आरबीआई/2023-24/114
विवि.सीआरई.आरईसी.71/07.10.002/2023-24
16 जनवरी 2024
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदया / महोदय
मास्टर परिपत्र- एक्सपोजर मानदंड और सांविधिक/अन्य प्रतिबंध – शहरी सहकारी बैंक
कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 1 जुलाई 2015 का आरबीआई मास्टर परिपत्र डीसीबीआर.केंका.बीपीडी(पीसीबी)एमसी.सं.13/13.05.000/2015-16 देखें। अद्यतित मास्टर परिपत्र में इस विषय पर अब तक जारी सभी अनुदेशों/दिशा-निर्देशों को समेकित किया गया है।
भवदीय
(वैभव चतुर्वेदी)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्न: यथोक्त
एक्सपोजर मानदंड और सांविधिक/अन्य प्रतिबंध पर मास्टर परिपत्र – शहरी सहकारी बैंक
एक्सपोजर मानदंडों और सांविधिक/अन्य प्रतिबंधों पर मास्टर परिपत्र – शहरी सहकारी बैंक
1. सामान्य
1.1 बेहतर जोखिम प्रबंधन के एक विवेकपूर्ण उपाय के रूप में और ऋण जोखिम की ओर केन्द्रित ध्यान को हटाने के उद्देश्य से प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) को -
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वैयक्तिक उधारकर्ताओं और ग्रुप उधारकर्ताओं
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विशिष्ट क्षेत्रों
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गैर जमानती अग्रिमों
के लिए अपनी ऋण सीमाओं को निर्धारित करने के लिए सूचित किया गया है।
1.2 इसके अलावा, इन बैंकों को निम्नलिखित के संबंध में कतिपय सांविधिक और विनियामक प्रतिबंधों का पालन करना भी आवश्यक है:
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शेयरों, डिबेंचरों और बाँडों की जमानत पर अग्रिम
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शेयरों, डिबेंचरों और बाँडों में निवेश
1.3 इन सभी पहलुओं पर वर्तमान में प्रचलित अनुदेश निम्नलिखित परिच्छेदों में विस्तृत रूप में दिए हैं।
2. परिभाषाएँ
2.1 टियर-I पूंजी
एक्सपोज़र सीमा तय करने के लिए पिछले वित्तीय वर्ष के 31 मार्च की स्थिति पर मौजूद टियर-I पूंजी गणना में ली जाएगी। इस उद्देश्य के लिए टियर-I पूंजी यूसीबी की पूंजी पर्याप्तता की गणना हेतु निर्धारित टियर-I पूँजी (समय-समय पर यथा संशोधित दिनांक 20 अप्रैल 2023 का पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - शहरी सहकारी बैंक विषय पर मास्टर परिपत्र देखें) के समान ही रहेगी।
2.2 एक्सपोजर के अंतर्गत ऋण एक्सपोजर (ऋण और अग्रिम) और निवेश एक्सपोजर (गैर-एसएलआर प्रतिभूतियां) ही शामिल होंगे जैसाकि नीचे दर्शाया गया है।
2.3 ऋण एक्सपोजर
2.3.1 ऋण एक्सपोज़र में -
(ए) निधिक और गैर - निधिक ऋण सीमाएं और हामीदारी और इसी प्रकार की प्रतिबद्धताएं;
(बी) उपकरण पट्टेदारी एवं किराया खरीद वित्तपोषण के जरिए दी गई सुविधाएं; और,
(सी) आकस्मिक खर्चों को पूरा करने के लिए उधारकर्ताओं को मंजूर की गई तदर्थ सीमाएं शामिल होंगी।
2.3.2 ऋण एक्सपोज़र में बैंक की अपनी मीयादी जमाराशियों की जमानत पर दिए गए ऋण और अग्रिम शामिल नहीं होंगे।
2.3.3 ऋण एक्सपोज़र की सीमा का पता लगाने के लिए मंजूर की गई सीमा या बकाया राशि, जो भी अधिक हो, हिसाब में ली जाएगी। इसके अतिरिक्त पूरी तरह आहरित मीयादी ऋणों के मामले में, जहां मंजूर की गई सीमा के किसी हिस्से के पुन:-आहरण की गुंजाइश न हो, बैंक ऋण एक्सपोज़र की सीमा का पता लगाने के लिए बकाया राशि की गणना करें।
2.3.4 गैर निधिक ऋण सीमा के संबंध में, ऐसी सीमा या बकाया का 100%; जो भी अधिक हो, को इस प्रयोजन के लिए हिसाब में लिया जाएगा।
2.3.5 संघीय /बहुविध बैंकिंग/समूहन - प्रत्येक बैंक के शेयर का स्तर एकल उधारकर्ता/समूह की ऋण एक्सपोज़र द्वारा नियंत्रित होगा।
2.4 निवेश एक्सपोजर (गैर-एसएलआर प्रतिभूतियां)
यूसीबी समय-समय पर अपडेट किए गए दिनांक 1 अप्रैल 2023 के यूसीबी के निवेश पोर्टफोलियो के वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन पर मास्टर निदेश के अध्याय VII में निहित प्रावधानों द्वारा निर्देशित रहेंगे।
2.5 समूह
2.5.1 समूह की परिभाषा के बारे में निर्णय को बैंक की धारणा पर छोड़ दिया गया है जिन्हें साधारणत: अपने ग्राहक वर्ग के मूल गठन की जानकारी होती है। कोई उधारकर्ता इकाई विशेष किस समूह से है, इसका निश्चय उनके पास उपलब्ध संबंधित जानकारी के आधार पर किया जा सकता है। इस बारे में मार्गदर्शी सिद्धांत है प्रबंधन और कारगर नियंत्रण में सामंजस्य होना।
2.5.2 एक या एक ही तरह के अधिक साझेदारों के साथ एक ही प्रकार के कारोबार जैसे कि वस्तु-निर्माण, प्रक्रिया, व्यापार आदि में लगी विभिन्न फर्मों को सम्बद्ध समूह एवं एक ही स्वामित्व के अंतर्गत आनेवाली इकाइयों को एकल पार्टी माना जाएगा।
2.6 गैर जमानती अग्रिम
गैर जमानती अग्रिमों में निर्बाध ओवरड्राफ्ट, वैयक्तिक जमानत पर ऋण, खरीदी या भुनाई गई निर्बाध हुंडियां या पारस्पारिक (मुल्तानी) हुंडियां, वसूली के लिए भेजे गए चेकों की जमानत पर खरीदे गए चेक या अनुमत आहरण शामिल होंगे, जब कि:
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केन्द्र या राज्य सरकारें, सार्वजनिक क्षेत्र की वित्तीय संस्थाओं, बैंकों तथा निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम द्वारा समर्थित अग्रिम;
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केन्द्र या राज्य सरकारों, या राज्य के स्वामित्व वाले उपक्रमों पर आहरित आपूर्ति हुंड़ियां जिनके साथ प्राधिकृत निरीक्षण नोट या रसीदीकृत चालान हों, की जमानत पर दिए गए अग्रिम;
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न्यासी रसीदों की जमानत पर दिए गए अग्रिम
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साख पत्र के अंतर्गत आहरित देशी डी/ए बिल की जमानत पर अग्रिम
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अंतर्देशीय डी/ए हुंडियां (ऐसी हुंडिया भले ही साख - पत्र के अंतर्गत आहरित न की गई हों) जिनकी मीयाद 90 दिनों से अधिक न हो की जमानत पर दिए गए अग्रिम;
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वेतनभोगी कर्मचारियों को उनकी वैयक्तिक जमानत पर दिए गए अग्रिम, बशर्ते संबंधित राज्य के सहकारी सोसायटी अधिनियम में बैंक के दावों को पूरा करने के लिए नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के वेतन में से ऋण की किस्त की कटौती करने का बाध्यकारी प्रावधान हो और यह भी कि बैंक ने ऐसे प्रत्येक अग्रिम के संबंध में इस प्रावधान का लाभ उठाया हो।
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निजी प्रतिष्ठित पक्षकारों पर आहरित आपूर्ति हुंडियों और प्रतिष्ठित पब्लिक लिमिटेड कंपनियों और संस्थाओं के रसीदीकृत चालनों जो 90 दिनों से अधिक बकाया न हों, की जमानत पर दिए गए अग्रिम;
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उन बही ऋणों की जमानत पर अग्रिम जो 90 दिनों से अधिक बकाया न हों;
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सरकारों, सार्वजनिक निगमों और स्थायी स्वशासी संस्थाओं द्वारा जारी चेक;
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निर्यात के लिए पैकिंग ऋण के रुप में अग्रिम
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खरीदे गये मांग ड्राफ्ट
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अंशत: जमानती अग्रिमों का जमानती अंश और
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देय या देय होनेवाली संविदा राशि के कानूनी समनुदेशन की जमानत पर अग्रिम शामिल नहीं होंगे।
टिप्पणी: प्राथमिक सहकारी बैंक के निदेशक मंडल द्वारा यथाअनुमोदित भारतीय रेल, इंडियन एअरलाइंस निगम, या सड़क और जलमार्ग परिवहन परिचालकों की आधिकारिक रसीदों के बिना प्राप्त सभी विनिमय हुंडियां निर्बाध हुंडियां मानी जाएंगी।
3. एक्सपोज़र संबंधी मानदंड
3.1 वैयक्तिक / समूह उधारकर्ताओं के लिए एक्सपोज़र सीमा
3.1.1 यूसीबी को अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से अपनी टियर-I पूंजी के संबंध में एक्सपोजर सीमा निर्धारित करनी होती है। इस उद्देश्य के लिए एक्सपोज़र में ऋण एक्सपोज़र (ऋण और अग्रिम) और निवेश एक्सपोज़र (गैर-एसएलआर प्रतिभूतियां) दोनों शामिल होंगे जैसा कि पैरा 2.3 और 2.4 में बताया गया है ताकि -
