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केंद्रीय बोर्ड निदेशकों का प्रोफ़ाइल
श्री अजय सेठ
सुश्री रेवती अय्यर
प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी
श्री आनंद गोपाल महिंद्रा
श्री वेणु श्रीनिवासन
श्री पंकज रमणभाई पटेल
डॉ. रवीन्द्र एच. धोलकिया
श्री सतीश काशीनाथ मराठे
श्री स्वामीनाथन गुरुमूर्ति
डॉ. विवेक जोशी

श्री अजय सेठ
Shri Ajay Seth

अजय सेठ सार्वजनिक व्यय, कर नीति और प्रशासन, बजट, लेखा, परियोजना मूल्यांकन, विदेशी निवेश, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वित्तीय सहयोग, विकास वित्तपोषण, सार्वजनिक-निजी-भागीदारी, विद्यालयी शिक्षा, स्वास्थ्य, शहरी परिवहन और अवसंरचना संबधी मामलों से संबंधित सार्वजनिक वित्त, सामाजिक क्षेत्र प्रशासन, शहरी परिवहन और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में अपना अधिकांश पेशेवर अनुभव रखनेवाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य हैं।

33 वर्षों के अपने करियर में, वे सार्वजनिक वित्त और कराधान के क्षेत्र में 18 वर्षों तक तथा भारत सरकार, कर्नाटक सरकार और एशियाई विकास बैंक में विभिन्न पदों पर सामाजिक क्षेत्र और शहरी परिवहन एवं अवसंरचना प्रत्‍येक क्षेत्र में लगभग 3 वर्षों तक रहे हैं।

उन्‍हें "कर्नाटक में वाणिज्यिक कर प्रशासन में परिवर्तन" के लिए गठित टीम के सदस्य होने के नाते, 2013 में लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार प्राप्‍त हुआ है।

उन्‍होंने रुड़की विश्वविद्यालय और एटिनियो डी मनीला विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्‍त की है।

उन्होंने 15 अप्रैल 2021 को सचिव-आर्थिक कार्य का पद ग्रहण किया।

सुश्री रेवती अय्यर
Ms. Revathy Iyer

सुश्री रेवती अय्यर पूर्व उप नियंत्रक और महालेखापरीक्षक – सरकारी लेखा (दिसंबर 2013 - मई 2014) थीं। इससे पहले, वे अपर उप नियंत्रक और महालेखापरीक्षक – पूर्वी राज्‍य (सितंबर 2012 - दिसंबर 2013) थीं और वह आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी राज्‍यों के लेखे पर सीएजी लेखापरीक्षा रिपोर्टों के लिए उत्‍तरदायी थीं। अक्‍तूबर 2007 - मार्च 2012 के दौरान, सुश्री अय्यर ने परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार में संयुक्‍त सचिव के रूप में सेवा प्रदान की और उक्‍त विभाग में नीति निर्माण/पर्यवेक्षण, कार्यक्रम/गतिविधियों के बजट एवं कार्यान्‍वयन का कार्य निष्‍पादित किया।

सुश्री रेवती अय्यर ने 1980 में भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा सेवा में कार्य ग्रहण किया तथा महाराष्‍ट्र और दिल्‍ली लेखा और लेखापरीक्षा कार्यालय में सहायक महालेखाकार (1981-1984), दिल्‍ली, आंध्र प्रदेश और मध्‍य प्रदेश में क्षेत्र लेखापरीक्षा और लेखा कार्यालयों में उप महालेखाकार / वरिष्‍ठ उप महालेखाकार (1984 -1990), उप सचिव (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) (1990-1994), सहायक नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (एन) (1994 - 1996), प्रधान/मुख्‍य लेखापरीक्षक (केंद्रीय रेलवे – जुलाई 1996 - जुलाई 1998) और उत्‍तरी रेलवे (जुलाई 1998 - मार्च 2001), प्रधान निदेशक (स्‍टाफ) (अप्रैल 2001 - मार्च 2003), भारतीय उच्‍चायोग में मंत्री (लेखापरीक्षा) (अप्रैल 2003 - मार्च 2005), प्रधान वाणि‍ज्यिक लेखापरीक्षा निदेशक और पदेन सदस्‍य, लेखापरीक्षा बोर्ड - ।।, मुंबई (अप्रैल 2005 - अक्‍तूबर 2007) जैसे पदों को धारित किया।

सुश्री अय्यर सरकारी लेखा मानकों को औपचारिक रूप देने और समान सामान्‍य लेखा मानकों के ढांचे के तहत सरकार के विभिन्‍न स्‍कंधों में प्रचलित लेखा प्रणाली और प्रक्रियाओं को एकीकृत करने के लिए 2002 में गठित सरकारी लेखा मानक सलाहकार बोर्ड (जीएएसएबी) की अध्‍यक्ष थीं।

