सरकारी प्रतिभूति, निवेशकों के लंबे अवधि के लिए सुरक्षा, तरलता और आकर्षक प्रतिलाभ के अवसर प्रदान करता है । सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 को लागू करने से भारत सरकार द्वारा जारी सरकारी प्रतिभूतियां जिसमें राहत /बचत बांड शामिल है, निवेशक के लिए अधिक सुविधाजनक हो गए है । अधिनियम में हुए बदलाव के कारण इन बांडो में निवेशकों को विशेष लाभ होगा । इस संबंध में जनजागृति निर्माण करने और अनुकूल उपाय के रुप में निम्नलिखित अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्नों (एफएक्यू) को उत्तर के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक(आरबीआई) द्वारा प्रकाशित किया गया है ।
1. सरकारी प्रतिभूति का मतलब क्या है ?
सरकारी प्रतिभूति(जी–सेक ) अर्थात लोक ऋण वृघ्दि या किसी उद्देश्य से सरकार के राजपत्र में अधिसूचित किए अनुसार सरकार द्वारा निर्मित या जारी प्रतिभूति है और जो निम्नलिखित रूपों में है :-
i) व्यक्ति को या के आदेश से देय सरकारी वचनपत्र (जीपीएन); या
ii) धारक को देय वाहक बांड; या
iii) स्टॉक; या
iv) बांड लेजर खाते में धारित बांड (बीएलए).
2. सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 क्या है ?
सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 का उद्देश्य सरकारी प्रतिभूति से संबधित कानून तथा आरबीआई द्वारा इसके प्रबंधन और इससे संबंधित मामले में समेकन और संशोधन करना है ।
3. सरकारी प्रतिभूति विनियमावली, 2007 क्या है ?
सरकारी प्रतिभूति विनियमावली, 2007 को, सरकारी प्रतिभूति अधिनियम के उद्देशों को सुचारु रूप से कार्यान्वित करने के लिए, आरबीआई द्वारा बनाया गया है ।
4. सरकारी प्रतिभूति अधिनियम और सरकारी प्रतिभूति विनियम कब से लागू हुए और कौन सी सरकारी प्रतिभूति पर लागू होते है ?
सरकारी प्रतिभूति अधिनियम और सरकारी प्रतिभूति विनियम 1 दिसम्बर 2007 से लागू हुए है । सरकारी प्रतिभूति अधिनियम केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा निर्मित और जारी की गई प्रतिभूतियों पर लागू होता है, चाहे वह इस अधिनियम को लागू करने के पहले या बाद में जारी की गई हो । सरकारी प्रतिभूति अधिनियम सभी सरकारी प्रतिभूतियां, जो 1 दिसंबर 2007 के पूर्व निर्मित और जारी की है, पर भी लागू होता है ।
5. क्या सरकारी प्रतिभूतियों पर लोक ऋण अधिनियम, 1944 और भारतीय प्रतिभूति अधिनियम, 1920 लागू होते है ?
लोक ऋण अधिनियम, 1944 उन सरकारी प्रतिभूतियों पर लागू नही होगा जिन पर सरकारी प्रतिभूति अधिनियम लागू होता है । जबकि भारतीय प्रतिभूति अधिनियम, 1920 निरस्त किया गया है ।
6. क्या राहत/बचत बांड की सरकारी प्रतिभूतियां है ? क्या सरकारी प्रतिभूति अधिनियम और सरकारी प्रतिभूति विनियमावली इन पर भी लागू होगा ?
जी हाँ । राहत /बचत बांड भी सरकारी प्रतिभूतियां है । उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा स्टॉक प्रमाणपत्र और बीएलए तथा एजेंसी बैंकों द्वारा बीएलए के रूप में जारी किया जाता है । सरकारी प्रतिभूति अधिनियम और सरकारी प्रतिभूति विनियमावली की सभी प्रावधान इन पर भी लागू होते है । तथापि, राहत /बचत बांड की उनकी घोषणा करने वाले विशेष सरकारी निर्गम अधिसूचना के अनुसार अपनी विशिष्टताएं हो सकती है । उदा. के लिए निम्नांकित प्रश्न सं. 46 में स्पष्टिकरण को छोडकर बचत बांड का अंतरण नहीं किया जा सकता ।
7. क्या सरकारी प्रतिभूतियों के उपर उल्लिखित सभी रूप मे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा साथ ही साथ एजेंसी बैंकों द्वारा जारी किए जाते है ?
सरकारी प्रतिभूतियां जीपीएन, वाहक बांड, स्टॉक और बीएलए के रूप में, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी की जाती है जब कि एजेंसी बैंकों को केवल बीएलए के रुप में राहत/बचत बांड जारी करने के लिए हाल में पात्र माना गया है ।
8. सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए कौन पात्र है ?
