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मास्टर निदेशों

मुद्रा तिजोरी लेनदेनों की विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना न देने पर दंडात्मक ब्याज लगाना और अपात्र राशियों को मुद्रा तिजोरी शेषों में शामिल करने पर मास्टर अनुदेश

आरबीआई/2021-22/77
मास्टर अनुदेश डीसीएम(सीसी) सं. जी-4/03.35.01/2021-22

01 अप्रैल 2021

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी
समस्त बैंक

महोदया/प्रिय महोदय,

मुद्रा तिजोरी लेनदेनों की विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना न देने पर दंडात्मक ब्याज लगाना और अपात्र राशियों को मुद्रा तिजोरी शेषों में शामिल करने पर मास्टर अनुदेश

भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की प्रस्तावना की धारा 45 के तहत और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के अनुसार बैंक अपने स्वच्छ नोट नीति के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दिशानिर्देश / अनुदेश जारी करता है। इन प्रयासों को बनाए रखने और मुद्रा तिजोरियों के लेनदेन की समय पर और सटीक रिपोर्टिंग के लिए बैंक के बीच अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए, हमने इस विषय पर अनुदेश जारी किए हैं ।

2. मास्टर अनुदेशों में उक्त विषय पर अद्यतन अनुदेश / दिशानिर्देश संलग्न हैं । जब कभी नए अनुदेश जारी किए जाएंगे उन अनुदेशों को समय समय पर अद्यतन किया जाएगा ।

3. ये मास्टर अनुदेश भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर रखे गए हैं ।

भवदीय

(ईशान शुक्ला)
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक : यथोक्त


अनुबंध

मुद्रा तिजोरी लेनदेनों की विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना न देने पर दंडात्मक ब्याज लगाना और अपात्र राशियों को मुद्रा तिजोरी शेषों में शामिल करने पर मास्टर अनुदेश

1. मुद्रा तिजोरी लेनदेनों की विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना न देने पर दण्डात्मक ब्याज

1.1 मुद्रा तिजोरी लेनदेनों की सूचना

मुद्रा तिजोरियों में जमा करने/मुद्रा तिजोरियों से आहरण करने की न्यूनतम राशि 1,00,000/- रुपये होगी और उसके बाद से यह 50,000/- रुपये के गुणकों में होगी ।

1.2 सूचना देने के लिए निर्धारित समय -सीमा

1.2.1 मुद्रा तिजोरियाँ सीवायएम – सीसी पोर्टल के समस्त लेनदेनों की रिपोर्ट अनिवार्य रूप से उसी दिन साँय 7 बजे तक देंगी ।

1.2.2 बैंकों में हड़ताल के दौरान छूट

सामान्य / विशेष हड़ताल की स्थिति में, सूचना देने की अवधि में छूट देने पर मामला दर मामला विचार किया जाएगा ।

1.3 दण्डात्मक ब्याज लगाना

1.3.1 रिपोर्टिंग में विलंब

मुद्रा तिजोरी की लेनदेनों की विलंब से सूचना देने के मामलों में इस परिपत्र के पैरा-3 में निर्दिष्ट दर से, विलंब की अवधि के लिए, दण्डात्मक ब्याज, तिजोरी वाले बैंक से बकाया राशि पर लगाया जायेगा । दण्डात्मक ब्याज की गणना टी+0 आधार पर की जाएगी अर्थात् मुद्रा तिजोरियों द्वारा तिजोरी लेनदेनों की सूचना निर्गम कार्यालय को उसी कारोबार दिवस उक्त उल्लिखित निर्धारित समय सीमा में नहीं देने पर दण्डात्मक ब्याज लगाया जायेगा ।