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वैयक्तिक उधारकर्ता का एक्सपोज़र टियर-I पूंजी के 15 प्रतिशत से अधिक न हो; और,
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आपस में संबन्धित उधारकर्ताओं/पार्टियों के समूह का एक्सपोज़र टियर-I पूंजी के 25 प्रतिशत से अधिक न हो।
3.1.2 पैरा 3.1.1 में निर्धारित एक्सपोज़र सीमाएँ 13 मार्च 2020 के बाद यूसीबी द्वारा लिए गए सभी प्रकार के नए एक्सपोज़र पर लागू हैं तथा यूसीबी को अपने एक्सपोज़र को, जो संशोधित सीमा से अधिक था उसे 31 मार्च, 2023 तक उपरोक्त संशोधित सीमा के भीतर लाना आवश्यक था। तथापि, जहां वर्तमान एक्सपोज़र में सिर्फ मियादी ऋण (Term Loan) और गैर-निधि आधारित सुविधाएं (Non-fund based facilities) शामिल हैं, जबकि ऐसे उधारकर्ताओं पर कोई और एक्सपोज़र नहीं लिया जाएगा, इन सुविधाओं को उनकी संबन्धित चुकौती अनुसूची (Repayment Schedule) के अनुसार/परिपक्वता तक जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है।
3.1.3 क्या उधारकर्ता/ पक्ष ‘आपस में संबन्धित उधारकर्ताओं/ पार्टियों के समूह’ से संबंधित हैं, इसका निर्धारण उपरोक्त पैरा 2.5.1 और 2.5.2 में दिए गए निर्देशों के आधार पर किया जाएगा।
3.2 वैयक्तिक/समूह उधारकर्ताओं के लिए एक्सपोज़र सीमा की गणना
एक्सपोज़र की उच्चतम सीमा निर्धारित करने का कार्य प्रतिवर्ष बैंक के तुलनपत्र को अंतिम रुप देने और उसकी लेखापरीक्षा हो जाने के बाद किया जाना चाहिए और उसकी सूचना ऋण मंजूर करनेवाले अधिकारियों तथा बैंक के निवेश विभाग को दी जानी चाहिए। शेयरधारिता को ऋण से जोड़ दिए जाने के कारण तुलनपत्र की तारीख के बाद शेयरपूंजी में हुई वृद्धि अथवा कमी को बैंक अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से अर्ध वार्षिक आधार पर एक्सपोज़र की उच्चतम सीमा निर्धारित करने के लिए ध्यान में रखा जा सकता है। तदनुसार, बैंक यदि चाहे तो 30 सितंबर की स्थिति के अनुसार मौजूदा शेयर पूंजी की राशि को हिसाब में लेते हुए नए सिरे से एक्सपोज़र सीमा का निर्धारण कर सकते हैं। तथापि, शेयर पूंजी में हुई वृद्धि को छोड़कर पूंजीगत निधियों, जैसे कि अर्धवार्षिक लाभ आदि, में हुई वृद्धि एक्सपोज़र सीमा के निर्धारण के लिए हिसाब में लेने की पात्र नहीं होगी। बैंक यह भी सुनिश्चित करें कि वे भविष्य में पूंजी में और वृद्धि होने की प्रत्याशा को ध्यान में रखकर निर्धारित की गई सीमा से अधिक जोखिम नहीं उठाते हैं।
3.3 ऋण के मूल्य के लिए सीमाएँ
यूसीबी के ऋण पोर्टफॉलियो में कम से कम 50 प्रतिशत ऋण प्रति उधारकर्ता/पार्टी 25 लाख रुपये या बैंक की टियर-। पूंजी के 0.2% (अधिकतम 1 करोड़ रुपये तक सीमित), जो भी अधिक हो, तक के होने चाहिए। इस उद्देश्य के लिए टियर-I पूंजी की गणना उपरोक्त पैराग्राफ 2.1 में दिए गए तरीके से की जाएगी। उपरोक्त के बावजूद, यूसीबी ऊपर पैरा 3.1 में निर्धारित एक्सपोजर सीमाओं का पालन करेंगे। जो यूसीबी वर्तमान में ऋण पोर्टफॉलियो के लिए निर्धारित उपर्युक्त सीमा का पालन नहीं कर रहे हैं, उन्हे 31 मार्च 2024 तक उपरोक्त तरीके से अपने ऋण पोर्टफोलियो को संरेखित करना होगा। यह स्पष्ट किया जाता है कि यहां ‘ऋण’ का तात्पर्य उधार के रूप में दिए गए गए सभी निधियुक्त और गैर-निधियुक्त एक्सपोज़र से है।
3.4 आवासीय, स्थावर संपदा, वाणिज्यिक स्थावर संपदा के लिए एक्सपोज़र
3.4.1 यूसीबी को सूचित किया जाता है कि वे अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से, यह सुनिश्चित करने के लिए कि बैंक ऋण निर्माण गतिविधियों के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है न कि स्थावर संपदा की सट्टेबाजी के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित पैराग्राफ में निर्देशों के तहत स्थावर संपदा ऋण की उच्चतम सीमा के संबंध में व्यापक विवेकपूर्ण मानदंड तैयार करें.
3.4.2 यूसीबी को दिए जाने वाले आवास ऋण (जिसमें किसी व्यक्ति को आवास की मरम्मत, परिवर्तन, परिवर्धन के लिए दिए जाने वाले ऋण भी शामिल है), स्थावर संपदा, वाणिज्यिक स्थावर संपदा (वाणिज्यिक स्थावर संपदा- आवासीय मकान समेत) के लिए ऋण की सीमा उनकी कुल संपत्ति के 10 प्रतिशत तक सीमित होना चाहिए। समग्र आस्तियों के 10 प्रतिशत की उपरोक्त सीमा को, समय-समय पर यथा-संशोधित दिनांक 04 सितंबर 2020 के मास्टर निदेश विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.5/04.09.01/2020-21 में उल्लिखित प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण की पात्रता सीमाओं के अनुसार व्यक्तियों को आवास ऋण प्रदान करने हेतु समग्र आस्तियों की अतिरिक्त 5 प्रतिशत सीमा तक बढ़ाया जा सकता है।
3.4.3 कुल आस्तियों की गणना पिछले वर्ष के 31 मार्च के लेखापरीक्षीत तुलन पत्र के आधार पर की जाए। कुल आस्तियों की गणना के लिए हानि, अमूर्त आस्तिया, प्राप्य बिल जैसे उभयपक्षी मदे शामिल न की जाए।
3.4.4 यूसीबी द्वारा बिना अग्रिम लिए अपेक्षाकृत छोटे निमार्ण कार्य करनेवाले ठेकेदारों को उनकी निमार्ण सामग्री की जमानत पर दिए गए कार्यशील पूंजी ऋण निर्धारित सीमा में शामिल नहीं है।
3.4.5 यूसीबी को हायर फिनासिंग एजेंसी से प्राप्त निधिया तथा राष्ट्रीय आवास बैंक से प्राप्त पुर्नवित्त की सीमा तक आवास, स्थावर संपदा, वाणिज्यिक स्थावर संपदा को दिए जानेवाले ऋण की निर्धारित सीमा से अधिक ऋण प्रदान करने की अनुमति नहीं है।
3.4.6 मौजूदा विवेकपूर्ण एक्सपोजर सीमाओं के अधीन, टियर-11 यूसीबी को को प्रति व्यक्तिगत उधारकर्ता अधिकतम रु.60 लाख तक व्यक्तिगत आवास ऋण देने की अनुमति है और टियर-2 से 4 में वर्गीकृत शहरी सहकारी बैंक प्रति व्यक्तिगत उधारकर्ता अधिकतम रु.140.00 लाख तक व्यक्तिगत आवास ऋण प्रदान कर सकते हैं।
3.5 अंतर-बैंक एक्सपोज़र सीमा
3.5.1 विवेकपूर्ण अंतर-बैंक(सकल) एक्सपोज़र सीमा
यूसीबी समय-समय पर यथा संशोधित 01 अप्रैल 2023 के 'यूसीबी के निवेश पोर्टफोलियो के वर्गीकरण, मूल्यांकन और परिचालन' पर मास्टर निदेश के अध्याय VIII के पैरा 14.1 (ए) में निहित प्रावधानों द्वारा निर्देशित होंगे।
3.5.2 विवेकपूर्ण अंतर-बैंक काउंटरपार्टी सीमा
यूसीबी समय-समय पर यथा संशोधित 01 अप्रैल 2023 के 'यूसीबी के निवेश पोर्टफोलियो के वर्गीकरण, मूल्यांकन और परिचालन' पर मास्टर निदेश के अध्याय VIII के पैरा 14.1 (बी) में निहित प्रावधानों द्वारा निर्देशित होंगे।
3.6 जमाराशियों का निवेश / स्वीकृति
यूसीबी द्वारा जमाराशियों का निवेश / स्वीकृति, समय-समय पर यथा संशोधित 1 अप्रैल, 2023 के निवेश पोर्टफोलियो के वर्गीकरण, मूल्यांकन और परिचालन पर मास्टर निदेश के अध्याय VIII के तहत दिए गए निर्देशों के अधीन होगी।
4. गैर जमानती अग्रिमों की उच्चतम सीमा (जमानत सहित और बिना जमानत के)
4.1 गैर-जमानती अग्रिमों की सीमा
गैर-जमानती अग्रिमों की सीमा (जमानत के सहित या रहित) निम्नानुसार है:
वैयक्तिक उधारकर्ता तथा समूह उधारकर्ता के लिए सीमा |
मापदंड |
10 करोड रुपये तक मांग और समयदेयता वाले शहरी सहकारी बैंक |
10 करोड रुपये से अधिक तथा 50 करोड रुपये तक मांग और समयदेयता वाले शहरी सहकारी बैंक |
50 करोड रुपये से अधिक तथा 100 करोड रुपये तक मांग और समयदेयता वाले शहरी सहकारी बैंक |
100 करोड रुपये अधिक मांग और समयदेयता वाले शहरी सहकारी बैंक |
9 प्रतिशत या उससे अधिक सीआरएआर वाले शहरी सहकारी बैंक |
रु 1.00 लाख |
रु 2.00 लाख |
रु 3.00 लाख |
रु 5.00 लाख |
9 प्रतिशत से कम सीआरएआर वाले शहरी सहकारी बैंक |
रु 0.25 लाख |
रु 0.50 लाख |
रु 1.00 लाख |
रु 2.00 लाख |
4.2 ग़ैर-जमानती अग्रिमों पर सकल उच्चतम सीमा
4.2.1 शहरी सहकारी बैंकों द्वारा उनके सदस्यों को प्रदान समग्र गैर-जमानती ऋण और अग्रिम (जमानत या जमानत के बिना या चेक खरीदी के लिए) पिछले वित्तीय वर्ष के 31 मार्च के लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार उनकी कुल आस्तियों के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
