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वित्तीय समावेशन और विकास

यह कार्य वित्तीय समावेशन, वित्तीय शिक्षण को बढ़ावा देने और ग्रामीण तथा एमएसएमई क्षेत्र सहित अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्ध कराने पर नवीकृत राष्ट्रीय ध्यानकेंद्रण का सार संक्षेप में प्रस्तुत करता है।

अधिसूचनाएं


प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार - मास्टर निदेशों में संशोधन

आरबीआई/2024-25/44
विसविवि.केंका.पीएसडी.बीसी.सं.7/04.09.01/2024-25

21 जून 2024

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक/
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
[क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंक,
लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और
वेतनभोगियों के बैंकों के अलावा प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक]

महोदया/महोदय,

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार - मास्टर निदेशों में संशोधन

कृपया दिनांक 04 सितंबर 2020 के प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) पर मास्टर निदेश (एमडी), समय-समय पर यथासंशोधित, का संदर्भ ग्रहण करें। इस मास्टर निदेश के निम्नलिखित पैराग्राफ को नीचे दिए गए कारकों को ध्यान में रखते हुए संशोधित किया गया है।

2. पैरा 7 - पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन:

मास्टर निदेश में निर्दिष्ट किया गया है कि मास्टर निदेश के अनुबंध-1-क और 1-ख में वर्णित तुलनात्मक रूप से उच्च और निम्न पीएसएल ऋण वाले जिलों की सूची वित्त वर्ष 2023-24 तक वैध है, तथा उसके बाद वे समीक्षा के अधीन हैं। समीक्षा के आधार पर जिलों की सूची अद्यतन कर दी गई है। ये सूचियाँ वित्त वर्ष 2026-27 तक वैध रहेंगी और उसके बाद इनकी समीक्षा की जाएगी। तदनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 से, उन चिन्हित जिलों में वृद्धिशील प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण के लिए उच्च भारांक (125%) दिया जाएगा, जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से कम है (प्रति व्यक्ति पीएसएल 9000 से कम) और उन चिन्हित जिलों में वृद्धिशील प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण के लिए निम्न भारांक (90%) दिया जाएगा, जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से अधिक है (प्रति व्यक्ति पीएसएल 42,000 से अधिक)। अतः, पीएसएल पर मास्टर निदेश के पैरा-7 को उपर्युक्त के अनुसार अद्यतन किया गया है।

3. पैरा-9 - सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम :

स्पष्टता के लिए एमएसएमई की परिभाषा को मास्टर निदेश - सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार देने के संदर्भ में लिया गया है।

4. पैरा-27 – प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लक्ष्यों पर निगरानी रखना:

मास्टर निदेश में निर्दिष्ट किया गया है कि शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) तिमाही और वार्षिक अंतराल पर पर्यवेक्षण विभाग (डीओएस), आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालयों को रिपोर्टिंग प्रारूप ‘विवरण-I’ और ‘विवरण-II (भाग ‘क’ से ‘घ’)’ में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अग्रिमों पर आंकड़ें प्रस्तुत करेंगे। इस प्रावधान का दिनांक 27 फरवरी 2024 के मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (पर्यवेक्षी विवरणियों की प्रस्तुति) निदेश-2024 (एफएसआर पर एमडी) के अनुसार निरसन कर दिया गया है। यूसीबी द्वारा पीएसएल आंकड़ों की रिपोर्टिंग के लिए लागू रिटर्न एफएसआर पर मास्टर निदेश के अनुबंध-III के क्रम संख्या 61 में निर्धारित किया गया है। तदनुसार, शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) पर लागू मास्टर निदेश के पैरा-27 को अद्यतन किया गया है।

5. पीएसएल पर मास्टर निदेश में किए गए प्रासंगिक संशोधनों का विवरण अनुबंध में दिया गया है।

6. बैंक की वेबसाइट पर ‘प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार’ पर मास्टर निदेश और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफ़एक्यू) को भी तदनुसार अद्यतन किया गया है।

