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मिन्ट स्ट्रीट मेमो

1230 kb दिनांक : नवंबर 05, 2018

मिंट स्ट्रीट मेमो सं. 15
सीपीआई में आवास सेवाएं – माप के मुद्दे

प्रज्ञा दास1

सारांश : शहरी क्षेत्रों में 10 आवासों में से 1 से अधिक आवास नियोक्ता (मुख्य रूप से सरकार) द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं। प्रत्येक महीने आवास सेवा के मूल्य में परिवर्तन निकालने के लिए इन आवासों को निजी किराए वाले और स्वामी के कब्जे वाले घरों को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में नमूने के रूप में पेश किया गया है। सरकारी आवासों के लिए, पूर्वगामी आवास किराये भत्ते (एचआरए) को किराये लागत के रूप में उपयोग किया जाता है। यह पेपर चर्चा करता है कि पूर्वगामी एचआरए को आवास किराये की माप के रूप में उपयोग से (क) आवास सेवाओं के मूल्य में सही गतिविधियों को नहीं लेता है, और (ख) हेडलाइन सीपीआई में मासिक बदलाव की माप में काफी अव्यवस्था उत्पन्न कर देता है। इस मुद्दे के समाधान के लिए, यह मेमो सीपीआई में आवास किराये के माप के वैकल्पिक तरीके का सुझाव देता है।

I. परिचय

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति मौद्रिक नीति संचालित करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा उपयोग किया जाने वाला हेडलाइन उपाय है। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, हेडलाइन मुद्रास्फीति का लक्ष्य 4 प्रतिशत है जिसमें +/- 2 का सहनशीलता बैंड है।

जुलाई 2017 में 7वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) के आवास किराये भत्ते (एचआरए) के अवार्ड के कार्यान्वयन से जुलाई 2017 से हेडलाइन मुद्रास्फीति में वृद्धि हो गई, जिसके प्रभाव समाप्त होने में 18 महीने लग जाएंगे। मौद्रिक नीति समिति ने एचआरए वृद्धि के प्रत्यक्ष प्रथम चरण के प्रभाव को देखने का निर्णय लिया है क्योंकि वृद्धि का यह भाग सांख्यिकीय है। ऐसा मुख्य रूप से इस कारण से है कि वृद्धि एकबारगी थी और इसने मूल्य में मासिक बदलाव नहीं दर्शाया जिसकी सीपीआई माप करना चाहती है।

इससे यह प्रश्न उठता हैः क्या आवास सूचकांक में सरकारी कर्मचारियों के पूर्वगामी एचआरए को सरकारी आवास के लिए किराये के मूल्य के रूप में शामिल किया जाना चाहिए? यह ऐसा नहीं है, तो क्या माप के इस मुद्दे का समाधान करने के वैकल्पिक तरीके हैं जिससे कि हेडलाइन सीपीआई ऐसी सांख्यिकीय त्रुटियों से मुक्त हो सके? यह नोट इस मुद्दे पर चर्चा करता है और वैकल्पिक समाधान सुझाता है।

II. सीपीआई में आवास सेवाएं – अंतरराष्ट्रीय संदर्भ

सीपीआई में आवास सेवाओं के शामिल किए जाने के संबंध में अंतरराष्ट्रीय चर्चा आवास किराये को दो प्रमुख पहलू मानते हुए इसकी माप पर ध्यान केंद्रित करती है। पहला, व्यक्ति ने निजी रूप से बाजार से अपार्टमेंट किराये पर लिया होगा। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रैक्टिकल गाइड टु प्रोड्यूसिंग कंज्यूमर प्राइस इंडिसिस2 (पीजीपीसीपीआई) के अनुसार, सीपीआई के लिए दर्ज किया जाने वाले किराया वह राशि होगी जिसका परिवार वास्तविक रूप में भुगतान करते हैं।