सेवानिवृत्ति के बाद, उन्‍होंने एक अंतरराष्‍ट्रीय एनजीओ (इनजेंडर हेल्‍थ) में निदेशक वित्‍त और परिचालन के रूप में सितंबर 2015 से मार्च 2017 तक कार्य किया।

दिनांक 28 मई 1954 को जन्‍मीं, सुश्री रेवती अय्यर ने दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय से रसायन शास्‍त्र में स्‍नात्‍कोत्‍तर किया है।

प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी
Prof. Sachin Chaturvedi
डॉ. सचिन चतुर्वेदी नई दिल्‍ली संस्थित एक स्‍वायत्‍त विचारक मंडल ‘विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (आरआईएस)’ में महानिदेशक हैं। वे येल विश्‍वविद्यालय में मैकमिलन सेंटर फॉर इंटरनेशनल अफेयर्स में ग्‍लोबल जस्टिस फेलो भी थे। वे विकास सहयोग नीतियों और दक्षिण-दक्षिण सहयोग से संबं‍धित मुद्दों पर कार्य करते हैं। उन्‍होंने डब्‍ल्‍यूटीओ पर विशेष फोकस के साथ व्‍यापार और नवाचार सहबद्धताओं पर भी कार्य किया है। डॉ. चतुर्वेदी ने जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय (जेएनयू) में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में सेवा प्रदान की है और अन्‍य संगठनों के साथ-साथ, संयुक्‍त राष्‍ट्र खाद्य और कृषि संगठन, विश्‍व बैंक, यूएन-ईएससीएपी, यूनेस्‍को, ओईसीडी, राष्‍ट्रमंडल सचिवालय, आईयूसीएन, भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा पर्यावरण और वन मंत्रालय में परामर्शदाता के रूप में भी कार्य किया है। वे एम्‍स्‍टर्डम विश्‍वविद्यालय में विकासशील देश फेलो (1996), उच्‍चस्‍तरीय अध्‍ययन संस्‍थान, शिमला में विजिटिंग फेलो (2003) और जर्मन विकास संस्‍थान में विजिटिंग स्‍कॉलर (2007) रहे हैं। उनके अनुभव में डच विदेश मंत्रालय द्वारा समर्थित, विकासशील देशों के लिए अंतरराष्‍ट्रीय विकास सहयोग और जैव प्रौद्योगिकी पर परियोजना पर एम्‍स्‍टर्डम विश्‍वविद्यालय में कार्य करना शामिल है। वे आईडीएस बुलेटिन (यूके) के संपादकीय सलाहकार बोर्ड पर हैं और एशियाई जैव प्रौद्येगिकी विकास समीक्षा के संपादक हैं। विभिन्‍न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कई शोध लेखों के प्रकाशन के अतिरिक्‍त, उन्‍होंने नौ पुस्‍तकों को लिखा एवं संपादित किया है।
श्री आनंद गोपाल महिंद्रा
Shri Anand Gopal Mahindra

श्री आनंद महिंद्रा, महिंद्रा समूह और महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के अध्यक्ष हैं। उनके कार्यकाल में समूह ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑटोमोबाइल और कृषि से लेकर आईटी और एयरोस्पेस तक विभिन्‍न प्रकार के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में विस्तार किया है। समूह, स्वराज ट्रैक्टर, रेवा इलेक्ट्रिक कार कंपनी, सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज, प्यूज़ो मोटरसाइकिल, एयरोस्टाफ ऑस्ट्रेलिया, हॉलिडे क्लब रिसॉर्ट्स और पिनिनफेरिना एस.पी.ए. जैसे अधिग्रहणों के माध्यम से इनॉर्गैनिक रूप से भी विकसित हुआ है।

उन्होंने कई प्रभावशाली राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निकायों में कार्य किया है। इनमें संयुक्‍त राष्‍ट्र ग्लोबल कॉम्पेक्ट बोर्ड, विदेश संबंध परिषद के वैश्विक सलाहकार बोर्ड, विश्‍व बैंक समूह के एडवाइजरी बोर्ड फॉर डूइंग बिजनेस और सिंगापुर के आर्थिक विकास बोर्ड का अंतरराष्‍ट्रीय सलाहकार परिषद शामिल है। वे भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष रहे हैं और उन्होंने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया और नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च के बोर्ड में कार्य किया है। वे वर्तमान में इन्वेस्ट इंडिया, नेशनल इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन एजेंसी के बोर्ड में हैं।