कोई भी बैंक किसी ऐसे उधारकर्ता को जो किसी दूसरे बैंक से पहले से ही ऋण सुविधाएं ले रहा है, वित्तपोषित बैंक से "अनापत्ति प्रमाणपत्र" प्राप्त किए बिना वित्त प्रदान नहीं करेगा और जहां उधारकर्ता द्वारा ली गई ऋण सुविधा दिशानिर्देश में एकल पार्टी के लिए निर्धारित की गई सीमा से अधिक हो तो भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेना आवश्यक होगा।
4.2.2 वित्तीय समावेशन में लगे यूसीबी को और बढ़ावा देने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि जिन यूसीबी का प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण पोर्टफोलियो उनके सकल ऋण का 90 प्रतिशत से कम नहीं है, रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से, पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में लेखापरीक्षित तुलन पत्र के अनुसार उनकी कुल आस्तियों के 35 प्रतिशत तक निम्नलिखित शर्तों के अधीन गैर-जमानती अग्रिम प्रदान कर सकते हैं:
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सामान्य तौर पर 10% की अनुमति से अधिक दिए जाने वाले संपूर्ण गैर-जमानती ऋण पोर्टफोलियो में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के ऋण शामिल होंगे और किसी भी व्यक्तिगत उधारकर्ता के लिए एक्सपोज़र ₹40,000/- से अधिक न हो।
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नवीनतम निरीक्षण रिपोर्ट और लेखापरीक्षित वित्तीय विवरण के अनुसार सीआरएआर 9 प्रतिशत से कम न हो।
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नवीनतम निरीक्षण रिपोर्ट और लेखापरीक्षित वित्तीय विवरण के अनुसार सकल अनर्जक आस्ति 7 प्रतिशत से अधिक न हो।
4.2.3 साथ ही, 10 अक्तूबर 2013 से शहरी सहकारी बैंकों द्वारा मंजूर किए गए ₹10,000/- तक के गैर जमानती ऋण को पिछले वित्तीय वर्ष की 31 मार्च के लेखापरीक्षित तुलन-पत्र के अनुसार अपनी कुल आस्तियों के 10% के गैर जमानती समग्र एक्सपोजर सीमा में निम्न शर्तों के अधीन छूट देने का निर्णय लिया गया है:
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मंजूर की गई व्यक्तिगत राशि ₹10,000 से अधिक न हो।
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ऋण उत्पादक उद्देश्य के लिए होना चाहिए और बैंकों को उधार दी गई राशि का अंतिम उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए।
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बैंक का सीआरएआर कम से कम 9 प्रतिशत होना चाहिए।
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बैंक का सकल अनर्जक आस्ति सकल अग्रिमों के 10 प्रतिशत से कम होना चाहिए।
बैंकों द्वारा इस प्रकार दिए जाने वाले गैर-जमानती ऋण कुल आस्तियों के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिए। उपर्युक्त प्रयोजन के लिए वित्तीय मानदंड पिछले वर्ष की 31 मार्च की स्थिति के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मूल्यांकित होने चाहिए।
4.2.4 इस तथ्य के मद्देनजर कि वेतनभोगी बैंक किसी संस्था विशेष/संस्थाओं के समूह के वेतनधारी कर्मचारियों को अग्रिम प्रदान करते हैं जिसके लिए उनकी सदस्यता सीमित होती है और अग्रिम की वसूली नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के वेतन से कटौती करके की जाती है वेतनभोगी’ बैंक उपर्युक्त निर्धारित सीमा से अधिक ऐसे अग्रिम मंजूर कर सकते हैं बशर्ते वे निम्नलिखित शर्तों का पालन करते हों:
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संबंधित राज्य सरकार के सहकारी सोसायटी अधिनियम में बैंक के दावों को पूरा करने के लिए नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के वेतन से ऋण की आवधिक किस्त की कटौती करने का बाध्यकारी उपबंध किया गया हो।
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बैंक ने ऐसे प्रत्येक अग्रिम के लिए इस प्रावधान का लाभ उठाया है।
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बैंक ने कर्मचारी की मासिक आय को ध्यान में रखते हुए वेतन-पैकेट के गुणजों में ऐसे अग्रिमों के लिए एक सामान्य सीमा निर्धारित कर दी हो।
4.2.5 वेतनभोगी सोसायटियों को छोड़कर, यूसीबी द्वारा वेतनभोगी उधारकर्ताओं को दिए गए ऐसे अग्रिमों को जहां राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम के उपबंधों के अनुसार अग्रिम की चुकौती उधारकर्ताओं के वेतन से कटौती कर सुनिश्चित की जाती है, सारे सदस्यों को मिलाकर दिए गए कुल गैर-जमानती अग्रिमों के अभिकलन के प्रयोजन के लिए जमानती अग्रिम के लिए हिसाब में लिया जाएगा। प्रत्येक वेतनधारी उधारकर्ताओं को अग्रिम प्रदान करते समय बैंक यह सुनिश्चित करें कि ये अग्रिम गैर-जमानती अग्रिमों की उच्चतम सीमा से, जैसाकि पैरा 4.1 में बताया गया है, अधिक नहीं होने चाहिए।
4.3 क्रेडिट कार्ड की सीमाएं
यूसीबी समय-समय पर यथा संशोधित 21 अप्रैल 2022 के ‘क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड - जारी और आचार संबंधी निदेश, 2022' पर मास्टर निदेश के पैरा 4(ग) में निहित प्रावधानों द्वारा निर्देशित होंगे।
5. सांविधिक प्रतिबंध
5.1 बैंककारी विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 में संशोधन के परिणामस्वरूप, मूल अधिनियम की धारा 20 यूसीबी पर लागू है।
5.2 बैंक के अपने शेयरों की जमानत पर अग्रिम
बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 की धारा 20 (1)(क) के अनुसार कोई भी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक अपने ही शेयरों की जमानत पर अग्रिम नहीं दे सकता है।
5.3 ऋण कम करने की शक्तियों पर प्रतिबंध
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 20-क(1) यह निर्धारित करती है कि कोई भी शहरी सहकारी बैंक, रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति लिए बिना निम्नलिखित द्वारा उसे देय किसी भी ऋण की सारी राशि या आंशिक राशि को कम नहीं करेगा;
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उसके किसी भूतपूर्व या वर्तमान निदेशक, या
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कोई फर्म या कंपनी जिसमें उसके किसी भी निदेशक का निदेशक, साझेदार, प्रबंधकीय एजेंट या गारंटर के रूप में हित निहित हो, या
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किसी व्यक्ति को, यदि उसका कोई निदेशक उस व्यक्ति का साझेदार या
गारंटर हो
5.4 उक्त अधिनियम की धारा 20-क (2) के अनुसार ऊपर बताई गई उप-धारा (1) के उपबंधों के उल्लंघन में की गई कोई भी कमी अमान्य और अप्रभावी होगी।
6. विनियामक प्रतिबंध
6.1 निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को ऋण और अग्रिम प्रदान करना
6.1.1 यूसीबी अपने निदेशकों या उनके रिश्तेदारों या उन फर्मों / कंपनियों / प्रतिष्ठानों जिनमें उनके निदेशक या निदेशक के रिश्तेदार रुचि रखते हैं (interested) को, अथवा उनकी ओर से, कोई भी ऋण व अग्रिम अथवा कोई अन्य वित्तीय सहायता (सामूहिक रूप से जिन्हे "निदेशक-संबंधित ऋण" कहा जाएगा) प्रदान या नवीनीकृत नहीं करेंगे। इसके अलावा, निदेशक या उनके रिश्तेदार या वे फर्म / कंपनियां / प्रतिष्ठान जिनमें निदेशक या उनके रिश्तेदार रुचि रखते हैं, संबन्धित यूसीबी द्वारा स्वीकृत ऋण व अग्रिम अथवा किसी अन्य वित्तीय सहायता के लिए ज़मानतदार / गारंटर भी नहीं बनेंगे। इस उद्देश्य के लिए ‘अग्रिम’ में सभी प्रकार के निधिक / कार्यशील पूंजी सीमा, यथा कैश क्रेडिट, ओवरड्राफ्ट, क्रेडिट कार्ड, आदि शामिल होंगे।
6.1.2 निदेशक-संबंधित ऋणों की निम्नलिखित श्रेणियों को उपर्युक्त अनुदेशों के दायरे से छूट प्राप्त है:
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यूसीबी के बोर्ड पर मौजूद स्टाफ निदेशक, यदि कोई हो, को नियमित कर्मचारी-संबंधी ऋण;
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वेतनभोगियों वाले यूसीबी के बोर्ड पर मौजूद निदेशकों को सदस्यों के लिए यथा लागू सामान्य ऋण;
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यूसीबी के प्रबंध निदेशकों / मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को सामान्य कर्मचारी-संबंधी ऋण;
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सरकारी प्रतिभूतियों, सावधि जमाओं और जीवन बीमा पॉलिसियों, जो उनके नाम पर हैं, के बदले निदेशकों या उनके रिश्तेदारों को ऋण।
