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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

(09 नवंबर 2021 को अद्यतन किया गया)

क) समायोजित निवल बैंक ऋण की गणना (एएनबीसी)
ख) पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन
ग) कृषि
घ) एमएसएमई
ङ) निर्यात ऋण
च) शिक्षा
छ) सामाजिक बुनियादी संरचना
ज) कमजोर वर्ग
झ) बैंकों द्वारा प्रतिभूत आस्तियों में निवेश/ सीधे समनुदेशन/एकमुश्त खरीद के माध्यम से आस्तियों का हस्तांतरण
ञ) पीएसएलसी
ट) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत ऑन-लेंडिंग
ठ) बैंकों और एनबीएफसी द्वारा सह-उधार

क) समायोजित निवल बैंक ऋण की गणना (एएनबीसी)

प्रश्न 1: एएनबीसी की गणना में पीएसएलसी खरीद/पीएसएलसी बिक्री को कैसे समायोजित किया जाए?

उत्तर: निवल पीएसएलसी बकाया (खरीदी गई पीएसएलसी घटाव(-) बेची गई पीएसएलसी) को निवल बैंक ऋण में जोड़ा जाता है, जैसा कि पीएसएल, 2020 पर मास्टर निदेश के पैरा 6 (समय-समय पर अद्यतन) में उल्लिखित है। इसके अलावा, एक पीएसएलसी अपनी समाप्ति तक बकाया रहता है (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रमाणपत्र पर दिनांक 07 अप्रैल 2016 की अधिसूचना के क्रमांक ix), सभी पीएसएलसी 31 मार्च तक समाप्त हो जाएंगे और रिपोर्टिंग तिथि (अर्थात 31 मार्च) से आगे मान्य नहीं होंगे, भले ही पूर्व में उसके खरीद / बेचने की तिथि कुछ भी हो। तदनुसार, एएनबीसी में पीएसएलसी खरीद संबंधी प्रभाव में वृद्धि होती है और इसके विपरीत पीएसएलसी की बिक्री का प्रभाव एएनबीसी में कम होता है तथा पीएसएलसी की खरीद/बिक्री का निवल प्रत्येक तिमाही के लिए एएनबीसी में समायोजित किया जाता है। अतः किसी भी तिमाही में खरीदे या बेचे गए पीएसएलसी को वित्त वर्ष के अंत तक सभी बाद की तिमाहियों में ध्यान में रखना होगा, जिससे वह संबंधित है।

प्रश्न 2: टीएलटीआरओ 2.0 के तहत एचटीएम श्रेणी के अंतर्गत अधिग्रहित और रखी गई प्रतिभूतियों के अंकित मूल्य (एफएक्यू के प्रश्न 11 के साथ पठित दिनांक 17 अप्रैल 2020 की प्रेस प्रकाशनी 2019-2020/2237 तथा दिनांक 27 अप्रैल 2020 के एसएलएफ-एमएफ- प्रेस प्रकाशनी 2019-2020/2276 तथा दिनांक 30 अप्रैल 2020 के प्रेस प्रकाशनी 2019-2020/2294 के माध्यम से एसएलएफ-एमएफ योजना के तहत बढ़ाया गया विनियामक लाभ) को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी लक्ष्य/उप-लक्ष्यों को निर्धारित करने के प्रयोजन से समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) की गणना से बाहर रखने की अनुमति है। यह अपवर्जन कैसे किया जाए?

उत्तर: समायोजित निवल बैंक ऋण की गणना संबंधी जानकारी प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2020 पर मास्टर निदेश के पैरा 6 के तहत प्रदान की गई है। टीएलटीआरओ 2.0 और एसएलएफ-एमएफ (बढ़ाए गए विनियामक लाभों सहित) के तहत प्राप्त प्रतिभूतियों का अंकित मूल्य कम किया जाना है (जैसा कि पीएसएल पर मास्टर निदेश के पैरा 6.1 के 'IX' में कहा गया है)। चूंकि इन प्रतिभूतियों को एचटीएम निवेश के रूप में माना जाता है, अतः बैंकों को उन्हें एचटीएम श्रेणी के तहत गैर-एसएलआर श्रेणियों में बांड/डिबेंचर के रूप में जोड़ना होगा (जैसा कि पीएसएल पर मास्टर निदेश के पैरा 6.1 के 'X' में कहा गया है)। यह परिकल्पना की गई है कि टीएलटीआरओ 2.0 और एसएलएफ-एमएफ (बढ़ाए गए विनियामक लाभों सहित) के तहत अधिग्रहित प्रतिभूतियों के कारण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी लक्ष्य/उप-लक्ष्यों में वृद्धि नहीं होनी चाहिए। प्रतिभूतियों (X) के अंकित मूल्य को जोड़ने और प्रतिभूतियों के अंकित मूल्य (IX) को कम करने से टीएलटीआरओ 2.0 और एसएलएफ-एमएफ (बढ़ाए गए विनियामक लाभों सहित) में निवेश के कारण एएनबीसी में कोई वृद्धि नहीं होगी।

प्रश्न 3: क्या पीएसएल की कमी के कारण डीएफआई अर्थात नाबार्ड, सिडबी, मुद्रा और एनएचबी के पास जमा राशि को पीएसएल / लक्ष्यों / उप-लक्ष्यों और एएनबीसी की उपलब्धि के लिए गिना जा सकता है?

उत्तर: बैंक कृषि और समग्र पीएसएल उपलब्धि के तहत नाबार्ड के पास बकाया जमाराशियों की गणना कर सकते हैं, जबकि सिडबी, मुद्रा और एनएचबी के पास जमा को केवल समग्र पीएसएल उपलब्धि के लिए गिना जा सकता है। समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) की गणना के लिए बैंकों को इन जमाराशियों को निवल बैंक ऋण (एनबीसी) में भी जोड़ना चाहिए।

हालांकि, नाबार्ड, सिडबी, मुद्रा और एनएचबी के पास जमाओं को उप-लक्ष्य संबंधी उपलब्धि अर्थात एसएमएफ, एनसीएफ, सूक्ष्म और कमजोर वर्ग के लिए नहीं गिना जा सकता है।

प्रश्न 4: दिनांक 14 अगस्त 2013 के परिपत्र बैंपविवि.सं.आरईटी.बीसी.36/12.01.001/2013-14 के पैरा 3 तथा दिनांक 31 जनवरी 2014 के परिपत्र बैंपविवि.सं.आरईटी.बीसी.93/12.01.001/2013-14 के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया था कि वृद्धिशील एफसीएनआर(बी)/एनआरई जमाराशियों पर भारत में प्रदत्त अग्रिमों को, जो उक्त परिपत्र के अनुसार सीआरआर/एसएलआर अपेक्षाओं से छूट के लिए पात्र हैं, उनकी चुकौती तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी लक्ष्यों की गणना के लिए समायोजित निवल बैंक ऋण में शामिल नहीं किया जाएगा। इस तरह के अग्रिमों की सीमा तक पहुंचने का तरीका क्या है?

