विभिन्न वित्तीय गतिविधियों या कार्यों में लगी हुई गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाएं
भारतीय वित्तीय प्रणाली का भाग हैं जो कई प्रकार की वित्तीय सेवाएं प्रदान करती हैं।
गैर बैंकिंग विततीय कंपनियॉं कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत गठित की जाती हैं। गैर
बैंकिंग विततीय कंपनियों को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा जा सकता हैं, अर्थात –
(i) जनता से जमाराशियां स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी-डी)
तथा (ii) जनता से जमाराशियां स्वीकार न करने वाली/जनता की जमाराशियां जिनके पास नहीं
हैं ऐसी गेर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफी-एनडी) अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियां
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की एक और श्रेणी है जिनका प्रणान या मुख्य कार्य जमाराशियां
स्वीकार करना एवं उनका निवेश अनुमोदित प्रतिभूतियों(सिक्युरिटी) में करना है। जमाकर्ताओं
के हित में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक विनियामक/रेगुलेटरी ढांचा विकसित किया है जिसकी
मुख्य-मुख्य बातें जमाकर्ताओं के मार्गदर्शन के लिए नीचे दी जा रही हैं। तथापि, गैर
बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में निवेश करते समय निवेशकर्ता अपने निवेश संबंधी निर्णय
का सावधानीपूर्वक आकलन करें, क्योंकि नीचे दिये गये अनुदेश व्यापक न होकर उदाहरण
स्वरूप के हैं।
- गैर बेंकिंग वित्तीय कंपनियों में शामिल हैं – ऋण कंपनी, निवेश कंपनी, परिसंपत्ति
वित्त कंपनी(अर्थात उपकरण पट्टे पर देने या किराया खरीद वित्तपोषण कारोबार में लगी
कंपनियॉं) तथा अविशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियां।
- एक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत होना अनिवार्य
है तथा जनता से जमाराशियां स्वीकर करने के लिए उसे विशिष्ट प्राधिकार प्राप्त करना
होता है।
- गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को पंजीकरण प्रमाणपत्र या उसकी प्रमाणित प्रति कंपनी के
पंजीकृत कार्यालय एवं अन्या कार्यालयों/शाखाओं में प्रदर्शित करना अनिवार्य है।
- गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकरण प्रमाणपत्र लेना
केवल उसे गेर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का कारोबार करने के लिए अधिकृत करता है। गैर बैंकिंग
वित्तीय कंपनियों द्वारा स्वीकार की गई जमाराशियों की अदायगी कराने की गारंटी भारतीय
रिज़र्व बैंक की नहीं है। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अपना करोबार करने के दौरान
भारतीय रिज़र्व बैंक के नाम का इस्तेमाल किसी भी रूप में नहीं कर सकती हैं।
- जिस गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के पंजीकरण प्रमाणपत्र के आवेदन पत्र को भारतीय रिज़र्व
बैंक अस्वीकृत करता है या पंजीकरण प्रमाण्पत्र को रद्द करता है, ऐसी कंपनी को जनता
से जमाराशियां स्वीकर करने या मौदूदा जमाराशियों को नवींकृत करने का प्राधिकार नहीं
रहता है। ऐसे अस्वीकृत किये जाने या रद् किये जाने के मामले समय-समय पर समाचार पत्रों
भी प्रकाशित किये जाते हैं। इसके अलावा उन गैर बैंकिंग विततीय कंपनियों की सूची बैंक
की वेबसाइट www.rbi.org.in (साइट
मैप पर जाकर गेर बैंकिंग वित्तय कंपनियों की सूची देखे) पर रहती है जिन्हें जनता
से जमाराशियां स्वीकार करने की अनुमति है, जिनके पंजीकरण प्रमाणपत्र के आवेदन पत्रों