6.1.3 स्पष्टीकरण: इन निदेशों के उद्देश्य के लिए –
i. 'कोई अन्य वित्तीय सहायता' शब्द में निधिक और गैर-निधिक साख सीमाएँ और हामीदारियाँ तथा उसी प्रकार की यथा निम्नलिखित प्रतिबद्धताएं शामिल होंगी:
क) निधि आधारित सीमाओं में बिल/चेक खरीद/डिस्काउंटिंग, पोतलदानपूर्व और पोतलदानोत्तर ऋण सुविधाओं, पूंजीगत उपकरणों के खरीद सहित किसी भी अन्य उद्देश्य के लिए दी गई आस्थगित भुगतान गारंटी सीमाओं और उस संबंध में उधारकर्ताओं को स्वीकृत स्वीकृति-सीमाओं के रूप में ऋण व अग्रिम, तथा ऐसी गारंटियां जिनके जारी करने पर बैंक अपने ग्राहकों को पूंजीगत आस्तियां प्राप्त करने के लिए वित्तीय दायित्व स्वीकार करता है, शामिल होंगी। इसमें वैसे निवेश भी शामिल होंगे जो क्रेडिट की प्रकृति वाले / के बदले में हैं।
ख) गैर-निधि आधारित सीमाओं में साख-पत्र, अनुच्छेद (क) में संदर्भित गारंटियों को छोडकर अन्य गारंटियां, हामीदारियां एवं उसी प्रकार की प्रतिबद्धताएं शामिल होंगी। इसमें डेरिवेटिव्स (derivatives) के रूप में ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोज़र भी शामिल होंगे।
ii "रिश्तेदार" शब्द का अर्थ निम्नानुसार होगा:
एक व्यक्ति को दूसरे का रिश्तेदार माना जाएगा, यदि और केवल यदि: -
क) वे एक हिंदू अविभाजित परिवार के सदस्य हैं; या
ख) वे पति और पत्नी हैं; या
ग) वे नीचे दिए गए तरीके से एक-दूसरे (या इसके विपरीत) से संबंधित है:
i) पिता (सौतेले पिता सहित)
ii) माँ (सौतेली माँ सहित)
iii) बेटा (सौतेले बेटे सहित)
iv) बेटे की पत्नी
v) बेटी (सौतेली बेटी सहित)
vi) बेटी का पति
vii) भाई (सौतेले भाई सहित)
viii) भाई की पत्नी
ix) बहन (सौतेली बहन सहित)
x) बहन का पति
iii. ”रुचि रखा हुआ” (interested) शब्द से तात्पर्य है, यूसीबी का निदेशक या उसका रिश्तेदार, जैसा भी मामला हो, फर्म / कंपनी / प्रतिष्ठान (एचयूएफ़ सहित) का निदेशक, प्रबंध एजेंट, प्रबन्धक, कर्मचारी, प्रोप्राइटर, साझेदार, सहभागी या गारंटर, जैसा भी मामला हो, हो।
परंतु यूसीबी का निदेशक या उसका रिश्तेदार उस स्थिति में भी किसी कंपनी, जो एक अनुषंगी या होल्डिंग कंपनी है, में रुचि रखा हुआ माना जाएगा, यदि वह संबन्धित होल्डिंग या अनुषंगी कंपनी का निदेशक, प्रबंध एजेंट, प्रबन्धक, कर्मचारी या गारंटर है।
परंतु यह और भी कि यूसीबी के निदेशक को किसी कंपनी/फर्म में तब भी रुचि रखा हुआ माना जाएगा अगर वह उस कंपनी/फर्म में पर्याप्त रुचि रखता है या वह कंपनी/फर्म उसके नियंत्रण में है, या एक कंपनी में, जो एक अनुषंगी या होल्डिंग कंपनी है, यदि वह संबन्धित होल्डिंग या अनुषंगी कंपनी में पर्याप्त रुचि रखता है या वह कंपनी/फर्म उसके नियंत्रण में है।
परंतु यह और भी कि किसी यूसीबी के निदेशक का रिश्तेदार किसी कंपनी/फार्म में तब भी रुचि रखा हुआ माना जाएगा अगर वह उस कंपनी/फर्म का प्रमुख शेयरधारक है या वह कंपनी/फर्म उसके नियंत्रण में है या एक कंपनी में, जो एक अनुषंगी या होल्डिंग कंपनी है, यदि वह संबन्धित होल्डिंग या अनुषंगी कंपनी का प्रमुख शेयरधारक है या वह कंपनी उसके नियंत्रण में है।
iv. “पर्याप्त रुचि” शब्द का वही अर्थ है जो बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 5(एनई) में दिया गया है।
v. “नियंत्रण” शब्द से तात्पर्य है निदेशकों के बहुमत को नियुक्त करने का अधिकार या शेयरधारिता अथवा प्रबंधन अधिकार या शेयरधारिता अनुबंध या वोटिंग अनुबंध के नाते या किसी अन्य प्रकार से सहित किसी व्यक्ति या व्यक्तिगत रूप से अथवा एक साथ मिलकर कार्य कर रहे व्यक्तियों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले प्रबंधन अथवा नीतिगत निर्णयों को नियंत्रित करने का आधिकार।
vi. “प्रमुख शेयरधारक” शब्द से तात्पर्य है प्रदत्त शेयर पूंजी का 10% या उससे अधिक भाग रखने वाला व्यक्ति।
6.1.4 यूसीबी प्रत्येक तिमाही (अर्थात 31 मार्च, 30 जून, 30 सितंबर और 31 दिसंबर), के अंत पर अपने निदेशक-संबंधित ऋणों की सूचना अनुबंध-1 में दिए गए प्रारूप के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक के संबन्धित क्षेत्रीय कार्यालय के पर्यवेक्षण विभाग को संबन्धित तिमाही की समाप्ति से पन्द्रह दिनों के भीतर प्रस्तुत करेंगे। अगर यूसीबी प्रशासनकर्ता(ओं) / प्रभारी व्यक्ति(यों) / विशेष अधिकारियों के अधीन कार्यरत है, तो यूसीबी संबन्धित प्रशासनकर्ता(ओं) / प्रभारी व्यक्ति (यों) / विशेष अधिकारियों या उनके रिश्तेदारों द्वारा प्राप्त ऋणों और अग्रिमों से संबन्धित सूचना प्रस्तुत करेंगे।
6.2 नाममात्र सदस्यों को अग्रिम देने की अधिकतम सीमा
यूसीबी नाममात्र सदस्यों को निम्नलिखित उच्चतम सीमा के अधीन उपभोक्ता वस्तुएं खरीदने के लिए अल्प/अस्थायी अवधि के लिए ऋण मंजूर कर सकते हैं:
यूसीबी |
ऋण की उच्चतम सीमा |
(i) |
50 करोड़ रुपये तक की जमा राशिवाले यूसीबी |
प्रति उधारकर्ता ₹50,000/- |
(ii) |
50 करोड़ रुपये से अधिक की जमाराशि वाले यूसीबी |
प्रति उधारकर्ता ₹1,00,000/- |
6.3 अन्य बैंकों द्वारा जारी सावधि जमा रसीदों (एफडीआर) की जमानत पर अग्रिम
बैंकों को अन्य बैंकों की एफडीआर/मीयादी जमा राशियों की जमानत पर अग्रिम मंजूर नहीं करने चाहिए।
6.4 गैर-सदस्यों की सावधि जमाराशि की जमानत पर वेतन भोगी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (एसईबी) द्वारा अग्रिम
6.4.1 08 अगस्त 2001 के आरबीआई परिपत्र शबैंवि.सं.बीएल.(एसईबी)5ए/07.01.00-2001/02 के अनुसार, एसईबी जो शाखा खोलने की अनुमति हेतु आवेदन कर रहे है उन्हें अन्य बातों के साथ साथ यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके उप विधियों में बाहरी व्यक्तियों (गैर-कर्मचारी) को सदस्य/नॉमिनल सदस्य के रूप में नामांकन करके ऋण देने संबंधी प्रावधान शामिल नहीं हैं।
6.4.2 एसईबी को निम्नलिखित शर्तों के अधीन गैर-सदस्यों की सावधि जमाराशि की जमानत पर अग्रिम देने की अनुमति है:
(i) एसईबी द्वारा वित्तीय रूप से सुदृढ़ और सुप्रबंधित (एफएसडब्ल्यूएम) यूसीबी के लिए विनिर्दिष्ट सभी मानदंडों को पूरा करना होगा।
(ii) एसईबी में निदेशक मंडल की लेखापरीक्षा समिति मौजूद होनी चाहिए जिसका गठन और अनुपालन 25 जुलाई 1994 के हमारे परिपत्र शबैंवि.सं.योजना.(पीसीबी).9/09.06.00-94/95 में विनिर्दिष्ट अनुदेशों के अनुसार हो।
(iii) एसईबी की उपविधियों में स्वयं के नाम से या संयुक्त रूप से अन्य किसी गैर-सदस्य /सदस्यों के नाम से मौजूद सावधि जमाराशि की जमानत पर ऋण गैर-सदस्यों को ऋण देने का प्रावधान होना चाहिए।
(iv) इस प्रकार के अग्रिमों के मामले में एसईबी के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार हमेशा यथोचित मार्जिन बनाए रखना होगा।
(v) गैर-सदस्यों को सावधि जमाराशि की जमानत पर ऋण के अलावा अन्य कोई ऋण सुविधाएं नहीं दी जाएंगी।
6.5 पूरक (ब्रीज) ऋण/अंतरिम वित्तपोषण
यूसीबी को पूंजी/डिबेंचरों के निर्गमी की जमानत पर दिए जानेवाले ऋणों सहित पूरक ऋण/अंतरिम वित्त पोषण और/या ब्रीजिंग स्वरूप के ऋणों के रूप में उन प्रस्तावों को स्वीकार करने से मना कर दिया गया है जहां बाजार से सभी प्रकार की गैर बैंकिंग कंपनियों अर्थात् उपकरण लीजिंग, किराया खरीद, ऋण, निवेश और अवशेषी गैर बैंकिंग कंपनियों से पूंजी/जमा राशियों के रूप में दीर्घावधि निधियां जुटाई जानी हैं।
6.6 शेयरों, डिबेंचरों और बांडों की जमानत पर ऋण और अग्रिम
6.6.1 शेयर दलालों (स्टॉक ब्रोकरों) को बैंक वित्त
(i) यूसीबी को शेयर दलालों को शेयरों तथा डिबेंचरों/बांडों अथवा सावधि जमाराशियों, भारतीय जीवन बीमा निगम की पॉलिसियों आदि जैसी अन्य प्रतिभूतियों पर कोई निधिक या ग़ैर-निधिक ऋण सुविधाएं, चाहे वे जमानती हों या ग़ैर-जमानती, देने से प्रतिबंधित किया गया है।
(ii) यूसीबी को पण्य (कोमोडिटी) दलालों को कोई सुविधा प्रदान करने की अनुमति नहीं दी गई है। इसके अंतर्गत उनकी तरफ से गारंटियां जारी करना भी शामिल है।
6.6.2 म्युचूअल फंड की यूनिटों पर अग्रिम केवल व्यक्तियों को दिया जा सकता है जैसा कि शेयरों, डिबेंचरों तथा बाण्डों पर अग्रिम के मामले में किया जाता है। (पैरा 6.6.3).
