भारिबैं/प.वि.कें.का/2024-25/118
प.वि.कें.का.एफएमजी.एसईसी.सं.5/23.04.001/2024-25
जुलाई 15, 2024
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित)
अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (एआईएफआई)*
महोदया/महोदय,
वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर निदेश
कृपया अनुलग्नक के रूप में संलग्न 'भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन) निदेश, 2024' देखें, जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III-ए और अध्याय III-बी और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और धारा 35 ए के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं। ये निदेश इस विषय पर पूर्व में जारी निदेशों, अर्थात भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों और चुनिन्दा वित्तीय संस्थानों द्वारा धोखाधड़ी – वर्गीकरण तथा रिपोर्टिंग) निदेश 2016 (संदर्भ. डीबीएस.सीओ.सीएफ़एमसी.बीसी. सं. 01/23.04.001/2016-17) दिनांक 01 जुलाई, 2016 (03 जुलाई, 2017 तक अद्यतित) को अधिक्रमित करेंगे।
भवदीय
(रजनीश कुमार)
मुख्य महाप्रबंधक
अनुलग्नकः यथोक्त
अनुलग्नक
वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर निदेश
परिचय
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III-ए और अध्याय III-बी तथा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और धारा 35ए के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से आश्वस्त होते हुए कि ऐसा करना जनहित में तथा बैंकिंग नीति के हित में आवश्यक और समीचीन है, एतद्द्वारा निर्दिष्ट निदेश जारी करता है।
अध्याय I
1.1 संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ
इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) तथा अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन) निदेश, 2024 कहा जाएगा।
1.2 प्रयोज्यता
इन निदेशों के प्रावधान, जब तक अन्यथा व्यवस्था न की गई हो, निम्नलिखित पर लागू होंगे:
1.2.1 सभी बैंकिंग कंपनियां [भारत में परिचालन के लिए लाइसेंस प्राप्त भारत के बाहर निगमित बैंक (विदेशी बैंक), स्थानीय क्षेत्र बैंक (एलएबी), लघु वित्त बैंक (एसएफबी), भुगतान बैंक (पीबी) सहित], संबंधित नए बैंक1, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) और भारतीय स्टेट बैंक, जो कि क्रमशः बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 5 की उप-धाराओं (सी), (डीए), (जेए) और (एनसी) के तहत परिभाषित हैं, (सामूहिक रूप से 'वाणिज्यिक बैंक' के रूप में संदर्भित); तथा
1.2.2 भारतीय निर्यात-आयात बैंक ('एक्ज़िम बैंक'), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ('नाबार्ड'), राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक ('एनएबीएफआईडी'), राष्ट्रीय आवास बैंक ('एनएचबी') और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक ('सिडबी') जिन्हें क्रमशः भारतीय निर्यात-आयात बैंक अधिनियम, 1981; राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981; राष्ट्रीय अवसंरचना विकास और वित्तपोषण बैंक अधिनियम, 2021; राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक अधिनियम, 1989 द्वारा स्थापित किया गया है (जिन्हें इसके आगे 'अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान या 'एआईएफआई' कहा जाएगा)।
1.2.3 इन निदेशों के प्रयोजन के लिए वाणिज्यिक बैंकों और एआईएफआई को सामूहिक रूप से एतद्पश्चात 'बैंक' के रूप में संदर्भित किया जाएगा।
1.3 उद्देश्य
ये निदेश बैंकों को धोखाधड़ी की घटनाओं की रोकथाम, शीघ्र पहचान और विधि प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए), भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) और नाबार्ड2 को समय पर रिपोर्ट करने तथा आरबीआई द्वारा सूचना के प्रसार और उससे संबंधित या प्रासंगिक मामलों के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं।
अध्याय II
2.1 धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन के लिए बैंकों में अभिशासन संरचना
2.1.1 धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर बोर्ड3 द्वारा अनुमोदित नीति4 होगी जिसमें बोर्ड/बोर्ड समितियों और बैंक के वरिष्ठ प्रबंधन की भूमिका और जिम्मेदारियों को निरूपित किया जाएगा। नीति में समयबद्ध तरीके से नैसर्गिक न्याय5 के सिद्धांतों का अनुपालन सुनिश्चित करने के उपायों को भी शामिल किया जाएगा, जिसमें कम से कम निम्नलिखित शामिल होंगे:
2.1.1.1 उन व्यक्तियों6, ईकाईओं और इसके प्रवर्तकों/पूर्णकालिक और कार्यपालक निदेशकों को जिनके विरुद्ध धोखाधड़ी के आरोप की जांच7 की जा रही है, विस्तृत कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी करना। कारण बताओ नोटिस में लेनदेनों/गतिविधियों/घटनाओं का पूरा विवरण प्रदान किया जाएगा, जिनके आधार पर इन निदेशों के अंतर्गत धोखाधड़ी की घोषणा और रिपोर्टिंग पर विचार किया जा रहा है।
