आरबीआई/2025-26/133
मुप्रवि (एनई)सं.जी-5/08.07.18/2025-26
01 अप्रैल 2025
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक/
मुख्य कार्यकारी अधिकारी
समस्त बैंक
महोदया/महोदय,
मास्टर निदेश - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 28, 38, 39, 58(1) और 58(2)(थ) के साथ पठित बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35(ए) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर जनता को नोटों और सिक्कों के विनिमय की सुविधा के प्रावधान पर बैंकों को दिशानिर्देश / अनुदेश / निदेश जारी करता है।
2. नोटों और सिक्कों के विनिमय की सुविधा के संबंध में वर्तमान दिशानिर्देशों / अनुदेशों / निदेशों को समेकित और अद्यतन करते हुए एक मास्टर निदेश तैयार किया गया है, जो संलग्न है, ताकि बैंक इस विषय पर सभी मौजूदा अनुदेशों को संदर्भ के लिए एक ही स्थान पर प्राप्त कर सके।
भवदीया
(सुमन नाथ)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्न: यथोक्त
सूचकांक
मास्टर निदेश - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 28, 38, 39, 58(1) और 58(2)(थ) के साथ पठित बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35(ए) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक और उचित है, निम्न निर्देश जारी किया जाता है।
1. बैंक शाखाओं में नोट / सिक्कों के विनिमय की सुविधा
(क) पूरे देश में सभी बैंक शाखाएं जनसाधारण को निम्नलिखित ग्राहक सेवाएं सक्रियता और प्रभावी ढंग से अनिवार्य रूप से प्रदान करें ताकि उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों में जाने की आवश्यकता न हो:-
I. सभी मूल्यवर्ग के नए / अच्छी गुणवत्ता वाले नोट तथा सिक्के जारी करना,
II. गंदे / कटे-फटे / अपूर्ण नोटों को बदलना
और
III. लेनदेन अथवा विनिमय में नोट एवं सिक्के स्वीकारना
(ख) शाखाएँ यह सुनिश्चित करेंगी कि नोट तथा सिक्कों के विनिमय की यह सुविधा केवल उनके ग्राहकों के लिए सीमित नहीं हैं बल्कि अन्य लोगों को भी दी जा रही है। लघु वित्त बैंक (जो 2 साल से कम समय की अवधि से बैंकिंग कारोबार कर रहे हैं) एवं भुगतान बैंक स्वेच्छा से कटे-फटे और अपूर्ण नोटों को बदल सकते हैं।
(ग) प्रत्येक थैली में 100 सिक्के अथवा छोटे मूल्य के पैक खजांची के साथ साथ ग्राहकों के लिए भी लेनदेन हेतु अधिक सुविधाजनक होगा, अतः ऐसी थैलियाँ काउंटर पर रखी जाएँ तथा ग्राहकों को उपलब्ध करवाई जाएँ।
(घ) सभी शाखाएं कारोबार के सभी दिन, किसी पक्षपात के बिना आम जनता को उपरोक्त सुविधा प्रदान करेंगी।
(ड.) आम आदमी की जानकारी के लिए शाखाओं के स्तर पर उपलब्ध ऐसी सेवाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा।
(च) कोई भी बैंक शाखा, अपने काउंटरों पर स्वीकृति हेतु प्रस्तुत किए गए छोटे मूल्यवर्ग के नोटों और / या सिक्कों को लेने से इन्कार नहीं करेंगे। भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी मूल्यवर्गों के विभिन्न आकार, विषय-वस्तु तथा डिजाइन के 50 पैसे, ₹1/-, ₹2/-, ₹5/-, ₹10/- तथा ₹20/- मूल्यवर्ग के सभी सिक्के वर्तमान में वैध निविदा हैं।
(छ) अप्रचलित सिक्के - भारत सरकार द्वारा जारी 20 दिसंबर 2010 की राजपत्रित अधिसूचना सं. 2529 के अनुसरण में, समय - समय पर जारी किये गये 25 पैसे और उससे निम्न मूल्यवर्ग के सिक्के, 30 जून 2011 से वैध मुद्रा नहीं हैं।
2. भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 [भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018 द्वारा संशोधित] - शक्तियों का प्रत्यायोजन
(क) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58(2) के साथ पठित धारा 28 के अनुसार कोई भी व्यक्ति भारत सरकार द्वारा जारी मुद्रा नोटों या बैंकनोटों में से किसी गुम हो चुके, चोरी हो गये, विकृत या अपूर्ण मुद्रा नोट का मूल्य भारत सरकार अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक से अधिकार के तौर पर वसूल करने का पात्र नहीं है। तथापि, वास्तविक मामलों में जनता को कठिनाई से बचाने के प्रयोजन से यह प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति से भारतीय रिज़र्व बैंक उन परिस्थितियों तथा उन शर्तों और परिसीमाओं का निर्धारण कर सकता है, जिनके अनुसार ऐसे मुद्रा नोटों या बैंक नोटों का मूल्य एक अनुग्रह के रूप में दिया जा सके।
(ख) जनता के लाभ और सहूलियत के लिए विनिमय सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से, सभी बैंक शाखाओं को भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 [भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018] (इसके पश्चात इसे यहाँ एनआरआर, 2009 कहा जाएगा) के नियम 2(ज) के अंतर्गत कटे-फटे / अपूर्ण बैंक नोटो के निःशुल्क विनिमय के लिए अधिकार दिए गए हैं।
(ग) आम जनता को महात्मा गांधी (नई) शृंखला, जो पूर्व की शृंखला की तुलना में आकार में छोटे हैं, के कटे फटे नोटों के विनिमय में सक्षम करने हेतु एनआरआर, 2009 को संशोधित किया गया था। पचास रूपये तथा इससे उच्च मूल्यवर्ग के नोटों के पूर्ण मूल्य के भुगतान के लिए आवश्यक नोट के सबसे बड़े एकल अविभाजित टुकड़े के न्यूनतम क्षेत्र में भी संशोधन किया गया था। भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018 को 06 सितंबर 2018 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया था।
3. गंदे नोट
विनिमय सुविधाओं में तेजी लाने के उद्देश्य से गंदे नोटों की परिभाषा को विस्तारित किया गया है। ''गंदा नोट'' उस नोट को माना जाता है जो सामान्य रूप से बहुत अधिक इस्तेमाल किये जाने के कारण गंदा हो गया हो साथ ही उस नोट को भी गंदा नोट माना जाता है जिसे दो टुकडों को चिपकाकर बनाया गया हो हालांकि दोनों टुकड़े एक ही नोट के हैं और नोट में सभी आवश्यक लक्षण मौजूद हैं। सरकारी देनदारी चुकता करने के लिए या बैंक के काउन्टरों पर अपने खातों में जमा करने के लिए जनता द्वारा प्रस्तुत किए जाने पर भी ये नोट स्वीकार किए जाएंगे। इस प्रकार के चलन में न लाने योग्य नोटों को किसी भी हाल में पुन: जारी करने योग्य नोटों के रूप में जनता को फिर से जारी नहीं किया जाए तथा ऐसे नोटों को अगले प्रसंस्करण के लिए गंदे नोट प्रेषण के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों को भेजने हेतु मुद्रा तिजोरियों में जमा कर दिया जाए।
4. कटे-फटे (विरूपित) एवं अपूर्ण नोट - प्रस्तुत एवं पास किया जाना
(क) कटे-फटे (विरूपित) नोट -
‘कटे-फटे (विरूपित) नोट’ का अभिप्राय ऐसे नोट से है जिसका एक हिस्सा गायब हो अथवा जिसके दो टुकड़ों से अधिक टुकड़े हुए हो। विरूपित नोटों को किसी भी बैंक की शाखा में प्रस्तुत किया जा सकता है। इस प्रकार के प्रस्तुत किये गये नोटों को एनआरआर, 2009 के तहत बनाए गये उल्लिखित नियमों के अनुसार स्वीकृत एवं अधिनिर्णयन कर विनिमय प्रदान किया जाएगा। शाखाएँ यह सुनिश्चित करेंगी कि नोट विनिमय सुविधा निजी मुद्रा परिवर्तकों तथा दोषपूर्ण नोटों के व्यवसायियों द्वारा नियंत्रित न हो।