6.6.3 यदि प्रतिभूति भौतिक रूप में हो तो शेयरों डिबेंचरों की प्राथमिक/संपाश्दिवक जमानत पर ऋण की सीमा 5 लाख रुपये तथा यदि प्रतिभूति डिमैट रूप में हो तो ऋण की राशि 10 लाख रुपये तक सीमित होगी।
6.6.4 इस प्रकार के सभी अग्रिमो पर 50% का मार्जिन बनाए रखा जाना चाहिए।
6.6.5 शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर दिए गए सभी ऋणों की कुल राशि बैंक की स्वाधिकृत निधियों के 20 प्रतिशत की सकल उच्चतम सीमा के अंदर होनी चाहिए।
6.6.6 यूसीबी के लिए यह आवश्यक है कि वे प्रत्येक उधारकर्ता व्यक्ति और अन्य संस्थाओं को शेयरों की जमानत पर दिए गए ऋणों की बकाया राशि तिमाही आधार पर अनुबंध 2 में दिए गए फार्मेट में रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय को सूचित करें।
6.6.7 यह आवश्यक है कि शेयरों को जमानत के रुप में स्वीकारने से पहले बैंकों को एक यथोचित जोखिम प्रबंध प्रणाली आरंभ करनी चाहिए। सभी अनुमोदित ऋण प्रस्तावों को दो माह में कम से कम एक बार बैंक की लेखा परीक्षा के समक्ष रखना चाहिए। प्रबंध और लेखा परीक्षा समिति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शेयरों की जमानत पर सारे ऋण केवल उन्हीं व्यक्तियों को दिए जाते हैं जो स्टॉक दलाली संस्था से किसी भी तरह से जुड़े नहीं है। मंजूर किए गए ऋणों के ब्योरे बोर्ड की आगामी बैठक में सूचित किए जाने चाहिए।
6.7 अधिमानी शेयर तथा लंबावधि (सबोरडिनेट) बांड की जमानत पर बैंक वित्त
यूसीबी द्वारा किसी भी व्यक्ति को अपने स्वयं के सतत गैर-संचयी अधिमान शेयर (पीएनसीपीएस), टियर- II अधिमान शेयर (जैसे सतत संचयी अधिमान शेयर, प्रतिदेय गैर-संचयी अधिमान शेयर और प्रतिदेय संचयी अधिमान शेयर), सतत ऋण उपकरण (पीडीआई) और लंबावधि (सबोरडिनेट) बांड (एलटीएसबी) खरीदने के लिए कोई ऋण अथवा अग्रिम नहीं दिया जाएगा। यूसीबी द्वारा किसी भी व्यक्ति को अन्य बैंकों के पीएनसीपीएस, टियर- II अधिमान शेयर, पीडीआई और एलटीएसबी खरीदने के लिए कोई ऋण या अग्रिम नहीं दिया जाएगा। यूसीबी द्वारा पीएनसीपीएस (टियर-I), अन्य अधिमान शेयरों (टियर-II) और अन्य बैंकों द्वारा जारी लंबावधि (सबोरडिनेट) जमाराशियों (टियर-II), पीडीआई, एलटीएसबी में निवेश नहीं किया जाना चाहिए; न ही उन्हें उनके या अन्य बैंकों द्वारा जारी उपर्युक्त उपकरणों की जमानत पर अग्रिम दिया जाना चाहिए।
6.8 ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंक वित्त
6.8.1 सदस्य के रूप में एनबीएफसी को प्रवेश देना
(i) यूसीबी से ऋण अथवा अग्रिम लेने के लिए उसका सदस्य होना आवश्यक है। तथापि, यूसीबी से सामान्यत: यह अपेक्षित नहीं है कि वे गैर-वित्तीय कंपनियो को (बैंक के कारोबार के साथ स्पर्धा या प्रतिद्वंद्विता करनेवाली निवेश और वित्तीय कंपनियां और व्यक्ति) अपना सदस्य बनाएं क्योंकि यह संबंधित राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम का उल्लंघन होने के साथ-साथ आदर्श उप-विधि संख्या 9 के उपबंधों के अनुरुप भी नहीं होगा। अत: बैंकों को किराया खरीद/लीजिंग में कारोबार करनेवाली उन एनबीएफसी को छोड़कर अन्य एनबीएफसी को वित्तपोषण प्रदान नहीं करना चाहिए।
(ii) इसी प्रकार उन बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सदस्य के रूप में प्रवेश देना जो लीजिंग/किराया खरीद के कारोबार से अभिन्न रूप से नहीं जुड़ी हैं; संबंधित राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम और आदर्श उपविधि संख्या 9 के विरुद्ध होगा। इसलिए यूसीबी के लिए यह आवश्यक होगा कि वे ऐसी लीजिंग/किराया खरीद कंपनियों को सदस्य बनाने से पहले संबंधित निबंधक, सहकारी सोसायटियां का पूर्वानुमोदन प्राप्त कर लें।
6.8.2 किराया खरीद/लीजिंग कार्यकलापों में कार्यरत एनबीएफसी को वित्तपोषण प्रदान करने के लिए पात्र कार्यकलाप
ऋण सीमा संबंधी निर्धारित मानदंडों एवं ऊपर बताए गए प्रतिबंधों के भीतर यूसीबी जिनकी सकल पूंजीगत निधियां 25 करोड़ रुपये और अधिक हैं, एनबीएफ़सी - निवेश और ऋण कंपनियों (एनबीएफ़सी-आईसीसी) को निम्नलिखित शर्तों के अधीन वित्तपोषण प्रदान कर सकते हैं:
एनबीएफसी का प्रकार |
बैंक वित्त की अधिकतम सीमा |
(i) |
वे एनबीएफ़सी-आईसीसी जिनकी उपकरण लीजिंग/किराया खरीद में आस्तियां 75% से कम नहीं हैं और कंपनी के पिछले लेखा परीक्षित तुलनपत्र के अनुसार उनकी सकल आय में 75% आय उक्त दो कार्यकलापों से होती हो। |
एनबीएफसी की निवल स्वाधिकृत निधियों (एनओएफ़) का 3 गुना |
(ii) |
ऐसी एनबीएफसी-आईसीसी जो उपर्युक्त (i) के अलावा उपकरण लीजिंग व किराया खरीद का कार्य करती है। |
एनबीएफसी की निवल स्वाधिकृत निधियों (एनओएफ़) का 2 गुना |
टिप्पणी
(i) बैंक वित्त की अधिकतम सीमा एमबीएफसी द्वारा उधार लेने की सकल उच्चतम सीमा के भीतर उनकी स्वाधिकृत निधियों (एनओएफ़) का 10 गुना तक होनी चाहिए।
(ii) लीजिंग संस्था को बैंक वित्त "पूर्ण प्रदत्त" लीज तक सीमित होना चाहिए अर्थात् वे लीज़ जहां आस्ति का लागत मूल्य प्राथमिक लीज अवधि में ही वसूल कर लिया गया हो और आगे इसमें केवल नए उपकरण की खरीद शामिल होनी चाहिए।
(iii) विवेकपूर्ण नीति के अनुसार अगले पांच वर्षों तक देय लीज किराया को ही ऋण देने के प्रयोजन के लिए हिसाब में लिया जाना चाहिए।
6.8.3 किराया खरीद/लीज़िंग कार्यकलापों में जुडी एनबीएफसी को वित्तपोषण प्रदान करने के संबंध में अपात्र कार्यकलाप
6.8.3.1 किराया खरीद/लीज़िंग कार्यकलापों में लगी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा किए जा रहे निम्नलिखित कार्यकलाप बैंक ऋण के लिए पात्र नहीं हैं। इसलिए इन मदों को, सभी श्रेणी की एनबीएफसी के लिए स्वीकार्य बैंक वित्त का परिकलन करते समय चालू आस्तियों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए:
-
एनबीएफसी द्वारा भुनाए/पुनर्भुनाए गए बिल, विशिष्ट रुप से अनुमत बिलों को छोड़कर;
-
चालू स्वरूप के शेयरों/डिबेंचरों आदि अर्थात् स्टॉक-इन ट्रेड में किया गया निवेश;
-
अनुषंगी कंपनियों, सामूहिक कंपनियों या अन्य संस्थाओं में निवेश/को अग्रिम तथा
-
अन्य कंपनियों में निवेश और आंतर कंपनी ऋण/जमा राशियां
6.8.3.2 ऊपर (i) और (ii) में उल्लिखित मदों के संबंध में बैंको को अनुमानित निवल कार्यशील पूंजी (एनडब्ल्यूसी) में कोई समायोजन नहीं करना चाहिए। यह भी सूचित किया जाता है कि अनुमानित निवल कार्यशील पूंजी चालू परिचालनों के समर्थन में उपलब्ध दीर्घावधि अधिशेष दर्शाती हैं, इसलिए स्वीकार्य बैंक वित्त के अधिकतम स्तर को घटाते समय चालू आस्तियों के स्तर में परिवर्तन/काट-छाँट करने के फलस्वरूप समयोजित नहीं किया जाना चाहिए।
6.8.4 अनुसूचित यूसीबी द्वारा एनबीएफसी को वित्तपोषण प्रदान करना
6.8.4.1 अनुसूचित यूसीबी हल्के वाणिज्यिक वाहनों, दुपहिया वाहनों, तिपाहिया वाहनों सहित वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री से उत्पन्न एवं एनबीएफसी द्वारा भुनाए गए बिलो की ऋण देने के सामान्य सुरक्षा उपायों के अधीन एवं निम्नलिखित शर्तों पर पुनर्भुनाई कर सकते हैं:
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बिल निर्माताओं द्वारा केवल डीलरों पर आहरित किए गए हों;
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बिल वास्तविक बेक्री लेनदेनों से संबंधित हों जिनकी वास्तविकता का पता चेसिस/इंजिन नंबरों से लगाया जा सकता हो, तथा
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बिलों की पुनर्भुनाई से पहले यूसीबी को बिलों की भुनाई करनेवाली एनबीएफसी की वास्तविकता और पिछले रेकार्ड से आश्वस्त हो लेना चाहिए।
6.8.4.2 अनुसूचित यूसीबी ट्रक खरीदने के लिए छोटे सड़क और जलमार्ग परिवहन परिचालकों को उधार देने के लिए बैंक वित्त पाने की पात्र एनबीएफसी को वित्तपोषण प्रदान कर सकते हैं और ऐसे अग्रिमों को प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत कर सकते हैं बशर्ते अंतिम उधारकर्ता (एसआरडबल्यूटीओ) प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत किए जाने के लिए आवश्यक पात्रता पूरी करते हों।