श्री महिंद्रा को 'व्यापार और उद्योग' के क्षेत्र में राष्ट्र के लिए उनके योगदान हेतु भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण पुरस्कार (2020) से सम्मानित किया गया है। उन्हें दुनिया भर में शीर्ष 30 सीईओ की बैरन की सूची (2016) और फॉर्च्यून पत्रिका की दुनिया के 50 महानतम नेताओं की सूची (2014) में नामित किया गया है। उन्‍हें एशियन सेंटर फॉर कॉरपोरेट गवर्नेंस एंड सस्टेनेबिलिटी (2012) द्वारा सर्वश्रेष्ठ परिवर्तनकारी नेता पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें फ्रांसीसी गणराज्य के राष्ट्रपति द्वारा 'नाइट इन द नेशनल ऑर्डर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर' (2016) नियुक्त किया गया था और इटली के राष्ट्रपति द्वारा उन्हें 'ग्रैंड ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इटली' (2013) से सम्मानित किया गया था।

श्री महिंद्रा ट्विटर पर 8.5 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स के साथ एक कुशाग्र व्यावसायिक टिप्पणीकार और मानवतावादी हैं। उनकी बहुत सारी सामाजिक परिवर्तन पहलों में एक है नन्ही कली कार्यक्रम, जिसने पिछले दो दशकों से 330,000 से अधिक अल्‍पसुविधा-प्राप्‍त लड़कियों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुंच प्रदान की है। श्री महिंद्रा भारत के अग्रणी गैर सरकारी संगठन नंदी फाउंडेशन के बोर्ड के अध्यक्ष हैं, जो लड़कियों को शिक्षित करने, युवाओं को कौशल प्रदान करने और बायोडायनामिक कृषि के माध्यम से छोटे किसानों को स्थायी आजीविका प्रदान करने पर केंद्रित है। श्री महिंद्रा 2 बिलियन डॉलर के इंपैक्‍ट फंड, द राइज फंड के संस्थापक बोर्ड में भी कार्यरत हैं।

वे कला और संस्कृति के प्रबल समर्थक हैं। महिंद्रा ब्लूज़, महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स और महिंद्रा सनतकदा भारत में संगीत, थिएटर संस्कृति, कला और इतिहास का उत्‍सव मनाते हैं और उसका परिपोषण करते हैं। श्री महिंद्रा लिंकन सेंटर, न्यूयॉर्क की वैश्विक सलाहकार परिषद के सदस्य हैं और इससे पहले लंदन के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के न्यासी बोर्ड में कार्य कर चुके हैं।

2014 में, श्री महिंद्रा ने कबड्डी के प्राचीन और लोकप्रिय भारतीय खेल को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रो कबड्डी लीग की स्थापना की। स्टार टेलीविजन नेटवर्क के माध्यम से टेलीविजन पर प्रसारित होने वाली इस लीग का उद्देश्य क्रिकेट के विपरीत कबड्डी के लिए एक नया लोकप्रिय प्रशंसक वर्ग बनाना है।

श्री महिंद्रा ने हार्वर्ड कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की (1977) और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया (1981)।

श्री वेणु श्रीनिवासन
Shri Venu Srinivasan

श्री वेणु श्रीनिवासन दुनिया के बड़े दोपहिया विनिर्माताओं में से एक टीवीएस मोटर कंपनी और भारत में ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स की एक अग्रणी विनिर्माता कंपनी सुंदरम-क्लेटन लिमिटेड के एमिरिटस अध्‍यक्ष हैं। वह भारत के सबसे सम्मानित और सबसे बड़े परोपकारी फाउंडेशन टाटा ट्रस्ट्स के उपाध्यक्ष और टाटा समूह के बहुसंख्यक शेयरधारक भी हैं।

श्री श्रीनिवासन ने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, चेन्नई, भारत से इंजीनियरिंग और पर्ड्यू विश्वविद्यालय, यूएसए से प्रबंधन में स्‍नात्‍कोत्‍तर की उपाधि प्राप्‍त की है।

श्री श्रीनिवासन ने भारतीय उद्योग में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जैसे कि अध्यक्ष, भारतीय उद्योग परिसंघ और अध्यक्ष, सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स।

श्री श्रीनिवासन को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्‍त हुए हैं, जिनमें भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण शामिल है। कोरिया-भारत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए उन्‍हें कोरिया के राष्ट्रपति द्वारा प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान "ऑर्डर ऑफ डिप्लोमैटिक मेरिट" (ह्यूंग-इन मेडल) प्रदान किया गया।

श्री श्रीनिवासन को जापानी यूनियन ऑफ साइंटिस्ट्स एंड इंजीनियर्स (जेयूएसई) द्वारा डेमिंग डिस्टिंग्विश्ड सर्विस अवार्ड फॉर डिसेमिनेशन और प्रमोशन (ओवरसीज) अवार्ड (2019); एशिया में गुणवत्ता के लिए सर्वोच्च निकाय, एशियन नेटवर्क ऑफ़ क्वालिटी द्वारा इशिकावा-कानो अवार्ड (2012) से सम्मानित किया गया। उनके नेतृत्व में, उनकी कंपनियों को 2002 में डेमिंग पुरस्कार और जापानी गुणवत्ता पदक से सम्मानित किया गया।

