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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

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फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन (कंपाउंडिंग)

(01 अक्टूबर 2024 तक अद्यतन)

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (FAQ’s) के माध्यम से उक्त विषय पर प्रयोगकर्ताओं के सामान्य प्रश्नों का उत्तर आसानी से समझ में आने वाली भाषा में देने का प्रयास किया गया है। तथापि, शमन के प्रयोजन से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999, विदेशी मुद्रा (शमन कार्यवाही) नियम, 2024 तथा ‘निदेश- फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन’ का संदर्भ लिया जाए।

प्रश्न 1. उल्लंघन और उल्लंघनों के शमन का अर्थ क्या है?

उत्तर: ‘उल्लंघन’ का आशय है विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 और उसके तहत जारी किसी नियम/ विनियम/ अधिसूचना/ आदेश/ निदेश/ परिपत्र, आदि के प्रावधानों का उल्लंघन। शमन का अर्थ है उल्लंघन को स्वैच्छिक रूप से स्वीकार करना, अपना दोष मानना और उसके निवारण के लिए अनुरोध करना। फेमा, 1999 की धारा 13 में यथा-परिभाषित उल्लंघनों के अंतर्गत, उक्त अधिनियम की धारा 3(ए) के तहत हुए उल्लंघनों को छोड़कर, उल्लंघनकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर देने के बाद कतिपय विनिर्दिष्ट राशि के बदले उल्लंघनों का शमन करने का अधिकार रिज़र्व बैंक को प्राप्त है। यह एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति अथवा कंपनी स्वयं द्वारा स्वीकार किए गए उल्लंघन के शमन हेतु आवेदन करता/करती है। फेमा, 1999 के किसी उपबंध के उल्लंघन के शमन की प्रक्रिया उस व्यक्ति को एक तरह से सहूलियत प्रदान करती है, क्योंकि इसमें लेनदेन की प्रक्रियागत लागत अपेक्षाकृत कम होती है। इसके अलावा, विदेशी मुद्रा (शमन कार्यवाही) नियम, 2024 के नियम 9 के अंतर्गत आने वाले मामले रिज़र्व बैंक द्वारा शमन किए जाने हेतु पात्र नहीं होंगे।

प्रश्न 2. शमन के लिए कौन आवेदन कर सकता है?

उत्तर: यदि कोई व्यक्ति फेमा, 1999 के किसी प्रावधान [धारा 3(ए) को छोड़कर] का उल्लंघन करता है अथवा इस अधिनियम के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए जारी किये गये किसी नियम, विनियम, अधिसूचना, निदेश अथवा आदेश का उल्लंघन करता है अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा जिस शर्त के अधीन प्राधिकार जारी किया गया है, उस शर्त का उल्लंघन करता है, तो वह रिज़र्व बैंक के पास शमन के लिए आवेदन कर सकता है। फेमा, 1999 की धारा 3(ए) के तहत उल्लंघनों के शमन हेतु आवेदन प्रवर्तन निदेशालय (डीओई) को प्रस्तुत किए जाएं।

प्रश्न 3. किसी व्यक्ति को शमन के लिए आवेदन कब करना चाहिए?

उत्तर: यदि किसी व्यक्ति को रिज़र्व बैंक अथवा अन्य किसी सांविधिक प्राधिकारी अथवा लेखापरीक्षक से अथवा किसी अन्य प्रकार से यह ज्ञात होता है कि उसने फेमा, 1999 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है तो वह या तो स्वेच्छा से अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उल्लंघन-ज्ञापन के आधार पर शमन हेतु आवेदन कर सकता है।

प्रश्न 4. शमन के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया क्या है?

