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मास्टर परिपत्र

मास्टर परिपत्र - गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंक वित्त

आरबीआई/2024-25/24
विवि.सीआरई.आरईसी.सं.17/21.04.172/2024-25

24 अप्रैल 2024

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदया / महोदय,

मास्टर परिपत्र - गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंक वित्त

कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 03 अप्रैल 2023 का हमारा मास्टर परिपत्र विवि.सीआरई.आरईसी.संख्या 07/21.04.172/2023-24 देखें। उपर्युक्त विषय पर आज की तारीख तक जारी किए गए सभी अद्यतन निर्देशों, जैसाकि परिशिष्ठ में सूचीबद्ध है, को दर्शाने के लिए संशोधित मास्टर परिपत्र संलग्न है। यह ध्यान दिया जाए कि इस मास्टर परिपत्र में केवल 23 अप्रैल 2024 तक उपर्युक्त मामले पर जारी सभी अनुदेशों को समेकित किया गया है और इसमें कोई नया अनुदेश/दिशानिर्देश शामिल नहीं है।

भवदीय,

(वैभव चतुर्वेदी)
मुख्य महाप्रबंधक

संलग्न – यथोक्त


मास्टर परिपत्र
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंक वित्त

उद्देश्य

बैंकों द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के वित्तपोषण के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक की विनियामक नीति निर्धारित करना

वर्गीकरण

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के अधीन जारी सांविधिक दिशानिर्देश

पूर्ववर्ती दिशानिर्देश

'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंक वित्त' पर जारी 03 अप्रैल 2023 का मास्टर परिपत्र विवि.सीआरई.आरईसी.नंबर 07/21.04.172/2023-24

प्रयोज्यता

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

संरचना

1. प्रस्तावना
  1.1 शब्दावली
  1.2 पृष्ठभूमि
2. भारतीय रिज़र्व बैंक में पंजीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंक वित्त
3. ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंक वित्त जिनके लिए पंजीकरण कराना आवश्यक नहीं है
4. गतिविधियाँ जो बैंक ऋण के लिए योग्य नहीं
5. फैक्टरिंग कंपनियों को बैंक वित्त
6. एनबीएफसी को बैंक वित्त पर अन्य प्रतिबंध
  6.1 पूरक ऋण / अंतरिम वित्त
  6.2 एनबीएफसी को शेयरों की संपार्श्विक जमानत पर अग्रिम
  6.3 एनबीएफसी के पास निधियां रखने की गारंटी पर निर्बंध
7. एनबीएफसी को बैंकों के एक्सपोजर के लिए विवेकपूर्ण उच्चतम सीमा
8. एनबीएफसी द्वारा जारी प्रतिभूतियों/लिखतों में बैंकों द्वारा किए गए निवेश के संबंध में प्रतिबंध
9. एनबीएफसी को बैंक ऋण के लिए जोखिम भार
  परिशिष्ट

1. प्रस्तावना

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III बी के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की वित्तीय गतिविधियों को विनियमित करता है। जनवरी 1997 में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन कर किए जाने के बाद, उक्त अधिनियम की धारा 45 आईए और अगस्त 2019 में राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 में संशोधन, राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 29 ए के अनुसार आवास वित्त कंपनियों सहित सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक में अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य है।

1.1 शब्दावली

(ए) ‘एनबीएफसी’ से तात्पर्य है भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ पंजीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, जिसमें राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 29 ए के तहत पंजीकृत हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (एचएफसी) भी शामिल होगी।

(बी) ‘चालू निवेशों’ से तात्पर्य ऐसे निवेशों से है, जो उधारकर्ता के तुलनपत्र में ‘चालू परिसंपत्ति’ के रूप में वर्गीकृत हैं और जिन्हें एक वर्ष से कम अवधि के लिए रखा जाने वाला है।

(सी) ‘दीर्घावधि निवेशों’, से तात्पर्य ‘चालू परिसंपत्तियों’ के रूप में वर्गीकृत निवेशों को छोड़कर सभी प्रकार के निवेशों से है।

