आरबीआई/डीबीआर/2015-16/22
मास्टर निदेश बैंविवि.पीएसबीडी.सं. 96/16.13.100/2015-16
21 अप्रैल 2016
मास्टर निदेश – निजी क्षेत्र के बैंकों का समामेलन, निदेश, 2016
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क के अधीन प्रदत्त शक्तिर्यों का प्रयोग करते हुए तथा यथासंशोधित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 44क के अनुसरण में भारतीय रिज़र्व बैंक, इस बात से आश्वस्त होने पर कि ऐसा करना लोकहित में आवश्यक और लाभकारक है, एतद्वारा इसमें इसके बाद विनिर्दिष्ट निदेश जारी करता है।
अध्याय – I
प्रस्तावना
1. संक्षिप्त नाम और आरंभ
-
इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (निजी क्षेत्र के बैंकों का समामेलन) निदेश, 2016 कहा जाएगा।
-
ये निदेश उस दिन से प्रभावी होंगे, जिस दिन इन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की वेबसाइट पर रखा गया है।
2. प्रयोज्यता
-
इन निदेशों के प्रावधान, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत में परिचालन करने के लिए लाइसेंसीकृत निजी क्षेत्र के सभी बैंकों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक में पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं (एनबीएफसी) पर लागू होंगे।
-
इन निदेशों में अंतर्निहित सिद्धांत, जैसा कि उचित हो, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर लागू होंगे।
3. परिभाषाएं
(i) इन निदेशों में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, इसमें शब्दों का अर्थ वही होगा, जो उन्हें नीचे प्रदान किया गया है –
-
“निजी क्षेत्र के बैंक” का आशय है, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के अधीन भारत में परिचालन के लिए लाईसेंसीकृत बैंक, जो शहरी सहकारी बैंक, विदेशी बैंक और विनिर्दिष्ट संविधियों के अधीन लाइसेंसीकृत बैंकों से इतर हैं।
-
“समामेलित कंपनी” का आशय है, वह कंपनी जिसने समामेलन की योजना के अंतर्गत अपने कारोबार दूसरी कंपनी को अंतरित करने का प्रस्ताव दिया है।
-
“समामेलन करने वाली कंपनी” का आशय है, वह कंपनी जो समामेलन की योजना के अंतर्गत दूसरी कंपनी के कारोबार का अधिग्रहण करेगा।
(ii) इन निदेशों में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा परिभाषित न हो, शब्दों का अर्थ वही होगा, जो उन्हें बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949, भारतीय रिज़व बैंक अधिनियम 1934 के अंतर्गत प्रदत्त हो अथवा वाणिज्यिक बोलचाल में जैसा कि मामला हो, प्रयुक्त होता हो।
4. दायरा
ये दिशानिर्देश निम्नलिखित स्थितियों को कवर करेंगे
-
दो बैंकिंग कंपनियों का समामेलन।
-
एनबीएफसी का बैंकिंग कंपनी के साथ समामेलन।
5. सांविधिक प्रावधान
-
भारतीय रिज़र्व बैंक को बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 44 क के प्रावधानों के अंतर्गत दो बैंकिंग कंपनियों के स्वैच्छिक समामेलन का अनुमोदन प्रदान करने का विवेकाधिकार है।
-
एनबीएफसी का बैंकिंग कंपनी के साथ स्वैच्छिक समामेलन कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 232 से 234 के द्वारा शासित है, जिसके अनुसार, समामेलन की योजना न्यायाधिकरण1 द्वारा अनुमोदित होनी चाहिए।
अध्याय –II
निदेशक बोर्ड द्वारा अनुमोदन