सरकारी प्रतिभूति अधिनियम और सरकारी प्रतिभूति विनियमावली जी-सेक मे निवेश के लिए मानदंड निर्दिष्ट नही करता है । प्रत्येक प्रतिभूति संबंधी विशेष सरकारी अधिसूचना में पात्रता मानदंड स्पष्ट किया जाता है । साधारणत: कोई भी व्यक्ति सरकारी प्रतिभूतियों मे निवेश कर सकता है ।
9. स्टाक के रुप में सरकारी प्रतिभूति का क्या अर्थ है ?
स्टाक याने की सरकारी प्रतिभूति जो भारतीय रिज़र्व बैंक के बही में पंजिकृत की गयी है एवं जिसके लिए स्टाक प्रमाणपत्र (एससी) जारी किया गया है अथवा जो भारतीय रिज़र्व बैंक के सहायक सामान्य खाता बही (एसजीएल ) में धारक के खाते में क्रेडिट है और जिसका हस्तांतरण भारतीय रिज़र्व बैंक के बही में पंजीकरण द्वारा होता है ।
10. सीएसजीएल खाते का क्या अर्थ है?
सीएसजीएल जोकि ग्राहकों का सहायक सामान्य बही खाता है, सीएसजीएल का मतलब है, किसी एजेंट के ग्राहकों की ओर से एजेंट द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक में एसजीएल खाता खोलना और उसे अनुरक्षित करना अर्थात ग्राहकों की ओर से प्रतिभूतियां धारिता हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक में एजेंट द्वारा दूसरा एसजीएल खाता खोला जाना । इन ग्राहकों को श्रेष्ठ प्रतिभूतिं खातेदारों (जीएएच) के नाम से जाना जाता है । बैंककी पूर्वानुमति / विशेष अनुमतिसे ही अतिरिक्त सीएसजीएल खाता और / या श्रेष्ठ प्रतिभूतिं खाता खोला जा सकता है ।
11. सीएसजीएल खाते में सरकारी प्रतिभूतियों का धारक किसे समझा जाता है ?
भारतीय रिज़र्व बैंक के खाते में धारित प्रतिभूतियों के धारक को सीएसजीएल खाता धारक समझा जाएगा । परंतु ग्राहकों /श्रेष्ठ प्रतिभूति खातेदार धारक उसमें धारित सरकारी प्रतिभूति के लाभ प्राप्त करनेवाले स्वामी के रुप में, सभी प्रकार के लाभ, सीएसजीएल खाता धारक से दावा करने के लिए पात्र होगा और सीएसजीएल खाते में धारित सरकारी प्रतिभूतियों के संबंध में सभी दायित्व के अधीन होगा ।
12. बांड लेजर खाता ( बीएलए ) का क्या मतलब है ?
बीएलए या बांड लेजर खाता से मतलब है भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ या एजेंसी बैंक मे खाता होना, जिसमें डीमैट फार्म में, धारक की क्रेडिट में, सरकारी प्रतिभूतियां धारण की है । इस मामले में निवेशक भारतीय रिज़र्व बैंक / एजेंसी बैंक से धारिता प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेट ऑफ होल्डिंग ) अथवा निवेश प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेट ऑफ इनवेस्टमेंट) प्राप्त करता है ।
13. क्या राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र /डाक बचत प्रमाणपत्र भी सरकारी प्रतिभूति अधिनियम के अंतर्गत आते है ?
नहीं । यह सरकारी प्रतिभूति अधिनियम या सरकारी प्रतिभूति विनियम के अंतर्गत नहीं आते है ।
14. सरकारी प्रतिभूति किस प्रकार हस्तांतरणीय हो सकती है ?
जीपीएन के रुप में धारित सरकारी प्रतिभूति पृष्ठांकन और डिलीवरी द्वारा हस्तांतरणीय है जबकि वाहक बांड डिलीवरी द्वारा हस्तांतरणीय है और बांड जिसके अधिकार में है वह बांड का धारक समझा जाएगा । स्टाक प्रमाणपत्र (एससी) , एसजीएल / सीएसजीएल और बीएलए के रूप में धारित सरकारी प्रतिभूतियां, परिपक्वता के पहले, जीएस विनियमावली में संलग्न क्रमश: फॉर्म संख्या III, IV और V के निष्पादन द्वारा हस्तांतरणीय है, बशर्ते यह संबंधित सरकारी / ऋण अधिसूचना के अनुसार हस्तांतरण के लिए योग्य हो। ये हस्तांतरण फार्म डीजीटल हस्ताक्षर के तहत इलेक्ट्रानिक रूप मे भी निष्पादित किए जा सकते है ।
15. एक व्यक्ति जो लिखने मे असमर्थ है , दस्तावेज को निष्पादित या पृष्ठांकित कैसे कर सकता है ?
