(संस्करण 3.0, जनवरी 2025)
I. प्रस्तावना
आधुनिक केंद्रीय बैंकों के काम-काज, जो पारदर्शिता और जवाबदेही पर अधिक जोर दे रहे हैं, में संचार एक प्रमुख तत्व है। मौद्रिक नीति निर्णयन संबंधी कॉलेजियम पद्धति की बढ़ती प्राथमिकता और वित्तीय स्थिरता पर जोर ने केंद्रीय बैंकिंग व्यवस्था में संचार के लिए संरचित नीतियों/कार्यनीतियों पर अधिक जोर दिया गया है।
2. रिज़र्व बैंक की संचार नीति प्रासंगिकता, पारदर्शिता, स्पष्टता, व्यापकता और समयबद्धता के मार्गदर्शी सिद्धांतों का पालन करती है: इसका उद्देश्य, विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित गतिविधियों के बारे में जनता की समझ को निरंतर बेहतर बनान है। संचार नीति में प्रौद्योगिकी में होने वाले परिवर्तनों, जो सूचना के प्रसार और उपभोग की पद्धति और गति को प्रभावित करते हैं, के अनुरूप भी बदलाव किया गया है।
II. उद्देश्य
3. भारत में केंद्रीय बैंकिंग नीति का ढांचा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत निर्दिष्ट अपने उद्देश्यों अर्थात् “भारत में मौद्रिक स्थिरता प्राप्त करने की दृष्टि से बैंकनोटों के निर्गम को विनियमित करना तथा प्रारक्षित निधि को बनाएं रखना और सामान्य रूप से देश के हित में मुद्रा और ऋण प्रणाली संचालित करना, अत्यधिक जटिल अर्थव्यवस्था की चुनौती से निपटने के लिए आधुनिक मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क रखना, वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना” के आसपास विकसित हुआ है।
4. उपरोक्त के अनुरूप, रिज़र्व बैंक की समष्टि-आर्थिक और मौद्रिक नीति ने, संवृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए ऋण की पर्याप्त उपलब्धता को सुनिश्चित करते हुए मूल्य स्थिरता को बनाए रखने और वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित रखने पर ध्यान केंद्रित किया है। रिज़र्व बैंक, बैंक नोटों के निर्गम तथा मुद्रा प्रबंधन के अपने मुख्य कार्य के साथ-साथ मुख्य रूप से अपने एजेंसी कार्यों, यथा, सार्वजनिक ऋण का प्रबंधन, सरकार (केंद्र और राज्य) का बैंकर तथा बैंक की आरक्षित निधि के विनियमन सहित बैंकिंग प्रणाली के बैंकर का कार्य करता है। एक पूर्ण-सेवा केंद्रीय बैंक के रूप में, यह देश की वित्तीय प्रणाली के विकास और समेकन को भी बढ़ावा देता है और समावेशी संवृद्धि का समर्थन करता है। भारतीय वित्तीय प्रणाली और इसके घटकों, धन, वित्तीय बाजारों के ऋण और विदेशी मुद्रा खंडों तथा देश की भुगतान और निपटान प्रणाली के विनियमन और पर्यवेक्षण के लिए प्रदत्त शक्तियों से वित्तीय स्थिरता का उद्देश्य सक्षम हुआ है। विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि के रखरखाव से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य और अंतिम ऋणदाता के रूप में इसकी भूमिका के कारण यह दायित्व और बढ़ जाता है।
5. रिज़र्व बैंक का उद्देश्य है कि वे सभी हितधारकों को तर्कपूर्ण तथा सहायक सूचना और विश्लेषण प्रदान करके अपने नीतिगत रुख तथा उभरती स्थिति के आकलन से अवगत कराए। जन सामान्य के हित में, भारतीय रिज़र्व बैंक विभिन्न संस्थाओं और बाजार खंडों के विनियामक और पर्यवेक्षक के रूप में अपने द्वारा की गई कार्रवाइयों से संबंधित जानकारी देने का भी प्रयास करता है। भारतीय रिज़र्व बैंक ग्राहक शिक्षा और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता उत्पन्न करने के लिए विभिन्न मीडिया का उपयोग करते हुए, हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ 11 क्षेत्रीय भाषाओं में व्यापक जन जागरूकता अभियान भी चलाता है।
6. 2023-25 की अवधि के लिए अपने मध्यावधि कार्यनीति ढांचे में, जिसे 'उत्कर्ष 2.0' संदर्भित किया जाता है, रिज़र्व बैंक ने अपने लिए निम्नलिखित विज़न स्टेटमेंट निर्धारित किए हैं:
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अपने कार्यों के निष्पादन में उत्कृष्टता;
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भारतीय रिज़र्व बैंक में नागरिकों और संस्थानों के विश्वास को सुदृढ़ करना;
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राष्ट्रीय और वैश्विक भूमिकाओं में प्रासंगिकता और महत्व को बढ़ाना;
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पारदर्शी, उत्तरदायी और नैतिक रूप से संचालित आंतरिक सुशासन;
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सर्वश्रेष्ठ श्रेणी और पर्यावरण के अनुकूल डिजिटल और भौतिक अवसंरचना; तथा
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अभिनव, गतिशील और कुशल मानव संसाधन।
7. विज़न स्टेटमेंट में निर्धारित उद्देश्यों को पूरा करने की कार्यनीतियां, अतीत की उपलब्धियों को समेकित करने, उभरते अवसरों का लाभ उठाने और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए मूलतः सुविचारित कार्य है। कार्यनीतिक लक्ष्यों को, एक या अधिक वास्तविक और समयबद्ध उपलब्धियों माध्यम से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
III. लक्ष्य
8. रिज़र्व बैंक के विविध उद्देश्यों के लिए पारदर्शी संचार, उसकी स्पष्ट व्याख्या और सटीक अभिव्यक्ति इसकी संचार नीति के लक्ष्य हैं। समग्र जनादेश के अनुसार इसके प्रभावी कामकाज के साथ-साथ इसके नीतिगत साधनों की विस्तृत सीमाओं को समर्थन देने के लिए निष्पक्ष, स्पष्ट और संरचित संचार की आवश्यकता होती है।
9. रिज़र्व बैंक की संचार नीति के प्रमुख लक्ष्य निम्नानुसार हैं:
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अपनी भूमिका और उत्तरदायित्वों पर स्पष्टता प्रदान करना;
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अपने नीतिगत उपायों में विश्वास बढ़ाना;
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पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार;
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विभिन्न संस्थाओं और बाजार खंडों के विनियामक और पर्यवेक्षक के रूप में अपने कार्रवाइयों की जानकारी प्रदान करना;
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मौद्रिक नीति की प्रभावशीलता बढ़ाने और अनुचित अटकलों को कम करने के लिए सभी आर्थिक एजेंटों की अपेक्षाओं को नियंत्रित करना;
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वित्तीय स्थिरता के बारे में जागरूकता बढ़ाना;
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न्यूनतम समय अंतराल के साथ सूचना का प्रसार करना;
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प्रभावी संचार के माध्यम से समयबद्धता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना; तथा
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बहुभाषी और बहु-सांस्कृतिक समाज के साथ गहन संपर्क बनाना।
IV. सिद्धांत
10. संचार नीति के उपरोक्त व्यापक लक्ष्यों का अनुसरण निम्नलिखित मार्गदर्शक सिद्धांतों के माध्यम से किया जाता है:
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तर्क, सूचना और विश्लेषण के साथ नीतिगत रुख की व्याख्या।
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संरचित और आवधिक वक्तव्यों, शीर्ष प्रबंधन के भाषणों, सांविधिक और अन्य नियमित प्रकाशनों, शोध प्रकाशन, समिति की रिपोर्ट के साथ-साथ महत्वपूर्ण गतिविधियों पर नियमित जानकारी के प्रसार के माध्यम से अभिव्यक्ति में सुसंगतता और विश्वसनीयता।
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हिंदी और अंग्रेजी के अलावा ग्यारह प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में जन जागरूकता पहल और भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर माइक्रोसाइट के माध्यम से लक्षित दर्शकों (यथा, विनियमित संस्थाओं, शोधकर्ताओं, विश्लेषकों, शिक्षाविदों, रेटिंग एजेंसियों, मीडिया, अन्य केंद्रीय बैंकों, बहुपक्षीय संस्थानों, बाजार सहभागियों, सरकारी एजेंसियों तथा शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों, रक्षा कर्मियों और स्कूली बच्चों सहित आम जनता) के अनुरूप विशिष्ट रूप से तैयार की गई सूचना का प्रसार करना।
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वेबसाइट के माध्यम से लगभग तत्काल आधार पर बाजार से संबंधित जानकारी का प्रसार।
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सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से रिज़र्व बैंक से उत्पन्न होने वाली महत्वपूर्ण सूचनाओं का प्रसार।
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पूर्वानुमेयता लाने के लिए पहले ही कैलेंडर जारी करके भविष्य के संरचित संचार की तारीखों की पूर्व-घोषणा।
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भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की गई घोषणाओं, पहल और अन्य जानकारी के संरचित प्रसार के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के उपयोग के साथ-साथ जन जागरूकता अभियान, टाउन हॉल, क्षेत्रीय कार्यालय आउटरीच माध्यम से जन सामान्य के साथ सीधा संपर्क।
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व्यापक दर्शकों तक पहुंचने के लिए पॉडकास्ट जैसे नए दृश्य-श्रव्य मीडिया का उपयोग करना।
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आरबीआई और विनियमित संस्थाओं के बारे में जानकारी के लिए समाचार और सोशल मीडिया की ट्रैकिंग और निगरानी में सुधार करना, जिसमें फर्जी खबरों और डीपफेक वीडियो को चिह्नित करके गलत सूचना को रोकने पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।
V. संचार के पहलू:
11. रिज़र्व बैंक के संचार पहलुओं में निम्नलिखित कार्यनीतियां शामिल हैं:
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मौद्रिक नीति संबंधी संचार;
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वित्तीय स्थिरता संबंधी संचार;
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अन्य कार्यात्मक क्षेत्रों से संबंधित संचार;
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संकट के समय संचार;
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प्रमुख प्रकाशनों के माध्यम से प्रसार; तथा
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आरबीआई के एम्बेस्डर के रूप में आरबीआई के स्टाफ की भूमिका को सुदृढ़ करना।
क) मौद्रिक नीति संचार
12. रिज़र्व बैंक अपने मौद्रिक नीति उपायों और रुख की व्याख्या तर्क, सूचना और विश्लेषण के साथ करता है ताकि बाजार सहभागियों और अन्य हितधारकों को उभरती स्थिति के अपने आकलन के बारे में स्पष्टता प्रदान की जा सके। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 को 2016 में संशोधित किया गया था ताकि मौद्रिक नीति ढांचे, एमपीसी और भारत सरकार द्वारा रिज़र्व बैंक के परामर्श से हर पांच वर्ष में एक बार मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करने के लिए सांविधिक आधार प्रदान किया जा सके।
13. मौद्रिक नीति ढांचे का उद्देश्य (क) वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर नीति (रेपो) दर निर्धारित करना और (ख) मुद्रा बाजार दर को स्थिर रखने के लिए उपयुक्त कार्रवाइयों के माध्यम से दैनंदिन आधार पर चलनिधि की स्थिति को नियंत्रित करना है। परिचालन ढांचा, मौद्रिक नीति के रुख के अनुरूप उभरती मौद्रिक और वित्तीय बाजार स्थितियों पर प्रतिक्रिया देता है। रिज़र्व बैंक, अर्थशास्त्रियों, बैंकरों, उद्योग समूहों और अन्य हितधारकों के साथ समग्र/क्षेत्र-विशिष्ट आकलनों और उनकी नीतिगत अपेक्षाओं पर उनके विचारों को जानने के लिए नीति-पूर्व परामर्श भी करता है।
14. भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर मौद्रिक नीति समिति के निर्णय की घोषणा सीधे दृश्य माध्यमों से करते हैं, जिसे आरबीआई के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी प्रसारित किया जाता है। इसके साथ ही, एमपीसी का संकल्प बैंक की वेबसाइट और अन्य संचार चैनलों पर जारी किया जाता है, जिसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस होती है जिसका विभिन्न सार्वजनिक मीडिया प्लेटफॉर्म पर सीधा प्रसारण किया जाता है। पारदर्शिता की भावना से, मौद्रिक नीति निर्माण में उपयोग किए गए डेटा को एमपीसी संकल्प जारी होने के बाद सार्वजनिक डोमेन में रखा जाता है।
ख) वित्तीय स्थिरता संबंधी संचार
15. वित्तीय स्थिरता पर रिज़र्व बैंक के संचार के निम्नलिखित व्यापक आयाम हैं:
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भारतीय बैंकिंग प्रणाली के कार्यनिष्पादन के साथ-साथ भारतीय वित्तीय प्रणाली की स्थिति, जोखिम और आघात सहनीयता का मूल्यांकन प्रदान करने के लिए 'भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति' संबंधी वार्षिक और 'वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट' संबंधी अर्ध-वार्षिक सांविधिक रिपोर्ट का प्रकाशन तथा इसके साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र की महत्वपूर्ण गतिविधियों पर प्रेस प्रकाशनियां जारी की जाती हैं;
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वित्तीय क्षेत्र से संबंधित पर्यवेक्षी और विनियामक पहलुओं की व्याख्या करने और हितधारकों को समष्टि-विवेकपूर्ण नीतिगत कार्यों को समझाने में मदद करने के लिए, केंद्रीय और क्षेत्रीय कार्यालय दोनों स्तरों पर अनौपचारिक प्रेस ब्रीफिंग और मीडिया कार्यशालाओं का आयोजन करना; तथा
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आंकड़ों और उपायों से परे, व्यापक दर्शकों के लिए अंतर्निहित संदेशों को उजागर करने हेतु संचार को वित्तीय स्थिरता ढांचे का एक अभिन्न अंग बनाना और सभी हितधारकों को वित्तीय क्षेत्र की गतिविधियों से अवगत कराते हुए संचार क्षमता विकसित करना। वित्तीय क्षेत्र से संबंधित प्रतिक्रिया और प्रारंभिक चेतावनी संकेतों के लिए मीडिया, सोशल मीडिया और अन्य स्रोतों से प्राप्त सूचना का भी अध्ययन किया जाता है।
ग) अन्य कार्यात्मक क्षेत्रों से संबंधित संचार
16. रिज़र्व बैंक पारंपरिक और गैर-पारंपरिक माध्यमों (यथा, प्रेस प्रकाशनियों, अधिसूचनाओं, प्रकाशनों - नियमित और समसामयिक तथा मल्टी-मीडिया जन जागरूकता अभियानों) से समष्टि आर्थिक स्थितियों के साथ-साथ ऊपर पैरा 4 में उल्लिखित विनियामक और अन्य क्षेत्रों की गतिविधियों से संबंधित सूचना जारी करता है। शीर्ष प्रबंधन के भाषण, प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीडिया साक्षात्कार, महत्वपूर्ण मुद्दों पर बैंक के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हैं। बाजार संबंधी संवेदनशील सूचना का एक समान प्रसारण के लिए, रिज़र्व बैंक अब सभी संचार सीधे अपनी वेबसाइट पर जारी करता है।
घ) संकट के समय संचार
17. अर्थव्यवस्था में और विशेष रूप से वित्तीय क्षेत्र में अप्रत्याशित और अचानक अहितकर स्थिति उत्पन्न होने की स्थिति में, रिज़र्व बैंक का प्राथमिक उद्देश्य प्रासंगिक नीतिगत प्रतिक्रिया के साथ तेजी से आगे बढ़ना, स्थिति को अनुकूल बनाने का आश्वासन देना और किसी भी अनुचित अटकलों को दूर करना है। ऐसे समय में, आंतरिक संचार उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि बाहरी संचार।
ङ) प्रमुख प्रकाशनों के माध्यम से प्रसार
18. सभी हितधारकों तक सूचना की एक साथ पहुंच सुनिश्चित करने के लिए रिज़र्व बैंक के सभी प्रमुख प्रकाशन इसकी वेबसाइट पर जारी किए जाते हैं। सांविधिक प्रकाशनों में बैंक की 'वार्षिक रिपोर्ट', 'भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति संबंधी रिपोर्ट' और 'मौद्रिक नीति रिपोर्ट' शामिल हैं। महत्वपूर्ण प्रकाशनों की सूची अनुबंध में दी गई है।
च) रिज़र्व बैंक के एम्बेस्डर के रूप में रिज़र्व बैंक के स्टाफ
19. रिज़र्व बैंक के कर्मचारी महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता उत्पन्न करने के लिए इसके एम्बेस्डर हैं: प्रतिष्ठा संबंधी किसी भी जोखिम से बचने के लिए, आंतरिक अनुमोदन के साथ उनका संचार संरचित है। केवल अधिकृत कर्मचारी ही प्रेस के साथ रिज़र्व बैंक के मामलों पर संवाद कर सकते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ- सदस्यों द्वारा योगदान किए गए केंद्रित विषयों पर स्वतंत्र शोध पत्र और दस्तावेज उपयुक्त डिस्क्लेमर के साथ इसकी वेबसाइट पर जारी किए जाते हैं।
VI. दोतरफा संचार
20. रिज़र्व बैंक ने दोतरफा संचार की पद्धति स्थापित की है। आम तौर पर किसी भी नए विनियमन की शुरूआत या मौजूदा विनियमन में बड़े बदलाव से पहले हितधारकों के साथ परामर्श होता है। इसकी वेबसाइट दोतरफा संचार का एक प्रमुख माध्यम है, तथा अब इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से मानदंडों के मसौदा पर हितधारकों की प्रतिक्रिया प्रस्तुत करना भी संभव हो गया है। इसके साथ-साथ सोशल मीडिया चैनल और वेबसाइट के मोबाइल एप्लिकेशन भी इसका माध्यम है। किसी भी प्रश्नों के उत्तर के लिए शीर्ष प्रबंधन के साथ समय-समय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस और अनौपचारिक ब्रीफिंग आयोजित की जाती है, और यह सुनिश्चित किया जाता है कि आरबीआई द्वारा की गई कार्रवाइयों से संबंधित तर्क व्यापक जनता तक पहुँचाए जाएँ। क्षेत्रीय मीडिया के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं ताकि नीति निर्माण की प्रक्रिया को सरलता से समझाया जा सके तथा क्षेत्रीय प्रेस द्वारा सूचनाप्रद रिपोर्टिंग को सुगम बनाया जा सके। हितधारकों और जनता के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए बैंक के पास खुले चैनल हैं। व्यक्तिगत अनुरोधों पर प्रतिक्रिया देने के बजाय सामान्य प्रसार को प्राथमिकता देते हुए, वेबसाइट पर विभिन्न क्षेत्रों के लिए ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न’ खंड के अंतर्गत ज़्यादातर पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है। बैंक का शीर्ष प्रबंधन भी प्रासंगिक उद्योग मंचों और आयोजनों में अपनी बात रखते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हितधारकों और आरबीआई के बीच सूचनाओं का निष्पक्ष आदान-प्रदान हो।
VII. परिचालनात्मक कार्य प्रणालियाँ
21. रिज़र्व बैंक ने संगठन और संचार के लक्ष्यों के परिप्रेक्ष्य से संचार के लिए व्यापक आंतरिक दिशा-निर्देश और परिचालनात्मक कार्य प्रणालियाँ तैयार की हैं। ये निम्नानुसार हैं:
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रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक, केंद्रीय बोर्ड या इसकी समितियों के सदस्यों के रूप में किसी भी मामले या जानकारी, जो उनके संज्ञान में आ सकती है, को संप्रेषित या प्रकट नहीं करते हैं।
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गवर्नर और मौद्रिक नीति के प्रभारी उप गवर्नर, मौद्रिक और विनिमय दर नीति से संबंधित मुद्दों पर एकमात्र प्रवक्ता हैं;
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उप गवर्नर अपने-अपने उत्तरदायित्व के क्षेत्रों के प्रवक्ता होते हैं;
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कार्यपालक निदेशक और विभागाध्यक्ष, गवर्नर/उप गवर्नरों से स्पष्ट अधिकार लेकर अपने-अपने क्षेत्र में बोलते हैं;
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क्षेत्रीय निदेशक स्थानीय मुद्दों पर स्पष्टीकरण देते हैं;
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ओम्बुड्समेन स्थानीय शिकायत निवारण संबंधी मुद्दों पर बोलते हैं;
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संचार विभाग (डीओसी) का प्रमुख रिज़र्व बैंक का सामान्य प्रवक्ता होता है;
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क्षेत्रीय मामलों से संबंधित प्रेस प्रकाशनियों - जो कम होते हैं, को छोड़कर सभी प्रेस प्रकाशनियाँ संचार विभाग द्वारा केंद्रीय रूप से जारी की जाती हैं;
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सभी सूचना प्रकाशनी - प्रिंट या डिजिटल रूप में - एक साथ सार्वजनिक डोमेन में रखी जाती हैं।
VIII. संचार का दायित्व
22. अच्छा बाहरी संचार, विभिन्न विभागों / कार्यालयों और डीओसी, जो बाह्य संचार के लिए रिज़र्व बैंक का नोडल विभाग है, के बीच गहन आंतरिक समन्वय से ही हो सकता है। मीडियाकर्मी और अन्य लोग, प्रश्न पूछने या स्पष्टीकरण मांगने के लिए डीओसी से संपर्क करते हैं।
IX. समीक्षा
23. संचार एक गतिशील प्रक्रिया है तथा यह बदलते समय एवं परिस्थितियों के साथ विकसित होती रहती है, ताकि प्रौद्योगिकी में नवाचारों के साथ तालमेल बनाए रखा जा सके, जिससे सूचना का समान और तेज़ी से प्रसारण संभव हो सके। तथापि, बैंक की संचार नीति की समीक्षा हर तीन वर्ष में की जाएगी, जब तक कि ऐसी कोई स्थिति न बने और पहले इसकी समीक्षा करनी पड़े।
अनुबंध
भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रकाशन
1. प्रकाशन/रिपोर्ट
i) वार्षिक रिपोर्ट
रिज़र्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट एक सांविधिक प्रकाशन है जिसे वार्षिक लेखाबंदी के दो महीने के भीतर जारी किया जाता है। यह केंद्रीय बोर्ड द्वारा अर्थव्यवस्था की स्थिति, वर्ष के दौरान बैंक के कामकाज और रिज़र्व बैंक के तुलन- पत्र के संबंध में एक रिपोर्ट है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के आकलन और आगे आने वाली अवधि में इसकी संभावनाओं को भी प्रस्तुत करता है।
ii) भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट
यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 36(2) के अंतर्गत बैंक का एक सांविधिक वार्षिक प्रकाशन है। यह भारतीय बैंकिंग और गैर-बैंकिंग क्षेत्र के कार्यनिष्पादन की समीक्षा करते हुए वैश्विक बैंकिंग क्षेत्र की गतिविधियों का अवलोकन प्रदान करता है। आम तौर पर यह रिपोर्ट हर वर्ष नवंबर/दिसंबर में जारी की जाती है।
iii) मुद्रा और वित्त पर रिपोर्ट
यह बैंक का विषय-आधारित वार्षिक प्रकाशन है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित समसामयिक और प्रासंगिक आर्थिक मुद्दों पर व्यापक शोध कार्य उपलब्ध कराता है।
iv) मौद्रिक नीति रिपोर्ट
यह बैंक का छमाही सांविधिक प्रकाशन है, जो सामान्यतः अप्रैल और अक्तूबर में जारी किया जाता है। यह समष्टि आर्थिक संभावना तथा संवृद्धि और मुद्रास्फीति पर पूर्वानुमान प्रदान करता है। इसमें जोखिमों, कीमतों और लागतों का संतुलन, वित्तीय बाजार और चलनिधि की स्थिति और बाहरी वैश्विक वातावरण की गतिविधियों को भी शामिल किया जाता है।
v) वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट
यह एक छमाही रिपोर्ट है जो वैश्विक वित्तीय संकट और उसके दुष्परिणाम अर्थात्, मार्च 2010 के बाद से प्रकाशित की जा रही है। यह भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता का आकलन; जोखिमों की प्रकृति, गंभीरता और प्रभावों की समीक्षा; तनाव परीक्षण और आघात सहनीयता के परिणाम प्रदान करता है; पूर्वक्रीत नीति प्रतिक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण संकेत प्रदान करता है और वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन की पद्धतियों का उल्लेख करता है।
vi) भुगतान प्रणाली रिपोर्ट
यह रिपोर्ट भारत में भुगतान प्रणालियों का अवलोकन प्रदान करती है, जिसमें इसका विधिक आधार, भुगतान और निपटान प्रणाली विनियमन और पर्यवेक्षण बोर्ड (बीपीएसएस) की भूमिका और कार्य शामिल हैं। इस रिपोर्ट में वर्तमान भुगतान प्रणाली परिदृश्य और इसके आँकड़ों पर भी चर्चा की जाती है। यह रिपोर्ट भारतीय भुगतान प्रणालियों से संबंधित प्रमुख विनियामक गतिविधियों पर भी प्रकाश डालती है। यूपीआई और इसके संवर्धन के लिए एक विशेष खंड प्रदान किया गया है, जहाँ यूपीआई पी2पी और पी2एम सहित यूपीआई लेनदेन में वृद्धि के साथ-साथ यूपीआई लाइट, यूपीआई आईपीओ आदि जैसे यूपीआई से संबंधित अन्य उत्पादों पर विस्तार से चर्चा की जाती है। रिपोर्ट में विभिन्न भुगतान प्रणालियों के लेनदेन की मात्रा और मूल्य, सीमापारीय भुगतान और भारत से आवक-जावक विप्रेषण के पिछले पाँच वर्षों के रुझान पर भी चर्चा की जाती है। इस रिपोर्ट में भुगतान प्रणालियों से संबंधित प्रमुख वैश्विक रुझान भी उपलब्ध करवाए जाते हैं।
vii) राज्य वित्त: बजट का एक अध्ययन
भारतीय रिज़र्व बैंक का वार्षिक प्रकाशन "राज्य वित्त: बजट का अध्ययन" सभी राज्य सरकारों और विधानसभा वाले संघ शासित प्रदेशों की राजकोषीय स्थिति का आकलन प्रस्तुत करता है। प्रत्येक संस्करण में एक समर्पित विषयगत अध्याय होता है जो राज्य वित्त में समकालीन मुद्दे की जांच करता है। इस अध्ययन में राज्यों के बजट दस्तावेजों से संकलित व्यापक डेटासेट शामिल होता है। इस अध्ययन के साथ-साथ आरबीआई की वेबसाइट पर ई-स्टेट्स डेटाबेस भी जारी किया जाता है, जो 1990-91 से लेकर अब तक स्प्रेडशीट प्रारूप में राज्यों के वित्त पर समय-शृंखला डेटा प्रदान करता है।
viii) नगर निगम वित्त संबंधी रिपोर्ट
नीति और अनुसंधान के लिए उच्च गुणवत्ता वाले डेटा प्रदान करने की आरबीआई की प्रतिबद्धता के के भाग के रूप में, आरबीआई ने 2022 में स्थानीय निकायों के वित्त पर विषयगत द्विवार्षिक रिपोर्ट शुरू की। यह रिपोर्ट भारत में 90 प्रतिशत से अधिक नगर निगमों के बजटीय डेटा को संकलित और विश्लेषित करती है, जिससे शहरी स्थानीय निकायों की राजकोषीय स्थिति का गहन विश्लेषण मिलता है।
ix) पंचायती राज संस्थाओं का वित्त
यह द्विवार्षिक रिपोर्ट लगभग 2.6 लाख ग्राम पंचायतों के वित्त का पहला व्यापक, अखिल भारतीय मूल्यांकन प्रदान करके स्थानीय निकाय संबंधी डेटा की उपलब्धता को काफी आगे बढ़ाती है। पंचायती राज संस्थाओं के वित्त का राज्य-स्तरीय विश्लेषण प्रस्तुत करके, यह रिपोर्ट भारत में ग्रामीण स्थानीय निकायों पर लंबे समय से चली आ रही डेटा संबंधी कमी को दूर करती है।
vi) भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन और इसका साप्ताहिक सांख्यिकीय अनुपूरक
मासिक आधार पर प्रकाशित होने वाले भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन में शीर्ष प्रबंधन के भाषण, आलेख और प्रमुख वर्तमान सांख्यिकी शामिल होते हैं। बुलेटिन में प्रकाशित अर्थव्यवस्था की स्थिति आलेख में शोध कर्मचारियों के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने वाले विश्लेषणात्मक आलेख के अलावा अर्थव्यवस्था की व्यापक मासिक समीक्षा भी शामिल होती हैं। वर्तमान सांख्यिकी खंड प्रमुख संकेतकों पर डेटा प्रदान करता है, जिसमें वित्तीय बाजार, मुद्रा और बैंकिंग, कीमतें, सरकारी लेखा और खजाना बिल, बाह्य क्षेत्र और भुगतान प्रणाली संकेतक शामिल हैं।
मौद्रिक नीति वक्तव्य और बैंक द्वारा जारी की जाने वाली प्रमुख रिपोर्टें, जैसे, वार्षिक रिपोर्ट, भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति संबंधी रिपोर्ट और वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट इस मासिक प्रकाशन के पूरक के रूप में जारी की जाती हैं। बुलेटिन के भाग के रूप में मौद्रिक नीति रिपोर्ट भी प्रकाशित की जाती है।
मासिक आरबीआई बुलेटिन का साप्ताहिक सांख्यिकीय संपूरक (डब्ल्यूएसएस) एक उच्च आवृत्ति वाला डेटा प्रसार स्रोत है और यह आरबीआई के तुलन-पत्र, आरक्षित निधि की स्थिति, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का समेकित तुलन-पत्र, मौद्रिक और वित्तीय बाजार संकेतक और सरकार के बाजार उधार संबंधी सूचना प्रकाशित करता है। आमतौर पर यह दस्तावेज़ प्रत्येक शुक्रवार की शाम को जारी किया जाता है।
2. सांख्यिकीय प्रकाशन
बैंक के प्रमुख डाटा प्रकाशनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
i) भारतीय राज्यों पर सांख्यिकी की हैंडबुक
यह एक व्यापक हैंडबुक है, जिसमें सामाजिक-जनसांख्यिकी, स्वास्थ्य, राज्य घरेलू उत्पाद, कृषि, पर्यावरण, कीमत और मजदूरी, उद्योग, अवसंरचना, बैंकिंग और राजकोषीय संकेतकों पर राज्य-वार सांख्यिकी शामिल हैं।
ii) भारतीय अर्थव्यवस्था पर सांख्यिकी की हैंडबुक
इस दस्तावेज़ में लंबी अवधि के डेटासेट शामिल होते है। यह एक तत्काल ऑन-लाइन संस्करण (भारतीय अर्थव्यवस्था का डेटाबेस (डीबीईआई) वेब-पोर्टल (data.rbi.org.in) पर उपलब्ध) है। यह प्रकाशन राष्ट्रीय आय, उत्पादन और मूल्य, धन और बैंकिंग, वित्तीय बाजार, सार्वजनिक वित्त, व्यापार और भुगतान संतुलन, मुद्रा और सिक्का तथा सामाजिक-आर्थिक संकेतकों से संबंधित आर्थिक चरों के व्यापक स्पेक्ट्रम से संबंधित समय-शृंखला डेटा (वार्षिक / त्रैमासिक / मासिक / पाक्षिक / साप्ताहिक / दैनिक) प्रदान करता है।
iii) मूलभूत सांख्यिकीय विवरणियाँ
मूलभूत सांख्यिकीय विवरणी (बीएसआर) प्रकाशनों में तिमाही आधार पर जारी किए गए निम्नलिखित विवरण शामिल होते हैं: (ए) उधारकर्ता के व्यवसाय/ गतिविधि और संगठनात्मक क्षेत्र, खाते के प्रकार और ब्याज दरों के अनुसार वर्गीकृत बैंक ऋण (बीएसआर-1); (बी) बैंक जमाराशियों की परिपक्वता पद्धति, स्वामित्व, जमाराशियों का आकार, ब्याज दर समूह-वार जमाराशियाँ, जमाराशियों का आयु-वार वितरण और एससीबी में रोजगार (बीएसआर-2); तथा (सी) जमाराशियों और ऋण के स्थानिक वितरण से संबंधित तालिकाएँ। उपरोक्त सर्वेक्षणों के अंतर्गत मार्च को समाप्त तिमाही के लिए आरआरबी से संबंधित डेटा केवल वार्षिक आधार पर शामिल किया जाता है।
iv) भारत में बैंकों से संबंधित सांख्यिकीय सारणियां
इस प्रकाशन में देयताओं और आस्तियों की प्रमुख मदों के साथ-साथ उनकी परिपक्वता प्रोफ़ाइल, आय और व्यय, चुनिंदा वित्तीय अनुपात, कर्मचारियों की संख्या और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) का प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को अग्रिमों से संबंधित विवरण के बारे में बैंक-वार जानकारी प्रस्तुत की जाती है। इसके अलावा, इसमें जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर), अनर्जक आस्तियां (एनपीए), संवेदनशील क्षेत्रों के लिए एक्सपोज़र, आकस्मिक देयताएँ और अदावी जमाराशियां शामिल होती हैं। ग्रामीण सहकारी बैंकों के समेकित तुलन-पत्र का राज्य-वार वितरण भी प्रस्तुत किया जाता है।
v) बाह्य क्षेत्र सांख्यिकी
इनमें भारत के भुगतान संतुलन (बीओपी) संबंधी आंकड़ों का तिमाही प्रकाशन, मार्च अंत और जून अंत तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण के आंकड़े, भारत के अंतर्राष्ट्रीय सेवा व्यापार पर मासिक प्रेस प्रकाशनी और अदृश्य मदों में भारत के व्यापार पर तिमाही प्रेस प्रकाशनी शामिल होती है।
vi) सर्वेक्षण
ए. नियमित:
बैंक निम्नलिखित नियमित त्वरित सर्वेक्षण करता है, जिसके परिणाम एमपीसी को प्रस्तुत किए जाते हैं और बाद में सार्वजनिक डोमेन में जारी किए जाते हैं:
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विनिर्माण क्षेत्र का औद्योगिक परिदृश्य सर्वेक्षण (आईओएस) – त्रैमासिक
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विनिर्माण क्षेत्र में आदेश बहियों, माल-सूचियों और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण (ओबीआईसीयूएस) – त्रैमासिक
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सेवा और आधारभूत संरचना परिदृश्य सर्वेक्षण (एसआईओएस) – त्रैमासिक
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बैंक ऋण वितरण सर्वेक्षण – त्रैमासिक
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मुद्रास्फीति पर घरेलू अपेक्षाओं का सर्वेक्षण (आईईएसएच) – द्विमासिक
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उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण (सीसीएस) – द्विमासिक
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ग्रामीण उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण – द्विमासिक
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पेशेवर पूर्वानुमानकर्ताओं का सर्वेक्षण (एसपीएफ़) – द्विमासिक
इन सर्वेक्षणों के परिणाम मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प जारी होने के तुरंत बाद जारी किए जाते हैं। शोध को बढ़ावा देने के लिए परिवार संबंधी सर्वेक्षणों (अर्थात, आईईएसएच और सीसीएस) के यूनिट स्तर के आंकड़े भी जारी किए जाते हैं।
बी. सामयिक
- सीमापारीय विप्रेषण सर्वेक्षण- विप्रेषण संबंधी सर्वेक्षण के परिणाम बुलेटिन आलेख के रूप में आरबीआई के मासिक बुलेटिन में प्रकाशित किए जाते हैं।
3. अनुसंधान प्रकाशन
i) रिज़र्व बैंक समसामयिक पत्र
भारतीय रिज़र्व बैंक के समसामयिक पत्र (आरबीआईओपी) भारतीय रिज़र्व बैंक की आधिकारिक शोध पत्रिका है, जो रिज़र्व बैंक के स्टाफ-सदस्यों द्वारा स्वतंत्र रूप से और/ या बैंक के बाहर के स्वतंत्र शोधकर्ताओं के सहयोग से किए गए शोध कार्यों के प्रकाशन के लिए एक मंच प्रदान करती है। यह पत्रिका नीति निर्माताओं और शिक्षाविदों सहित बड़े समूह के लिए रुचि के व्यापक मुद्दों पर सहकर्मी-समीक्षित, उच्च-गुणवत्तापूर्ण, विश्लेषणात्मक और अनुभवजन्य शोध कार्य प्रकाशित करने के लिए समर्पित है। यह पत्रिका बैंक की वेबसाइट पर एक ओपन-एक्सेस जर्नल के रूप में द्वि-वार्षिक रूप से प्रकाशित होती है।
ii) रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर्स
मार्च 2011 में शुरू की गई रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर्स शृंखला (आरबीआईडब्ल्यूपीएस) रिज़र्व बैंक के स्टाफ- सदस्यों और कभी-कभी, जब शोध संयुक्त रूप से किया जाता है, बाह्य सह-लेखकों द्वारा किए जा रहे शोध को प्रस्तुत करती है। इन शोध पत्रों की सहकर्मी-समीक्षा की जाती है और जानकार शोधकर्ताओं से प्रतिक्रिया और टिप्पणियाँ प्राप्त करने तथा आगे की चर्चा के लिए इनका प्रसार किया जाता है।
iii) विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) अध्ययन
डीआरजी अध्ययन बैंक के बाहर के विशेषज्ञों और बैंक के भीतर शोधकर्ताओं के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम हैं। इन अध्ययनों को पेशेवर अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं के बीच रचनात्मक चर्चा के उद्देश्य से व्यापक प्रसार के लिए जारी किया जाता है।
iv) मिंट स्ट्रीट मेमो
मिंट स्ट्रीट मेमो (एमएसएम) दस्तावेजों की एक शृंखला है, जिसे समकालीन विषयों पर संक्षिप्त रिपोर्ट और विश्लेषण के रूप में रिज़र्व बैंक और सेंटर फॉर ऐड्वान्स्ड फाइनेंशियल रिसर्च एंड लर्निंग (सीएएफआरएएल) के कर्मचारियों द्वारा तैयार किया जाता है, या हाल ही के किसी एक बैंक प्रकाशन में से तैयार किया जाता है।
4. अन्य प्रकाशनियाँ
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मौद्रिक नीति वक्तव्य;
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एमपीसी कार्यवृत्त;
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शीर्ष प्रबंधन का भाषण / साक्षात्कार;
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कार्य दल /समिति की रिपोर्ट;
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तकनीकी/चर्चा पत्र;
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मैनुअल;
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विज़न दस्तावेज़;
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स्मारक व्याख्यान;
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मोनेटरी एवं क्रेडिट इंफोर्मेशन रिव्यू - मासिक;
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विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि के प्रबंधन पर अर्धवार्षिक रिपोर्ट;
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आधिकारिक प्रेस प्रकाशनियाँ /अधिसूचनाएं, आलेख; तथा
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जन जागरूकता पर फिल्में, वीडियो, हास्य पुस्तकें और अन्य सामग्री।
5. दैनिक प्रकाशनियाँ
बैंक बाजार सहभागियों, वायर एजेंसियों और मीडिया के अन्य वर्गों द्वारा उपयोग के लिए अपनी वेबसाइट के माध्यम से अपने परिचालनों से संबंधित प्रेस प्रकाशनियाँ जारी करता है। पिछले दिन के मुद्रा बाजार परिचालन पर इसकी दैनिक प्रेस प्रकाशनी, बाजार सहभागियों को प्रणाली में उपलब्ध चलनिधि का सार प्रदान करती है। चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) और अन्य चलनिधि परिचालनों के परिणाम उसी दिन वेबसाइट पर जारी किए जाते हैं।
6. भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस (डीबीआईई): आरबीआई का डाटा वेयरहाउस
भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस (डीबीआईई) भारतीय रिज़र्व बैंक का प्रमुख डेटा प्रसार प्लेटफ़ॉर्म है, जो विविध उपयोगकर्ताओं को व्यापक समष्टि आर्थिक और वित्तीय आँकड़े प्रदान करता है। एक वेब-आधारित इंटरैक्टिव पोर्टल के रूप में डिज़ाइन किया गया, डीबीआईई पहले से फ़ॉर्मेट की गई सांख्यिकीय रिपोर्टों तक तत्काल पहुँच की सुविधा प्रदान करता है और उपयोगकर्ताओं को सहज ज्ञान युक्त जानकारी सुविधाओं के माध्यम से अनुकूलित डेटा व्यू तैयार करने की सुविधा प्रदान करता है। समय के साथ, पोर्टल एक स्थिर भंडार से विकसित होकर 60,000 से अधिक सार्वजनिक रूप से सुलभ डेटा शृंखलाओं की मेजबानी करने वाले एक गतिशील प्लेटफ़ॉर्म में बदल गया है। ये मौद्रिक नीति, वित्तीय बाज़ार, कॉर्पोरेट कार्य निष्पादन और बाह्य क्षेत्र की गतिविधियों जैसे विविध क्षेत्रों को कवर करते हैं, जिससे शोधकर्ताओं, विश्लेषकों और नीति निर्माताओं को आर्थिक रुझानों को ट्रैक करने और नीति प्रभावों का आसानी से आकलन करने में मदद मिलती है। डीबीआईई बैंक के कई नियमित सांख्यिकीय प्रकाशनों का आधार है।
पहुंच और उपयोगकर्ता संबद्धता को और बेहतर बनाने के लिए, रिज़र्व बैंक ने आरबीआईडेटा (RBIDATA) एप्लिकेशन लॉन्च किया है - जो डीबीआईई पोर्टल का एक सहयोगी है जो उपयोगकर्ताओं को आसानी से डेटा प्रदान करता है। उपयोगकर्ता के अनुकूल ऐप, बैंक के डेटा को सार्वजनिक वस्तु के रूप में उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो कभी भी और कहीं भी सुलभ है। आरबीआईडेटा ऐप डीबीआईई से 11,000 से अधिक क्यूरेटेड डेटा सीरीज़ प्रदान करता है, जो एक प्रज्ञात्मक और आकर्षक प्रारूप में प्रदर्शित होता है। यह ऐप अनुभवी अर्थशास्त्रियों, वित्तीय बाजार सहभागियों, छात्रों, शिक्षाविदों और आम जनता को दैनिक डेटा अपडेट, आसान नेविगेशन और डाउनलोड करने योग्य आउटपुट जैसी सुविधाओं को प्रदान करता है। डिजिटल नवाचार को अपनाकर, रिज़र्व बैंक स्वयं को वैश्विक केंद्रीय बैंक डेटा प्रसार में अग्रणी स्थान पर रखता है। |