6. संबंधित बैंकों के बोर्ड दो बैंकिंग कंपनियों के बीच अथवा बैंकिंग कंपनी और एनबीएफसी के बीच समामेलन के प्रस्ताव पर कार्य करने की प्रक्रिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। समामेलन का निर्णय बोर्ड के कुल सदस्यों में से दो तिहाई बहुमत के द्वारा अनुमोदित होना चाहिए, न कि उनमेंजो उपस्थित हैं अथवा जिन्होंने अपना मत दिया है। साथ ही, इस प्रकार के विलय के निर्णय में निहित उत्तरदायित्व के महत्व को देखते हुए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दिनांक 02 जून 2002 के परिपत्र बैंपविवि.सं.बीसी.116/08.139.001/2001-02 के अनुसार कॉर्पोरेट अभिशासन पर गांगुली कार्यदल की संस्तुतियों के अनुसार पारस्परिक संविदा विलेख उक्त बैठक में भाग लेने वाले सभी स्वतंत्र और गैर कार्यकारी निदेशकों से प्राप्त किया गया है।
अध्याय –III
दो बैंकिंग कंपनियों के बीच समामेलन
7. बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 44 क के अनुसार समामेलन की योजना का ड्राफ्ट प्रत्येक बैंकिंग कंपनी के हित धारकों द्वारा दो तिहाई बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अनुमोदित होना चाहिए जो इस उद्देश्य से बुलाई गई बैठक में व्यक्तिशः अथवा अपने प्रतिनिधि के द्वारा मौजूद हो। धारा 12(2) के अंतर्गत मतदान के अधिकार की उच्चतम सीमा धारा 44 क के संदर्भ में लागू होगी, जब अपेक्षित बहुमत के साथ संकल्प पारित हुआ है अथवा नहीं यह जानने के लिए मतदान किया जाएगा।
8. शेयरधारकों का अनुमोदन प्राप्त करने के प्रयोजन से बैठक के आयोजन से पूर्व, समामेलन की योजना का प्रारूप दोनों बैंकिंग कंपनियों के निदेशक बोर्डों द्वारा अलग से अनुमोदित होगा।
9. यह अनुमोदन देते समय, बैंक के बोर्ड निम्नलिखित मामलों के संबंध में विशेष रूप से विचार करेंगे :-
-
वह मूल्य, जिस पर समामेलित कंपनी की आस्तियों, देयताओं और आरक्षित निधियों को समामेलनकर्ता कंपनी की बहियों में शामिल करने का प्रस्ताव है, और क्या ऐसे समावेशन के परिणामस्वरूप आस्तियों का ऊर्ध्वगामी पुनर्मूल्यांकन होता है, या अप्राप्त लाभों के रूप में ऋण को लिया जाता है।
-
क्या समामेलित कंपनी के संबंध में समुचित सावधानी की कार्रवाई की गई है।
-
मुआवज़े का प्रकार, जिसे समामेलनकर्ता कंपनी द्वारा समामेलित कंपनी के शेयरधारकों को भुगतान किया जाएगा।
-
क्या अदला बदली (स्वैप) अनुपात का अपेक्षित क्षमता और अनुभव रखने वाले स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा निर्धारण किया गया है, और बोर्ड के मत में यह स्वैप अनुपात उचित और उपयुक्त है।
-
दोनों बैंकिंग कंपनियों में शेयरधारिता का प्रकार और क्या समामेलन और स्वैप अनुपात के परिणामस्वरूप, समामेलनकर्ता कंपनी में किसी व्यक्ति,संस्था अथवा समूह की शेयरधारिता से भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों का उल्लंघन होगा अथवा उसके विशेष अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
-
समामेलनकर्ता कंपनी की लाभप्रदता और पूंजी पर्याप्तता अनुपात पर समामेलन का प्रभाव।
-
समामेलन के परिणामस्वरूप समामेलनकर्ता बैंकिंग कंपनी के निदेशक बोर्ड के संघटन में किए जाने वाले प्रस्तावित परिवर्तन और क्या बोर्ड की परिणामी संघ्टना उस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुरूप होगी।
10. बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धरा 44 ए के अनुसार, उक्त धारा के प्रावधानों के अनुरूप शेयरधारकों के अपेक्षित बहुमत द्वारा समामेलन की योजना के अनुमोदन के पश्चात् उसे मंजूरी के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किया जाएगा।
अध्याय – III क
दो बैंकिंग कंपनियों के समामेलन के लिए आवेदन की प्रक्रिया
11. समामेलित और समामेलनकर्ता बैंकिंग कंपनी द्वारा इस निदेश की अनुसूची में विनिर्दिष्ट सूचना और दस्तावेज़ भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करेंगे, ताकि भारतीय रिज़र्व बैंक आवेदन मंजूर करने पर विचार कर सके।
अध्याय III ख
असहमत शेयरधारकों की पात्रता