(डी) ‘गैर-जमानती ऋणों’ से तात्पर्य ऐसे ऋणों से है जो किसी मूर्त परिसंपत्ति द्वारा रक्षित नहीं हैं।

1.2 पृष्ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों के ऋण संबंधी मामलों को क्रमिक रूप से अविनियमित कर दिया है। ऋण वितरण के मामले में बैंकों को अधिक परिचालनगत स्वतंत्रता प्रदान करने की नीति के अनुरूप तथा रिज़र्व बैंक के पास गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के अनिवार्य पंजीकरण के परिप्रेक्ष्य में, बैंकों द्वारा गैर-बैंकिंग कंपनियों को वित्तपोषण करने से संबंधित अंधिकांश पहलुओं को भी अविनियमित किया जा चुका है। तथापि, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कुछ विशिष्ट प्रकार की गतिविधियों के वित्तपोषण से संबद्ध संवेदनशीलता को देखते हुए ऐसी गतिविधियों के वित्तपोषण पर निर्बंध लागू रहेगा।

2. भारतीय रिज़र्व बैंक में पंजीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंक वित्त

2.1 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की निवल स्वाधिकृत निधि (एनओएफ) के साथ संबद्ध बैंक ऋण की अधिकतम सीमा ऐसी सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संबंध में हटा ली गई है जो सांविधिक तौर पर रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत हैं तथा मुख्यतया आस्ति वित्तपोषण, ऋण और निवेश संबंधी कारोबार कर रही हैं। तदनुसार, बैंक रिज़र्व बैंक में पंजीकृत तथा इंफ्रास्ट्रक्चर वित्तपोषण, उपस्कर पट्टे पर देने, किराया-खरीद, ऋण, आढ़तिया और निवेश कार्य करनेवाली सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को आवश्यकता पर आधारित कार्यशील पूंजी की सुविधाएं तथा मीयादी ऋण प्रदान कर सकते हैं।

2.2 ‘सेकंड हैंड’ आस्तियों के वित्तपोषण में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा प्राप्त अनुभव को ध्यान में रखते हुए बैंक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा वित्तपोषित ‘सेकंड हैंड’ आस्तियों की जमानत पर भी उन्हें वित्त प्रदान कर सकते हैं।

2.3 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को विविध प्रकार की ऋण सुविधाएँ प्रदान करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों और निवेश मानदंडों के भीतर बैंक अपने निदेशक बोर्ड के अनुमोदन से उचित ऋण नीति बना सकते हैं बशर्ते पैरा 4 और 6 में दर्शाये गये कार्यकलापों को उनके द्वारा वित्तपोषण नहीं किया जाता हो।

3. ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंक वित्त जिनके लिए पंजीकरण कराना आवश्यक नहीं है1

समय-समय पर अद्यतन किए गए 25 अगस्त 2016 के "मास्टर निदेश - आरबीआई अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट" के संदर्भ में, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कुछ श्रेणियों को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (आरबीआई अधिनियम, 1934) के कुछ प्रावधानों से छूट दी गई है जिसमें रिज़र्व बैंक के साथ पंजीकरण की आवश्यकता भी शामिल है। ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए जिन्हें रिज़र्व बैंक में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है, बैंक अपने ऋण संबंधी निर्णय सामान्य कारकों जैसे क्रेडिट के उद्देश्य, अंतर्निहित परिसंपत्तियों की प्रकृति और गुणवत्ता, उधारकर्ताओं की चुकौती क्षमता के साथ-साथ जोखिम धारणा आदि के आधार पर ले सकते हैं।

4. गतिविधियां जो बैंक ऋण हेतु पात्र नहीं

4.1 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की निम्नलिखित गतिविधियाँ बैंक ऋण के लिए पात्र नहीं हैं:

(i) एनबीएफसी द्वारा भुनाए गए/पुनर्भुनाए गए बिल, एनबीएफसी द्वारा भुनाए गए निम्नलिखित की बिक्री से उपजे बिलों की पुनर्भुनाई को छोड़ कर –