हमारी अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धात्मकता और गुणवत्ता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दुनिया भर में 80 से अधिक देशों में उनकी कंपनी की बाजार उपस्थिति के माध्यम से प्रकट होती है।

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाकर ग्रामीण भारत के परिवर्तन के लिए श्री श्रीनिवासन के समर्पण को श्रीनिवासन सर्विसेज ट्रस्ट की स्थापना के प्रति उनके जुनून से देखा जा सकता है, जिसने पिछले 26 वर्षों में देश भर के 2500 गांवों में 1.6 मिलियन लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।

श्री पंकज रमणभाई पटेल
Shri Pankaj Ramanbhai Patel

श्री पंकज रमणभाई पटेल, जाइडस लाइफसाइंसेज लिमिटेड के अध्यक्ष हैं, जो एक खोज-संचालित, वैश्विक लाइफसाइंसेस कंपनी है, जिसका संचालन दुनिया भर के 55 देशों में है। दिग्गज और दूरदर्शी, श्री पटेल अनुसंधान और तकनीकी-वाणिज्यिक विशेषज्ञता दोनों का मेल हैं। उन्होंने समकक्ष समीक्षित पत्रिकाओं में 100 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और वे 64 से अधिक पेटेंट में सह-आविष्कारक हैं।

श्री पटेल आईआईएम उदयपुर के अध्यक्ष और आईआईएम अहमदाबाद और इन्वेस्ट इंडिया के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य सहित कई संस्थानों के बोर्ड में हैं। वह भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के शासी बोर्ड के सदस्य भी हैं। वह इंटरनेशनल जेनरिक एंड बायोसिमिलर्स एसोसिएशन (आईजीबीए) की सीईओ सलाहकार समिति के सदस्य भी हैं। श्री पटेल फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के पूर्व अध्यक्ष हैं। वे कई गैर-लाभकारी और धर्मार्थ संस्थानों के बोर्ड में भी कार्यरत हैं। श्री पटेल गुजरात कैंसर सोसायटी के कार्यपालक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और ट्रस्टी और क्षेत्रीय कैंसर केंद्र और भारत के सबसे बड़े कैंसर केंद्रों में से एक, गुजरात कैंसर और अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष हैं, जो जरूरतमंद और अल्‍पसुविधा-प्राप्‍त कैंसर रोगियों का उचार करता है। वे बधिर और मूक विद्यालय, अहमदाबाद के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत हैं। वे जाइडस फाउंडेशन के बोर्ड में निदेशक और अध्यक्ष भी हैं, जिसने जाइडस अस्पताल और मेडिकल कॉलेज दाहोद की स्थापना की।

भारत में स्वास्थ्य सेवा उद्योग में उनके योगदान को मान्यता प्रदान करते हुए, श्री पंकज पटेल को आचार्य पीसी रे मेमोरियल गोल्ड मेडल अवार्ड और प्रतिष्ठित फार्मासिस्ट अवार्ड, सीएनबीसी द्वारा संस्‍थापित इंडिया बिजनेस लीडर्स अवार्ड्स में इंडिया इनोवेटर अवार्ड सहित कई पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। उनके उद्यमशील दृष्टिकोण के लिए, उन्हें लाइफ साइंसेज श्रेणी में अर्न्स्ट एंड यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।

16 मार्च 1953 को करमसाद, गुजरात में जन्मे, श्री पटेल ने एलएम कॉलेज ऑफ फार्मेसी, अहमदाबाद से फार्मास्यूटिक्स और फार्मास्युटिकल टेक्नोलॉजी में स्‍नातकोत्‍तर किया है।