उत्तर: i. संदर्भाधीन परिपत्र के अनुसार, एएनबीसी से अपवर्जन के लिए पात्र राशि, पात्र वृद्धिशील एफसीएनआर (बी)/ एनआरई जमाराशियों से उत्पन्न संसाधनों से दिए गए वृद्धिशील अग्रिम हैं। वृद्धिशील अग्रिम की गणना 7 मार्च 2014 को भारत में बकाया अग्रिमों और आधार तिथि (26 जुलाई 2013) के बीच के अंतर के रूप में की जाती है।

ii. संदर्भाधीन परिपत्रों के अनुसार, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की गणना के लिए एएनबीसी से बाहर की जाने वाली राशि निश्चित रूप से सीआरआर/एसएलआर के रखरखाव से छूट के लिए पात्र वृद्धिशील एफसीएनआर (बी)/ एनआरई जमाराशियों से अधिक नहीं होगी।

iii. यदि 7 मार्च 2014 और आधार तिथि के बीच बकाया अग्रिमों की राशि में अंतर शून्य या ऋणात्मक है, तो कोई भी राशि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से एएनबीसी से कटौती के लिए पात्र नहीं होगी।

प्रश्न 5: क्या बैंकों को 'भारत में बैंक ऋण' की गणना करते समय खरीदे गए/भुनाए गए/परक्रामित बिलों (लाभार्थी को भुगतान जो रिज़र्व के तहत नहीं है) को बाहर रखने की अनुमति है?

उत्तर: एलसी के तहत खरीदे गए/ भुनाए गए/ परक्रामित बिलों (लाभार्थी को भुगतान जो रिज़र्व के तहत नहीं है) को केवल एक्सपोजर और पूंजी आवश्यकताओं की गणना के सीमित उद्देश्य के लिए अंतर बैंक एक्सपोजर के रूप में मानने की अनुमति है। इसे 'भारत में बैंक ऋण' की गणना से बाहर नहीं किया जाना चाहिए [जैसा कि आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 42(2) के तहत फॉर्म 'ए' के मद सं. VI में निर्धारित है] जो अंतर बैंक अग्रिम को बाहर रखने की अनुमति देता है। एक्सपोजर, एलसी जारी करने वाले बैंक के लिए हो सकता है, जबकि खरीदे गए बिल/ भुनाई गई राशि उसके उधारकर्ता घटक को बैंक क्रेडिट के रूप में है। यदि यह अग्रिम प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र है, तो बैंक इसे पीएसएल के रूप में दावा कर सकता है। बैंकों को भारत में निवल बैंक ऋण को रिपोर्ट करने के साथ-साथ पीएसएल लक्ष्यों और उपलब्धि के लिए समायोजित निवल बैंक ऋण की गणना करते समय उपरोक्त पहलू पर ध्यान देना चाहिए।

ख) पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन

प्रश्न 6: संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार वृद्धिशील भारांक की गणना कैसे की जाएगी?

उत्तर: जैसा कि "पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन" के संबंध में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2020 पर मास्टर निदेश के पैरा 7 में वर्णित है, वित्त वर्ष 2021-22 से प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्रों के वृद्धिशील ऋण में अंतर संबंधी भारांक की गणना की जाएगी। प्रति व्यक्ति कम पीएसएल ऋण वाले चयनित 184 जिलों के लिए वृद्धिशील ऋण पर भारांक 125% और प्रति व्यक्ति उच्च पीएसएल ऋण वाले चयनित 205 जिलों के लिए वृद्धिशील ऋण पर भारांक 90% होगा। वृद्धिशील भारांक की गणना लक्ष्य/उप-लक्ष्यों पर की जाएगी। तदनुसार, आरआईडीएफ और अन्य निधियों का आवंटन कुल कमी के आधार पर किया जाएगा, जिसमें निर्धारित विभेदक भारांक के अनुसार वृद्धिशील ऋण पर की गई गणना संबंधी कमी शामिल है।

प्रश्न 7: क्या ऋण में गिरावट या नकारात्मक वृद्धिशील ऋण के मामले में भारांक लागू होगा?

उत्तर: यदि ऋण में गिरावट होती है, तो भारांक वृद्धिशील ऋण शून्य (0) होगा। नीचे दी गई कार्यप्रणाली के अंतर्गत उन सभी जिलों के लिए विचार किया जाएगा जिनके लिए एडीईपीटी में डेटा रिपोर्ट किया गया है। बैंकों से अनुरोध है कि एडीईपीटी के तहत रिटर्न जमा करने के प्रारूप के संबंध में हमारे सांख्यिकी प्रभाग (fiddstats@rbi.org.in) से संपर्क करें, यदि इसे बैंक द्वारा अभी तक जमा नहीं किया गया है। इसके अलावा, ऊपर वर्णित कार्यप्रणाली के आधार पर, बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे पीएसएलसी में ट्रेडिंग के प्रयोजन हेतु पहचान किए गए जिलों में संवितरित ऋण के लिए विभेदक भारांक के निर्धारण को ध्यान में रखते हुए वर्ष के दौरान अपनी स्वयं की पीएसएल उपलब्धि की निगरानी करें।

Chart 1

* क्यूपीएसए की रिपोर्टिंग तिथियों के अनुसार औसत उपलब्धि एक वर्ष की चार तिमाहियों का औसत होगा। इसी तरह की गणना अन्य पीएसएल लक्ष्यों के लिए की जाएगी।

प्रश्न 8: किसी विशेष जिले के लिए क्रेडिट मैपिंग हेतु क्या मानदंड है?

उत्तर: किसी विशेष जिले में क्रेडिट सुविधा की मैपिंग के लिए, 'ऋण के उपयोग का स्थान' योग्यता मानदंड होगा।

प्रश्न 9: अप्रत्यक्ष मार्गों अर्थात पीएसएलसी, आईबीपीसी, ऑन-लेंडिंग, सिक्योरिटाइजेशन, असाइनमेंट आदि के माध्यम से प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को प्राप्त करने के मामले में व्यक्तिगत खाता स्तर से संबंधित डेटा की मैपिंग के लिए एडीईपीटी पर ‘उपयोग का स्थान’ उपलब्ध नहीं हो सकता है। ऐसे मामले में वृद्धिशील ऋण की गणना कैसे की जाएगी?

उत्तर: भारांक निर्धारित करने के लिए जिला-वार वृद्धिशील ऋण की गणना करते समय, आंगिक ऋण अर्थात केवल बैंकों द्वारा सीधे संवितरित ऋण और जिसके लिए वास्तविक उधारकर्ता/लाभार्थी-वार विवरण बैंक की बहियों में रखा जाता है, पर विचार किया जाएगा। निम्नलिखित अनांगिक मार्गों के माध्यम से संवितरित ऋण पर वृद्धिशील भारांक के लिए विचार नहीं किया जाएगा।

  1. बैंकों द्वारा प्रतिभूत आस्तियों में निवेश
  2. प्रत्यक्ष समनुदेशन/एकमुश्त खरीद के माध्यम से आस्तियों का हस्तांतरण
  3. अंतर बैंक सहभागिता प्रमाणपत्र (आईबीपीसी)
  4. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रमाणपत्र (पीएसएलसी)
  5. एमएफआई (एनबीएफसी-एमएफआई, सोसायटी, ट्रस्ट, आदि) को ऑन-लेंडिंग के लिए बैंक ऋण
  6. ऑन-लेंडिंग के लिए एनबीएफसी को बैंक ऋण
  7. ऑन-लेंडिंग के लिए एचएफसी को बैंक ऋण

ग) कृषि

प्रश्न 10: क्या स्वर्ण के बदले बैंक ऋण को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है?