दूसरा पहलु उन व्यक्तियों से संबंधित है जो अपने घर अर्थात स्वामी के कब्जे वाले घर में रहते हैं। स्वामी के कब्जे वाले घरों के लिए आवास सेवाओं के मूल्य के माप के लिए पीजीपीसीपीआई द्वारा संस्तुत तीन विभिन्न धारणात्मक दृष्टिकोण हैं – (i) अधिग्रहण दृष्टिकोण जो घरों के खरीद मूल्य की माप करता है चाहे उनका वित्तपोषण किसी तरह किया गया हो, (ii) भुगतान दृष्टिकोण - यह घरों का कब्जा लेने में वहन किए गए वास्तिवक व्यय, अनिवार्य रूप में बंधक ब्याज भुगतानों को कवर करता है और (iii) किराया समकक्ष या उपयोगकर्ता लागत दृष्टिकोण – यह आवास लागत की माप किराये के रूप में करता है, स्वामी को किरायेदार के रूप में जो सांकेतिक रूप से निवासी के रूप में भुगतान करता है।

भारत सहित अनेक देश किराया समकक्ष दृष्टिकोण का अनुसरण करते हैं। इसलिए इसे कुछ विस्तार से बताती हूं। पीजीपीसीपीआई उल्लेख करता है कि “स्वामी-निवासी को उसी तरह से उसके घर द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले आश्रय के मूल्य का उपभोग करने वाले के रूप में माना जा सकता है जैसाकि किरायेदार अपने आवास के आश्रय के मूल्य का उपभोग करता है जिसके लिए वह किराये का भुगतान करता है। तदनुसार, किरायेदार द्वारा भुगतान किए जाने वाले किराये के समानांतर किराया समानांतर या उस पर लगाए गए किराये का अनुमान स्वामी-निवासी द्वारा उपभोग किए गए आश्रय के मूल्य से लगाया जाना चाहिए।”

पीजीपीसीपीआई के अनुसार इस दृष्टिकोण की मुख्य आलोचना यह है कि “किराये में हलचल से शायद स्वामी-निवासी लागतों को नहीं ढांकते हों। ऐसा विशेषकर वहां पर होता है जहां किराये वाला घर और स्वामी-निवासी घर भिन्न-भिन्न बाजार हों...या भिन्न-भिन्न स्थलों पर हों...”। तथापि, पीजीपीसीपीआई पहले लगाए गए किराये का उपयोग कर धारणात्मक आकर्षण की पहचान करता है और दूसरा यह तथ्य कि दो अन्य पद्धतियों के साथ तुलना करके उचित भारांक और सूचकांक बनाने के लिए आंकड़ों को तत्पर आधार पर प्राप्त किया जा सकता है।

यह नोट करना रोचक है कि आवास किराये की माप पर अंतरराष्ट्रीय मार्गदर्शन - जैसे अंतरराष्ट्रीय सीपीआई मैनुअल, 2004 या पीजीपीसीपीआई में – नियोक्ता द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले घरों की चर्चा नहीं मिलती है।

III. भारत में सीपीआई में आवास सेवा

अंतरराष्ट्रीय पृष्ठभूमि को देखते हुए, यह खंड भारतीय संदर्भ में आवास सेवाओं के दो पहलुओं – किस प्रकार किराये का सीपीआई में भारांक होता है और किराये के मूल्य की किस प्रकार माप की जाती है, पर चर्चा करता है।

उपभोक्ता व्यय बास्केट में आवास किराया

भारत में परिवारों द्वारा उपभोग किए जाने वाले माल और सेवाओं के समग्र बास्केट की पहचान करने के लिए, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) बड़े नमूनों के साथ पांच वर्ष में राष्ट्रव्यापी परिवार उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (सीईएस) कराता है। सीईएस द्वारा उपलब्ध कराये गए ग्रामीण और शहरी आबादी के लिए विभिन्न पण्य-वस्तु समूहों के मासिक प्रति व्यक्ति व्यय का उपयोग सीपीआई के लिए भार आकृति तैयार करने के लिए आदर्श परिवार द्वारा उपभोग किए गए औसत प्रतिनिधि बास्केट के रूप में किया जाता है।

