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गवर्नर का वक्तव्य – द्वितीय द्विमासिक मौद्रिक नीति, 2019-20

दिनांक : 6 जून 2019

गवर्नर का वक्तव्य – द्वितीय द्विमासिक मौद्रिक नीति, 2019-20

3 और 4 जून 2019 के दौरान मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने हाल के व्यापक आर्थिक विकास और संभावनाओं का आकलन किया। आज अपनी बैठक में, इसने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंकों तक कम करने और मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ से उदारता के रुख में बदलने के लिए मत दिया। सर्वसम्मत मत एमपीसी के निर्णायक और समय पर कार्य करने के संकल्प को दर्शाता है।

2. मैं एमपीसी के सदस्यों को समृद्ध और लाभदायक चर्चा के लिए धन्यवाद ज्ञपित करता हूं जो संकल्प और नीतिगत निर्णय में परिलक्षित हुई हैं।

3. एमपीसी के कार्य में कठिन परिश्रम और लगन से अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने के लिए मैं रिज़र्व बैंक में कार्यरत हमारे सभी दलों के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहता हूँ।

4. अब मैं उन प्रमुख वैश्विक और घरेलू गतिविधियों की ओर रुख करता हूं जिनकी एमपीसी ने समीक्षा की है। शुरुआत में, यह नोट किया गया कि वैश्विक आर्थिक गतिविधि कैलेंडर 2019 की पहली तिमाही में देखे गए बेहतर प्रदर्शन को व्यापार और विनिर्माण क्षेत्र में गहराती मंदी के कारण बनाए रखने में सक्षम नहीं हो पाई है, जिसने उन्नत और उभरते बाजार अर्थव्यवस्थाओं को समान रूप से प्रभावित किया है । मुद्रास्फीति कई अर्थव्यवस्थाओं में लक्ष्य से नीचे बनी हुई है। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में, 2019 की दूसरी तिमाही के लिए आनेवाले अकड़ें पहली तिमाही की गति में सापेक्ष कमी को सूचित करते है। प्रमुख उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक गतिविधि धीमी हो गई है या मंद हो गई है। इस संदर्भ में दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने मौद्रिक नीति स्थापित करने में उदारता का रुख अपनाया है। तीव्र अमेरिका-चीन व्यापार तनाव से वित्तीय बाजार अस्थिर हो गए हैं। कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर बनी हुई हैं, जो मांग-आपूर्ति की उभरती हुई स्थिति और भू-राजनीतिक चिंताओं को दर्शाती है। अधिकांश ईएमई की मुद्राओं में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरावट आई है।

5. घरेलू पक्ष पर एमपीसी ने नोट किया कि 31 मई 2019 को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के डेटा रिलीज़ से पता चलता है कि 2018-19 के लिए जीडीपी विकास दर 6.8 प्रतिशत रखी गई है, जो कि 28 फरवरी के आकलन के सापेक्ष 20 आधार अंकों से कम है। सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि में तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और एक साल पहले 8.1 प्रतिशत से 2018-19 के चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत तक तेज गिरावट हुई।