(ए) वाणिज्यिक वाहन (हल्के वाणिज्यिक वाहनों सहित), तथा

(बी) निम्नलिखित शर्तों के अधीन दुपहिया और तिपहिया वाहन:

  • विनिर्माता द्वारा डीलर के नाम से ही बिल आहरित किया गया हो;

  • बिल से वास्तविक बिक्री संबंधी लेने देन की जानकारी मिलती हो, जैसे चेसिस / इंजन नंबर द्वारा उसकी जानकारी मिल सके; और

  • बिल की पुनर्भुनाई करने से पहले बैंकों को चाहिए कि वे बिलों की भुनाई करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की विश्वसनीयता तथा उनके पिछले रिकार्ड के संबंध में स्वत: संतुष्ट हो लें।

(ii) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा किसी कंपनी/संस्था के शेयरों, डिबेंचरों इत्यादि के रूप में वर्तमान और दीर्घावधि स्वरूप के किए गए निवेश। तथापि स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियों को, उनके स्टॉक-इन-ट्रेड के रूप में रखे गए शेयरों और डिबेंचरों के आधार पर उनकी आवश्यकता के अनुसार ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।

(iii) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा किसी कंपनी को/में गैर जमानती ऋण / अंतर-कंपनी जमाराशियां।

(iv) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अपनी सहायक कंपनियों, समूह कंपनियों/संस्थाओं को दिए गए सभी प्रकार के ऋण और अग्रिम।

(v) प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गमों (आईपीओ) में अभिदान तथा द्वितीयक बाज़ार से शेयरों की खरीद के लिए व्यक्तियों को ऋण देने के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का वित्तपोषण।

4.2 पट्टे पर तथा उप-पट्टे पर दी गई आस्तियां

चूंकि उपस्कर पट्टे पर देनेवाली (इक्विपमेंट लीजिंग) कंपनियों को बैंक वित्तीय सहायता प्रदान कर सकते है, इसलिए बैंकों को चाहिए कि वे ऐसी कंपनियों के साथ तथा उपस्कर पट्टे पर देने का काम करने वाली अन्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ विभागीय तौर पर पट्टा संबंधी करार न करें।

5. फैक्टरिंग कंपनियों को बैंक वित्त

5.1 तदनुसार उपर्युक्त पैराग्राफ 4.1 (i) और 4.1 (iii) में उल्लिखित प्रतिबंधों के बावजूद बैंक अब से निम्नलिखित मानदण्डों का पालन करने वाली फैक्टरिंग कंपनियों (एनबीएफसी-फैक्टर्स' और 'एनबीएफसी-आईसीसी जिनके पास फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011 के तहत पंजीकरण का प्रमाण पत्र है) के फैक्टरिंग कारोबार को समर्थन देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर सकते है। बैंक वित्त के लिए पात्र होने के लिए, फैक्टरिंग कंपनियों द्वारा निम्नलिखित मानदंडों को पूरा किया जाना चाहिए:

(ए) कंपनियां, फैक्टरिंग कंपनियों के रूप में पात्र हैं और अपना कारोबार फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम 2011 तथा इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी अधिसूचनाओं में दिए गए प्रावधानों के अंतर्गत करती हैं।

(बी) फैक्टरिंग कंपनियों द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता दृष्टिबंधक द्वारा या अपने पक्ष में प्राप्य राशियों के असाइनमेंट द्वारा सुरक्षित की जाती हैं।

5.2 उपर्युक्त के अलावा, बैंक वित्त के लिए पात्र होने के लिए एनबीएफसी-फैक्टरों को निम्नलिखित मानदंडों को भी पूरा करना चाहिए -

  1. वे अपनी आय का कम से कम 50 प्रतिशत अंश फैक्टरिंग क्रिया-कलापों से प्राप्त करती हैं।

  2. खरीदी हुई/वित्त प्रदान की हुई प्राप्य राशियाँ चाहे ‘रिकोर्स के साथ’ या ‘रिकोर्स के बिना’ आधार पर हों, एनबीएफसी-फैक्टरों की परिसंपत्तियों का कम से कम 50% भाग हैं।