12. धारा 44क (3) के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा योजना मंजूर किए जाने की स्थिति में, कोई असहमत शेयरधारक मंजूरी की तारीख से तीन माह के भीतर संबंधित बैंकिंग कंपनी से उसके द्वारा उस कंपनी में धारित शेयरों के संबंध में उस मूल्य का दावा करने के लिए पात्र होगा, जो योजना को मंजूर करते समय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित किया गया है, तथा असहमत शेयरधारकों को अदा किए जाने वाले शेयरों के मूल्य के रूप में रिज़र्व बैंक द्वारा ऐसा निर्धारण सभी प्रयोजनों के लिए अंतिम।
13. समामेलनकर्ता /समामेलित कंपनी को निम्नलिखित प्रस्तुत करना होगा ताकि भारतीय रिज़र्व बैंक इस प्रकार के मूल्य का निर्धारण कर सके : -
a. स्वैप अनुपात के निर्धारण के लिए नियुक्त मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा इस उद्देश्य के लिए समामेलनकर्ता /समामेलित कंपनी के शेयरों के मूल्यांकन की रिपोर्ट
b. इस प्रकार के मूल्यांकन की विस्तृत गणना
c. जहां समामेलनकर्ता /समामेलित कंपनी के शेयरों को स्टॉक बाज़ार में कोट किया गया है:-
-
बोर्ड द्वारा समामेलन की योजना को अनुमोदित करने की तारीख के तुरंत बाद वाले छः महीने तक अधिक व्यापक रूप से ट्रेड किये गए शेयरों की संख्या सहित शेयर बाज़ार में कोट के उच्चतम और निम्नतम सीमा के मासिक ब्योरे।
-
बोर्ड द्वारा समामेलन की योजना को अनुमोदित करने की तारीख के तुरंत पश्चात आने वाले प्रत्येक चौदह दिन की समाप्ति पर या शेयर की कोट की गई कीमत।
d. इस प्रकार की अन्य सूचना और दस्तावेज़ जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अपेक्षित हों।
अध्याय – IV
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का बैंकिंग कंपनी के साथ समामेलन
14. जहां बैंकिंग कंपनी के साथ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का समामेलन प्रस्तावित है, बैंकिंग कंपनी अपने और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के बोर्ड द्वारा समामेलन की योजना के अनुमोदन के पश्चात्, किंतु अनुमोदन के लिए न्यायाधिकरण को प्रस्तुत करने के पूर्व, भारतीय रिज़र्व बैंक का अनुमोदन प्राप्त करेंगे।
15. योजना को अनुमोदन प्रदान करते समय बैंकिंग कंपनी का बोर्ड उपर्युक्त अध्याय III के पैराग्राफ 9 में सूचीबद्ध किए गए मामलों पर विचार करेंगे।
16. इसके अतिरिक्त, बोर्ड इस बात की जांच करेंगे कि क्या: -
-
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) ने भारिबै/सेबी के किसी मानदंड का उल्लंघन किया है/ करने की संभावना है, और यदि ऐसा हो, तो समामेनल की योजना को अनुमोदन देने से पहले बोर्डयह सुनिश्चित करेगा कि इन मानदंडों का पालन किया गया है।
-
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) ने उन सभी खातों के लिए "अपने ग्राहक को जानिए" (केवाईसी) मानदंडों का पालन किया है, जो समामेलन के पश्चात बैंकिंग कंपनी के खाते बनेंगे।
-
यदि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) ने बैंकों/वित्तीय संस्थाओं से ऋण सुविधाएं प्राप्त की हैं तो, क्या ऋण समझौतो में यह अधिदेश है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी प्रस्तावित विलयन/ समामेलन के लिए बैंक/वित्तीय संस्था से सहमति लेंगे।
अध्याय - IV क
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के बैंकिंग कंपनी के साथ समामेलन के आवेदन की प्रक्रिया
17. बैंकिंग कंपनी इन निदेशों (मद सं 4 को छोडकर) की अनुसूची में विनिर्दिष्ट सूचना तथा उपर्युक्त अध्याय III ख के पैराग्राफ 13 में सूचीबद्ध की गई सूचना और दस्तावेज़ भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करेगी ताकि भारतीय रिज़र्व बैंक आवेदन का अनुमोदन करने पर विचार कर सके।