उत्तर: आवेदनकर्ता शमन हेतु आवेदननिदेश-फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन’ के अनुबंध-I, अनुबंध-II तथा अनुबंध-III पर दिए गए दस्तावेजों/ फॉर्मेट के साथ, भौतिक रूप से या रिज़र्व बैंक के प्रवाह (PRAVAAH) पोर्टल के माध्यम से प्रस्तुत कर सकता है।

प्रश्न 5. क्या शमन के लिए किसी शुल्क का भुगतान किया जाना आवश्यक है?

उत्तर: हाँ। शमन के लिए सभी आवेदनों को 10,000/- (साथ में यथालागू जीएसटी, जो वर्तमान में 18% है) के निर्धारित शुल्क के साथ प्रस्तुत किया जाएगा जिसका भुगतान “भारतीय रिज़र्व बैंक” के पक्ष में आहरित और संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय/ सीओ सेल, नई दिल्ली/ केंद्रीय कार्यालय में भुगतान योग्य डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से अथवा राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (NEFT) के माध्यम से या किसी अन्य स्वीकार्य इलेक्ट्रॉनिक या ऑनलाइन भुगतान माध्यम से किया जाना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान करने के लिए आवश्यक ब्योरा ‘निदेश- फेमा 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन’ के अनुबंध I में दिया गया है। यदि आवेदन शुल्क राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (NEFT) अथवा किसी अन्य स्वीकार्य इलेक्ट्रॉनिक भुगतान माध्यम से किया जाता है तो ‘निदेश- फेमा 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन’ के अनुबंध I के पैरा बी में दिए गए टेम्पलेट में यथाशीघ्र, लेकिन भुगतान समय से 2 घंटे के भीतर उल्लंघन के शमन की राशि के भुगतान की सूचना ई-मेल के माध्यम से भेजनी सुनिश्चित की जाए।

यह भी नोट किया जाए कि यदि किसी कारणवश शमन आवेदन वापस लौटा दिया जाता है तो, आवेदन शुल्क की राशि, यदि इसका भुगतान किया जा चुका है, की वापसी नहीं की जाएगी। हालांकि, यदि इस प्रकार के आवेदन पुन: किए जाते हैं तो आवेदन शुल्क का भुगतान दोबारा करने की आवश्यकता नहीं होगी।

प्रश्न 6. आवेदन पत्र/ फॉर्म में कौन-सी जानकारी भरनी है?

उत्तर: फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों के शमन के लिए आवेदन करते समय आवेदनकर्ता से अपेक्षित है कि वह निर्धारित फॉर्मेट में आवेदन पत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, बाह्य वाणिज्यिक उधार, पारदेशीय प्रत्यक्ष निवेश और शाखा कार्यालय/ संपर्क कार्यालय, यथालागू, से संबंधित अनुबंधों (उपर्युक्त प्रश्न 4 के उत्तर में किए गए उल्लेख के अनुसार उक्त अनुबंध ‘निदेश- फेमा 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन’ में उपलब्ध हैं) के अनुसार ब्योरा दें और साथ में इस आशय का एक वचन-पत्र कि वे प्रवर्तन निदेशालय की जाँच के अधीन नही हैं, निरस्त चेक की प्रतिलिपि तथा संस्था के बहिर्नियम भी संलग्न किए जाएं। रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किए गए आवेदन में संपर्क का ब्योरा अर्थात आवेदक/ प्राधिकृत व्यक्ति या आवेदक के प्रतिनिधि का नाम, टेलीफोन/ मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी भी दिया जाए।

प्रश्न 7. शमन के लिए आवेदन किसके पास किया जाए?

उत्तर: उल्लंघनकर्ता शमन हेतु अपना आवेदन ‘निदेश - फेमा 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन’ के पैरा 2.1, 2.2, 2.3 और 2.4 में उल्लिखित प्रासंगिक दस्तावेजों/ संलग्नकों सहित भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत कर सकता है।

प्रश्न 8. क्या कतिपय अनिवार्य प्रतिबद्धताओं को पूरा किए बिना शमन हेतु आवेदन पत्र रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किया जा सकता है?

