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मास्टर निदेशों

मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021 (28 दिसंबर 2023 तक अद्यतन किया गया)

आरबीआई/डीओआर/2021-22/86
डीओआर.एसटीआर.आरईसी.51/21.04.048/2021-22

24 सितंबर, 2021
(28 दिसंबर 2023 तक अद्यतन किया गया)
(05 दिसंबर 2022 को अद्यतन किया गया)

सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/ राज्य सहकारी बैंक/ 1मध्यवर्ती सहकारी बैंक
सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्तीय कंपनियाँ सहित)

मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021

कृपया विभिन्न हितधारकों से टिप्पणी आमंत्रित करते हुए दिनांक 8 जून 2020 को जारी ऋण एक्सपोजर की बिक्री हेतु व्यापक ढांचे के प्रारूप का संदर्भ लें।

2. प्राप्त टिप्पणियों की जांच के आधार पर, रिज़र्व बैंक ने मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021 जारी किया है, जो संलग्न हैं। यह निदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और 35ए; भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 का अध्याय IIIबी; और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए, 32 और 33 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं।

3. ये निदेश ऋण एक्सपोजर की बिक्री/ हस्तांतरण संबंधी मौजूदा अनुदेशों के स्थान पर तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। सभी ऋणदात्री संस्थाओं को सूचित किया जाता है कि वे इन निदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कदम उठाएं।

भवदीय

(मनोरंजन मिश्रा)
मुख्य महाप्रबंधक


डीओआर.एसटीआर.आरईसी.52/21.04.048/2021-22

सितंबर 24, 2021
(28 दिसंबर 2023 तक अद्यतन किया गया)
(05 दिसंबर 2022 को अद्यतन किया गया)

मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021

परिचय

ऋणदात्री संस्थाओं द्वारा चलनिधि प्रबंधन, अपने एक्सपोजर का पुनर्संतुलन या रणनीतिक बिक्री जैसे कई कारणों से ऋण हस्तांतरण का सहारा लिया जाता है। ऋणदात्री संस्थाओं द्वारा ऋण एक्सपोजर के प्रबंधन के लिए मजबूत द्वितीयक बाजार और चलनिधि बढ़ाने के लिए अतिरिक्त मार्ग एक महत्वपूर्ण तंत्र हो सकता है। इसलिए ऋण एक्सपोजर के हस्तांतरण को नियंत्रित करने वाले व्यापक, स्व-निहित दिशा-निर्देश निर्धारित करना आवश्यक है।

तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और 35ए; भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 का अध्याय IIIबी; और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए, 32 और 33 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, इस बात से आश्वस्त होकर कि जनहित में ऐसा करना आवश्यक और हितकारक है, एतद्वारा निदेश जारी करता है, जो नीचे निर्धारित है।

संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ

1. इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021 कहा जाएगा।

2. ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

अध्याय I: दायरा और परिभाषाएं

A. प्रयोज्यता और उद्देश्य

3. इन निदेशों के प्रावधान निम्नलिखित संस्थाओं पर लागू होंगे (सामूहिक रूप से इन निदेशों में ऋणदाताओं के रूप में संदर्भित), जब तक कि अन्यथा निर्दिष्ट न हो:

(a) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक;

(b) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक;

(c) 2प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/ राज्य सहकारी बैंक/ मध्यवर्ती सहकारी बैंक;

(d) अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (नाबार्ड, एनएचबी, एक्जिम बैंक, सिडबी और 3एनएबीएफआईडी);

(e) लघु वित्त बैंक; और

(f) आवास वित्त कंपनी (एचएफ़सी) सहित सभी गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियाँ (एनबीएफ़सी)

बशर्ते कि:

(i) उपरोक्त उप-खंड (ख) और (ग) में निर्दिष्ट ऋणदाताओं को इन निदेशों के अध्याय IV के तहत केवल दबावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरणकर्ता (ओं) के रूप में अनुमति दी जाती है, और किसी अन्य प्रकार के ऋण हस्तांतरण में हस्तांतरणकर्ता (ओं) या हस्तांतरिती (ओं) के रूप में अनुमति नहीं है।

(ii) सभी ऋणदाता, जिन्हें ऋण अधिग्रहण करने की अनुमति है, केवल ऊपर्युक्त ऋणदाता के रूप में निर्दिष्ट हस्तांतरणकर्ता(ओं) से ही अधिग्रहण करेंगे जब तक कि उन्हें विशेष रूप से अनुमति न दी जाए।

(iii) 4(क) में विनिर्दिष्ट ऋणदाताओं की विदेशी शाखाओं को निम्नलिखित की अनुमति होगी:

क) मेजबान के क्षेत्राधिकार में बैंक के रूप में संचालित और विनियमित वित्तीय संस्था जो ‘चूककर्ता नहीं' केवल ऐसी वित्तीय इकाई से ऋण एक्सपोजर  अधिग्रहण करना।

ख) मेजबान के क्षेत्राधिकार में एक बैंक के रूप में संचालित और विनियमित वित्तीय संस्था को निवासी संस्थाओं से संबंधित 'चूककर्ता' और 'चूककर्ता नहीं' एक्सपोजर का हस्तांतरण। 

ग) मेजबान क्षेत्राधिकार में वित्तीय क्षेत्र के नियामक द्वारा विनियमित किसी भी संस्था को अनिवासियों से संबंधित 'चूककर्ता' और 'चूककर्ता नहीं' एक्सपोजर का हस्तांतरण।

इस तरह के अधिग्रहण अथवा हस्तांतरण के समय इन निदेशों के खंड 23 का कड़ाई से अनुपालन करना आवश्यक होगा।

4. कोई भी ऋणदाता इन निदेशों के तहत अनुमत और उसमें निर्धारित तरीके के अलावा किसी भी प्रकार का ऋण हस्तांतरण या अधिग्रहण नहीं करेगा।

5स्पष्टीकरण : उपर्युक्त नियम भारतीय रिज़र्व बैंक (मानक आस्तियों का प्रतिभूतिकरण) निदेश, 2021; मास्टर निदेश- बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार क्रेडिट और संरचित दायित्व दिनांक 26 मार्च, 2019; गारंटी प्राप्त करना; अथवा आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार स्पष्ट रूप से अनुमति प्राप्त उत्पादों, के प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होंगे।

5. ये निदेश खंड 3 में उल्लिखित ऋणदाताओं द्वारा किए गए सभी ऋण हस्तांतरणों, नवीयन या समनुदेशन और ऋण भागीदारी के माध्यम से ऋण की बिक्री पर लागू होंगे।

बशर्ते कि ऋण भागीदारी के अलावा अन्य ऋण हस्तांतरण के मामलों में, ऋण के विधिक स्वामित्व को अनिवार्य रूप से हस्तांतरित आर्थिक हित की सीमा तक हस्तांतरिती को हस्तांतरित किया जाए।

6. जब तक कि विशेष रूप से खंड 54 और 58 के अनुसार विशिष्ट अनुमतियों के अनुसार हस्तांतरिती(ओं) के रूप में संस्थाओं की अन्य श्रेणियों पर लागू नहीं किए जाते ये निदेश केवल ऋण हस्तांतरण में हस्तांतरणकर्ता या हस्तांतरिती(ओं) के रूप में खंड 3 में उल्लिखित ऋणदाताओं पर लागू होंगे ।

7. एनबीएफसी जिन्हें भारतीय लेखा मानकों (इंडएएस) का अनुपालन करना आवश्यक है, इन निदेशों और मानकों के बीच किसी भी विसंगति के मामले में भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान द्वारा जारी मानकों और परामर्शी सूचनाओं (आईसीएआई एडवाइजरी) द्वारा मार्गदर्शित होते रहेंगे।

8. खंड 3 और आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) में उल्लिखित ऋणदाताओं के अलावा अन्य हस्तांतरणियों के संबंध में, जो संस्थाएं वित्तीय क्षेत्र की भी हैं, हस्तांतरण के बाद आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान सहित विवेकपूर्ण मानदंड संबंधित वित्तीय क्षेत्रीय विनियामकों, जैसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण, और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण द्वारा निर्धारित संबंधित विनियामकीय ढांचे के अनुसार होंगे।

B. परिभाषाएँ

9. इन निदेशों के लिए, निम्नलिखित परिभाषाएँ लागू होती हैं:

(a) "खंड" का अर्थ है इन निदेशों का एक खंड;

(b) "ऋण संवर्धन" का अर्थ एक संविदात्मक व्यवस्था है जिसमें एक संस्था किसी लेनदेन के लिए अन्य पार्टियों को कुछ हद तक अतिरिक्त संरक्षण प्रदान करता है ताकि उनके अधिग्रहीत एक्सपोजर के ऋण जोखिम को कम किया जा सके;

(c) "चूक' का अर्थ है ऋण का भुगतान न करना (जैसा कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत परिभाषित किया गया है),जब ऋण का पूरा या कोई हिस्सा या किस्त देय हो गया है और चुकाने योग्य है और देनदार या कॉर्पोरेट देनदार द्वारा भुगतान नहीं किया गया है, यथास्थिति;

बशर्ते कि नकद ऋण जैसी परिक्रामी सुविधाओं के लिए, उपरोक्त पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, का अर्थ यह भी होगा कि 30 दिनों से अधिक के लिए स्वीकृत सीमा या आहरण शक्ति, जो भी कम हो, से अधिक बकाया राशि लगातार बनी हुई है।

(d) 6"आर्थिक हित" उन जोखिमों और प्रतिफलों को संदर्भित करता है जो ऋण एक्सपोजर की अवधि के दौरान ऋण एक्सपोजर से उत्पन्न हो सकते हैं।

(e) "ऋण भागीदारी" का अर्थ एक ऐसा लेन-देन है जिसके माध्यम से हस्तांतरणकर्ता ऋण संविदा के वास्तविक हस्तांतरण के बिना हस्तांतरिती(ओं) के लिए ऋण एक्सपोजर में अपने सभी या आंशिक आर्थिक हित को स्थानांतरित करता है, और हस्तांतरिती(ओं) हस्तांतरणकर्ता को हस्तांतरित आर्थिक हित की सीमा तक निधि प्रदान करता है जो हस्तांतरण करार के तहत मूलधन, ब्याज, शुल्क और अन्य भुगतान, यदि कुछ है उसके बराबर हो सकता है;

बशर्ते कि ऋण भागीदारी के तहत आर्थिक हित का हस्तांतरण केवल हस्तांतरणकर्ता और हस्तांतरिती(ओं) के बीच एक संविदात्मक हस्तांतरण करार के माध्यम से होगा और हस्तांतरणकर्ता अभिलेख में उधारकर्ता बना रहेगा।

बशर्ते कि ऋण भागीदारी के मामले में, हस्तांतरिती(ओं) का एक्सपोजर अंतर्निहित उधारकर्ता के लिए होगा न कि हस्तांतरणकर्ता के लिए। तदनुसार, इस तरह के हस्तांतरण के पश्चात, प्रत्येक हस्तांतरणकर्ता और हस्तांतरिती(ओं) अपने द्वारा धारित आर्थिक हित के आधार पर परिकलित अंतर्निहित उधारकर्ता के एक्सपोजरके अनुसार पूंजी बनाए रखेंगे। हस्तांतरण के बाद प्रावधान संबंधी आवश्यकताओं सहित लागू विवेकपूर्ण मानदंड, उपरोक्त एक्सपोजर परिकलन और परिणामी बकाया पर आधारित होंगे।

(f) "न्यूनतम धारण अवधि (एमएचपी)" का अर्थ है वह न्यूनतम अवधि जिसके लिए हस्तांतरिती(यों) को हस्तांतरणकर्ता ऋण एक्सपोजर को हस्तांतरित करने से पहले अपने पास रखना चाहिए।;

(g) "निवल बही मूल्य (एनबीवी)" का अर्थ है ऋण एक्सपोजर में से उस एक्सपोजर के प्रति विशिष्ट प्रावधानों को कम किए जाने के बाद बकाया निधि;