को अस्वीकृत किया गया है या जिनके पंजीकरण प्रमाणपत्रों को रद्द किया गया है।
- अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों के अलावा अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियॉं:-
- जमाराशियों के संबंध में भारतीय रिज़र्व बेंक द्वारा समय-समय पर अनुमोदित ब्याज दर
(इस समय 12.5%) से ज्यादा ब्याज दर देने का प्रस्ताव नहीं कर सकती हैं।
- 12 माह से कम एवं 60 माह से ज्यादा अवधि के लिए जमाराशियां स्वीकार नहीं कर सकती
हैं।
- जनता से जमाराशियां लेने के लिए कोई उपहार/प्रोत्साहन नहीं दे सकती हैं।
- अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों को
- मौजूदा अनुदेशों के अंतर्गत मियादी जमाराशियों पर 5% एवं दैनिक जमाराशियों पर 3.5%
वार्षिक से अन्यून ब्याज दर देनी है और दोनों को वार्षिक आधार पर चक्रवृद्धि करना
है।
- अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों 12 माह से कम एवं 84 माह से अधिक अवधि के लिए जमाराशियां
स्वीकार नहीं कर सकती हैं।
- अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों जनता से जमाराशियां लेने के लिए कोई उपहार/प्रोस्ताहन
नहीं दे सकती हैं।
- अवशिष्ट गैर बेंकिंग कंपनियों सहित गेर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां
- उचित रसीद जारी करके ही जमाराशि स्वीकार कर सकती हैं।
- रसीद पर कंपनी का नाम होना चाहिए और उसे कंपनी के अधिकृत अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित
होना चाहिए।
- रसीद में जमाकर्ता का नाम, जमा की गई राशि अंकों एवं शब्दों में, जमाराशि पर देय ब्याज
दर, परिपक्व जमाराशि की अदायगी की तारीख एवं देय राशि का उल्लेख होना चाहिए।
- ऐसे मामले जिनमें यदि ब्रोकर/एजेंट गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी की ओर से जनता से जमाराशि
स्वीकार करते हों, उनमें जमाकर्ताओं को इस बात की आत्म संतुष्टि कर लेनी चाहिए कि
ब्रोकर/एजेंट गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा विधिवत अधिकृत हों।
- यदि जमाराशि स्वीकार करने वाली कोई गेर बैंकिंग वित्तीय कंपनी ऐसी जमाराशि स्वीकार
करने की शर्तों के अनुसार जमाराशि या उस पर देय ब्याज अदा करने में यूक करे/विफल हो
तो तत्संबधी शिकायत/परिवाद का निपटान निम्नलिखित के माध्यम से कराया जा सकता है-
- कंपनी ला बोर्ड की चेन्नई/दिल्ली/कोलकाता/मुंबई क्षेत्रीय बेंच
- बाग/पेड़ लगाने के कार्यों, पण्य व्यापार (कमोडिटी ट्रेडिंग), विविध स्तरीय मार्केटिंग,
विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंउ) कार्यों, आवास वित्त, निधि (म्युचुअल बेनिफिट फायनांसियल
कंपनियां), और संभाव्य निधि (म्युचुअल बेनिफिट कंपनियां) तथा सामूहिक निवेश योजनाओं
में लगी कंपनियां भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकार क्षेत्र/विनियमन के अंतर्गत नहीं आती
हैं।
- व्यक्ति, फर्मेा तथा व्यक्यों या निकायों के अन्य अनिगमित संगठन (संघ) जनता से
जमाराशियां स्वीकार नहीं कर सकते हैं -
- यदि उसके या उनके कारोबार में पूर्णत: या अंशत: ऋण तथा अग्रिम, शेयरों या विपणन योग्य
प्रतिभूतियों (सिक्युरिटीज) का अर्जन, पट्टे और किराया खरीद जैसी वित्तीय गतिविधियां/कार्य
शामिल हों, या
- यदि उसका या उनका प्रधान कारोबार किसी भी प्रकार से जमाराशियां स्वीकार करना या ऋण
देना है।
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