मिन्ट स्ट्रीट मेमो सं. 12
भारत में सकल घरेलू उत्पाद आंकड़ों में संशोधनों की जांच करना
अनुपम प्रकाश, अवधेश कुमार शुक्ला, आनन्द प्रकाश एक्का और कुणाल प्रियदर्शी*
सारांश: भारत में राष्ट्रीय समग्र लेखों से संबंधित आंकड़ों में संशोधनों का विश्लेषण पहले प्रकाशनों या अग्रिम अनुमानों (एई) से संबंधित वृद्धि दरों में ऊपरी ओर संशोधन के प्रति सामान्य पूर्वाग्रह दर्शाता है। इस प्रकार, अर्थव्यवस्था की स्थिति का अधिक यथार्थ आकलन करने के लिए अग्रिम अनुमानों को रियल सेक्टर के अन्य उच्च बारंबारता संकेतकों के साथ जोड़ने की आवश्यकता है।
पृष्ठभूमि
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमानों में संशोधन भारतीय राष्ट्रीय लेखों के लिए विशिष्ट नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय रूप से, शुरुआती अनुमानों में पूर्ण सूचना की कमी है, जो एक ऐसा मुद्दा है जिसका उत्तरोत्तर संशोधनों से धीरे-धीरे समाधान होगा।
यह अध्ययन वार्षिक और तिमाही दोनों प्रकार के अनुमानों के लिए उत्पादन और व्यय पक्षों से प्रथम प्रकाशन और नवीनतम उपलब्ध प्रकाशन के बीच भारत में जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़ों के संशोधनों के सांख्यिकीय विश्लेषण करने का प्रयास करता है। इस विश्लेषण को प्रत्येक क्षेत्र में संशोधन की हद सुनिश्चित करने की दृष्टि से जीडीपी के प्रमुख घटकों तक भी विस्तारित किया गया है।
अध्ययन को निम्नानुसार आयोजित किया गया है। खंड I में परिचय के बाद खंड II संबंधित साहित्य का लघु सर्वेक्षण प्रस्तुत करता है। प्रकाशन योजना और राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों में संशोधन को खंड IV में उत्पादन और व्यय पक्ष से संशोधनों पर सांख्यिकीय विश्लेषण प्रस्तुत करने से पहले खंड III में विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। प्रमुख निष्कर्ष खंड V में प्रस्तुत किए गए हैं।
I. परिचय
5 जनवरी 2018 को वर्ष 2017-18 के लिए राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान जारी करने के साथ आर्थिक गतिविधि की शक्ति का आकलन करने में उनकी विश्वसनीयता का मुद्दा सबसे आगे है, विशेषकर तेज वृद्धि के संकेतात्मक नए आंकड़ें तब से उपलब्ध हो गए हैं।1 एफएई का उपयोग केंद्रीय बज़ट को रेखांकित करने वाले अनुपातों और मौद्रिक नीति में मदद करने वाले विश्लेषण में किया जाता है। अपने बज़ट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा था, ‘हमें दूसरी छमाही में 7.2 से 7.5 प्रतिशत की वृद्धि की आशा है’, जो एफएई में स्पष्ट रूप से दूसरी छमाही के लिए 7.0 प्रतिशत की निहित वृद्धि दर से उच्च दर है। इसके अलावा, वर्ष 2017-18 (संशोधित अनुमान) के लिए जीडीपी अनुपात में सकल राजकोषीय घाटा (जीएफडी) के परिकलन हेतु 2018-19 के केंद्रीय बज़ट ने ₹ 167.8 ट्रिलियन के रूप में सांकेतिक जीडीपी ली है जो ₹ 166.3 ट्रिलियन2 के एफएई अनुमान से अधिक है। 7 फरवरी 2018 के अपने संकल्प में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने कहा कि ‘तथापि सीएसओ द्वारा एफएई के प्रकाशन के बाद उपलब्ध सूचना सामान्य रूप से सकारात्मक रही है’ और वर्ष 2017-18 के लिए इसके सकल संवृद्धित मूल्य (जीवीए) वृद्धि अनुमान को एफएई के 6.1 की तुलना में 6.6 प्रतिशत रखा गया है।