(h) “अनुमत हस्तांतरी” का अर्थ उपखंड (क), (घ), (ड) और खंड 3 के (च) में निर्दिष्ट ऋणदाताओं से है;

(i) "व्यक्तिगत ऋण" का अर्थ दिनांक 4 जनवरी 2018 के परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी. बीसी.99/08.13.100/2017-18 के अनुबंध की संख्या 2 में परिभाषित ऋण एक्सपोजर है;

स्पष्टीकरण: उपरोक्त परिभाषा के दायरे आने वाले किसी भी ऋण को व्यक्तिगत ऋण के रूप में ही वर्गीकृत किया जाएगा, भले ही ऐसे ऋण किसी भी विनियामकीय/पर्यवेक्षी रिपोर्टिंग में स्पष्ट रूप से इस प्रकार वर्गीकृत नहीं हो।

(j) "पोर्टफोलियो" का अर्थ है एक ही हस्तांतरण करार के तहत एक समय में एक साथ हस्तांतरित ऋण एक्सपोजर का एक सेट;

बशर्ते कि हस्तांतरण करार जिसके तहत ऋणों को एक पोर्टफोलियो के रूप में हस्तांतरित किए जाते हैं वे व्यक्तिगत ऋण एक्सपोजर के विवरण को सूचीबद्ध करेंगे जो एक पोर्टफोलियो के रूप में हस्तांतरित किए जाते हैं।

(k) "दबावग्रस्त ऋण" का अर्थ ऋण एक्सपोजर से है जिसे अनर्जक आस्तियों (एनपीए) या विशेष उल्लेख खातों (एसएमए) के रूप में वर्गीकृत किया गया हैं;

(l) "हस्तांतरण" का अर्थ है, इन निदेशों में अनुमत तरीके से अंतर्निहित ऋण संविदा के हस्तांतरण के साथ या उसके बिना हस्तांतरणकर्ता द्वारा हस्तांतरिती को ऋण एक्स्पोसर में आर्थिक हित का हस्तांतरण;

स्पष्टीकरण : परिणामस्वरूप, ऋण हस्तांतरण के पश्चात हस्तांतरिती(यों) ऋण एक्सपोजर को "अधिग्रहण" करेगा।

(m) "हस्तांतरिती" का अर्थ है, वह संस्था जिसे इन निदेशों के तहत ऋण एक्स्पोजर में आर्थिक हित हस्तांतरित किया जाता है;

बशर्ते कि हस्तांतरिती दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की धारा 29ए के तहत अयोग्य घोषित व्यक्ति नहीं होना चाहिए;

बशर्ते कि उधारकर्ताओं के ऋण एक्सपोजर के हस्तांतरण के मामले में जिनके खातों में किसी ऋणदाता द्वारा धोखाधड़ी संबंधी मामलों का पता लगाया गया है, हस्तांतरिती न तो ऐसे उधारकर्ता के मौजूदा प्रमोटर समूह से संबंधित होगा और न ही अनुषंगी/ सहयोगी/ संबंधित पार्टी (घरेलू और साथ ही विदेशी) आदि से।

स्पष्टीकरण I: बाजार की भाषा में, जहां भी लागू हो हस्तांतरिती को वैकल्पिक रूप से समनुदेशन लेनदेन के तहत समनुदेशिती और ऋण भागीदारी के तहत भागीदार के रूप में वैकल्पिक रूप से संदर्भित किया जाए ।

स्पष्टीकरण II : उपरोक्त दूसरे नियम के प्रयोजन के लिए, 'प्रमोटर ग्रुप' शब्द का अर्थ वही होगा जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (पूंजी का निर्गम और प्रकटीकरण आवश्यकताएँ) विनियम, 2018 में है; और 'संबंधित पक्ष' शब्द के लिए दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 में दिया गया अर्थ है।

स्पष्टीकरण III: यह जांच करने और स्थापित करने की जिम्मेदारी हस्तांतरणकर्ता की है कि हस्तांतरिती द्वारा उपरोक्त प्रावधानों का अनुपालन करता है।

(n) " हस्तांतरणकर्ता " का अर्थ उस इकाई से है जो इन निदेशों के तहत ऋण एक्स्पोसर में आर्थिक हित को हस्तांतरित करता है;

स्पष्टीकरण : बाजार की भाषा में, जहां भी लागू हो हस्तांतरणकर्ता को समनुदेशन लेनदेन के तहत समनुदेशक के रूप में और ऋण भागीदारी के तहत अनुदानकर्ता के रूप में वैकल्पिक रूप से संदर्भित किया जाना चाहिए ।

अध्याय II: सभी ऋण हस्तांतरणों के लिए लागू सामान्य शर्तें

A. सामान्य आवश्यकताएँ

10. ऋणदाताओं को इन दिशानिर्देशों के तहत ऋण एक्सपोजर के हस्तांतरण और अधिग्रहण के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित एक व्यापक नीति बनानी होगी। इन दिशानिर्देशों में, अन्य बातों के साथ-साथ, उचित सावधानी, मूल्यांकन, डेटा के अभिग्रहण, भंडारण और प्रबंधन के लिए अपेक्षित आईटी सिस्टम, जोखिम प्रबंधन, आवधिक बोर्ड स्तर की निगरानी आदि से संबंधित न्यूनतम मात्रात्मक और गुणात्मक मानकों को निर्धारित करना होगा। इसके अलावा, इस नीति में ऋण निर्माण में शामिल कर्मियों से ऋण के हस्तांतरण/ अधिग्रहण में शामिल इकाइयों और कर्मियों के कामकाज और रिपोर्टिंग जिम्मेदारियों की स्वतंत्रता भी सुनिश्चित करनी होगी। नीति में वर्णित सभी लेन-देन आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।

11. ऋण हस्तांतरण का परिणाम आमतौर पर ऋण संविदा के अंतर्निहित नियमों और शर्तों में किसी भी बदलाव के बिना आर्थिक हित के हस्तांतरण के रूप में होना चाहिए। सभी मामलों में, यदि हस्तांतरण के दौरान और बाद में ऋण संविदा के नियमों और शर्तों में कोई संशोधन होता है (उदाहरण के लिए टेक-आउट वित्तपोषण में), तो उसका मूल्यांकन दिनांक 07 जून 2019 के भारतीय रिज़र्व बैंक (दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा) निदेश 2019 के अनुबंध के पैराग्राफ 1 में दिए गए 'पुनर्गठन' की परिभाषा के अनुसार किया जाएगा।

12. ऋण भागीदारी लेनदेनों में, उसके डिजाइन के अनुसार, हस्तांतरिती(ओं) को आर्थिक हित हस्तांतरित करने के बावजूद विधिक स्वामित्व पूरी तरह से हस्तांतरणकर्ता के पास रहता है। ऐसे मामलों में, हस्तांतरणकर्ता और हस्तांतरिती(यों) की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को संविदा में स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया जाएगा।

13. खंड 3 में संदर्भित ऋणदाताओं, चाहे वे हस्तांतरंकर्ता हो या अन्यथा, ऋण हस्तांतरण के मामले में किसी भी रूप में ऋण संवर्धन या चलनिधि सुविधाओं का प्रस्ताव नहीं करना चाहिए।

14. भारतीय रिज़र्व बैंक (दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा) निदेश, 2019 के तहत समाधान योजना के एक हिस्से के रूप में या दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत स्वीकृत समाधान योजना के हिस्से के रूप में के अलावा एक हस्तांतरणकर्ता संस्था द्वारा पहले हस्तांतरित किए गए ऋण एक्सपोजर को पूर्ण या आंशिक रूप से पुन:प्राप्त नहीं कर सकता।

15. ऋण हस्तांतरण के परिणामस्वरूप हस्तांतरणकर्ता को ऋण से जुड़े जोखिमों और प्रतिफल (रिवार्ड) से तत्काल अलग किया जाना चाहिए जहां तक आर्थिक हित हस्तांतरित हुआ है। हस्तांतरणकर्ता द्वारा एक्सपोजर में बनाए रखे आर्थिक हित के मामले में, ऋण हस्तांतरण करार में हस्तांतरणकर्ता और हस्तांतरिती(ओं) के बीच हस्तांतरित ऋण में से मूलधन और ब्याज आय का वितरण स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट होना चाहिए।

16. हस्तांतरिती(यों) के पास उन्हें हस्तांतरित किए गए आर्थिक हित की सीमा तक किसी भी प्रतिबंधात्मक शर्त से मुक्त होकर ऋणों को स्थानांतरित करने या अन्यथा निपटाने का अबाधित शक्ति होनी चाहिए। इन दिशानिर्देशों के तहत विशेष रूप से अनुमत बातों को छोड़कर, हस्तांतरित आर्थिक हित से जुड़े किसी भी खर्च या नुकसान के लिए हस्तांतरिती के पास कोई सहारा नहीं होगा। इसके अलावा, जब संबंधित संस्था को हस्तांतरित या रखे हुए लाभकारी आर्थिक हित संबंधी समाधान या वसूली की बात आती है तो हस्तांतरणकर्ता/ हस्तांतरिती को हस्तांतरिती(यों)/ हस्तांतरणकर्ता, जैसा मामला हो, से सहमति प्राप्त करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

17. हस्तांतरणकर्ता के पास वारंटी के उल्लंघन या हस्तांतरण के समय किए गए व्यपदेशन को छोड़कर ऋण या उसके किसी भी हिस्से को पुन:अधिग्रहीत करने या पुनर्भुगतान को निधि प्रदान करने या हस्तांतरिती (ओं) द्वारा रखे गए ऋणों को प्रतिस्थापित करने या किसी भी समय हस्तांतरिती (ओं) को अतिरिक्त ऋण प्रदान करने का कोई दायित्व नहीं होगा। हस्तांतरणकर्ता यह प्रदर्शित करने में सक्षम होना चाहिए कि इस आशय की सूचना हस्तांतरिती (यों) को दे दी गई है और यह कि हस्तांतरिती (यों) ने ऐसी बाध्यता के अभाव को स्वीकार किया है।

18. जहां कहीं भी हस्तांतरणकर्ता द्वारा हस्तांतरिती(यों) के भरोसे से हिताधिकारियों के रूप में प्रतिभूति हित को बनाए रखा है, हस्तांतरिती(ओं) को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे प्रतिभूति हित के समय पर लागू करने हेतु एक पारस्परिक रूप से सहमत और बाध्यकारी तंत्र हो, और यदि आवश्यक हो तो, उचित रूप से प्रलेखित और स्थापित किया गया हो।

19. हस्तांतरणकर्ता(ओं) द्वारा ऋणों का हस्तांतरण अंतर्निहित दायित्वों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए और संबंधित अनुबंधों के अनुसार जहां आवश्यक हो वहां बाध्यताधारियों (तृतीय पक्षों सहित) से सभी आवश्यक सहमति प्राप्त की जानी चाहिए।

20. हस्तांतरिती को आस्तियों के हस्तांतरण के बाद अनुमत हस्तांतरित(ओं) द्वारा अंतर्निहित करार की शर्तों में कोई पुनर्निर्धारण, पुनर्गठन या पुन: सौदेबाज़ी का प्रयास दिनांक 7 जून 2019 के परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.45/21.04.048/2018-19 के तहत जारी भारतीय रिज़र्व बैंक (दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा निदेश, 2019 के प्रावधानों के अनुसार होगा।

21. हस्तांतरणकर्ता को उन सभी मामलों के बारे में आरबीआई (पर्यवेक्षण विभाग) को सूचित करना चाहिए जहां उसने एक हस्तांतरिती को हस्तांतरित ऋण प्रतिस्थापित किया है या किसी व्यपदेशन या वारंटी से उत्पन्न होने वाले नुकसान का भुगतान किया है।