6. आपूर्ति पक्ष में, कृषि और संबद्ध गतिविधियां मंद हुई, जबकि विनिर्माण गतिविधि तेजी से कमजोर हुई। सेवा क्षेत्र की वृद्धि में तेजी आई, यद्यपि निर्माण गतिविधि स्पष्ट रूप से धीमी हुई। आगे के लिए, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भविष्यवाणी की है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश (जून से सितंबर 2019) लंबी अवधि के औसत (एलपीए) के 96 प्रतिशत तक सामान्य रहने की संभावना है। 2018-19 के लिए खाद्यान्न उत्पादन का तीसरा अग्रिम अनुमान पिछले वर्ष के अंतिम अनुमान की तुलना में 0.6 प्रतिशत कम होकर केवल 283.4 मिलियन टन आँका गया। इसके अलावा, 16 मई 2019 को खाद्यान्न भंडार 72.6 मिलियन टन रहा जो निर्धारित बफर मानदंड से 3.4 गुना अधिक था और मौसम की प्रतिकूलताओं के कारण किसी भी आपूर्ति व्यवधान के खिलाफ एक सहारा प्रदान करेगा । औद्योगिक क्षेत्र में, आठ प्रमुख उद्योगों में अप्रैल में तेजी से मंदी आई। बैंकों से बड़े उद्योगों को ऋण प्रवाह मजबूत रहा, हालांकि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए मंद रहा। विनिर्माण क्षेत्र में मौसमी रूप से समायोजित क्षमता उपयोग (सीयू) तीसरी तिमाही के 75.8 प्रतिशत से घटकर चौथी तिमाही में 75.2 प्रतिशत हो गया। पूंजीगत वस्तुओं का आयात - निवेश गतिविधि का एक प्रमुख संकेतक - अप्रैल में मंद रहा। उच्च आवृत्ति संकेतक सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में सुधार सूचित करते हैं।

7. मुद्रास्फीति की ओर मुड़ते हुए, एमपीसी ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि खुदरा सीपीआई मुद्रास्फीति 2.9 प्रतिशत के मार्च स्तर की तुलना में अप्रैल में अपरिवर्तित रही। खाद्य और ईंधन समूहों में उच्च मुद्रास्फीति भोजन और ईंधन को छोड़कर वस्तुओं में कम मुद्रास्फीति द्वारा बराबर कर दी गयी थी। रिज़र्व बैंक के सर्वेक्षण के मई 2019 के दौर में घरेलू मुद्रास्फीति के अनुमान पिछले दौर की तुलना में तीन माह के आगे होरीज़ोन के लिए 20 आधार अंकों की गिरावट आईं लेकिन एक साल के आगे होरीज़ोन के लिए अपरिवर्तित रहीं। ग्रामीण मजदूरी में मामूली वृद्धि और संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की लागत मंद रही।

8. नियंत्रित सरकारी व्यय के कारण अप्रैल और माय के अधिकांश समय के दौरान घाटे में रहने के बाद जून के प्रारम्भ में प्रणाली में चलनिधि औसत दैनिक अधिशेष में बादल गया। एलएएफ परिचालनों के माध्यम से चलनिधि उपलब्ध करवाने के अलावा, रिज़र्व बैंक ने मई में 25,000 करोड़ की राशि में दो ओएमओ खरीद नीलामी और अप्रैल में 3 साल के कार्यकाल के लिए 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर ( 34,874 करोड़) की खरीद/ बिक्री स्वैप नीलामी आयोजित की ताकि प्रणाली में टिकाऊ चलनिधि उपलब्ध कारवाई जा सके। 13 जून, 2019 को 15,000 करोड़ ( 150 बिलियन) की एक ओएमओ खरीद नीलामी की भी घोषणा की गई है।

9. फरवरी और अप्रैल 2019 में पॉलिसी रेपो दर में 50 बीपीएस की संचयी कटौती का ट्रांसमिशन नयी रुपये ऋण पर भारित औसत उधार दर (डबल्यूएएलआर) हेतु 21 बीपीएस था। दीर्घावधि मुद्रा बाजार लिखतों पर ब्याज दर ओवरनाइट डबल्यूएसीआर के साथ व्यापक रूप से संबद्ध रहे, जो नीति दर में कटौती के पूर्ण ट्रांसमिशन को दर्शाते हैं। 10 साल की सरकारी प्रतिभूति बेंचमार्क प्रतिफल में भी अप्रैल 2019 के लगभग 7 प्रतिशत औसत की तुलना में लगभग 40 आधार अंकों की गिरावट आई है। आज एमपीसी संकल्प की घोषणा से पहले यह स्थिति थी। रिज़र्व बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि सभी उत्पादक उद्देश्यों के लिए प्रणाली में पर्याप्त चलनिधि उपलब्ध हो।