II. मौजूदा साहित्य का सर्वेक्षण
सोलह जी20 देशों के अध्ययन में पाया गया कि तिमाही जीडीपी के शुरुआती अनुमानों में संशोधन हुआ है और ये संशोधन काफी बड़े थे तथा वर्ष 2008 और 2009 के संकटकालीन वर्षों के दौरान नीचे की ओर रहे (श्रेष्ठा और मैरिनी, 2013)। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के छह3 क्षेत्रीय सदस्यों के वार्षिक वास्तविक जीडीपी वृद्धि दरों के प्रकाशित प्रथम अनुमानों को तीन वर्ष बाद और नवीनतम अवधि में ऊपरी ओर संशोधित किया गया (सिम, डी कैस्ट्रो और पास्को, 2009)। इनमें से अधिकांश देशों में इनके शुरुआती प्रकाशन के बाद पहले, दूसरे, तीसरे और बाद के वर्षों में वार्षिक वास्तविक जीडीपी वृद्धि दरों के अनुमानों में सकारात्मक संशोधन भी हुए। संयुक्त राज्य (यूएस) में यह पाया गया है कि तिमाही जीडीपी के शुरुआती मासिक अनुमान एक्ट्रपलेशन पर आधारित हैं और संबंधित आंकड़े उपलब्ध होने के बाद इन्हें संशोधित किया जाता है। जीडीपी और सकल घरेलू आय (जीडीआई) के तिमाही अनुमानों के लिए औसत पूर्ण संशोधन 1.0 प्रतिशत अंक से थोड़ा अधिक हैं (लैंडफिल्ड, सेस्किन और फ्रौमनी, 2008)।
भारतीय संदर्भ में, समग्र तथा क्षेत्रकीय जीडीपी श्रृंखलाओं के संशोधनों की मात्रा और गुणवत्ता की हाल में जांच की गई (साप्रे और सेनगुप्ता, 2017)। अध्ययन निष्कर्ष देता है कि सीएसओ द्वारा संकेतक आधारित अग्रिम अनुमानों से सामान्य रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि समझ में आ जाती है।
III. सीएसओ द्वारा राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों का प्रकाशन और संशोधन
सीएसओ 1956 से राष्ट्रीय आय, उपभोग व्यय, बचत और पूंजी निर्माण संबंधी आंकड़ों को जारी करने के लिए नोडल एजेंसी है। राष्ट्रीय आय के अग्रिम अनुमान 1993 में शुरू किए गए थे और तिमाही अनुमान 1999 में शुरू किए गए थे। अग्रिम अनुमान जो बेंचमार्क पद्धति4 पर आधारित नए आंकड़े होते हैं, को सुनिर्धारित योजना का पालन करते हुए और अधिक ठोस आंकड़े प्राप्त होने पर संशोधित किया जाता है (सारणी 1)।
सारणी 1: जीडीपी अनुमानों का प्रकाशन कैलेंडर और संशोधन नीति |
प्रथम अग्रिम अनुमान (एफएई) |
7 जनवरी
(टी – 83 दिन) |
पिछले वर्ष के अनंतिम अनुमानों को बेंचमार्क माना गया। 7/8 महीनों के लिए उपलब्ध आंकड़ों का उपयोग करते हुए एक्ट्रपलेशन द्वारा प्राप्त अनुमान। |
पिछले वर्ष के प्रथम संशोधित अनुमान (एफआरई) |
31 जनवरी
(टी + 10 महीने) |
