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भारतीय रिज़र्व बैंक की संचार नीति
विषय- वस्तु सारणी
पैरा संख्या विषय- वस्तु
I प्रस्तावना
II उद्देश्य
III लक्ष्य
IV सिद्धांत
V संचार के पहलू
V. क मौद्रिक नीति संचार
V. ख वित्तीय स्थिरता संचार
V. ग अन्य कार्यात्मक डोमेन से संबंधित संचार
V. घ संकट के समय संचार
V. ङ प्रमुख प्रकाशनों के माध्यम से प्रसार
V. च रिज़र्व बैंक के कर्मचारी रिज़र्व बैंक के एम्बेस्डर के रूप में
VI दोतरफा संचार
VII परिचालनात्मक प्रथा
VIII संचार का दायित्व
IX समीक्षा
  अनुबंध

भारतीय रिज़र्व बैंक की संचार नीति
(संस्करण 2.0, जुलाई 2021)

I. प्रस्तावना

आधुनिक केंद्रीय बैंकों के कार्य, जो पारदर्शिता और जवाबदेही पर अधिक जोर दे रहे हैं, में संचार एक प्रमुख तत्व है। मौद्रिक नीति निर्णय लेने की एक कॉलेजियम पद्धति की बढ़ती प्राथमिकता और वित्तीय स्थिरता पर जोर देने से केंद्रीय बैंकिंग के दायरे में संचार के लिए संरचित नीतियों/कार्यनीतियों पर अधिक जोर दिया गया है।

2. रिज़र्व बैंक की संचार नीति प्रासंगिकता, पारदर्शिता, स्पष्टता, व्यापकता और समयबद्धता के मार्गदर्शी सिद्धांतों का पालन करती है: यह अपने दायरे के तहत कई डोमेन में विकास की सार्वजनिक समझ में लगातार सुधार करने का प्रयास करता है।

II. उद्देश्य

3. भारत में केंद्रीय बैंकिंग नीति का ढांचा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत निर्दिष्ट अपने उद्देश्यों अर्थात “भारत में मौद्रिक स्थिरता प्राप्त करने की दृष्टि से बैंकनोटों के निर्गम को विनियमित करना तथा आरक्षित निधि को बनाए रखना और सामान्य रूप से देश के हित में मुद्रा और ऋण प्रणाली संचालित करना; और अत्यधिक जटिल अर्थव्यवस्था की चुनौती से निपटने के लिए आधुनिक मौद्रिक नीति ढांचे को संचालित करना, जहां वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना” के आसपास विकसित हुआ है।

4. उपरोक्त के अनुरूप, रिज़र्व बैंक की समष्टि आर्थिक और मौद्रिक नीति ने, संवृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए ऋण के पर्याप्त प्रवाह को सुनिश्चित करते हुए और वित्तीय स्थिरता प्राप्त करके मूल्य स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया है। भारतीय वित्तीय प्रणाली और उसके घटकों, वित्तीय बाजारों की मुद्रा, ऋण और विदेशी मुद्रा खंड और देश के भुगतान और निपटान प्रणाली आधार के विनियमन और पर्यवेक्षण के लिए इसमें निहित शक्तियों द्वारा वित्तीय स्थिरता उद्देश्य सक्षम बनता है। । ये विदेशी मुद्रा भंडार के रखरखाव और अंतिम उपाय के रूप में ऋणदाता की भूमिका से संबंधित महत्वपूर्ण कार्यों द्वारा संवर्धित हैं। रिज़र्व बैंक बैंक नोटों के निर्गम तथा मुद्रा प्रबंधन के अपने मुख्य कार्य के साथ-साथ अपने एजेंसी कार्यों जैसेकि सार्वजनिक ऋण का प्रबंध, सरकार के बैंकर (केंद्र और राज्य) तथा बैंक आरक्षित निधि के विनियमन सहित बैंकिंग प्रणाली के बैंकर का मुख्य कार्य करता है। एक पूर्ण-सेवा केंद्रीय बैंक के रूप में, यह देश की वित्तीय प्रणाली के विकास और समेकन को भी बढ़ावा देता है और समावेशी संवृद्धि का समर्थन करता है।

5. रिज़र्व बैंक का दृष्टिकोण अपने नीतिगत रुख को संप्रेषित करने और उभरती स्थिति के अपने आकलन के लिए सभी हितधारकों को तर्क प्रदान करने के साथ-साथ सहायक जानकारी और विश्लेषण प्रदान करना है।

6. 2019-22 के लिए अपने मध्यम अवधि विजन स्टेटमेंट में, जिसे 'उत्कर्ष 2022' संदर्भित किया जाता है, रिज़र्व बैंक ने अपने लिए निम्नलिखित पारस्परिक रूप से सुदृढ़ उद्देश्यों को निर्धारित किया है:

  1. सांविधिक और अन्य कार्यों के निष्पादन में उत्कृष्टता;

  2. भारतीय रिज़र्व बैंक में नागरिकों और अन्य संस्थानों के विश्वास को मजबूत करना;

  3. राष्ट्रीय और वैश्विक भूमिकाओं में परिष्कृत प्रासंगिकता और महत्व;

  4. पारदर्शी, उत्तरदायी और नैतिकता-संचालित आंतरिक सुशासन;

  5. सर्वश्रेष्ठ श्रेणी और पर्यावरण के अनुकूल डिजिटल के साथ-साथ भौतिक अवसंरचना; तथा

  6. अभिनव, गतिशील और कुशल मानव संसाधन।

7. इन उद्देश्यों को पूरा करने की रणनीतियां अतीत के लाभों को समेकित करने, उभरते अवसरों का लाभ उठाने और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए अनिवार्य रूप से सुविचारित कार्य हैं। कार्यनीतिक लक्ष्यों को एक या अधिक वास्तविक और समयबद्ध माइलस्टोन के माध्यम से प्राप्त करना है।

III. लक्ष्य

8. रिज़र्व बैंक के पारदर्शी संचार, स्पष्ट व्याख्या और विविध उद्देश्यों की सटीक अभिव्यक्ति इसकी संचार नीति के लक्ष्य हैं। समग्र जनादेश को अपने प्रभावी कार्य के साथ-साथ अपने नीतिगत उपकरणों की विस्तारित सीमाओं का समर्थन करने के लिए खुले, स्पष्ट और संरचित संचार की आवश्यकता है।

9. रिज़र्व बैंक की संचार कार्यनीति के प्रधान लक्ष्य हैं:

  1. अपनी भूमिका और उत्तरदायित्वों की स्पष्टता;

  2. अपने नीतिगत उपायों में विश्वास निर्मित करना;

  3. पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार;

  4. मौद्रिक नीति की प्रभावशीलता बढ़ाने और अनुचित अटकलों को कम करने के लिए सभी आर्थिक एजेंटों की अपेक्षाओं को नियंत्रित करना;

  5. वित्तीय स्थिरता के बारे में जागरूकता बढ़ाना;

  6. न्यूनतम समय अंतराल के साथ सूचना का प्रसार;

  7. प्रभावी संचार के माध्यम से समयबद्धता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना; तथा

  8. बहुभाषी और बहु-सांस्कृतिक समाज के साथ कार्य को व्यापक करना।

IV. सिद्धांत

10. संचार नीति के उपरोक्त व्यापक लक्ष्यों का अनुसरण निम्नलिखित मार्गदर्शक सिद्धांतों के माध्यम से किया जाता है:

  1. तर्क, सूचना और विश्लेषण के साथ नीतिगत रुख की व्याख्या;

  2. संरचित और आवधिक विवरणों, शीर्ष प्रबंधन के भाषणों, सांविधिक और अन्य नियमित प्रकाशनों, शोध प्रकाशन, समिति की रिपोर्ट के साथ-साथ महत्वपूर्ण घटनाओं पर नियमित जानकारी के प्रसार के माध्यम से अभिव्यक्ति में सुसंगतता और विश्वसनीयता;

  3. हिंदी और अंग्रेजी के अलावा ग्यारह प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में जन जागरूकता पहल और भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर माइक्रोसाइट के माध्यम से लक्षित दर्शकों (जैसे, विनियमित संस्थाओं, शोधकर्ताओं, विश्लेषकों, शिक्षाविदों, रेटिंग एजेंसियों, मीडिया, अन्य केंद्रीय बैंकों, बहुपक्षीय संस्थानों, बाजार सहभागियों, सरकारी एजेंसियों और शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों, रक्षा कर्मियों और स्कूली बच्चों सहित आम जनता) के आधार पर अनुकूलित संचार का प्रसार करना।

  4. वेबसाइट के माध्यम से निकट वास्तविक समय के आधार पर बाजार से संबंधित जानकारी का प्रसार;

  5. सोशल मीडिया के माध्यम से रिज़र्व बैंक से निकलने वाली महत्वपूर्ण सूचनाओं का प्रसार; और

  6. पूर्वानुमेयता लाने के लिए अग्रिम प्रसारण कैलेंडर के माध्यम से भविष्य के संरचित संचार की तारीखों की पूर्व-घोषणा।

V. संचार के पहलू:

11. रिज़र्व बैंक के संचार पहलुओं में निम्नलिखित कार्यनीतियां शामिल हैं:

  1. मौद्रिक नीति संचार;

  2. वित्तीय स्थिरता संचार;

  3. अन्य कार्यात्मक डोमेन से संबंधित संचार;

  4. संकट के समय संचार;

  5. प्रमुख प्रकाशनों के माध्यम से प्रसार; तथा

  6. आरबीआई के एम्बेस्डर के रूप में आरबीआई कर्मचारी।

क) मौद्रिक नीति संचार

12. रिज़र्व बैंक बाजार सहभागियों और अन्य हितधारकों को उभरती स्थिति के अपने आकलन के बारे में स्पष्टता प्रदान करने में सक्षम बनाने के लिए तर्क, सूचना और विश्लेषण के साथ मौद्रिक नीति उपायों और रुख की व्याख्या करता है। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 को 2016 में संशोधित किया गया था ताकि मौद्रिक नीति ढांचे, एमपीसी और भारत सरकार द्वारा रिज़र्व बैंक के परामर्श से हर पांच वर्ष में एक बार मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करने के लिए सांविधिक आधार प्रदान किया जा सके।

13. मौद्रिक नीति ढांचे का उद्देश्य (क) वर्तमान और उभरती समष्टि आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर नीति (रेपो) दर निर्धारित करना और (ख) मुद्रा बाजार दर में स्थिरता लाने के लिए उपयुक्त कार्यों के माध्यम से दैनंदिन आधार पर चलनिधि की स्थिति का उतार-चढ़ाव (मोड्यूलेशन) करना है। परिचालन ढांचा मौद्रिक नीति के रुख के अनुरूप उभरती मौद्रिक और वित्तीय बाजार स्थितियों पर प्रतिक्रिया देता है। रिज़र्व बैंक अर्थशास्त्रियों, बैंकरों, उद्योग समूहों और अन्य हितधारकों के साथ समग्र/क्षेत्र-विशिष्ट आकलनों और उनकी नीतिगत अपेक्षाओं पर उनके विचारों का पता लगाने के लिए नीति-पूर्व परामर्श भी करता है।

14. एमपीसी का संकल्प बैंक की वेबसाइट और अन्य संचार चैनलों पर जारी किया जाता है, जिसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस होती है जिसका विभिन्न सार्वजनिक मीडिया प्लेटफॉर्म पर सीधा प्रसारण किया जाता है। पारदर्शिता की भावना से, मौद्रिक नीति निर्माण में उपयोग किए गए आंकड़ो को एमपीसी संकल्प जारी होने के बाद सार्वजनिक डोमेन में रखा जाता है।

ख) वित्तीय स्थिरता संचार

15. वित्तीय स्थिरता पर रिज़र्व बैंक के संचार के निम्नलिखित व्यापक आयाम हैं:

  1. भारतीय बैंकिंग प्रणाली के कार्यनिष्पादन के साथ-साथ भारतीय वित्तीय प्रणाली की सुदृढ़ता, जोखिम और लचीलापन का मूल्यांकन प्रदान करने के लिए 'भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति' संबंधी वार्षिक और 'वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट' संबंधी अर्ध-वार्षिक सांविधिक रिपोर्ट का प्रकाशन तथा इसके साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास पर प्रेस प्रकाशनियां जारी की जाती हैं;

  2. वित्तीय क्षेत्र से संबंधित पर्यवेक्षी और विनियामक पहलुओं की व्याख्या करने और हितधारकों को समष्टि-विवेकपूर्ण नीति कार्यों को समझाने में मदद करने के लिए, केंद्रीय और क्षेत्रीय कार्यालय दोनों स्तरों पर अनौपचारिक प्रेस ब्रीफिंग और मीडिया कार्यशालाओं का आयोजन करना; तथा

  3. आंकड़ों और उपायों से परे, व्यापक दर्शकों के लिए अंतर्निहित संदेशों को उजागर करने हेतु संचार को वित्तीय स्थिरता ढांचे का एक अभिन्न अंग बनाना और सभी हितधारकों को वित्तीय क्षेत्र के विकास से अवगत कराते हुए संचार क्षमता विकसित करना।

सी) अन्य कार्यात्मक डोमेन से संबंधित संचार

16. रिज़र्व बैंक पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चैनलों (जैसे, प्रेस प्रकाशनियों, अधिसूचनाओं, प्रकाशन - नियमित और सामयिक और बहु-माध्यम जन जागरूकता अभियानों) के माध्यम से समष्टि आर्थिक स्थितियों के साथ-साथ ऊपर पैरा 4 में उल्लिखित विनियामक और अन्य डोमेन में विकास के संबंध में सूचना जारी करता है। शीर्ष प्रबंधन के भाषण, प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीडिया साक्षात्कार, महत्वपूर्ण मुद्दों पर बैंक के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हैं। बाजार संवेदनशील सूचना के समान वितरण के लिए रिज़र्व बैंक समाचार एजेंसियों के माध्यम से व्यापार प्रतिरोधी प्रकाशनी (embargoed releases) का उपयोग करता है।

घ) संकट के समय संचार

17. अर्थव्यवस्था में और विशेष रूप से वित्तीय क्षेत्र में अप्रत्याशित और अचानक अहितकर स्थिति उत्पन्न होने की स्थिति में, रिज़र्व बैंक का प्राथमिक उद्देश्य प्रासंगिक नीति प्रतिक्रिया के साथ तेजी से आगे बढ़ना, स्थिति को अनुकूल बनाने का आश्वासन देना और किसी भी अनुचित अटकलों को दूर करना है। ऐसे समय में, आंतरिक संचार उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि बाहरी संचार।

ङ) प्रमुख प्रकाशनों के माध्यम से प्रसार

18. सभी हितधारकों तक सूचना की एक साथ पहुंच सुनिश्चित करने के लिए रिज़र्व बैंक के सभी प्रमुख प्रकाशन इसकी वेबसाइट पर जारी किए जाते हैं। सांविधिक प्रकाशनों में बैंक की 'वार्षिक रिपोर्ट', 'भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति रिपोर्ट' और 'मौद्रिक नीति रिपोर्ट' शामिल हैं। महत्वपूर्ण प्रकाशनों की सूची अनुबंध में दी गई है।

च) रिज़र्व बैंक के कर्मचारी रिज़र्व बैंक के एम्बेस्डर के रूप में

19. रिज़र्व बैंक के कर्मचारी समाज के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता उत्पन्न करने के लिए इसके एम्बेस्डर हैं: प्रतिष्ठा संबंधी किसी भी जोखिम से बचने के लिए, आंतरिक अनुमोदन के साथ उनका संचार संरचित है। केवल अधिकृत कर्मचारी ही प्रेस के साथ रिज़र्व बैंक के मामलों पर संवाद कर सकते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ- सदस्यों द्वारा योगदान किए गए केंद्रित विषयों पर स्वतंत्र शोध पत्र और दस्तावेज प्रासंगिक डिस्क्लेमर के साथ इसकी वेबसाइट पर जारी किए जाते हैं।

VI. दोतरफा संचार

20. रिज़र्व बैंक ने दोतरफा संचार की प्रथा स्थापित की है। हितधारकों के साथ परामर्श आम तौर पर किसी भी नए विनियमन की शुरूआत या मौजूदा विनियमन में बड़े बदलाव से पहले होता है। इसकी वेबसाइट दोतरफा संचार के लिए एक प्रमुख चैनल है, जो सोशल मीडिया चैनलों और वेबसाइट के मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा पूरक है। यह क्षेत्रीय मीडिया के लिए नीति निर्माण का रहस्योद्घाटन करने और क्षेत्रीय प्रेस द्वारा सूचित रिपोर्टिंग की सुविधा के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करता है। हितधारकों और जनता के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए बैंक के पास खुले चैनल हैं। व्यक्तिगत अनुरोधों के जवाब में सामान्य प्रसार की प्राथमिकता को देखते हुए, विभिन्न डोमेन के लिए 'अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न' अनुभाग के तहत वेबसाइट पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न का उत्तर दिया जाता है।

VII. परिचालनात्मक प्रथा

21. रिज़र्व बैंक ने संगठन और संचार के लक्ष्यों के परिप्रेक्ष्य से संचार के लिए व्यापक आंतरिक दिशा-निर्देश और परिचालन प्रथाओं को तैयार किया है। ये निम्नानुसार हैं:

  1. रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक केंद्रीय बोर्ड या इसकी समितियों के सदस्यों के रूप में किसी भी मामले या जानकारी, जो उनके संज्ञान में आ सकता है, को संप्रेषित या प्रकट नहीं करते हैं।

  2. गवर्नर और मौद्रिक नीति के प्रभारी उप गवर्नर, मौद्रिक और विनिमय दर नीति से संबंधित मुद्दों पर एकमात्र प्रवक्ता हैं;

  3. उप गवर्नर अपने-अपने उत्तरदायित्व के क्षेत्रों के प्रवक्ता होते हैं;

  4. कार्यपालक निदेशक और विभागाध्यक्ष अपने-अपने क्षेत्र में गवर्नर/उप गवर्नरों से प्राप्त स्पष्ट अधिकार के साथ बोलते हैं;

  5. क्षेत्रीय निदेशक स्थानीय मुद्दों पर स्पष्टीकरण देते हैं;

  6. लोकपाल स्थानीय शिकायत निवारण मुद्दों पर बोलते हैं;

  7. संचार विभाग (डीओसी) का प्रमुख रिज़र्व बैंक का सामान्य प्रवक्ता होता है;

  8. क्षेत्रीय मामलों से संबंधित प्रेस प्रकाशनियों- जो दुर्लभ हैं, को छोड़कर सभी प्रेस प्रकाशनियाँ संचार विभाग द्वारा केंद्रीय रूप से जारी की जाती हैं;

  9. सभी सूचना प्रकाशनी- प्रिंट या डिजिटल रूप में - एक साथ सार्वजनिक डोमेन में रखी जाती हैं।

VIII. संचार का दायित्व

22. अच्छा बाहरी संचार विभिन्न विभागों / कार्यालयों और डीओसी, जो बाह्य संचार के लिए रिज़र्व बैंक का नोडल विभाग है, के बीच गहन आंतरिक समन्वय से ही हो सकता है। मीडियाकर्मी और अन्य लोग, प्रश्न पूछने या स्पष्टीकरण मांगने के लिए डीओसी से संपर्क करते हैं।

IX. समीक्षा

23. संचार एक गतिशील प्रक्रिया है और यह बदलते समय और परिस्थितियों के साथ विकसित होती रहती है। तथापि, बैंक की संचार नीति की समीक्षा हर तीन वर्ष की जाएगी, जब तक कि ऐसी कोई स्थिति न बने और पहले इसकी समीक्षा करनी पड़े।


अनुबंध

भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रकाशन

1. प्रकाशन/रिपोर्ट

i) वार्षिक रिपोर्ट

रिज़र्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट एक सांविधिक प्रकाशन है जो वार्षिक खातों की समाप्ति के दो महीने के भीतर जारी किया जाता है। यह केंद्रीय बोर्ड द्वारा अर्थव्यवस्था की स्थिति, वर्ष के दौरान बैंक के कामकाज और रिजर्व बैंक के तुलन पत्र पर एक रिपोर्ट है। यह भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के आकलन और आगे आने वाली अवधि में इसकी संभावनाओं को भी प्रस्‍तुत करता है।

ii) भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट

रिज़र्व बैंक द्वारा प्रस्‍तुत यह भी एक सांविधिक प्रकाशन है जो वित्तीय क्षेत्र के लिए नीतियों और उसके कार्यनिष्‍पादन की समीक्षा करता है। इस प्रकाशन में अप्रैल से मार्च तक के आंकड़े शामिल किए जाते हैं और सामान्‍यत: इसे प्रत्‍येक वर्ष नवंबर/दिसंबर के आस-पास जारी किया जाता है।

iii) मौद्रिक नीति रिपोर्ट

यह बैंक का द्वि-वार्षिक सांविधिक प्रकाशन है, जो सामान्यतः अप्रैल और अक्टूबर में जारी किया जाता है। यह समष्टि आर्थिक दृष्टिकोण तथा विकास और मुद्रास्फीति पर पूर्वानुमान देता है। इसमें जोखिमों, कीमतों और लागतों, वित्तीय बाजार और तरलता की स्थिति और बाहरी वैश्विक वातावरण में विकास के संतुलन को भी शामिल किया गया है।

iv) वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट

यह एक द्वि-वार्षिक रिपोर्ट है जो वैश्विक वित्तीय संकट और उसके दुष्परिणाम अर्थात मार्च 2010 के बाद से प्रकाशित की जा रही है। यह भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता का आकलन प्रदान करता है; जोखिमों की प्रकृति, परिमाण और निहितार्थों; तनाव परीक्षण और लचीलापन के परिणाम की समीक्षा करता है; पूर्वक्रीत नीति प्रतिक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण संकेत प्रदान करता है और वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन के तरीकों का उल्लेख करता है।

v) राज्य वित्त: बजट का एक अध्ययन

एक विषयगत रूप से समर्पित रिलीज, यह प्रकाशन सभी राज्य सरकारों के वित्त का व्यापक विश्लेषणात्मक मूल्यांकन प्रदान करता है। नीतिगत निहितार्थ अंकित करने के लिए राज्यवार विश्लेषण के अलावा सभी राज्य सरकारों के समेकित आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है। इसमें उप-राष्ट्रीय स्तर पर राजवित्तीय स्थिति का विश्लेषण, जोखिमों का आकलन, राजवित्तीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध (एफआरबीएम) अधिनियम, 2003 के तहत लक्ष्यों पर प्रगति शामिल है। इसे व्यापक रूप से केंद्र/राज्य सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों जैसे आईएमएफ, और शिक्षाविदों द्वारा संदर्भ हेतु उपयोग में लाया जाता है।

vi) भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन और इसका साप्ताहिक सांख्यिकीय अनुपूरक

मासिक आरबीआई बुलेटिन मौद्रिक नीति वक्तव्य, शीर्ष प्रबंधन भाषण, शोध लेख, प्रमुख मौद्रिक और वित्तीय संकेतकों पर वर्तमान आंकड़े, विदेशी मुद्रा बाजार हस्तक्षेप पर पहला डेटा रिलीज और सामयिक रुचि के अन्य क्षेत्रों को प्रकाशित करता है। बुलेटिन में अन्य उपयोगी समावेशन, महत्वपूर्ण प्रेस विज्ञप्तियां और रिज़र्व बैंक के विभिन्न विभागों द्वारा जारी परिपत्र तथा अर्थव्यवस्था, वित्त और बैंकिंग से संबंधित आंकड़े हैं।

वार्षिक रिपोर्ट और भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट सहित बैंक द्वारा जारी प्रमुख रिपोर्टें इस मासिक प्रकाशन के पूरक के रूप में जारी की जाती हैं।

मासिक आरबीआई बुलेटिन का साप्ताहिक सांख्यिकीय पूरक (डब्ल्यूएसएस) एक प्रमुख उच्च आवृत्ति डेटा प्रसार स्रोत है और यह आरबीआई तुलन पत्र, आरक्षित निधि की स्थिति, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का तुलन पत्र, मौद्रिक और वित्तीय बाजार संकेतक तथा सरकार की बाजार उधारी जैसी प्रमुख मदों की जानकारी प्रकाशित करता है। यह दस्तावेज़ आमतौर पर प्रत्येक शुक्रवार की शाम को जारी किया जाता है।

2. सांख्यिकीय प्रकाशन

बैंक के प्रमुख डेटा प्रकाशनों में शामिल हैं:

i) भारतीय राज्यों पर सांख्यिकी की हैंडबुक

यह एक व्यापक एकल बिंदु डेटासेट है जिसमें राज्यों के सामाजिक-आर्थिक संकेतक, उनकी सामाजिक और जनसांख्यिकीय विशेषताओं को शामिल किया गया है। यह बैंकिंग सहित प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों को शामिल करता है और शोधकर्ताओं, शैक्षणिक मंडलों और राज्य सरकारों के लिए उपयोगी है।

ii) भारतीय अर्थव्यवस्था पर सांख्यिकी की हैंडबुक

इस दस्तावेज़ में लंबे समय के क्षितिज पर डेटासेट शामिल है। यह एक रीयल-टाइम ऑन-लाइन संस्करण है (वेब-पोर्टल डीबीआईई पर उपलब्ध)। यह प्रकाशन समय-श्रृंखला डेटा (वार्षिक/त्रैमासिक/मासिक/पाक्षिक/दैनिक) प्रदान करता है, जो आर्थिक चर के व्यापक स्पेक्ट्रम से संबंधित है जो राष्ट्रीय आय, उत्पादन और कीमतों, मुद्रा और बैंकिंग, वित्तीय बाजारों, सार्वजनिक वित्त, व्यापार और भुगतान संतुलन, मुद्रा और सिक्का तथा सामाजिक-आर्थिक संकेतक के डाटा से संबंधित है।

iii) मूलभूत सांख्यिकीय विवरणियाँ

मूलभूत सांख्यिकीय विवरणी (बीएसआर) प्रकाशनों में शामिल हैं (ए) उधारकर्ता के व्यवसाय / गतिविधि और संगठनात्मक क्षेत्र, खाते के प्रकार और ब्याज दरों (बीएसआर -1) के अनुसार तिमाही आधार पर वर्गीकृत बैंक ऋण; (बी) वार्षिक आधार पर बैंक जमा का स्वामित्व और परिपक्वता पैटर्न के साथ-साथ रोजगार विवरण (बीएसआर -2); तथा (सी) तिमाही आधार पर भूगोल और प्रकार (बीएसआर -7) के अनुसार बैंक ऋण और जमा।

iv) भारत में बैंकों से संबंधित सांख्यिकीय सारणियां

इसमें बैंकों का वार्षिक विवरण शामिल होता है और इसमें बैंकों के कार्य निष्पादन की महत्वपूर्ण जानकारी होती है। इसमें एससीबी, ग्रामीण सहकारी बैंक, एनबीएफ़सी , एफ़आई और पीडी शामिल हैं। यह दस्तावेज़ इन संस्थाओं का तुलन पत्र और वित्तीय संकेतक प्रकाशित करता है और सीआरएआर, प्राथमिकता क्षेत्र को उधार देने जैसे नियामक मानदंडों पर हुई प्रगति देता है। ये डाटा बैंक समूह-वार और राज्य-वार प्रस्तुत किए जाते हैं। यह एकमात्र प्रकाशन है जो बैंक-स्तरीय डाटा प्रदान करता है।

v) सर्वेक्षण

बैंक निम्नलिखित नियमित त्वरित सर्वेक्षण करता है, जिसके परिणाम एमपीसी को प्रस्तुत किए जाते हैं और बाद में सार्वजनिक डोमेन में जारी किए जाते हैं:

  1. विनिर्माण क्षेत्र का औद्योगिक दृष्टिकोण सर्वेक्षण (आईओएस) – त्रैमासिक

  2. विनिर्माण क्षेत्र की क्रयादेश पुस्तक,स्टॉक और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण (ओबीआईसीयूएस) – त्रैमासिक

  3. सेवाएं और मूलभूत सुविधाएं दृष्टिकोण सर्वेक्षण (एसआईओएस) – त्रैमासिक

  4. परिवारों का मुद्रास्फीति प्रत्याशा संबंधी सर्वेक्षण (आईईएसएच) – द्विमासिक

  5. उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण (सीसीएस) – द्विमासिक

  6. व्यवसायी पूर्वानुमानकर्ताओं का सर्वेक्षण (एसपीएफ़) – द्विमासिक

इन सर्वेक्षणों के परिणाम मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प जारी होने के तुरंत बाद जारी किए जाते हैं। शोध को बढ़ावा देने के लिए परिवार संबंधी सर्वेक्षणों (अर्थात, आईईएसएच और सीसीएस) के यूनिट स्तर के आंकड़े भी जारी किए जाते हैं।

3. अनुसंधान प्रकाशन

i) रिज़र्व बैंक समसामयिक पत्र

ये त्रैमासिक शोध पत्रिकाएँ हैं जो सामयिक रुचि के विषयों को शामिल करता है। ये कर्मचारियों से योगदान शामिल करते हैं और उनके विचार दर्शाते हैं। समसामयिक पत्र स्टाफ के शोध कार्य की प्रगति है जो अध्ययन के तहत विषय पर टिप्पणियों और आगे की बहस को प्रकट करने के लिए प्रकाशित किया जाता है। इन दस्तावेजों को शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और मीडिया द्वारा उपयोग में लाया जाता है।

ii) रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर्स

मार्च 2011 में शुरू की गई रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला, रिज़र्व बैंक के स्टाफ- सदस्यों की प्रगति पर शोध प्रस्तुत करती है तथा टिप्पणियों और आगे की बहस के लिए प्रसारित की जाती है। इन पत्रों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं न कि रिज़र्व बैंक के।

iii) विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) अध्ययन

ये अध्ययन नीति-उन्मुख अनुसंधान पर जोर देते हैं और सामयिक रुचि के विषयों को शामिल करते हैं। इसमें मुख्य रूप से बाहरी विशेषज्ञों के सहयोग से बैंक के अनुसंधान कर्मचारियों द्वारा योगदान दिया जाता है। ये व्यापक प्रसार के लिए और व्यवसायी अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं के बीच चर्चा उत्पन्न करने के लिए जारी किया जाता है।

iv) मिंट स्ट्रीट मेमो

मिंट स्ट्रीट मेमो (एमएसएम) दस्तावेजों की एक श्रृंखला है जो समकालीन विषयों पर संक्षिप्त रिपोर्ट और विश्लेषण के रूप में है, जिसे रिज़र्व बैंक और उच्चस्तरीय वित्तीय अनुसंधान तथा अध्ययन केंद्र (सीएएफआरएएल) के कर्मचारियों द्वारा तैयार किया गया है, या हाल ही के किसी एक बैंक प्रकाशन में से तैयार किया गया है।

4. अन्य विज्ञप्तियां

  1. मौद्रिक नीति वक्तव्य;

  2. एमपीसी कार्यवृत्त;

  3. शीर्ष प्रबंध भाषण / साक्षात्कार;

  4. कार्यकारी समूह/समिति की रिपोर्ट;

  5. तकनीकी/चर्चा पत्र;

  6. नियमावली;

  7. विजन दस्तावेज;

  8. स्मारक व्याख्यान;

  9. मोनेटरी एवं क्रेडिट इंफर्मेशन रिव्यू - मासिक;

  10. आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति/अधिसूचनाएं, लेख; तथा

  11. जन जागरूकता पर फिल्में, वीडियो, हास्य पुस्तकें और अन्य सामग्री।

5. दैनिक विज्ञप्तियां

बैंक बाजार सहभागियों, वायर एजेंसियों और मीडिया के अन्य वर्गों द्वारा उपयोग के लिए अपनी वेबसाइट के माध्यम से अपने परिचालनों से संबंधित प्रेस विज्ञप्तियां जारी करता है। पिछले दिन के मुद्रा बाजार संचालन पर इसकी दैनिक प्रेस विज्ञप्ति बाजार सहभागियों को प्रणाली में चलनिधि की एक सारांश स्थिति देती है। चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) और अन्य चलनिधि परिचालनों के परिणाम उसी दिन वेबसाइट पर पोस्ट किए जाते हैं।

6. भारतीय अर्थव्यवस्था संबंधी डाटाबेस (डीबीआईई): आरबीआई का डाटा वेयरहाउस

बैंक, बैंकिंग और वित्तीय बाजारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर बड़ी मात्रा में डाटा उत्पन्न और संकलित करता है। बैंक द्वारा जारी किए गए डाटा का दायरा और मात्रा समय के साथ काफी बढ़ गया है और उनके जारी करने का तरीका भी हार्ड कॉपी प्रिंट से इलेक्ट्रॉनिक संस्करण में बदल गया है, जिसमें वेब-आधारित इंटरेक्टिव डाटाबेस भी शामिल है।

बैंक द्वारा जारी किए गए सभी विस्तृत आंकड़े इसके डेटा वेयरहाउस पर उपलब्ध कराए जाते हैं जिसे 'भारतीय अर्थव्यवस्था संबंधी डाटाबेस' (डीबीआईई) पोर्टल कहा जाता है (https://dbie.rbi.org.in) । डीबीआईई उपयोगकर्ताओं को (ए) पूर्व-स्वरूपित रिपोर्ट के माध्यम से डाटा एक्सेस करने की अनुमति देता है, जहां उपयोगकर्ता समय अवधि निर्दिष्ट कर सकते हैं; तथा (बी) प्रश्न सुविधाओं से वांछित चर और समय अवधि के लिए नया डाटा रिपोर्ट निर्मित कर सकता है। सभी डाटा एक्सेल/सीएसवी/पीडीएफ फाइल फॉर्मेट में डाउनलोड किए जा सकते हैं।


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