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बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अधिसूचनाएं


ऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता-ब्याज लगाना

आरबीआई/2024-25/30
पवि.केंका.पीपीजी.एसईसी.1/11.01.005/2024-25

29 अप्रैल 2024

भुगतान बैंकों के अतिरिक्त सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/राज्य सहकारी बैंक/जिला केंद्रीय सहकारी बैंक
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (माइक्रोफाइनेंस संस्थान और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों सहित)

महोदया/महोदय,

ऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता-ब्याज लगाना

2003 से विभिन्न विनियमित संस्थाओं (आरई) को जारी उचित व्यवहार संहिता पर दिशानिर्देश, अन्य बातों के साथ-साथ, विनियमित संस्थाओं को उनकी ऋण मूल्य निर्धारण नीति के संबंध में पर्याप्त स्वतंत्रता प्रदान करते हुए ऋणदाताओं द्वारा ब्याज लगाने में निष्पक्षता और पारदर्शिता का समर्थन करते हैं।

2. 31 मार्च 2023 को समाप्त अवधि के लिए आरई की ऑनसाइट जांच के दौरान, ऋणदाताओं द्वारा ब्याज लगाने में कुछ अनुचित प्रथाओं का पालन करने के प्रसंग सामने आए हैं। रिज़र्व बैंक की कुछ अनुचित प्रथाओं को नीचे संक्षेप में समझाया गया है:

(क) ऋण की मंजूरी की तारीख या ऋण करार के निष्पादन की तारीख से ब्याज लगाना, न कि ग्राहक को धनराशि के वास्तविक संवितरण की तारीख से। इसी प्रकार, चेक द्वारा वितरित ऋण के मामले में, ऐसे उदाहरण देखे गए जहां चेक की तारीख से ब्याज लिया गया था जबकि चेक कई दिनों बाद ग्राहक को सौंपा गया।

(ख) महीने के दौरान ऋण के वितरण या चुकौती के मामले में, कुछ आरई केवल उस अवधि के लिए, जिसके लिए ऋण बकाया था, ब्याज लगाने के बजाय सम्पूर्ण माह के लिए ब्याज लगा रहे थे।

(ग) कुछ मामलों में, यह देखा गया कि आरई अग्रिम में एक या अधिक किश्तें जमा कर रहे थे, लेकिन ब्याज लगाने के लिए सम्पूर्ण ऋण राशि की गणना कर रहे थे।

3. ब्याज लगाने की ये और ऐसी अन्य अमानक प्रथाएँ ग्राहकों के साथ व्यवहार करते समय निष्पक्षता और पारदर्शिता की भावना के अनुरूप नहीं हैं। ये रिज़र्व बैंक के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। जहां भी ऐसी प्रथाएं सामने आई हैं, आरबीआई ने अपनी पर्यवेक्षी टीमों के माध्यम से विनियमित संस्थाओं को ग्राहकों को इस तरह के अतिरिक्त ब्याज और अन्य शुल्क वापस करने के लिए सूचित किया है। कुछ मामलों में ऋण वितरण के लिए जारी किए गए चेक के बदले विनियमित संस्थाओं को ऑनलाइन खाता अंतरण का उपयोग करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

4. इसलिए, निष्पक्षता और पारदर्शिता के हित में, सभी आरई को निदेशित किया जाता है कि वे ऋण वितरण के तरीके, ब्याज और अन्य प्रभारों को लगाने के संबंध में अपनी प्रथाओं की समीक्षा करें और उपर्युक्त रेखांकित मुद्दों के समाधान के लिए प्रणाली स्तर पर, जो आवश्यक हो, बदलाव सहित सुधारात्मक कार्रवाई करें।

5. यह परिपत्र तत्काल प्रभाव से लागू होगा।

भवदीय,

(तरुण सिंह)
मुख्य महाप्रबंधक

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