उत्तर: नहीं। उल्लंघनों के शमन के लिए अनुरोध करने से पहले सभी आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने आवश्यक हैं और सभी अनुपालन पूर्ण किये जाने अपेक्षित हैं। ‘निदेश- फेमा 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन’ के पैरा 2.4 में यथा उल्लिखित संपूर्ण प्रशासनिक कार्रवाई पूरी हो जाने के बाद ही शमन किया जा सकता है।

प्रश्न 9. संवेदनशील उल्लंघन कौन-से होते हैं?

उत्तर: धन-शोधन निवारण, आतंकवाद का वित्तपोषण अथवा राष्ट्र की सार्वभौमिकता और अखंडता को प्रभावित करने की आशंका वाले गंभीर उल्लंघनों को संवेदनशील उल्लंघन माना जाता है। इन उल्लंघनों का शमन भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नहीं किया जाएगा।

10. क्या वैयक्तिक सुनवाई के लिए उपस्थित होना अनिवार्य है?

उत्तर: वैयक्तिक सुनवाई या तो भौतिक रूप से या वर्चुअल माध्यम से की जा सकती है। यद्यपि, वैयक्तिक सुनवाई के लिए उपस्थित होना या इसका विकल्प चुनना अनिवार्य नहीं है। यदि कोई व्यक्ति व्यक्तिगत सुनवाई के लिए उपस्थित न रहने का विकल्प चुनता है तो वह अपनी इच्छा/ पसंद (preference) के बारे में लिखित सूचना देनी होगी। ऐसे में, शमन प्राधिकारी को प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर आवेदन पत्र का निपटान किया जाएगा। तथापि, यह नोट किया जाए कि मामले में स्वयं उपस्थित होने अथवा न होने का विकल्प देने से शमन आदेश में लगाई गई शमन राशि पर कोई असर नहीं पड़ता है, क्योंकि शमन राशि की गणना ‘निदेश- फेमा 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन’ में निहित कम्प्यूटेशन मैट्रिक्स पर मार्गदर्शी टिप्पणी के पैरा 5.4 के आधार पर किया जाता है।

प्रश्न 11. क्या आवेदक वैयक्तिक सुनवाई के लिए उपस्थित रहने हेतु किसी अन्य व्यक्ति को प्राधिकृत कर सकता है?

उत्तर: हाँ! आवेदक वैयक्तिक सुनवाई के लिए उपस्थित रहने हेतु अपनी ओर से किसी अन्य व्यक्ति को केवल उचित लिखित प्राधिकार-पत्र के साथ प्राधिकृत कर सकता है। यह सुनिश्चित करना होगा कि आवेदक की ओर से उपस्थित होने वाला व्यक्ति उल्लंघन के स्वरूप और उससे संबंधित विषय से भली भाँति परिचित हो। हालांकि, रिज़र्व बैंक व्यक्तिगत सुनवाई के लिए आवेदक द्वारा किसी प्रतिनिधि को भेजने/ विधि विशेषज्ञ/ कंसल्टैंट, आदि को साथ लाने के बजाय उसे स्वयं उपस्थित होने के लिए प्रोत्साहित करता है क्योंकि शमन तो स्वयं स्वीकार किए गए उल्लंघनों का ही किया जाता है।

प्रश्न 12. शमन प्रक्रिया का निष्कर्ष किस तरह निकाला जाता है?

उत्तर: शमन प्राधिकारी द्वारा एक आदेश पारित किया जाता है जिसमें उल्लंघन तथा फेमा, 1999 के उन प्रावधानों, जिनका उल्लंघन किया गया है, का ब्योरा दिया जाता है। इस शमन आदेश में ही शमन राशि भी दर्शायी जाती है। शमन आदेश में निर्दिष्ट शमन राशि का भुगतान कर दिए जाने पर शमन की प्रक्रिया पूरी होती है।

प्रश्न 13. शमन राशि की गणना के मानदंड क्या हैं?

