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आरबीआई परिपत्रों की सूची


ऋणों और अग्रिमों के लिए मुख्‍य तथ्‍य विवरण (केएफएस)

आरबीआई/2024-25/18
विवि.एसटीआर.आरईसी.13/13.03.00/2024-25

15 अप्रैल 2024

सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित, भुगतान बैंक के अतिरिक्‍त)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक और केंद्रीय सहकारी बैंक
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (आवास वित्त कंपनियों सहित)

ऋणों और अग्रिमों के लिए मुख्‍य तथ्‍य विवरण (केएफएस)

कृपया दिनांक 22 जनवरी 2015 के 'बैंकों द्वारा सूचना का प्रदर्शन' पर परिपत्र के पैराग्राफ 2; दिनांक 14 मार्च, 2022 के 'माइक्रोफाइनेंस ऋण के लिए विनियामक रूपरेखा' पर मास्टर दिशानिर्देश के पैराग्राफ 6; और दिनांक 2 सितंबर, 2022 के 'डिजिटल ऋण पर दिशानिर्देश' के पैराग्राफ 5 में निहित मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस) और वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर) के प्रकटीकरण पर हमारे अनुदेशों का संदर्भ लें।

2. जैसा कि दिनांक 8 फरवरी 2024 को विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में घोषणा की गई थी, इस विषय पर निर्देशों को सुसंगत बनाने का निर्णय लिया गया है। यह विभिन्न विनियमित संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे वित्तीय उत्पादों पर पारदर्शिता बढ़ाने और सूचना विषमता को कम करने के लिए किया जा रहा है, जिससे कि उधारकर्ताओं को सूचना द्वारा वित्तीय निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाया जा सके। सभी विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा विस्तारित सभी खुदरा और एमएसएमई सावधि ऋण उत्पादों के मामलों में सामंजस्यपूर्ण निर्देश लागू होंगे।

3. इस परिपत्र के प्रयोजन हेतु, निम्नलिखित शर्तों को परिभाषित किया गया है:

(ए) आरई/आरई के समूह और उधारकर्ता के बीच ऋण करार के मुख्य तथ्य कानूनी रूप से महत्वपूर्ण और निर्धारणात्‍मक तथ्य हैं जो उधारकर्ता को एक सूचित वित्तीय निर्णय लेने में सहायता करने के लिए आवश्यक मूलभूत जानकारी पूरा करते हैं।

(बी) मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस) सरल और समझने में आसान भाषा में ऋण करार के मुख्य तथ्यों का एक विवरण है, जो उधारकर्ता को एक मानकीकृत प्रारूप में प्रदान किया जाता है।

(सी) वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर) उधारकर्ता के लिए ऋण की वार्षिक लागत है जिसमें ब्याज दर और क्रेडिट सुविधा से जुड़े अन्य सभी शुल्क शामिल हैं।

(डी) समान आवधिक किश्त (ईपीआई) पुनर्भुगतान की समान अथवा निश्चित राशि है, जिसमें मूलधन और ब्याज दोनों घटक शामिल होते हैं, जो उधारकर्ता द्वारा ऐसे अंतरालों की एक निश्चित संख्या के लिए आवधिक अंतराल पर ऋण के पुनर्भुगतान के लिए भुगतान किया जाता है; और जिसके परिणामस्वरूप ऋण का पूर्ण परिशोधन होता है। मासिक अंतराल पर ईपीआई को ईएमआई कहा जाता है।

उपरोक्‍त में जो अन्य शब्दों और अभिव्यक्तियों को परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन इस परिपत्र में उपयोग किया गया है, उनका वही आशय होगा जो रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर अद्यतन किए गए अग्रिमों पर ब्याज दर के मास्टर निदेश (2016) अथवा जारी किसी अन्य उपयुक्‍त विनियमन के अंतर्गत है।

4. अनुबंध ए में दिए गए मानकीकृत प्रारूप के अनुसार, आरई सभी संभावित उधारकर्ताओं को ऋण संविदा निष्पादित करने से पहले एक सूचित दृष्टिकोण में सहायता हेतु केएफएस प्रदान करेगा। केएफएस ऐसे उधारकर्ताओं द्वारा समझी जाने वाली भाषा में लिखा जाएगा। केएफएस की विषय-वस्‍तु उधारकर्ता को समझायी जाएगी और पावती प्राप्त की जाएगी कि उसने इसे समझ लिया है।

5. इसके अतिरिक्‍त, केएफएस को एक अद्वितीय प्रस्ताव संख्या प्रदान की जाएगी और सात दिन अथवा उससे अधिक की अवधि वाले ऋणों के लिए कम से कम तीन कार्य दिवसों की वैधता अवधि होगी और सात दिनों से कम अवधि वाले ऋणों के लिए एक कार्य दिवस की वैधता अवधि होगी।1

स्पष्टीकरण

वैधता अवधि से आशय आरई द्वारा केएफएस प्रदान किए जाने के उपरांत ऋण की शर्तों से सहमत होने के लिए उधारकर्ता को उपलब्ध अवधि से है। यदि वैधता अवधि के दौरान उधारकर्ता द्वारा सहमति व्यक्त की जाती है, तो आरई केएफएस में दर्शाए गए ऋण की शर्तों से बाध्‍य होगा।