10. अप्रैल 2019 में निर्यात में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन आयात में कुछ हद तक तेजी आई, जिससे व्यापार घाटा कम हुआ। मार्च 2019 में तेज रिकवरी के बाद, अप्रैल-मई में 2019-20 में निवल विदेशी पोर्टफोलियो अंतर्वाह यूएस $ 2.3 बिलियन के अपेक्षाकृत मामूली रहा है। 31 मई, 2019 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 421.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

11. इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, हालिया नीतिगत दर में कटौती के प्रभाव और 2019 में एक सामान्य मानसून मानकर, एमपीसी ने चौथी तिमाही: 2018-19 के लिए 2.4 प्रतिशत, पहली छमाही: 2019-20 के लिए 2.9-3.0 और दूसरी छमाही: 2019-20 के लिए 3.5-3.8 प्रतिशत की तुलना में, व्यापक रूप से संतुलित जोखिम सहित सीपीआई मुद्रास्फीति के मार्ग को पहली छमाही: 2019-20 के लिए 3.0-3.1 प्रतिशत और दूसरी छमाही: 2019-20 के लिए 3.4-3.7 प्रतिशत के रूप में संशोधित कर कर दिया। मानसून से संबंधित अनिश्चितताओं, सब्जियों की कीमतों में बेमौसमी बढोतरी, अंतर्राष्ट्रीय ईंधन की कीमतों और घरेलू कीमतों में उनके पास-थ्रू, भू-राजनीतिक तनावों, वित्तीय बाजार में अस्थिरता और वित्तीय परिदृश्य से संबंधित अनिश्चितताओं ने बेसलाइन मुद्रास्फीति ट्रेजेक्टरी के आसपास जोखिम उत्पन्न हुए हैं।

12. पिछली दो नीतिगत दरों में कटौती के अपेक्षित ट्रांसमिशन को ध्यान में रखते हुए भी हेडलाइन मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र (ट्राजेक्टरी) लक्ष्य से नीचे बना हुआ है। अतः, लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के जनादेश के अनुरूप रहते हुए, कुल मांग और विशेष रूप से निजी निवेश गतिविधि को बढ़ावा मिलने की गुंजाइश है। एमपीसी ने पहली छमाही के लिए 6.8-7.1 प्रतिशत और दूसरी छमाही के लिए 7.3-7.4 प्रतिशत के दायरे में 7.2 प्रतिशत की तुलना में, समान रूप से संतुलित जोखिम सहित 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि के अनुमान को पहली छमाही: 2019-20 के लिए 6.4-6.7 प्रतिशत और दूसरी छमाही: 2019-20 के लिए 7.2-7.5 प्रतिशत के दायरे में 7.0 प्रतिशत पर संशोधित कर कर दिया है। एमपीसी ने नोट किया कि विकास प्रभावों में काफी कमी आई है जोकि उत्पादन अंतराल के और अधिक विस्तार में परिलक्षित हो रही है।

13. अब मैं कुछ विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपायों को निर्धारित करता हूं जिनकी हमने आज घोषणा की है।

14. विनियमन और पर्यवेक्षण के क्षेत्र में, अत्यधिक लीवरेज के जोखिमों को कम करने के लिए बैंकों के 4.5% के सांकेतिक बेसल III लिवरेज अनुपात पर निगरानी रखी गई है। वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए और बासल III मानकों के साथ सामंजस्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि घरेलू व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (डीएसआईबी) के लिए न्यूनतम एलआर 4% और अन्य बैंकों के लिए 3.5% होना चाहिए।

15. 27 नवंबर 2014 को "भुगतान बैंकों" और "लघु वित्त बैंकों" के लाइसेंसिंग के लिए दिशानिर्देशों के अनुसरण में, यह प्रस्तावित है कि अगस्त 2019 के अंत तक लघु वित्त बैंकों को ‘मांग पर’ लाइसेंस के लिए ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किया जाए। तथापि, भुगतान बैंकों को 'मांग पर' लाइसेंस देने के लिए विचार करने से पहले भुगतान बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है।

