे जुड़े हुए मुद्दे संवेदनशील/ गंभीर प्रकृति के हैं और इसलिए, उन्हें न्यायनिर्णय या आगे की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (DoE) को संदर्भित करने की आवश्यकता है।
5. शमन की प्रक्रिया
5.1 आवेदन प्राप्त होने पर, रिज़र्व बैंक दस्तावेजों तथा आवेदन में किये गये प्रस्तुतीकरण के आधार पर आवेदन की जाँच करेगा और निर्धारित किया जाएगा कि उल्लंघन को शमन कार्यवाही नियम, 2024 के अनुसार शमन किया जा सकता है और यदि हां, तो उल्लंघन में कितनी राशि शामिल है।
5.2 शमन प्राधिकारी शमन प्रक्रिया से संबंधित किसी प्रकार की अतिरिक्त जानकारी, तथा अन्य दस्तावेजों की माँग कर सकते हैं। यदि उल्लंघनकर्ता अतिरिक्त जानकारी/दस्तावेज विनिर्दिष्ट की गयी अवधि के भीतर प्रस्तुत करने में असफल होता है तो शमन के लिए प्राप्त आवेदन वापस किया जा सकता है।
5.3 निम्नलिखित घटक, जो केवल निदर्शी हैं, शमन आदेश पारित करने के प्रयोजन और उल्लंघन की राशि के निर्धारण, जिसके बाबत भुगतान किए जाने पर, शमन की जानी है, के लिए विचारार्थ लिये जाएंगे:
(i) अनुचित लाभ, अर्थात्, उल्लंघन के परिणामस्वरूप प्राप्त अनुचित लाभ की राशि, जहां कहीं भी मात्रात्मक हो, (या) विलंबित अनुपालन या अनुपालन से बचने से उल्लंघनकर्ता को होने वाले आर्थिक लाभ;
(ii) उल्लंघन के परिणामस्वरूप किसी प्राधिकारी/राजकोष को हुई हानि की राशि;
(iii) उल्लंघन का पुनरावर्तीय स्वरूप, उल्लंघनकर्ता के गैर-अनुपालन का ट्रैक रिकार्ड और/अथवा इतिहास;
(iv) लेनदेन करते समय उल्लंघनकर्ता का आचरण तथा आवेदन पत्र में और वैयक्तिक सुनवाई के दौरान प्रस्तुतीकरण में पूरे तथ्यों का प्रकटीकरण और कोई अन्य घटक जो उससे संबंधित तथा यथोचित हो।
5.4 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम की धारा-13 के उपबंधों के अनुसार लगाई गई शमन राशि उल्लंघनगत राशि के तीन गुना तक हो सकती है। नीचे दिये गए मार्गदर्शी नोट (guidance note) के अनुसार शमन राशि का आकलन किया जा सकता है। तथापि, ध्यान रहे कि यह मार्गदर्शी नोट (guidance note) भारतीय रिज़र्व बैंक के शमन प्राधिकारियों द्वारा लगाई जाने वाली राशि को मोटे-तौर पर दर्शाता है। वास्तविक शमन राशि नीचे दिए गए पैराग्राफ में उल्लिखित तथ्यों को ध्यान में रखते हुए एवं मामले की परिस्थितियों के अनुसार कभी-कभी भिन्न हो सकती है।
I. आकलन के साँचे (Computation Matrix) पर मार्गदर्शी नोट (guidance note)
उल्लंघन का प्रकार |
प्रचलित सिद्धान्त |
1] रिपोर्टिंग/प्रस्तुति के प्रावधानों के तहत उल्लंघन
i) फेमा 20/ फेमा 20 (आर)/ फेमा 395
ii) फेमा 3/ फेमा 2(आर)
iii) फेमा 120/ फेमा 400
iv) अन्य कोई उल्लंघन (पंक्ति-2 और एलओ/बीओ/पीओ में नीचे दिये गए को छोडकर) |
निश्चित राशि : रुपये 10000/- (एक शमन आवेदन में प्रत्येक विनियमन/नियम के उल्लंघन के लिए एक बार लागू किया गया)+
परिवर्तनशील राशि:
उल्लंघन के अंतर्गत राशि (भारतीय रुपये में) |
लगाई जा सकने वाली शमन राशि (भारतीय रुपये में) |
रुपये 10 लाख से कम |
1000 प्रतिवर्ष |
रुपये 10 से अधिक और 40 लाख से कम |
2500 प्रतिवर्ष |
रुपये 40 लाख से अधिक और 100 लाख से कम |
7000 प्रतिवर्ष |
रुपये 1 करोड़ से अधिक और 10 करोड़ से कम |
50000 प्रतिवर्ष |
रुपये 10 करोड़ से अधिक और 100 करोड़ से कम |
100000 प्रतिवर्ष |
रुपये 100 करोड़ और उस से अधिक |
200000 प्रतिवर्ष |
|
v) LO/BO/PO द्वारा रिपोर्टिंग संबंधी उल्लंघन |