2.1.1.2 जिन व्यक्तियों/ईकाईओं को एससीएन जारी किया गया है, उन्हें एससीएन का जवाब देने के लिए कम से कम 21 दिन का उचित समय प्रदान किया जाएगा।
2.1.1.3 बैंकों के पास एससीएन जारी करने तथा ऐसे व्यक्तियों/ईकाईओं को धोखाधड़ीपूर्ण घोषित करने से पहले उनके द्वारा दिए गए जवाबों/प्रस्तुतियों की जांच करने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रणाली होगी।
2.1.1.4 व्यक्ति/ईकाईओं को एक तर्कपूर्ण आदेश दिया जाएगा जिसमें खाते को धोखाधड़ी या अन्यथा घोषित/वर्गीकृत करने के बारे में बैंक के निर्णय की जानकारी दी जाएगी। ऐसे आदेशों में प्रासंगिक तथ्य/परिस्थितियां, एससीएन के विरुद्ध प्रस्तुत किए गए अभिकथन और धोखाधड़ी या अन्यथा के रूप में वर्गीकरण के कारण शामिल होने चाहिए।
2.1.2 धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन नीति की समीक्षा बोर्ड द्वारा तीन साल में कम से कम एक बार, या अधिक बार, जैसा बोर्ड द्वारा निर्धारित हो, की जाएगी।
2.1.3 धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी और अनुवर्ती कार्रवाई के लिए बोर्ड की विशेष समिति:
2.1.3.1 बैंक बोर्ड की एक समिति का गठन करेंगे, जिसे 'धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी और अनुवर्ती कार्रवाई के लिए बोर्ड की विशेष समिति' (एससीबीएमएफ) के रूप में जाना जाएगा, जिसमें बोर्ड के कम से कम तीन सदस्य होंगे, जिसमें एक पूर्णकालिक निदेशक और कम से कम दो स्वतंत्र निदेशक/गैर-कार्यपालक निदेशक होंगे। समिति की अध्यक्षता स्वतंत्र निदेशक/गैर-कार्यपालक निदेशकों में से एक द्वारा की जाएगी।
2.1.3.2 एससीबीएमएफ बैंक में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन की प्रभावकारिता का जायज़ा रखेगी। एससीबीएमएफ मूल कारण विश्लेषण सहित धोखाधड़ी के मामलों की समीक्षा और निगरानी करेगी तथा आंतरिक नियंत्रणों, जोखिम प्रबंधन ढांचे को सुदृढ़ करने और धोखाधड़ियों की घटनाओं को कम करने के लिए शमन उपायों का सुझाव देगी। ऐसी समीक्षाओं की कवरेज8 और आवधिकता का निर्णय बैंक के बोर्ड द्वारा किया जाएगा।
2.1.4 वरिष्ठ प्रबंधन बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन नीति के कार्यान्वयन के लिए उत्तरदायी होगा। बैंक के वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा धोखाधड़ी की घटनाओं की आवधिक समीक्षा भी बोर्ड / बोर्ड की लेखा परीक्षा समिति (एसीबी) के समक्ष रखी जाएगी।
2.1.5 बैंकों को एक पारदर्शी तंत्र स्थापित करना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खातों में संभावित धोखाधड़ी के मामलों / संदिग्ध गतिविधियों पर मुखबिर (व्हिसल ब्लोअर) शिकायतों की जांच की जाती है और अपनी मुखबिर (व्हिसल ब्लोअर) नीति के तहत उचित रूप से निष्कर्ष निकाला जाए।
2.2 बैंक अपने समग्र जोखिम प्रबंधन कार्यों/विभागों में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन9 के संस्थानीकरण के लिए एक उपयुक्त संगठनात्मक संरचना स्थापित करेंगे। धोखाधड़ी की निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए कम से कम महाप्रबंधक अथवा समकक्ष रैंक का एक वरिष्ठ अधिकारी जिम्मेदार होगा।
अध्याय III
3. धोखाधड़ी का शीघ्र पता लगाना –प्रारंभिक चेतावनी संकेतों (ईडब्ल्यूएस) और खातों की रेड फ्लैगिंग (आरएफए) के लिए ढांचा
3.1 अभिशासन ढांचा
3.1.1 बैंकों के पास बोर्ड द्वारा स्वीकृत समग्र धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन नीति के अंतर्गत प्रारंभिक चेतावनी संकेत (ईडब्ल्यूएस) और खातों की रेड फ्लैगिंग (आरएफए) के लिए एक रूपरेखा होगी । रेड फ्लैग्ड खाता वह है जिसमें एक या अधिक ईडब्ल्यूएस संकेतकों की उपस्थिति से उत्पन्न धोखाधड़ी की गतिविधि का संदेह संभावित धोखाधड़ी के कोण से गहन जांच और निवारक उपाय शुरू करने के लिए सतर्क/ट्रिगर करेगा।
3.1.2 बोर्ड की जोखिम प्रबंधन समिति (आरएमसीबी) ईडब्ल्यूएस और आरएफए ढांचे की प्रभावकारिता की देखरेख करेगी। वरिष्ठ प्रबंधन बैंक के भीतर ईडब्ल्यूएस और आरएफए के लिए एक मजबूत ढांचे के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा।
3.1.3 ऋण सुविधाओं/ऋण खातों और अन्य बैंकिंग लेन-देन की निगरानी के लिए पहचाने गए ईडब्ल्यूएस संकेतकों को आरएमसीबी द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। आरएमसीबी ईडब्ल्यूएस अलर्ट/ट्रिगर्स की जांच के लिए उचित प्रतिवर्तन (टर्नअराउंड) समय (टीएटी), जो की अधिमानतः 30 दिनों से अधिक नहीं होगा, को निर्धारित करेगी।
3.1.4 बोर्ड द्वारा अनुमोदित आवधिक अंतराल पर आरएमसीबी ईडब्ल्यूएस अलर्ट/ट्रिगर्स, बैंक द्वारा शुरू की गई उपचारात्मक कार्रवाइयों आदि सहित, रेड फ्लेग्ड खातों की स्थिति की समीक्षा करेगा।
3.1.5 ईडब्ल्यूएस/आरएफए ढांचा आरएमसीबी के निदेशों के अनुसार उपयुक्त सत्यापन के अधीन होगा ताकि इसकी सत्यता, मजबूती और परिणामों की स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
3.2 ईडब्ल्यूएस/आरएफए ढांचे में अन्य बातों के अलावा निम्नलिखित प्रावधान होंगे:
(i) एक मजबूत ईडब्ल्यूएस सिस्टम जो कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) या अन्य परिचालन प्रणालियों के साथ एकीकृत है; (ii) ईडब्ल्यूएस सिस्टम से अलर्ट / ट्रिगर्स पर समय पर निदानात्मक कार्रवाई की शुरुआत; (iii) ऋण स्वीकृति और निगरानी प्रक्रियाओं, आंतरिक नियंत्रण और प्रणालियों की आवधिक समीक्षा; और (iv) वृहद् ऋणों पर सूचना के केंद्रीय भंडार (सीआरआईएलसी) डेटाबेस और केंद्रीय धोखाधड़ी रजिस्ट्री (सीएफआर)10 का प्रभावी उपयोग।
3.3 ऋण सुविधाओं / ऋण खातों के लिए ईडबल्यूएस/आरएफए ढांचा
3.3.1 ईडब्ल्यूएस सिस्टम का विकास: ईडब्ल्यूएस सिस्टम व्यापक होगा और इसमें मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों संकेतक शामिल होंगे, ताकि ढांचा मजबूत और प्रभावी हो सके। ईडब्ल्यूएस सिस्टम द्वारा शामिल किए जाने वाले व्यापक संकेतक उदाहरण के तौर पर खातों के लेन-देन संबंधी डेटा, उधारकर्ताओं के वित्तीय प्रदर्शन, बाजार आसूचना, उधारकर्ताओं के आचरण आदि पर आधारित हो सकते हैं।
3.3.2 डेटा विश्लेषिकी और बाजार आसूचना (एमआई) इकाई: बैंकों को अपने आकार, जटिलता, व्यापार मिश्रण, जोखिम प्रोफाइल आदि को ध्यान में रखते हुए एक समर्पित डेटा विश्लेषिकी और बाजार आसूचना इकाई स्थापित करनी होगी। ऐसी इकाई संभावित धोखाधड़ी गतिविधियों का शीघ्र पता लगाने और रोकथाम के लिए प्रासंगिक जानकारी के संग्रह और प्रसंस्करण की सुविधा प्रदान करेगी।
3.3.3 ईडब्ल्यूएस अलर्ट/ट्रिगर का उत्पन्न होना यह तय करेगा कि क्या खाते की संभावित धोखाधड़ी के दृष्टिकोण से जांच की आवश्यकता है।
3.3.4 रिपोर्टिंग संस्था द्वारा सीआरआईएलसी रिपोर्टिंग सीमा11 को पूरा करने वाले खाते को, रेड फ्लेग करने पर, रेड फ्लेग किए जाने के सात दिनों के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट किया जाना चाहिए।
3.4 अन्य बैंकिंग/गैर-ऋण संबंधी लेनदेनों12 के लिए ईडब्ल्यूएस ढांचा
3.4.1 बैंक अन्य बैंकिंग/गैर-क्रेडिट संबंधी लेन-देन की निगरानी के लिए उपयुक्त संकेतकों की पहचान करके और उन्हें अपने ईडब्ल्यूएस सिस्टम में पैरामिट्रीकृत करके अपने ईडब्ल्यूएस सिस्टम को विकसित/मजबूत करेंगे। बैंक अपने ईडुब्लूएस सिस्टम की सत्यता और मजबूती को बढ़ाने, अन्य बैंकिंग/गैर-क्रेडिट संबंधित लेन-देन की कुशलतापूर्वक निगरानी करने और बैंकिंग चैनल के माध्यम से धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए ईडब्ल्यूएस सिस्टम को लगातार अपग्रेड करने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा, ईडब्ल्यूएस सिस्टम की प्रभावकारिता का समय-समय पर परीक्षण किया जाएगा।
3.4.2 ईडब्ल्यूएस सिस्टम का डिजाइन और विशिष्टताएँ मजबूत और लचीली होंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सिस्टम की अखंडता बनी रहे, ग्राहकों के व्यक्तिगत और वित्तीय डेटा सुरक्षित हों और संभावित धोखाधड़ी की रोकथाम/पहचान के लिए लेनदेन की निगरानी वास्तविक समय13 के आधार पर हो। बैंक लेनदेन/असामान्य गतिविधियों, विशेष रूप से गैर-केवाईसी अनुपालक और मनी म्यूल खातों आदि की निगरानी में सतर्क रहेंगे, ताकि अनधिकृत / धोखाधड़ी वाले लेनदेन को नियंत्रित किया जा सके और बैंकिंग चैनल के दुरुपयोग को रोका जा सके।
3.4.3 बैंकों में समर्पित डेटा विश्लेषिकी एवं एमआई ईकाई या अन्य समर्पित एनालिटिक्स सेटअप अन्य बैंकिंग/गैर-ऋण संबंधी लेनदेन, विशेष रूप से डिजिटल प्लेटफार्मों और एप्लिकेशन के माध्यम से किए गए लेनदेन की व्यापक निगरानी और विश्लेषण करेगा, ताकि असामान्य पैटर्न और गतिविधियों की पहचान की जा सके जो धोखाधड़ी गतिविधियों की रोकथाम की दिशा में उचित उपाय शुरू करने के लिए बैंकों को समय पर सतर्क कर सके।
3.5 बैंकों को इन निदेशों के जारी होने की तिथि से छह महीने के भीतर ईडब्ल्यूएस सिस्टम लागू करना होगा/ अपने मौजूदा ईडब्ल्यूएस सिस्टम को उपयुक्त रूप से अपग्रेड करना होगा।
अध्याय IV
4. ऋण सुविधा / ऋण खातों का रेड-फ्लैग खाते के रूप में वर्गीकृण तथा धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग
4.1 यदि किसी ऋण सुविधा/ऋण खाते को रेड-फ्लैग खाते के रूप में वर्गीकृत किया गया है, तो बैंक ऐसे खातों में आगे की जांच के लिए अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार बाह्य लेखा परीक्षा14 या आंतरिक लेखा परीक्षा का उपयोग करेंगे।
4.1.1 बैंक अन्य बातों के साथ-साथ बाह्य लेखापरीक्षकों की नियुक्ति पर एक नीति तैयार करेंगे जिसमें समुचित सावधानी, सक्षमता और लेखा परीक्षकों के ट्रैक रिकॉर्ड जैसे पहलू शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, लेखापरीक्षकों के साथ अनुबंध करार में, अन्य बातों के साथ-साथ, बोर्ड द्वारा यथा अनुमोदित विनिर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर लेखा परीक्षा को पूरा करने और बैंकों को लेखापरीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय-सीमा के संबंध में उपयुक्त खण्ड निहित होंगे।