उत्तर: पीएसएल दिशानिर्देश गतिविधि और लाभार्थी विशिष्ट हैं और संपार्श्विक के प्रकार पर आधारित नहीं हैं। इसलिए कृषि गतिविधियों को संचालित करने के लिए व्यक्तियों / व्यवसायों को दिए गए बैंक ऋण केवल इस तथ्य के कारण कि अंतर्निहित आस्ति स्वर्ण आभूषण/गहने आदि हैं, वे स्वतः ही प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए अपात्र नहीं हो जाते हैं। तथापि, यह नोट किया जाए कि दिनांक 07 फरवरी 2019 के एफआईडीडी परिपत्र और समय-समय पर किए गए अद्यतन के अनुसार यह सूचित किया गया है कि बैंक 1.6 लाख तक के कृषि ऋणों के लिए मार्जिन आवश्यकताओं में छूट दे सकते हैं। अतः बैंक को कृषि संबंधी गतिविधि के संचालन हेतु वित्त-मान और ऋण आवश्यकता के आकलन के आधार पर ऋण देना चाहिए न कि केवल स्वर्ण के रूप में उपलब्ध संपार्श्विक के आधार पर। इसके अलावा, जैसा कि पीएसएल के तहत सभी ऋणों पर लागू होता है, बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित आंतरिक नियंत्रण और प्रणाली स्थापित करनी चाहिए कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के तहत दिए गए ऋण स्वीकृत उद्देश्यों के लिए हैं और अंतिम उपयोग की निरंतर निगरानी की जाती है।

प्रश्न 11: क्या संबद्ध गतिविधियों में संलग्न भूमिहीन व्यक्तियों को दिए गए ऋणों को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (एसएमएफ श्रेणी) के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है?

उत्तर: किसी भी भू-धारक मानदंड के बिना संबद्ध गतिविधियों में संलग्न व्यक्तियों को 2 लाख तक के बैंक ऋण, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार की एसएमएफ श्रेणी के तहत वर्गीकरण के लिए पात्र हैं। इसके अलावा, एसएमएफ (भू-जोत के आधार पर) के तहत ऋण लेने वाले किसान भी संबद्ध गतिविधियों के तहत 2 लाख तक के ऋण के लिए पात्र हैं और इसे एसएमएफ श्रेणी के तहत भी वर्गीकृत किया जा सकता है।

प्रश्न 12: पीएसएल-कृषि/एसएमएफ के तहत ऋणों का वर्गीकरण करते समय बैंकों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

उत्तर: बैंक को पीएसएल के तहत कृषि ऋणों को वर्गीकृत करने के लिए अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित उचित दस्तावेज सुनिश्चित करना चाहिए। विशेष रूप से कृषि/एसएमएफ श्रेणी के तहत ऋणों को वर्गीकृत करते समय, बैंक को उस स्थान के बारे में जहां उधारकर्ता भूमि जोत रहा हो, उगाई गई फसल, फसलों का दृष्टिबंधक, यदि कोई हो, वित्त-मान के आधार पर ऋण की स्वीकृति, कृषि ऋणों के अंतिम उपयोग की निगरानी के लिए बैंक अधिकारियों द्वारा क्षेत्र के दौरे का रिकॉर्ड, आदि संबंधी विवरण रखना चाहिए। भूमि अभिलेख/पट्टा विलेख की प्रति के अभाव में उपरोक्त में से कुछ पहलू बैंक के पास उपलब्ध होने चाहिए, विशेष रूप से भूमिहीन मजदूरों, बटाईदारों आदि को दिए गए कृषि ऋणों के मामले में।

प्रश्न 13: 'कृषि बुनियादी संरचना' या 'खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण' श्रेणियों के अंतर्गत गतिविधियों को ऋण प्रदान करते समय बैंकों को बैंकिंग प्रणाली से 100 करोड़ की उच्चतम ऋण सीमा का पालन कैसे सुनिश्चित करना चाहिए?

उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, कृषि बुनियादी संरचना या खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण गतिविधि के लिए बैंकिंग प्रणाली से प्रति उधारकर्ता ऋण 100 करोड़ की कुल स्वीकृत सीमा के अधीन है। यदि पूरे बैंकिंग उद्योग में कुल एक्सपोजर 100 करोड़ की सीमा से अधिक होता है, तो कुल एक्सपोजर पीएसएल श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत होना बंद हो जाएगा। 100 करोड़ की स्वीकृत सीमा किसी विशेष इकाई के लिए सुविधावार सुनिश्चित की जानी चाहिए और यह पीएसएल/गैर-पीएसएल उद्देश्यों के लिए इकाई के अन्य उधारों को छोड़कर हो। हालांकि, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बैंक ने पीएसएल के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए इकाई के कृषि बुनियादी संरचना या खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण गतिविधियों के विशिष्ट उद्देश्य के लिए अलग-अलग सीमाओं का आकलन एवं मंजूरी दी है। बैंकों को उसी गतिविधि के लिए किसी अन्य बैंक/बैंकों द्वारा स्वीकृत ऋण के संबंध में उधारकर्ता से घोषणा प्राप्त करनी चाहिए तथा उन बैंकों से स्वतंत्र रूप से पुष्टि मांगनी चाहिए। ऐसे परिदृश्य में, जहां बैंक द्वारा नई मंजूरी से बैंकों की कुल सीमा 100 करोड़ से अधिक हो जाती है, तो इसके बारे में अन्य बैंकों को भी सूचित करने की आवश्यकता है। तदनुसार, अन्य सभी बैंकों को इसे पीएसएल से अवर्गीकृत करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 14: वाणिज्यिक वाहन खरीदने के लिए कार्गो कंपनियों, शिपिंग कंपनियों, रोडलाइन्स कंपनियों, ट्रांसपोर्ट कंपनियों, लॉजिस्टिक कंपनियों, मूवर्स और कैरियर्स आदि को ऋण दिए जाते हैं। ये परिवहन और शिपिंग कंपनियां ऐसे उद्यमों के लिए वाहक ('ट्रांसपोर्टर') के रूप में कार्य करती हैं जो खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण व्यवसाय में संलग्न हैं। क्या ऐसे ट्रांसपोर्टर, जो एक 'वाहक' के रूप में कार्य करता है और जिसके पास स्वयं कोई खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण सेट-अप नहीं है, को बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के तहत वर्गीकरण के लिए पात्र हैं?

उत्तर: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) पर दिनांक 4 सितंबर 2020 के मास्टर निदेश के अनुबंध-III के अनुसार, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के तहत अनुमत गतिविधियों की सांकेतिक सूची के तहत परिवहन एक पात्र गतिविधि है। हालांकि, "खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण" श्रेणी के तहत वाणिज्यिक वाहन खरीदने के लिए ट्रांसपोर्टरों को किसी भी सुविधा को वर्गीकृत करते समय, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ट्रांसपोर्टर वाहन का उपयोग केवल खाद्यान्न तथा एग्रो-प्रसंस्कृत उत्पादों के परिवहन के लिए कर रहा है या वाहन इस प्रकार का है कि जिसका उपयोग विशेष रूप से "खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण" के लिए किया जाता है, उदाहरण के लिए कोल्ड स्टोरेज ट्रक, वैन आदि। यदि वाणिज्यिक वाहन का उपयोग खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण से संबंधित उत्पादों के अलावा अन्य उत्पादों के परिवहन के लिए भी किया जाता है, तो सुविधा 'खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण' श्रेणी के तहत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होगी। ऐसे मामलों में इसे, यदि यह पीएसएल पर हमारे मास्टर निदेश में इसके लिए निर्धारित शर्तों को पूरा करता है, एमएसएमई (सेवा) के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है।

प्रश्न 15: क्या वाणिज्यिक वाहन खरीदने के लिए कंपनियों को दिए गए बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की "कृषि बुनियादी संरचना" श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र हो सकते हैं?