6.8.4.3 यूसीबी व्यक्तिगत किसानों को आगे ऋण देने और कृषि मशीनरी और उपकरणों के वितरण के लिए किराया खरीद योजनाओं के लिए एनबीएफसी को वित्तपोषित कर सकते हैं और इसे कृषि के लिए अप्रत्यक्ष वित्त के रूप में प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के उद्देश्य के लिए माना जा सकता है।
6.8.4.4 अनुसूचित यूसीबी लघु और सूक्ष्म उद्यमों (विनिर्माण के साथ-साथ सेवा) को आगे ऋण देने के लिए एनबीएफसी या अन्य वित्तीय मध्यस्थों को वित्त प्रदान कर सकते हैं और ऐसे वित्तपोषण को इस बात से आश्वस्त हो लेने पर कि अंतिम उधार स्तर पर प्रासंगिक मानदंडों का अनुपालन किया गया है, प्राथमिकता क्षेत्र के तहत वर्गीकृत कर सकते हैं।
6.9 हाईयर परचेस फिनांसिंग तथा इक्विपमेंट लिजिग को वित्तपोषण प्रदान करना
भारत सरकार की 12 दिसंबर 1995 की अधिसूचना के अनुसार प्राथमिक सहकारी बैंक ‘हाईर परचेस’ तथा ‘इक्विपमेंट लिजिंग’ कारोबार कर सकता है। अनुसूचित यूसीबी को यह कार्यकलाप करने की अनुमति हैं। अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों को यह सूचित किया जाता है कि वह यह सुनिश्चित करें कि
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यह कार्य बैंकों के चयनित शाखाओं में ही किया जाता है।
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इन कार्यों को ऋण और अग्रिम के समान समझना चाहिए तथा यह व्यक्तिगत / समूह उधारकर्ता के लिए विद्यमान ऋण संबंधी मानदंडों के अधीन होंगे।
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बैंकों को समग्र ऋण की तुलना में इक्विपमेंट लिजिग, हाईयर परचेस का संतुलित पोर्टफोलिओ रखना चाहिए। इन कार्यो के लिए ऋण एक्सपोजर कुल अग्रिम के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
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यह कार्य करनेवाले बैंकों को विवेकपूर्ण लेखा मानकों का अनुपालन करना चाहिए। संपूर्ण लिज रेंटल को बैंक के आय लेखे में शामिल नहीं करना चाहिए। केवल ब्याज घटक आय लेखे में शामिल करें। आस्ति की प्रतिस्थापन लागत दर्शानेवाला घटक तुलन पत्र में मूल्यह्रास के लिए प्रावधान के रूप में दिखाए।
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सावधानी उपाय के रूप में आस्ति की प्राथमिक लिज की अवधि में पूर्ण मूल्यह्रास प्रदान किया जाना चाहिए।
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अनुसूचित यूसीबी द्वारा विभागीय रूप से प्रदान किए गए लिजिग तथा हाईयर परचेस फिनांसिंग को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। बशर्ते भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को अग्रिम के लिए निर्धारिन पात्रता मानदंड लाभार्थी पूर्ण करता हो।
यह कार्य करने के लिए इच्छुक गैर-अनुसूचित यूसीबी भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति ले।
6.10 कृषि कार्य-कलापों के लिए वित्तपोषण
यूसीबी को निम्नलिखित शर्तों के अधीन प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत कृषि कार्य-कलापों को वित्तपोषण प्रदान करने की अनुमति दी गई है:
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यूसीबी केवल सदस्यों को (नाममात्र सदस्यों को नहीं) प्रत्यक्ष वित्त पोषण प्रदान करेंगे लेकिन प्राथमिक कृषि क्रेडिट सोसायटी और प्राथमिक भूमि विकास बैंक आदि जैसे एजेंसियों के मार्फत प्रदान नहीं करेंगे।,
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उस क्षेत्र में कार्यरत मौजूदा क्रेडिट एजेंसियो से "कोई राशि देय नहीं प्रमाणपत्र" प्राप्त करने के बाद ही ऋण प्रदान करेंगे। और
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बैंक वित्त-मान का पालन करेंगे और भारतीय रिज़र्व बैंक/नाबार्ड द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार जमानत प्राप्त करेंगे।
6.11 स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) को ऋण
6.11.1 शहरी सहकारी बैंक स्वयं सहायता समूह और संयुक्त देयता समूह को, भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुरुप अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से बनायी नीति के अनुसार उधार दे सकते हैं।
6.11.2 शहरी सहकारी बैंक स्वयं सहायता समूह / संयुक्त देयता समूह को सीधे ऋण देने की पद्धति अपनाएं। मध्यस्थों के माध्यम से उधार देने की अनुमति नही है।
6.11.3 गैर-जमानती ऋण और अग्रिम प्रदान करने पर विद्यमान सीमाएं (व्यक्तिगत और कुल) स्वयं सहायता समूहों को उधार देने पर लागू नहीं हैं। तथापि शहरी सहकारी बैंकों द्वारा संयुक्त देयता समूहों को मूर्त जमानत से समर्थित ऋण की सीमा तक उसे गैर-जमातनी समझा जाएगा तथा गैर-जमानती ऋण और अग्रिमो की सीमा के अधीन होगा।
6.11.4 स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूहों को दिए गए ऋण पर वैयक्तिक एक्सपोजर सीमा के मौजूदा दिशानिर्देश लागू होंगे।
6.11.5 स्वयं सहायता समूह को दिए जानेवाले ऋण की अधिकतम राशि समूह की बचत राशि के चार गुना से अधिक नहीं होनी चाहिए। अच्छी तरह प्रबंधित स्वयं सहायता समूहों के मामले में समूह की बचत राशि के दस गुना सीमा तक यह सीमा बढ़ाई जा सकती है। समूह को वस्तुपरक मापदंड जैसे सिद्ध ट्रेक रिकार्ड, बचत का पैटर्न, वसूली दर, हाउस किपिंग, आदि के आधार पर रेटिंग दी जाए। संयुक्त देयता समूह बैंक के पास जमाराशियां रखने के लिए बाध्य नहीं हैं और इसलिए संयुक्त देयता समूहों को दिए गए ऋण की राशि संयुक्त देयता समूह की क्रेडिट आवश्यकताओं और क्रेडिट आवश्यकता का बैंक द्वारा आकलन करने पर आधारित होगी।
6.12 सांविधिक देय राशियों के चूककर्ताओं को अग्रिम देने पर प्रतिबंध
6.12.1 कानून के अंतर्गत, उधारकर्ता नियोक्ता के दिवालिया हो जाने पर या उसके कारोबार बंद कर दिए जाने पर भविष्य निधि के प्रति कर्मचारियों/सदस्यों के वेतन से छ: माह से अधिक अवधि के लिए काटा गया अभिदान यदि आयुक्त को नहीं भेजा जाता है तो उधारकर्ता की आस्तियों पर वह प्रथम प्रभार होगा। उन परिस्थितियों में प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों को ऐसी सांविधिक देय राशियों की तुलना में अपने हितों की रक्षा करनी चाहिए।
6.12.2 अत: बैंकों को उधारकर्ताओं से इस बात का घोषणापत्र लेकर आश्वस्त हो लेना चाहिए कि उधारकर्ता की ओर से भविष्य निधि और अन्य सांविधिक देय राशियां बकाया नहीं हैं और ऐसी सभी देय राशियां अदा कर दी गई हैं। उन्हीं मामलों में प्रमाण की मांग की जानी चाहिए जब बैंक के पास उधारकर्ता के घोषणापत्र पर संदेह करने का कोई ठोस कारण हो। प्रमाण आवश्यक होने पर भी उधारकर्ता के लिए क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त से इस आशय का प्रमाणपत्र लेकर प्रस्तुत किया जाना जरुरी नहीं है। देय राशियों के भुगतान के समर्थन में रसीद का प्रस्तुत किया जाना या उधारकर्ता के लेखा परीक्षक का प्रमाणपत्र या उसी प्रकार का कोई प्रमाण पर्याप्त होगा। बीमार इकाइयों के मामलों में जहां बकाया उधारकर्ताओं के नियंत्रण से बाहर कारणों की वजह से है वहां बैंक ऐसे मामले के गुण-दोषों के आधार पर विचार कर सकते हैं।
परिशिष्ट
(i) मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
सं. |
परिपत्र सं. |
तारीख |
विषय |
1. |
विवि.सीआरई.आरईसी.92/07.10.002/2022-23 |
30.12.2022 |
व्यक्तिगत आवास ऋण - चार-स्तरीय नियामक ढांचे के तहत संशोधित सीमाएं |
2. |
विवि.आरईजी.सं.84/07.01.000/2022-23 |
01.12.2022 |
संशोधित विनियामकीय ढांचा – विनियामकीय उद्देश्यों के लिए शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) का वर्गीकरण |
3. |
विवि.सीआरई.आरईसी.42/09.22.010/2022-23 |
08.06.2022 |
