भा.रि.बैंक/2015-16/390
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.67/2015-16[(1)/5(R)] 05 मई 2016
सभी श्रेणी–I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2016
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान (ए) 16 मई, 2000 के ए.डी. (एम.ए. सीरीज) परिपत्र सं 11 जिसमें प्राधिकृत व्यापारियों को विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (तत्पश्चात् अधिनियम के नाम से निर्दिष्ट) के तहत जारी किए गए विभिन्न नियमों, विनियम, अधिसूचनाएं/ दिशा-निर्देश की सलाह दी थी और (बी) भाग I का पैरा 3.2 तथा 1.1 ,2.4,2.5, 2.7,2.8,4,4.8, 6.6,6.7,6.8,7,8,1, 9,10,12 और जमा राशि एवं लेखा पर मास्टर निदेश सं 14 के भाग II के परिशिष्ट की ओर आकृष्ट किया जाता है। समीक्षा करने पर यह महसूस किया है कि समय-समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000, के तहत जारी किए गए नियमों को संशोधित करना आवश्यक है । तदनुसार, भारत सरकार के साथ परामर्श में, इन नियमों को निरस्त कर दिया गया है और विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2016 (01 अप्रैल 2016 के अधिसूचना सं.फेमा. 5 (आर)/2016-आरबी), द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है, जिसे तत्पश्चात् जमा विनियमावली के नाम से निर्दिष्ट किया गया है ।
2. ये विनियमावली भारत में निवासी व्यक्ति और भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति के बीच जमा को विनियमित करना चाहते हैं:
3. विनियमावली के तहत कुछ मुख्य परिभाषाएँ नीचे दी गयी हैं:
i) "जमाराशि" में किसी बैंक, कंपनी, स्वामित्ववाली संस्था, भागीदारी फ़र्म, निगमित निकाय, न्यास अथवा किसी अन्य व्यक्ति के पास जमा धन शामिल है।
ii) "अनिवासी भारतीय (NRI)" का तात्पर्य भारत से बाहर के निवासी उस व्यक्ति से है जो भारत का नागरिक है।
iii) "भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) का तात्पर्य भारत से बाहर के निवासी उस व्यक्ति से है जो बांग्लादेश अथवा पाकिस्तान से भिन्न किसी देश अथवा केंद्र सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किसी अन्य देश का नागरिक है जो निम्नलिखित शर्तें पूरी करता है:
ए) जो भारत के संविधान अथवा नागरिकता अधिनियम,1955 (1955 का 57) के तहत भारत का नागरिक था; अथवा
बी) जो उस भूभाग से सम्बद्ध था, जो 15 अगस्त 1947 के बाद भारत का हिस्सा बना; अथवा
सी) जो भारत के नागरिक अथवा खंड (ए) अथवा (बी) में संदर्भित व्यक्ति की संतान अथवा पौत्र-पौत्री/नाती-नातिन अथवा परपौत्र-परपौत्री/परनाती/परनातिन है; अथवा
डी) जो भारत के नागरिक का/की विदेशी मूल का पति/की पत्नी अथवा खंड (ए) अथवा (बी) अथवा (सी) में संदर्भित व्यक्ति का/की विदेशी मूल का पति/की पत्नी है;
स्पष्टीकरण: पीआईओ (PIO) में नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7(ए) के अर्थों में ‘भारत के ओवरसीज़ नागरिक (OCI)’ का कार्ड-होल्डर शामिल होगा"।
iv) "अनुमत करेंसी" का तात्पर्य मुक्त रूप में परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा (करेंसी) से है।
4. जमा विनियमावली के विनियम 4 के अनुसार इस विनियमावली के तहत कोई भी प्रतिबंध, कतिपय व्यक्तियों द्वारा रुपया/विदेशी मुद्रा जमा खाता खोलने के लिए लागू नहीं होगा जैसे:
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विदेशी राजनयिक मिशनों और राजनयिक कर्मियों या भारत में उनके परिवार के सदस्यों द्वारा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के साथ उसमें उल्लिखित शर्तों के अधीन रुपया/विदेशी मुद्रा खाते खोलना।
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भारत में प्राधिकृत व्यापारी के साथ नेपाल और भूटान में रहने वाले व्यक्तियों द्वारा जमाराशि रुपए में बनाए रखना।
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किसी भी बहुपक्षीय संगठन, जिसका भारत एक सदस्य देश है, और ऐसे संगठनों के सहायक/ संबद्ध निकायों और भारत में अधिकारियों द्वारा भारत में प्राधिकृत व्यापारी के साथ जमाराशि रखना।
5. जमा विनियमावली के विनियम 5 एवं 6 के अनुसार भारत के बाहर निवासी कोई भी व्यक्ति विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत जमा खाता किसी प्राधिकृत व्यापारी/प्राधिकृत बैंक/भारतीय कंपनी में खोल सकता है। योजनाओं के ब्योरे संबंधित अनुसूची में दिए गए हैं। इसकी प्रमुख विशैषताएं निम्नलिखित हैं:
ए) अनिवासी(बाह्य) खाता(एनआरई) योजना
i) अनिवासी भारतीय और भारतीय मूल के व्यक्ति ये खाते भारतीय रुपए में किसी भी प्राधिकृत व्यापारी तथा प्राधिकृत बैंक में किसी भी रूप में खोल सकते हैं जैसे बचत, चालू, आवर्ती अथवा मिय्दी जमा के रूप में जो जमा विनयमावली की अनुसूची 1 में दी गई शर्तों के अधीन होगा।
ii) एनआरई खाते में भारत के बाहर से आवक विप्रेषण तथा एनआरई खाते से भारत के बाहर विप्रेषण की अनुमति है।
iii) भारत के प्राधिकृत व्यापारी/बैंक एनआरई खाते में रखी गई राशि की ज़मानत पर भारत में खाता धारक/तीसरे पक्ष को बिना किसी सीमा के ऋण प्रदान कर सकते हैं, बशर्ते उसपर सामान्य मार्जिन लगाया जाए। खाताधारक को स्वीकृत ऋण की चुकौती या तो खाते में रखी गई राशि से समायोजित किया जा सकता है या भारत से बाहर से आने वाले विप्रेषण से जो बैंकिंग चैनल से प्राप्त हों अथवा खाता धारक के एनआरओ खाता में जमा रकम से समायोजित की जा सकती है। ऋण की राशि को उस प्रयोजन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा जो विनियम में लिखा गया है, इस राशि को भारत से बाहर नहीं ले जाया जा सकता है।
iv) प्राधिकृत व्यापारी भारत से बाहर अपनी शाखाओं/संपर्की शाखाओं को भारत के बाहर अनिवासी जमाकर्ताओं को या तीसरे पक्षकार को उनकी जमाराशि की ज़मानत पर विनियम में दी गई शर्तों पर ऋण प्रदान करने की अनुमति दे सकते हैं।
v) ऐसी जमाराशियों को परिपक्वता से पहले आहरित करने की अनुमति नहीं होगी जिसकी ज़मानत पर ऋण लिए गए हैं।
vi) “ऋण” में सभी प्रकार की निधि आधारित/गैर-निधि आधारित सुविधाएं शामिल होंगी।
vii) खाते में शेष राशि पर उपचित ब्याज करमुक्त होगी तथा खाते में शेष राशि को संपदा कर से छूट होगी।
viii) अनिवासी भारतीयों(एनआरआई) और भारत के मूल निवासी व्यक्तियों(पीआईओ) की चालू आय जैसे किराया, लाभांश, पेंशन, ब्याज आदि कोउनके एनआरई खाते में अनुमत जमा के रूप में माना जाएगा बशर्ते प्राधिकृत व्यापारी इस बात से संतुष्ट हो कि जमा की गई राशि अनिवासी भारतीयों(एनआरआई) और भारत के मूल निवासी व्यक्तियों(पीआईओ) की चालू आय है तथा उसपर आयकर की कटौती कर ली गई है/चुका दिया गया है/प्रावधान कर दिया गया है, जैसा भी मामला हो।
