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वित्तीय बाजार

सुचारू ढ़ंग से कार्य करने वाले, चलनिधि युक्त और लचीले वित्तीय बाजार मौद्रिक नीति अंतरण और भारत के विकास के वित्तपोषण में अपरिहार्य जोखिमों के आवंटन और अवशोषण में सहायता करते हैं।

अधिसूचनाएं


व्युत्पन्नी संविदाओं हेतु मार्जिन

आरबीआई/2024-25/34
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.05

08 मई, 2024

सभी प्राधिकृत डीलर

व्युत्पन्नी संविदाओं हेतु मार्जिन

प्राधिकृत डीलरों का ध्यान दिनांक 23 अक्टूबर, 2020 की अधिसूचना संख्या फेमा.399/आरबी-2020 के माध्यम से भारत के राजपत्र में अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंधन (व्युत्पन्नी संविदाओं हेतु मार्जिन) विनियम, 2020, दिनांक 30 अप्रैल, 2024 की अधिसूचना संख्या फेमा./399(1) आरबी-2024 के माध्यम से भारत के राजपत्र में अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंधन (व्युत्पन्नी संविदाओं हेतु मार्जिन) विनियम, 2020 में संशोधन और व्युत्पन्नी संविदाओं हेतु मार्जिन पर दिनांक 15 फरवरी, 2021 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.10 ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. भारत में निवासी व्यक्ति और भारत के बाहर निवासी व्यक्ति के बीच अनुमत व्युत्पन्नी संविदाओं हेतु मार्जिन की पोस्टिंग और वसूली की अनुमति देने के लिए व्युत्पन्नी संविदाओं हेतु मार्जिन पर दिनांक 15 फरवरी, 2021 का ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.10 जारी किया गया था। इन निदेशों की बाजार से प्राप्त फीडबैक के आधार पर समीक्षा की गई और एतदद्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक (व्युत्पन्नी संविदाओं हेतु मार्जिन) निदेश, 2024 जारी किए जा रहे हैं।

3. ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे और दिनांक 15 फरवरी, 2021 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.10 का अधिक्रमण करेंगे।

4. इन निदेशों के प्रयोजन के लिए, अधिकृत डीलरों का अर्थ अधिकृत डीलर श्रेणी-I (एडी कैट-I) बैंक और अधिकृत डीलर श्रेणी-III स्टैंडअलोन प्राथमिक डीलर (एडी कैट-III एसपीडी) होगा।

5. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के तहत जारी किए गए हैं और किसी अन्य कानून के अंतर्गत आवश्यक अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, के प्रति पूर्वाग्रह के बिना हैं।

भवदीया,

(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक


वित्तीय बाजार विनियमन विभाग

दिनांक 08 मई, 2024 का ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.06

भारतीय रिज़र्व बैंक (व्युत्पन्नी संविदाओं हेतु मार्जिन) निदेश, 2024

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) एवं 11(1) के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक निम्नलिखित निदेश जारी करता है।

1. निदेशों का लघु शीर्षक, प्रारंभ और प्रयोज्यता

(i) इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (व्युत्पन्नी संविदाओं हेतु मार्जिन) दिशानिर्देश, 2024 कहा जाएगा।

(i) ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

(ii) ये निदेश प्राधिकृत डीलर श्रेणी-I (एडी कैट-I) बैंकों और प्राधिकृत डीलर श्रेणी-III स्टैंडअलोन प्राथमिक डीलरों (एडी कैट-III एसपीडी) पर लागू होंगे।

2. परिभाषाएँ

2.1 इन निदेशों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो:

(i) "अनुमत व्युत्पन्नी संविदा" का वही अर्थ होगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन (व्युत्पन्नी संविदाओं हेतु मार्जिन) विनियम, 2020 (अधिसूचना संख्या फेमा.399/आरबी-2020 दिनांक 23 अक्टूबर, 2020) में दिया गया है।

(ii) "जमा प्रमाणपत्र" का वही अर्थ होगा जो समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (जमा प्रमाणपत्र) निदेश, 2021 दिनांक 04 जून, 2021 के पैराग्राफ 2(ए)(iii) में दिया गया है।

(iii) "वाणिज्यिक पेपर" का वही अर्थ होगा जो दिनांक 03 जनवरी 2024 के समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (एक वर्ष तक की मूल या प्रारंभिक परिपक्वता के वाणिज्यिक पेपर और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर) निदेश, 2024 के पैराग्राफ 2(ए)(iv) में दिया गया है।