ऐसे मामले में वह इक्जिक्यूटिव मैजिस्ट्रैट( कार्यकारी दंडाधिकारी) को इस दस्तावेज का निष्पादन करने या उनकी ओर से पृष्ठांकन करने के लिए अपनी पहचान संबंधी पर्याप्त दस्तावेजी सबूत प्रस्तुत कर और इक्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट को संतुष्ट कर कि उसने ऐसे निष्पादन या पृष्ठांकन का परिणाम समझ लिया है, आवेदन कर सकता है ।
16. क्या सरकारी प्रतिभूति के मृत्तक एकमात्र धारक या संयुक्त धारकों के मालिकाना हक की पहचान के लिए प्रक्रिया /दस्तावेज में कोई सरलीकरण किया गया है ?
हां, भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 के भाग ‘X’ के अंतर्गत जारी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (सक्सेशन सर्टिफिकट ) के आधार पर ही नहीं बल्कि किसी सक्षम न्यायालय द्वारा जारी डिक्री , आदेश अथवा निर्देश या किसी अन्य कानून के अंतर्गत किसी व्यक्ति को मालिकाना हक प्रदान करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाणपत्र या आदेश के आधार पर भी मालिकाना हक निर्धारित किया जा सकता है । मृत्तक या संयुक्त धारकों की सरकारी प्रतिभूति पर मालिकाना हक भारतीय रिजर्व बैंक /एजेंसी बैंकों द्वारा सरकारी प्रतिभूति विनियमावली मे निर्धारित निम्नांकित छह मे से किसी एक दस्तावेज द्वारा भी निर्धारित किया जा सकता है ।
'ए ' सरकारी प्रतिभूति के मृत्तक धारक द्वारा तैयार की गई वसीयत में जिस व्यक्ति को दावा हेतु अधिकार दिया है, बशर्ते कि दावेदार बैंक को न्यायालय द्वारा जारी प्रोबेट प्रस्तुत करता है ; अथवा
'बी ' परिवार समझौता का पंजीकृत विलेख, जिसमें दावा की गए सरकारी प्रतिभूति को शामिल किया गया है और वह सरकारी प्रतिभूति दावेदार को दी गई है; अथवा
‘सी’ दावा की गई सरकारी प्रतिभूति के लिए, संबंधित कानून के अनुसार उपहार विलेख (गीफ्ट डीड ) बनाया है, अथवा
'डी ' अन्य कानूनी वारिस या मृतक के उत्तराधिकारी द्वारा दावेदार के पक्ष मे सरकारी प्रतिभूति के संबंध में कानून के अनुसार बनाई गयी त्याग विलेख अथवा
‘ई ‘ दावा की गई सरकारी प्रतिभूति के संबंध में विदेशी कोर्ट द्वारा पारित डिक्री, जोकि सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 कोड, (1908 का 5) की धारा 44 ए के प्रावधान के अनुसार कार्रवाई करने हेतु स्वीकार्य हो ।
‘एफ’ बटवारा निष्पादन विलेख , जिसमें दावा की गई सरकारी प्रतिभूति को शामिल किया गया है और दावेदार का हिस्सा निर्धारित किया गया हो ।
17. सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, नामांकन सुविधा उपलब्ध कराता है ?
हां । सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, जीपीएन और वाहक बांड को छोडकर अन्य सरकारी प्रतिभूति के लिए नामांकन सुविधा प्रदान करता है । एकल धारक या सभी संयुक्त धारक ऐसे सरकारी प्रतिभूति के लिए एक या अधिक व्यक्तियों को नामित करा सकते है जोकि एकल या संयुक्त धारक की मृत्यु होने पर सरकारी प्रतिभूति और उस पर देय भुगतान के हकदार होंगे ।
18. अगर सरकारी प्रतिभूति के संयुक्त नामांकितों में से किसी एक की मृत्यु हो जाए तो क्या होगा ?
जहां सरकारी प्रतिभूति के संबंध में नामांकन दो या अधिक व्यक्तियों के लिए किया गया है और उनमें से किसी एक का देहांत हो गया है, उत्तरजीवी नामिती सरकारी प्रतिभूती और उसके होने वाले भुगतान लिए पात्र होगा ।
19. क्या नाबालिग नामिति हो सकता है ?
हां । नाबालिग नामिति हो सकता है । तथापि, सरकारी प्रतिभूति के एकल धारक या सभी संयुक्त धारक, नाबालिग नामिति की ओर से उसकी नाबीलिगी के दौरान, एकल धारक या सभी संयुक्त धारक की मृत्यु होने पर, सरकारी प्रतिभूति की आय प्राप्त करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को,जोकि नाबालिग ना हो, नियुक्त कर सकते है ।
20. क्या रुपांतरण (कन्वर्श़न), उपविभाजन, नवीकरण अथवा डूप्लिकेट सरकारी प्रतिभूति जारी करने पर नामिति का अधिकार प्रभावित होता है ?
