1. जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए) निधि योजना, 2014, जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए) निधि क्या है और यह योजना कब से प्रभावी है?
"जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि (डीईए निधि) योजना, 2014" भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकिंग विनियमन (बीआर) अधिनियम, 1949 की धारा 26 ए के तहत प्रदत्त अपनी शक्तियों और इसे सक्षम करने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए तैयार की गई थी। इस धारा के प्रावधानों के तहत, भारिबैं ने जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि (निधि) की स्थापना की है। यह योजना 24 मई 2014 अर्थात भारत के आधिकारिक राजपत्र में योजना की अधिसूचना की तारीख से प्रभावी है।
2. डीईए निधि में कौन सी राशि जमा की जाती है?
डीईए निधि में जमा की गई राशि बैंकों (वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों) के साथ रखे गए किसी भी जमा खाते में क्रेडिट शेष है, जिसे जमाकर्ता द्वारा 10 साल अथवा उससे अधिक समय से संचालित नहीं किया गया है, अथवा 10 वर्षों से अथवा उससे अधिक दावा न की गई कोई शेष राशि है और इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
(ए) बचत बैंक जमा खातें;
(बी) सावधि अथवा मीयादी जमा खातें;
(सी) संचयी/आवर्ती जमा खातें;
(डी) चालू जमा खातें;
(ई) किसी भी रूप अथवा नाम में अन्य जमा खाते;
(एफ) नकदी ऋण खातें;
(जी) बैंकों द्वारा उचित विनियोजन उपरांत ऋण खाते;
(एच) साख पत्र/गारंटी आदि जारी करने अथवा किसी प्रतिभूति जमाराशि के बदले मार्जिन राशि;
(आई) बकाया टेलीग्राफिक अंतरण, मेल ट्रांसफर, मॉंग ड्राफ्ट, भुगतान आदेश, बैंकर्स चेक, विविध जमाराशियां खाते, उनका खाते, अंतर-बैंक समाशोधन समायोजन, असमायोजित राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) क्रेडिट शेष और ऐसे अन्य अस्थायी खाते, स्वचालित टेलर मशीन (एटीएम) लेनदेन, आदि के कारण असंगत क्रेडिट शेष;
(जे) बैंकों द्वारा जारी किए गए किसी भी प्रीपेड कार्ड में शेष बची शेष राशि, परंतु यात्री चेक अथवा अन्य समान लिखतों के खिलाफ बकाया राशि नहीं, जिनकी कोई परिपक्वता अवधि नहीं है;
(के) मौजूदा विदेशी मुद्रा विनियमों के अनुसार विदेशी मुद्रा को रुपये में बदलने के उपरांत बैंकों द्वारा रखी गई विदेशी मुद्रा जमा से रुपये में लाभ; और
(एल) ऐसी अन्य राशियाँ जो रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट की जा सकती हैं।
3. उपरोक्त निर्दिष्ट राशियाँ डीईए निधि में कब जमा की जाती हैं?
बैंकों को उपरोक्त प्रश्न संख्या 2 में निर्दिष्ट खातों में क्रेडिट शेष को लगातार निष्क्रिय अथवा दावा न की गई की स्थिति में 10 वर्ष पूरे होने के उपरांत महीने के अंतिम कार्य दिवस पर डीईए निधि में स्थानांतरित करना आवश्यक है।
उदाहरण के लिए, अप्रैल के महीने में डीईए निधि में स्थानांतरित होने वाली जमा राशि (अर्थात्, 10 वर्षों के लिए दावा न की गई) को मई के महीने में अंतिम कार्य दिवस पर डीईए निधि में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
4. क्या प्रश्न संख्या: 2 में वर्णित ऐसी राशियों पर अर्जित ब्याज भी डीईए निधि में स्थानांतरित किया जाता है?
हॉं. बैंकों को डीईए निधि में स्थानांतरण की तिथि पर अर्जित ब्याज सहित संपूर्ण राशि हस्तांतरित करना आवश्यक है।
5. क्या ग्राहक/जमाकर्ता डीईए निधि से अपनी दावा न की गई राशि की वापसी का दावा कर सकते हैं?
हॉं, अपने बैंकों से ग्राहक/जमाकर्ता अपनी अदावी राशि की वापसी का दावा कर सकते हैं। ग्राहक/जमाकर्ता अथवा उत्तराधिकारी(मृत जमाकर्ताओं के मामले में) द्वारा किए गए दावे के अनुरोध के आधार पर, बैंक ग्राहक/जमाकर्ता को ब्याज (केवल ब्याज वाले जमा खातों के मामले में लागू) के साथ भुगतान करेंगे और फिर ग्राहक/जमाकर्ता को भुगतान की गई समतुल्य राशि के लिए भारिबैं द्वारा बनाए गए डीईए निधि से धन वापसी के लिए दावा दर्ज करेंगे।
6. क्या डीईए निधि से राशि का दावा करने के लिए ग्राहक/जमाकर्ता को कोई समय सीमा है?