सीईएस में, आवास किराया को दो शीर्षों - आवास किराया (वास्तविक) और आवास किराया (वसूला गया) के अंतर्गत कवर किया जाता है। आवास किराया (वास्तविक) की माप (i) निजी रूप से किराये पर लिए गए घरों के लिए किरायेदारों द्वारा भुगतान किये गये किराये के रूप में और (ii) नियोक्ता द्वारा उपलब्ध कराए गये क्वार्टरों के मामले में क्वार्टरों के कब्जे के कारण मासिक पारितोषिक का एक हिस्सा काटकर की जाती है। आवास किराया (वसूला गया) की माप उस जगह या आसपास के क्षेत्र में इसी प्रकार के घरों के लिए किराये की व्याप्त दर के आधार पर की जाती है।

सीपीआई में आवास किराया

सीपीआई में आवास किराये के दो पहलुओं की यहां चर्चा की गई है। पहला, आवास सेवा का भारांक सीपीआई में कैसे किया जाता है। दूसरा, किराये की कीमतें कैसे मापी जाती हैं।

सीपीआई में किराये की कीमतों की माप के लिए, सीएसओ आवास किराये के बार-बार सर्वेक्षण कराता है, जिसमें चुनिंदा कस्बों में 13,368 किराये के घरों के स्थायी सेट को कवर किया गया है। सीएसओ द्वारा किराये की माप के लिए प्रयुक्त तीन दृष्टिकोण निम्नानुसार हैं :

क. वास्तव में भुगतान किया गया किराया: निजी रूप से किराये पर लिए गए घरों के लिए, सीएसओ किरायेदार द्वारा वास्तव में भुगतान किए गए किराये की माप करता है।

ख. पूर्वगामी एचआरए: सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आवास के मामले में, किराये में सौंपा गया एचआरए तथा निवासी द्वारा भुगतान किया गया लाइसेंस शुल्क शामिल है।

ग. किराये का समकक्ष: स्वामी के कब्जे वाले घरों के किराये के लिए, ऐसे ही घर पर बाजार में देय किराये का उपयोग किया जाता है (उपर्युक्त ‘क’ के अंतर्गत संग्रहित मूल्यों के आधार पर)।

यह नोट करना रोचक है कि भारत जैसे अनेक देश निम्नलिखित कमियों के बावजूद भी स्वामी के कब्जे वाले घरों के लिए समकक्ष किराये का उपयोग करते हैं, इन कमियों में शामिल हैं - (i) शायद निकट पड़ोस में वैसी ही प्रोपर्टीज उपलब्ध न हो, (ii) शायद दोनों प्रकार की प्रोपर्टीज में सुविधाएं एक जैसी न हों, (iii) शायद कमरों का आकार एक जैसा न हो और (iv) निर्माण गुणवत्ता तुलनीय न हो।

आवास किराया सूचकांक का संकलन सीएसओ द्वारा चेन आधारित पद्धति का उपयोग करते हुए किया जाता है। इस पद्धति के अनुसार, नमूना किराये वाले घरों का छठा भाग का एक महीने में सर्वेक्षण किया जाता है जिससे कि संपूर्ण प्रतिदर्श घरों को छह माह की अवधि में कवर किया जा सके। हालांकि नमूना कीमतों का छठा भाग हर बार नया होता है, सीएसओ आवास किराया सूचकांक को संकलित करने के लिए पिछले छह महीनों के पूरे मूल्यों के आंकड़ों का उपयोग करता है।

सीपीआई के लिए इस तरह से मापित आवास किराये में कुछ विशिष्टताएं हैं जिन पर हम निम्नलिखित खंड में चर्चा करेंगे।

IV. सरकार द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले आवासों के लिए आवास किराये की माप की विशेषताएं

सीएसओ सीपीआई के लिए किराये का मूल्य संग्रहित करने हेतु घरों के स्थायी पैनल का सर्वेक्षण कराता है। इन घरों में से, 13.7 प्रतिशत घर नियोक्ता द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं, जिसमें विशेषकर केंद्रीय सरकार, राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के घर होते हैं। इस प्रकार सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले आवास किराये का सीपीआई में अप्रत्यक्ष रूप से 1.3 प्रतिशत भारांक होता है (सीपीआई में 9.5 प्रतिशत भारांक या आवास किराया तथा 13.7 प्रतिशत हिस्सेदारी)। यह भारांक प्याज और टमाटर के संयुक्त भारांक (1.22 प्रतिशत) से अधिक है, जिनकी कीमतों में अचानक होने वाली गतिविधियों से माना जाता है कि हेडलाइन मुद्रास्फीति प्रिंट्स में काफी अस्थिरता आ जाती है।

सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए घरों का आवास किराया अर्थात सीपीआई का 1.3 प्रतिशत सीपीआई बास्केट में प्रमुख मद है जहां दिए गए विशेष विवरण (आकार, निर्माण गुणवत्ता, सुविधाएं आदि) वाले उत्पाद की कीमत उत्पाद की तुलना में उपभोक्ता पर निर्भर करती है।3 सरकारी घर का आवास किराया (इसकी विशेषताओं के कारण) बाजार शक्तियों या मांग-आपूर्ति द्वारा निर्धारित नहीं किया जाता है बल्कि उनके द्वारा निर्धारित किया जाता है जो आवास सेवा का उपभोग कर रहे हैं-यह किरायेदार की स्थिति पर निर्भर करता है। पूर्वगामी एचआरए और नाममात्र की लाइसेंस शुल्क का उपयोग करके इस प्रकार मापा गया किराया विशिष्ट है क्योंकि :

क. यह तब बदल जाता है जब कोई वरिष्ठ अधिकारी किसी अपार्टमेंट को खाली करता है जो नमूने में था और कनिष्ठ कर्मचारी उसमें जाकर रहता है जिसके परिणामस्वरूप किराये में काफी गिरावट आ जाती है और इसके विपरीत स्थिति भी होती है;

ख. यह बदल जाता है यदि निवासी कर्मचारी वेतनवृद्धि प्राप्त करता है – इसका उसी बाजार किराये में बदलावों से कोई संबंध नहीं है;

ग. कर्मचारी के वेतन में ठहराव आने (स्टैगनेशन) से इसमें बदलाव नहीं होता है;

घ. यह अचानक और तेजी से बढ़ जाता है जब वेतन में संशोधन होता है;

ङ. वेतन में संशोधन होने वाले वर्षों में आवास किराये में वृद्धि की गति कमजोर होती है और

च. यहां तक कि किराये का नाममात्र का लाइसेंस शुल्क हिस्सा जो आवास पर निर्भर करता है, न कि कर्मचारी पर, कई वर्षों में एक बार पुनः निर्धारित किया जाता है।

7 वीं सीपीसी ने विभिन्न स्तरों पर वेतन मैट्रिक्स के रूप में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के संशोधित वेतन की सिफारिश की (अनुबंध 1, तालिका 1)। यह देखते हुए कि, श्रेणी X शहरों (अर्थात, 50 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों) के लिए एचआरए मूल वेतन का 24 प्रतिशत है, हम श्रेणी X शहरों में रहने वाले केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के अनुरूप एचआरए पात्रता जनरेट कर सकते हैं (अनुबंध 1, तालिका 2)। तालिका से यह देखा जा सकता है कि, जैसे, यदि कोई लेवल 9 का कर्मचारी अपने मकान में स्थानांतरित हो जाता है और उसी मकान पर, जैसे, दूसरे लेवल 6 का कोई अन्य कर्मचारी रहने आता है, तो वहां ऐसे आवास के लिए (एचआरए सरेंडर्ड द्वारा मापा गया) आवास किराए में तेज गिरावट आएगी, अर्थात, दिए गए आवास के लिए पूर्वगामी एचआरए 22,320 से ​​14,928 तक गिर सकता है। अन्य मामले में, यदि कोई वरिष्ठ कर्मचारी सेवानिवृत्त होता है और उसका मकान उसी लेवल के एक नए कर्मचारी को आवंटित किया जाता है (अर्थात, अनुबंध1, तालिका 2 में दर्शाया गया लेवल 13), घर के लिए पूर्वगामी एचआरए नीचे आ सकता है, जैसे, 51,384 से 28,440। यदि किराये के डेटा एकत्र करने के लिए ऐसे मकान उपयोग किए जाने वाले आवासों के नमूने में हैं, जिसकी काफी संभावना है, तो यह डेटा में अचानक परिवर्तन का कारण बनता है जो कि बाजार किराये की वास्तविक हलचल को नहीं दर्शाता है। श्रेणी वाई और जेड शहरों के लिए इसी तरह का चित्रण दिया जा सकता हैं।