उपर्युक्त के अनुसार, 2 लाख रुपये की अधिकतम सीमा के अधीन। परियोजना कार्यालय के मामले में, शमन की राशि परियोजना की कुल कीमत के 10% पर आकलित की जाएगी। |
2] AAC/ APR/FLAR/ शेयर प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना प्रस्तुत न करना/ देरी से प्रस्तुत करना
i. एपीआर/शेयर प्रमाणपत्र (फेमा 120/फेमा 400) या
ii. एएसी (फेमा 22/फेमा 22(आर)) या
iii. एफसीजीपीआर (बी) या एफएलए विवरणी - फेमा 20 / फेमा 20 (आर) / फेमा 120 / फेमा 395 / फेमा 400 |
प्रत्येक AAC/APR/FCGPR (B) /एफ़एलएआर की विलंबित विवरणी हेतु रुपये 10000/- प्रति विवरणी। शेयर प्रमाणपत्रों का विलंब से प्राप्त होना – रुपये 10000/- प्रतिवर्ष, यह राशि कुल निवेश राशि के 300% की अधिकतम सीमा के अधीन होगी । |
3]
ए] आबंटन / रिफ़ंड विदेशी निवेश के लिए निर्धारित अवधि के बाद शेयरों का आवंटन न करना या आवंटन/वापसी
B] उल्लंघन
एलओ/बीओ/पीओ द्वारा (जैसा कि ऊपर पैरा 1(v) में उल्लेख किया गया है) रिपोर्टिंग उल्लंघनों के अलावा अन्य उल्लंघन) |
निश्चित राशि: रुपये 30000/- (एक शमन आवेदन में प्रत्येक विनियमन/नियम के उल्लंघन के लिए एक बार लागू किया गया)+
परिवर्तनशील राशि:
विलंब/गैर-प्रस्तुति की अवधि, जैसा लागू हो |
परिवर्तनशील राशि जो "उल्लंघन के अंतर्गत राशि" के प्रतिशत के रूप में लगाई जा सकती है |
1 वर्ष से कम |
0.30% |
1 वर्ष और उससे अधिक परन्तु 2 वर्ष से कम |
0.35% |
2 वर्ष और उससे अधिक परन्तु 3 वर्ष से कम |
0.40% |
3 वर्ष और उससे अधिक परन्तु 4 वर्ष से कम |
0.45% |
4 वर्ष और उससे अधिक परन्तु 5 वर्ष से कम |
0.50% |
5 वर्ष या उससे अधिक |
0.75% |
(परियोजना कार्यालय के मामले में, उल्लंघन की राशि परियोजना की कुल कीमत के 10% पर आकलित की जाएगी।) |
4] किसी भी गारंटी जारी करने से संबंधित कोई भी उल्लंघन (उल्लंघन की रिपोर्टिंग के अलावा) |
निश्चित राशि: रुपये 500000/- (एक शमन आवेदन में प्रत्येक विनियमन/नियम के उल्लंघन के लिए एक बार लागू किया गया)+
परिवर्तनशील राशि:
उल्लंघन की अवधि |
परिवर्तनशील राशि जो "उल्लंघन के अंतर्गत राशि" के प्रतिशत के रूप में लगाई जा सकती है |
1 वर्ष से कम |
0.050% |
1 वर्ष और उससे अधिक परन्तु 2 वर्ष से कम |
0.055% |
2 वर्ष और उससे अधिक परन्तु 3 वर्ष से कम |
0.060% |
3 वर्ष और उससे अधिक परन्तु 4 वर्ष से कम |
0.065% |
4 वर्ष और उससे अधिक परन्तु 5 वर्ष से कम |
0.070% |
5 वर्ष या उससे अधिक |
0.075% |
यदि उल्लंघन में ऋण जुटाने के लिए गारंटी जारी करना शामिल है, जिसे भारत में वापस निवेश किया जाता है, तो लगाई गई राशि तीन गुनी हो सकती है। |
5] अन्य सभी गैर-रिपोर्टिंग उल्लंघन |
निश्चित राशि: रुपये 500000/- (एक शमन आवेदन में प्रत्येक विनियमन/नियम के उल्लंघन के लिए एक बार लागू किया गया)+
उल्लंघन की अवधि |
परिवर्तनशील राशि जो "उल्लंघन के अंतर्गत राशि" के प्रतिशत के रूप में लगाई जा सकती है |
1 वर्ष से कम |
0.50% |
1 वर्ष और उससे अधिक परन्तु 2 वर्ष से कम |
0.55% |
2 वर्ष और उससे अधिक परन्तु 3 वर्ष से कम |
0.60% |
3 वर्ष और उससे अधिक परन्तु 4 वर्ष से कम |
0.65% |
4 वर्ष और उससे अधिक परन्तु 5 वर्ष से कम |
0.70% |
5 वर्ष या उससे अधिक |
0.75% |
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II. उपर्युक्त राशियाँ निम्नलिखित परंतुको (proviso) के अधीन हैं, यथा: -
(i) देय शमन राशि उल्लंघन में शामिल राशि के 300% से अधिक न हों।