विभिन्न क्षेत्रों के विस्तृत अनुमान उपलब्ध हैं। बचत, एकबारगी आय तथा पूंजी निर्माण के अनुमान भी उपलब्ध कराए गए। |
दूसरे अग्रिम अनुमान (एसएई)/तीसरी तिमाही के अनुमान |
28 फरवरी
(टी - 1 महीना) |
पिछले वर्ष के प्रथम संशोधित अनुमानों को बेंचमार्क माना गया। 9 महीनों के लिए उपलब्ध आंकड़ों का उपयोग करते हुए एक्ट्रपलेशन द्वारा प्राप्त अनुमान। |
अनंतिम अनुमान (पीई)/ चौथी तिमाही के अनुमान |
31 मई
(टी + 2 महीने) |
संकेतकों पर आधारित जो अब पूरे वित्तीय वर्ष के लिए उपलब्ध हो गए हैं। |
प्रथम संशोधित अनुमान |
31 जनवरी
(टी + 10 महीने) |
केंद्रीय और राज्य सरकारों के बज़ट के संशोधित अनुमान उपलब्ध हैं। 42 फसलों, बागवानी, पशुपालन और वानिकी की सूचना का उपयोग किया जाता है। |
दूसरे संशोधित अनुमान |
31 जनवरी
(टी + 22 महीने) |
वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण के साथ केंद्रीय और राज्य सरकारों के बज़टों के वास्तविक व्यय के उपलब्ध आंकड़े। |
तीसरे संशोधित अनुमान |
31 जनवरी
(टी + 34 महीने) |
केंद्रीय और राज्य सरकारों के खातों, सार्वजनिक और निजी निगमों के खाते और स्थानीय निकायों के खातों की कवरेज़ में सुधार हुआ। |
टी: वित्तीय वर्ष की समाप्ति की तारीख। भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक रहता है। |
5 जनवरी 2018 को एफएई प्रकाशन (वर्ष 2017-18 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत) के बाद, 31 जनवरी 2018 को सीएसओ ने वर्ष 2015-16 के लिए दूसरे संशोधित अनुमानों (20 आधार अंकों तक बढ़ाकर 8.2 प्रतिशत किया गया) और 2014-15 के लिए तीसरे संशोधित अनुमानों (10 आधार अंकों तक घटाकर 7.4 प्रतिशत किया गया) के साथ वर्ष 2016-17 के इसके पहले संशोधित अनुमान (एफआरई) (7.1 प्रतिशत पर अपरिवर्तित) जारी किए। वर्ष 2016-17 के एफआरई के साथ, वर्ष 2017-18 के लिए एफएई के आधार वृद्धि दरों को भी संशोधित किया गया। आंकड़ों के संशोधन के बहु-चरणों को देखते हुए, आंकड़ों के प्रयोक्ताओं के लिए अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति और विशेष रूप से वृद्धि की गति की वास्तविक ताकत पर निर्णय लेना भ्रामक हो सकता है। आंकड़ों की विश्वसनीयता के संबंध में दुविधा साधारणतया अग्रिम अनुमानों के प्रकाशन के समय अधिक रहती है जिन्हें सामान्य रूप से अस्थायी माना जाता है और बाद के ठोस डेटासेट आने के बाद इनमें परिवर्तन होने की संभावना रहती है। वर्ष 2017-18 के लिए 5 जनवरी 2018 को जारी एफएई 29 जनवरी 2021 को जारी किए जाने वाले तीसरे संशोधित अनुमानों में स्पष्ट हो जाएंगे। प्रथा के अनुसार, नवीनतम अनुमान पिछले सभी अनुमानों को ओवर-राइट कर देता है।
सारणी 2: राष्ट्रीय लेखा योग में रिलीज का अनुक्रम |
बाजार मूल्य पर जीडीपी (प्रतिशत में) |
|
एफएई |
एसएई |
पीई |
एफआरई |
एसआरई |
टीआरई |
2017-18 |
6.5 |
6.6 |
- |
- |
- |
- |
2016-17 |
7.1 |