अगर हम निजी किराए पर मकान के किरायेदार में बदलाव करते समय किराया में वृद्धि या कमी को मापते हैं, तो ऐसे परिवर्तन बाजार किराए पर वास्तविक हलचल को दर्शाते हैं। तथापि, निवासी में बदलाव के कारण सरकारी आवास के किराए में हलचल,का किराये की कीमतों में वास्तविक परिवर्तन से कोई संबंध नहीं है।

V. मुद्रास्फीति पर एचआरए के प्रभाव का प्रमाण

7 वें सीपीसी एचआरए प्रभाव से प्रभावित, सीपीआई में आवास मुद्रास्फीति जून 2017 में 4.7 प्रतिशत से बढ़कर दिसंबर तक 8.2 प्रतिशत हो गई, जो 2018 में जुलाई तक उसी स्तर के चारों ओर मंडराती रही और एचआरए प्रभाव खत्म होने के कारण अगस्त और सितंबर में नीचे की तरफ आ गई। आवास मुद्रास्फीति में वृद्धि के साथ-साथ, हेडलाईन मुद्रास्फीति में आवास की हिस्सेदारी धीरे-धीरे जून 2017 में 0.5 प्रतिशत अंक से 35 आधार अंक बढ़कर जनवरी से जुलाई 2018 के दौरान 0.85 प्रतिशत अंक हो गई। (चार्ट 1)

वर्तमान अनुभव एकमात्र नहीं है। अतीत में भी इस तरह के बड़े बढ़ोतरी ने मुद्रास्फीति को काफी हद तक बढ़ाया है। मुद्रास्फीति पर सीपीसी के एचआरए निर्णय का पिछला प्रभाव केवल श्रम ब्यूरो द्वारा उत्पादित औद्योगिक श्रमिकों (सीपीआई-आईडब्ल्यू) के लिए सीपीआई से उपलब्ध है क्योंकि सीएसओ का सीपीआई अस्तित्व में नहीं था। इस प्रभाव का आकलन करने के लिए, सीपीआई-आईडब्ल्यू को अनुमानित आवास सूचकांक के साथ के साथ पुनर्निर्मित किया गया है, जो पिछले तीन वर्षों के पूर्व-सीपीसी आवास गति का उपयोग कर रहा है। हेडलाईन सीपीआई के विपरीत, चूंकि सीपीआई-आईडब्ल्यू में आवास सूचकांक प्रत्येक छः महीनों में एक बार समायोजित किया जाता है, इसका प्रभाव धीरे-धीरे नहीं बल्कि कदम बढ़ने के रूप में आया - पहले जनवरी 2018 में और फिर जुलाई में जब आवास सूचकांक फिर से कायम किया गया । आवास के उच्च वजन के कारण, सीपीआई-आईडब्ल्यू में एचआरए संशोधन का प्रभाव बहुत अधिक था।4

7 वें सीपीसी एचआरए निर्णय के बाद, सीपीआई-आईडब्ल्यू मुद्रास्फीति में आवास का हिस्सा जनवरी 2018 में बढ़ गया और जुलाई-अगस्त 2018 (चार्ट 2) में पर्याप्त अनुपात प्राप्त किया (चार्ट 2)। एचआरए प्रभावों को समायोजित करते हुए, सीपीआई-आईडब्लू मुद्रास्फीति का जुलाई और अगस्त का प्रिंट 5.6 प्रतिशत पर स्पष्ट रूप से 1.7 प्रतिशत कम था।(चार्ट 3).