उत्तर: शमन पर लगाई जाने वाली दंड की राशि की गणना संबंधी मार्गदर्शी सिद्धांत ‘निदेश- फेमा 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन’ के पैरा 5.4 में दिया गया है। तथापि, यह नोट किया जाए की उपर्युक्त मार्गदर्शी ढांचा केवल विभिन्न कार्यालयों में शमन प्राधिकारियों द्वारा लगाई जाने वाली दंड की राशि को मोटे तौर पर मानकीकृत करने के प्रयोजन के लिए है तथा दंड की वास्तविक राशि भिन्न हो सकती है जो जो कि ‘निदेश- फेमा 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन’ के पैरा 5.3 में उल्लिखित कारकों की दृष्टि से मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करती है।

प्रश्न 14. आदेश में दी गयी राशि का भुगतान कब किया जाए?

उत्तर: शमन आदेश में उल्लिखित शमन राशि का भुगतान ‘भारतीय रिज़र्व बैंक’ के पक्ष में आहरित डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से अथवा राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (NEFT) या तत्काल सकल निपटान (RTGS) के माध्यम से अथवा किसी अन्य स्वीकार्य इलेक्ट्रॉनिक या ऑनलाइन भुगतान माध्यम से ऐसे उल्लंघन के शमन आदेश की तारीख से 15 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। डिमांड ड्राफ्ट किस प्रकार आहरित और जमा किया जाना है/ इलेक्ट्रॉनिक भुगतान माध्यमों से निधि अंतरण के लिए बैंक खाते का ब्योरा शमन आदेश में दर्शाया जाएगा।

प्रश्न 15. शमन आवेदन को अंतिम निपटान किस प्रकार किया जाता है?

उत्तर: जिस उल्लंघन का शमन किया गया है, उसके लिए निर्धारित शमन राशि की प्राप्ति हो जाने पर रिज़र्व बैंक द्वारा एक प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा जिसमें लिखा होगा कि आवेदक ने शमन प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश का अनुपालन कर लिया है।

प्रश्न 16. यदि आदेश की तारीख से 15 दिनों के भीतर रकम अदा नहीं की जाती, तो क्या होता है?

उत्तर: यदि आदेश की तारीख से 15 दिनों के भीतर रकम अदा नहीं की जाती है तो यह समझा जाएगा कि आवेदक ने रिज़र्व बैंक को शमन के लिए कभी आवदेन किया ही नहीं था और उल्लंघन के संबंध में फेमा, 1999 के अन्य उपबंध लागू होंगे। ऐसे मामले आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रवर्तन निदेशालय को संदर्भित किए जाएंगे।

प्रश्न 17. क्या शमन प्राधिकारी के आदेश के विरुद्ध कोई अपील की जा सकती है?

उत्तर: चूँकि शमन की कार्यवाही स्वैच्छिक रूप से स्वीकार और प्रकट किए गए उल्लंघनों वाले मामलों में ही की जाती है, अत: विदेशी मुद्रा (शमन कार्यवाही) नियम, 2024 के अंतर्गत शमन प्राधिकारी के आदेश के विरुद्ध अपील करने अथवा लगाए गए दण्ड की राशि को कम करने अथवा दण्ड की राशि के भुगतान के लिए और अधिक समय देने संबंधी अनुरोध हेतु कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

प्रश्न 18. शमन प्रक्रिया को पूरा करने की समय-सीमा क्या है?

उत्तर: रिज़र्व बैंक को सभी प्रकार से पूर्ण आवेदन पत्र की प्राप्त होने की तारीख से 180 दिनों के भीतर शमन प्रक्रिया पूरी की जाती है।

प्रश्न 19. शमन के संबंध में और अधिक ब्योरा कहाँ मिलेगा?

उत्तर: इस संबंध में रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध ‘निदेश- फेमा 1999 के तहत उल्लंघनों का शमन’ का संदर्भ लिया जा सकता है।


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