  3. उपर्युक्त (i) और (ii) में उल्लिखित परिसंपत्तियों/आय में एनबीएफसी-फैक्टरों द्वारा दी जा रही बिल भुनाने की किसी सुविधा से संबंधित आस्तियाँ/आय शामिल नहीं होंगी।

6. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंक वित्त दिए जाने पर अन्य प्रतिबंध

6.1 पूरक ऋण /अंतरिम वित्त

बैंकों को चाहिए कि वे सभी श्रेणियों की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को किसी तरह का पूरक ऋण, या कैपिटल/डिबेंचर निर्गमों के आधार पर अंतरिम वित्त और /या पूंजी, जमाराशियों इत्यादि के रूप में बाजार से दीर्घावधिक निधि की उगाही के लम्बित रहने के आधार पर तात्कालिक स्वरूप का कोई ऋण मंजूर न करें। बैंकों को चाहिए कि वे इन अनुदेशों का कड़ाई से पालन करें तथा यह सुनिश्चित करें कि इन अनुदेशों का जाने-अनजाने घुमा फिराकर कुछ अन्य अर्थ लगाकर निर्बंध परक्राम्य नोट, अस्थायी ब्याज दर वाले बांड इत्यादि के भिन्न नाम से तथा अल्पावधि ऋण के रूप में कोई ऐसा ऋण मंजूर न किया जाए जिसकी चुकौती बाहरी/अन्य स्रोतों से जुटाई जाने वाली निधि से की जानी प्रस्तावित/की जाने वाली हो, न कि आस्तियों के उपयोग से होने वाले अधिशेष से।

6.2 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को शेयरों की संपार्श्विक जमानत पर अग्रिम

किसी भी प्रयोजन के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी उधारकर्ताओं को प्रदत्त जमानती ऋणों के लिए शेयरों तथा डिबेंचरों की संपार्श्विक जमानत के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

6.3 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के पास निधियाँ रखने के लिए गारंटियों पर निर्बंध

बैंकों द्वारा एनबीएफसी अथवा अन्य गैर-बैंक संस्थाओं के साथ निधियों को लगाने के लिए गारंटी जारी करने पर निर्बंध के संबंध में समय-समय पर अद्यतन किए गए दिनांक 01 अप्रैल 2024 के मास्टर परिपत्र - गारंटी और सह-स्वीकृति के पैराग्राफ 2.4 के अंतर्गत दिए गए अनुदेशों का पालन करना आवश्यक होगा।

7. एनबीएफसी को बैंकों के एक्सपोजर के लिए विवेकपूर्ण उच्चतम सीमा

7.1 एक्सपोजर की गणना की परिभाषा और विधि 03 जून 2019 के वृहत् एक्सपोज़र ढांचा पर परिपत्र और समय-समय पर किए गए संशोधनों में निर्धारित होगी।

7.2 एकल एनबीएफसी (स्वर्ण ऋण कंपनियों को छोड़कर) में बैंकों का एक्सपोजर उनके पात्र पूंजी आधार (टियर I पूंजी) के 20 प्रतिशत तक सीमित होगा। हालांकि, जोखिम की धारणा के आधार पर, बैंकों द्वारा एनबीएफसी की कुछ श्रेणियों के संबंध में अधिक कठोर एक्सपोजर सीमाओं पर विचार किया जा सकता है। जुड़े हुए एनबीएफसी के समूह या समूह में एनबीएफसी वाले जुड़े प्रतिपक्षकारों के समूह के लिए बैंकों का एक्सपोजर उनकी टियर I पूंजी के 25 प्रतिशत तक सीमित होगा, जैसा कि दिनांक 12 सितंबर 2019 के वृहत् एक्सपोज़र ढांचा पर जारी परिपत्र के साथ पठित 03 जून 2019 के वृहत् एक्सपोज़र ढांचा पर परिपत्र में विस्तृत रूप से स्पष्ट किया गया है।