(ii) रिपोर्टिंग संबंधी उल्लंघनों के मामलों में यदि उल्लंघन में शामिल राशि 1 लाख रुपये से कम हो, तो ऐसे मामलों में शमन राशि उल्लंघन में शामिल राशि और उल्लंघन अवधि के लिए प्रतिवर्ष 5% सामान्य ब्याज की दर से आकलित की राशि से अधिक न हों, अन्य सभी उल्लंघनों के मामलों में ये राशि 10% प्रतिवर्ष की दर पर होगी।
(iii) फेमा 20/2000-आरबी की अनुसूची-I के पैराग्राफ 8 संबंधी उल्लंघनों के मामलों में, देय शमन राशि को निम्न प्रकार श्रेणीबद्ध किया गया है:
-
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना यदि 180 दिनों के बाद शेयर आबंटित किए जाए, तो उपर्युक्त टेबल में आकलित की गई राशि के अनुसार दण्ड की राशि 1.25 गुना होगी (उपर्युक्त (i) और (ii) शर्तों के अधीन)।
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यदि शेयर आबंटित न किए जाए और रिज़र्व बैंक की अनुमति से 180 दिनों के पश्चात राशि लौटाई जाए, तो उपर्युक्त टेबल में आकलित की गई राशि के अनुसार दण्ड की राशि 1.50 गुना होगी (उपर्युक्त (i) और (ii) शर्तों के अधीन)।
-
यदि शेयर आबंटित न किए जाए और रिज़र्व बैंक की अनुमति के बिना 180 दिनों के पश्चात राशि लौटाई जाए, तो उपर्युक्त टेबल में आकलित की गई राशि के अनुसार दण्ड की राशि 1.75 गुना होगी (उपर्युक्त (i) और (ii) शर्तों के अधीन)।
(iv) उन मामलों में, जहां यह स्पष्ट हो जाता है कि उल्लंघनकर्ता द्वारा अनुचित लाभ प्राप्त किया गया है, ऐसे मामलों में उपर्युक्त साँचे के अनुसार आकलित की गई शमन राशि में जोड़कर यथोचित सीमा तक उसे न्यूट्रलाइज (संतुलित) किया जा सकता है।
(v) यदि कोई आवेदक जिसे पहले एक शमन आदेश पारित किया गया था और आवेदक ने ऐसे आदेश में उल्लिखित शमन राशि का भुगतान नहीं किया है और उसी लेनदेन के उल्लंघन के शमन के लिए पुनः आवेदन करता है, तो उक्त के अनुसार गणना की गई राशि को उपरोक्त उप-पैरा (i) के अधीन पहले शमन राशि से 50% तक बढ़ाया जा सकता है।
III. उक्त साँचे के पैरा-I.1 रिपोर्टिंग संबंधी उल्लंघनों के तहत शमन राशि के आकलन हेतु उल्लंघन की अवधि को समानुपातिक दर से {(लगभग अगले उच्चतम माह में पूर्णांकित÷12) x एक वर्ष अवधि की राशि} आकलित किया जाएगा। दिनों की कुल संख्या में रविवार /अवकाश के दिनों को भी शामिल किया जाएगा।
उपरोक्त मैट्रिक्स के परिच्छेद I.1 के तहत रिपोर्टिंग उल्लंघनों के संबंध में संपूर्ण राशि की गणना के लिए, उल्लंघन की अवधि को आनुपातिक रूप से माना जा सकता है {(लगभग अगले उच्चतम महीने तक पूर्णांकित ÷ 12) X 1 वर्ष के लिए राशि}। कुल दिनों की संख्या में रविवार/अवकाश शामिल हैं।
6. शमन आदेश जारी करना
6.1 शमन प्राधिकारी आवेदन में किए गए प्राकथन और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान उल्लंघनकर्ता द्वारा इस संबंध में प्रस्तुत दस्तावेजों और प्रस्तुतीकरणों के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऐसे शमन आवेदन की प्राप्ति की तारीख से यथा शीघ्र परंतु 180 दिनों के भीतर आवेदक को सुनवाई का अवसर देने के बाद शमन आदेश पारित करेगा।
6.2 शमन एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है और यह उन्हीं उल्लंघनों के लिए है जिन्हें स्वीकार किया जा चुका है, अत: यदि आवेदक व्यक्तिगत सुनवाई का विकल्प चुनता है, तो रिज़र्व बैंक आवेदक को इस बात के लिए प्रोत्साहित करता है कि वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर या वर्चुअल माध्यम से जुड़कर शमन कार्यवाही में भाग ले, न कि कानूनी विशेषज्ञों/ सलाहकारों को अपना प्रतिनिधि बनाकर अथवा उन्हें साथ ला कर। शमन आदेश में उल्लिखित की जाने वाली शमन राशि इस बात से प्रभावित नहीं होती कि आवेदक ने व्यक्तिगत रूप से सुनवाई के लिए उपस्थित होने का विकल्प चुना है अथवा इससे बाहर रहने का। यदि आवेदक व्यक्तिगत सुनवाई का विकल्प नहीं चुनता है या सुनवाई के दिन अनुपस्थित रहता है, तो शमन प्राधिकारी उपलब्ध सूचना/ दस्तावेजों के आधार पर आदेश पारित कर सकता है।