22. घरेलू लेनदेन के लिए, हस्तांतरिती(ओं) को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हस्तांतरणकर्ता ने उनके द्वारा अधीग्रहीत ऋणों के संबंध में इन निदेशों के अध्याय III के भाग बी में निर्धारित किए गए अनुसार एमएचपी मानदंड का कड़ाई से पालन किया है।

23. भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं द्वारा हस्तांतरण के साथ-साथ एक्सपोजर का अधिग्रहण इस परिपत्र में निर्धारित आवश्यकताओं के अनुपालन के अधीन होना चाहिए, हस्तांतरण में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के तहत निर्धारित प्रावधानों सहित अन्य किसी वैधानिक या विनियामकीय प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए ।

बशर्ते कि, ऐसे क्षेत्राधिकार में, जहां एमएचपी से संबंधित नियम नहीं हैं, भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाएं एमएचपी मानदंड का पालन किए बिना, भारत में उत्पन्न हुए एक्सपोजर को छोड़कर, ऐसे एक्सपोजर प्राप्त कर सकती हैं।

24. आउटसोर्सिंग संबंधी मौजूदा अनुदेश और भारतीय रिजर्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016 (समय-समय पर यथासंशोधित) के लागू प्रावधानों का पालन सभी मामलों में किया जाएगा।

25. उन एक्सपोजरों के संबंध में जो इन निदेशों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं, हस्तांतरिती(ओं) को अधिग्रहीत वास्तविक एक्सपोजर के बराबर पूंजी प्रभार बनाए रखना होगा। ऐसे मामलों में, हस्तांतरणकर्ता सम्पूर्ण रूप से हस्तांतरित ऋण को मान्यता देना जारी रखेगा, जैसे कि इसे पहली बार में हस्तांतरित ही नहीं किया गया हो, और प्राप्त प्रतिफल अग्रिम के रूप में माना जाएगा।

B. सेवा सुविधा प्रदाता के रूप में हस्तांतरणकर्ता

26. हस्तांतरिती(यों) अधिग्रहीत एक्सपोजर को प्रशासित या सेवा करने के लिए एक सेवा सुविधा प्रदाता को नियुक्त कर सकता है, जो हस्तांतरणकर्ता भी हो सकता है।

27. यदि कोई ऋणदाता, हस्तांतरणकर्ता सहित, ऋण हस्तांतरण के बाद हस्तांतरिती(यों) के लिए सेवा सुविधा प्रदाता की भूमिका निभाता है, तो यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निम्नलिखित शर्तें पूरी की जाती हैं:

a. प्रकृति, उद्देश्य, सुविधा की सीमा और प्रदर्शन के सभी आवश्यक मानकों को स्पष्ट रूप से एक लिखित करार में निर्दिष्ट किया जाना चाहिए।

b. यह सुविधा बाजार के नियमों और शर्तों के आधार पर 'स्वतंत्र संव्यवहार' के आधार पर प्रदान की जाती है।

c. सेवा सुविधा प्रदाता की भूमिका से उत्पन्न होने वाले किसी भी शुल्क या अन्य आय का भुगतान आस्थगन या छूट के अधीन नहीं है जो की एक प्रकार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ऋण संवर्धन या तरलता सुविधा प्रदान करेगा।

d. सुविधा की अवधि शीघ्रातिशीघ्र तारीख तक सीमित है जिस पर:

  1. अंतर्निहित ऋण पूरी तरह से परिशोधित हैं;

  2. अंतर्निहित ऋणों में हस्तांतरिती(यों) के आर्थिक हित से जुड़े सभी दावों का भुगतान किया गया; या

  3. सेवा सुविधा प्रदाता के रूप में ऋणदाता के दायित्वों को अन्यथा समाप्त कर दिया गया।

e. निश्चित संविदात्मक दायित्वों से परे ऋणदाता के लिए कोई आश्रय नहीं होना चाहिए।

f. हस्तांतरिती(यों) को सेवा सुविधा प्रदान करने के लिए एक वैकल्पिक पार्टी के चयन करने का स्पष्ट अधिकार है।

g. जब तक ऋणदाता को अंतर्निहित ऋणों से उत्पन्न धन प्राप्त नहीं होता, तब तक उसे हस्तांतरिती(ओं) को धन विप्रेषित करने के लिए बाध्य नहीं होना चाहिए।

h. ऋणदाता भरोसे के आधार पर, हस्तांतरिती(ओं) की ओर से, अंतर्निहित ऋणों से उत्पन्न होने वाले नकदी प्रवाह को अपने पास रखेगा और इन नकदी प्रवाहों को अपने स्वयं के नकदी प्रवाह के साथ मिलाने नहीं देगा।

बशर्ते कि यदि उपरोक्त शर्तों को पूरा नहीं किया जाता है, तो ऋणदाता हस्तांतरित ऋणों पर इस प्रकार पूंजी बनाए रखेगा जैसे कि जिन ऋणों के संबंध में सेवा सुविधा प्रदान की जा रही है, वे सीधे अपनी बहियों में रखे गए हैं।

अध्याय III: उन ऋणों का हस्तांतरण जो चूक (डिफ़ाल्ट) में नहीं है

A. सामान्य आवश्यकताएँ

28. इस अध्याय के प्रावधान निम्न पर लागू नहीं होते:

  1. उधारकर्ता के अनुरोध/ मामले पर एक ऋणदाता द्वारा दूसरे ऋणदाताओं को उधारकर्ताओं के ऋण खातों का हस्तांतरण;

  2. समय-समय पर संशोधित दिनांक 31 दिसंबर 1988 के परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी. बीसी.57/62-88 में शामिलअंतर-बैंक भागीदारी;

  3. कारोबार से पूर्ण रूप से बाहर जाने के निर्णय के फलस्वरूप ऋण के पूरे संविभाग की बिक्री;

  4. दबावग्रस्त ऋणों की बिक्री; तथा

  5. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विशिष्ट रूप से छूट दी गई अन्य कोई व्यवस्था/ लेनदेन,.

29. ऊपर खंड 28 में संदर्भित लेनदेन संबंधित विनियामकीय ढांचे के द्वारा शासित होंगे। हालांकि, ऐसे सभी मामलों में, अध्याय II के प्रावधान उन मामलों को छोड़कर लागू होते रहेंगे जहां संबंधित विनियामकीय ढांचा अन्यथा प्रदान करता है।

30. एक हस्तांतरणकर्ता समनुदेशन या नवीयन या ऋण भागीदारी संविदा के माध्यम से अनुमत हस्तांतरीतियों को एकल ऋण या ऐसे ऋण का एक भाग या ऐसे ऋणों का एक पोर्टफोलियो अंतरित कर सकता है।

31. ऐसे मामलों में जहां ऋण हस्तांतरण के परिणामस्वरूप ऋण करार के तहत लेंडर ऑफ रेकॉर्ड में परिवर्तन होता है, हस्तांतरणकर्ता और हस्तांतरिती (ओं) को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मौजूदा ऋण करार में अंतर्निहित उधारकर्ता द्वारा सहमति सहित उपयुक्त सक्षम प्रावधान उपलब्ध हैं जो आवश्यक मूल सिद्धांतों को निर्धारित करते हुए इस तरह के लेनदेन की अनुमति देते हैं।

32. हस्तांतरित ऋणों में हस्तांतरणकर्ता द्वारा आर्थिक हित, यदि कुछ है तो, उसका प्रतिधारण विधिक रूप से वैध दस्तावेज़ीकरण द्वारा समर्थित होना चाहिए। हस्तांतरणकर्ता द्वारा निम्नलिखित के संबंध में कम से कम एक कानूनी राय प्राप्त करते हुए उसे रिकॉर्ड में रखनी चाहिए:

a. हस्तांतरणकर्ता द्वारा रखे गए आर्थिक हित की राशि की विधिक वैधता;

b. हस्तांतरणकर्ता द्वारा हस्तांतरिती(ओं) को अंतरित सीमा तक ऋण के साथ जुड़े जोखिम और प्रतिफल (रिवार्ड) को नहीं रखना;

c. यह व्यवस्था हस्तांतरिती(ओं) के अधिकारों और ऋणों से जुड़े प्रतिफल (रिवार्ड) में उस सीमा तक हस्तक्षेप नहीं करती है, जो उसे हस्तांतरित की गई है, सिवाय इसके कि प्रतिभूति के प्रवर्तन के लिए हस्तांतरणकर्ता और हस्तांतरिती(ओं) के बीच संविदात्मक रूप से सहमत सहयोगात्मक कार्रवाई की सीमा को छोड़कर, यदि कोई हो, उन परिदृश्यों सहित जिसमें न्यासी के लिए ट्रस्ट में हस्तांतरणकर्ता द्वारा प्रतिभूति हित धारण किया जाता है; तथा

d. इस व्यवस्था का परिणाम यह नहीं होता है कि हस्तांतरणकर्ता एक एजेंट, ट्रस्टी, या हस्तांतरिती(ओं) का न्यासी बन जाता है, सिवाय इसके कि:

  1. हस्तांतरण के बाद हस्तांतरिती(यों) के संबंध में नकदी प्रवाह के अधिकारों की सीमा तक हस्तांतरणकर्ता द्वारा प्रदान की गई सेवा सुविधाएं, अगर कुछ है तो, प्रदान करना; और

  2. प्रतिभूति के प्रवर्तन के संबंध में हस्तांतरणकर्ता और हस्तांतरिती(ओं) के बीच संविदात्मक रूप से सहमत सहयोगात्मक कार्रवाई, जिसमें ऐसे परिदृश्य शामिल हैं जिनमें हस्तांतरणकर्ता द्वारा हस्तांतरिती(ओं) के लिए ट्रस्ट में प्रतिभूति हित धारण किया जाता है।

33. हस्तांतरणकर्ता द्वारा हस्तांतरित और उनकी बही में रखे गए या धारित एक्सपोजर के लिए लागू क्रेडिट हामीदारी के मानदंड में कोई अंतर नहीं होगा। इस प्रयोजन के लिए, हस्तांतरणकर्ता द्वारा उत्पन्न सभी ऋण एक्सपोजर के अनुमोदन के लिए और, जहां प्रासंगिक हो, विस्तारित क्रेडिट सुविधाओं के संशोधन, नवीनीकरण और निगरानी के लिए समान प्रक्रियाओं को लागू किया जाना चाहिए।

34. हस्तांतरण केवल नकद आधार पर होगा और प्रतिफल ऋण के हस्तांतरण से पहले ही प्राप्त किया जाएगा, उसके बाद नहीं। हस्तांतरण राशि का निर्धारण स्वतंत्र संव्यवहार के आधार पर पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए।

35. हस्तांतरिती(ओं) द्वारा ऋणों के संबंध में समुचित सावधानी के कार्य को आउटसोर्स नहीं किया जा सकता और अपने ही कर्मचारियों द्वारा उसी कड़ाई के साथ और उसी नीतियों के अनुसार किया जाना चाहिए जैसा कि किसी भी ऋण की उत्पत्ति के लिए किया गया होता।

36. प्रत्येक ऋणों के मामले में उपर्युक्त समुचित सावधानी बरती जाएगी। एक पोर्टफोलियो के रूप में प्राप्त ऋणों के मामले में, यदि कोई हस्तांतरिती पूरे पोर्टफोलियो के लिए व्यक्तिगत ऋण स्तर पर समुचित सावधानी बरतने में असमर्थ है, लेकिन व्यक्तिगत ऋण स्तर पर पोर्टफोलियो में ऋणों की संख्या और मूल्य के आधार पर कम से कम पोर्टफोलियो के एक तिहाई के लिए समुचित सावधानी बरती जा सकती है, तो शेष के लिए पोर्टफोलियो स्तर पर समुचित सावधानी बरती जाए, जिसमें, हस्तांतरणकर्ता को हस्तांतरित ऋणों में आर्थिक हित का कम से कम 10 प्रतिशत अपने पास रखना होगा।