डॉ. रवीन्द्र एच. धोलकिया
Dr Ravindra H. Dholakia

डॉ. रवीन्द्र एच. धोलकिया के पास आईआईएम अहमदाबाद (1985 से 2018); एम. एस. यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा (1980-1985); और एसपीआईईएसआर अहमदाबाद (1977-80) में लगभग 45 वर्षों का शिक्षण, अनुसंधान, प्रशिक्षण और परामर्श का अनुभव है। उनकी अनुसंधान रुचि के क्षेत्र समष्टि आर्थिक नीतियां; कृषि, शहरीकरण, श्रम, उत्पादकता, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित वृद्धि और विकास; राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय लेखे हैं। उन्हें भारत में उच्‍चाधिकार-प्राप्‍त नीति निर्धारक और मूल्यांकन निकायों में काम करने का काफी व्यावहारिक अनुभव है जैसे कि भारत की पहली मौद्रिक नीति समिति के सदस्य, जो नीतिगत दरों को निर्धारित करती है (2016-20); भारत में 10 मिलियन से अधिक कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में संशोधन का निर्णय लेने वाले छठे केंद्रीय वेतन आयोग (2006-08) के सदस्य; सीएजी की 10वीं सलाहकार बोर्ड (2021-23) की उच्च स्तरीय समितियों के सदस्य, बैंक उधारकर्ताओं को राहत के आकलन (2020), भारत में डाक नेटवर्क के उपयोग (2014), एयर इंडिया के लिए वेतन युक्तिकरण और पुनर्रचना (मई 2011- मार्च 2012), लोक व्यय प्रबंधन (2009-10), और बचत और निवेश अनुमान (2008-09) पर भारत सरकार द्वारा नियुक्त समितियों में सदस्य के रूप में सहायता प्रदान करना। उन्होंने गुजरात सरकार द्वारा नियुक्त, कोविड-19 महामारी के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था में राजकोषीय पुनर्रचना (2020), राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों की पुनर्रचना (2004-08) सहित आर्थिक पुनरुद्धार उपायों पर विशेषज्ञ समिति, लोक ऋण प्रबंधन समिति (2005-06), और राज्य लोक वित्त सुधार समिति (1998 - 2000) के सदस्य के रूप में भी काम किया। डॉ. धोलकिया ने सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्तीय क्षेत्र सांख्यिकी (2016-18), उप-राष्ट्रीय लेखा (2018-20) पर, और नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एयर इंडिया में लागत बचत और संसाधन उपयोग अनुकूलन (2013) पर नियुक्त समितियों की अध्यक्षता की है। उन्होंने भारत में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में कई परामर्श कार्य किए हैं और डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, विश्व बैंक, यूएनडीपी, हेवलेट फाउंडेशन, संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र-मंगोलिया, आदि जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए काम किया है। उन्होंने 49 मोनोग्राफ, 23 पुस्तकें, और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्‍त पत्रिकाओं में प्रकाशित 140 से अधिक शोध पत्र लिखे हैं और 41 छात्रों को डॉक्टरेट की उपाधि के लिए सफलतापूर्वक निर्देशित किया है। डॉ. धोलकिया ने गुजरात स्टेट फाइनेंशियल सर्विसेज, नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज, विद्युत वित्‍त निगम, राज्‍य व्‍यापार निगम, एयर इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, अदानी पोर्ट्स और विशेष आर्थिक क्षेत्र, अदानी एंटरप्राइजेज, अदानी ट्रांसमिशन, गुजरात राज्‍य पेट्रोलियम निगम, गुजरात राज्‍य उर्वरक और रसायन, गुजरात उद्योग विद्युत कंपनी, आदि के बोर्ड में एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में कार्य किया है।

श्री सतीश काशीनाथ मराठे
Shri Satish Kashinath Marathe

श्री सतीश मराठे, जिनका जन्‍म 1 फरवरी 1950 को हुआ, ने मुंबई विश्वविद्यालय से वाणिज्य और विधि (सामान्य) में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्‍होंने पत्रकारिता में डिप्लोमा (भारतीय विद्या भवन से गोल्‍ड मेडलिस्‍ट) भी किया।

श्री सतीश मराठे ने बैंक ऑफ इंडिया में अपने बैंकिंग करियर की शुरुआत की और यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक लिमिटेड के अध्यक्ष और सीईओ रहे (2002 से 2006 तक)। पूर्व में, सितंबर 1991 में, वे जनकल्याण सहकारी बैंक लिमिटेड के सीईओ बने, जिसने उनके 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान लगातार उच्च वृद्धि दर्ज की।

श्री सतीश मराठे सहकार भारती के संस्थापक सदस्य हैं, जो वर्ष 1979 में पंजीकृत हुई थी और वर्तमान में, इसकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद के सदस्‍य हैं। पूर्व में, वे 6 वर्षों तक राष्ट्रीय महासचिव, 6 वर्षों तक राष्ट्रीय अध्यक्ष और 3 वर्षों तक संरक्षक (पेट्रन) रहे। पिछले कुछ वर्षों में, सहकार भारती ने अपनी गतिविधियों का प्रसार पूरे देश में कर लिया है और वर्तमान में, 35,000 से अधिक सहकारी समितियाँ 500 से अधिक जिलों में फैली हैं, जो सहकार भारती की गतिविधियों और कार्यक्रमों से जुड़ी हैं। आज यह देश में सहकारी क्षेत्र में सबसे बड़े एनजीओ के रूप में उभरा है।

सहकारी क्षेत्र में अध्ययन और अनुसंधान करने के लिए, उन्होंने सेंटर फॉर स्टडीज एंड रिसर्च इन कोऑपरेशन (सीएसआरसी) की स्थापना की। यह संस्‍था भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत है और वे सीएसआरसी के संस्थापक अध्यक्ष हैं।