4.1.2 उधारकर्ता के साथ ऋण करार में ऋणदाता (ओं) के कहने पर, खाते को रेड फ़्लैग करने के परिणामस्वरूप, ऐसी लेखा-परीक्षा करने के लिए खंड शामिल होंगे। ऐसे मामलों में जहां प्रस्तुत लेखापरीक्षा रिपोर्ट अनिर्णायक रहती है या उधारकर्ता द्वारा असहयोग के कारण विलंबित होती है, बैंक खाते की स्थिति को धोखाधड़ी के रूप में या अन्यथा उनके रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री और ऐसे मामलों में15 अपनी आंतरिक जांच/मूल्यांकन के आधार पर निष्कर्ष निकालेंगे।
4.1.3 किसी भी खाते को, चाहे वह मानक हो या एनपीए, रेड फ्लेग्ड खाते के रूप में वर्गीकृत करने का निर्णय प्रत्येक बैंक स्तर पर होगा और ऐसे बैंक (बैंकों) को खाते की स्थिति की रिपोर्ट तुरंत रिज़र्व बैंक के सीआरआईएलसी प्लेटफॉर्म16 पर देनी होगी (जो कि खाते को रेड फ़्लैग के रूप में वर्गीकरण की तिथि से सात दिनों के भीतर होगी)।
4.1.4 बैंक (एकल ऋण देने के मामले में) या प्रत्येक बैंक (एकाधिक बैंकिंग व्यवस्था या समूह ऋण देने के मामले में) यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत / घोषित करने से पहले नैसर्गिक न्याय17 के सिद्धांतों का सख्ती से पालन किया जाए।
4.1.5 एक बार जब कोई खाता रेड-फ्लैग हो जाता है, तो खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने या रेड-फ्लैग की स्थिति को हटाने की पूरी प्रक्रिया आम तौर पर सीआरआईएलसी प्लेटफ़ॉर्म पर खाते की पहली रिपोर्टिंग की तिथि से 180 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए। 180 दिनों से अधिक समय तक रेड-फ्लैग की स्थिति में रहने वाले मामलों को पर्याप्त तर्क/औचित्य के साथ समीक्षा के लिए एसीबीएमएफ को रिपोर्ट किया जाएगा। ऐसे मामले रिज़र्व बैंक द्वारा पर्यवेक्षी समीक्षा के अधीन भी होंगे।
4.1.6 यदि किसी बैंक द्वारा किसी खाते की पहचान धोखाधड़ी के रूप में की जाती है, तो अन्य समूह कंपनियों18 के उधार खाते, जिनमें एक या एक से अधिक प्रवर्तक/पूर्णकालिक निदेशक समान हैं, को भी इन निदेशों के अंतर्गत धोखाधड़ी के दृष्टिकोण से संबंधित बैंकों द्वारा जांच के अधीन किया जाएगा।
4.1.7 ऐसे मामलों में जहां विधि प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) ने उधारकर्ता खाते से संबंधित जांच स्वतः शुरू कर दी है, बैंक/बैंकों को तुरंत खाते को रेड फ्लेग करना होगा और खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने के लिए सामान्य प्रक्रिया का पालन करना होगा और उपर्युक्त पैरा 4.1.5 में निर्दिष्ट निर्धारित अवधि के भीतर इसे पूरा करना होगा।
4.2 पेशेवरों सहित तृतीय पक्ष सेवा प्रदाताओं से स्वतंत्र पुष्टि
4.2.1 बैंक स्वीकृति-पूर्व मूल्यांकन और स्वीकृति-पश्च निगरानी के लिए विभिन्न तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाताओं पर निर्भर रहते हैं। इसलिए, बैंक तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाताओं के साथ अपने करारों में आवश्यक नियम और शर्तें शामिल कर सकते हैं, ताकि उन स्थितियों में उन्हें उत्तरदायी ठहराया जा सके, जहाँ उनकी ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही/कदाचार के कारण धोखाधड़ी होती है।
4.2.2 बैंकों को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करने के बाद धोखाधड़ी में शामिल ऐसे तृतीय पक्ष या पेशेवरों के विवरण भारतीय बैंक संघ (आईबीए) को रिपोर्ट करने होंगे। तत्पश्चात, आईबीए ऐसे तृतीय पक्षों की चेतावनी सूची तैयार करेगा तथा बैंकों में परिचालित करेगा I
4.3 स्टाफ की जवाबदेही
4.3.1 बैंकों को अपनी आंतरिक नीति के अनुसार सभी धोखाधड़ी मामलों में स्टाफ की जवाबदेही की जांच समयबद्ध तरीके से शुरू करनी होगी और पूरी करनी होगी।
4.3.2. पीएसबी और एआईएफआई केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार स्टाफ की जवाबदेही की जांच करेंगे। सीवीसी के आदेश के अनुसार, पीएसबी और एआईएफआई 3 करोड़ रुपये और उससे अधिक की राशि के सभी धोखाधड़ी के मामलों को सीवीसी द्वारा गठित बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी सलाहकार बोर्ड (एबीबीएफएफ)19 को सभी स्तर के अधिकारियों/पूर्णकालिक निदेशकों (पूर्व अधिकारियों/पूर्व डब्ल्यूटीडी सहित) की भूमिका की जांच के लिए भेजेंगे।
4.3.3 बैंकों के अति वरिष्ठ कार्यपालकों (एमडी एवं सीईओ/ कार्यपालक निदेशक/समकक्ष रैंक के कार्यपालक20) के मामलों में, एसीबी उनकी जवाबदेही की जांच करेगी और इसे बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करेगी। हालाँकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं के मामले में, ऐसे मामलों को भी एबीबीएफएफ को भेजा जाएगा।
4.4 दंडात्मक उपाय
4.4.1 बैंकों द्वारा धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत और रिपोर्ट किए गए व्यक्ति/ इकाइयाँ तथा ऐसी इकाईओं से संबद्ध संस्थाएं और व्यक्ति21 पर, धोखाधड़ी की राशि/ समझौता समाधान के मामले में निपटान राशि के पूर्ण पुनर्भुगतान की तिथि से पांच वर्ष की अवधि के लिए आरबीआई द्वारा विनियमित वित्तीय संस्थाओं से धन जुटाने और/या अतिरिक्त ऋण सुविधाएं प्राप्त करने पर रोक लगा दी जाएगी।