उत्तर: "कृषि बुनियादी संरचना" श्रेणी के तहत वाणिज्यिक वाहन खरीदने के लिए ट्रांसपोर्टरों को किसी भी सुविधा को वर्गीकृत करते समय, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ट्रांसपोर्टर/ उप-ठेकेदार वाहन का उपयोग केवल उन गतिविधियों के लिए कर रहे हैं जो "कृषि बुनियादी संरचना" से संबद्ध है। यदि वाणिज्यिक वाहन का उपयोग गैर-कृषि बुनियादी संरचना श्रेणी के तहत परिवहन के लिए भी किया जाता है, तो सुविधा ‘कृषि बुनियादी संरचना’ के तहत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होगी। ऐसे मामलों में इसे, यदि यह पीएसएल पर हमारे मास्टर निदेश में इसके लिए निर्धारित शर्तों को पूरा करता है, एमएसएमई (सेवा) के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है।

घ) एमएसएमई

प्रश्न 16: क्या 3 वर्ष के लिए पीएसएल स्थिति की निरंतरता अभी भी उन एमएसएमई पर लागू है जिन्होंने एमएसएमई की नई परिभाषा के अनुसार प्रारंभिक सीमा को पार कर लिया है?

उत्तर: भारत सरकार (जीओआई) ने दिनांक 26 जून 2020 के राजपत्र अधिसूचना एस.ओ. 2119 (ई) और समय-समय पर अद्यतन, के माध्यम से एमएसएमई के तहत किसी उद्यम के वर्गीकरण के लिए संयंत्र और मशीनरी में निवेश के साथ-साथ आवर्त के नए सम्मिश्र मानदंडों को अधिसूचित किया है। सम्मिश्र मानदंड के तहत, यदि कोई उद्यम निवेश या आवर्त के दो मानदंडों में से किसी एक में अपनी वर्तमान श्रेणी के लिए निर्दिष्ट उच्चतम सीमा को पार करता है, तो वह उस श्रेणी में मौजूद नहीं रहेगा और अगली उच्च श्रेणी में चला जाएगा, लेकिन कोई उद्यम तबतक निचली श्रेणी में नहीं आएगा जब तक कि वह निवेश और आवर्त दोनों के मानदंडों में अपनी वर्तमान श्रेणी के लिए निर्दिष्ट उच्चतम सीमा से नीचे नहीं आ जाता। नई परिभाषा के आधार पर, संबंधित एमएसएमई श्रेणी से उद्यम के बाहर निकलने के बाद भी तीन वर्ष के लिए पीएसएल स्थिति की निरंतरता के संबंध में पहले का मानदंड अब मान्य नहीं है।

ङ) निर्यात ऋण

प्रश्न 17: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के तहत निर्यात ऋण के लिए अनुमत सीमा क्या है?

उत्तर: कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों के तहत निर्यात ऋण के लिए बैंक ऋण को संबंधित श्रेणियों अर्थात कृषि और एमएसएमई के तहत पीएसएल के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इसके लिए ऋण पर कोई उच्चतम सीमा नहीं है। निर्यात ऋण (कृषि और एमएसएमई के अलावा) को निम्न तालिका के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है:

घरेलू बैंक/विदेशी बैंकों के डब्लूओएस/एसएफबी/यूसीबी 20 और उससे अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंक 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंक
प्रति उधारकर्ता स्‍वीकृत सीमा 40 करोड़ की शर्त के अधीन, गत वर्ष की समान तारीख की तुलना में वृद्धिशील निर्यात ऋण, एएनबीसी या सीईओबीई, जो भी अधिक हो, के 2 प्रतिशत तक। गत वर्ष की समान तारीख की तुलना में वृद्धिशील निर्यात ऋण, एएनबीसी या सीईओबीई, जो भी अधिक हो, के 2 प्रतिशत तक। एएनबीसी अथवा सीईओबीई, इनमें से जो भी अधिक हो, के 32 प्रतिशत तक का निर्यात ऋण।

प्रश्न 18: निर्यात ऋण की उच्चतम सीमा की गणना करते समय, क्या इसे एक वित्तीय वर्ष की चार तिमाहियों से औसत किया जा सकता है?

उत्तर: वित्त वर्ष 2020-21 से सभी बैंकों को निर्यात ऋण के तहत पात्र पोर्टफोलियो की गणना चार तिमाहियों के औसत से करने की अनुमति है, ताकि 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंकों के लिए 32 प्रतिशत और अन्य के लिए 2 प्रतिशत से संबंधित निर्धारित उच्चतम सीमा का पालन किया जा सके। निर्यात की उच्चतम सीमा चालू वित्त वर्ष के एएनबीसी/सीईओबीई पर आधारित है।

च) शिक्षा

प्रश्न 19: संशोधित पीएसएल दिशानिर्देशों में, 20 लाख को बकाया सीमा या स्वीकृत सीमा के रूप में संदर्भित किया गया है?

उत्तर: केवल ऐसे ऋण जो 20 लाख की स्वीकृत सीमा के भीतर हैं, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे।

प्रश्न 20: यदि एक ही उधारकर्ता के पास 04-09-20 से पहले और बाद में अलग-अलग ओपनिंग तारीखों के साथ कई शिक्षा ऋण हैं, तो पीएसएल के तहत किस मूल्य (प्रति उधारकर्ता 10 लाख बकाया या प्रति उधारकर्ता 20 लाख की सीमा) पर विचार किया जाना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, छात्र ने 04.09.2020 से पहले 12 लाख का शिक्षा ऋण लिया था, फिर 04.09.2020 के बाद 18 लाख का दूसरा शिक्षा ऋण प्राप्त किया, इस विशेष ग्राहक के लिए पीएसएल बकाया की गणना कैसे की जाएगी?

उत्तर: 4 सितंबर 2020 से पहले स्वीकृत ऋणों के लिए, 10 लाख तक की बकाया राशि, चाहे स्वीकृत सीमा कुछ भी हो, परिपक्वता तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाना जारी रहेगा। हालांकि, पीएसएल के तहत किसी ऐसे उधारकर्ता, जिसने 4 सितंबर 2020 से पहले ही बैंक से शिक्षा ऋण प्राप्त कर लिया था, के किसी भी नए ऋण की गणना करते समय, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि पीएसएल के तहत ऋणों के वर्गीकरण के लिए कुल स्वीकृत सीमा 20 लाख से अधिक नहीं है।

उक्त स्थिति में, चूंकि संयुक्त स्वीकृत सीमा 30 लाख हो जाती है, अतः 4 सितंबर 2020 के बाद स्वीकृत 18 लाख का ऋण पीएसएल वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होगा। हालांकि, 12 लाख के ऋण के संबंध में, जो पहले के दिशानिर्देशों के अनुसार पहले से ही पीएसएल था, 10 लाख तक की बकाया राशि इस सुविधा के तहत परिपक्वता तक पीएसएल के अंतर्गत पात्र बने रहेंगे।

प्रश्न 21: संशोधित पीएसएल दिशानिर्देशों के तहत, स्वीकृत उच्चतम सीमा 20 लाख तक सीमित कर दी गई है। यदि किसी ग्राहक को 20 लाख का ऋण स्वीकृत किया जाता है और बाद में बकाया राशि 22 लाख हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में क्या पीएसएल के लिए संपूर्ण बकाया की गणना की जाएगी?

उत्तर: अध्ययन अवधि के दौरान चुकौती पर अधिस्थगन के परिणामस्वरूप उपचित ब्याज के कारण बकाया राशि 20 लाख से अधिक हो सकता है। तदनुसार, संपूर्ण बकाया राशि को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए गिना जाएगा बशर्ते कि स्वीकृत सीमा 20 लाख से अधिक न हो।

प्रश्न 22: यदि कोई छात्र 4 सितंबर 2020 के बाद 12 लाख और 18 लाख के दो शिक्षा ऋण प्राप्त करता है, तो इस विशेष ग्राहक के लिए पीएसएल की गणना कैसे की जाएगी?