7.3 किसी एकल एनबीएफसी को बैंक का एक्सपोजर जो मुख्य रूप से सोने के आभूषणों के संपार्श्विक (अर्थात उनकी वित्तीय आस्ति का 50 प्रतिशत या उससे अधिक शामिल ऋण) के एवज में उधार देने से जुडा है, बैंक की पूंजीगत निधि (टियर I एवं टियर II पूंजी) के 7.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। तथापि, यह जोखिम सीमा 5 प्रतिशत तक बढ़ सकती है, अर्थात बैंकों की पूंजीगत निधियों के 12.5 प्रतिशत तक, यदि अतिरिक्त जोखिम ऐसी एनबीएफसी द्वारा बुनियादी ढांचा क्षेत्र को उधार दी गई निधियों के कारण है, जैसा कि 18 मई 2012 के जारी परिपत्र मुख्य रूप से सोने की जमानत पर उधार देने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए बैंक वित्त में वर्णित है।

7.4 बैंक सभी एनबीएफसी को एक साथ मिलाकर अपने कुल एक्सपोजर के लिए आंतरिक सीमा तय करने पर भी विचार कर सकते हैं।

7.5 बैंकों को अपनी कुल वित्तीय आस्तियों के 50 प्रतिशत या उससे अधिक की सीमा तक स्वर्ण ऋण रखने वाली सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में उनके कुल एक्सपोजर पर एक आंतरिक उप-सीमा होनी चाहिए। यह उप-सीमा बैंकों द्वारा सभी एनबीएफसी में उनके कुल एक्सपोजर के लिए निर्धारित आंतरिक सीमा, जैसा कि ऊपर पैरा 7.4 में निर्धारित है, के भीतर होनी चाहिए।

7.6 एक्सपोजर सीलिंग की गणना के उद्देश्य से प्रकाशित तुलन पत्र की तारीख के बाद पात्र पूंजी निधियों के प्रवाह को भी ध्यान में रखा जा सकता है। पूंजी की वृद्धि के पूरा होने पर बैंकों को एक बाहरी लेखा परीक्षक का प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा और पूंजीगत निधियों में वृद्धि की गणना करने से पहले इसे भारतीय रिजर्व बैंक (पर्यवेक्षण विभाग) को जमा किया जाना चाहिए।

7.7. बैंकों को 11 फरवरी 2014 के अंतर-समूह लेनदेन और एक्सपोजर के प्रबंधन पर दिशानिर्देशों के अनुसार अंतर-समूह सीमाओं का पालन करना होगा।

8. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा जारी प्रतिभूतियों/लिखतों में बैंकों द्वारा किए जाने वाले निवेशों पर निर्बंध

बैंकों को रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर अद्यतन किए गए मास्टर निदेश - वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन (दिशा-निर्देश), 2023 के अध्याय IX "गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में निवेश" के पैरा 30 के अंतर्गत दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करना आवश्यक होगा।

9. एनबीएफसी को बैंक क्रेडिट के लिए जोखिम भार

एनबीएफसी को बैंक क्रेडिट के लिए जोखिम भार दिनांक 01 अप्रैल 2024 के मास्टर परिपत्र विवि.सीएपी.आरईसी.4/21.06.201/2024-25 (समय-समय पर अद्यतन किए गए) के पैराग्राफ 5 के अनुसार होगा।