4.4.2 ऐसे व्यक्तियों/इकाईओं को ऋण देना वाणिज्यिक निर्णय है, अतः ऋण देने वाले बैंकों को पैरा 4.4.1 में उल्लिखित अनिवार्य कूलिंग अवधि की समाप्ति के बाद ऋण सुविधाओं के लिए ऐसे अनुरोधों को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का पूर्ण विवेकाधिकार होगा।
4.5 समाधान के अंतर्गत खातों के साथ संव्यवहार
4.5.1 यदि धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किसी इकाई का बाद में आईबीसी के तहत या आरबीआई के समाधान ढांचे22 के तहत समाधान किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप इकाई / व्यावसायिक उद्यम के प्रबंधन और नियंत्रण में बदलाव हुआ है, तो बैंक यह जांच करेगा कि क्या इकाई को तब भी धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किया जाता रहेगा या आईबीसी या पूर्वोक्त विवेकपूर्ण ढांचे के तहत समाधान योजना के कार्यान्वयन के बाद धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकरण हटाया जा सकता है। हालांकि, यह पूर्ववर्ती प्रवर्तक(कों)/निदेशक(कों)/व्यक्ति(यों)के विरुद्ध आपराधिक कार्रवाई को बाधित किए बिना होगा, जो इकाई / व्यावसायिक उद्यम के मामलों के प्रबंधन के लिए प्रभारी और जिम्मेदार थे।
4.5.2 पैरा 4.4 में वर्णित दंडात्मक उपाय आईबीसी या पूर्वोक्त विवेकपूर्ण ढांचे के अंतर्गत समाधान योजना के कार्यान्वयन के बाद इकाईओं / व्यावसायिक उद्यमों पर लागू नहीं होंगे।
4.5.3 पैरा 4.4 में वर्णित दंडात्मक उपाय पूर्ववर्ती प्रवर्तकों /निदेशक(कों)/व्यक्तियों पर लागू होते रहेंगे, जो इकाई /व्यावसायिक उद्यम के मामलों के प्रबंधन के प्रभारी और जिम्मेदार थे।
अध्याय V
5. विधि प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए)23 को धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग
5.1 लागू कानूनों के अधीन, बैंक धोखाधड़ी की घटनाओं को तुरंत एलईए को रिपोर्ट करेंगे जैसा कि नीचे दर्शाया गया हैः24
बैंक की श्रेणी |
धाखाधड़ी में शामिल राशि |
एलईए जहां शिकायत दर्ज की जानी है |
टिप्पणी |
निजी क्षेत्र/विदेशी बैंक |
₹1 करोड़ से कम |
राज्य / केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) पुलिस |
|
₹1 करोड़ और उससे अधिक |
राज्य / यूटी पुलिस के अलावा, गंभीर कपट अन्वेषण कार्यालय (एसएफआईओ), कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार |
एसएफआईओ को धोखाधड़ी निगरानी रिटर्न (एफएमआर) फार्मेट में धोखाधड़ी का ब्यौरा सूचित किया जाए। |
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक |
(क) 6 करोड़ रुपये से कम25 |
राज्य / यूटी पुलिस |
|
(ख) ₹6 करोड़ और उससे अधिक |
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) |
|
5.2 बैंकों को धोखाधड़ी की घटनाओं की सूचना एलईए को देने तथा एलईए की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उचित समन्वय हेतु उपयुक्त नोडल बिंदु/नामित अधिकारी स्थापित करना होगा।
अध्याय VI26
6.1 भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्टिंग
ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करके धोखाधड़ी निगरानी विवरणी (एफएमआर) के माध्यम से आरबीआई को धोखाधड़ी की घटनाओं को रिपोर्ट करते समय एकरूपता और संगतता सुनिश्चित करने के लिए, बैंक निम्नलिखित में से किसी एक सबसे उपयुक्त श्रेणी का चयन करेंगे:
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धन का दुरुपयोग और आपराधिक न्यास-भंग;
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जाली दस्तावेजों के माध्यम से धोखाधड़ी-पूर्ण नकदीकरण;
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लेखा पुस्तकों में हेर-फेर करना या अवास्तविक खातों के माध्यम से संपत्ति का रूपांतरण करना;
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किसी व्यक्ति को धोखा देने के इरादे से तथ्यों को छिपाकर धोखाधड़ी करना और प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी करना;
-
कोई झूठा दस्तावेज़/इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाकर धोखाधड़ी करने के इरादे से जालसाजी;
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धोखाधड़ी के इरादे से किसी भी खाते, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, कागज, लेखन, मूल्यवान सुरक्षा या खाते का मिथ्याकरण, विनाश, परिवर्तन, विकृत करना;
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अवैध परितोष के लिए धोखाधड़ीपूर्ण ऋण सुविधाएं प्रदान करना;
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धोखाधड़ी के कारण नकदी की कमी;
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विदेशी मुद्रा से जुड़े धोखाधड़ी वाले लेनदेन;
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बैंकों में धोखाधड़ी वाले इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग/डिजिटल भुगतान संबंधी लेनदेन; तथा