वर्तमान में, श्री सतीश मराठे भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड में निदेशक, राष्ट्रीय आवास बैंक के निदेशक, त्रि-स्तरीय अल्पकालिक सहकारी ऋण संरचना (एसटीसीएस) की प्रासंगिकता, प्रयोज्यता और प्रतिधारणता का अध्ययन करने के लिए भारत सरकार द्वारा नियुक्‍त विशेषज्ञ समिति के सदस्य, नई सहकारी नीति का प्रारूप तैयार करने के लिए भारत सरकार द्वारा नियुक्‍त राष्ट्रीय समिति के सदस्‍य, स्वतंत्र निदेशक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स, आईसीएआई, लक्ष्मणराव इनामदार नेशनल एकेडमी फॉर को-ऑप रिसर्च एंड डेवलपमेंट (एलआईएनएसी) के उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) की कार्यकारिणी समिति के सदस्य, पालघर जिले के जवाहर तहसील में मूक-बधिर जनजातीय बच्‍चों के आवासीय विद्यालय - प्रगति प्रतिष्ठान में ट्रस्टी और सिद्धार्थ विद्यालय, कल्याण के कार्यकारी अध्‍यक्ष हैं।

पूर्व में, श्री सतीश मराठे राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के प्रबंध बोर्ड में सदस्य, माननीय सचिव, भारतीय बैंक संघ, दो कार्यकाल के लिए इसकी प्रबंध समिति के सदस्य और अर्थशास्त्रियों की समिति के भी सदस्य, निजी क्षेत्र के बैंक संघ के उपाध्यक्ष, कमजोर और रूग्‍ण शहरी सहकारी बैंकों के संबंध में महाराष्‍ट्र सरकार द्वारा गठित उच्‍चाधिकार प्राप्‍त समिति के सदस्य, महाराष्‍ट्र सरकार के महाराष्ट्र राज्य सहकारी परिषद के सदस्य, एपेक्‍स बैंक ऑफ अर्बन बैंक्‍स ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा लिमिटेड के निदेशक, राजकोट नगरिक सहकारी बैंक लिमिटेड- बहु राज्य अनुसूचित सहकारी बैंक के निदेशक, ठाणे भारत सहकारी बैंक लिमिटेड-अनुसूचित बैंक के विशेषज्ञ निदेशक, राष्ट्रीय युवा सहकारी समिति लिमिटेड - बहु-राज्य बहुउद्देश्यीय सहकारी समिति के निदेशक जैसे विभिन्‍न पदों पर रहे।

वे पिछले कई वर्षों से वित्त मंत्रियों के साथ होनेवाली बजट पूर्व बैठकों में सहकारी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 2015 में, इफ्को ने श्री सतीश मराठे को सहकारिता रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। वे महाराष्ट्र से इस पुरस्‍कार को प्राप्‍त करनेवाले एकमात्र व्‍यक्ति हैं।

श्री स्वामीनाथन गुरुमूर्ति
Shri Swaminathan Gurumurthy

श्री स्‍वामीनाथन गुरुमूर्ति [73] एक सनदी लेखाकार और उच्‍च श्रेणी के कार्पोरेट एवं विधि परामर्शदाता हैं।

पेशेवर विशेषज्ञता

1972 में अखिल भारतीय श्रेणी के साथ सीए की इंटरमीडिएट और अंतिम दोनों परीक्षाओं में उत्‍तीर्ण होने के उपरांत, वे पिछले 42 वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे हैं।

श्री गुरुमूर्ति कानून एवं वित्‍त तथा कॉर्पोरेट को प्रभावित करने वाले समष्टि आर्थिक मुद्दों से संबंधित विषयों में बहुत सारे कॉर्पोरेट के प्रतिष्ठित परामर्शदाता हैं। एक पेशेवर विशेषज्ञ के रूप में उन्‍होंने कुछ जटिल कॉर्पोरेट मामलों में मध्‍यस्‍थता की है और उनका समाधान किया है।

शैक्षणिक गतिविधियां

पेशेवर परामर्शदाता होने के अलावा, वे एक कुशाग्र शिक्षाविद भी हैं। वे अर्थशास्‍त्र, व्‍यवसाय, वित्‍त और प्रबंध के भारतीय मॉडलों पर आईआईटी बॉम्‍बे के विजिटिंग प्रोफ़ेसर रहे हैं। वे वर्तमान में सास्त्र विश्वविद्यालय, तंजौर में विधि नृविज्ञान के प्रतिष्ठित प्रोफेसर हैं।

आनुभविक अध्ययन

भू राजनीतिक और रणनीतिक मामलों के कुशाग्र चिंतक होने के कारण, वे दिल्‍ली स्थित प्रतिष्ठित रणनीतिक थिंक टैंक, विवेकानंद अंतरराष्‍ट्रीय फाउंडेशन के उपाध्‍यक्ष हैं।