ग्राहक/जमाकर्ता द्वारा डीईए निधि से धन वापसी का दावा करने के लिए योजना में कोई विशिष्ट समय सीमा निर्धारित नहीं है। हालाँकि, ग्राहक/जमाकर्ता अथवा उत्तराधिकारियों (मृत जमाकर्ता के मामले में) को दावा न की गई राशि के बारे में पता चलते ही ऐसी राशि का दावा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
7. यदि कोई बैंक परिसमापन के अधीन है, तो डीईए निधि से दावा करने की प्रक्रिया क्या है?
परिसमापन के तहत बैंक के मामले में, जमाकर्ता को दावे के लिए बैंक के परिसमापक से संपर्क करना होगा और परिसमापक निम्नलिखित प्रक्रिया के अनुसार दावे का निपटान करेगा।
परिदृश्य 1: डीआईसीजीसी द्वारा शामिल की गई जमा राशि पर दावा- यदि किसी ग्राहक/जमाकर्ता की जमा राशि डीईए निधि में स्थानांतरण के समय डीआईसीजीसी बीमा द्वारा कवर की गई थी, तो परिसमापक डीआईसीजीसी से दावा की गई राशि के बराबर राशि का दावा कर सकता है (अर्थात वर्तमान में अर्जित राशि ब्याज सहित ₹5 लाख तक, यदि उसी अधिकार और क्षमता में लागू है1), और फिर जमाकर्ता को भुगतान करें। यदि उपरोक्त जमा राशि डीआईसीजीसी के बीमा कवर से अधिक है, तो परिसमापक केवल प्रतिपूर्ति के आधार पर डीआईसीजीसी बीमा कवर से अधिक राशि (अर्थात, ₹5 लाख से अधिक) का दावा करेगा। (अर्थात, परिसमापक सभी लागू आवश्यकताओं को पूरा करने के तहत जमाकर्ता को ऐसी राशि का भुगतान करेगा और उसके बाद प्रतिपूर्ति के लिए डीईए निधि में दावा प्रस्तुत करेगा)
उदाहरण 1: एक ग्राहक/जमाकर्ता का बैंक में ₹4 लाख का जमा दावा था (उपार्जित ब्याज सहित), जो अब परिसमापन के अधीन है। जमा राशि का बीमा डीआईसीजीसी द्वारा उस समय किया गया था जब उक्त अदावी जमा को डीईए निधि में स्थानांतरित किया गया था। अब, यदि वह परिसमापन प्रक्रिया के दौरान इसका दावा करता/करती है, तो निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा:
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ग्राहक/जमाकर्ता/ उत्तराधिकारी परिसमापक को अपनी जमा राशि के लिए दावा प्रस्तुत करता है।
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परिसमापक आवश्यक सहायक दस्तावेजों के साथ डीईए निधि से ₹4 लाख के बराबर का दावा करता है।
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डीईए निधि परिसमापक को बीमाकृत जमा के बराबर राशि का भुगतान करेगा। (इस मामले में, अर्थात ₹4 लाख, क्योंकि डीआईसीजीसी बीमा कवर ₹5 लाख तक उपलब्ध है)।
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डीईए निधि से राशि प्राप्त करने के बाद, परिसमापक, ग्राहक/जमाकर्ता को भुगतान करेगा अर्थात् ₹4 लाख
उदाहरण 2: एक ग्राहक/जमाकर्ता का बैंक में ₹6 लाख (उपार्जित ब्याज सहित) का जमा दावा था, जो अब परिसमापन के अधीन है। डीआईसीजीसी द्वारा जमा राशि का बीमा उस समय किया गया था जब उसकी अदावी जमा राशि को डीईए निधि में स्थानांतरित कर दिया गया था। अब, यदि वह परिसमापन प्रक्रिया के दौरान इसका दावा करता है, तो निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा:
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परिसमापक को ग्राहक/जमाकर्ता/ उत्तराधिकारी अपना/अपनी जमा राशि के लिए दावा प्रस्तुत करता है।
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परिसमापक आवश्यक सहायक दस्तावेजों के साथ डीईए निधि से ₹6 लाख के बराबर तक का दावा करता है।
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परिसमापक को डीईए निधि बीमाकृत जमा के बराबर राशि का ही भुगतान करेगा। (इस मामले में, अर्थात, ₹5 लाख, क्योंकि डीआईसीजीसी बीमा कवर ₹5 लाख तक उपलब्ध है)।
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परिसमापक शेष राशि (अर्थात ₹1 लाख) के लिए सभी लागू आवश्यकताओं को पूरा करने के अधीन जमाकर्ता को भुगतान करेगा और फिर प्रतिपूर्ति के माध्यम से डीईए निधि से इसके लिए दावा करेगा।
परिदृश्य 2: डीआईसीजीसी में शामिल नहीं की गई जमा राशि पर दावा: डीईए निधि में स्थानांतरण के दौरान डीआईसीजीसी2 द्वारा शामिल नहीं की गई जमा राशि के संबंध में डीईए निधि द्वारा परिसमापक को भुगतान केवल प्रतिपूर्ति के आधार पर किया जाएगा (अर्थात, परिसमापक ग्राहक/जमाकर्ता को राशि निपटान करने के बाद ही प्रतिपूर्ति के रूप में मांग कर सकता है) जैसाकि उपरोक्त उदाहरण 2(iv) में उल्लेख किया गया है।
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