व्यक्तिगत आवास ऋण – सीमा में वृद्धि |
4. |
डीओआर.सीएपी.आरईसी.92/09.18.201/2021-22 |
08.03.2022 |
शेयर पूंजी और प्रतिभूतियों का निर्गमन एवं विनियमन - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक |
5. |
डीओआर.आरईजी.सीआरएस.परि.सं.5/13.05.000/2020-21 |
05.02.2021 |
निदेशकों, उनके रिश्तेदारों तथा फर्मों / प्रतिष्ठानों, जिनमें उनकी रुचि है, के लिए ऋण और अग्रिम |
6. |
डीओआर (पीसीबी).बीपीडी. परि.सं.10/13.05.000/2019-20 |
13.03.2020 |
एकल और समूह उधारकर्ताओं/पार्टियों के लिए ऋण जोखिम (एक्सपोजर) और बड़े एक्सपोजर की सीमाएँ तथा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण संबंधी लक्ष्य में संशोधन - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक |
7. |
डीसीबीआर. बीपीडी.(पीसीबी).बीसी. सं.3/12.05.001/ 2016-17 |
01.09.2016 |
गैर-सदस्यों की सावधि जमाराशि की जमानत पर ऋण |
8. |
डीसीबीआर.केंका.बीपीडी.(पीसीबी)सं.15/13.05.000/2015-16 |
21.04.2016 |
शहरी सहकारी बैंकों के लिए गैर ज़मानती एक्सपोज़र मानदंड - छूट |
9. |
डीसीबीआर.केंका.बीपीडी.(एससीबी) सं.1/13.05.000/2014-15 |
30.04.2015 |
प्रथम द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2015-16 – अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड जारी किया जाना |
10. |
शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं. 53/13.05.000/2013-14 |
28.03.2014 |
बहुराज्य शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण कंपनी (एससी)/ पुनर्निर्माण कंपनी (आरसी) को वित्तीय आस्तियों की बिक्री पर दिशानिर्देश |
11. |
शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं. 29 /13.05.000/2013-14 |
10.10.2013 |
शहरी सहकारी बैंकों के लिए गैर ज़मानती ऋण संबंधी एक्सपोज़र मानदंड |
12. |
शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं. 13 /09.22.010/2013-14 |
10.09.2013 |
आवास योजनाओं के लिए वित्त - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक – मरम्मत/ परिवर्धन/ फेरबदल के लिए ऋण – सीमाओं को बढ़ाना |
13. |
शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं.45/13.05.000/2012-13 |
03.04.2013 |
शहरी सहकारी बैंकों के लिए गैर ज़मानती ऋण संबंधी एक्सपोज़र मानदंड |
14. |
शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं. 31 /13.05.000/2011-12 |
26.04.2012 |
मौद्रिक नीति वक्तव्य 2012-13 -आवास, स्थावर संपदा, वाणिज्यिक स्थावर संपदा के लिए ऋण सीमा – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक |
15. |
शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं. 47 /13.05.000/2010-11 |
11.05.2011 |
मौद्रिक नीति वक्तव्य 2011-12 -आवास, स्थावर संपदा, वाणिज्यिक स्थावर संपदा के लिए ऋण सीमा - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक |
16. |
शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं.23 /13.05.000/2010-11 |
15.11.2010 |
आवास, स्थावर संपदा, वाणिज्यिक स्थावर संपदा के लिए ऋण सीमा - शहरी सहकारी बैंक |
17. |
शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं.21 /13.05.000/2010-11 |
15.11.2010 |
गैर-जमानती ऋण तथा अग्रिमों की अधिकतम सीमा |
18. |
शबैंवि.(पीसीबी) बीपीडी.परि.सं. 69/13.05.000/2010-11 |
09.06.2010 |
स्थावर संपदा तथा वाणिज्यिक स्थावर संपदा के लिए एक्सपोजर |
19. |
शबैंवि.बीपीडी.पीसीबीपरि.सं.63 /16.20.000/2009-10 |
04.05.2010 |
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा गैर-सूचीबध्द गैर एस एल आर प्रतिभूतियों में निवेश |
20. |
शबैंवि.बीपीडी.पीसीबीपरि.सं. 62 /16.20.000/2009-10 |
30.04.2010 |
आधारभूत संरचना गतिविधियों का कार्य करनेवाली कंपनियों द्वारा जारी बांडो मे बैंको द्वारा निवेश का वर्गीकरण |
21. |
शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.7/13.05.000/2007-08 |
13.07.2007 |
शेयरों/डिबेंचरों की जमानत पर बैंक वित्त |
22. |
शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.32/13.05.000/2006-07 |
12.03.2007 |
निदेशकों, रिश्तेदारों और उन फर्मों/ संस्थाओं को ऋण व अग्रिम देना जिनमें उनका हित निहित है |
23. |
शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.29/13.05.000/2005-06 |
30.01.2006 |
अग्रिमों की अधिकतक सीमा - व्यक्तियों/ उधारकर्ता समूहों के लिए ऋण सीमा |
24. |
शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.22/13.05.000/2005-06 |
05.12.2005 |
अग्रिमों की अधिकतक सीमा - एकल पक्षकार/संबद्ध समूह को गैर-जमानती अग्रिमों की सीमा |
25. |
शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.14/13.05.000/2005-06 |
06.10.2005 |
निदेशकों, रिश्तेदारों और उन फर्मों/ संस्थाओं को ऋण व अग्रिम देना जिनमें उनका हित निहित है |
26. |
शबैंवि.डीएस.परि.सं.44/13.05.000/2005-06 |
15.04.2005 |
अग्रिमों की अधिकतक सीमा - व्यक्तियों/ उधारकर्ता समूहों के लिए ऋण सीमा |
27. |
शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी) परि.सं.34/13.05.00/ 2003-04 |
11.02.2004 |
अग्रिमों की अधिकतम सीमा - व्यक्तियों/ उधारकर्ता समूहों के लिए ऋण सीमा - पूंजीगत निधियों का परिकलन |
28. |
शबैंवि.बीपीडी.डीएस.(पीसीबी) परि.सं.29/ 13.05.00/ 2003-04 |
05.01.2004 |
प्राथमिक सहकारी बैंकों द्वारा शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर वित्त प्रदान करना |
29. |
शबैंवि.बीपीडी.परि.सं.50/13.05.00/ 2002-03 |
29.04.2003 |
निदेशकों, रिश्तेदारों और उन फर्मों/ संस्थाओं को ऋण व अग्रिम देना जिनमें उनका हित निहित है |
30. |
शबैंवि.डीएस.पीसीबी.परि.सं.37/13. 05.00/2001-02 |
01.04.2002 |
व्यक्ति/उधारकर्ता समूह के लिए ऋण सीमा |
31. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.41/13. 05.00/2000-01 |
19.04.2001 |
शेयरों/डिबेंचरों की जमानत पर बैंक वित्त |
32. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.35/13. 05.00/1999-2000 |
13.03.2001 |
अग्रिमों की अधिकतक सीमा - वेतन भोगी बैंकों द्वारा गैर-जमानती अग्रिम देना - सीमा में संशोधन |
33. |
शबैंवि.सं.पीसीबी.परि.25/13.05.00/2000-2001 |
18.01.2001 |
अग्रिमों की अधिकतक सीमा - व्यक्ति/ उधारकर्ता समूह के लिए ऋण सीमा - पूंजीगत निधियों का अभिकलन |
34. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.24/13.05.00/2000- 2001 |
16.01.2001 |
हीरे निर्यातकों को ऋण प्रदान करना - संघर्ष प्रवण हीरों के आयात पर रोक |
35. |
शबैंवि.सं.डीएस.4/13.05.00/2000-01 |
25.08.2000 |
अग्रिमों की अधिकतम सीमा - व्यक्ति/ उधारकर्ता समूह के लिए ऋण सीमा - पूंजीगत निधियों का अभिकलन |
36. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.1/13.05.00/2000-2001 |
28.07.2000 |
हीरे निर्यातकों को ऋण प्रदान करना - संघर्ष प्रवण हीरों के आयात पर रोक |
37. |
शबैंवि.सं.डीएस.परि.31/13.05.00/1999-2000 |
01.04.2000 |
अग्रिम की अधिकतम सीमा - ऋण एक्सपोज़र पर सीमाएँ |
38. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.41/13. 05.00/1997-98 |
12.02.1998 |
निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को दिए गए अग्रिम |
39. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.38/13. 05.00/1996- 97 |
04.02.1997 |
व्यक्ति/उधारकर्ता समूह के लिए ऋण सीमा - मीयादी जमाराशियों की जमानत पर अग्रिम |
40. |
शबैंवि.सं.प्लान.पीसीबी.33/09.09.01/96-97 |
13.12.1996 |
प्राथमिक सहकारी बैंकों द्वारा कृषि कार्यकलापों के लिए वित्तपोषण |
41. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.27/13. 05.00/96-97 |
11.11.1996 |
अग्रिमों की अधिकतम सीमा - एकल पक्षकार/सम्बद्ध समूह के लिए गैर-जमानती अग्रिम की सीमा |