स्पष्टीकरण : यदि एक हस्तांतरण में कई हस्तांतरिती शामिल है और यदि कोई हस्तांतरिती व्यक्तिगत ऋण स्तर पर समुचित सावधानी बरतने में असमर्थ है तो हस्तांतरणकर्ता द्वारा न्यूनतम प्रतिधारण संबंधी आवश्यकता हस्तांतरित ऋण की पूरी राशि पर होगा, जिसमें हस्तांतरितियों जो व्यक्तिगत ऋण स्तर पर समुचित सावधानी बरतने में सक्षम है, को हस्तांतरित किए गए हिस्से भी शामिल हैं।

37. ऋणदाताओं को अधिग्रहित ऋणों के संबंध में निष्पादन की जानकारी की निगरानी निरंतर आधार पर और समय पर करने की आवश्यकता है, जिसमें आवधिक दबाव परीक्षण और संवेदनशीलता विश्लेषण और आवश्यक उचित कार्रवाई, यदि कुछ है तो, करना शामिल है। कार्रवाई में, अन्य बातों के साथ-साथ, कुछ प्रकार की आस्ति वर्गों के संबंध में एक्सपोजर सीमा में संशोधन, हस्तांतरणकर्ता के लिए लागू सीमा में परिवर्तन आदि शामिल हो सकते हैं। इस प्रयोजन के लिए, हस्तांतरिती(ओं) को अधिग्रहीत ऋणों के एक्सपोजर प्रोफाइल के अनुकूल औपचारिक नीतियों और प्रक्रियाओं को लागू करना चाहिए। ऐसी प्रक्रियाएं उतनी ही सख्त होनी चाहिए जितनी कि उनके द्वारा प्रत्यक्ष रूप से उत्पन्न (अरिजनेट)समान ऋणों के पोर्टफोलियो के लिए उनके द्वारा अपनाई जाती है। इन प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक जानकारी, यदि ऋणदाताओं द्वारा सीधे एकत्र नहीं की जाती है और सेवा सुविधा एजेंट से प्राप्त की जाती है, यदि कोई हो, तो वह सेवा सुविधा एजेंट के अधिकृत अधिकारियों द्वारा प्रमाणित की जानी चाहिए।

38. पोर्टफोलियो के आकार के आधार पर, क्रेडिट निगरानी प्रक्रियाओं में सेवा सुविधा एजेंट के समवर्ती और आंतरिक लेखापरीक्षकों द्वारा प्रस्तुत जानकारी का सत्यापन शामिल किया जाना चाहिए। सेवा सुविधा करार में हस्तांतरिती(यों) के लेखापरीक्षकों और जहां कहीं लागू हो, हस्तांतरणकर्ता द्वारा ऐसे सत्यापन की व्यवस्था होनी चाहिए। भारतीय रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षकों द्वारा हस्तांतरिती(यों) और हस्तांतरणकर्ता के पर्यवेक्षण के दौरान सभी प्रासंगिक जानकारी और लेखापरीक्षा रिपोर्ट सत्यापन के लिए उपलब्ध होनी चाहिए।

B. न्यूनतम धारण अवधि (एमएचपी)

39. 7हस्‍तांतरणकर्ता द्वारा नीचे निर्धारित न्यूनतम होल्डिंग अवधि (एमएचपी) के बाद ही ऋण हस्तांतरित किया जा सकता है, जिसकी गणना सेंट्रल रजिस्ट्री ऑफ सिक्योरिटाइजेशन एसेट रिकंस्ट्रक्शन एंड सिक्योरिटी इंटरेस्ट ऑफ इंडिया (सरसई) के साथ अंतर्निहित प्रतिभूति हित (सिक्युरिटी इंटरेस्ट) के पंजीकरण की तारीख से की जाती है:

  1. 2 वर्ष तक की अवधि वाले ऋणों के मामले में तीन महीने;

  2. 2 वर्ष से अधिक की अवधि वाले ऋणों के मामले में छह महीने।

बशर्ते कि ऋण के ऐसे मामले जिनमें प्रतिभूति सुरक्षा मौजूद नहीं है अथवा प्रतिभूति सरसई के साथ पंजीकृत नहीं की जा सकती है, एमएचपी की गणना ऋण के पहले पुनर्भुगतान की तारीख से की जाएगी।

आगे, बशर्ते कि परियोजना ऋणों के हस्तांतरण के मामले में, एमएचपी की गणना वित्तपोषित परियोजना के वाणिज्यिक संचालन के शुरू होने की तारीख से की जाएगी।

आगे, बशर्ते कि हस्तांतरणकर्ता द्वारा अन्य संस्थाओं से प्राप्त ऋणों के मामले में, ऐसे ऋणों को हस्तांतरणकर्ता की बहियों में लेने की तारीख से छह महीने पूरे होने से पहले हस्तांतरित नहीं किया जा सकता।

8बशर्ते कि फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011 के अंतर्गत परिभाषित 'फैक्टरिंग व्यवसाय' के एक भाग के रूप में अधिग्रहीत प्राप्तियों के हस्तांतरण को निम्नलिखित शर्तों की पूर्ति के अधीन उपर्युक्त निर्दिष्ट एमएचपी आवश्यकता से छूट दी जाएगी:

i. हस्तांतरण के समय ऐसी प्राप्तियों की शेष परिपक्वता 90 दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिए, और

ii. जैसा कि इन निर्देशों के खंड 10 और 35 के अंतरारगत निर्दिष्ट किया गया है, हस्तांतरिती द्वारा ऐसी प्राप्तियों को अधिग्रहित करने से पहले, बिल के अदाकर्ता का उचित क्रेडिट मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है।

40. उपरोक्त एमएचपी की आवश्यकता सिंडिकेशन व्यवस्था के तहत व्यवस्था करने वाले बैंक द्वारा अन्य उधारदाताओं को हस्तांतरित ऋण पर लागू नहीं होती है।

C. पूंजी पर्याप्तता और अन्य विवेकपूर्ण मानदंड

41. ऋणों के हस्तांतरण के कारण उत्पन्न कोई हानि या लाभ, जिसकी वसूली की गई है, को तदनुसार हिसाब किया जाना चाहिए और उस लेखा अवधि के लिए हस्तांतरणकर्ता के लाभ और हानि खाते में दर्शाया जाना चाहिए, जिसके दौरान हस्तांतरण पूरा हो गया है। तथापि, इस तरह के हस्तांतरण से उत्पन्न होने वाला अप्राप्त लाभ, यदि कुछ है तो, ऐसे ऋणों की परिपक्वता तक विनियामकीय पूंजी पर्याप्तता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीईटी 1 पूंजी या निवल स्वाधिकृत निधि से घटाया जाएगा।

42. ऋणों के एक पूल के हस्तांतरण के मामले में, आर्थिक हित के प्रतिधारण के मामले में हस्तांतरिती(ओं) और हस्तांतरणकर्ता(ओं) को उधारकर्ता-वार खातों का ब्योरा रखना चाहिए। इस प्रकार, ऋणों के पूल में हस्तांतरणकर्ता(ओं) और हस्तांतरिती(ओं) का एक्सपोजर व्यक्तिगत बाध्यताओं के लिए होगा।

43. इस तरह के हस्तांतरण के बाद हस्तांतरणकर्ता और हस्तांतरिती द्वारा धारित आर्थिक हित के संबंध में अधिग्रहीत ऋणों के लिए पूंजी पर्याप्तता निरूपण, उधारदाताओं द्वारा सीधे उत्पन्न ऋणों पर लागू अनुदेशों के अनुसार होगा।

44. हस्तांतरिती, यदि चाहें, तो अधिग्रहण से पहले ऋणों के पूल को बाहरी रूप से मूल्यांकन कर सकते हैं ताकि पूल की क्रेडिट गुणवत्ता के बारे में उनके स्वयं के समुचित सावधानी के अलावा एक तृतीय-पक्षीय दृष्टिकोण भी प्राप्त हो। हालांकि, इस तरह की बाहरी रेटिंग हस्तांतरिती(ओं) की समुचित सावधानी के बाद की जानी चाहिए और ऐसी रेटिंग हस्तांतरिती(ओं) से अपेक्षित समुचित सावधानी की प्रतिस्थापना नहीं की जा सकती।

45. हस्तांतरिती(ओं), साथ ही हस्तांतरणकर्ता(ओं) व्यक्तिगत दायित्व के आधार पर आर्थिक हित की सीमा तक मौजूदा आय की पहचान, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान के साथ-साथ एक्सपोजर मानदंड लागू करेंगे।

46. अधिग्रहीत ऋणों के पूल के मामले में, हस्तांतरिती(ओं) को व्यक्तिगत दायित्व के आधार पर प्रासंगिक विवेकपूर्ण मानदंडों के प्रयोग को सक्षम करने के लिए तंत्र स्थापित करना चाहिए। इस तरह के तंत्र में सेवा सुविधा प्रदाता से प्राप्त विवरण पर भरोसा करना भी शामिल हो सकता है। हालांकि, इस तरह के तंत्र को हस्तांतरिती(ओं) के समवर्ती लेखा परीक्षकों, आंतरिक लेखापरीक्षकों और सांविधिक लेखापरीक्षकों द्वारा पर्याप्त जांच के लिए उपलब्ध कराना चाहिए। भारतीय रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षकों द्वारा हस्तांतरिती(यों) के पर्यवेक्षण के दौरान सभी प्रासंगिक सूचना और लेखापरीक्षा रिपोर्ट सत्यापन के लिए उपलब्ध होनी चाहिए।

47. अनुमत हस्तांतरितियों के लिए, अधिग्रहीत ऋण को अधिग्रहण लागत पर लिया जाएगा, जब तक कि यह हस्तांतरण के समय बकाया मूलधन से अधिक न हो। इस मामले में भुगतान किए गए प्रीमियम को सीधी रेखा पद्धति या प्रभावी ब्याज दर पद्धति, व्यक्तिगत अनुमत अंतरिती द्वारा उपयुक्त माने जाने के अनुसार, आधार पर परिशोधित किया जाना चाहिए। तथापि, बकाया/ असंशोधित प्रीमियम को पूंजी से काटने की आवश्यकता नहीं है।

48. ऐसे मामले जिनमें हस्तांतरणकर्ता हस्तांतरण किए गए ऋणों के संबंध में व्यपदेशन और वारंटी देता है, हस्तांतरणकर्ता को निम्न शर्तों को संतुष्ट करने के अधीन ऐसे व्यपदेशनों और वारंटियों के प्रति पूंजी धारण करने की आवश्यकता नहीं होगी:

a. कोई भी व्यपदेशन या वारंटी एक औपचारिक लिखित करार के रूप में ही दी जा सकती है;

b. व्यपदेशन या वारंटी उन तथ्यों की मौजूदा स्थिति को संदर्भित करती है जो ऋण के हस्तांतरण के समय हस्तांतरणकर्ता द्वारा सत्यापित किए जाने में सक्षम हैं;

c. व्यपदेशन या वारंटी खुली (ओपन-एंडेड) नहीं है और विशेष रूप से, ऋण/ अंतर्निहित उधारकर्ताओं की भविष्य की साख से संबंधित नहीं है;

d. किसी व्यपदेशन या वारंटी का प्रयोग, यदि कोई हो, तो हस्तांतरणकर्ता को ऋण (या उसके किसी भी हिस्से) को बदलने की आवश्यकता होती है, जो व्यपदेशन या वारंटी में शामिल आधार पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए:

  1. ऋण के हस्तांतरण के 30 दिनों के भीतर किया गया; तथा

  2. मूल हस्तांतरण के समान नियमों और शर्तों पर आयोजित किया गया।

बशर्ते कि इस तरह के प्रतिस्थापन पर, हस्तांतरणकर्ता आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान मानदंडों को लागू करेगा जैसे कि पुन:अधिग्रहीत एक्सपोजर पूर्व के अनुसार हस्तांतरित नहीं किया गया हो।

e. एक हस्तांतरणकर्ता जिसे व्यपदेशन या वारंटी के उल्लंघन के लिए नुकसान का भुगतान करने की आवश्यकता होती है, वह ऐसा कर सकता है बशर्ते कि हर्जाने का भुगतान करने का करार निम्नलिखित शर्तों को पूरा करता हो:

  1. व्यपदेशन या वारंटी के उल्लंघन के लिए सबूत की जिम्मेदारी उस पक्ष पर हर समय बनी रहती हो, जिसने आरोप लगाया हो ;

  2. उल्लंघन का आरोप लगाने वाला पक्ष, दावे के आधार को निर्दिष्ट करते हुए, हस्तांतरणकर्ता पर दावे की एक लिखित सूचना देता हो; तथा

  3. उल्लंघन के परिणामस्वरूप होने वाले नुकसान सीधे होने वाले नुकसान तक सीमित हैं।

अध्याय IV: दबावग्रस्त ऋणों का हस्तांतरण

A. सामान्य आवश्यकताएँ

49. इस अध्याय में निहित अनुदेश एआरसी को हस्तांतरण सहित दबावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण को कवर करेंगे।

50. दबावग्रस्त ऋणों का हस्तांतरण केवल समनुदेशन (असाइनमेंट) या नवीनता के माध्यम से किया जाना चाहिए; दबावग्रस्त ऋणों के मामले में ऋण भागीदारी की अनुमति नहीं है।

51. दबावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण और/या अधिग्रहण पर प्रत्येक ऋणदाता की बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित पहलुओं को शामिल किया जाएगा:

  1. ऐसे ऋणों के हस्तांतरण या अधिग्रहण के लिए मानदंड और प्रक्रिया;

  2. यह सुनिश्चित करने के लिए मूल्यांकन पद्धति का पालन किया जाना चाहिए कि अंतर्निहित प्रतिभूति ब्याज की वसूली सहित दबावग्रस्त ऋणों का वसूली योग्य मूल्य, यदि उपलब्ध हो, उचित रूप से अनुमानित है;

  3. ऋणों के हस्तांतरण या अधिग्रहण पर निर्णय लेने के लिए विभिन्न पदाधिकारियों को शक्तियों का प्रत्यायोजन;

  4. दबावग्रस्त आस्तियों को प्राप्त करने के लिए घोषित उद्देश्य;

  5. खंड 67के प्रयोजन के लिए लागू किया जाने वाला एक्सपोजर प्रीमियम; आदि।

52. दबावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण की नीति निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित होगी:

  1. एक निर्दिष्ट मूल्य से अधिक दबावग्रस्त ऋणों की पहचान की प्रक्रिया, जैसा कि एक ऋणदाता की नीति द्वारा निर्धारित किया जा सकता है, हस्तांतरण के लिए एक टॉप-डाउन दृष्टिकोण का पालन करना होगा अर्थात, हस्तांतरण के लिए ऋणदाता का प्रधान कार्यालय/ कॉर्पोरेट कार्यालय दबावग्रस्त ऋणों की पहचान में सक्रिय रूप से शामिल होगा;

  2. कम से कम, बोर्ड/बोर्ड समिति द्वारा तय की गयी सीमा से अधिक एनपीए के सभी ऋण की समीक्षा बोर्ड/बोर्ड समिति द्वारा दस्तावेजी तर्क के साथ, हस्तांतरण या अन्यथा पर आवधिक अंतराल पर किया जाएगा। हस्तांतरण के लिए पहचाने गए ऋणों को ऊपर बताए अनुसार हस्तांतरण के उद्देश्य से सूचीबद्ध किया जाएगा।

53. हस्तांतरण के लिए प्रस्तावित ऋण एक्सपोजर के मूल्यांकन के संबंध में 9हस्तांतरणकर्ताओं की स्पष्ट नीतियां होनी चाहिए। आंतरिक या बाहरी - जिस आधार पर मूल्यांकन के प्रकार को निर्धारित किया जाएगा उसे नीति में स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट किया जाना चाहिए। आंतरिक मूल्यांकन अभ्यास में हस्तांतरणकर्ता द्वारा उपयोग की जाने वाली छूट दर को भी नीति में वर्णित किया जाएगा। यह या तो इक्विटी की लागत या फंड की औसत लागत या अवसर लागत या कुछ अन्य प्रासंगिक दर हो सकती है, जो अनुबंधित ब्याज दर के फ्लोर के अधीन है। हालांकि, अगर क्रेडिट एक्सपोजर (प्रावधानों के लिए नेटिंग के बिना) को एकल, संयुक्त रूप से या अलग-अलग हस्तांतरित किया जा रहा है, और यह 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक है, तो हस्तांतरणकर्ता को दो बाह्य मूल्यांकन रिपोर्ट प्राप्त करनी होगी। मूल्यांकन अभ्यास की लागत, बाह्य अथवा अन्यथा, हस्तांतरणकर्ता द्वारा वहन की जाएगी।

54. सामान्य तौर पर, ऋणदाता द्विपक्षीय बिक्री सहित दबावग्रस्त ऋणों को केवल अनुमत हस्तांतरीतियों और एआरसी को हस्तांतरित करेंगे।

55. हस्तांतरण का तरीका हस्तांतरणकर्ता की बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार होना चाहिए। ऋणदाता अपने ऋणों को हस्तांतरित करने के लिए, जहां कहीं भी उपलब्ध हो, ई-नीलामी प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकते हैं।

56. हालांकि, यदि ऋणदाताओं का कुल एक्सपोजर (निवेश एक्सपोजर सहित) उधारकर्ता/ओं को जिनका ऋण हस्तांतरित किया जा रहा है, रु 100 करोड़ या अधिक होने पर जब द्विपक्षीय आधार पर बातचीत की जाती है, तो स्विस चैलेंज पद्धति के माध्यम से नीलामी के बाद इस तरह की बातचीत अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। अन्य सभी मामलों में, द्विपक्षीय बातचीत मूल्य खोज और मूल्य अधिकतमकरण दृष्टिकोण के अधीन होगी, जो कि खंड 51 में वर्णित बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के हिस्से के रूप में हस्तांतरणकर्ता द्वारा अपनाई गई है, जिसमें स्विस चैलेंज पद्धति भी शामिल हो सकती है। स्विस चैलेंज पद्धति के लिए अनुसरण किए जाने वाले व्यापक दिशा-निर्देश इस अध्याय के भाग डी में दिए गए हैं।

बशर्ते कि भारतीय रिज़र्व बैंक (दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा) निदेश, 2019 के तहत समाधान योजना के रूप में किए गए दबावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण के मामले में, अंतर-ऋणदाता करार (आईसीए) पर हस्ताक्षरकर्ताओं के अनुमोदन से कुल बकाया ऋण सुविधाओं (निधि आधारित के साथ-साथ गैर-निधि आधारित) 75 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा संख्या के आधार पर 60 प्रतिशत हस्ताक्षरकर्ताओं के मूल्य से, आईसीए के सभी हस्ताक्षरकर्ताओं के दबावग्रस्त ऋण एक्सपोजर से बाहर निकलने के लिए, वरीय एक्सपोजर सीमा पर विचार किए बिना स्विस चैलेंज पद्धति अनिवार्य होगी।

57. हस्तांतरणकर्ता यह सुनिश्चित करेगा कि दबावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण के बाद, वे हस्तांतरित ऋणों से संबंधित किसी भी परिचालन, विधिक या किसी अन्य प्रकार के जोखिम को ग्रहण नहीं करते हैं, जिसमें अतिरिक्त धन या उधारकर्ता/ हस्तांतरिती(ओं) के लिए हस्तांतरित ऋण संबंधी प्रतिबद्धताएं शामिल हैं। इसके बाद, हस्तांतरणकर्ता की संबंधित बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति में निर्धारित कूलिंग अवधि के बाद उधारकर्ता पर नया एक्सपोजर लिया जा सकता है, जो किसी भी मामले में, ऐसे हस्तांतरण की तारीख से 12 महीने से कम नहीं होगा।

58. खंड 54-57 की शर्तों के बावजूद, यदि दबावग्रस्त ऋणों का हस्तांतरण भारतीय रिज़र्व बैंक (दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा) निदेश, 2019 के तहत एक समाधान योजना के रूप में किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप दबावग्रस्त ऋण एक्सपोजर से खंड 3 में निर्दिष्ट सभी ऋणदाता बाहर निकल जाते हैं, तो कॉरपोरेट इकाई सहित किसी भी वर्ग की संस्थाओं, जिन्हें वैधानिक प्रावधान या वित्तीय क्षेत्र के विनियामक द्वारा जारी नियमों के तहत ऋण एक्सपोजर लेने की अनुमति है और जो अनुबंध में सूचीबद्ध है उन्हें इस तरह के हस्तांतरण की अनुमति है। संबंधित वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों द्वारा किसी भी नए वर्ग की संस्थाओं की अनुमति मिलने पर अनुबंध को अद्यतन किया जाएगा। यदि ऐसे हस्तांतरिती न एआरसी है और न ही अनुमत हस्तांतरिती है, तो हस्तांतरण अतिरिक्त रूप से निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगा:

(i) हस्तांतरिती इकाई को भारत में निगमित किया जाना चाहिए या भारत में वित्तीय क्षेत्र के विनियामक (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण, और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण) के साथ पंजीकृत होना चाहिए।

(ii) हस्तांतरिती को ऐसे हस्तांतरण के समय किसी ऋणदाता संस्था द्वारा अनर्जक आस्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए;

(iii) हस्तांतरिती(ओं) को खंड 3 में निर्दिष्ट उधारदाताओं से ऋण के माध्यम से ऋण अधिग्रहण के लिए धन नहीं देना चाहिए।

(iv) खंड 3 में निर्दिष्ट 10उधारदाताओं (जो कि सावधि ऋण की प्रकृति में नहीं हैं) को कार्यशील पूंजी सुविधाओं के अलावा उस उधारकर्ता को कोई क्रेडिट/ निवेश एक्सपोजर नहीं लेना चाहिए जिसका ऋण खाता इस तरह के हस्तांतरण की तारीख से कम से कम तीन साल के लिए स्थानांतरित किया गया हो।

11बशर्ते कि कार्यशील पूंजी सुविधाएं उन उधारदाताओं द्वारा स्वीकृत की जाती हैं जो हस्तांतरणकर्ता नहीं हैं।

(v) 12इसके अलावा, इस तरह के हस्तांतरण की तारीख से कम से कम तीन वर्षों के लिए, खंड 3 में निर्दिष्ट ऋणदाताओं को हस्तांतरिती को, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, उधारकर्ता के संचालन में परिनियोजन के लिए कोई क्रेडिट/निवेश एक्सपोजर नहीं लेना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए, उधारकर्ता का अर्थ उन विधिक संस्थाओं से होगा, जिनके लिए हस्तांतरणकर्ता का एक्सपोजर था, जिसे समाधान योजना के एक भाग के रूप में हस्तांतरित किया गया था, लेकिन यह यहां तक सीमित नहीं है और इसमें एक परियोजना के लिए एक विधिक इकाई के तौर पर स्थापित करने के लिए एक विशेष प्रयोजन माध्यम शामिल हो सकता है।

स्पष्टीकरण: इस खंड में निर्दिष्ट अपने वैधानिक या विनियामकीय ढांचे के द्वारा ऋण एक्सपोजर लेने की अनुमति वाली इकाई को ऋण एक्सपोजर लेने के लिए अपने विनियामक या वैधानिक ढांचे द्वारा अलग से सक्षम होना होगा, और फिर इन्हें रिज़र्व बैंक के निदेशों के अनुसार अनुबंध में सूचीबद्ध करना होगा। उपरोक्त खंड केवल ऋणदाताओं को एक समाधान योजना के तहत दबावग्रस्त ऋणों को ऐसी संस्थाओं को हस्तांतरित करने की अनुमति देता है, जिन्हें पहले से ही ऋण एक्सपोजर लेने की अनुमति है। संबंधित वित्तीय क्षेत्र के विनियामक रिज़र्व बैंक के परामर्श से इस उद्देश्य के लिए एक रूपरेखा तैयार करेंगे।