नहीं । नामिति (यों) को सभी अधिकार बने रहेंगे और ऐसी सरकारी प्रतिभूति के बदले मे जारी प्रत्येक नई प्रतिभूति जारी करते समय वह नामिति बना रहेगा ।
21. क्या सरकारी प्रतिभूति धारक अपने रक्त संबंधियों के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को नामित कर सकता है ?
हां । सरकारी प्रतिभूति धारक किसी को भी नामित कर सकता है बशर्ते कि वह एक व्यक्ति के या संस्था विशेष के रूप मे हो और विशिष्ट सरकारी ऋण अधिसूचना के अनुसार उस ऋण मे निवेश करने के लिए पात्र हो ।
22. क्या सरकारी प्रतिभूति का धारक नामांकन और निवेश की आय को संस्था, ट्रस्ट आदि को दान कर सकता है ?
हां । संस्था /न्यास को अपने नामिति के रुप में नामांकन द्वारा सरकारी प्रतिभूति के भुगतान प्राप्त करने के लिए पात्र बना सकता है बशर्ते कि ऐसी संस्था / न्यास विशेष सरकारी ऋण अधिसूचना के अनुसार उस विशिष्ट ऋण मे निवेश करने के लिए पात्र है ।
23. क्या सरकारी प्रतिभूति का भुगतान नाबालिग या पागल व्यक्ति को किया जा सकता है ?
नहीं। अगर सरकारी प्रतिभूति नाबालिग के लिए धारित की है, तो ऐसे नाबालिग का भुगतान उसके पिता या माता को किया जाएगा और माता पिता जीवित न होने पर उस नाबालिग की संपत्ती का कानून के अनुसार रखरखाव करने हेतु पात्र व्यक्ति को भुगतान किया जाएगा । तथापि, सरकारी प्रतिभूति जिसका मूल्य रुपए एक लाख से अनधिक है, और धारक नाबालिग या पागल व्यक्ति है और उसके कार्य संभालने मे असमर्थ है, तो भारतीय रिज़र्व बैंक, सरकारी प्रतिभूति विनियमावली के विनियम 17 की शर्तों के अनुसार एक व्यक्ति, जिसे वह नाबालिग या पागल व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करने के लिए उपयुक्त समझता है, इसका प्रबंध करने के लिए आदेश जारी कर सकता है ।
24. क्या सरकारी प्रतिभूति, जो खोयी हो अथवा नष्ट की गई हो, चोरी हो गई है या खराब हो गई है, के बदले में नकल (डुप्लिकेट) सरकारी प्रतिभूति जारी की जा सकती है ?
हां । अगर प्रतिभूति एससी और जीपीएन के रूप में है, तो नकल (डुप्लिकेट) सरकारी प्रतिभूति जारी की जाएगी । तथापि, वाहक बांड /प्राइज बांड के लिए नकल सरकारी प्रतिभूति नहीं जारी की जाएगी । परिपक्व ऋण के मामले में सरकारी प्रतिभूति की नकल जारी नहीं की जाएगी, तथा नकल सरकारी प्रतिभूति जारी करने के लिए निम्नांकित प्रकिया के बाद निवेशक की प्रतिदेय आय का भुगतान किया जाएगा ।
25. नकल (डुप्लिकेट) सरकारी प्रतिभूति जारी करने के लिए किन प्रक्रियाओं का पालन करना होगा ।
जब सरकारी प्रतिभूति खो गई है, चोरी हो गई, नष्ट हो गई, विकृत या विरुपित हो गई है, नकल जीपीएन या एससी जारी कराने हेतु सरकारी प्रतिभूति विनियमावली के विनियम 11 और 13 के अंतर्गत आवेदन करें ।
26. क्या सरकारी प्रतिभूतियां, रुपांतरण, समेकन, उप विभाजन, नवीनीकरण किया जा सकता है ?
हां । सरकारी प्रतिभूति, सरकारी प्रतिभूति विनियमावली मे दी गई शर्तो और नियमो के अधीन, एक प्रकार की धारिता से दूसरे प्रकार की धारिता मे रूपांतरण तथा समेकन, उपविभाजन, नवीकरण के लिए, पात्र है ।
27. क्या सरकारी प्रतिभूतियां स्ट्रीपिंग (stripping) या पुनर्गठन हेतु पात्र है ?
हां । सरकारी प्रतिभूतियां पात्रता के अधीन ब्याज और मूल के लिए अलग - अलग स्ट्रीप एवं पुर्नगठित की जा सकती है ।
28. स्ट्रिपस (STRIPS) क्या है ? सरकारी प्रतिभूतियों को स्ट्रिप करने में क्या फायदे है ?