6.3 शमन आदेश में उल्लंघन के ब्योरों के साथ जिस संबंध में उल्लंघन किया गया है, उस संबंध में फेमा, 1999 के प्रावधान अथवा फेमा, 1999 के अधीन अधिकारों का प्रयोग करते हुए बनाए गए नियम, विनियम, अधिसूचना, निदेश अथवा आदेश विनिर्दिष्ट किए जाएंगे।
6.4 जब फेमा, 1999 की धारा 16 की उप-धारा (3) के अधीन शिकायत किये जाने के बाद किसी उल्लंघन का शमन किया गया हो, तब शमन आदेश की एक प्रति आवेदक को तथा न्यायनिर्णय प्राधिकारी को भी दी जाएगी, जैसा भी मामला हो।
6.5 दिनांक 01 मार्च 2020 को अथवा उसके पश्चात जारी किए गए शमन आदेशों के संदर्भ में, इन आदेशों के सारांश को निम्नलिखित प्रारूप में भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर प्रकाशित किया जाए।
क्र.सं |
आवेदक का नाम |
उल्लंघनों का ब्योरा (अधिनियमों / विनियमों / नियमों के प्रावधान जिनका शमन किया गया है) |
शमन आदेश की तिथि |
उल्लंघनों के शमन हेतु लगाई गई दंडात्मक राशि |
7. शमित उल्लंघनों के लिए राशि का भुगतान
7.1 शमन आदेश में उल्लिखित शमन राशि का भुगतान “भारतीय रिज़र्व बैंक” के पक्ष में आहरित डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से अथवा राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (NEFT) या तत्काल सकल निपटान (RTGS) के माध्यम से अथवा किसी अन्य स्वीकार्य इलेक्ट्रॉनिक या ऑनलाइन भुगतान माध्यम से ऐसे उल्लंघन के शमन आदेश की तारीख से 15 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। डिमांड ड्राफ्ट किस प्रकार आहरित और जमा किया जाना है/ इलेक्ट्रॉनिक भुगतान माध्यमों से निधि अंतरण के लिए बैंक खाते का ब्योरा शमन आदेश में दर्शाया जाएगा। उल्लंघन के शमन की राशि के भुगतान की सूचना अनुबंध I के पैरा बी में दिए गए टेम्पलेट में यथाशीघ्र, लेकिन भुगतान समय से 2 घंटे के भीतर सुनिश्चित किया जाए।
7.2 शमन नियम, 2024 के प्रावधान शमन आदेश पारित किये जाने के बाद आदेश हटाने के लिए अथवा शमन आदेश अवैध मानने के लिए अथवा शमन प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश की समीक्षा का अनुरोध करने के लिए उल्लंघनकर्ता को कोई अधिकार प्रदान नहीं करते हैं।
7.3 शमन आदेश और शमन नियम, 2024 में विनिर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर शमन राशि का भुगतान करने में चूक जाने पर यह समझा जाएगा कि उल्लंघनकर्ता ने इस नियम के अधीन किसी उल्लंघन के शमन के लिए कभी आवेदन किया ही नहीं था।
7.4 फेमा, 1999 के उन उल्लंघनों के संबंध में, जिनका शमन शमन-प्राधिकारी द्वारा नहीं किया गया है, ऐसे व्यक्ति पर उल्लंघन के लिए अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे।
7.5 शमित उल्लंघन की राशि की वसूली हो जाने पर, रिज़र्व बैंक द्वारा आदेश में विनिर्दिष्ट शर्तों, यदि कोई हों, के अधीन इस संबंध में एक प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
परिशिष्ट
अधिक्रमित ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्रों की सूची
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