अध्याय -V
बैंकिंग कंपनी का गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के साथ समामेलन
18. उपर्युक्त अध्याय IV / IV क के प्रावधान यथोचित परिवर्तनों सहित ऐसे मामलों पर भी लागू होंगे, जहां किसी बैंकिंग कंपनी का गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के साथ समामेलन किया जाएगा।
अध्याय -VI
प्रवर्तकों द्वारा शेयर खरीदने/बेचने के लिए मानदंड
19. चर्चा की अवधि के पहले, उसके दौरान और उसके पश्चात् प्रत्यक्ष/ परोक्ष रूप से शेयर खरीदने/बेचने के लिए मानदंड
आंतरिक ट्रेडिंग पर प्रतिबंध के संबंध में सेबी के विनियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए, क्योंकि अधिग्रहण / विलयन और सूचीबद्ध बैंकों/ एनबीएफसी के शेयरों के लेनदेन से संबंधित सूचना कीमत -संवेदनशील हैं। यहां तक कि गैर सूचीबद्ध बैंकों/कंपनियों के समामेलन के संबंध में, सेबी के दिशानिर्देशों का पालन उसके निहित भाव के अनुरूप तथा जहां तक लागू हो, किया जाए।
अध्याय – VII
निरस्त करना और अन्य प्रावधान
20. ये दिशानिर्देश जारी करने के साथ ही भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निम्नलिखित परिपत्र में निहित अनुदेशों/दिशानिर्देशों को निरस्त कर दिया गया है।
निजी क्षेत्र के बैंकों के विलयन/समामेलन के लिए दिशानिर्देशों पर जारी दिनांक 11 मई 2005 का परिपत्र बैंपविवि.सं.पीएसबीएस.बीसी.89/16.13.100/2004-05
21. उपर्युक्त परिपत्र के अंतर्गत दिए गए सभी अनुमोदन इन निर्देशों के अधीन दिए गए माना जाएगा।
अनुसूची
समामेलन की योजना के आवेदन के साथ प्रस्तुत की जाने वाली सूचना और दस्तावेज़
1. समामेलन की योजना का मसौदा, जैसा कि अनुमोदन के लिए संबंधित शेयरधारकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
2. इस प्रकार के अनुमोदन के लिए प्रत्येक बैठक बुलाने की नोटिसों की प्रतियां, समाचार पत्र की कतरनों के साथ, इस बात के साक्ष्य के रूप में, कि इन बैठकों संबंधी सूचना सप्ताह में एक बार, लगातार तीन सप्ताह तक ऐसे दो अखबारों में प्रकाशित की गई है जो उस इलाके अथवा इलाकों में प्रचलित हैं, जहां कंपनी के पंजीकृत कार्यालय स्थित हैं, तथा इनमें से एक अखबार उस इलाके अथवा इलाकों में सामान्य तौर पर समझी जाने वाली भाषा का है।
3. शेयरधारकों की बैठक में पीठासीन प्रत्येक अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाणपत्र जिसमें निम्नलिखित को सत्यापित किया है:
(a) बैठक में पारित संकल्प की प्रति;
(b) स्वयं अथवा प्रतिनिधि के द्वारा बैठक में मौजूद शेयरधारकों की संख्या;
(c) संकल्प के पक्ष में मतदान करने वाले शेयरधारकों की संख्या और उनके द्वारा धारित शेयरों की कुल संख्या ;
(d) संकल्प के विरुद्ध मतदान करने वाले शेयरधारकों की संख्या और उनके द्वारा धारित शेयरों की कुल संख्या ;
(e) ऐसे शेयरधारकों की संख्या, जिनके मत को अवैध घोषित किया गया है और उनके द्वारा धारित शेयरों की कुल संख्या;
(f) संकल्प के विरुद्ध मतदान करने वाले शेयरधारकों के नाम तथा लेजर फोलियो और ऐसे प्रत्येक शेयरधारक द्वारा धारित शेयरों की संख्या ;
(g) बैठक में मतों की गणना करने के लिए नियुक्त किए गए संवीक्षकों के नाम और पदनाम के साथ ही उपर्युक्त मद सं (ग) से (च) में दी गई सूचना की पुष्टि में ऐसे संवीक्षकों द्वारा दिए गये प्रमाणपत्र;
(h) ऐसे शेयरधारकों के नाम जिन्होंने पीठासीन अधिकारी को लिखित में यह सूचना दी है कि वे समामेलन की योजना से असहमत हैं, और उनके द्वारा धारित शेयरों की संख्या;