अतीत में, इस दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए, यह देखा जाता है कि सीपीआई-आईडब्ल्यू मुद्रास्फीति क्रमशः 5 वीं और 6 वीं सीपीसी के बाद 200 और 400 आधार अंकों तक पहुंच गई थी। (अनुबंध 2, चार्ट 1ए और 1बी)

मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी जिसे नरम होने के लिए 18-24 महीने लगते हैं, जिसका कारण सीपीआई में आवास मूल्य एचआरए अग्रगण्य का उपयोग किराए पर समकक्ष के रूप में किए जाने से है।

निम्नलिखित कारणों से इसका समाधान करने की आवश्यकता है:

पहला, सीपीआई अब मौद्रिक नीति के उपयोग के लिए मुद्रास्फीति का हेडलाईन उपाय है। सीपीआई श्रृंखला में इस तरह की हलचल विश्लेषणात्मक और संचार चुनौतियों का निर्माण करती हैं, जिन्हें टाला जा सकता है।

दूसरा, सरकार अपने कर्मचारियों को बाजार किराए से कम चार्ज करके आंशिक रूप से सब्सिडीकृत आवास प्रदान करती है। ज्यादातर सीपीआई वस्तुओं के लिए, उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की गई कीमत आइटम के मूल्य के रूप में ली जाती है ; सरकारी आवास के मामले में, सब्सिडी के स्तर में परिवर्तन (वार्षिक वेतन वृद्धि, पदोन्नति या कर्मचारियों के पारिश्रमिक पैकेज में परिवर्तन) को मूल्य के रूप में लिया जाता है।

तीसरा, जब सीपीसी के तहत वेतन और भत्ते संशोधित किए जाते हैं, तो यह देखा जाता है कि सरकारी आवासों के किराया के लिए एचआरए पूर्ववर्ती का उपयोग प्रॉक्सी के रूप में किया जाता है जिसके फलस्वरूप निम्न होता है :

अ. आवास मुद्रास्फीति में बढोतरी जो हेडलाईन मुद्रास्फीति के माध्यम से घिरा हुआ है- यह एक संचित मूल्य के माध्यम से गुजरता है या एक सांख्यिकीय ब्लिप है और मासिक मूल्य में कोई वास्तविक परिवर्तन नहीं है;

आ. ग्रामीण-शहरी मुद्रास्फीति विचलन की चौड़ाई, चूंकि आवास सीपीआई और सीपीआई-आईडब्ल्यू के लिए एक प्रमुख चालक बन गया है, जबकि ग्रामीण मुद्रास्फीति में आवास घटक नहीं है (अनुबंध 2, चार्ट 2); और

इ. इसके प्रभाव का ध्यानपूर्वक आकलन करने और ऐसी घटनाओं को देखने के लिए एमपीसी के लिए संबंधित चिंता

चौथा, उन वर्षों में जो सीपीसी संशोधन का पता लगाते हैं, उपर्युक्त बल विपरीत दिशा में काम करता हैं :

अ. एचआरए की वृद्धि कम है और मूल वेतन में वृद्धि के अनुपात में (7 वें सीपीसी के तहत लगभग 3 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि), आवास मुद्रास्फीति को कम करने और मुद्रास्फीति को दबाए रखने पर दबाव डाला गया - यह प्रभाव भी सांख्यिकीय है और कीमतों में निरंतर परिवर्तन की प्रतिबिंबित नहीं है जो बाजार किराए पर प्रदान करता है; तथा

आ. नीति निर्माताओं के लिए दमित मुद्रास्फीति को मापने और अंतर्निहित वास्तविक मुद्रास्फीति का अनुमान एक बड़ी चुनौती बन गई है।

इस प्रकार, किराये की कीमत के उपाय के रूप में पूर्ववर्ती एचआरए ने सीपीआई मुद्रास्फीति में वक्रता कर सीपीसी संशोधन के करीब वर्षों के दौरान मुद्रास्फीति को बढ़ाया और अन्य समय के दौरान इसे दबा दिया। एक दशक से अधिक औसत पर यह ठीक प्रतीत होता है, लेकिन व्यावहारिक समाधान के साथ, इस तरह के पूर्वाग्रहों का समाधान करना अभी भी समझदारी का हो सकता है।

VI. निष्कर्षीय टिप्पणियां और परिवर्तन के लिए सुझाव

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक एक निश्चित खपत बास्केट के मासिक ' कीमतों में परिवर्तन ' को मापने के लिए बनाए जाते हैं। इसका उद्देश्य मूल्य परिवर्तनों को यथासंभव कुशलता से मापना है।