7.1 |
7.1 |
7.1 |
- |
- |
2015-16 |
7.6 |
- |
7.6 |
7.9 |
8.2 |
- |
2014-15 |
7.4 |
- |
7.3 |
7.2 |
7.2 |
7.4 |
आधार मूल्य पर जीवीए (प्रतिशत में) |
2017-18 |
6.1 |
6.4 |
- |
- |
- |
- |
2016-17 |
7.0 |
6.7 |
6.6 |
7.1 |
- |
- |
2015-16 |
7.3 |
- |
7.2 |
7.8 |
8.1 |
- |
2014-15 |
7.5 |
- |
7.2 |
7.1 |
6.9 |
7.2 |
एफएई: पहला अग्रिम अनुमान; एसएई: दूसरा अग्रिम अनुमान; पीई: अस्थायी अनुमान; एफआरई: पहले संशोधित अनुमान; एसआरई: दूसरा संशोधित अनुमान; टीआरई: तीसरा संशोधित अनुमान। |
IV. संशोधनों का सांख्यिकीय विश्लेषण
उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए,हमने वार्षिक डेटा के लिए 2003-04 से आगे का और 2002-03 से त्रैमासिक डेटा के लिए सीएसओ के डेटा रिलीज का विश्लेषण किया है। यह देखा जा सकता है कि इस अवधि के दौरान, सीएसओ ने दस साल में एई के उध्वर्गामी वास्तविक जीवीए वृद्धि अनुमानों, और शेष चार वर्षों में अधोमुखी को संशोधित किया (चार्ट 1)। औसत उध्वर्गामी संशोधन 70 आधार अंक के क्रम का था, जबकि अधोमुखी संशोधन के मामले में यह केवल 27 आधार अंक था। वास्तविक जीडीपी के मामले में, एई को बारह वर्षों में संशोधित किया गया (81 आधार अंकों का औसत) और केवल दो वर्षों में अधोमुखी संशोधन हुए थे (204 आधार अंक औसत) (चार्ट 2)।
महत्वपूर्ण बात यह है कि हम सीएसओ द्वारा उपयोग की जाने वाली पद्धति के कारण संभवतः विकास चक्र के मोड़ पर संशोधन में 'पूर्वाग्रह' का भी निरीक्षण करते हैं क्योंकि क्षेत्रवार अनुमान रैखिक एक्सट्रापोलेशन द्वारा बेंचमार्क सूचक दृष्टिकोण का उपयोग करके प्राप्त किए जाते हैं5 । एक्सट्रापोलेशन का उपयोग कर क्षेत्र-वार अनुमान दूसरों के बीच,निम्नलिखित संकेतकों द्वारा प्राप्त किए जाते हैं: (i) वित्तीय वर्ष के पहले सात महीनों के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी); (ii) सितंबर तक दो तिमाहियों के लिए निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र में सूचीबद्ध कंपनियों का वित्तीय प्रदर्शन; (iii) फसल उत्पादन का एफएई ; (iv) पिछले सात से आठ महीने के लिए केंद्रीय और राज्य सरकारों के खाते ; (v) जमा और क्रेडिट जैसे संकेतकों पर जानकारी, रेलवे के यात्री और माल ढुलाई, नागरिक विमानन द्वारा संचालित यात्री और कार्गो, प्रमुख समुद्री बंदरगाहों पर कार्गो का परिचालन, वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री, आदि, वित्तीय वर्ष के पहले सात से आठ महीने के लिए उपलब्ध है।