उत्तर: 4 सितंबर 2020 के बाद, यदि किसी बैंक या बैंकों द्वारा एकल उधारकर्ता को स्वीकृत कई शिक्षा ऋणों की कुल स्वीकृत सीमा 20 लाख से अधिक है, तो 4 सितंबर 2020 के बाद उधारकर्ता को स्वीकृत सभी ऋण पीएसएल वर्गीकरण के लिए अपात्र हो जाएंगे। इस संबंध में, बैंकों को किसी अन्य बैंक/बैंकों द्वारा स्वीकृत शिक्षा ऋण के संबंध में उधारकर्ता से घोषणा प्राप्त करनी चाहिए और उन बैंकों से स्वतंत्र रूप से पुष्टि की मांग करनी चाहिए।

छ) सामाजिक बुनियादी संरचना

प्रश्न 23: सामाजिक बुनियादी संरचना संबंधी गतिविधियों, अर्थात स्कूल आदि (5 करोड़ की निर्धारित सीमा) और स्वास्थ्य सेवा सुविधाएं (10 करोड़ की निर्धारित सीमा) जिन्हें एमएसएमई अधिनियम के अनुसार परिभाषा के आधार पर एमएसएमई (सेवा) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, को उधार देने के लिए पीएसएल वर्गीकरण पर कैसे विचार किया जाता है?

उत्तर: उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल - एनआईसी कोड के अनुसार, सेवाओं के तहत 'प्रमुख गतिविधि', 'शिक्षा' और 'स्वास्थ्य गतिविधियां' एमएसएमई (सेवाओं) के तहत वर्गीकरण के लिए पात्र गतिविधियां हैं। अतः उपरोक्त उद्देश्यों के लिए बैंक ऋणों को एमएसएमई (सेवा) के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है, जिसमें ऋण पर कोई उच्चतम सीमा निर्धारित नहीं की गई है। हालांकि, बैंक ऐसी गतिविधियों को एमएसएमई (सेवा) या सामाजिक बुनियादी संरचना के तहत वर्गीकृत कर सकते हैं, पर दोनों के तहत नहीं। इसे नोट किया जाए कि सामाजिक बुनियादी संरचना के तहत वर्गीकरण के लिए, ऋण पर संबद्ध उच्चतम सीमा लागू होगी।

ज) कमजोर वर्ग

प्रश्न 24: साझेदारी फर्मों/प्राइवेट लिमिटेड के मामले में, यदि किसी भागीदार/निदेशक के पास 2 हेक्टेयर/5 एकड़ तक की कृषि भूमि है तो क्या दिए गए ऋण को एसएमएफ और कमजोर वर्ग के रूप में टैग किया जा सकता है?

उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, एसएमएफ में व्यक्ति, एसएचजी, जेएलजी, फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनियां (एफपीसी) और किसानों की सहकारी समितियां, सदस्यता के मानदंड संख्या और भूमि-जोत के साथ, शामिल है। अतः 2 हेक्टेयर/5 एकड़ तक कृषि भूमि रखने वाले साझेदारी फर्मों/सह-उधारकर्ताओं या कंपनी के किसी निदेशक को दिए गए ऋण पीएसएल की लघु और सीमांत किसान श्रेणी के तहत वर्गीकृत होने के पात्र नहीं हैं।

प्रश्न 25: एक साझेदारी फर्म के मामले में, यदि अधिकांश भागीदार एक या दूसरे विशिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित हैं, तो क्या ऐसी साझेदारी फर्मों को दिए गए अग्रिमों को अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिम के रूप में माना जा सकता है। इसके अलावा, प्राइवेट/पब्लिक लिमिटेड कंपनी के मामले में, यदि कोई उधारकर्ता अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित है, तो क्या ऋण को कमजोर वर्ग की श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है?

उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित सूची के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र संबंधी ऋण अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र हैं। इसे 'अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं' पर जारी मास्टर परिपत्र के पैरा 2.2 के साथ पढ़ा जा सकता है जिसमें कहा गया है कि "भागीदारी फर्म के मामले में, यदि भागीदारों में से अधिकांश एक अथवा अधिक विशिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित हैं तो, ऐसी भागीदारी फर्मों को दिए गए अग्रिमों को अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिमों में गिना जाना चाहिए। साथ ही, यदि भागीदारी फर्म में अधिकांश हिताधिकारी स्‍वामित्‍व अल्पसंख्यक समुदाय का है तो, ऐसे उधार को निर्धारित समुदायों को दिए गए अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। किसी कम्पनी का कानूनी रूप से पृथक अस्तिव होने के कारण उसे दिए गए अग्रिमों को निर्धारित अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।"

प्रश्न 26: क्या बैंक कमजोर वर्ग के अंतर्गत शामिल किए जाने वाले अल्पसंख्यक/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए ग्राहक की घोषणा पर भरोसा कर सकते हैं?

उत्तर: हमारे दिशानिर्देश बैंकों को अल्पसंख्यकों और एससी/एसटी को कमजोर वर्ग के तहत ऋण सुविधाओं को वर्गीकृत करने के लिए दस्तावेजी साक्ष्य प्राप्त करने के लिए बाध्य नहीं करते हैं। अतः ग्राहक द्वारा आवेदन पत्र में की गई घोषणा पर्याप्त होगी। हालांकि, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि कमजोर वर्गों के तहत वर्गीकरण के लिए, ऋण पहले अंतर्निहित गतिविधि के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के तहत वर्गीकरण के लिए पात्र होना चाहिए।

झ) बैंकों द्वारा प्रतिभूत आस्तियों में निवेश/ सीधे समनुदेशन/एकमुश्त खरीद के माध्यम से आस्तियों का हस्तांतरण

प्रश्न 27: पीटीसी पोर्टफोलियो के प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की स्थिति का पता लगाने के लिए बैंकों को कैसे समुचित सावधानी सुनिश्चित करना चाहिए?

उत्तर: बैंक समूह की पीएसएल संरचना को प्रमाणित करने वाली मूल इकाई द्वारा दिए गए सीए प्रमाणपत्र पर भरोसा कर सकता है। इसके अतिरिक्त, बैंक पीएसएल पात्रता के लिए समूह के 10% का नमूना जांच कर सकता है। बैंक द्वारा अपने स्वयं के कर्मचारियों के माध्यम से या इस उद्देश्य के लिए सीए को नियुक्त करके अतिरिक्त जांच की व्यवस्था कर सकता है।

ञ) पीएसएलसी

प्रश्न 28: पीएसएलसी ट्रेडिंग के लिए बैंक कैसे पंजीकरण कर सकते हैं?

उत्तर: बैंकों को पीएसएलसी ट्रेडिंग के लिए पंजीकरण प्राप्त करने के लिए क) डीईए फंड कोड, ख) ग्राहक पहचान संख्या और ग) आरबीआई चालू खाता संख्या, के साथ एफआईडीडी, केंद्रीय कार्यालय (fiddplan@rbi.org.in) के समक्ष एक अनुरोध प्रस्तुत करना होगा।

प्रश्न 29: पीएसएलसी की समाप्ति की तिथि क्या है?

उत्तर: सभी पीएसएलसी वित्त वर्ष के अंत तक अर्थात 31 मार्च तक वैध रहेंगे और अगले दिन अर्थात 1 अप्रैल को समाप्त हो जाएंगे।

प्रश्न 30: क्या पीएसएलसी सीमित अवधि के लिए अर्थात एक रिपोर्टिंग तिमाही और उसके गुणकों के लिए जारी किए जा सकते हैं?