भवदीया,

(निशा नम्बियार)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

संलग्नक: यथोक्त


अनुबंध

पीएसएल पर एमडी का पैरा सं. मौजूदा पैरा के अंश संशोधित पैरा के अंश
7 जिला स्तर पर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र संबंधी ऋण के प्रवाह में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अनुसार प्रति व्यक्ति क्रेडिट प्रवाह के आधार पर जिलों की रैंकिंग की जाए तथा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण के संबंध में तुलनात्मक रूप से कम प्रवाह वाले जिलों के लिए प्रोत्साहन ढांचे का निर्माण और तुलनात्मक रूप से प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण के उच्च प्रवाह वाले जिलों के लिए अवप्रेरण ढाँचा बनाया जाए। तदनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 से ऐसे चिन्हित जिलों, जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से कम है (प्रति व्यक्ति पीएसएल रु.6000 से कम), में वृद्धिशील प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण को उच्च भार (125%) सौंपा जाएगा तथा ऐसे चिन्हित जिलों, जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से अधिक है (प्रति व्यक्ति पीएसएल रु.25000 से अधिक), में वृद्धिशील प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण को निम्न भार (90%) सौंपा जाएगा। दोनों जिलों की श्रेणीवार सूची अनुबंध -I-क और I-ख में प्रस्तुत है। यह सूची वित्त वर्ष 2023-24 तक की अवधि के लिए मान्य होगी और उसके बाद उसकी समीक्षा की जाएगी। अनुलग्नक-I-क और I-ख में उल्लिखित जिलों के अलावा अन्य जिलों में 100% की मौजूदा भारांक जारी रहेगा। जिला स्तर पर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र संबंधी ऋण के प्रवाह में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिए, यह निर्णय लिया गया था कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अनुसार प्रति व्यक्ति ऋण प्रवाह के आधार पर जिलों की रैंकिंग की जाए तथा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण के संबंध में तुलनात्मक रूप से कम प्रवाह वाले जिलों के लिए प्रोत्साहन ढांचे का निर्माण और तुलनात्मक रूप से उच्च प्रवाह वाले जिलों के लिए अवप्रेरण ढाँचे का निर्माण किया जाए। ऐसे चिन्हित जिले, जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से कम है (प्रति व्यक्ति पीएसएल रु.9000 से कम), में वृद्धिशील प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण को उच्च भारांक (125%) दिया जाएगा तथा ऐसे चिन्हित जिले, जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से अधिक है (प्रति व्यक्ति पीएसएल रु.42000 से अधिक), में वृद्धिशील प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण को निम्न भारांक(90%) दिया जाएगा, यह वित्त वर्ष 2024-25 से प्रभावी होगा। दोनों तरह के जिलों की श्रेणीवार सूची अनुबंध-I-क और I-ख में प्रस्तुत है और वित्त वर्ष 2026-27 तक की अवधि के लिए मान्य होगी। अनुबंध- I-क और I-ख में उल्लिखित जिलों के अलावा अन्य जिलों में 100% का मौजूदा भारांक जारी रहेगा।
9 एमएसएमई की परिभाषा 'सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र में ऋण प्रवाह' पर क्रमशः दिनांक 02 जुलाई 2020 के परिपत्र आरबीआई/2020-2021/10 विसविवि.एमएसएमई और एनएफएस.बीसी.सं.3/06.02.31/2020-21 और 21 अगस्त 2020 के परिपत्र विसविवि.एमएसएमई एवं एनएफएस.बीसी.सं.4/06.02.31/2020-21 के साथ पठित दिनांक 26 जून 2020 के भारत सरकार के राजपत्र अधिसूचना सं. एस.ओ.2119(ई) तथा समय-समय पर किए गए अद्यतन के अनुसार होगी। इसके अलावा, ऐसे एमएसएमई को वस्तुओं के निर्माण या उत्पादन में किसी भी तरीके से, उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 की पहली अनुसूची में निर्दिष्ट किसी भी उद्योग में, संबंधित होना चाहिए या किसी सेवा या सेवाओं को उपलब्ध कराने या प्रदान करने में संलग्न होना चाहिए। उपरोक्त दिशा-निर्देशों के अनुरूप एमएसएमई को दिये गए सभी बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के तहत वर्गीकरण के लिए अर्हता प्राप्त करेंगे। एमएसएमई की परिभाषा दिनांक 24 जुलाई 2017 को जारी 'मास्‍टर निदेश – सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार' विसविवि.एमएसएमई और एनएफएस.12/ 06.02.31/2017-18, समय-समय पर यथासंशोधित, में दी गई परिभाषा के अनुसार होगी। एमएसएमई को दिए जाने वाले सभी बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए अर्ह होंगे।
27 यूसीबी के संबंध में, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम से संबंधित आंकड़ों को रिपोर्टिंग प्रारूप ’विवरणी-I’ और ’विवरणी-II (भाग ‘क’ से ‘घ’)’’ में तिमाही और वार्षिक अंतराल पर आरबीआई, डीओएस, के क्षेत्रीय कार्यालय में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम पर आंकडें प्रस्तुत करने के संबंध में शहरी सहकारी बैंकों को दिनांक 27 फरवरी 2024 के मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (पर्यवेक्षी विवरणियों की प्रस्तुति) निदेश – 2024, समय-समय पर यथासंशोधित, द्वारा निदेशित किया जाएगा।
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