बहुत सारे कॉर्पोरेट के परामर्शदाता होने और बृहत राष्‍ट्रीय हित से प्रभावित होने के कारण, श्री गुरुमूर्ति ने अर्थव्‍यवस्‍था पर भूमंडलीकरण के प्रभाव तथा निर्देशित अर्थव्‍यवस्‍था की आदी आर्थिक एवं राजनीतिक संस्‍कृति का अध्‍ययन करना शुरू किया।

1993 से, श्री गुरुमूर्ति और उनके स्‍वयंसेवकों की टीम, जिसमें अर्थशास्‍त्री, सनदी लेखाकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे, बहुत सारे औद्योगिक समूहों के पास गई, जो सरकारी सहायता अथवा बैंकिंग और शैक्षिक संस्‍थाओं सहित किसी संस्‍थागत सहायता के बिना अपने बल पर स्‍थापित हुए हैं। 40 से अधिक महत्वपूर्ण औद्योगिक समूहों उत्तर में लुधिना, बटाला, अमृतसर, राजकोट, सूरत, बड़ौदा, मोरवी और पश्चिम में तिरुपुर, नामक्कल, करूर, शिवकाशी और तुतुकुडी की यात्रा करने में उन्हें अगले कई वर्षों तक अध्ययन करना पड़ा। इस अध्‍ययन में आगरा और कानपुर का दलित प्रधान चर्मोद्योग समूह भी शामिल था। इन औद्योगिक समूहों जिसमें 10000 से अधिक संख्‍या में कारीगर-समूह शामिल हैं, का भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की बुनियाद में 50% से अधिक तथा विनिर्माण और निर्यात में 60% योगदान है।

आनुभविक अध्‍ययन से गैर-कॉर्पोरेट अर्थव्‍यवस्‍था के चार पहलुओं का पता चला, जिसके बारे में उस समय तक बहुत कम ज्ञात था। पहला, जाति और उद्यमिता के बीच गहरा संबंध है। दूसरा, इसके परिणामस्‍वरूप सामुदायिक प्रतिस्‍पर्धा हुई, जिससे उद्यमिता का विकास हुआ। तीसरा, जातियों ने पूंजी जुटाई और उसे परिचालित किया तथा आपस में सूचना का आदान-प्रदान किया। चौथा, एक समूह में जाति द्वारा निर्मित संपत्ति को अन्‍य जातियों के साथ तुरंत साझा किया गया, जो बहुत सारे समूहों से स्‍पष्‍ट है। अध्‍ययन से पता चला कि भारत इतना जटिल, विशाल और विविधतापूर्ण देश है कि इसकी विविधता को समझे बिना, इसके लिए एक सामान्‍य नीति नहीं बनाई जा सकती है।

अध्‍ययन के बहुत सारे निष्‍कर्षों का बाद में विश्‍व बैंक द्वारा अपने विश्‍व विकास रिपोर्ट में समर्थन किया गया। गुरूमूर्ति के नेतृत्‍व वाले अध्‍ययन दल ने उद्यमिता और कारोबार के विकास एवं प्रभावपूर्ण वृद्धि के संबंध का पता लगाया। उक्‍त अध्‍ययन में विकास के प्रमुख प्रेरक के तौर पर सामाजिक पूंजी पर ध्‍यान दिया गया – इस विचार को बाद में फ्रांसिस फुकुयामा के लेखन में उनकी प्रसिद्ध पुस्‍तक ट्रस्‍ट में अभिव्‍यक्‍त किया गया। बाद में ऐसे तथा समान विषयों पर बहुत सारी पुस्‍तकें लिखी गईं।

उक्‍त अध्‍ययन से बचत व परिवार-प्रेरित उद्यमिता के वित्‍तपोषण में पारंपरिक परिवार की और महिलाओं की भूमिका का भी पता चला। इससे श्री गुरुमूर्ति की राय पारंपरिक अर्थशास्‍त्रियों की राय से भिन्‍न हो गई, जिन्‍होंने पाया कि पारंपरिक अर्थशास्त्रियों की धारणा भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर उनकी बुनियादी समझ की अपेक्षा सिद्धांतों में ज्यादा गहरी है।

पत्रकारिता और सक्रियता

पिछले तीन दशकों से श्री गुरुमूर्ति को अपने अन्‍वेषणात्‍मक लेखन के लिए पत्रकार के रूप में उच्‍च सम्‍मान प्राप्‍त है। उन्‍होंने तभी से उच्‍च स्‍थानों पर व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार के विरूद्ध निरंतर अभियान चलाया है। वे राष्‍ट्रीय महत्‍व के विषयों पर विशेष रूप से अर्थशास्‍त्र के क्षेत्र में भारत में एक प्रभावशाली अभिमत निर्माता रहे हैं। वे अभी प्रसिद्ध और प्रभावशाली सामाजिक-राजनीतिक साप्‍ताहिक तमिल पत्रिका तुगलक के संपादक हैं।