हमने पाया कि 2005-06 और 2009-106 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में 'उत्थान' और 2008-09 की मंदी, जो वैश्विक वित्तीय संकट (जीएफसी) के कारण थी, इसमें बाद के अनुमानों में भारी संशोधन हुए हैं। 2005-06 के दौरान, वास्तविक जीवीए वृद्धि का एई 8.1 प्रतिशत पर था बाद में ऊपर 9.5 प्रतिशत संशोधित किया गया था (लगभग 140 आधार अंक की कमी)। ऐसे ही,2009-10 में, सीएसओ ने अपने अंतिम अनुमानों में एई वास्तविक जीवीए वृद्धि 7.2 प्रतिशत से 8.6 प्रतिशत कर दी है (लगभग 140 आधार अंक की कमी)। दूसरी ओर, 2008-09 के लिए, सीएसओ ने वास्तविक अनुमानों में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर एई में 7.1 प्रतिशत से घटाकर 3.9 प्रतिशत कर दी है (लगभग 320 आधार अंकों की अतिवृद्धि) ।
आगे, 2 x 2 सारणीकरण का उपयोग करके हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि ऊपर और नीचे की ओर 'पूर्वाग्रह' 6.0 प्रतिशत जीवीए वृद्धि (सारणी 3) के थ्रेशोल्ड पर अधिक दिखाई दे रहे हैं। यह देखा गया है कि 46 तिमाहियों में से 'थ्रेशोल्ड' (अर्थात 6.0 प्रतिशत) से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है, जीवीए वृद्धि दर संशोधन में ऊपर की ओर 'पूर्वाग्रह' था (जीवीए वृद्धि दर को 40 मौकों पर ऊपर की ओर केवल 6 मौकों पर नीचे की ओर संशोधित किया गया था)। इसी प्रकार, 'थ्रेशोल्ड' के नीचे, हम जीवीए वृद्धि संशोधन में नीचे के पूर्वाग्रह का देखते हैं (11 मौकों पर नीचे की ओर संशोधन, और केवल 3 मौकों पर ऊपर की ओर संशोधन)।
सारणी 3: जीवीए विकास दर का पैटर्न और संशोधन |
(गणना में) |
|
संशोधन |
उर्ध्वगामी |
नीचे |
वृद्धि दर |
6.0 प्रतिशत से अधिक |
40 |
6 |
6.0 प्रतिशत से कम |
3 |
11 |
जीवीए के घटकों के विश्लेषण से पता चलता है कि तीन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण संशोधन हुए हैं, अर्थात् 'खनन और उत्खनन,' विनिर्माण' और ‘वित्तीय, अचल संपत्ति और पेशेवर सेवाएं’ (तालिका 4)। सभी क्षेत्रों में, वार्षिक स्तर पर सबसे अधिक संशोधन 'खनन और उत्खनन' क्षेत्र (234 आधार अंकों के उर्ध्वगामी संशोधन) में किया गया। तिमाही स्तर पर, विनिर्माण क्षेत्र (लगभग 210 आधार अंकों के उर्ध्वगामी संशोधन) के संबंध में अधिकतम संशोधन देखा गया जो जीवीए के लगभग पांचवें हिस्से को निर्मित करता है।
सारणी 4: वास्तविक जीवीए / जीडीपी वृद्धि के पहले और अंतिम अनुमानों में मतभेदों के माध्य और माध्यिका की समानता का परीक्षण |
(प्रतिशत पॉइंट में) |
|
वार्षिक संशोधन (14 वर्ष) |
तिमाही संशोधन (60 तिमाही) |
चर |
2016-17 में हिस्सेदारी |
माध्य |
माध्यिका |
माध्य |
माध्यिका |
जीडीपी |
|
0.41 |
0.56 |
|
|
जीवीए |
|
0.43 |
0.37 |
0.55 *** |
0.54 *** |
कृषि,वानिकी और मछली पकड़ना |
15.3 |
0.84 |
0.99 |
0.34 |
0.74 * |
खनन एवं उत्खनन |
3.3 |
2.34 |
1.18 |
1.97 *** |
0.58 *** |
विनिर्माण |
18.2 |
2.06 |
1.75 |
2.09 *** |
1.13 *** |
बिजली, ईधन, पानी की आपूर्ति और अन्य उपयोगी सेवाएं |
2.2 |
-0.20 |
-0.36 |
0.35 |
0.45 * |
निर्माण |
7.8 |
1.34 |
0.51 |
0.75 |
0.60 |
व्यापार, होटल, परिवहन संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाएं |
19.0 |
0.47 |
0.87 |
0.34 |