'STRIPS' सेपरेट ट्रेडिंग ऑफ रजिस्टर्ड इंन्ट्रेस्ट एंड प्रिसिंपल और सिक्यूरिटीज " का छोटा रुप है और मूलत: " जीरो कूपन " प्रतिभूति है, इसमे निवेशक को परिपक्वता पर ही भुगतान मिलता है । स्ट्रिप्स में निवेशक को, पात्र प्रतिभूतियों की विविध अवधि के लिए अलग से ब्याज एवं मूल को धारण करने एवं व्यापार करने की सुविधा है । ये ऐसे निवेशकों की पसंद है, जो भविष्य की विशिष्ठ तारीख को विशिष्ट भुगतान प्राप्ति एवं चाही गई परिपक्वता की प्रतिभूतियों को धारण करना पसंद करते है ।
29. क्या सरकारी प्रतिभूति के कनवर्शन, कंसोलिडेशन, सब - डिवीजन, नवीनीकरण एवं प्रति के लिए कोई शुल्क है ?
हां। सरकारी प्रतिभूति के नवीनीकरण, कनवर्शन, सब-डिवीजन के लिए बीस रूपए और डुप्लीकेट सरकारी प्रतिभूति के लिए एक सौ रुपयो का भुगतान करना होता है । हालांकि जीपीएन को एससी एवं एसजीएल /सीएसजीएल और एससी कों एसजीएल /सीएसजीएल में कनवर्शन एवं जीपीएल के पीछे इन्ट्रेस्ट केज भरने पर और एससी के पीछे ट्रान्सफर एण्डोर्सेमेंट केज भरने पर कोई शुल्क नही लगता है ।
30. सरकारी प्रतिभूतियों पर देय ब्याज के संबंध में सरकार के दायित्व की सीमा की कोई अवधि होगी ?
हां । सरकार की प्रतिभूतियों की ब्याज राशि देय होने की तिथि से 6 वर्षों पश्चात भुगतान का दायित्व समाप्त हो जाता है, निवेशक को भुगतान देय होने की तिथि से 6 वर्षो के अंदर अपना ब्याज भुगतान का दावा प्रस्तुत कर देना चाहिए और सरकार 6 वर्षो के बाद किए ऐसे दावे को निरस्त कर सकती है । हालांकि सरकार एक प्रामाणिक ब्याज भुगतान दावें को 6 वर्ष की सीमा अवधि के बाद भी स्वीकार कर सकती है ।
31. क्या सरकारी प्रतिभूतियों पर देय ब्याज के लिए स्त्रोत पर कर कटौती का कोई प्रावधान है ?
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 193 प्रावधान (iv) के अनुसार 1 जून 1997 से केन्द्रीय एवं राज्य सरकार की प्रतिभूतियों पर देय ब्याज से कर नही काटा जाएगा । हालांकि वित्त अधिनियम 2007 एवं भारत सरकार की अधिसूचना क्रं एफ 4 (10) W&M /2003 दिनांक 31 मई 2007 के अनुसार 1 जून 2007 से 8% बचत ( करयोग्य ) बांड, 2003 पर वित्तीय वर्ष में दस हजार से ज्यादा ब्याज होने पर स्त्रोत पर कर की कटौती की जाएगी ।
32. क्या सरकारी प्रतिभूति की सूचना एवं निरीक्षण करने का आवेदन स्वीकार किया जाता है ?
हां । भारतीय रिज़र्व बैंक या उसके एजेंट, इस आधार पर, कि प्रतिभूति के आपके नाम पर होने या आपके एक ऐसा व्यक्ति होने, जिसका प्रतिभूति में प्रतिनिधित्मक / वास्तविक हित है, आपको सरकारी प्रतिभूति से संबंधित जानकारी या दस्तावेज के निरीक्षण की अनुमति दे सकते है ।
33. क्या सरकारी प्रतिभूति की गिरवी, दृष्टिबंधक अथवा ग्रहणाधिकार के अंतर्गत रखा जा सकता है ?
हां। एससी, बीएलए, एसजीएल/एससीजीएल के रुप में धारित सरकारी प्रतिभूतियों को गिरवी, दृष्टिबंधक अथवा ग्रहणाधिकार के अंतर्गत रखा जा सकता है एवं ऐसी प्रतिभूतियों का धारक प्रश्न 34 मे दी गई शर्तों के अधीन इसे गिरवी रख कर ऋण प्राप्त कर सकता है । हांलांकि सरकारी प्रामिसरी नोट एवं धारक बांड के रुप में जारी प्रतिभूति गिरवी, दृष्टिबंधक अथवा ग्रहणाधिकार के अंतर्गत नही रखी जा सकती है ।
34. क्या सरकारी प्रतिभूति को गिरवी, दृष्टिबंधक, अथवा ग्रहणाधिकार के अंतर्गत रखने की सुविधा सभी प्रकार के ऋणों के लिए उपलब्ध है?
नहीं । संबद्ध सरकारी अधिसूचना के अनुसार ,सरकारी प्रतिभूति को गिरवी, दृष्टिबंधक, अथवा ग्रहणाधिकार के अंतर्गत रखने की सुविधा, ऐसे ऋणों के लिए जो अहस्तांतरणीय है और जो समपार्श्विक सुविधा के पात्र नही है, उपलब्ध नहीं है ।
35. सरकारी प्रतिभूतियों पर गिरवी की कार्रवाई कौन कर सकता है ?
