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अनुसंधान और आंकड़े

रिज़र्व बैंक में बेहतर, नीति उन्मुखी आर्थिक शोध करने, आंकड़ों का संकलन करने और ज्ञान साझा करने की समृद्ध परंपरा है।

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भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 03/2024: इक्विटी बाज़ार और मौद्रिक नीति आश्चर्य

26 अप्रैल 2024

भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 03/2024:
इक्विटी बाज़ार और मौद्रिक नीति आश्चर्य

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला1 के अंतर्गत “इक्विटी बाज़ार और मौद्रिक नीति आश्चर्य" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर जारी किया। पेपर के सह-लेखन मयंक गुप्ता, अमित पवार, सत्यम कुमार, अभिनंदन बोरड़ और सुब्रत कुमार सीत ने किया है।

यह पेपर नीति घोषणा के दिनों में ओवरनाइट इंडेक्सेड स्वैप (ओआईएस) दरों में बदलाव को लक्ष्य और पथ कारकों में विघटित करके बीएसई सेंसेक्स में विवरणियों और अस्थिरता पर मौद्रिक नीति घोषणाओं के प्रभाव का अध्ययन करता है। लक्ष्य कारक, केंद्रीय बैंक नीति दर कार्रवाई में आश्चर्यजनक घटक को पकड़ता है, जबकि पथ कारक, मौद्रिक नीति के भविष्य के पथ के संबंध में बाजार की उम्मीदों पर केंद्रीय बैंक संचार के प्रभाव को पकड़ता है।

पेपर के प्रमुख निष्कर्ष हैं:

  1. दैनिक डेटा का उपयोग करके अनुभवजन्य विश्लेषण से पता चलता है कि इक्विटी विवरणियाँ केवल पथ कारक (अर्थात, भविष्य की मौद्रिक नीति प्रक्षेपवक्र के बारे में बाजार की प्रत्याशाएँ) से प्रभावित होते हैं, जबकि लक्ष्य और पथ कारक दोनों (दोनों मौद्रिक नीति के अप्रत्याशित घटक को पकड़ते हैं) इक्विटी कीमतों में अस्थिरता को प्रभावित करते हैं।

  2. इंट्राडे डेटा का उपयोग करके मौद्रिक नीति घोषणाओं के आस-पास छोटी अवधि की विंडो का निर्माण करके किया गया एक घटना अध्ययन विश्लेषण यह भी इंगित करता है कि पथ कारक, इक्विटी विवरणी में बदलावों को समझाने में मदद करता है।

जबकि छोटी अवधि की विंडो का उद्देश्य इक्विटी कीमतों के अन्य संभावित चालकों को नियंत्रित करना है, यह ध्यान दिया जा सकता है कि मौद्रिक नीति घोषणाओं के साथ विनियामक और विकासात्मक उपाय होते हैं जो बाजारों को भी प्रभावित कर सकते हैं। संकीर्ण विंडो के दौरान ओआईएस बाजारों के साथ-साथ अन्य घरेलू और वैश्विक गतिविधियों में विरल व्यापार भी विश्लेषण को प्रभावित कर सकता है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/195


1 भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों और कभी-कभी बाहरी सह-लेखकों, जब अनुसंधान संयुक्त रूप से किया जाता है, के अनुसंधान की प्रगति पर शोध प्रस्तुत करते हैं। इन्हें टिप्पणियों और अतिरिक्त चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे जिस संस्थान (संस्थाओं) से संबंधित हैं, उनके विचार हों। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्‍वरूप का ध्यान रखा जाए।

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