0.64 |
वित्तीय, अचल संपत्ति और पेशेवर सेवाएं |
21.7 |
0.49 |
0.43 |
1.08 *** |
1.23 *** |
लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाएं |
12.6 |
-1.31 |
-0.81 |
-0.46 |
-1.10 ** |
टिप्पणी: 1. ***, ** और * क्रमशः 1%, 5% और 10% पर सांख्यिकीय महत्व इंगित करता है।
2. माध्यिका के लिए विल्कोक्सन साईन्ड-रैंक टेस्ट7 किया गया है।
3. H0 = 0 and H1 ≠ 0 |
सीएसओ ने 2007-08 से जीडीपी के व्यय पक्ष के योग पर घटक-वार एई डेटा जारी करना शुरू कर दिया। हमने 2007-08 के बाद से वार्षिक आंकड़ों का और 2009-10 के बाद तिमाही आंकड़ों का विश्लेषण किया है। प्रमुख घटकों के विश्लेषण से पता चलता है कि 'निजी अंतिम खपत व्यय (पीएफसीई)' (131 आधार अंक) और 'माल और सेवाओं के निर्यात' (359 आधार अंक) के त्रैमासिक आंकड़ों में उल्लेखनीय सुधार हुए हैं, जो सकल घरेलू उत्पाद के क्रमशः लगभग 56 प्रतिशत और 20 प्रतिशत हैं। (तालिका 5)
तालिका 5 : व्यय पक्ष से वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के पहले और अंतिम अनुमानों में अंतर और मध्यस्थता की समानता का परीक्षण |
(प्रतिशत अंक में) |
|
वार्षिक सुधार (10 साल) |
त्रैमासिक संशोधन (32 तिमाहियां) |
चर वस्तुएं |
2016-17 में साझा |
औसत |
माध्यिका |
औसत |
माध्यिका |
जीडीपी |
|
0.38 |
0.56 |
0.71 ** |
0.36 ** |
'निजी अंतिम खपत व्यय |
55.9 |
1.56 |
1.14 |
1.31 ** |
1.19 ** |
सरकारी अंतिम खपत व्यय |
10.3 |
-0.92 |
0.41 |
-0.12 |
2.49 |
कुल स्थिर पूंजी निर्माण |
31.1 |
1.96 |
1.91 |
2.89 * |
0.80 |
स्टॉक में परिवर्तन |
0.7 |
-7.39 |
-29.17 |
-3.65 |
-21.82 |
चर वस्तुएं |
1.3 |
8.23 |
4.09 |
9.31 |
6.22 |
'माल और सेवाओं के निर्यात' |
20.4 |
1.97 |
1.29 |
3.59 * |
2.04 * |
'माल और सेवाओं के आयात' |
21.4 |
2.99 |
2.43 |
15.33 |
2.67 ** |
विसंगतियां |
1.6 |
399.70 |
-46.67 |
-21.62 |
-96.68 |
टिप्पणी: 1. ***, ** और * क्रमशः 1%, 5% और 10% पर सांख्यिकीय महत्व इंगित करता है।
2. माध्यिका के लिए विल्कोक्सन साईन्ड-रैंक टेस्ट किया गया है।
3. H0 = 0 और H1 ≠ 0 |
V. निष्कर्ष
इस अध्ययन में प्रमाण प्रस्तुत किए गए हैं कि ज्यादातर अवसरों पर, पहले के रिलीजों में वास्तविक जीवीए और वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि को वास्तविकता से कम आंका गया हैं। यह मुख्य रूप से इसलिए हुआ है क्योंकि डेटा कवरेज में क्रमिक वृद्धि के साथ सुधारों के लगातार दौर में स्थिर डेटा को अभिग्रहित कर लिया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विकास चक्र में परिवर्तन होने पर हम झुकाव देखते हैं। जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, भारतीय अर्थव्यवस्था में 'उथल-पुथल' के साथ-साथ, यानि, वैश्विक वित्तीय संकट के वर्ष 2008-09 में भारी गिरावट के साथ-साथ 2005-06 और 2009-10 के दौरान