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बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

प्रेस प्रकाशनी


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भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2024 की प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों (डी-एसआईबी) की सूची जारी की

13 नवंबर 2024

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2024 की प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों (डी-एसआईबी)
की सूची जारी की

एसबीआई, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को 2023 की डी-एसआईबी सूची के समान ही बकेटिंग संरचना के अंतर्गत प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों (डी-एसआईबी) के रूप में पहचाना गया है। इन डी-एसआईबी के लिए अतिरिक्त सामान्य इक्विटी टियर 1 (सीईटी1) की आवश्यकता, पूंजी संरक्षण बफर के अतिरिक्त होगी।

डी-एसआईबी की सूची निम्नानुसार हैं:

बकेट बैंक जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्ल्यूए) के प्रतिशत के रूप में अतिरिक्त सामान्य इक्विटी टियर 1 की आवश्यकता
5 - 1%
4 भारतीय स्टेट बैंक * 0.80%
3 - 0.60%
2 एचडीएफसी बैंक * 0.40%
1 आईसीआईसीआई बैंक 0.20%
* एसबीआई और एचडीएफसी बैंक के लिए उच्च डी-एसआईबी अधिभार 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। अतः, 31 मार्च 2025 तक, एसबीआई और एचडीएफसी बैंक पर लागू डी-एसआईबी अधिभार क्रमशः 0.60% और 0.20% होगा।

पृष्ठभूमि:

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 22 जुलाई 2014 को प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों (डी-एसआईबी) संबंधी कार्य के लिए फ्रेमवर्क जारी किया था, जिसे बाद में 28 दिसंबर 2023 को अद्यतित किया गया था। डी-एसआईबी फ्रेमवर्क के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को 2015 से शुरू होने वाले डी-एसआईबी के रूप में नामित बैंकों के नामों को प्रकट करना होता है और इन बैंकों को उनके प्रणालीगत रूप से महत्व के स्कोर (एसआईएस) के आधार पर उपयुक्त बकेट में रखना होता है। जिस बकेट में डी-एसआईबी को रखा गया है, उसके आधार पर उस पर एक अतिरिक्त सामान्य इक्विटी आवश्यकता लागू की जाती है। यदि कोई विदेशी बैंक, जिसकी शाखा भारत में मौजूद है और वह एक प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण विदेशी बैंक (जी-एसआईबी) है, तो उसे भारत में उसकी जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्ल्यूए) के अनुपात में जी-एसआईबी के रूप में लागू, अतिरिक्त सीईटी1 पूंजी अधिभार को बनाए रखना होता है, अर्थात् गृह नियामक द्वारा निर्धारित अतिरिक्त सीईटी1 बफर (राशि) को, समेकित वैश्विक समूह बुक्स के अनुसार भारत आरडब्ल्यूए द्वारा गुणा करके कुल समेकित वैश्विक समूह आरडब्ल्यूए से विभाजित करना।

रिज़र्व बैंक ने 2015 और 2016 में एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक को डी-एसआईबी घोषित किया था, जबकि एचडीएफसी बैंक को 2017 में एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक के साथ डी-एसआईबी के रूप में वर्गीकृत किया गया था। वर्तमान अपडेट 31 मार्च 2024 तक बैंकों से एकत्र किए गए डेटा पर आधारित है।

(पुनीत पंचोली) 
मुख्य महाप्रबंधक

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