16. आपको स्मरण होगा कि अगस्त 2010 में, रिज़र्व बैंक ने प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण मूल निवेश कंपनियों (सीआईसी) के विनियमन के लिए एक अलग रूपरेखा प्रारंभ की थी। इन कॉर्पोरेट संरचनाओं में बढ़ती जटिलताओं, वित्तीय प्रणाली से अधिक अंतर-संबध्द होने, और हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए, सीआईसी पर लागू विनियामक दिशानिर्देशों और पर्यवेक्षी ढांचे की समीक्षा के लिए एक कार्य समूह का गठन करने का निर्णय लिया गया है।

17. वित्तीय बाजारों की ओर मुड़ते हुए, यह निर्णय लिया गया कि रिज़र्व बैंक द्वारा मौजूदा चलनिधि प्रबंधन ढांचे की व्यापक समीक्षा करने और उपायों पर सुझाव देने, वर्तमान चलनिधि प्रबंधन को सरल बनाने, इसके उद्देश्यों, मात्रात्मक उपायों और टूलकिट को स्पष्ट रूप से संप्रेषित करने के लिए एक आंतरिक कार्यसमूह का गठन किया जाए। जुलाई 2019 के मध्य तक समूह अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकता है।

18. अक्तूबर 2017 में, रिज़र्व बैंक ने खुदरा विक्रेताओं के लिए एक विदेशी मुद्रा व्यापार मंच स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया था जो ग्राहकों को एक इंटरनेट-आधारित एप्लिकेशन के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म तक पहुंच प्रदान करेगा, जिस पर वे बाजार की समाशोधन कीमतों पर विदेशी मुद्रा खरीद / बेच सकते हैं। ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म अब भारतीय समाशोधन निगम (सीसीआईएल) द्वारा विकसित किया गया है और उपयोगकर्ताओं द्वारा परीक्षण किया जा रहा है। उपयोगकर्ताओं के लिए अगस्त 2019 की शुरुआत से लेन-देन के लिए मंच उपलब्ध होगा। मंच के लिए परिचालन दिशानिर्देश पर परिपत्र जून 2019 के अंत तक जारी किया जाएगा।

19. यह आरबीआई का प्रयास रहा है कि सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा भागीदारी बढ़े। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और प्राथमिक डीलरों के अलावा, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा अनुमोदित निर्दिष्ट स्टॉक एक्सचेंजों को अपने स्टॉकब्रोकर/अन्य खुदरा प्रतिभागियों की बोलियों को एकत्र करने और राज्य विकास ऋण (एसडीएल) की प्राथमिक नीलामी के गैर-प्रतिस्पर्धी खंड के तहत एक समेकित बोली प्रस्तुत करने के लिए एग्रीगेटर्स / फैसिलिटेटर के रूप में कार्य करने की अनुमति दी जाए। इन उपाय को संबंधित राज्य सरकारों के परामर्श से लागू किया जाएगा।

20. भुगतान और निपटान प्रणालियों के क्षेत्र में, डिजिटल फंडों को गति प्रदान करने के लिए आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणालियों में संसाधित लेनदेन के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा लगाए गए शुल्कों को हटा देने का निर्णय लिया गया है। बैंकों से, बदले में, अपेक्षित होगा कि वे इस लाभ को अपने ग्राहकों तक पहुचाएं। इस संबंध में बैंकों को एक सप्ताह के भीतर निर्देश जारी कर दिए जाएंगे।

21. जनता द्वारा स्वचालित टेलर मशीनों (एटीएम) का उपयोग काफी बढ़ रहा है, यह निर्णय लिया गया कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी, भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की अध्यक्षता में, सभी हितधारकों को शामिल करते हुए एक समिति का गठन किया जाए जो एटीएम प्रभार और शुल्क के पूरे विस्तार ​​की जांच करें। अपनी पहली बैठक होने के दो महीने के भीतर समिति अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी।


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