मेमो पर चर्चा की गई है कि केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा आवास किराए पर भत्ते में क्षैतिज संशोधन सीपीआई मुद्रास्फीति में बड़ी कमी का कारण बनता है जो मौद्रिक नीति के लिए विश्लेषणात्मक और संप्रेषण मुद्दों का कारण बनता है। सीपीआई में ये परिवर्तन आवास घटक से उत्पन्न होते हैं चूंकि किराया जानकारी एकत्रित करने के लिए घरों के नमूने के साथ ही, सरकारी घरों का भी दौरा किया गया। सरकारी आवासों को आंशिक रूप से सब्सिडी दी जाती है क्योंकि कर्मचारियों को सरकार द्वारा प्रदान किए गए एचआरए से निपटना पड़ता है और साथ ही सांकेतिक किराया के रूप में सांकेतिक लाइसेंस शुल्क भी होता है।

सब्सिडी वाले सामानों के लिए, अंतर्राष्ट्रीय मैनुअल पीजीपीसीपीआई दो व्याख्याएं प्रदान करता है। सबसे पहले, पूरी तरह से सब्सिडी वाले सभी आइटम को, सैद्धातिक रूप में, सीपीआई से बाहर रखा जाना चाहिए। दूसरा, आंशिक रूप से सब्सिडी वाले वस्तुओं (जैसे कि मौजूदा मामले में नियोक्ता ने आवास प्रदान किया) के लिए, मूल्य परिवर्तन को मापने के लिए उपभोक्ता (कर्मचारी) द्वारा वहन किए गए आंशिक लागत का उपयोग करने के बजाय बाजार से संबंधित दरों का उपयोग किया जाना चाहिए। आंशिक रूप से सब्सिडी वाले परिवहन किराए के उदाहरण का उपयोग करते हुए, पीजीपीसीपीआई सुझाव देता है कि "जहां नियोक्ता द्वारा किराया में आंशिक रूप से सब्सिडी दी जाती है, सीपीआई व्यय भार को कर्मचारी द्वारा आधार अवधि में भुगतान किए गए किराए के तत्व को प्रतिबिंबित करना चाहिए और मूल्य सूचकांक में केवल किराया शुल्क परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करना चाहिए और न कि कर्मचारी के पारिश्रमिक पैकेज में बदलाव से उत्पन्न सब्सिडी के स्तर में परिवर्तन को "।

आंशिक रूप से सब्सिडी वाले सरकारी आवासों के लिए इस विचार को लागू करने, और पेपर में चर्चाओं से रेखांकन करने के लिए, यह सुझाव दिया जाता है कि:

सबसे पहले, आवास पर व्यय के अंश तक पहुंचने के लिए, जिसे अंततः सीपीआई में आवास के लिए भार के रूप में उपयोग किया जाता है, एनएसएसओ किराए के आवासों के लिए वास्तविक किराया का उपयोग करता है। नियोक्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए आवास के मामले में, इसे मासिक उपलब्धियों के जब्‍त किए गए अंश के रूप में लिया जाता है (एचआरए प्लस लाइसेंस शुल्क)। सीपीआई में सीईएस से आया हुआ आवास का सही और पीजीपीसीपीआई सिद्धांतों के अनुरूप है। यह प्रक्रिया जारी रखनी चाहिए।

दूसरा, सीपीआई में, नियोक्ता द्वारा आवास प्रदान करने के लिए सरेंडर्ड एचआरए साथ ही सांकेतिक लाइसेंस शुल्क को किराए के प्रॉक्सी के रूप में चार्ज करने के बजाय, निम्नलिखित विकल्पों का पता लगाया जा सकता है :

क. सरकारी आवासों से प्रभारित सरेंडर्ड एचआरए साथ ही सांकेतिक लाइसेंस शुल्क के रूप में किराए पर जानकारी इकट्ठा करने के बजाय, हम किराए के समकक्ष का उपयोग कर सकते हैं, अर्थात, नजदीकी क्षेत्र में इसी तरह के आवासों का मार्केट किराया।