सरकारी प्रतिभूतियों पर गिरवी भारतीय रिज़र्व बैंक या इसका एजेंट अंकित कर सकता है ,जोकि उस प्रतिभूति का रिकार्ड रखता हो । जैसे कि बीएलए एवं एसजीएल जिसका रिकार्ड व लेखा भारतीय रिज़र्व बैंक रखता है, गिरवी भारतीय रिज़र्व बैंक की बही में अंकित की जाएगी एवं एजेंसी बैंकों द्वारा जारी बीएलए या सीएसजीएल में धारित प्रतिभूति के लिए संबंधित एजेंसी बैंक या सीएसजीएल खाता धारक गिरवी अंकित करेंगे ।
36. सरकारी प्रतिभूतियों के लिए आटोमेटिक रिडम्पशन सुविधा क्या है?
एससी, बीएलए एवं एसजीएल /सीएसजीएल के रुप में सरकारी प्रतिभूतियों के धारक निवेशक आटोमेटिक रिडम्पशन सुविधा प्राप्त कर सकते है जबकि निवेशक ने अपना बैंक खाता विवरण आरबीआई या इसके एजेंट को दिया है, तो देय ब्याज एवं परिपक्वता राशि सीधे उसके खाते में जमा कर दी जाएगी और उसे भौतिक रुप से प्रतिभूति का डिस्चार्ज प्रस्तुत नहीं करना पड़ेगा ( इन एफ़एक्यू के अंत मे इसके लिए एक आदर्श फार्मेट दिया गया है )। हालांकि बैंक खाते के विवरण आरबीआई या एजेंसी बैंक को न देने पर निवेशक को परिपक्वता राशि पाने के लिए भौतिक डिस्चार्ज प्रस्तुत करना होगा ।
37. क्या आटोमेटिक रिडम्पशन सुविधा के लिए अन्य शर्ते है ?
हां, यदि परिपक्वता राशि 1 लाख से अधिक है, तो निवेशक को पेन (PAN) की जानकारी अग्रिम रुप से प्रस्तुत करना होगी, ताकि वह देय तिथि पर परिपक्वता राशि ब्याज सहित अपने खाते मे सीधे प्राप्त कर सके ।
38. सरकारी प्रतिभूति अधिनियम को कार्यान्वित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के पास क्या शक्तियां उपलब्ध है ?
भारतीय रिज़र्व बैंक किसी भी एजेंट या एसजीएल/सीएसजीएल खाता धारक से जानकारी मांग सकता है या उनकी जांच कर सकता है । इसके अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक इन्हें या किसी भी ऐसे व्यक्ति जो कि सरकारी प्रतिभूतियों के व्यवहार में शामिल हो, को निर्देश जारी कर सकता है ।
39. सरकारी प्रतिभूति अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघंन करने के लिए दंड के क्या प्रावधान है ?
यदि कोई व्यक्ति किसी सरकारी प्रतिभूति का अपने पक्ष में हक पाने अथवा किसी अन्य व्यक्ति को यह हक दिलाने के लिए मिथ्यावचन करता है, तो वह, अधिकतम 6 माह तक कारावास या जुर्माना या दोनों का पात्र होगा । इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति सरकारी प्रतिभूति अधिनियम के प्रावधानों या इसमे अंतर्गत जारी किसी विनियम, अधिसूचना या निर्देश का उल्लंघन करता है या एसजीएल/सीएसजीएल खातो को खोलने और जारी रखने के नियम और शर्तो का उल्लंघन करता है ,तो भारतीय रिज़र्व बैंक उसे 5 लाख रूपए का दंड लगा सकता है और यदि ऐसा उल्लंघन जारी रहता है, तो आगे प्रति दिन 5 हजार रुपए के हिसाब से उल्लंघन जारी रहने तक दंड लगा सकता है ।
राहत / बचत बांड के संबंध में एफएक्यू (FAQs)
जैसा कि पहले बताया है कि राहत / बचत बांड सरकारी प्रतिभूतियां है, और इसे स्टॉक और बीएलए के रुप में आरबीआई द्वारा एवं बीएलए के रुप में एजेंसी बैंक द्वारा जारी की जाती है । स.प्र.अधिनियम एवं.स.प्र.विनियम के प्रावधान उन पर भी लागू होते है । राहत /बचत बांड धारकों की सुविधा के लिए कुछ विशेष जानकारी प्रस्तुत की जा रही है ।
40. क्या राहत / बचत बांड के लिए नामांकन सुविधा उपलब्ध है ?