59. हस्तांतरणकर्ता को संभावित अधिग्रहणकर्ताओं द्वारा सम्यक उद्यम के लिए पर्याप्त समय प्रदान करना चाहिए, जो ऋण के आकार के अनुसार भिन्न हो सकता है।

60. ऋण हस्तांतरण करार स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करेगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (दबावग्रस्त संपत्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा) निर्देश, 2019 के संदर्भ में अगर आईसीए पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है तो हस्तांतरिती की प्रकार पर विचार किए बिना, हस्तांतरिती आवश्यकता पड़ने पर आईसीए पर हस्ताक्षर करेगा।

61. हस्तांतरणकर्ता यह सुनिश्चित करेगा कि दबावग्रस्त ऋण का कोई हस्तांतरण आकस्मिक मूल्य पर नहीं किया गया है जहाँ सहमत मूल्य की वसूली में कमी की स्थिति में हस्तांतरणकर्ता को कमी का एक हिस्सा वहन कर रहा हो।

62. हस्तांतरणकर्ता दबावग्रस्त ऋणों को एआरसी के अलावा अन्य हस्तांतरिती(ओं) को केवल नकद आधार पर हस्तांतरित करेगा। संपूर्ण हस्तांतरण प्रतिफल ऋण के हस्तांतरण के समय के बाद में प्राप्त नहीं किया जाना चाहिए, और ऋण हस्तांतरणकर्ता की खातो से केवल संपूर्ण हस्तांतरण प्रतिफल प्राप्त होने पर ही निकाला जा सकता है। एनबीएफसी जिन्हें इंडएएस का अनुपालन करना आवश्यक है, उन्हें हस्तांतरण से प्राप्त प्रतिफल की मान्यता के संबंध में मानकों और आईसीएआई की सलाहों द्वारा निर्दिष्ट रहेंगे। अन्य ऋणदाताओं के मामले में, यदि हस्तांतरण के समय एआरसी के अलावा अन्य हस्तांतरिती(ओं) को हस्तांतरण निवल एनबीवी से कम कीमत पर है, तो उस कमी को उस वर्ष के लाभ और हानि खाते में से डेबिट किया जाएगा जिस वर्ष में हस्तांतरण किया गया है। यदि हस्तांतरण के समय बिक्री प्रतिफल एनबीवी से अधिक मूल्य के लिए है, तो अतिरिक्त प्रावधानों को वापस किया जा सकता हैं।

63. ऋणदाताओं को पोर्टफोलियो के आधार पर प्राप्त दबावग्रस्त ऋणों के पूल को अपनी बहियों में एकल आस्ति के रूप में मानने की अनुमति है बशर्ते कि पूल में उस समान व्यक्तिगत ऋण हो। समान जोखिम कारकों और जोखिम प्रोफाइल सहित सामान्य जोखिम चालकों के आधार पर समरूपता का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। अन्य सभी मामलों में, अधिग्रहित दबावग्रस्त ऋणों को विवेकपूर्ण आवश्यकताओं जैसे आस्ति वर्गीकरण, पूंजी गणना, आय निर्धारण आदि के उद्देश्य के लिए अलग संपत्ति के रूप में माना जाएगा।

व्याख्या: यदि अधिग्रहित दबावग्रस्त समरूप व्यक्तिगत ऋणों के एक पोर्टफोलियो को हस्तांतरिती द्वारा एकल संपत्ति के रूप में माना जाता है, तो पोर्टफोलियो को खंड 67 के उद्देश्य के लिए भी एकल संपत्ति के रूप में माना जाएगा।

64. जैसा कि प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 2 की उप-धारा (एफ) में परिभाषित अनुसार यदि हस्तांतरिती एक क्रेडिट संस्थान है तो ऋण सूचना कंपनियों को अधिग्रहित दबावग्रस्त ऋणों के संबंध में रिपोर्टिंग दायित्व, यदि कोई हो तो वह हस्तांतरिती(ओं) के पास होगा ।

65. यदि एआरसी को छोड़कर हस्तांतरिती(ओं) का उस उधारकर्ता के लिए कोई मौजूदा एक्स्पोजर नहीं है जिसका दबावग्रस्त ऋण खाता अधिग्रहित किया गया है, तो अधिग्रहीत दबावग्रस्त ऋण को हस्तांतरिती द्वारा "मानक" के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। इसके बाद, अधिग्रहित ऋण की आस्ति वर्गीकरण स्थिति, ऋण के हस्तांतरण के समय अनुमानित नकदी प्रवाह के संदर्भ में हस्तांतरिती(ओं) की बहियों में वसूली के रिकॉर्ड द्वारा निर्धारित की जाएगी।

66. यदि एआरसी को छोड़कर हस्तांतरिती(ओं) का उस उधारकर्ता के प्रति मौजूदा एक्सपोजर है जिसका दबावग्रस्त ऋण खाता अधिग्रहित किया गया है, तो अधिग्रहीत एक्सपोजर का आस्ति वर्गीकरण वही होगा जो हस्तांतरिती के साथ उधारकर्ता का मौजूदा आस्ति वर्गीकरण है। यह व्यवहार तब भी लागू होगा जब ऐसा अधिग्रहण दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत हस्तांतरिती के सफल समाधान आवेदक के रूप में हुआ हो।

67. दबावग्रस्त ऋण प्राप्त करने वाला ऋणदाता अधिग्रहण पर अपनी बहियों में आस्ति वर्गीकरण स्थिति के अनुसार ऐसे ऋणों के लिए प्रावधान करेगा। आस्ति वर्गीकरण के बावजूद, यदि ऋण प्राप्त करते समय अनुमानित नकदी प्रवाह का निवल वर्तमान मूल्य ऋण प्राप्त करने के लिए भुगतान किए गए प्रतिफल से कम है, तो अंतर का प्रावधान बनाए रखा जाएगा। इस प्रयोजन के लिए, छूट कारक मूल ऋण संविदा के अनुसार उधारकर्ता से ली जाने वाली वास्तविक ब्याज दर होगी और हस्तांतरणकर्ता की बहियों पर ऋण के आस्ति वर्गीकरण पर विचार करते हुए हस्तांतरणकर्ता की बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार जोखिम प्रीमियम निर्धारित होगा। जोखिम प्रीमियम 3 प्रतिशत की न्यूनतम सीमा के अधीन होगा।

बशर्ते कि इंडएएस के अनुसार वित्तीय विवरण तैयार करने वाली एनबीएफसी इंडएएस के अनुसार आवश्यक प्रावधान करना जारी रखेंगी। हालांकि, वे एक साथ उपर्युक्त कार्यप्रणाली के अनुसार आवश्यक प्रावधान का आकलन करेंगे और आवश्यक प्रावधानों को दिनांक 13 मार्च 2020 के परिपत्र डीओआर (एनबीएफसी) सीसी.पीडी.सं.109/22.10.106/2019-20 के अनुबंध के पैरा 2 के तहत निर्धारित विवेकपूर्ण न्यूनतम की गणना में शामिल किया जाएगा।

68. एआरसी के मामले में, उनके द्वारा अधीग्रहीत दबावग्रस्त ऋणों का आस्ति वर्गीकरण और बनाए जाने वाले संबद्ध प्रावधानों को इस संबंध में लागू मौजूदा अनुदेशों द्वारा निर्देशित किया जाना जारी रहेगा।

69. ऋणदाताओं को अन्य ऋणदाताओं से अधिग्रहित दबावग्रस्त ऋण हस्तांतरित करने से पहले कम से कम छह महीने की अवधि के लिए अपनी बहियो में रखना होगा। ऋणदाताओं को आम तौर पर ऐसे ऋण अधिग्रहण करने से मना किया जाता है जिन्हें पिछले छह महीनों में दबावग्रस्त ऋण के रूप में हस्तांतरित किया गया था।

बशर्ते कि यह खंड लागू नहीं होगा यदि किसी दबावग्रस्त ऋण का हस्तांतरण एआरसी को किया जाता है या भारतीय रिज़र्व बैंक (दबावग्रस्त आस्ति के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा) निदेश, 2019 के तहत कुल बकाया ऋण सुविधाओं (निधि आधारित और गैर-निधि आधारित) के आईसीए मूल्य से 75 प्रतिशत हस्ताक्षरकर्ताओं और दबावग्रस्त ऋण एक्सपोजर के आईसीए के सभी हस्ताक्षरकर्ताओं के एक्जिट के लिए संख्या के आधार पर 60 प्रतिशत प्रतिनिधित्व से एक समाधान योजना के रूप में हस्ताक्षरकर्ताओं के अनुमोदन के साथ किया जाता है।

B. एनपीए के हस्तांतरण के लिए अतिरिक्त आवश्यकताएं

70. अन्य ऋणदाताओं को हस्तांतरित एनपीए के संबंध में मौजूदा अनुदेशों के अनुसार हस्तांतरणकर्ता कर्मचारी जवाबदेही पहलुओं को आगे बढ़ाना जारी रखेगा।

71. अन्य ऋणदाताओं से प्राप्त एनपीए के संबंध में, ऐसी संपत्ति रखने से हस्तांतरिती द्वारा प्राप्त नकदी प्रवाह का उपयोग पहले अधिग्रहण लागत की वसूली होने तक ऋण के संबंध में हस्तांतरिती की बहियों में बकाया निधि को परिशोधित करने के लिए किया जाना चाहिए। अधिग्रहण लागत से अधिक नकदी प्रवाह, यदि कोई हो, को लाभ के रूप में पहचाना जा सकता है।

72. जब तक कि अधिग्रहण पर ऋणों को 'मानक' के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, ऋणदाता अन्य उधारदाताओं से प्राप्त एनपीए को 100% जोखिम भार प्रदान करेंगे । यदि ऋणों को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, तो एनपीए पर लागू जोखिम भार लागू होंगे।

C. आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) को ऋण का हस्तांतरण

73. 28 जून 2019 के परिपत्र गैबैंपवि.पीडी(एआरसी) सीसी.सं.07/26.03.001/2018-19 और दिनांक 6 दिसंबर 2019 के परिपत्र डीओआर.एनबीएफसी(एआरसी)सीसी.सं.8/26. 03.001/2019-20 के प्रावधानों के अनुसार, 13सभी दबावग्रस्त ऋण जो कि हस्तांतरणकर्ताओं की बहियों में चूक (डिफ़ॉल्ट) रूप से हैं,उन्हें एआरसी में हस्तांतरित करने की अनुमति है। इसमें हस्तांतरण की तारीख को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत ऋण एक्स्पोसर शामिल होंगे बशर्ते कि निरंतर रिपोर्टिंग, निगरानी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ शिकायतें दर्ज करने और ऐसी शिकायतों से संबंधित कार्यवाही के संबंध में हस्तांतरणकर्ता की जिम्मेदारी भी एआरसी को हस्तांतरित की जाए। हालांकि, एआरसी को ऐसे ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण, धोखाधड़ी पर मौजूदा अनुदेशों के तहत आवश्यक कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने से हस्तांतरणकर्ता को दोषमुक्त नहीं करता है।

74. विशिष्ट दबावग्रस्त ऋणों के मामले में, जहां यह आवश्यक समझा जाता है, एक सहमत अनुपात में, संबंधित दबावग्रस्त ऋण से एआरसी द्वारा वसूल किए गए किसी भी अधिशेष को साझा करने के लिए हस्तांतरणकर्ता एआरसी के साथ करार करने के लिए स्वतंत्र होंगे। ऐसे मामलों में, हस्तांतरण की शर्तों में एआरसी से ऋण से प्राप्त मूल्य पर हस्तांतरणकर्ता (ओं) को एक रिपोर्ट प्रदान की जानी चाहिए। हस्तांतरणकर्ता(ओं) को तब तक लाभ का हिसाब नहीं देना चाहिए जब तक कि इसकी उगाही नहीं हो जाती।