1.3.2 गलत सूचना देना

गलत सूचना देने के मामलों में भी रिज़र्व बैंक से संशोधित सूचना प्राप्त होने की तारीख तक की अवधि के लिये उपर्युक्त की भाँति दण्डात्मक ब्याज लगाया जायेगा । चूँकि बैंक के चालू खातों में नामे/जमा मुद्रा तिजोरियों द्वारा विवरणी में सूचित की गई सूचना के आधार पर किए जाते हैं, अत: मुद्रा तिजोरी द्वारा गलत रिपोर्ट किए गए सभी मामलों में दंडात्मक ब्याज अनिवार्यत: लगाया जाएगा । यह अपेक्षा की जाती है कि मुद्रा तिजोरियाँ कार्यालय सीवायएम – सीसी पोर्टल पर रिपोर्ट किए गये आंकड़ों की परिशुद्धता सुनिश्चित करें । यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष सावधानी बरती जाए कि मुद्रा तिजोरियों को प्रेषित नये नोट/टों के प्रेषणों को, लेन देन जमा के रुप में न दिखाए जाए ।

1.3.3 मुद्रा तिजोरी शेषों में अपात्र राशियों के समावेश पर दंडात्मक ब्याज

(i) ऐसे सभी मामलों में दण्डात्मक ब्याज लगाया जाता है, जिसमें बैंकों द्वारा लेनदेन की गलत / विलंब से सूचना देने / सूचना नहीं देने के कारण बैंकों को रिज़र्व बैंक के पास उनके चालू खाते में ‘अनुचित’ जमा का लाभ मिला है । "दंड" की वर्तमान योजना के अनुसार तिजोरी शेष / विप्रेषण में कमी के मामलों में, चोरी / धोखाधड़ी के कारण कमियों के मामले में, तिजोरी शेष / विप्रेषण में पाये गये जाली बैंकनोटों के कारण भी दण्डात्मक उपाय किए जाएंगे ।

(ii) आगे, केवल संयुक्त अभिरक्षकों की अभिरक्षा में रखी गई तथा उन्हें “निर्बाध रुप से उपलब्ध” नकदी राशि ही तिजोरी शेषों में शामिल किये जाने योग्य है । इस प्रकार, सुरक्षित अभिरक्षा के लिए किसी भी कारण से सील कवर में रखी नकदी राशि / संयुक्त अभिरक्षकों के अलावा किसी अधिकारी/अधिकारियों के ताले से बंद ट्रंकों/बिनों में रखी नकदी राशि या संयुक्त अभिरक्षकों के दो तालों के अलावा किसी अन्य अधिकारी द्वारा तीसरा ताला लगाये जाने पर वह राशि मुद्रा तिजोरी शेषों में शामिल किये जाने योग्य नहीं होगी । इस प्रकार की नकदी राशि यदि मुद्रा तिजोरी शेषों में मिला दी जाती है तो इसे गलत सूचना के रूप में माना जायेगा और उस राशि पर पैराग्राफ 3 में निर्दिष्ट दर से दंडात्मक ब्याज लगाया जाएगा ।

(iii) उपर्युक्त सभी मामलों में (चोरी / धोखाधड़ी, तिजोरी शेष / विप्रेषण में पाये गये जाली बैंक नोटों के कारण तिजोरी शेष / विप्रेषण में कमियों को छोड़कर), अपात्र राशि को तिजोरी शेषों में शामिल किये जाने की तारीख से लेकर तिजोरी शेषों से यह राशि निकाल दिये जाने की तारीख तक के लिए दंडात्मक ब्याज लगाया जाएगा । "दंड" की वर्तमान योजना के अनुसार तिजोरी शेष / विप्रेषण में कमी के मामलों में, चोरी / धोखाधड़ी के कारण, तिजोरी शेष / विप्रेषण में पाये गये जाली बैंकनोटों के कारण दंड के उपाय भी किए जाएंगे ।

2. दण्ड लगाना

2.1 भारतीय रिज़र्व बैंक को गंदे नोटों के विप्रेषण

भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजे गए गंदे नोटों के विप्रेषण को तिजोरी/रियों द्वारा आहरण के रूप में नहीं दिखाना चाहिये । यदि आरबीआई को ऐसे प्रेषणों को गलती से आहरण के रूप में दिखाया जाता है तो, विप्रेषण मूल्य/ गलत सूचना की अवधि पर विचार किये बिना निरपेक्ष रूप से रू. 50,000/- का दंड लगाया जायेगा ।