हां, सरकारी प्रतिभूति होने से यह सुविधा उपरोक्त प्रश्न संख्या 17,18,19,20,21 एवं 22 में स्पष्ट किए अनुसार उपलब्ध है ।
41 क्या राहत / बचत बांड धारकों को आटोमेटिक रिडम्पशन सुविधा उपलब्ध है ?
जी हां, उपरोक्त राहत/बचत बांड धारकों को आटोमेटिक रिडम्पशन सुविधा अर्थात परिपक्वता राशि तथा ब्याज को देय तिथि पर सीधे उसके खाते में जमा करने की सुविधा, बिना कोई भौतिक डिस्चार्ज प्रस्तुत किए और आरबीआई या एजेंसी बैंक के कार्यालय मे जाए बिना, प्रश्न क्र.36 एवं 37 में दिए गए स्पष्टीकरण के अंतर्गत उपलब्ध है ।
42. राहत / बचत बांड पर ब्याज का भुगतान किस प्रकार किया जाता है ?
इन बांडस के निवेशकों को संचयी / गैर संचयी ब्याज भुगतान का विकल्प होता है । कम्यूलेटिव बांड में परिपक्वता के समय मूल के साथ ब्याज भुगतान दिया जाता है । नॉन कम्यूलेटिव बांड में ब्याज अर्धवार्षिक अंतराल पर भुगतान किया जाता है । यदि निवेशक निरंतर आय चाहता है तो वह गैर संचयी का विकल्प चुनें । ब्याज, ब्याज वारंट (रजिस्टर्ड पोस्ट द्वारा) या ईसीएस सुविधा से भुगतान किया जाता है, जिसके लिए निवेशक के बैंक खाते की जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक या एजेंसी बैंक से ईसीएस फार्म प्राप्त कर प्रस्तुत करना होता है (इस एफ़एक्यू के अंत मे आदर्श फार्मेट दिया गया है ) ।
43. क्या राहत / बचत बांड के संबंध में टीडीएस कटौती की जाती है ?
प्रश्न 31 में दिए गए स्पष्टीकरण के अनुसार सरकारी प्रतिभूति पर भुगतान किए गए ब्याज पर 1 जून 1997 से कोई टीडीएस नही काटा जाएगा । हालांकि वित्त अधिनियम 2007 एवं भारत सरकार की अधिसूचना क्र. एफ 4 (10) W & M/2003 दिनांक 31/05/2007 के अनुसार 1 जून 2007 से 8% बचत ( करयोग्य ) बांड, 2003 में वित्तीय वर्ष में 10000 से ज्यादा ब्याज पर स्त्रोत पर कर की कटौती की जाएगी । तदनुसार 8% बचत बांड 2003 (कर योग्य) को छोड़कर अन्य राहत/बचत बांड पर टीडीएस की कटौती नहीं की जाती है ।
44. क्या राहत / बचत बांड को संपार्श्विक के रुप में गिरवी, दृष्टिबंधक या गृहणाधिकार के अधीन रखकर ऋण प्राप्त करने की निवेशक को सुविधा प्राप्त है ?
हां, अन्य सरकारी प्रतिभूति की तरह राहत /बचत बांड के लिए यह सुविधा प्रश्न 33 एवं 34 में दिए गए स्पष्टीकरण के अधीन प्राप्त है । भारत सरकार ने 7% बचत बांड 2002, 6.5% बचत बांड, 2003 (कर मुक्त) एवं 8% बचत (कर योग्य) बांड 2003 में संशोधन की अधिसूचना जारी कर 19 अगस्त 2008 से अनुसूचित बैंकों से ऋण प्राप्त करने के लिए गिरवी, दृष्टिबंधक या ग्रहणाधिकार के अंतर्गत इन बांडस को संपार्श्विक के रुप में रखने की अनुमति प्रदान की है । हालांकि ऐसी सुविधा केवल बांड धारकों को ही प्राप्त है, न कि तीसरे पक्षों को ।
45. मृतक एकमात्र /संयुक्त बांड धारक मे राहत /बचत बांड के उत्तराधिकारी निर्धारित करने की क्या प्रक्रिया /कागजी कार्रवाई है ।
मृतक एकमात्र /संयुक्त बांड धारक के मामले में राहत /बचत बांड के उत्तराधिकारी निर्धारित करने की सरलीकृत प्रक्रिया प्रश्न 16 पर दी गई है ।
46. क्या राहत / बचत बांड हस्तांतरणीय है ?