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अन्य प्रकार की धोखाधड़ी गतिविधि जो उपर्युक्त में से किसी के अंतर्गत कवर नहीं हुई हो।
6.2 केंद्रीय धोखाधड़ी रजिस्ट्री27
6.2.1 बैंकों को ऐसी प्रणालियां और प्रक्रियाएं स्थापित करनी होंगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि केंद्रीय धोखाधड़ी रजिस्ट्री (सीएफआर) में उपलब्ध जानकारी का उपयोग ऋण जोखिम और धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन के लिए प्रभावी ढंग से किया गया है I
6.2.2 बैंकों को भुगतान प्रणाली से संबंधित विवादित/संदिग्ध या धोखाधड़ी के प्रयास वाले लेनदेन की रिपोर्ट आरबीआई द्वारा बनाए गए केंद्रीय भुगतान धोखाधड़ी सूचना रजिस्ट्री (सीपीएफआईआर)28 को देनी होगी। हालाँकि, ऐसे लेनदेन, यदि बाद में बैंक (कों) में धोखाधड़ी के रूप में साबित होतें है, तो उन्हें अनिवार्य रूप से एफएमआर के माध्यम से रिपोर्ट किया जाएगा ताकि सीएफआर में दर्शाया जा सके।
6.3 आरबीआई को धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्टिंग की पद्धति
6.3.1 बैंकों को प्रत्येक धोखाधड़ी के मामलों में, इसमें शामिल राशि के निरपेक्ष, एफएमआर29 को घटना/खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किए जाने के तत्काल बाद किन्तु वर्गीकृत किए जाने की तिथि30 से 14 दिनों के भीतर प्रस्तुत करना होगा।
6.3.2 भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं में धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्ट मेजबान देशों के प्रासंगिक कानूनों/विनियमनों के अनुसार संबंधित विदेशी एलईए को भी की जाएगी।
6.3.3 बैंक अपने समूह की संस्थाओं31 में की गई धोखाधड़ी की रिपोर्ट भी आरबीआई को अलग32 से देंगे, अगर ऐसी संस्थाएं किसी वित्तीय क्षेत्र के विनियामक/पर्यवेक्षी प्राधिकरण द्वारा विनियमित/पर्यवेक्षित नहीं हैं। हालांकि, भारतीय बैंकों की विदेशी बैंकिंग समूह संस्था के मामले में, मूल बैंक भी धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्ट आरबीआई को देगा। धोखाधड़ी33 की घोषणा करने से पहले समूह की संस्थाओं को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना होगा।
6.3.4 बैंकों को धोखाधड़ी के मामलों को आरबीआई34 को रिपोर्ट करने के लिए इन मास्टर निदेशों में निर्धारित समय-सीमा का पालन करना होगा। बैंकों को धोखाधड़ी के मामलों की पहचान करने और आरबीआई को रिपोर्ट करने में देरी के लिए स्टाफ की जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी।
6.3.5 धोखाधड़ी की रिपोर्ट करते समय, बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जो व्यक्ति/ इकाइयाँ धोखाधड़ी में शामिल/संबद्ध नहीं हैं, उनके बारे में एफएमआर में रिपोर्ट नहीं की जाए।
6.3.6 बैंक, असाधारण परिस्थितियों में, एफएमआर वापस ले सकते हैं / एफएमआर से दोषियों के नाम हटा सकते हैं। हालांकि, रिपोर्ट वापस लेने/नाम हटाने का काम उचित कारण बताकर और कम से कम पूर्णकालिक निदेशक रैंक के अधिकारी की मंजूरी से किया जाएगा।
6.4 आरबीआई को रिपोर्ट किए गए धोखाधड़ी के मामलों को बंद करना
6.4.1 जिस भी मामले में निम्नलिखित कार्रवाइयां पूरी हो गई हों, बैंकों को 'क्लोजर मॉड्यूल' का उपयोग करके धोखाधड़ी के मामलों को बंद करना होगा:
-
एलईए/न्यायालय में लंबित धोखाधड़ी के मामलों का निपटारा कर दिया गया हो; और
-
स्टाफ की जवाबदेही की जांच पूरी हो गई हो।
6.4.2 बैंकों को सीमित सांख्यिकीय/रिपोर्टिंग उद्देश्यों के लिए, ₹1 करोड़35 तक की राशि वाले उन धोखाधड़ी के मामलों को बंद करने की अनुमति है, जिनमें स्टाफ की जवाबदेही की जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई, यदि कोई हो, कर ली गई हो और
-
जांच जारी हो या प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के पंजीकरण की तारीख से तीन साल से अधिक समय तक एलईए द्वारा न्यायालय में आरोप-पत्र दायर नहीं किया गया हो; या
-
एलईए द्वारा ट्रायल कोर्ट में आरोप-पत्र दायर किया गया हो और न्यायालय में ट्रायल शुरू नहीं हुआ हो या एफआईआर के पंजीकरण की तारीख से तीन साल से अधिक समय तक न्यायालय के समक्ष ट्रायल लंबित हो।
6.4.3 रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी के सभी बंद मामलों में, बैंकों को लेखा परीक्षकों द्वारा जांच के लिए ऐसे मामलों का विवरण रखना होगा।
अध्याय VII
7. चेक से संबंधित धोखाधड़ी – एलईए और आरबीआई/नाबार्ड36 को रिपोर्ट करना
7.1 एकरूपता सुनिश्चित करने और दोहराव से बचने के लिए, जाली लिखतों के संबंध में धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग, जिसमें ट्रंकेटेड लिखतों के संबंध में भेजे गए नकली/जाली लिखतों सहित, भुगतान करने वाले बैंकर द्वारा की जाती रहेगी, प्रस्तुत करने वाले बैंकर द्वारा नहीं। ऐसे मामलों में प्रस्तुत करने वाला बैंक, अंतर्निहित लिखतों को अदाकर्ता/भुगतान करने वाले बैंक, जब भी मांगे, को तुरंत सौंप देगा, ताकि वह जांच और कानून के तहत आगे की कार्रवाई के लिए एलईए को सूचित कर सकें और धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग आरबीआई को कर सके।
