Click here to Visit the RBI’s new website

शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


(360 kb )
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत निदेश – दि कारवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कारवार

12 जून 2024

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 56 के साथ पठित
धारा 35ए के अंतर्गत निदेश – दि कारवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कारवार

जन सामान्य के सूचनार्थ एतद्द्वारा यह अधिसूचित किया जाता है कि बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए की उप धारा (1) के अंतर्गत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 12 जून 2024 के निदेश संदर्भ सं. CO.DOS.SED.No.S1932/12-23-065/2024-2025 द्वारा दि कारवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कारवार (बैंक) को कतिपय निदेश जारी किए हैं, जिसके द्वारा 12 जून 2024 को कारोबार की समाप्ति से बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक की लिखित पूर्वानुमोदन के बिना भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 12 जून 2024 के निदेश में यथाअधिसूचित को छोड़कर, किसी ऋण और अग्रिम को संस्वीकृत या नवीकृत नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, जिसमें उधार लेना और नई जमाराशि स्वीकार करना भी शामिल है, किसी भी भुगतान का संवितरण या संवितरित करने के लिए सहमति नहीं देगा चाहे वह उसकी देयताओं और दायित्वों के निर्वहन में हो या अन्यथा, कोई भी समझौता या इस तरह की कोई व्‍यवस्‍था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या परिसंपत्ति का विक्रय और स्थानांतरण या अन्यथा निपटान नहीं करेगा। बैंक की चलनिधि की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, बैंक को निर्देश दिया गया है कि वह जमाकर्ता के बचत बैंक, चालू खाते या किसी अन्य खाते से किसी भी राशि की निकासी की अनुमति न दे, लेकिन जमाराशि के एवज में ऋण को सेट-ऑफ करने की अनुमति है, जो कि भारतीय रिज़र्व बैंक की उपरोक्त निदेश में उल्लिखित शर्तों के अधीन है। उक्त निदेशों में निर्दिष्ट किए अनुसार बैंक कुछ आवश्यक मदों जैसे कि कर्मचारियों के वेतन, किराया, बिजली बिल आदि के संबंध में व्यय कर सकता है।

2. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा देखी गई महत्वपूर्ण पर्यवेक्षी समस्याओं, जैसे कि, इसके सार्वजनिक जमाराशि को काफी कम करके दिखाना तथा इसकी आस्तियों (ऋण के साथ-साथ निवेश) को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना, के कारण ये निदेश आवश्यक हो गए हैं। इसके अलावा, बैंक अपनी चलनिधि की स्थिति को गलत तरीके से रिपोर्ट कर रहा है और अपने जमाकर्ताओं को चुकाने के लिए पर्याप्त चलनिधि बनाए नहीं रख रहा है। 2022-23 से इसके सांविधिक लेखा परीक्षकों द्वारा बैंक की बहियों का लेखा-परीक्षा भी नहीं किया गया है।

3. बैंक के पात्र जमाकर्ता, अपनी सहमति प्रस्तुत करने पर तथा उचित सत्यापन के बाद निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम 1961 के प्रावधानों के अधीन, निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से, 90 दिनों के भीतर, समान क्षमता और समान अधिकार में 5,00,000/- (पांच लाख रुपये मात्र) की अधिकतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशि के लिए जमा बीमा की दावा राशि प्राप्त करने के हकदार होंगे। ये विवरण, डीआईसीजीसी की वेबसाइट: www.dicgc.org.in पर भी देखे जा सकते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक के पास वर्तमान में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, बैंक के 99 प्रतिशत से अधिक जमाकर्ताओं के संपूर्ण खाता शेष का भुगतान डीआईसीजीसी द्वारा किया जाएगा।

4. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपर्युक्त निदेशों को जारी करने का यह अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है। उक्त निदेशों में निर्दिष्ट प्रतिबंधों के अधीन, बैंक ऋणों की वसूली सहित अपना बैंकिंग कारोबार जारी रखेगा। रिज़र्व बैंक, बैंक की स्थिति की निगरानी कर रहा है और जमाकर्ताओं के हित में परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन सहित आवश्यक कार्रवाई करता रहेगा।

5. ये निदेश, 12 जून 2024 को कारोबार की समाप्ति से छह महीने की अवधि के लिए लागू रहेंगे और ये समीक्षाधीन होंगे।

(पुनीत पंचोली) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/487

2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष