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प्रेस प्रकाशनी

मौद्रिक नीति 2013-14 की दूसरी तिमाही समीक्षा डॉ. रघुराम जी. राजन, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक का वक्तव्य

29 अक्टूबर 2013

मौद्रिक नीति 2013-14 की दूसरी तिमाही समीक्षा
डॉ. रघुराम जी. राजन, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक का वक्तव्य

''नमस्कार, रिज़र्व बैंक में आपका स्वागत है।

सितंबर में शुरू की गई प्रक्रिया को जारी रखते हुए आज हमने निम्नलिखित नीति उपाय घोषित किए हैं:

  • हमने सीमांत सथायी सुविधा (एमएसएफ) दर में 25 आधार अंकों तक कमी करते हुए तत्काल प्रभाव से इसे 9.0 प्रतिशत से 8.75 प्रतिशत किया है;

  • हमने चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीति रिपो दर में भी 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी करते हुए तत्काल प्रभाव से इसे 7.5 प्रतिशत से 7.75 प्रतिशत किया है; और

  • 7-दिवसीय और 14-दिवसीय अवधि के मीयादी रिपो के माध्यम से उपलब्ध कराई गई चलनिधि को भी बैंकिंग प्रणाली की निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के 0.25 प्रतिशत से बढ़ाकर तत्काल प्रभाव से 0.5 प्रतिशत किया गया है।

आकलन

हमारे नीति निर्णय वैश्विक और घरेलू समष्टि आर्थिक स्थिति के विस्तृत आकलन पर आधारित हैं। वैश्विक वृद्धि की संभावना में हल्का सुधार हुआ है तथा फेडरल रिज़र्व बाण्ड खरीद की धीरे-धीरे कमी में देरी की संभावना ने वित्तीय बाज़ारों में शांती लाई है।

घरेलू स्तर पर जबकि औद्यौगिक गतिविधि कमज़ोर हुई है, निर्यात वृद्धि को मज़बूत करने में कृषि में प्रत्याशित तेज़ी के साथ कुछ सेवाओं में गतिविधि तेज़ होने के संकेत पहली तिमाही में 4.4 प्रतिशत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि को संपूर्ण वर्ष के लिए 5.0 प्रतिशत तक बढ़ने का केंद्रीय आकलन है। रूकी हुई भारी परियोजनाओं को पुन: सक्रिय होने तथा निवेश पर मंत्री मंडलीय समिति द्वारा अवरोधों को दूर किए जाने से निवेश और वर्ष के अंत तक समग्र गतिविधि में उछाल आ सकता है।

मुद्रास्फीति पर थोक और उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति दोनों को आने वाले महीनों में बढ़े रहने की संभावना है जिसके लिए समुचित नीति कार्रवाई आवश्यक है।

हमने प्रणाली की अपेक्षाओं के लिए चलनिधि प्रबंध को समायोजित किया है। हम ओवरनाइट चलनिधि समायोजन सुविधा रिपो के माध्यम से, निर्यात ऋण पुनर्वित्त के माध्यम से तथा 7-दिवसीय और 14-दिवसीय सावधि रिपो के माध्यम से चलनिधि उपलब्ध करा रहे हैं। हमने प्रारक्षित अपेक्षाओं का प्रबंध करने में व्यापक लचीलापन भी दिया है। तथापि, आगे जाकर आपूर्ति की और मांग के बीच असंतुलनों में कमी के लिए अधिक स्थायी रणनीति वे निधियां हैं जिसके लिए जमाराशियां प्राप्त करने हेतु बैंकों को अपने प्रयास बढ़ाने होंगे।

बाहरी क्षेत्र पर नीति हस्तक्षेपों से जुड़कर व्यापार घाटे में होती हुई स्पष्ट कमी ने विदेशी मुद्रा बाज़ार में कुछ शांति लाई है लेकिन सामान्य स्थिति तभी वापस लाएगी जब सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों से डॉलर की मांग पूर्णत: बाज़ार में वापस आ जाएगी।

नीति रूझान और औचित्य

हमने सितंबर से ही अपवादात्मक चलनिधि उपायों में समायोजित परिवर्तन लाया है। जैसे ही चालू खाता घाटे को रोकने के उपायों का प्रभाव बाह्य वातावरण में सुधार के रूप में आया है तथा विदेशी मुद्रा बाज़ार में कमी हुई है, हमारे लिए यह संभव हो गया है कि अपवादात्मक चलनिधि की कड़ाई के उपायों को शूरू किया जाए। इस समीक्षा में सीमांत स्थायी सुविधा दर में कमी तथा रिपो दर में बढ़ोतरी के साथ ब्याज दर सीमा को सामान्य मौद्रिक नीति परिचालनों के पुन:अनुरूप बनाने की प्रक्रिया अब पूरी हो गई है।

तथापि, वित्तीय बचत में कमी को रोकने तथा वृद्धि के आधार को मज़बूत करने के लिए बढ़ती हुई कीमतों के दबाव के गति को रोकना महत्वपूर्ण है। यह इस संदर्भ में है कि चलनिधि समायोजन सुविधा रिपो दर 25 आधार अंकों तक बढ़ा दी गई है। बढ़े हुए मुद्रास्फीतिकारी दबावों को कम करना तथा मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं का प्रबंध करने से समष्टि आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने से वृद्धि के वातावरण को मज़बूत करने में सहायता मिलेगी। रिज़र्व बैंक उभरती हुई वृद्धि गतिशिलता पर ध्यान रखते हुए मुद्रास्फीति जोखिम पर निकट से निगरानी रखेगा।

विकासात्मक और विनियामक नीतियां

हमने अगले कुछ तिमाहियों के दौरान पांच स्तंभों पर रिज़र्व बैंक के विकासात्मक उपायों का निर्माण करने की योजना बनाई है। वे इस प्रकार हैं:

ए. मौद्रिक नीति ढांचे को स्पष्ट करना और मज़बूत बनाना

बी. नई प्रविष्टि, शाखा विस्तार, बैंकों के नए प्रकारों को प्रोत्साहन, और विदेशी बैंकों को बेहतर विनियमित सांगठनिक स्वरूपों में ले जाने के माध्यम से बैंकिंग संरचना को मज़बूत बनाना

सी. वित्तीय बाज़ारों को वितस्तृत और व्यापक बनाना तथा उनकी चलनिधि और अनुकूलता को बढ़ाना ताकि वे भारत की वृद्धि की वित्तीय सहायता से जुड़ी जोखिमों को अवशोषित करने में सहायता कर सकें।

डी. वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए उपायों के माध्यम से लघु और मध्यम उद्यम, असंगठित क्षेत्र, निर्धन तथा देश के दूरस्थ और वंचित क्षेत्रों के लिए वित्त की पहुंच का विस्तार करना

ई. वास्तविक और वित्त पुनर्संरचना के साथ-साथ ऋण वसूली को मज़बूत बनाते हुए कंपनी चिंता और वित्तीय संस्थाओं की चिंता पर कार्रवाई करने के लिए प्रणाली की सामर्थ्य में सुधार करना

मौद्रिक नीति ढांचे पर कार्रवाई डॉ. ऊर्जित पटेल समिति रिपोर्ट के प्रस्तुतीकरण के बाद होगी। बैंक संरचनाओं और वित्तीय बाज़ारों को मज़बूत करने के लिए कई उपाय घोषित किए जा चुके हैं तथा जैसेही तैयार किए जाएंगे कई और उपाय बाद में घोषित किए जाएंगे। वित्तीय समावेशन के विस्तार के लिए रणनीति की जानकारी डॉ. नचिकेत मोर समिति रिपोर्ट के द्वारा दी जाएगी यद्यपि प्रौद्योगिकी के उपयोग का पता लगाने के उल्लेखनीय उपाय पहले ही शुरू किए जा चुके हैं।

मैं आप सभी को नीति वक्तव्य के भाग बी को देखने का अनुरोध करता हूं कि जिसमें विकासात्मक एवं विनियामक प्रयासों का वर्णन है। मैं उनमें से केवल कुछ महत्वपूर्ण बातों को ही शामिल करूँगा। हम दूसरे उपायों के बारे में चर्चा कर रहे हैं और वास्तविकता यह है मैं उनका उल्लेख नहीं करूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे हमारी सूची में नहीं हैं। उन्हें केवल उस बिन्दु तक ले जाने के लिए और काम करने की जरूरत है जहां उनकी घोषणा की जा सके।

इन उपायों की रचना करते समय हमने उन बातों को ध्यान से सुना है जो हमें बताई गई हैं। उदाहरण के लिए कई बैंकों ने बाजार बंद हो जाने के बाद इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण के निपटान में कठिनाई के बारे में चिंता व्यक्त की है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने सीमांत स्थायी सुविधा परिचालनों के समय को संशोधित किया है। 5 नवम्बर 2013 से वे अपराह्न 4.45 बजे और अपराह्न 5.15 बजे के बजाय अपराह्न 7.00 से अपराह्न 7.00 बजे के बीच आयोजित किए जाएँगे। मेरा ऐसा मानना है कि यह नई समय सारणी बैंकों को उनकी आरक्षित निधियों के प्रबंधन में सहायता करेगी एवं इससे अर्थव्यवस्था के लिए चलनिधि उपलब्ध होगी। दूसरे उपाय इस प्रकार हैं:

  • भारत में प्रतिचक्रीय पूंजी बफर ढांचे के परिचालन के लिए कार्यदल (अध्यक्ष : बी. महापत्र) की रिपोर्ट को अभिमत के लिए नवंबर के अंत में हमारी वेबसाइट पर डाला जाएगा।

  • भारत में प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों पर कार्रवाई के लिए प्रस्तावित ढांचे का प्रारूप नवंबर के अंत में हमारी वेबसाइट पर डाला जाएगा।

  • भारत में विदेशी बैंकों को विगत में प्राय: राष्ट्रीय व्यवहार का वादा दिए जाते समय प्रणाली में उन्हें होने वाली जोखिमों में कमी के लिए अनुषंगी कंपनियों की योजना को दो सप्ताह के भीतर हमारी वेबसाइट पर डाला जाएगा।

  • खुदरा निवेशकों के लिए मुद्रास्फीति सूचकांकित राष्ट्रीय बचत प्रतिभूति (आईआईएनएसएस) को नवम्बर/दिसंबर 2013 में शुरू किया जाएगा।

  • नकद रूप से निपटाए गए दस -वर्षीय ब्याज दर फ्यूचर्स संविदाओं पर दिशानिर्देश नवम्बर के मध्य में जारी किए जाएँगे ताकि इस उत्पाद की शुरुआत शेयर बाजारों द्वारा दिसंबर के अंत तक की जा सके।

  • भारतीय रिजार्व बैंक और इसकी विनियमित संस्थाओं के बीच चर्चा को बढ़ाने के लिए एफ़एसएलआरसी रिपोर्ट से कई सुझाव लागू किए जा रहे हैं।

ध्यानपूर्वक सुनने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ तथा रिज़र्व बैंक की ओर से मैं आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएँ देता हूँ।''

अल्पना किल्लावाला
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/872


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