हां, अन्य सरकारी प्रतिभूतियों की तरह प्रश्न 14 के स्पष्टीकरण के अनुसार यह हस्तांतरणीय है, हालांकि 7% बचत बांड 2002, 6.5% बचत बांड 2003 (कर मुक्त) एवं 8% बचत बांड, 2003 (कर योग्य) के लिए जारी सरकारी अधिसूचना में हस्तांतरण की आवश्यक शर्ते दी गई है । ये सभी तीन बांड धारक की मृत्यु की दशा में हस्तांतरणीय है एवं इसके अलावा 7% बचत बांड 2002 एवं 6.5% बचत बांड 2003 (कर मुक्त) रिश्तेदारों को उपहार के रुप में हस्तांतरणीय है रिश्तेदारों की परिभाषा भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 6 के अनुसार होगी, जोकि नीचे दी गई है :
एक व्यक्ति दूसरे का रिश्तेदार तभी माना जाएगा यदि,
ए) वे हिन्दू अविभक्त परिवार के सदस्य हो, या
बी) वे पति-पत्नी हो, या
सी) वे भारतीय कंपनी अधिनियम,1956 की अनुसूचित 1 ए के दर्शाए तरीके से एक दूसरे से संबंधित हो ।
उपरोक्त के अलावा, स.प्र.विनियमावली के विनियम 21(3) के अनुसार उपरोक्त तीन बचत बॉन्ड यदि गिरवी रखने वाला/ उधारदाता यदि गिरवी, दृष्टिबंधक या ग्रहणाधिकृत पर स्वामित्व करना चाहे, तो यह उसके हक में हस्तांतरणीय होगी ।
यह एफएक्यू भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा केवल सामान्य जानकारी एवं मार्गदर्शन के लिए दिया है, बैंक इसके आधार पर लिए गए निर्णय / की गई कार्रवाई के लिए उत्तरदायी नही है । व्याख्या / स्पष्टीकरण के लिए निवेशक कृपया सरकार एवं बैंक द्वारा समय -समय पर जारी संबंधित परिपत्र / अधिसूचना एवं सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 एवं सरकारी प्रतिभूति विनियम 2007 से मार्गदर्शन प्राप्त करें ।
47 क्या निवेशक ब्याज वारंट/निवेश की परिपक्वता राशि आदि की प्राप्ति/जमा देरी से प्राप्त होने पर क्षतिपूर्ति का हकदार है?
बैंक, उपरोक्त दर्शित वित्तीय घाटे के लिए, निवेशक को क्षतिपूर्ति का भुगतान, 8% प्रतिवर्ष की स्थिर दर (10 अप्रैल 2012 से प्रभावी) पर करेंगे।
इलेक्ट्रानिक क्लिअरिंग सर्विस (क्रेडिट क्लिअरिंग) मेंडेट फार्म
(क्रेडिट क्लिअरिंग प्रणाली के द्वारा परिपक्वता एवं ब्याज की राशि पाने के लिए निवेशक का विकल्प)
1. निवेशक /कों का नाम एवं पता :
2॰ ए) सदस्यता आईडी क्र. /बीएलए सं. :
बी) पैन/ जीआईआर संख्या* :
सी) दूरभाष / मोबाइल सं / ईमेल आईडी :
3. बैंक खाते के विवरण
ए) बैंक का नाम :
बी) शाखा का नाम :
(i) पता :
(ii) दूरभाष सं. :
सी) बैंक द्वारा जारी एमआईसीआर चेक पर छपा हुआ बैंक एवं शाखा का 9 अंकीय कोड नंबर :
डी) खाते का प्रकार (बचत, चालू या केश क्रेडिट) कोड निहित (10/11/13) :
ई) लेजर एवं लेजर फोलियो संख्या :
एफ) खाता संख्या (जैसा कि चेक बुक पर दिया है) :
(निम्नांकित बैंक प्रमाणपत्र के स्थान पर आप उपरोक्त जानकारी के सत्यापन के लिए एक निरस्त किया हुआ खाली चैक या उसकी फोटो कॉपी या बचत बैंक पास बुक के प्रथम पृष्ठ की प्रतिलिपि संलग्न कर सकते है )
4. प्रभावी होने की तिथि :
मैं/हम एतदद्वारा घोषणा करता हूं / करते है कि उपरोक्त विवरण सही और पूर्ण है । यदि जानकारी के अपूर्ण या गलत होने से लेनदेन पूर्ण नही होता है, तो मैं /हम उपयोगकर्ता संस्था को जिम्मेदार नही मानेंगे । मैंने /हमने विकल्प आमंत्रण पत्र को पढ़ लिया है एवं इस योजना के सहभागी होने के नाते अपेक्षित जिम्मदारी निभाने के लिए सहमत है ।
दिनांक :
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निवेशक(कों) के हस्ताक्षर
(संयुक्त धारिता के मामलें में, वे सभी निवेशक जिनके हस्ताक्षर लोक ऋण कार्यालय द्वारा पंजीकृत किए गए है, यहां हस्ताक्षर करें ।)
प्रमाणित किया जाता है कि उपरोक्त विवरण हमारे अभिलेख के अनुसार सही है । बैंक की मुहर
दिनांक
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बैंक के प्राधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर
* (उन निवेशकों के लिए अनिवार्य है, जिनकी परिपक्वता राशि रु.एक लाख से अधिक है ।)
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