75. जब हस्तांतरण के समय दबावग्रस्त ऋण एनबीवी से कम कीमत पर एआरसी को हस्तांतरित किया जाता है, तो ऋणदाता उस वर्ष के लिए लाभ और हानि खाते में कमी को डेबिट करेंगे जिसमें हस्तांतरण हुआ है। बैंकों को एनबीवी से कम कीमत पर हस्तांतरण होने पर दबावग्रस्त ऋण के हस्तांतरण पर किसी भी कमी को पूरा करने के लिए प्रतिचक्रीय या अस्थायी प्रावधानों का उपयोग करने की अनुमति है।

76. दूसरी ओर, जब दबावग्रस्त ऋण को हस्तांतरण के समय एनबीवी से अधिक मूल्य के लिए एआरसी को हस्तांतरित किया जाता है, तो ऋणदाता राशि प्राप्त होने वाले वर्ष में लाभ और हानि खाते में हस्तांतरण पर अतिरिक्त प्रावधान को रिवर्स करेगा और केवल तभी कर सकेगा जब एआरसी द्वारा जारी प्रारंभिक प्रतिफल और/या मोचन या प्रतिभूति रसीदों (एसआर)/पास थ्रू सर्टिफिकेट्स (पीटीसी)/अन्य प्रतिभूतियों के हस्तांतरण के माध्यम से प्राप्त नकदी की राशि ऋण के एनबीवी से अधिक हो। इसके अलावा, इस तरह का उत्क्रमण वहां तक सीमित होगा जहां तक हस्तांतरण के समय ​​प्राप्त नकद, ऋण के एनबीवी से अधिक हो जाता है।

77. एआरसी द्वारा जारी एसआर/पीटीसी/अन्य प्रतिभूतियों में ऋणदाताओं द्वारा किए गए निवेश का मूल्यांकन ऐसे लिखतों के लिए प्राप्त वसूली रेटिंग के आधार पर एआरसी द्वारा घोषित निवल आस्ति मूल्य (एनएवी) की गणना करके किया जाएगा।

बशर्ते कि जब हस्तांतरणकर्ता एआरसी द्वारा जारी किए गए एसआर/पीटीसी में उनके द्वारा एआरसी को हस्तांतरित किए गए दबावग्रस्त ऋणों के संबंध में निवेश करते हैं, तो हस्तांतरणकर्ता निवेश को अपनी बहियों में निरंतर आधार पर तब तक जारी रखेंगे, जब तक कि एसआर का मोचन मूल्य ऊपर दिए गए एनएवी और हस्तांतरण के समय हस्तांतरण किए गए दबावग्रस्त ऋण के एनबीवी के आधार पर निकाले गए मूल्य पर उसका हस्तांतरण या वसूली नहीं हो जाती।

14हटाया गया

77ए. 15यदि हस्तांतरणकर्ता द्वारा हस्तांतरित ऋणों के लिए जारी किए गए एसआर में हस्तांतरणकर्ता द्वारा निवेश हस्तांतरित आस्ति के विरुद्ध जारी किए गए सभी एसआर के 10 प्रतिशत से अधिक है, तब हस्तांतरणकर्ता की बहियों पर एसआर का मूल्यांकन निम्न में से कम होगा:

i) खंड 77 के संदर्भ में प्राप्त मूल्य; तथा

ii) यदि ऋण हस्तांतरणकर्ता की बहियों पर जारी रहता है तो एसआर के अंकित मूल्य जिन्हें लागू अनुमानित प्रावधान दर से कम किया गया हो ।

बशर्ते कि उप-धारा 3(बी), 3(सी), 3(डी), 3(एफ) में निर्दिष्ट उधारदाताओं और स्थानीय क्षेत्र बैंकों की बहियों में इन निर्देशों के जारी होने (24 सितंबर, 2021) के समय शेष एसआर में निवेश के मूल्यांकन के संबंध में, निम्नलिखित उपाय लागू होंगे:

क) इन निदेशों के जारी होने की तारीख के बाद अगली वित्तीय रिपोर्टिंग तारीख पर ऐसे एसआर के अग्रणी मूल्य और इस खंड के संदर्भ में प्राप्त मूल्यांकन के बीच का अंतर 31 मार्च 2022 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि में - अर्थात वित्तीय वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2025-26 तक - प्रदान किया जा सकता है ।

ख) हालांकि, ऐसे एसआर में निरंतर आधार पर निवेश का अनुवर्ती मूल्यांकन इन निर्देशों के प्रावधानों के अनुसार कड़ाई से होगा।

ग) संबंधित उधारदाताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए एक बोर्ड अनुमोदित योजना तैयार करनी होगी कि उपर्युक्त उप-खंड (क) के अनुपालन में प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किया गया प्रावधान इस संबंध में आवश्यक प्रावधान के पांचवें हिस्से से कम नहीं है।

घ) इन निर्देशों के जारी होने के बाद सभी उधारदाताओं द्वारा किए गए एसआर में किए गए निवेश का मूल्यांकन करते समय इन निर्देशों के प्रावधानों का अनुपालन कड़ाई से किया जाएगा।

78. ऐसे एसआर/पीटीसी जिन्हें समाधान अवधि के अंत में भुनाया नहीं गया है (अर्थात, पांच साल या आठ साल जैसा भी मामला हो) को ऋणदाताओं की बहियों में हानि आस्ति के रूप में माना जाएगा और पूरी तरह से प्रदान किया जाएगा।

79. आरबीआई द्वारा समय-समय पर निर्धारित गैर-एसएलआर लिखतों में निवेश के लिए लागू मूल्यांकन, वर्गीकरण और अन्य मानदंड एआरसी द्वारा जारी डिबेंचर/बांड/एसआर/पीटीसी में ऋणदाताओं के निवेश पर लागू होंगे। हालांकि, यदि एआरसी द्वारा जारी उपरोक्त में से कोई भी लिखत संबंधित योजना में लिखतों को सौंपी गई वित्तीय आस्ति की वास्तविक वसूली तक सीमित है, तो ऋणदाता ऐसे निवेशों के मूल्यांकन के लिए समय-समय पर एआरसी से प्राप्त एनएवी की गणना करेगा।

80. एआरसी से मानक खाते लेने के लिए उधारदाताओं पर कोई रोक नहीं है। तदनुसार, ऐसे मामलों में जहां एआरसी ने अपने द्वारा अधिग्रहित दबावग्रस्त ऋणों के लिए एक समाधान योजना को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया है, ऋणदाता, अपने विवेक से और सम्यक तत्परता से, दिनांक 7 जून 2019 के परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.45/21.04.048/2018-19 के माध्यम से जारी भारतीय रिज़र्व बैंक (दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा) निदेश, 2019, में परिभाषित 'निगरानी अवधि' के बराबर अवधि के बाद ऐसे ऋण ले सकते हैं, बशर्ते कि उक्त 'निगरानी अवधि' के दौरान उपर्युक्त परिपत्र में परिभाषित अनुसार खाते में संतोषजनक ढंग से निष्पादन हुआ हो। ऋणदाताओं को खंड 51 के तहत आवश्यकताओं के एक भाग के रूप में इस तरह के अधिग्रहण को नियंत्रित करने वाले विभिन्न पहलुओं जैसे कि संपत्ति के प्रकार, जिस पर अधिकार किया जा सकता है, सम्यक तत्परता की आवश्यकताएं, व्यवहार्यता मानदंड, आस्तियों की कार्यनिष्पादन आवश्यकता आदि को शामिल कर एक बोर्ड अनुमोदित नीति तैयार करनी चाहिए। एक ऋणदाता किसी भी समय एआरसी से उन ऋण एक्सपोजर को प्राप्त नहीं कर सकता है जो उन्होंने स्वयं पहले हस्तांतरित किए हैं।

81. जहां दबावग्रस्त ऋण एआरसी द्वारा शुल्क के बदले में वसूली के लिए एजेंटों के रूप में लिए जाते है तो ऋण को हस्तांतरणकर्ताओं की बहियो से नहीं हटाया जाएगा, लेकिन प्राप्त होने पर प्राप्तियों को ऋण खातों में जमा किया जाएगा। हस्तांतरणकर्ता सामान्य रूप से ऋण के लिए प्रावधान करना जारी रखेंगे।

D. स्विस चैलेंज पद्धति के माध्यम से मूल्य की खोज

82. खंड 56 के तहत आवश्यकताओं के अधीन, ऋणदाताओं को अपने दबावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण के लिए स्विस चैलेंज पद्धति को अपनाने पर एक बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करनी होगी। नीति में उन शर्तों को निर्दिष्ट किया जाना चाहिए जिनके तहत ऋणदाता स्विस चैलेंज पद्धति का विकल्प चुन सकते हैं, उदाहरण के लिए, जो कि आधार-बोली में ऋणदाता(ओं) द्वारा आवश्यक हेयरकट की सीमा के लिए सहन स्तर जैसे मापदंडों पर (जैसा कि खंड 85 में निर्दिष्ट है), या ऋणदाता(ओं) के बोर्ड द्वारा पहचाने गए किसी भी उद्देश्य पैरामीटर पर आधारित हो सकता है। ऋणदाता(ओं) द्वारा विचार की जाने वाली चुनौतीकर्ता बोली (जैसा कि खंड 85 में निर्दिष्ट है) के लिए आवश्यक आधार-बोली पर नीति में न्यूनतम मार्क-अप भी निर्दिष्ट होना चाहिए, जो किसी भी मामले में, पांच प्रतिशत से कम नहीं होगा और 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। इस प्रयोजन के लिए, मार्क-अप चैलेंजर बोली और आधार-बोली के प्रतिशत के रूप में व्यक्त आधार-बोली के बीच का अंतर होगा।

83. आईसीए के हस्ताक्षरकर्ताओं के अनुमोदन से भारतीय रिज़र्व बैंक (दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा) निदेश, 2019 के तहत समाधान योजना के रूप में किए गए दबावग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण के मामले में, आधार पर न्यूनतम मार्क-अप-ऋणदाता(ओं) द्वारा विचार की जाने वाली चैलेंजर बोली के लिए आवश्यक बोली का निर्णय आईसीए के हस्ताक्षरकर्ताओं, जो कुल बकाया क्रेडिट सुविधाओं (निधि आधारित और गैर-निधि आधारित) के मूल्य के 75 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है और संख्या के आधार पर हस्ताक्षरकर्ताओं के 60 प्रतिशत के अनुमोदन से किया जाएगा। उपरोक्त निर्णय आईसीए के किसी भी हस्ताक्षरकर्ता की व्यक्तिगत नीति पर लागू होगा।

84. निरंतर आधार पर, ऋणदाताओं को दबावग्रस्त ऋणों की पहचान करनी चाहिए जो हस्तांतरण के लिए पेश किए जाएंगे और ऐसे ऋणों की एक प्रमाणित सूची ऋणदाताओं द्वारा रखी जाएगी। ऐसी सूची, ऋणदाता के विवेक पर, गोपनीयता करार में प्रवेश करने पर संभावित बोली लगाने वाले के समक्ष दर्शाई जा सकती है।