7.2 हालांकि, ऐसे लिखत की प्रस्तुति के मामले में जो प्रामाणिक है, लेकिन भुगतान ऐसे व्यक्ति को किया गया है जो असली मालिक नहीं है; या जहां राशि वसूली से पहले जमा कर दी गई है और बाद में लिखत नकली/जाली पाया जाता है और भुगतान करने वाले बैंक द्वारा वापस कर दिया जाता है, प्रस्तुत करने वाला बैंक, जो धोखाधड़ी का शिकार हुआ या जिसको लिखत की वसूली से पहले राशि का भुगतान करने से नुकसान हुआ है, आरबीआई के पास धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करेगा और जांच एवं कानून के तहत आगे की कार्रवाई के लिए एलईए को सूचित करेगा।
अध्याय VIII
8. अन्य अनुदेश
8.1 बड़े मूल्य के ऋण खातों के संबंध में स्वत्वाधिकार दस्तावेजों की विधिक लेखा परीक्षा
जब तक ऋण पूरी तरह से चुका न दिया जाए, बैंक को ₹5 करोड़ और उससे अधिक की सभी ऋण सुविधाओं के संबंध में स्वत्व विलेख और अन्य संबंधित स्वत्वाधिकार दस्तावेजों का समय-समय पर विधिक लेखा परीक्षा और पुनः सत्यापन करना होगा। विधिक लेखा परीक्षा का दायरा और आवधिकता ऊपर खंड 2.1.1 में संदर्भित बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार होंगे। लघु वित्त बैंकों, स्थानीय क्षेत्र बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए, स्वत्व विलेखों और अन्य संबंधित स्वत्वाधिकार दस्तावेजों के आवधिक विधिक लेखापरीक्षा के लिए सीमा राशि ₹1 करोड़ बनी रहेगी।
8.2 धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत और अन्य ऋणदाताओं / आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी)37 को बेचे गए खातों के साथ संव्यवहार
ऋण खाता/क्रेडिट सुविधा अन्य ऋणदाताओं/एआरसी को हस्तांतरित करने से पहले बैंक को धोखाधड़ी के दृष्टिकोण से जांच पूरी करनी होगी। ऐसे मामलों में जहां बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि खाते में धोखाधड़ी की गई है, उन्हें खातों को अन्य ऋणदाताओं/एआरसी38 को बेचने से पहले आरबीआई/नाबार्ड39 को इसकी सूचना देनी होगी।
8.3 लेखा परीक्षकों की भूमिका
8.3.1 लेखा परीक्षा के दौरान, लेखा परीक्षकों को ऐसे मामले देखने को मिल सकते हैं, जहां खाते में लेनदेन या दस्तावेज़, खाते में धोखाधड़ी वाले लेनदेन का संकेत देते हों। ऐसी स्थिति में, लेखा परीक्षक को यह तुरंत वरिष्ठ प्रबंधन और यदि आवश्यक हो, तो उचित कार्रवाई के लिए संबंधित बैंक के बोर्ड की लेखा परीक्षा समिति (एसीबी) के संज्ञान में लाना चाहिए।
8.3.2 बैंक आंतरिक लेखापरीक्षा में धोखाधड़ी के मामलों की रोकथाम, पहचान, वर्गीकरण, निगरानी, रिपोर्टिंग, बंद करने और मामला वापस लेने में शामिल नियंत्रण और प्रक्रियाओं को कवर करेंगे और साथ ही बैंक40 के धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन ढांचे में महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में देखी गई कमजोरियों को भी कवर करेंगे।
8.4 धोखाधड़ी की 'घटना की तिथि', 'पहचान की तिथि' और 'वर्गीकरण की तिथि' – एफएमआर के तहत रिपोर्टिंग के उद्देश्य से
8.4.1 'घटना की तिथि' वह तिथि है जब धन का वास्तविक दुर्विनियोजन होना शुरू हुआ है, या घटना घटित हुई है, जैसा कि लेखापरीक्षा या अन्य निष्कर्षों में साक्ष्य हैं/रिपोर्ट किया गया है।
8.4.2 एफएमआर में रिपोर्ट की जाने वाली 'पहचान की तिथि' वह वास्तविक तिथि है जब संबंधित शाखा / लेखा परीक्षा / विभाग, जो भी हो, में धोखाधड़ी सामने आई, न कि बैंक के सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदन की तिथि।
8.4.3 'वर्गीकरण की तिथि' वह तिथि है जब ऐसे वर्गीकरण के लिए सक्षम प्राधिकारी से उचित अनुमोदन प्राप्त कर लिया गया हो तथा तर्कसंगत आदेश पारित कर दिया गया हो।
अध्याय IX41
9. चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूट के मामलों की रिपोर्टिंग
9.1 बैंकों को चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूट (प्रयास किए गए मामलों सहित) की घटनाओं को धोखाधड़ी निगरानी समूह (एफएमजी), पर्यवेक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक को, घटना के तुरंत बाद (अधिकतम सात दिनों के भीतर) रिपोर्ट42 करना होगा।
9.2 बैंकों को ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करके आरबीआई को चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूट के संबंध में तिमाही विवरणी (आरबीआर) भी प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें तिमाही के दौरान घटित हुए ऐसे सभी मामले शामिल होंगे। इसे संबंधित तिमाही के अंत से 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जाना होगा।
अध्याय X
10. निरसन