(ख) अपूर्ण नोट –
"अपूर्ण नोट" से अभिप्राय ऐसे किसी नोट से है, जो पूर्णत: या अंशत: विरूपित, सिकुड़ा हुआ, गला हुआ, परिवर्तित या अस्पष्ट हो, हालांकि इसमें कटा-फटा नोट सम्मिलित नहीं है। अपूर्ण नोट, जो सामान्य उपयोग के लिए अनुपयुक्त हों, उन्हें विनिमय के लिए किसी भी बैंक शाखा में प्रस्तुत किया जाएगा। इस प्रकार के प्रस्तुत किये गये नोटों को एनआरआर, 2009 के अंतर्गत बनाये गये उल्लिखित नियमों के अनुसार स्वीकृत एवं अधिनिर्णयन कर विनिमय प्रदान किया जाएगा।
5. बैंक नोट जो सामान्य उपयोग के लिए अनुपयुक्त हों
ऐसे नोट, जो बहुत ही खस्ताहाल हों या बुरी तरह से जल गए हों, अथवा आपस में बुरी तरह से चिपक गए हों और इस वजह से सामान्य उपयोग के लिए अनुपयुक्त हों, बैंक शाखाएँ ऐसे नोटों को बदलने के लिए स्वीकार नहीं करेंगें। ऐसे नोट के धारक को यह सूचित किया जाएगा कि वे इन नोटों को अहमदाबाद, बेंगलुरु, बेलापुर (नवी मुंबई), भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना और तिरुवनंतपुरम में स्थित भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी भी निर्गम कार्यालय और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कोच्चि में प्रबंधित मुद्रा तिजोरी में प्रस्तुत करें जहां इनका अधिनिर्णयन एक विशेष प्रक्रिया के तहत किया जाएगा। निविदाकर्ता को यह भी सूचित किया जाएगा कि ऐसे नोट विनिमय के उद्देश्य से बीमित डाक / पंजीकृत पार्सल के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त किसी भी निर्गम कार्यालय में उसके बैंक खाते का विवरण (खाता संख्या, शाखा का नाम, आईएफएससी कोड आदि) के साथ भी प्रेषित किए जा सकते हैं।
6. गंदे / कटे-फटे (विरूपित) / अपूर्ण नोटों के लिए विनिमय की सुविधा की प्रक्रिया
6.1 गंदे नोटों का विनिमय
6.1.1 कम संख्या में प्रस्तुत किए गए नोट: जहां किसी व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किए गए नोटों की संख्या 20 हो और जिसकी अधिकतम राशि ₹5,000/- (किसी एक दिन में) हो, तो बैंक को उसे काउंटर पर नि:शुल्क बदल कर देना होगा।
6.1.2 अधिक संख्या में प्रस्तुत किए गए नोट: जहां किसी व्यक्ति द्वारा किसी एक दिन में प्रस्तुत किए गए नोटों की संख्या 20 से अथवा मूल्य ₹5000/- से अधिक हो, तो बैंक रसीद देकर नोटों को स्वीकार कर सकते हैं, ऐसी स्थिति में देय राशि बाद में भुगतान की जाएगी। बैंक प्रस्तुतकर्ता को रसीद पर भुगतान की संभावित तारीख के बारे में सूचित करेंगे जो प्राप्ति के 7 दिन से अधिक नहीं होना चाहिए। इलेक्ट्रानिक माध्यम से विनिमय मूल्य को जमा करने के लिए प्रस्तुतकर्ता से बैंक खाते का विवरण प्राप्त किया जाएगा।
6.2 कटे-फटे (विरूपित) तथा अपूर्ण नोटों का विनिमय
6.2.1 सभी बैंक शाखाए, एनआरआर, 2009 के भाग III (www.rbi.org.in>प्रकाशन>सामयिक) में कटे-फटे (विरूपित) तथा अपूर्ण नोटों के विनिमय के लिए दी गई प्रक्रिया को जारी रखते हुए तथा अधिनिर्णयन के लिए प्रस्तुत किए गए नोटों के लिए प्राप्ति रसीद जारी कर सकती हैं, और कम संख्या में और थोक में प्रस्तुत किए नोटों के लिए इस मास्टर निदेश के निम्नलिखित पैराग्राफ 6.2.2, 6.2.3 और 6.2.4 में उल्लिखित दिशानिर्देशों का पालन कर सकते है।
6.2.2 कम संख्या में प्रस्तुत किए गए नोट: जहां किसी व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किए गए नोटों की संख्या 10 नग तक है, बैंक शाखाएँ सामान्यत: इन नोटों का अधिनिर्णयन एनआरआर, 2009 के भाग III में दी गई प्रक्रिया के अनुसार करेंगी तथा विनिमय मूल्य का भुगतान काउंटर पर ही करेंगी।
6.2.3 अधिक संख्या में प्रस्तुत किए गए नोट: जहां किसी व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत नोटों की संख्या 10 या प्रतिदिन मूल्य ₹5,000 से अधिक हो, बैंक शाखाएं उन्हें प्रस्तुत किए गए नोटों के लिए प्राप्ति रसीद जारी कर सकती हैं, जिसका विनिमय मूल्य बाद में प्रस्तुतकर्ता के बैंक खाते में जमा किया जाएगा।
6.2.4 यदि गैर-तिजोरी शाखाएँ विरूपित नोटों का अधिनिर्णयन करने में सक्षम नहीं हैं, तो प्राप्ति रसीद देकर नोट प्राप्त कर सकते हैं तथा अधिनिर्णयन के लिए संबद्ध मुद्रा तिजोरी शाखाओं को भेज सकते है। बैंक प्रस्तुतकर्ता को रसीद पर भुगतान की संभावित तारीख के बारे में सूचित करेंगे जो प्राप्ति के 30 दिन से अधिक नहीं होना चाहिए। इलेक्ट्रानिक माध्यम से विनिमय मूल्य को जमा करने के लिए प्रस्तुतकर्ता से बैंक खाते का विवरण प्राप्त किया जाएगा।
6.3 बैंकों में ग्राहक सेवा विषय पर मास्टर दिशानिर्देश (दिनांक 01 जुलाई, 2015 का परिपत्र डीबीआर.सं.एलईजी.बीसी.21/09.07.006/2015-16) के अनुसार स्वीकृत किया गया सेवा प्रभार बैंक वसूल सकते हैं। यदि विनिमय के लिए दिए गए गंदे / कटे-फटे / अपूर्ण नोटों का मूल्य ₹50000/- से अधिक है तो, ऐसे मामलों में बैंकों द्वारा सामान्य सावधानियाँ बरतने की अपेक्षा की जाती है।
7. शिकायत निवारण
किसी विशिष्ट बैंक के विरुद्ध निविदाकर्ता की शिकायत के मामले में, संबंधित बैंक शाखा में शिकायत दर्ज की जा सकती है। यदि बैंक शाखा शिकायत दर्ज करने के बाद 30 दिनों की अवधि के भीतर जवाब नहीं देती है या शिकायत को पूर्ण / आंशिक रूप से अस्वीकार कर देती है या शिकायतकर्ता बैंक शाखा द्वारा दिए गए समाधान से संतुष्ट नहीं है, तो रिजर्व बैंक – एकीकृत लोकपाल योजना 2021' के अंतर्गत लोकपाल के पास शिकायत दर्ज की जा सकती है। शिकायतें https://cms.rbi.org.in पर भी दर्ज की जा सकती हैं तथा बैंक / डाक रसीदों को प्रमाण के रूप में संलग्न कर इसके लिए समर्पित ई-मेल के माध्यम से या भौतिक रूप से भारतीय रिजर्व बैंक, चौथी मंजिल, सेक्टर 17, चंडीगढ़ – 160017 में स्थापित “केंद्रीयकृत प्राप्ति तथा प्रसंस्करण केंद्र” को आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रेषित की जा सकती हैं।
8. कटे-फटे (विरूपित) / अपूर्ण नोटों का प्रबंधन
8.1 भुगतान शेष / भुगतान किया गया / निरस्त ’की मुहरें लगे नोट
(क) प्रत्येक शाखा के प्रभारी अधिकारी अर्थात् शाखा प्रबंधक और प्रत्येक शाखा की लेखा अथवा नकदी विंग के प्रभारी अधिकारी, एनआरआर, 2009 के अनुसार शाखा में प्राप्त नोटों का अधिनिर्णयन करने के लिए “निर्धारित अधिकारी” के रूप में कार्य करेंगे। कटे-फटे नोटों के अधिनिर्णयन करने के बाद निर्धारित अधिकारी के लिए यह आवश्यक है कि वह नोटों पर दिनांक वाली मुहर लगाकर अपने आद्याक्षर करते हुए "भुगतान शेष"/ "भुगतान किया गया"/ "निरस्त" का आदेश रिकॉर्ड करें। "भुगतान शेष"/ "भुगतान किया गया"/ "निरस्त" आदेश वाली मुहरों पर बैंक और संबंधित शाखा का नाम भी होना चाहिए और इस प्रकार की मुहरों के गलत इस्तेमाल से बचने के लिए इन्हें ‘निर्धारित अधिकारी’ की अभिरक्षा में रखा जाएगा।
(ख) ऐसे कटे-फटे / दोषपूर्ण नोट जिन पर भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी भी निर्गम कार्यालय अथवा किसी बैंक शाखा की "भुगतान करें"/ "भुगतान किया"/ या "निरस्त" की मुहर लगी हो को दुबारा किसी भी बैंक शाखा में भुगतान के लिए प्रस्तुत किए जाने पर, एनआरआर, 2009 के नियम 6(2) के अंतर्गत भुगतान करने से मना कर दिया जाएगा और प्रस्तुतकर्ता को सूचित किया जाएगा कि ऐसे विकृत नोट (नोटों) का मूल्य नहीं दिया जा सकता क्योंकि इनका मूल्य पहले ही दिया जा चुका है, और भुगतान के प्रमाण-स्वरूप इन / इस पर "भुगतान करें"/ "भुगतान किया" की मुहरें लगी हुई हैं। सभी बैंक शाखाओं को यह हिदायत दी गई है कि वे "भुगतान करे"/ "भुगतान किया" की मुहर लगे नोटों को जनता में दुबारा भूल से भी न जाने दें। शाखाएं अपने ग्राहकों को सावधान करेंगी कि वे किसी भी अन्य बैंक या व्यक्ति से ऐसे नोट न लें।
8.2. नारे लिखे हुए / दागदार नोट अथवा घिसे हुए नोट
(क) नारे, राजनीतिक या धार्मिक प्रवृति के संदेश, घिसे हुए, दागदार (रंग / तेल के धब्बों सहित) आदि नोट उपयोग तथा संचलन के लिए उपयुक्त नहीं हैं तथा आरबीआई की स्वच्छ नोट नीति के विरूद्ध हैं।
(ख) आम जनता से प्राप्त किए गए ऐसे नोट संचलन के लिए पुन: जारी नहीं किए जाएंगे तथा आरबीआई को आगे विप्रेषित करने के लिए मुद्रा तिजोरी को विप्रेषित किए जाएंगे।
(ग) यदि किसी नोट पर कोई नारा, राजनीतिक अथवा धार्मिक प्रकृति का संदेश लिखा हो तो यह विधिमान्य मुद्रा नहीं रह जाती है और एनआरआर, 2009 के नियम 6 (3)(iii) के अंतर्गत ऐसे नोटों को निरस्त कर दिया जाएगा। इसी प्रकार विरूपित किए गए नोट भी एनआरआर, 2009 (संशोधित नियमावली, 2018) के नियम 6 (3)(ii) के अंतर्गत निरस्त किये जा सकते हैं।
(घ) सभी घिसे हुए / दागदार (रंग / तेल के धब्बों सहित) बैंक नोट वैध निविदा रहेंगे तथा ऐसे नोटों को किसी भी बैंक शाखा में जमा / विनिमय किया जा सकता है।
8.3. जानबूझकर काटे गए नोट
यदि जानबूझकर काटे गए, फाड़े गए, बेईमानी से फेर-बदल अथवा छेड़छाड़ किये नोटों को विनिमय मूल्य पाने के लिये प्रस्तुत किया जाता है तो उन्हें एनआरआर 2009 के नियम 6 (3)(ii) के तहत निरस्त कर दिया जाये। यद्यपि जानबूझकर काटे गए नोटों की कोई ठीक-ठीक परिभाषा निर्धारित करना संभव नहीं है, तथापि ऐसे नोटों को ध्यान से देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि यह कार्य जानबूझकर धोखा देने के उद्देश्य से किया गया है, क्योंकि ऐसे नोटों को जिस प्रकार से काटा / विरूपित किया जाता है उसमें नोटों के आकार / गायब हुए टुकड़ों में एकरूपता देखने को मिलती है अर्थात ये नोट किसी खास जगह पर ही विकृत होते हैं, खासकर जब नोट बड़ी मात्रा में प्रस्तुत किये जाते हैं। प्रस्तुतकर्ता के नाम, प्रस्तुत किए गए नोटों की संख्या और मूल्यवर्ग आदि सहित इस प्रकार के मामलों का विवरण भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम विभाग के उप महाप्रबंधक / महाप्रबंधक, जिनके अधिकार क्षेत्र में शाखा आती है, को रिपोर्ट किये जाएंगे। बड़ी मात्रा में ऐसे नोट प्रस्तुत किए जाने की स्थिति में मामले की सूचना स्थानीय पुलिस को भी दी जाएगी।
9. बैंक शाखाओं के स्तर पर अधिनिर्णीत नोटों का निपटान
बैंक शाखाओं द्वारा अधिनिर्णीत नोटों का विवरण तथा पूर्ण मूल्य प्रदत्त नोटों को उन तिजोरी शाखाओं को भेजें जिनके साथ उन्हें संलग्न किया गया है और वहां से पूर्व - निर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार गंदे नोटों के अगले प्रेषण के साथ संबंधित निर्गम कार्यालय को भेज दिया जाए। आधा मूल्य भुगतान किए गए तथा निरस्त नोट जो कि मुद्रा तिजोरी शाखा के अपने नकदी शेष में रखे हैं, उन्हें एक अलग माँगपत्र के साथ अलग से पैक किया जाएगा तथा पूर्ण मूल्य प्रदत्त नोटों के साथ गंदे नोटों के विप्रेषण के रूप में भेजे जाएंगे या फिर पंजीकृत एवं बीमाकृत डाक द्वारा भेजे जाएंगे। पूर्ण मूल्य प्रदत्त नोटों को निर्गम कार्यालय द्वारा तिजोरी प्रेषण माना जायेगा जबकि आधा मूल्य प्रदत्त तथा निरस्त नोट, अधिनिर्णयन हेतु प्रस्तुत किए गये नोट माने जायेंगे तथा तद्नुसार उनका प्रसंस्करण किया जायेगा। सभी मुद्रा तिजोरी वाली शाखाओं से यह अपेक्षित हैं कि उनके द्वारा महीने के दौरान अधिनिर्णित किए गए नोटों की संख्या मासिक विवरणी में दर्शाकर हमारे निर्गम कार्यालयों को प्रेषित की जाएं।
10. प्रशिक्षण
हमारे निर्गम कार्यालय, बैंक शाखाओं के "निर्धारित अधिकारियों" के लिए आवधिक आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं। चूँकि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य निर्धारित अधिकारियों को दोषपूर्ण नोटों के अधिनिर्णयन की प्रक्रिया की जानकारी देना तथा उनमें आत्मविश्वास पैदा करना है, अत: यह अनिवार्य है कि संबंधित शाखाओं के निर्धारित अधिकारियों को ऐसे कार्यक्रम में नामित किया जाए।
11. सूचना पट्ट पर प्रदर्शित करना
सभी बैंक शाखाओं से अपेक्षित है कि वे अपनी शाखाओं में आसानी से दिखाई देने वाले स्थान पर इस आशय का सूचना पट्ट लगाएं जिस पर लिखा होना चाहिए कि "यहाँ पर गंदे / दोषपूर्ण नोट व सिक्के बदले एवं स्वीकार किये जाते हैं"।
12. निगरानी और नियंत्रण
(क) बैंकों के क्षेत्रीय प्रबंधक / आंचलिक प्रबंधक, बैंक शाखाओं का आकस्मिक दौरा करेंगे और इस संबंध में अपने प्रधान कार्यालय को अनुपालन की स्थिति से अवगत करवाएँगे, जो रिपोर्ट्स की समीक्षा करेंगे तथा आवश्यकतानुसार तत्परता से सुधारात्मक कार्रवाई करेंगे।
(ख) इस संबंध में किसी अनुदेश का अनुपालन न करना भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों की अवहेलना/उल्लंघन माना जायेगा और दंड, जैसा कि “आम जनता को ग्राहक सेवा प्रदान करने में कमी के लिए मुद्रा तिजोरियों एवं बैंक शाखाओं हेतु अर्थ दण्ड योजना” पर मास्टर निदेश के संदर्भ में लागू है, के अनुसार आर्थिक दंड आरोपित किया जाएगा।
परिशिष्ट
भारिबैं द्वारा जारी विभिन्न परिपत्र / अनुदेश जिसके आधार पर उपर्युक्त मास्टर निदेश जारी किए गए हैं, निम्नवत हैं:
सं. |
दिशानिर्देश/ अधिसूचना सं. |
दिनांक |
विषय-वस्तु |
1. |
डीसीएम (सीसी) सं. G-1/03.44.01/2025-26 |
01.04.2025 |
आम जनता को ग्राहक सेवा प्रदान करने में कमी के लिए मुद्रा तिजोरियों एवं बैंक शाखाओं हेतु अर्थ दण्ड योजना |
2. |
डीसीएम (एनई) सं.3057/08.07.18/2018-19 |
26.06.2019 |
सिक्कों को स्वीकार करना |
3. |
डीसीएम (एनई) सं.657/08.07.18/2018-19 |
07.09.2018 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 में संशोधन |
4. |
आरबीआई/2017-18/132 डीसीएम (आरएमएमटी) सं.2945/11.37.01/2017-18 |
15.02.2018 |
सिक्कों को स्वीकार करना |
5. |
डीसीएम (नोटविनिमय) सं.120/08.07.18/2016-17 |
14.07.2016 |
गंदे / विरूपित / अपूर्ण नोटों के लिए विनिमय की सुविधा |
6. |
डीसीएम (एनई) सं.3498/08.07.18/2012-13 |
28.01.2013 |
नोटों और सिक्कों की विनिमय सुविधा |
7. |
डीसीएम(पीएलजी)सं.6983/10.03.03/2010-11 |
28.06.2011 |
25 पैसे और उससे कम मूल्यवर्ग के सिक्कों को संचलन से वापस लेना |
8. |
डीसीएम(पीएलजी)सं.6476/10.03.03/2010-11 |
31.05.2011 |
25 पैसे और उससे कम मूल्यवर्ग के सिक्कों को संचलन से वापस लेना – अस्वीकृति के बारे में शिकायतें |
9. |
डीसीएम(पीएलजी)सं.4459/10.03.03/2010-11 |
09.02.2011 |
25 पैसे और उससे कम मूल्यवर्ग के सिक्कों को संचलन से वापस लेना |
10. |
डीसीएम(पीएलजी)सं.4137/10.03.03/2010-11 |
25.01.2011 |
25 पैसे और उससे कम मूल्यवर्ग के सिक्कों को संचलन से वापस लेना |
11. |
भारत सरकार की अधिसूचना सं.2529 |
20.12.2010 |
25 पैसे और उससे कम मूल्यवर्ग के सिक्कों को संचलन से वापस लेना |
12. |
डीसीएम(आरएमएमटी)सं.1277/11.36.03/2010-11 |
24.08.2010 |
करेंसी चेस्ट शाखाओं द्वारा विनिमय सुविधाएं / सुविधाओं को प्रदान करने हेतु योजना |
13. |
डीसीएम(एनई)सं.1612/08.01.01/2009-10 |
13.09.2009 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 –अधिसूचना |
14. |
आरबीआई/2006-07/349/डीसीएम(एनई)सं.7488/08.07.18/2006-07 |
25.04.2007 |
निम्न मूल्यवर्ग के नोटों और सिक्कों की स्वीकृति |
15. |
डीसीएम(आरएमएमटी)सं.1181/11.37.01/2003-04 |
05.04.2004 |
सिक्कों की स्वीकृति |
16. |
डीसीएम(एनई)सं.310/08.07.18/2003-04 |
19.01.2004 |
आम जनता के सद्स्यों को नोटो और सिक्कों के विनिमय की सुविधाएं प्रदान करना |
17. |
डीसीएम(आरएमएमटी)सं.404/11.37.01/2003-04 |
09.10.2003 |
सिक्कों की स्वीकृति और नोटों की उपलब्धता |
18. |
जी-11/08.07.18/2001-02 |
02.11.2001 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 1975 सार्वजनिक / निजी क्षेत्र के बैंकों की करेंसी चेस्ट शाखाओं को नोट विनिमय शक्तियों का प्रत्यायोजन |
19. |
सीवाई सं.386/08.07.13/2000-01 |
16.11.2000 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 1975 - सरकारी एवं निजी क्षेत्र की मुद्रा तिजोरी वाली बैंको को नोट विनिमय की संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन |
20. |
जी-67/08.07.18/96-97 |
18.02.1997 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 1975 - करेंसी चेस्ट वाले निजी क्षेत्र की बैंकों को संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन |
21. |
जी-52/08.07.18/96-97 |
11.01.1997 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को दोषपूर्ण नोटों के विनिमय के लिए संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन की योजना – भुगतान करें / प्रदत्त मुहर लगाये गये नोटों का निपटान |
22. |
जी-24/08.01.01/96-97 |
03.12.1996 |
कटे-फटे नोटों का विनिमय – उदारीकरण |
23. |
जी-64/08.07.18/95-96 |
18.05.1996 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन – और दोषपूर्ण नोटों के विनिमय हेतु प्रचार – प्रसार |
24. |
जी-71/08.07.18/92-93 |
22.06.1993 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन योजना और दोषपूर्ण नोटों के विनिमय हेतु प्रचार – प्रसार |
25. |
जी-83/सीएल-1/(पी एस बी)-91-92 |
06.05.1992 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको की करेंसी चेस्ट वाली शाखाओं को शक्तियों का प्रत्यायोजन |
26. |
जी-74/सीएल-1/(पी एस बी)जन–90-91 |
05.09.1991 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अधीन सरकारी क्षेत्र के बैंको संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन की योजना |
27. |
5.5/सीएल-1/(पी एस बी)-90-91 |
25.09.1990 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अधीन सरकारी क्षेत्र के बैंको संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन की योजना |
28. |
8/सीएल-1/(पी एस बी)-90-91 |
17.08.1990 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अधीन सरकारी क्षेत्र के बैंको संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन की योजना |
29. |
जी-123//सीएल-1(पीएसबी)(जन)89-90 |
07.05.1990 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अधीन सरकारी क्षेत्र के बैंको संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन की योजना - संशोधन |
30. |
जी-108/सीएल-1(पीएसबी)(जन)89-90 |
03.04.1990 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 1989 – 500 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोट - सरकारी एवं निजी क्षेत्र के बैंको की शाखाओं के स्तर पर दोषपूर्ण नोटों का विनिमय |
31. |
जी-8/सीएल-1(पीएसबी)(जन)89-90 |
12.07.1989 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली- आरबीआई निर्गम कार्यालयों की '' दावा हेतु '' मुहर लगाये गये नोट |
32. |
जी-84/सीएल-1(पीएसबी)(जन)88-89 |
17.03.1989 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली- सरकारी क्षेत्र के बैंको को नोट विनिमय हेतु संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन |
33. |
जी-66/सीएल-1(पीएसबी)88-89 |
02.02.1989 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली- सरकारी क्षेत्र के बैंको को शक्तियों का प्रत्यायोजन – प्रशिक्षण |
34. |
एस.12 /सीएल-1 (पीएसबी)–88-89 |
30.09.1988 |
नोट वापसी नियमावली, - जानबूझकर विरुपितकिय गये नोट |
35. |
जी-134/सीएल-1(पीएसबी)87-89 |
25.05.1988 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अधीन संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन की योजना का कार्यान्वयन |
36. |
192/सीएल-1(पीएसबी)86-87 |
02.06.1987 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली- सरकारी क्षेत्र के बैंको को शक्तियों का प्रत्यायोजन की योजना |
37. |
189/सीएल-1(पीएसबी)86-87 |
02.06.1987 |
करेंसी नोटों पर संदेश, नारे आदि लिखकर उन्हें विरूपित बनाना |
38. |
185/सीएल-1(पीएसबी)86-87 |
20.05.1987 |
भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली- दोषपूर्ण नोटों पर भुगतान करें / रद्द करें की मुहर लगाना |
39. |
173/सीएल-1(पीएसबी)84-85 |
02.04.1985 |
सरकारी क्षेत्र के बैंको को दोषपूर्ण नोटों के विनिमय हेतु संपूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन – उक्त के लिए प्रक्रिया |
40. |
सीवाय.सं.1064/सीएल.1/76-77 |
09.08.1976 |
25 पैसे और उससे कम मूल्यवर्ग के सिक्कों को संचलन से वापस लेना |
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