2.2 उन शब्दों और अभिव्यक्तियों, जो प्रयुक्त हुए हैं लेकिन इन निदेशों में परिभाषित नहीं हैं, का वही अर्थ होगा जो उन्हें अधिनियम और उसके तहत जारी नियमों/विनियमों में दिया गया है।

3. अधिकृत डीलर ये कर सकते हैं:

(i) भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति के साथ की गई अनुमत व्युत्पन्नी संविदा हेतु भारत में और भारत से बाहर मार्जिन पोस्ट और संग्रह करना तथा ऐसे मार्जिन पर ब्याज प्राप्त करना और भुगतान करना; और

(ii) अपनी विदेशी शाखाओं और आईएफएससी इकाइयों के व्युत्पन्नी लेनदेनों हेतु भारत में और भारत से बाहर मार्जिन पोस्ट और संग्रह करना, तथा ऐसे मार्जिन पर ब्याज प्राप्त करना और भुगतान करना।

4. प्राधिकृत डीलर श्रेणी-I बैंक भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति के साथ की गई अनुमत व्युत्पन्नी संविदा हेतु अपने ग्राहकों की ओर से भारत में और भारत के बाहर मार्जिन पोस्ट और संग्रह कर सकते हैं और ऐसे मार्जिन पर ब्याज प्राप्त और भुगतान कर सकते हैं ।

5. भारत में पोस्ट और संग्रह किया गया मार्जिन इस प्रकार होगा:

(i) भारतीय मुद्रा;

(ii) स्वतंत्र रूप से परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा;

(iii) भारतीय केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियाँ;

(iv) भारत में निवासी व्यक्तियों द्वारा जारी किए गए रुपया बांड:

(ए) जो भारत में किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हैं; और

(बी) जिसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के साथ पंजीकृत रेटिंग एजेंसी द्वारा जारी एएए की क्रेडिट रेटिंग दी गई है। यदि दो या दो से अधिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा अलग-अलग रेटिंग दी जाती है, तो सबसे कम रेटिंग को माना जाएगा।

(v) जमा प्रमाणपत्र; और

(vi) वाणिज्यिक पत्र जिन्हें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के साथ पंजीकृत रेटिंग एजेंसी द्वारा जारी ए1 की न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग दी गई है। यदि दो या दो से अधिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा अलग-अलग रेटिंग दी जाती है, तो सबसे कम रेटिंग को माना जाएगा।

6. भारत के बाहर पोस्ट और संग्रह किया गया मार्जिन इस प्रकार होगा:

(i) स्वतंत्र रूप से परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा; और

(ii) एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स / फिच रेटिंग्स द्वारा जारी एए- और उससे ऊपर की क्रेडिट रेटिंग या मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस द्वारा जारी एए3 और उससे ऊपर की क्रेडिट रेटिंग वाली विदेशी संप्रभुओं द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियां। यदि दो या दो से अधिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा अलग-अलग रेटिंग दी जाती है, तो सबसे कम रेटिंग को माना जाएगा।

7. प्राधिकृत डीलरों द्वारा भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति के साथ एनसीसीडी लेनदेन या दो अधिकृत डीलरों के बीच एनसीसीडी लेनदेन, जिनमें से कम से कम एक विदेशी बैंक की शाखा है, के लिए विदेशी क्षेत्राधिकार की मार्जिन आवश्यकताओं का अनुपालन करने का चयन करने के मामले में, मास्टर निदेश के पैरा 11 - भारतीय रिज़र्व बैंक (गैर-केंद्रीय रूप से समाशोधित ओटीसी डेरिवेटिव के लिए मार्जिन) निदेश, 2024 के अनुसार:

(i) अधिकृत डीलर विदेशी क्षेत्राधिकार के कानूनों और विनियमन द्वारा अनुमत रूप और तरीके से भारत के बाहर मार्जिन पोस्ट और संग्रह कर सकता है, और ऐसे मार्जिन पर ब्याज प्राप्त और भुगतान कर सकता है; और

(ii) मार्जिन की पोस्टिंग और संग्रहण और ऐसे मार्जिन पर ब्याज की प्राप्ति और भुगतान, अधिकृत डीलर या इसकी विदेशी शाखाओं या प्रधान कार्यालय (इसकी विदेशी शाखाओं सहित) द्वारा, वैश्विक मार्जिन व्यवस्था के हिस्से के रूप में किया जा सकता है।

8. प्राधिकृत डीलर श्रेणी-I बैंक भारत में नकद मार्जिन जमा करने और उससे जुड़े लेनदेन के लिए भारत से बाहर के निवासी व्यक्तियों के नाम पर एक अलग खाता रखेंगे।

भवदीया,

(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक

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