85. स्विस चैलेंज पद्धति की व्यापक रूपरेखा इस प्रकार है:

a. एक विशिष्ट दबावग्रस्तऋण प्राप्त करने में रुचि रखने वाला एक संभावित हस्तांतरिती ऋणदाता(ओं) को बोली की पेशकश कर सकता है, जिसे आधार-बोली कहा जाएगा।

b. ऋणदाता तब सार्वजनिक रूप से अन्य संभावित खरीदारों से तुलनीय शर्तो पर, आधार बोली के आवश्यक तत्त्वो का खुलासा करके, और न्यूनतम मार्क अप को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करके (जैसा की खंड 82 मे किया गया है) काउंटर बोलियो के लिए कॉल करेगा।

c. यदि कोई काउंटर बोली आमंत्रण में निर्दिष्ट न्यूनतम मार्क-अप को पार नहीं करती है, तो आधार-बोली विजेता बोली बन जाएगी।

d. यदि काउंटर बोली आमंत्रण में निर्दिष्ट न्यूनतम मार्क-अप को पार करती है, तो उच्चतम काउंटर बोली चैलेंजर बोली बन जाएगी। आधार-बोली प्रदान करने वाले संभावित हस्तांतरिती को फिर चैलेंजर बोली से मिलान करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। यदि संभावित हस्तांतरिती, जिसने आधार-बोली प्रदान की है, या तो चैलेंजर बोली से मेल खाता है या चैलेंजर बोली से अधिक बोली लगाता है, तो ऐसी बोली विजेता बोली बन जाएगी; अन्यथा, चुनौती देने वाली बोली विजेता बोली होगी।

e. तब ऋणदाताओं के पास निम्नलिखित दो विकल्प होंगे:

i. विजेता बोलीदाता को ऋण हस्तांतरित करें, जैसा कि ऊपर निर्धारित किया गया है;

ii. यदि ऋणदाता विजेता बोलीदाता को ऋण हस्तांतरित नहीं करने का निर्णय लेता है, तो ऋणदाता को निम्नलिखित में से अधिक की सीमा तक खाते पर तत्काल प्रावधान करने की आवश्यकता होगी:

  • चैलेंजर बोली में उद्धृत बही मूल्य पर छूट, और

  • मौजूदा आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण मानदंडों के अनुसार आवश्यक प्रावधान।

अध्याय V: प्रकटीकरण और रिपोर्टिंग

86. ऋणदाताओं को अपने वित्तीय विवरणों में 'लेखों पर टिप्पणी' के तहत, ऋण की कुल राशि के संबंध में, 31 दिसंबर 2021 को समाप्त तिमाही से तिमाही आधार पर, जैसा कि नीचे प्रस्तुत अन्य संस्थाओं से जो चूक में नहीं है/ हस्तांतरित और प्राप्त किए गए दबावग्रस्त ऋणों की कुल राशि से संबंधित प्रकटीकरण करना चाहिए:

क. उन ऋणों के संबंध में जो चूक में नहीं है, और जो हस्तांतरित या अधिग्रहित किए गए हैं उनके प्रकटीकरण में अन्य बातों के साथ-साथ, भारित औसत परिपक्वता, भारित औसत धारण अवधि, लाभकारी आर्थिक हित का अवधारण, मूर्त प्रतिभूति की व्याप्ति को कवर करना, और रेटेड ऋणों का रेटिंग-वार वितरण जैसे पहलू शामिल होने चाहिए। विशेष रूप से, एक हस्तांतरण कर्ता को उन सभी उदाहरणों का खुलासा करना चाहिए जहां वह हस्तांतरिती(ओं) को हस्तांतरित ऋणों को बदलने या किसी व्यपदेशन या वारंटी से उत्पन्न होने वाले नुकसान का भुगतान करने के लिए सहमत हो गया है। प्रकटीकरण में समनुदेशन/ नवीनीकरण और ऋण भागीदारी के माध्यम से हस्तांतरित/ अधिग्रहित ऋणों का विवरण भी प्रदान किया जाना चाहिए।

ख. दबाव ग्रस्त ऋणों के हस्तांतरण या अधिग्रहण के मामले में, निम्नलिखित प्रकटीकरण किए जाने चाहिए:

वर्ष के दौरान स्थानांतरित दबावग्रस्त ऋणों का विवरण (एनपीए और एसएमए के रूप में वर्गीकृत ऋणों के लिए अलग से तैयार किया जाए)
(सभी राशि रुपये करोड़ में) एआरसी को अनुमत हस्तांतरणकर्ताओं को अन्य हस्तांतरणकर्ताओं को (कृपया उल्लेख करें)
खातों की संख्या      
हस्तांतरित ऋणों का कुल मूलधन      
हस्तांतरित ऋणों की भारित औसत अवशिष्ट अवधि      
हस्तांतरित ऋणों का निवल बही मूल्य (हस्तांतरण के समय)      
कुल प्रतिफल      
पिछले वर्षों में हस्तांतरित खातों के संबंध में अतिरिक्त प्रतिफल की वसूली      
वर्ष के दौरान अधिग्रहीत ऋणों का विवरण
(सभी राशि रुपये करोड़ में) खंड 3 में सूचीबद्ध ऋणदाताओं की सूची से एआरसी से
अधिग्रहीत ऋणों का कुल मूलधन बकाया    
कुल प्रतिफल का भुगतान किया गया    
अधिग्रहीत ऋणों की भारित औसत अवशिष्ट अवधि    

हस्तांतरणकर्ता(ओं) को दबावग्रस्त ऋणों की बिक्री के कारण लाभ और हानि खाते में रिवर्स किए गए अतिरिक्त प्रावधानों की मात्रा के संबंध में भी उचित प्रकटीकरण करना चाहिए। साथ ही, ऋणदाताओं को क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा ऐसे एसआर को निर्दिष्ट किए गए वसूली रेटिंग की विभिन्न श्रेणियों में उनके द्वारा रखे गए एसआर के वितरण का प्रकटीकरण करना चाहिए।

87. हस्तांतरणकर्ता इन निदेशों के तहत किए गए प्रत्येक ऋण हस्तांतरण लेनदेन को रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित व्यापार रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को रिपोर्ट करेंगे। इस संबंध में विस्तृत अनुदेश अलग से जारी किए जाएंगे। जब तक कि रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को अधिसूचित नहीं किया जाता है और संबंधित निदेश जारी किए जाते हैं इसकी प्रत्याशा में, ऋणदाता प्रत्येक लेनदेन से संबंधित पर्याप्त एमआईएस के साथ ऋण हस्तांतरण लेनदेन का एक डेटाबेस बनाए रखेंगे।

अध्याय VI: परिपत्रों का निरसन

88. तत्काल प्रभाव से निरस्त किए जाने वाले परिपत्रों/निदेशों/दिशानिर्देशों/मास्टर निदेशों के भागों की सूची नीचे दी गई है:

क्र. परिपत्र सं. जारी दिनांक विषय
1 डीबीआर.सं.बीपी.बीसी.9/21.04.048/2016-17 01.09.2016 बैंकों द्वारा दबावग्रस्त आस्तियों की बिक्री पर दिशानिर्देश
2 अनुबंध XVI के खंड बी और मास्टर निदेश डीएनबीआर.पीडी. 007/03.10.119/2016-17 के अनुबंध XVIII के पैराग्राफ 4 01.09.2016 मास्टर निदेश - गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से गैर महत्वपूर्ण जमा स्वीकार न करनेवाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016
3 अनुबंध XXII के खंड बी और मास्टर निदेश डीएनबीआर.पीडी. 008/03.10.119/2016-17 के अनुबंध XXIV के पैराग्राफ 4 01.09.2016 मास्टर निदेश - गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमा स्वीकार न करनेवाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016
4 डीबीआर.सं.बीपी.बीसी.102/21.04.048/2015-16 13.06.2016 आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और अग्रिम से संबंधित प्रावधान पर विवेकपूर्ण मानदंड - एससी/ आरसी को एनपीए की बिक्री पर कमी का विस्तार
5 डीबीआर.सं.एफआईडी.5/01.02.00/2014-15 11.06.2015 प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी)/ पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री और संबंधित मुद्दों पर दिशानिर्देश
6 डीसीबीआर.बीपीडी.(एमएससीबी).परि.सं.1/13.05.000/2014-15 14.05.2015 प्रतिभूतीकरण कंपनी (एससी) / पुनगर्ठन कंपनी (आरसी) को वित्‍तीय आस्तियों की बिक्री के संबंध में दिशानिर्देश – एससी/आरसी कंपनियों को बिक्री की जानी वाली एनपीए आस्तियों के कारण प्राप्‍त होने वाले अतिरिक्‍त प्रावधान को वापस करना (रिवर्सल)
7 डीबीआर.सं.बीपी.बीसी.78/21.04.048/2014-15 20.03.2015 प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी)/ पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री और संबंधित मुद्दों पर दिशानिर्देश
8 डीबीआर.सं.बीपी.बीसी.75/21.04.048/2014-15 11.03.2015 प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी)/ पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री और संबंधित मुद्दों पर दिशानिर्देश
9 मेलबॉक्स स्पष्टीकरण 04.03.2015 अन्य बैंकों/ वित्तीय संस्थाओं/ एनबीएफसी (एससी/ आरसी को छोड़कर) को अनर्जक वित्तीय आस्तियों की बिक्री
10 मेलबॉक्स स्पष्टीकरण 09.04.2014 अर्थव्यवस्था में संकटग्रस्त आस्तियों को पुनर्जीवित करने के लिए ढांचा - परियोजना ऋणों का पुनर्वित्त, एनपीए की बिक्री और अन्य विनियामकीय उपाय
11 16शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).परि.सं.53/13.05.000/2013-14 (पैराग्राफ 3 4, 5 (ए) (ए), 5(ए)(बी), 5(ए)(C)6 और 7 केवल) 28.03.2014 बहुराज्य शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी)/ पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री पर दिशानिर्देश
12 परिपत्र बैंपविवि.बीपी.बीसी.सं. 98/21.04.132/2013-14 के पैराग्राफ 3 व 4 26.02.2014 अर्थव्यवस्था में संकटग्रस्त आस्तियों को पुनर्जीवित करने के लिए ढांचा - परियोजना ऋणों का पुनर्वित्त, एनपीए की बिक्री और अन्य विनियामकीय उपाय
13 परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.103/21.04.177/2011-12 . के अनुबंध का खंड बी 07.05.2012 प्रतिभूतिकरण लेनदेन पर दिशानिर्देशों में संशोधन
14 बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.34/21.04.048/2007-08 04.10.2007 अनर्जक आस्तियों की खरीद/बिक्री पर दिशानिर्देश
15 डीबीओडी.सं.बीपी. बीसी.97/21.04.048/2006-07 16.05.2007 अनर्जक आस्तियों की खरीद/बिक्री पर दिशानिर्देश
16 बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.16/21.04.048/2005-06 13.07.2005 अनर्जक आस्तियों की खरीद/बिक्री पर दिशानिर्देश
17 डीबीओडी.बीपी.बीसी.106/21.04.048/2002-2003 07.05.2003 मौद्रिक और ऋण नीति 2003-04 - एनपीए के लिए प्रावधान
18 डीबीओडी सं.बीपी.बीसी. 96/21.04.048/2002-03 23.04.2003 प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी)/पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री पर दिशा-निर्देश (वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002) और संबंधित मुद्दे

अनुबंध

संस्थाएं जो ऋणदाताओं को इन निदेशों के खंड 58 के तहत दबावग्रस्त ऋण एक्सपोजर को हस्तांतरित करने की अनुमति है

1. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक;

2. अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (नाबार्ड, एनएचबी, एक्जिम बैंक, सिडबी और 17एनएबीएफआईडी);

3. लघु वित्त बैंक;

4. आवास वित्त कंपनी (एचएफसी) सहित सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी);

5. वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 की धारा 3 के तहत भारतीय रिजर्व बैंक के साथ पंजीकृत आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियां;

6. दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 की धारा 3 की उप-धारा (17) में परिभाषित वित्तीय सेवा प्रदाता के अलावा कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 की उप-धारा (20) में परिभाषित एक कंपनी। ऐसी कंपनियों द्वारा ऋण एक्सपोजर का अधिग्रहण कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रासंगिक प्रावधानों के अधीन होगा।


1 दिनांक 05 दिसंबर 2022 के संशोधन द्वारा संशोधित

2 दिनांक 05 दिसंबर 2022 के संशोधन द्वारा संशोधित

3 दिनांक 28 दिसंबर, 2023 के संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया

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7 दिनांक 05 दिसंबर 2022 के संशोधन द्वारा संशोधित

8 28 दिसंबर, 2023 के संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया

9 दिसंबर 05, 2022 के संशोधन द्वारा संशोधित

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