42. |
यूबीडी.सं.डी.एस.पीसीबी.डीआईआर.16/13.05.00/96-97 |
11.11.1996 |
अग्रिमों की अधिकतम सीमा |
43. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.25/13. 05.00/96-97 |
30.10.1996 |
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को प्रदत्त अग्रिम |
44. |
शबैंवि.सं.प्लान.पीसीबी.20/09.63.0096-97 |
16.10.1996 |
नाम मात्र सदस्यता के लिए नीति और प्रथा |
45. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.65/13. 05.00/95-96 |
31.05.1996 |
अन्य बैंकों द्वारा जारी सावधि जमा रसीदों (एफडीआर) की जमानत पर अग्रिम |
46. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.63/13. 05.00/95-96 |
24.05.1996 |
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को उधार देना |
47. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.53/13. 05.00/95-96 |
22.03.1996 |
अग्रिम की अधिकतम सीमा - व्यक्तियों/ उधारकर्ता समूह के लिए ऋण सीमा |
48. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.39/13. 05.00/95-96 |
16.01.1996 |
अग्रिम की अधिकतम सीमा - व्यक्तियों/ उधारकर्ता समूह के लिए ऋण सीमा |
49. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.निदे.18/13. 05.00/95-96 |
16.01.1996 |
अग्रिमों की अधिकतम सीमा |
50. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.60/13. 05.00/94-95 |
30.05.1995 |
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का उधार देना |
51. |
शबैंवि.सं.डीएस.(पीसीबी) परि.58/13.05.00/94-95 |
17.05.1995 |
पूरक ऋण/अंतरित वित्तपोषण |
52. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.निदे.16/13. 05.00/94-95 |
29.04.1995 |
अग्रिमों की अधिकतम सीमा |
53. |
शबैंवि.सं.डीएस.(पीसीबी)परि.54/13.05.00/94-95 |
29.04.1995 |
अग्रिमों की अधिकतम सीमा |
54. |
शबैंवि.सं.डीएस.परि.25/13.05.00/ 94-95 |
21.10.1994 |
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को उधार देना |
55. |
शबैंवि.सं.आई ऍण्ड एल.आरसीएस.1/ 12.05.00/94-95 |
15.07.1994 |
प्राथमिक सहकारी बैंकों के व्यवसायके साथ स्पर्धा या प्रतिद्वंद्वता जैसे व्यवसाय में लगे व्यक्तियों को ऋण और अग्रिम देना |
56. |
शबैंवि.सं.डीएस. परि.पीसीबी. 4/13.05.00/94-95 |
12.07.1994 |
अग्रिमों की अधिकतम सीमा - निदेशकों और उनके रिश्तेदारों तथा उन संस्थाओं को ऋण और अग्रिम देना जिनमें निदेशको और उनके रिश्तेदारों का हित निहित है |
57. |
शबैंवि.सं.(पीसीबी) निदे.5/ 13.05.00/93-94 |
26.05.1994 |
अग्रिमों की अधिकतम सीमा |
58. |
शबैंवि.सं.डीएस.(पीसीबी).परि.76/13.05.00/93-94 |
26.05.1994 |
अग्रिमों की अधिकतम सीमा - निदेशकें और उनके रिश्तेदारों तथा उन संस्थाओं को ऋण और अग्रिम देना जिनमें निदेशको और उनके रिश्तेदारोंका हित निहित है |
59. |
शबैंवि.सं.40/09.63.00/93-94 |
16.12.1993 |
नाममात्र सदस्यता के संबंध में नीति और प्रथा |
60. |
शबैंवि.सं.(पीसीबी).29/डीसी (आर.1)92-93 |
26.12.1992 |
पूरक ऋण/अंतरित वित्तपोषण |
61. |
शबैंवि.सं.प्लान 8/यूबी.8/91/92 |
05.02.1992 |
नाममात्र सदस्यता के संबंध में नीति और प्रथा |
62. |
शबैंवि.सं.(पीसीबी) 55/डीसी (आर.1)90-91 |
25.02.1991 |
अग्रिमों की अधिकतम सीमा - वसूली के लिए भेजे गए चेकों की जमानत पर अग्रिम |
63. |
शबैंवि.सं.पीसीबी.2/डीसी (आर.1) 90-91 |
20.07.1990 |
लीजिंग/किराया खरीद कंपनियों का वित्तपोषण |
64. |
शबैंवि.सं.डीसी.99/आर.1/87-88 |
08.02.1988 |
अग्रिमों की अधिकतम सीमा - वेतनभोगी उधारकर्ताओं की अग्रिम |
65. |
शबैंवि.सं.पी ऍण्ड ओ. 100यूबी.8/86-87 |
25.06.1987 |
नाममात्र सदस्यता के संबंध में नीति और प्रथा |
66. |
एसीडी प्लान (आईएफएस) 1295/पीआर.36/ 78-79 |
17.10.1978 |
भविष्य निर्वाह निधी जैसी सांविधिक देय राशियों का भुगतान करने में चूक करने वाले उधारकर्ताओं को प्राथमिक सहकारी बैंकों द्वारा ऋण सुविधाएं |
(ii) अन्य परिपत्रों की सूची जिनमें से ऋण सीमा संबंधी मानदंडों एवं ऋणों व अग्रिमों पर सांविधिक/अन्य प्रतिबंधों से संबंधित अनुदेशों को भी इस मास्टर परिपत्र में समेकित किया गया है
सं. |
परिपत्र सं. |
तारीख |
विषय |
1. |
शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी)परि. सं. 7/09.22.010 / 2011-12 |
31.10.2011 |
आवास ऋण सीमा और चुकौती की अवधि में संशोधन – मौद्रिक नीति 2011-12 की दूसरी तिमाही समीक्षा |
2. |
शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी)परि.सं.50 /13.05.000(बी) / 2010-11 |
02.06.2011 |
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) तथा संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) का वित्तपोषण |
3. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.7/13.04.00/2000-2001 |
10.10.2000 |
मौद्रिक और ऋण नीति उपाय - वर्ष 2000-2001 के लिए मध्यावधि समीक्षा |
4. |
शबैंवि.सं.डीएस.एसयूबी.2/13.05.00/2000-2001 |
25.08.2000 |
बैंकों द्वारा बिलों की पुनर्भुनाई |
5. |
शबैंवि.सं.प्लान.एसपीसीबी.01/09.09.01/2000-2001 |
01.07.2000 |
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार - कृषि के लिए आगे उधार देने के लिए एमबीएफसी को उधार देना |
6. |
शबैंवि.सं.डीएस.एसयूबी.3/13.05.00/1999-2000 |
21.09.1999 |
बैंकों द्वारा बिलों की पुनर्भुनाई |
7. |
शबैंवि.प्लान.सं.एसपीसीबी.01/09.09.01/99-2000 |
27.08.1999 |
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार - खाद्य और कृषि आधारित प्रक्रिया, वानिकी और अति लघु उद्यमों के लिए ऋण प्रवाह |
8. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.10/13.05.00/98-99 |
27.11.1998 |
शेयरों/डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम |
9. |
शबैंवि.प्लान.जीआर.एसयूबी.5/09.09.01/98-99 |
18.11.1998 |
ट्रकों के वित्तपोषण की जमानत पर एनबीएफसी को वित्तपोषण प्रदान करने के लिए बैंक ऋण - प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण |
10. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.55/13.05.00/97-98 |
29.04.1998 |
शेयरों/डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम |
11. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.46/13.05.00/96-97 |
23.04.1997 |
संघीय व्यवस्था के अंतर्गत उधार देना |
12. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.40/13.05.00/96-97 |
13.02.1997 |
कार्यशील पूंजी के लिए उधार - तदर्थ सीमा की मंजूरी |
13. |
शबैंवि.सं.प्लान.पीसीबी.परि.60/09.78.00/95-96 |
08.04.1996 |
उपकरण लीजिंग और किराया खरीद कार्य-कलापों के लिए वित्तपोषण |
14. |
शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.परि.35/13.05.00/95-96 |
05.01.1996 |
संयुक्त शेयर कंपनियों के शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर वित्तीय सहायता प्रदान करना |
15. |
शबैंवि.सं.प्लान.परि.आरसीएस-9/09.22.01/95-96 |
01.09.1995 |
आवास योजनाओं के लिए वित्तपोषण - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक |
16. |
शबैंवि.सं.डीसी.7/13.05.00/
95-96 |
09.08.1995 |
संयुक्त शेयर कंपनियों के शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर वित्तीय सहायता प्रदान करना |
17. |
शबैंवि.सं.(पीसीबी) 50/ 13.05.00/93-94 |
14.01.1994 |
कतिपय क्षेत्रों के लिए ऋण पर प्रतिबंध - स्थावर संपदा ऋण |
18. |
शबैंवि.सं.(पीसीबी) 54/डीसी (आर-1) 92-93 |
07.04.1993 |
कतिपय क्षेत्रों के लिए ऋण पर प्रतिबंध |
19. |
शबैंवि.सं.(पीसीबी) 38/डीसी (आर-1) 91-92 |
13.11.1991 |
कतिपय क्षेत्रों के लिए ऋण पर प्रतिबंध |
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