काफी सुधार देखे गए हैं। इसके अलावा, घटक स्तर पर, 'खनन और उत्खनन', 'विनिर्माण' और 'निजी अंतिम खपत व्यय (पीएफसीई)'में एई की तुलना में बाद के रिलीजों में महत्वपूर्ण सुधार देखे गए हैं। उद्योग के वार्षिक सर्वेक्षण (एएसआई) के डेटा द्वारा प्रतिस्थापित कॉर्पोरेट मूल्य पर जानकारी के साथ विनिर्माण क्षेत्र के मामले में समय के साथ बेहतर डेटा कवरेज एक प्रमुख प्रभावकारी कारक है।
वास्तविक अर्थव्यवस्था के अन्य उच्च बारंबारता वाले संकेतकों के साथ जीडीपी विकास के आंकडों को ध्यान से पढ़ने के लिए डेटा उपयोगकर्ताओं को सलाह दी जा सकती है। उदाहरण के लिए, पहले अग्रिम अनुमान (एफएई) जारी किए जाने के दो दिन बाद, यानी 7 जनवरी, 2018 को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि, वानिकी और मछली पकड़ने के उत्पादन क्षेत्र में सुधार के बारे में आशा व्यक्त करते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की । इसके अलावा, 'अर्ली बर्ड्स' के कॉर्पोरेट परिणामों ने 2017-18 : क्यू 3 के लिए प्रोत्साहक परिचालनात्मक निष्पादन को प्रदर्शित किया और दिसंबर 2017 के लिए प्राप्त अन्य नया डेटा औद्योगिक उत्पादन, विशेष रूप से विनिर्माण के लिए सकारात्मक था। लंबे समय तक कमजोरी की अवधि के बाद, स्टील उत्पादन में निरंतर स्वस्थ वृद्धि के साथ नवंबर-दिसंबर 2017 में सीमेंट उत्पादन में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई। सेवा क्षेत्र में, वाणिज्यिक वाहन बिक्री, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्री यातायात और विदेशी पर्यटक आगमन जैसे उच्च बारंबारता संकेतक नवंबर-दिसंबर 2017 में तेजी से बढ़े। सीएसओ अक्सर संबंधित क्षेत्रों के जीवीए के साथ इन संकेतकों के संबंधों की जांच कर सकता है और एफएई की गणना के लिए संशोधित गुणांक का उपयोग कर सकता है । इसके अलावा, नई जानकारी के इन सेटों को रिपोर्ट किए गए एफएई को नियोजित करने के सापेक्ष आर्थिक विकास के बेहतर (संभवत: निष्पक्ष) अनुमानों का उत्पादन करने के लिए "नाउकास्टिंग" जैसी अत्याधुनिक विधियों में शामिल किया जा सकता है।
संदर्भ:
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लैंडफेल, जे स्टीवन, यूजीन पी. सेस्किन, और बारबरा एम. फ्रौमेनी (2008), "टेकिंग दि पल्स ऑफ द इकोनोमी: मेजरिंग जीडीपी", जर्नल ऑफ़ इकोनॉमिक पर्सपेक्टिव्स, वॉल्यूम - 22, संख्या 2, पीपी. 193-216।
श्रेश्ठ माणिक और मार्को मारिनी (2013), "जी-20 देशों में तिमाही जीडीपी पुनरीक्षण: 2008 वित्तीय संकट से साक्ष्य", अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष वर्किंग पेपर संख्या 13/60, 7 मार्च।
सप्रे अमेय और राजेश्वरी सेनगुप्ता (2017), "भारतीय जीडीपी डेटा में पुनरीक्षण का विश्लेषण", एनआईपीएफपी वर्किंग पेपर श्रृंखला डब्ल्यूपी-213-2017, नवंबर।
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