परिशिष्ट

मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची

संख्या परिपत्र सं. दिनांक विषय
1. बैंपविवि.सं.एफएससी.बीसी.71/सी.469/91-92 22.01.1992 कतिपय क्षेत्रों को ऋण पर प्रतिबंध
2. औनिऋवि.सं.14/08.12.01/94-95 28.09.1994 गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को उधार
3. औनिऋवि.सं.42/08.12.01/94-95 21.04.1995 गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को उधार
4. बैंपविवि.सं.एफएससी.बीसी.101/24.01.001/95-96 20.09.1995 उपस्कर पट्टा, किराया खरीद और आढ़तिया आदि गतिविधियाँ
5. औनिऋवि.सं.17/03.27.026/96-97 06.12.1996 विद्यमान आस्तियों की खरीद/पट्टे पर लेने के लिए बैंक वित्तपोषण
6. औनिऋवि.सं.15/08.12.01/97-98 04.11.1997 बैंकों द्वारा ऋण देने से संबंधित दिशानिर्देश- कार्यशील पूंजी का मूल्यांकन
7. बैंपविवि.सं.डीआइआर.बीसी 90/13.07.05/98-99 28.08.1998 शेयरों और डिबेंचरों पर बैंक वित्त
8. बैंपविवि.सं.डीआइआर.बीसी 107/13.07.05/98-99 11.11.1998 बैंकों द्वारा बिलों की पुनर्भुनाई
9. औनिऋवि.सं.29/08.12.01/98-99 25.05.1999 गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को उधार
10. बैंपविवि.सं.डीआइआर.बीसी 173/13.07.05/99-2000 12.05.2000 बैंको द्वारा बिलों की पुनर्भुनाई
11. बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी 51/21.04.137/2000-2001 10.11.2000 ईक्विटी के लिए बैंक वित्त और शेयरों में निवेश
12. आरबीआई/273/2004-05
बैंपविवि.आइईसीएस.बीसी.सं.57/08.12.01 (एन)/2004-05
19.11.2004 वर्ष 2004-05 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा- एनबीएफसी को बैंक वित्त
13. आरबीआई/2006-07/205
बैंपविवि.सं.एफएसडी.बीसी.46/24.01.028/2006-07
12.12.2006 प्रणालीगत दृष्टि से महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ का वित्तीय विनियमन और बैंकों का उनके साथ संबंध - अंतिम दिशानिर्देश
14. आरबीआई/2007-08/235
बैंपविवि.बीपी.बीसी.सं.60/08.12.01/2007-08
12.02.2008 फैक्टरिंग कंपनियों को बैंक वित्त
15. आरबीआई/2009-10/317
बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.74/21.04.172/2009-10
12.02.2010 इनफ्रास्ट्रक्चर वित्तपोषण कम्पनियों के रूप में वर्गीकृत एनबीएफसी को बैंक एक्सपोजर के सम्बन्ध में जोखिम भार और एक्सपोजर मानदंड
16. आरबीआई/2011-12/568
बैंपविवि.सं.बीपी. बीसी.106/21.04.172/2012-13
18.05.2012 मुख्य रूप से सोने की जमानत पर उधार देने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए बैंक वित्त
17. आरबीआई/2012-13/199
बैंपविवि.सं.बीपी. बीसी.40/21.04.172/2012-13
11.09.2012 फैक्टरिंग कंपनियों को बैंक वित्त
18. आरबीआई/2013-14/487
बैंपविवि.सं.बीपी. बीसी.96/21.06.102/2013-14
11.02.2014 अंतर समूह लेनदेन और एक्सपोजर के प्रबंधन पर दिशानिर्देश
19. आरबीआई/2015-16/247
बैंविवि.सं.बीपी. बीसी.55/21.04.172/2015-16
26.11.2015 फैक्टरिंग कंपनियों को बैंक वित्त
20. आरबीआई/2018-19/196
बैंविवि.सं.बीपी. बीसी.43/21.01.003/2018-19/196
03.06.2019 वृहत् एक्सपोज़र ढांचा
21 आरबीआई/2019-20/60
बैंविवि.सं.बीपी. बीसी.18/21.01.003/2019-20
12.09.2019 वृहत् एक्सपोज़र ढांचा
22 अधिसूचना सं.विवि.विसंअ.080/मुमप्र (जेपीएस) – 2022 14.01.2022 फेक्टर का पंजीकरण (रिज़र्व बैंक) विनियम, 2022
23 विवि.एमआरजी.36/21.04.141/2023-24 12.09.2023 मास्टर निदेश - वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन (दिशा-निर्देश), 2023
24 विवि.एसटीआर.आरईसी.2/13.07.010/2023-24 01.04.2024 मास्टर परिपत्र - गारंटी और सह-स्वीकृति
25 विवि.सीएपी.आरईसी.4/21.06.201/2024-25 01.04.2024 मास्टर परिपत्र – बेसल III पूंजी विनियम

1 While financing NBFCs, which do not require registration with RBI, banks should also refer to the guidelines / notifications issued in this regard from time to time by the Ministry of Corporate Affairs, Government of India.


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