4. कपनियों के संबंधित अधिकारियों के प्रमाणपत्र, जिनमें ऐसे शेयरधारकों के नाम दिए हों, जिन्होंने बैंकिंग कंपनी को बैठक में अथवा उससे पहले समामेलन की योजना पर असहमति व्यक्त करने की नोटिस दी हो तथा ऐसे प्रत्येक शेयरधारकों द्वारा धारित शेयरों की संख्या।
5. समामेलन के बाद पुनर्गठन के लिए यथाप्रस्तावित समामेलनकर्ता कंपनी के निदेशकों के नाम, पते और व्यवसाय तथा यह भी उल्लेख किया जाए कि यह संरचना किस प्रकार भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियमों का अनुपालन करेगी।
6. समामेलन के पश्चात् समामेलनकर्ता कंपनी के प्रस्तावित मुख्य कार्यकारी अधिकारी से संबंधित ब्योरे।
7. स्वैप अनुपातों का निर्धारण करने के लिए नियुक्त मूल्यांकनकर्ताओं की रिपोर्ट की प्रतियां।
8. समामेलन की योजना पर विचार करने के लिए निम्नलिखित ब्योरों सहित संबंधित सभी सूचनाएं
(a) समामेलन के लिए नियत तारीख से तुरंत पहले समाप्त तीन वित्त वर्षों के लिए प्रत्येक बैंकिंग कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट;
(b) प्रत्येक बैंकिंग कंपनी द्वारा नियत तारीख के तुरंत पहले समाप्त वित्त वर्ष के लिए प्रकाशित वित्तीय परिणाम, यदि कोई हो;
(c) समामेलनकर्ता बैंकिंग कंपनी का प्रोफोर्मा संयुक्त तुलन पत्र, जैसा कि वह समामेलन के परिणामस्वरूप नियत तारीख को प्रभावी होगा
(d) इस प्रकार के प्रोफार्मा संयुक्त तुलनपत्र के आधार पर निम्नलिखित की गणना :
(i) टियर I पूंजी
(ii) टियर II पूंजी
(iii) जोखिम- भारित आस्तियां
(iv) कुल और निवल अनर्जक आस्तियां
(v) टियर I पूंजी से जोखिम- भारित आस्तियों का अनुपात
(vi) टियर II पूंजी से जोखिम- भारित आस्तियों का अनुपात
(vii) कुल पूंजी से जोखिम- भारित आस्तियों का अनुपात
(viii) टियर I पूंजी से कुल आस्तियां
(ix) कुल और निवल अनर्जक आस्तियों से अग्रिमों का अनुपात
9. निम्न विवरण सहित मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा प्रमाणित जानकारी जिसे प्रस्तावित स्वैप अनुपात को समझने के लिए प्रासंगिक माना गया है:
-
मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा प्रयुक्त मूल्यांकन की पद्धतियां;
-
ऐसी सूचना और दस्तावेज़ जिनपर मूल्यांकरकर्ताओं ने निर्भर किया है तथा ऐसी सूचना की शुद्धता की जांच के लिए माल्यांकनकर्ताओं द्वारा किए गए सत्यापन, यदि कोई हो, की सीमा;
-
यदि मूल्यांकनकर्ताओं ने अनुमानित सूचना पर निर्भर किया है तो, ऐसी सूचना प्रदान करने वाले व्यक्तियों के नाम और पदनाम और ऐसी सूचना की शुद्धता की जांच के लिए माल्यांकनकर्ताओं द्वारा किए गए सत्यापन, यदि कोई हो तो, की सीमा;
-
अनुमानित सूचना, जिसपर मूल्यांकनकर्ताओं ने निर्भर किया है, के ब्योरे;
-
स्वैप अनुपातों की विस्तृत गणना, जिसमें प्रकाशित वित्तीय सूचना पर मूल्यांकन के उद्देश्य से किए गए समायोजन के संबंध में स्पष्टीकरण निहित है;
-
यदि ये समायोजन तृतीय पक्ष द्वारा किए गए मूल्यांकनों के आधार पर किये गये हैं तो ऐसे मूल्यांकन करने वाले व्यक्तियों से संबंधित ब्योरे;
-
मूल्यांकन के प्रयोजन से प्रयुक्त पूंजीकरण कारक और पूंजी की भारित औसत लागत(डब्ल्यूएसीसी) तथा उसका औचित्य ;
-
यदि स्वैप अनुपात की गणना में शेयरों के बाज़ार मूल्यों पर विचार किया गया है, तो,विचार किया गया बाज़ार मूल्य और जिस स्रोत से ऐसे मूल्य लिए गए हैं, वह स्रोत ;
-
यदि मूल्यांकनकर्ता एक से अधिक हैं, तो क्या प्रत्येक मूलयांकनकर्ता ने अलग स्वैप अनुपात की अनुशंसा की है, और यदि हां, तो प्रत्येक मूल्यांकनकर्ता के संबंध में उपर्युक्त ब्योरा अलग से दिया जाए और यह दर्शाया जाए कि अंतिम स्वैप अनुपात किस प्रकार हासिल किया गया;
10. ऐसी अन्य सूचनाएं और स्पष्टीकरण, जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अपेक्षित हों।
|