मीडिया रेटिंग

श्री गुरुमूर्ति को मीडिया द्वारा 1990 से अब तक निरंतर प्रभावशाली पाया गया। द बिज़नेस बैरन पत्रिका ने श्री गुरुमूर्ति के अर्थशास्‍त्र, वित्‍त और लेखा संबंधी ज्ञान को ‘आउटस्‍टैंडिंग’ दर्जा प्रदान किया है। उन्‍हें 1990 में भारत के 50 सर्वाधिक प्रभावशाली व्‍यक्तियों के बीच [जेंटलमैन मैगजी़न]; 2004 में 8वें सर्वाधिक प्रभावशाली व्‍यक्ति के रूप में [बिज़नेस बैरन पत्रिका]; 2005 में 17वें सर्वाधिक प्रभावशाली व्‍यक्ति के रूप में [इंडिया टुडे पत्रिका]; 2015 में 50वें सर्वाधिक प्रभावशाली व्‍यक्ति के रूप में [इंडिया टुडे]; 2016 में 25वें सर्वाधिक प्रभावशाली व्‍यक्ति के रूप में [इंडिया टुडे] और 2017 में 30वें सर्वाधिक प्रभावशाली व्‍यक्ति के रूप में [इंडिया टुडे] स्‍थान दिया गया।

डॉ. विवेक जोशी
Dr. Vivek Joshi

डॉ. विवेक जोशी 1989 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में शामिल हुए। उन्होंने ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट जिनेवा (स्विट्जरलैंड) से अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने प्रोफेसर रिचर्ड बाल्डविन के मार्गदर्शन में डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की। वह रुड़की विश्वविद्यालय (अब, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की) के पूर्व छात्र भी हैं, जहाँ उन्होंने 1987 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.ई. किया था।

डॉ विवेक जोशी वर्तमान में 1 नवंबर 2022 से भारत सरकार, वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय के सचिव के रूप में पदस्‍थापित हैं । इस कार्य में, वे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, बीमा क्षेत्र, वित्‍तीय संस्‍थाओं, वित्‍तीय समावेशन और पेंशन सुधार सहित बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित नीतियों, योजनाओं और विधानों को देख रहे हैं। वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बोर्ड में सदस्य के रूप में भी कार्यरत हैं।

इस पद से पहले, वह लगभग चार वर्षों तक गृह मंत्रालय, भारत सरकार के तहत भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने हरियाणा सरकार में प्रधान सचिव, निगरानी और समन्वय, सीईओ, गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण, गुरुग्राम; मुख्य प्रशासक, हरियाणा व्यापार मेला प्राधिकरण (टीएफएएच), नई दिल्ली; निदेशक, स्वर्ण जयंती हरियाणा राजकोषीय प्रबंधन संस्थान, पंचकूला के रूप में भी कार्य किया। इन कार्यों से पहले उन्होंने पांचवें राज्य वित्त आयोग के सदस्य सचिव; और हरियाणा राज्य में मंडल आयुक्त अंबाला (2017-2018) के रूप में भी काम किया है।

2014-2017 के दौरान, उन्होंने वित्त मंत्रालय, भारत सरकार में संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया, जहाँ उनकी जिम्मेदारियों में सार्वजनिक खरीद नीति के निर्माण में सरकार को सलाह देना शामिल था। वह अर्थव्यवस्था के कुछ प्रमुख क्षेत्रों जैसे सड़क और राजमार्ग, शहरी विकास, यूआईडीएआई, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और रेलवे में सार्वजनिक वित्त पोषित परियोजनाओं और योजनाओं के मूल्यांकन में भी शामिल थे । उन्होंने स्वच्छ भारत कोष (एसबीके) के प्रथम प्रशासक के रूप में भी काम किया, जो स्वच्छ भारत के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई एक सार्वजनिक निधि है। उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (2010-2014) में भारत सरकार के संयुक्त सचिव के रूप में भी काम किया है, जहाँ उन्होंने बाल अधिकार और बाल संरक्षण के क्षेत्र में काम किया है।

उन्होंने वस्‍त्र मंत्रालय, भारत सरकार (2001-2006) में निदेशक के रूप में भी काम किया, जहां उन्होंने डब्ल्यूटीओ से संबंधित वस्त्र मामलों, विशेष रूप से गैर-कृषि बाजार पहुंच (एनएएमए) और वस्त्र और कपड़ा करार (एटीसी) वार्ता, जूट और कपास क्षेत्र में मंत्रालय को सलाह दी। उन्होंने क्षेत्रीय व्यापार करार, विशेष रूप से दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार करार (एसएएफटीए) और भारत श्रीलंका एफटीए से संबंधित वार्ताओं में भी भाग लिया ।

इसके अतिरिक्त, वे हरियाणा राज्य में उपायुक्त, संयुक्त सचिव वित्त और ट्रेजरी के निदेशक रह चुके हैं।


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