उत्तर: पीएसएलसी की अवधि जारी होने की तारीख पर निर्भर करेगी क्योंकि सभी पीएसएलसी वित्त वर्ष के अंत तक अर्थात 31 मार्च तक वैध होंगे और अगले दिन अर्थात 1 अप्रैल को समाप्त हो जाएंगे।

प्रश्न 31: क्या पीएसएलसी के लिए शुल्क का भुगतान करते समय सेवा कर/स्टांप शुल्क/लेनदेन कर लागू होगा?

उत्तर: पीएसएलसी को अंतर-राज्यीय व्यापार या वाणिज्य के दौरान 'माल' की प्रकृति में समझा जा सकता है, जिसमें कार्य, भारत सरकार की दिनांक 4 मई 2016 की अधिसूचना के माध्यम से बीआर अधिनियम की धारा 6(1)(ओ) के तहत, एक अनुमत गतिविधि के रूप में अधिसूचित किया गया है। 01 जुलाई 2017 से 28 मई 2018 की अवधि के लिए पीएसएलसी पर जीएसटी का भुगतान विक्रेता बैंक द्वारा वायदा शुल्क (फॉरवर्ड चार्ज) के आधार पर 12% की दर से किया जाना है। 28 मई 2018 से, खरीदार बैंक को रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) के तहत 18% की दर से जीएसटी का भुगतान करना होगा। इसके अलावा, ई-कुबेर पोर्टल पर कारोबार किए गए पीएसएलसी की आपूर्ति पर आईजीएसटी देय है। यदि कोई बैंक जो जीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी था, उसने पहले ही सीजीएसटी/एसजीएसटी या सीजीएसटी/यूजीएसटी का भुगतान कर दिया था, तो बैंक को ऐसी आपूर्ति के लिए आईजीएसटी का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा, मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, ई-कुबेर पोर्टल पर पीएसएलसी मॉड्यूल के उपयोग के लिए सहभागी बैंकों पर आरबीआई को देय कोई लेनदेन प्रभार/ शुल्क लागू नहीं है।

(ऊपर दिया गया स्पष्टीकरण, मामले में कानूनी सलाह या राय नहीं है और यह जरूरी नहीं कि सबसे वर्तमान कानूनी जानकारी को प्रतिबिंबित करे। बाजार सहभागियों को ऊपर दी गई किसी भी जानकारी पर कार्रवाई करने से पहले कर विशेषज्ञों/परामर्शदाताओं/विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए।).

प्रश्न 32: क्या पीएसएल - कमजोर वर्ग या पीएसएल - निर्यात ऋण को पीएसएलसी के रूप में ट्रेड किया जा सकता है?

उत्तर: पीएसएलसी की केवल चार पात्र श्रेणियां हैं अर्थात पीएसएलसी सामान्य, पीएसएलसी लघु और सीमांत किसान, पीएसएलसी कृषि और पीएसएलसी सूक्ष्म उद्यम।

प्रश्न 33: क्या निर्यात ऋण पीएसएलसी 'सामान्य' का हिस्सा बन सकता है और क्या निर्यात ऋण में बैंकों के अधिशेष को पीएसएलसी 'सामान्य' के रूप में बेचा जा सकता है?

उत्तर: 'निर्यात ऋण' पीएसएलसी - सामान्य के प्रति अंतर्निहित आस्तियों का एक भाग बन सकता है। हालाँकि, 'निर्यात ऋण' के बदले पीएसएलसी-सामान्य जारी करने वाला कोई भी बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि अंतर्निहित 'निर्यात ऋण' पोर्टफोलियो घरेलू बैंकों द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए भी पात्र है।

प्रश्न 34: क्या 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंकों को 'निर्यात के अलावा' को ऋण के 8% के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पीएसएलसी-सामान्य खरीदने की अनुमति है?

उत्तर: 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंकों को निर्यात के अलावा अन्य क्षेत्रों को उधार देने के अपने 8% लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पीएसएलसी सामान्य को खरीदने की अनुमति नहीं है। हालांकि, ऐसे बैंकों को उक्त हेतु पीएसएलसी कृषि, पीएसएलसी सूक्ष्म उद्यम और पीएसएलसी लघु और सीमांत किसान को खरीदने की अनुमति है।

प्रश्न 35: बैंक अन्य बाजार सहभागियों द्वारा किए गए मौजूदा मूल्यों, लॉट आकार और पूर्व के लेनदेनों जैसी बाजार की जानकारी कहां देख सकते हैं? क्या यह जानकारी ई-कुबेर में उपलब्ध होगी?

उत्तर: पीएसएलसी बाजार का व्यापार सारांश ई-कुबेर पोर्टल के माध्यम से प्रतिभागियों के लिए उपलब्ध है। ई-कुबेर पोर्टल के तहत 'समाचार और घोषणाएं' अनुभाग के माध्यम से प्रतिभागियों को किसी भी नई कार्यात्मकता की सूचना दी जाएगी।

प्रश्न 36: क्या कोई खरीददार बैंक पीएसएलसी को फिर से बेच सकता है? क्या अंतर्निहित आस्तियों का पता लगाने के लिए केवल निवल पीएसएलसी स्थिति की गणना की जाएगी?

उत्तर: बैंक अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पीएसएलसी खरीद सकता है। इसके अलावा, एक बैंक को अपनी बहियों में अंतर्निहित किये बिना पिछले वर्ष की पीएसएल उपलब्धि के 50 प्रतिशत तक पीएसएलसी जारी करने की अनुमति है। यह श्रेणी-वार लागू होता है। तिमाही और वार्षिक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र संबंधी रिटर्न की रिपोर्ट करते समय पीएसएलसी (पीएसएलसी खरीद – पीएसएलसी विक्रय) की निवल स्थिति पर विचार किया जाना चाहिए। हालांकि, अंतर्निहित आस्तियों का पता लगाने के संबंध में, 31 मार्च तक, बैंक ने प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य को बकाया प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र पोर्टफोलियो और जारी एवं खरीदे गए पीएसएलसी के योग के माध्यम से पूरा किया हो।

प्रश्न 37: क्या होगा यदि बाद की तारीख में आरबीआई निरीक्षण दल, एक विशेष पीएसएलसी (जिसे पहले से ही पीएसएलसी के रूप में बैंक के द्वारा ट्रेड किया गया है) को अपात्र घोषित करता है?

उत्तर: गलत वर्गीकरण, यदि कोई हो, को केवल पीएसएलसी विक्रेता बैंक की उपलब्धि से कम करना होगा। पीएसएलसी खरीदार के लिए कोई प्रतिपक्षी जोखिम नहीं होगा, भले ही, ट्रेड किए गए पीएसएलसी की अंतर्निहित आस्ति का गलत वर्गीकरण हो जाए।

प्रश्न 38: खरीदार पीएसएलसी के विक्रेता को एक शुल्क का भुगतान करेगा जो बाजार द्वारा निर्धारित होगा। क्या किसी पीएसएलसी की खरीद के लिए आरबीआई द्वारा कोई मानक/न्यूनतम शुल्क निर्धारित किया गया है?

उत्तर: प्रीमियम पूरी तरह से बाजार द्वारा निर्धारित होगा। इस संबंध में आरबीआई द्वारा कोई न्यूनतम/उच्चतम सीमा निर्धारित नहीं की गई है।

प्रश्न 39: ई-कुबेर पोर्टल के माध्यम से शुल्क/कमीशन का भुगतान कैसे किया जाएगा या अलग से आरटीजीएस करने की आवश्यकता है?

उत्तर: मिलान किए गए प्रीमियम का तत्काल नि‍पटान होगा और तदनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ सहभागी बैंकों के संबंधित चालू खातों को मिलान किए गए प्रीमियम की सीमा तक डेबिट/क्रेडिट किया जाएगा।

प्रश्न 40: क्या ट्रेडों का स्वचालित मिलान होगा या क्या खरीदार/विक्रेता प्रतिपक्षकार का चयन कर सकते हैं? क्या आंशिक मिलान भी संभव होगा?

