28 सितंबर 2022
भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ऋण पर मूल सांख्यिकीय
विवरणी - मार्च 2022
आज भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर डाटाबेस पोर्टल (डीबीआईई) (वेबलिंक https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!19) पर ‘भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) द्वारा ऋण पर मूल सांख्यिकीय विवरणी – मार्च 2022’1 नामक वेब प्रकाशनी जारी किया। इस प्रकाशनी में वार्षिक मूल सांख्यिकीय विवरणी (बीएसआर)-1 प्रणाली के अंतर्गत एससीबी (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) द्वारा प्रस्तुत डाटा के आधार पर बैंक ऋण की विभिन्न विशेषताओं से संबंधित जानकारी दी गई है, जो उधारकर्ता के खाते का प्रकार, संगठन, पेशा/ गतिविधि और उधारकर्ता की श्रेणी, ऋण उपयोग करने वाले स्थान का जिला और जनसंख्या समूह, ब्याज दर, ऋण सीमा तथा बकाया राशि से संबंधित जानकारी संग्रहित करता है2।
प्रमुख निष्कर्ष:
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शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखाओं ने मार्च 2022 में ऋण में दोहरे अंकों की वार्षिक वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) बनाए रखी, जबकि महानगरीय शाखाओं के लिए ऋण वृद्धि पिछले वर्ष के 1.4 प्रतिशत से बढ़कर 9.2 प्रतिशत हो गई।
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पिछले पांच वर्षों में, बैंकों की महानगरीय शाखाओं की कीमत पर ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी शाखाओं की ऋण हिस्सेदारी बढ़ी हैं, जो अभी भी मार्च 2022 में एससीबी के कुल ऋण का लगभग 60 प्रतिशत (पांच वर्ष पहले 65.2 प्रतिशत) था।
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सभी बैंक समूहों ने 2021-22 के दौरान मजबूत ऋण वृद्धि दर्ज की।
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कुल बैंक ऋण में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की घटती हिस्सेदारी जारी है: एससीबी द्वारा कुल ऋण में पीएसबी की हिस्सेदारी मार्च 2022 में 54.8 प्रतिशत थी, जो पांच वर्ष पहले 65.8 प्रतिशत और दस वर्ष पहले 74.2 प्रतिशत थी। दूसरी ओर, निजी क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी पिछले दस वर्षों में लगभग दोगुनी होकर 36.9 प्रतिशत हो गई।
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मार्च 2022 में कृषि ऋण में 12.2 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई; औद्योगिक क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण में 2021-22 में 4.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि इससे पिछले वर्ष में इसमें गिरावट देखी गई थी।
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पिछले दशक में, कुल ऋण में औद्योगिक ऋणों का हिस्सा धीरे-धीरे घट रहा है जबकि, व्यक्तिगत ऋणों का हिस्सा बढ़ रहा है; मार्च 2022 में इन दोनों क्षेत्रों में प्रत्येक की लगभग 27 प्रतिशत ऋण हिस्सेदारी थी।
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जैसा कि हाल के वर्षों में खुदरा क्षेत्र से ऋण की मांग काफी भिन्न हो गई है, छोटे आकार के ऋणों का हिस्सा भी लगातार बढ़ रहा है। समय के साथ ऋण के आकार पर मूल्य प्रभाव के बावजूद, एक करोड़ रुपये तक के ऋण का हिस्सा मार्च 2022 में बढ़कर लगभग 48 प्रतिशत हो गया है, जो पांच वर्ष पहले लगभग 39 प्रतिशत था, जबकि दस करोड़ रुपये से अधिक के ऋण का हिस्सा इसी अवधि में लगभग 49 प्रतिशत से घटकर लगभग 40 प्रतिशत हो गया है।
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मार्च 2022 में 7.0 प्रतिशत से कम ब्याज दर वाले ऋणों की हिस्सेदारी बढ़कर 23.6 प्रतिशत हो गई, जो एक वर्ष पहले 15.1 प्रतिशत थी।
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लगभग 95 प्रतिशत ऋण का उपयोग उन राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में किया गया था, जहां उन्हें मंजूरी दी गई थी।
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एससीबी द्वारा दिए गए ऋण में महाराष्ट्र (26.2 प्रतिशत), राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली (11.3 प्रतिशत), तमिलनाडु (9.2 प्रतिशत) और कर्नाटक (6.8 प्रतिशत) का संयुक्त रूप से आधा से अधिक हिस्सा है।
रूपांबरा
निदेशक (संचार)
प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/953
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