6. केएफएस में वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर) की गणना शीट और ऋण अवधि के दौरान ऋण का परिशोधन कार्यक्रम भी शामिल होगा। एपीआर में वे सभी शुल्क शामिल होंगे जो आरई द्वारा लगाए जाते हैं। एपीआर की गणना और काल्पनिक ऋण के लिए पुनर्भुगतान अनुसूची के प्रकटीकरण के उदाहरण क्रमशः अनुबंध बी और सी में दिए गए हैं।

7. वास्तविक आधार पर तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाताओं की ओर से आरई द्वारा उधारकर्ताओं से वसूले गए शुल्क, जैसे बीमा शुल्क, कानूनी शुल्क आदि भी एपीआर का हिस्सा होंगे और उनका प्रकटीकरण अलग से किया जाएगा। सभी मामलों में जहां आरई ऐसे शुल्कों की वसूली में शामिल है, उचित समय के भीतर प्रत्येक भुगतान के लिए उधारकर्ता को रसीदें और संबंधित दस्तावेज प्रदान किए जाएंगे।

8. कोई भी ऐसा शुल्क, प्रभार, आदि जिसका उल्लेख केएफएस में नहीं किया गया है, उसके लिए उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति के बिना, ऋण की अवधि के दौरान किसी भी चरण में आरई द्वारा उधारकर्ता से शुल्क नहीं लिया जा सकता है।

9. केएफएस को ऋण करार के हिस्से के रूप में प्रदर्शित किए जाने वाले सारांश बॉक्स के रूप में भी शामिल किया जाएगा।

छूट

10. क्रेडिट कार्ड प्राप्य को इस परिपत्र के अंतर्गत निहित प्रावधानों से छूट दी गई है।

प्रयोज्यता एवं प्रारंभ

11. आरई द्वारा उपर्युक्त दिशानिर्देशों को यथाशीघ्र लागू करने के लिए आवश्यक प्रणालियाँ और प्रक्रियाएं स्थापित की जाएंगी। किसी भी स्थिति में, 01 अक्टूबर 2024 को अथवा उसके बाद स्वीकृत सभी नए खुदरा और एमएसएमई सावधि ऋण, जिसमें विद्यमान ग्राहकों को दिए गए नए ऋण भी शामिल हैं, बिना किसी अपवाद के उपर्युक्त दिशानिर्देशों का अक्षरश: पालन किया जाएगा। अंतराल के दौरान, विद्यमान दिशानिर्देशों के अंतर्गत 'केएफएस/फैक्टशीट' पर प्रासंगिक प्रावधान लागू रहेंगे, जिनमें 'डिजिटल ऋण पर दिशानिर्देश', 'माइक्रोफाइनेंस ऋण के लिए विनियामक ढांचे' पर जारी मास्टर दिशानिर्देश और 'बैंकों द्वारा सूचना का प्रदर्शन' पर परिपत्र शामिल हैं।

कानूनी प्रावधान

12. उपर्युक्त अनुदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21, 35ए और 56, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेए, 45एल और 45एम और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए और 32 के अंतर्गत जारी किए गए हैं।

निरसन

13. इन दिशानिर्देशों के जारी होने के साथ, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए निम्नलिखित परिपत्रों में शामिल अनुदेश/दिशानिर्देश निरस्त हो जाते हैं।

सं. परिपत्र संख्या दिनांक विषय
1. डीबीआर.एलईजी.नं.बीसी.64/09.07.005/2014-15 22 जनवरी 2015 बैंकों द्वारा सूचना प्रदर्शित करने से संबन्धित जारी परिपत्र का पैरा 2 (बी)।
2. डीओआर.एफआईएन.आरईसी.95/03.10.038/2021-22 14 मार्च 2022 मास्टर निदेश के पैरा 6.3, 6.4 और 6.5 - भारतीय रिज़र्व बैंक (माइक्रोफाइनेंस ऋण के लिए विनियामक ढांचा) दिशानिर्देश, 2022
3. डीओआर.सीआरई.आरईसी.66/21.07.001/2022-23 02 सितम्बर 2022 डिजिटल ऋण पर जारी दिशानिर्देशों का पैरा 5.1, 5.2

सभी निरस्त परिपत्र/प्रावधान इन निर्देशों के प्रभावी होने से पहले, प्रासंगिक अवधि के दौरान लागू माने जाएंगे।

भवदीय,

वैभव चतुर्वेदी
(मुख्य महाप्रबंधक)


1 केएफएस की वैधता अवधि से संबंधित शर्त को देखते हुए, मंजूरी के बाद कूलिंग-ऑफ अवधि के लिए अनिवार्य न्यूनतम दिनों से संबंधित 'डिजिटल ऋण पर दिशानिर्देश' के पैराग्राफ 8 का प्रावधान, निम्नानुसार आंशिक रूप से संशोधित माना जाएगा:

"इस अवधि के दौरान उधारकर्ता को बिना किसी जुर्माने के मूलधन और आनुपातिक एपीआर का भुगतान करके डिजिटल ऋण से बाहर निकलने का एक स्पष्ट विकल्प दिया जाएगा। कूलिंग ऑफ अवधि आरई के बोर्ड द्वारा निर्धारित की जाएगी, बशर्ते कि निर्धारित अवधि एक दिन से कम न हो। लुक-अप अवधि के बाद भी ऋण जारी रखने वाले उधारकर्ताओं के लिए, आरबीआई के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार पूर्व-भुगतान की अनुमति जारी रहेगी"।


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