ख. वैकल्पिक रूप से, सरकार द्वारा किराए के समकक्ष के लिए प्रभारित सांकेतिक लाइसेंस शुल्क का उपयोग किया जा सकता है। तथापि, चूंकि लाइसेंस शुल्क में संशोधन कई वर्षों में होता है (नवीनतम संशोधन 2017 में किया गया, जिससे 2013 में निर्धारित दरों में संशोधन किया गया), अधिमानित विकल्प के रूप में इसे उचित नहीं पाया गया।

इस संबंध में, यह नोट करना दिलचस्प है कि सरकार अपने कर्मचारियों से उनकी पात्रता से परे प्रदान किए आवास पर ओवरस्टैयिंग के लिए मार्केट किराया लेती है। इसलिए, सरकारी आवास के लिए मार्केट किराए की धारणा मौजूद है। सीपीआई के लिए, मालिकाना कब्जे वाले घरों के किराए समकक्ष का उपयोग किया जाता है, भले ही मालिकाना कब्जे वाले घर और किराए पर दिए गए आवास गुणवत्ता, सुविधाओं, कमरे के आकार इत्यादि के मामले में भिन्न होते हैं। तदनुसार, नियोक्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए आवास के लिए समकक्ष किराया दृष्टिकोण का अन्‍वेषण किया जा सकता है।

तीसरा, यदि सीपीआई में घर किराया मापने के लिए, घर किराए के बराबर एचआरए को मापना जारी रखा जाता है, तो सरकारी आवासों के किराए के अलग-अलग प्रकाशन पर विचार किया जा सकता है ताकि नीतिगत उद्देश्यों के लिए अंतर्निहित मुद्रास्फीति गतिशीलता का आकलन करने में सुविधा हो।

संदर्भ:

1. एनएसएस रिपोर्ट संख्या 558, भारत में 2011-12 में विभिन्न वस्‍तु और सेवाओं की घरेलू खपत।

2. मूल्य और निर्वाह व्‍यय के आंकड़ों पर तकनीकी सलाहकार समिति के समूह की रिपोर्ट, मूल्य और निर्वाह व्‍यय यूनिट, राष्ट्रीय लेखा प्रभाग, केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय, 2014।

3. औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संख्या (2001 = 100), वार्षिक रिपोर्ट 2016, श्रम ब्यूरो, श्रम और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार।

4. दास, पी। (2018), सीपीआई मुद्रास्फीति पर घर किराए भत्ते में वृद्धि का प्रभाव, मिंट स्ट्रीट मेमो, भारतीय रिजर्व बैंक।


परिशिष्ट 1


परिशिष्ट 2


1 प्रज्ञा दास मौद्रिक नीति विभाग में निदेशक है। इस पेपर में व्यक्त विचार लेखक के हैं और आवश्यक रूप से रिज़र्व बैंक के विचार नहीं हैं। लेखिका केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय और श्रम ब्यूरो के अधिकारियों के साथ उनकी मूल्यवान इंट्रैक्शन के महत्व को स्वीकार करती है। यदि कोई त्रुटि हुई, तो वह लेखिका की है।

2 प्रैक्टिकल गाइड टु प्रोड्यूसिंग कंज्यूमर प्राइस इंडिसिस, संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्री श्रम कार्यालय, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, यूरोपीय समुदाय सांख्यिकी कार्यालय, विश्व बैंक और राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय, युनाइटेड किंग्डम, न्यू यॉर्क और जिनेवा, 2009 ।

3 पीएसयू और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए एचआरए केंद्र सरकार की तर्ज पर तय की गई है। तदनुसार, बाकी पेपर में, हमने नियोक्ता द्वारा प्रदान किए गए घरों और सरकारों द्वारा प्रदान किए गए घरों का समरूप से उपयोग किया है।

4 सीपीआई-आईडब्ल्यू में आवास का भार 15.3 प्रतिशत है। इंडेक्स रिव्यू कमेटी, 2009, श्रम और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि सरकार और पीएसयू द्वारा प्रदान किए गए नमूने में आवास का अनुपात 34 प्रतिशत है।

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