उत्तर: ऑर्डर का मिलान पोर्टल के माध्यम से अज्ञात आधार पर किया जाएगा और खरीदार/विक्रेता प्रतिपक्षकार का चयन नहीं कर सकता है। आंशिक मिलान, प्रीमियम के मिलान और खरीद एवं बिक्री के लिए श्रेणीवार पीएसएलसी लॉट की उपलब्धता के आधार पर होगा।

प्रश्न 41: ई-कुबेर पोर्टल में पीएसएलसी बाजार का समय क्या है?

उत्तर: सामान्य ट्रेडिंग का समय सुबह 10 बजे से शाम 4:30 बजे तक होगा। पीएसएलसी बाजार शनिवार, रविवार, महाराष्ट्र सरकार द्वारा परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 के तहत घोषित छुट्टियों और ऐसी छुट्टियां जिन्हें आरबीआई समय-समय पर घोषित कर सकता है, को छोड़कर सभी दिनों में संचालित होता है।

प्रश्न 42: क्या कोई बैंक पीएसएलसी ट्रेडों में प्रतिपक्षकार का विवरण जान सकता है या द्विपक्षीय आधार पर सौदों का निपटान कर सकता है और बाद में उसे ई-कुबेर पोर्टल पर रिपोर्ट कर सकता है?

उत्तर: सर्वाधिक प्रभावी मूल्य अन्वेषण को बनाए रखने के लिए पीएसएलसी ट्रेडिंग की प्रकृति को अज्ञात रखा गया है। द्विपक्षीय आधार पर सौदों को निपटाने और बाद में उसे पोर्टल पर रिपोर्ट करने का कोई प्रावधान नहीं है। आरबीआई के पास पोर्टल पर मौजूदा दरों की तुलना में काफी अधिक/कम प्रीमियम पर तय किए गए किसी भी सौदे को रद्द करने का विवेकाधिकार है।

ट) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत ऑन-लेंडिंग

प्रश्न 43: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को आगे उधार देने के लिए मध्यवर्ती संस्थाओं को उधार देते समय, क्या बैंक एनबीएफसी/एमएफआई/एचएफसी को दिए गए कुल बकाया ऋण की गणना अपने प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की उपलब्धि के लिए कर सकता है?

उत्तर: बैंक द्वारा एनबीएफसी/एमएफआई/एचएफसी को ऑन-लेंडिंग के लिए उधार देने के मामले में, पोर्टफोलियो के केवल उस हिस्से को पीएसएल वर्गीकरण के लिए गिना जाना चाहिए जिसे एनबीएफसी/एमएफआई/एचएफसी द्वारा रिपोर्टिंग तिथि के अनुसार अंतिम उधारकर्ता/ओं को संवितरित किया गया हो। शेष पोर्टफोलियो की गणना, यदि कोई हो, पात्र ऋणों के संवितरण और एनबीएफसी/एमएफआई/एचएफसी द्वारा बैंक को रिपोर्ट किए जाने के आधार पर, बाद की रिपोर्टिंग तिथियों में की जा सकती है।

प्रश्न 44: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को आगे उधार देने के लिए पात्र संस्थाओं को उधार देने हेतु बैंक द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली क्या है?

उत्तर: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2020 पर मास्टर निदेश के पैरा 21, 22, 23 के तहत बैंकों को उन एचएफसी और एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसाइटियों, ट्रस्ट आदि) सहित एनबीएफसी को दिए गए अपने ऋणों को पीएसएल के रूप में वर्गीकृत करने की अनुमति देता है, जो पात्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को आगे उधार देने के लिए क्षेत्र हेतु आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त एसआरओ के सदस्य हैं। बैंक निम्न प्रकार से आगे उधार देने के लिए एक समान कार्यप्रणाली अपना सकते हैं:

क) पीएसएल के तहत वर्गीकरण:

  • बैंक पीएसएल की संबंधित श्रेणियों में एनबीएफसी को आगे उधार को वर्गीकृत कर सकते हैं। वर्गीकरण की अनुमति तभी दी जाएगी जब एनबीएफसी ने बैंक से राशि प्राप्त करने के बाद अंतिम लाभार्थी को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के ऋण संवितरित किए हों।

  • एनबीएफसी को बैंकों को एक सीए प्रमाणपत्र प्रदान करना होगा जिसमें कहा गया हो कि पोर्टफोलियो के व्यक्तिगत ऋण, जिसके लिए ऑन-लेंडिंग लाभ का दावा किया जा रहा है, का उपयोग किसी अन्य बैंक (बैंकों) से लाभ का दावा करने के लिए नहीं किया जा रहा है। साथ ही, एनबीएफसी को अपने आंतरिक/सांविधिक लेखा परीक्षकों के साथ-साथ आरबीआई पर्यवेक्षकों को इसे सत्यापित करने हेतु सक्षम करने के लिए अपनी प्रणाली में ऐसे ऋण (ऋणों) को चिह्नित करने के लिए एक उपयुक्त प्रक्रिया स्थापित करनी चाहिए।

ख) सूचना साझा करना:

  • बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए आंतरिक नियंत्रण प्रणाली निर्मित कर सकते हैं कि आगे उधार देने के तहत पोर्टफोलियो पीएसएल के अनुरूप है और को-टर्मिनस क्लॉज का पालन करता है। इसे आवश्यकतानुसार आरबीआई पर्यवेक्षकों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। बैंक द्वारा ईआई से निम्नलिखित जानकारी/रिकॉर्ड एकत्र किया जाना चाहिए:

  1. लाभार्थी का नाम, स्वीकृत राशि, बकाया ऋण राशि, ऋण अवधि, संवितरण तिथि, पीएसएल की श्रेणी।

  2. इस आशय का एक विवरण कि पोर्टफोलियो पीएसएल के अनुरूप है, किसी सीए द्वारा अवश्य प्रमाणित होना चाहिए और बैंक द्वारा आरबीआई को पीएसएल रिपोर्टिंग के अनुरूप तिमाही आधार पर बैंक के साथ ईआई द्वारा साझा किया जाना चाहिए। को-टर्मिनस क्लॉज के पालन के संबंध में, बैंक को प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को इसे सुनिश्चित करना चाहिए।

ग) को-टर्मिनस शर्त का पालन:

  • पीएस आस्तियों के लिए आगे उधार का लाभ लेने वाले बैंकों को इस शर्त का पालन करना चाहिए कि ईआई को आगे उधार के तहत ऋण की अवधि मोटे तौर पर ईआई द्वारा बनाई गई पीएस आस्तियों की अवधि के साथ को-टर्मिनस है।

  • को-टर्मिनस अवधि के सटीक मिलान की परिचालन संबंधी कठिनाइयों को देखते हुए, बैंकों को पोर्टफोलियो अवधि से 3 महीने के अंतर की अनुमति है। को-टर्मिनस अवधि के पालन की गणना के लिए एक उदाहरण निम्नानुसार प्रस्तुत है:

क्रम सं. बकाया ऋण
(क)
चालू वित्त वर्ष के 31 मार्च
(ख)
ऋण समाप्ति की तिथि
(ग)
ऋण अवधि
(दिन) (घ= ग-ख)
भारित औसत बकाया ऋण
दिन (ड़=क*घ)
1 50000 31-03-21 01-02-23 672 33600000
2 80000 31-03-21 01-05-24 1127 90160000
3 100000 31-03-21 11-08-23 863 86300000
4 300000 31-03-21 16-10-22 564 169200000
5 400000 31-03-21 23-11-22 602 240800000
कुल 930000       620060000
  दिनों में पोर्टफोलियो की भारित परिपक्वता (च=(ड़ का योग)/(क का योग) 666.73
  महीनों में (च/30) 22.22
  वर्षों में (च/365) 1.83