2.2 सीवायएम – सीसी पोर्टल में विपथनों की सूचना :

सभी मुद्रा तिजोरियों के विपथनों (उसी बैंक की तिजोरियों के बीच तथा अन्य बैंकों की तिजोरियों के बीच दोनों के लिए) को सीवायएम – सीसी पोर्टल के ‘विपथन मॉड्यूल” के माध्यम से रिपोर्ट किया जाए । विपथन प्रेषित करने वाली मुद्रा तिजोरी विपथन प्रविष्टि प्रारम्भ करेगी । प्राप्तकर्ता मुद्रा तिजोरी इसकी प्राप्ति सूचना देगी । किसी भी स्थिति में विपथन को जमा / आहरण के रूप में रिपोर्ट नहीं किया जाए । इस प्रकार की गलत रिपोर्टिंग के लिए रु. 50,000 का दण्ड लगाया जाएगा ।

2.3 देरी से रिपोर्टिंग जहां मुद्रा तिजोरियों के पास “निवल जमा” है

रिपोर्टिंग में देरी के मामलों में, जहां मुद्रा तिजोरी ने “निवल जमा” रिपोर्ट किया था, प्रचलित दर से दण्डात्मक ब्याज प्रभारित नहीं किया जाए। यद्यपि, मुद्रा तिजोरी के लेन देन की रिपोर्टिंग को सुचारू रूप से अनुशासित करने के क्रम में, मुद्रा तिजोरियों को देरी से रिपोर्टिंग करने के लिए निवल जमा के मूल्य पर ध्यान दिए बिना निरपेक्ष रूप से एक समान दर से रू. 50000/- का दण्ड लगाया जाए ।

3. दंडात्मक ब्याज की दर

विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना न देने की अवधि/ मुद्रा तिजोरी शेषों में अपात्र राशियों को शामिल करने के बारे में प्रचलित बैंक दर से ऊपर अधिक 2% के हिसाब से दंडात्मक ब्याज लगाया जायेगा ।

4. अभ्यावेदन

4.1 चूँकि विलम्ब से सूचना के मामलों में दिनों की संख्या दंडात्मक ब्याज लगाये जाने का मुख्य मानदंड है, अत: सामान्यतया बैंकों के लिये इस बात की गुंजाइश नहीं बचती कि वे किसी मामले में रिज़र्व बैंक के निर्णय पर पुनर्विचार हेतु अनुरोध करें। तथापि, खासकर पहाड़ी/दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित मुद्रा तिजोरियों/प्राकृतिक आपदाओं आदि से पीड़ित अन्य मुद्रा तिजोरियों के प्रत्यावेदन, यदि कोई हों तो, वास्तविक कठिनाइयों के आधार पर, उन प्रत्यावेदनों को संबधित निर्गम कार्यालय को संबंधित बैंक को नामे करने की तारीख से 1 महीने के भीतर उस बैंक के प्रधान /नियंत्रक कार्यालय के माध्यम से भेजा जा सकता हैं ।

4.2 गलत सूचना देने के मामलों में छूट देने हेतु अभ्यावेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा (देखे उपर्युक्त पैरा 1.3.2) ।

4.3 दंडात्मक ब्याज लगाये जाने के पीछे धारणा यह है कि बैंकों में त्वरित/सही रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिये अनुशासन की भावना उत्पन्न हो, अत: बैंकों द्वारा विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना न देने के लिए दिये गये तर्क जैसे कि उससे भारतीय रिज़र्व बैंक की निधियों के उपयोग में कोई परिणाम नहीं होना, आरक्षित नकदी निधि अनुपात/सांविधिक चल निधि अनुपात को बनाए रखने में कोई कमी न होना, लिपिकीय त्रुटि, गैर इरादतन अथवा अंकगणितीय त्रुटि/प्रथम त्रुटि/ अनुभवी स्टाफ के अभाव, आदि को दंडात्मक ब्याज से छूट के लिये वैध कारण नहीं माना जायेगा ।


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