इन निदेशों के जारी होने के साथ ही, परिशिष्ट में सूचीबद्ध भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी परिपत्रों में निहित निदेश/दिशानिर्देश निरस्त हो गए हैं, क्योंकि उनकी विषय-वस्तु को मास्टर निदेशों में शामिल कर लिया गया है। इन परिपत्रों में निहित सभी निदेश/दिशानिर्देश इन निदेशों के अंतर्गत दिए गए हैं, ऐसा माना जाए।
परिशिष्ट
निरस्त किए गये परिपत्रों की सूची
क्र.सं. |
परिपत्र संख्या |
परिपत्र की तिथि |
विषय |
1. |
DOS.CO.FMG.NO. S332/23.04.001/2022-23 |
13-01-2023 |
एफएमआर के माध्यम से आरबीआई को डिजिटल भुगतान से संबंधित धोखाधड़ी की रिपोर्ट करना |
2. |
DOS.CO.FMG.NO. S101/23.04.001/2022-23 |
17-06-2022 |
एफएमआर/सीआरआईएलसी में किसी कंपनी के गैर-पूर्णकालिक निदेशक(कों) को शामिल करने/नाम जोड़ने पर एडवाइजरी |
3. |
DOS.CO.FMG.No.45534/23.14.027/2021-22 |
11-05-2021 |
धोखाधड़ी के दृष्टिकोण से खातों की जांच के लिए फोरेंसिक लेखापरीक्षा कराना |
4. |
DBS.CO.CFMC No.2030/23.10.002/2019-20 |
01-10-2019 |
एक्सबीआरएल प्लेटफार्म में एफएमआर के लिए क्लोजर मॉड्यूल का परिनियोजन |
5. |
DBS.CO.CFMC.No. /23.10.002/2017-18 |
04-06-2018 |
धोखाधड़ी रिपोर्टिंग-एफआरएमएस का एक्सबीआरएल आधारित प्रणाली में माइग्रेशन - एफयूए (एफएमआर अपडेट एप्लीकेशन) - संशोधित |
6. |
DBS.CO.CFMC.No. 6453/23.10.002/2017-18 |
09-01-2018 |
धोखाधड़ी रिपोर्टिंग-एफआरएमएस का एक्सबीआरएल आधारित प्रणाली में माइग्रेशन - गोइंग लाइव- एफयूए (एफएमआर अपडेट एप्लीकेशन) |
7. |
DBS.CO.CFMC.BC.No. 3/23.10.002/2017-18 |
07-07-2017 |
धोखाधड़ी रिपोर्टिंग-एफआरएमएस का एक्सबीआरएल आधारित प्रणाली में माइग्रेशन - गोइंग लाइव- एफएमआर 4 और वीएमआर |
8. |
DBS.CO.CFMC.NO. 7516/23.10.002/2016-17 |
28-03-2017 |
धोखाधड़ी रिपोर्टिंग - एफआरएमएस का एक्सबीआरएल आधारित प्रणाली में प्रवासन - गोइंग लाइव |
9. |
DBS.CO.CFMC.No. 7876/23.04.001/2015-16 |
11-01-2016 |
केन्द्रीय धोखाधड़ी रजिस्ट्री (सीएफआर) की शुरूआत और एक्सबीआरएल आधारित धोखाधड़ियों की रिपोटग में माइगे्रशन |
10. |
DBS.CO.FrMC.BC.No.7/23.04.001/2009-10 |
16-09-2009 |
बैंकों में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन प्रणाली - अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारियों की भूमिका |
11. |
DBS.CO.FrMC.BC.No.8/23.04.001/2008-09 |
24-06-2009 |
बहु बैंकिंग व्यवस्था वाले उधार खातों में धोखाधड़ी |
12. |
DBS.CO.FrMC 15976/23.02.013/2008-09 |
24-06-2009 |
एफआरएमएस एप्लीकेशन के माध्यम से धोखाधड़ी पर तिमाही रिटर्न प्रस्तुत करना |
13. |
DBS.CO.FrMC.BC.No.3/23.08.001/2008-09 |
16-03-2009 |
धोखाधड़ी में शामिल तीसरे पक्ष के नामों का प्रसार |
14. |
DBS.CO.FrMC 1470/23.04.001/08-09 |
31-07-2008 |
धोखाधड़ी रिपोर्टिंग के लिए नोडल अधिकारी - विवरण |
15. |
DBS.FGV(F)No.8897/23.10.001/2005-2006 |
20-12-2005 |
धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और निगरानी प्रणाली (एफआरएमएस) |
16. |
DBS.FrMC.BC.No.18/23.04.011/2004-05 |
11-02-2005 |
सीबीआई द्वारा जांच के लिए लंबित धोखाधड़ी के मामले - शीघ्र अंतिम निपटान के लिए अनुरोध |
17. |
DBS.FGV(F).No.1004/23.04.01A/2003-04 |
14-01-2004 |
निदेशक मंडल द्वारा बड़े मूल्य की धोखाधड़ी की निगरानी |
18. |
DBS.FGV(F).No.1836/23.04.001/2002-2003 |
04-06-2003 |
धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और निगरानी प्रणाली (एफआरएमएस) |
19. |
DBS.FGV.No.258/23.04.001/2000-01 |
26-08-2000 |
बैंकों द्वारा धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग |
20. |
DBS.No.FGV.BC.46/23.04.001/98-99 |
28-01-1999 |
धोखाधड़ी आदि पर तिमाही/अर्धवार्षिक विवरणी प्रस्तुत करना |
21. |
DBS.No.FGV.BC.34/23.04.001/98-99 |
26-09-1998 |
बैंकों में धोखाधड़ी - जांच एजेंसियों के पास शिकायत दर्ज करना |
22. |
DBS.FGV/487/23.04.001/97-98 |
23-06-1998 |
धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग |
23. |
DBS.FGV/486/23.04.001/97-98 |
23-06-1998 |
बैंकों में धोखाधड़ी - दोषी स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई |
24. |
DBS.FGV.BC.15/23.04.001/97-98 |
05-05-1998 |
बैंकों में धोखाधड़ी - आरबीआई को रिपोर्टिंग |
25. |
DBS.FGV.460/23.04.001/97-98 |
03-11-1997 |
धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग |
26. |
DOS.FGV.BC.25/23.04.001/96 |
30-12-1996 |
बैंकों द्वारा धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग |
27. |
DOS.No.317/23.11.001/96 |
09-09-1996 |
बैंकों में धोखाधड़ी - अनुदेशों का संग्रह |
28. |
DOS.No.FGV.BC.17/23.04.001/96-97 |
09-09-1996 |
धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग |
29. |
DOS.No.FGV.BC.13/23.01.001/96 |
12-06-1996 |
धोखाधड़ी की वार्षिक समीक्षा |
30. |
DOS.No.BC.FGV.10/23.04.001/96 |
06-05-1996 |
बैंकों में धोखाधड़ी पर रिपोर्टिंग |
|