उपरोक्त उदाहरण में, एनबीएफसी को बैंक ऋण की शेष परिपक्वता लगभग 22.22 महीने होनी चाहिए। बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे 31 मार्च को हर साल पोर्टफोलियो की भारित औसत अवशिष्ट परिपक्वता की गणना करें और यह सुनिश्चित करें कि एनबीएफसी को बैंक ऋण की अवशिष्ट परिपक्वता +-3 महीने की सहनशीलता सीमा के भीतर ऑन-लेंडिंग पोर्टफोलियो की भारित औसत अवशिष्ट परिपक्वता के साथ मेल खाती है।

घ) पूर्व भुगतान, पुरोबंध ऋणों का व्यवहार:

  • इकाई द्वारा बनाई गई पीएस आस्तियाँ पूर्व-भुगतान या पुरोबंध से गुजर सकती हैं जिससे पोर्टफोलियो की 'भारित परिपक्वता' बदल जाती है।

  • चूंकि बैंकों को वित्त वर्ष के अंत में 'भारित परिपक्वता' की गणना करने की आवश्यकता होती है, अतः पूर्व भुगतान/ पुरोबंध की स्थिति में बकाया ऋण भी तदनुसार बदल जाएगा।

  • एनबीएफसी पीएस आस्तियों को ऑन-लेंडिंग पोर्टफोलियो में जोड़ सकता है। हालांकि, इसे ऊपर उल्लिखित शर्तों को पूरा करना होगा जैसे कि पात्र इकाई द्वारा पीएस आस्तियों के लिए संवितरण बैंक से धन प्राप्त होने पर/बाद में होना चाहिए। को-टर्मिनस क्लॉज का पालन सुनिश्चित करने के लिए समूह में अन्य पीएस आस्तियों के पूर्व भुगतान/पुरोबंध के मामले में पोर्टफोलियो समूह में पीएस आस्तियों को जोड़ा जा सकता है।

प्रश्न 45: एनबीएफसी और एचएफसी को आगे उधार देने के लिए बैंक ऋण देने की सीमा क्या है?

उत्तर: एनबीएफसी (एमएफआई के अलावा) और एचएफसी को बैंक ऋण पिछले वित्तीय वर्ष की चार तिमाहियों की औसत पीएसएल उपलब्धि के 5% की सीमा के अधीन हैं। नए बैंक के मामले में यह सीमा उसके परिचालन के पहले वर्ष के दौरान निरंतर आधार पर लागू होगी। पंजीकृत एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसाइटियां, ट्रस्ट, आदि), जो आरबीआई द्वारा इस क्षेत्र के मान्यता प्राप्त 'स्व-विनियामक संगठन' के सदस्य हैं, को बैंक ऋण देने के लिए निर्धारित सीमा लागू नहीं है। ऐसे एमएफआई को दिए गए बैंक ऋण को हमारे दिनांक 04 सितंबर 2020 और समय-समय पर अद्यतन किये गए मास्टर निदेश विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.5/04.09.01/2020-21 में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार पीएसएल की विभिन्न श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है।

ठ) बैंकों और एनबीएफसी द्वारा सह-उधार

प्रश्न 46: क्या सह-उधार व्यवस्था एनबीएफसी को जोखिम का 100% अपने पास रखने की अनुमति देती है?

उत्तर: चूंकि दिशानिर्देश संबंधित व्यावसायिक उद्देश्यों के उचित संरेखण को सुनिश्चित करने के लिए बैंक और एनबीएफसी के बीच जोखिमों और प्रतिफलों को साझा करने की अनुमति देते हैं, अतः बैंक की बहियों में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की आस्तियां हर समय एनबीएफसी की सहायता के बिना होनी चाहिए।

प्रश्न 47: क्या आस्तियों का प्रत्यक्ष समनुदेशन केवल वहीं लागू होता है जहां बैंक अपने विवेक का प्रयोग करता है?

उत्तर: केवल यदि बैंक समझौते के अनुसार एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न ऋणों को अपनी बहियों में लेने के संबंध में अपने विवेक का प्रयोग कर सकता है, तो यह व्यवस्था प्रत्यक्ष समनुदेशन लेनदेन के समान होगी। यदि करार में एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न व्यक्तिगत ऋणों के अपने हिस्से को अपनी बहियों में लेने के लिए बैंक की ओर से एक पूर्व, अपरिवर्तनीय प्रतिबद्धता शामिल है, तो यह प्रत्यक्ष समनुदेशन लेनदेन के समान नहीं होगा।

प्रश्न 48: क्या सीएलएम दिशानिर्देशों में "अनिवार्य रूप से" शब्द का अर्थ यह है कि बैंक को एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न सभी ऋणों को लेना चाहिए या मास्टर करार में संख्या और राशि पर एक सीमा लगाई जा सकती है?

उत्तर: दोनों संस्थाएं अर्थात बैंक और एनबीएफसी, सह-उधार मॉडल (सीएलएम) को लागू करने के लिए अपने द्वारा निष्पादित द्विपक्षीय मास्टर करार द्वारा निर्देशित हो सकते हैं। करार, सह-उधार मॉडल के तहत एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न किए जा सकने वाले ऋणों की संख्या और राशि पर कोई सीमा निर्धारित कर सकता है।

प्रश्न 49: एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न ऐसे ऋणों का भविष्य क्या होगा जो केवाईसी और गतिविधियों के आउटसोर्सिंग पर आरबीआई के विनियमों का पालन करने के लिए समुचित सावधानी जांच के तहत अर्हता प्राप्त नहीं करते हैं।

उत्तर: यदि करार में बैंक की ओर से पूर्व, अपरिवर्तनीय प्रतिबद्धता शामिल है, तो यह सूचित किया गया है कि साझेदार बैंक और एनबीएफसी को बैंक द्वारा पूर्व प्रत्याशित समुचित सावधानी के लिए उपयुक्त तंत्र स्थापित करना होगा। इस तरह की समुचित सावधानी, एनबीएफसी द्वारा ऋणों के संवितरण से पहले केवाईसी और गतिविधियों की आउटसोर्सिंग पर आरबीआई के विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करे।

प्रश्न 50: क्या बैक-टू-बैक का अर्थ यह है कि ऋण खाते पहले एनबीएफसी द्वारा खोले जाएंगे और उसके बाद बैंक अपनी बहियों में ऋण खाते खोलेगा या दोनों ऋण खाते खोलेंगे और एनबीएफसी के साथ उधारकर्ता द्वारा हस्ताक्षरित ऋण करार के आधार पर दोनों उन्हें एक साथ निधि देंगे।

उत्तर: बैक-टू-बैक आधार का तात्पर्य यह है कि ऋण पहले एनबीएफसी द्वारा खोले जाएंगे और फिर बाद में बैंक ऋण खाते खोलेगा।

प्रश्न 51: निष्पादित ऋण दस्तावेजों के आधार पर, क्या एनबीएफसी पूरी राशि को मंजूर और संवितरित करेगा और उसके बाद प्रतिपूर्ति के लिए बैंक से संपर्क करेगा या वह ऋण के अपने हिस्से को मंजूर/संवितरित करेगा और बैंक के हिस्से की ऋण की मंजूरी/संवितरित के लिए बैंक से संपर्क करेगा।

उत्तर: बैंक और एनबीएफसी इस पहलू पर उनके बीच निष्पादित मास्टर करार के अनुसार निर्णय ले सकते हैं।


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