ix) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक और प्राधिकृत बैंक ऐसे मांग ड्राफ्ट/बैंकर्स चेक/खाता आदाता चेक के आगमों को क्रेडिट कर सकते हैं जो एनआरई खाते की विदेशी मुद्रा के नकदीकरण किए जाने से पैदा हों जिसमें एनआरई खाते के खाताधारक को जारी लिखत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I/श्रेणी-II द्वारा जारी नकदीकरण प्रमाणपत्र से समर्थित हो।
x) एनआरई खाते को संयुक्त रूप में इस प्रकार खोला जा सकता है:
(ए) दो या दो से अधिक एनआरआई/पीआईओ के नाम पर;
(बी) निवासी के रिश्तेदारों के नाम “दिवंगत अथवा जीवित” आधार पर।
बी) विदेशी मुद्रा(अनिवासी) खाता(बैंक) (एफसीएनआर(बी)) योजना
i) एनआरआई/पीआईओ जमा विनियमावली की अनुसूची 2 में दी गई शर्तों के आधार पर प्राधिकृत व्यापारी के पास उपर्युक्त खाते किसी भी अनुमत करेंसी में खोल सकते हैं।
ii) इन खातों को केवल मीयादी जमाराशियों के रूप में रखा जा सकेगा।
iii) एनआरई खाते(जमा विनियमावली की अनुसूची 1 का संदर्भ लें) के संयुक्त खाते, उससे निधि को वापस ले जाना, ऋण लेना/ओवरड्राफ्ट पर अन्य निबंधन एवं शर्तें आवश्यक परिवर्तनों सहित वही रहेंगी जो एफसीएनआर(बी) खाते पर लागू होती हैं।
iv) एफसीएनआर(बी) खाते को बंद करते समय उसकी राशि को भेजते समय फार्म ए 2 भरने की आवश्यकता नहीं है।
सी) अनिवासी (साधारण) रुपए (एनआरओ) खाता
i) भारत से बाहर रहने वाला कोई भी व्यक्ति प्राधिकृत व्यापारी और प्राधिकृत बैंक के पास रुपए में वास्तविक लेनदेन करने के उद्देश्य से भारतीय रुपए में एनआरओ खाता खोल सकता है जो जमा विनियमावली की अनुसूची 3 में दी गई शर्तों के अधीन होगा।
ii) खाता किसी भी प्रकार का खोला जा सकता है जैसे बचत, चालू, आवर्ती अथवा मीयादी जमा खाता।
iii) एनआरआई और पीआईओ द्वारा एनआरओ खाते की राशि को वापस विदेश नहीं ले जाया जा सकता है केवल खाता धारक की चालू आय वह भी प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 1 मिलियन अमरीकी डालर तक ले जाया जा सकता है, जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन (आस्तियों का विप्रेषण) विनियमावली, 2016 की शर्तों के अधीन होगा। निधियों को 1 मिलियन अमरीकी डालर की सीमा के भीतर एनआरई खाते में अंतरित किया जा सकता है।
iv) खाताधारक को अथवा तीसरे पक्षकार को भारत में सामान्य मानदंडों एवं मार्जिन की अपेक्षा के अधीन ऋण प्रदान किया जा सकता है।
v) अन्य एनआरओ खाते से इस खाते में अंतरण अनुमत क्रेडिट(जमा) होगी। इसी प्रकार, अन्य एनआरओ खाते को अंतरण अनुमत डेबिट(नामे) होगी।
vi) एनआरओ खाता “दिवंगत अथवा जीवित” आधार पर निवासी के साथ संयुक्त रूप से खोला जा सकता है। एनआरआई/पीआईओ, एनआरओ खाता संयुक्त रूप से अन्य एनआरआई और/अथवा पीआईओ के साथ रख सकते हैं।
vii) उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत निर्धारित सीमा तक एनआरआई/पीआईओ रिश्तेदारों को निवासी द्वारा दिए गए रुपए उपहार/ऋण को एनआरआई/पीआईओ रिश्तेदारों के एनआरओ खाते में जमा किया जा सकता है।
viii) खाताधारक के भारत वापस आ जाने पर चाहे वह किसी भी कारण से भारत में रहने के इरादे से कुछ अवधि के लिए आया हो तो एनआरओ खाते को निवासी खाते के रूप में निर्दिष्ट किया जाएगा।
ix) प्राधिकृत व्यापारी बैंक अनुबंध में दिए गए प्रोफार्मा में मासिक आधार पर एक विवरण प्रस्तुत करेंगे जिसमें आवेदकों की संख्या तथा विप्रेषित कुल राशि दी जाएगी।
x) पाकिस्तान की राष्ट्रीयता वाले व्यक्तियों और पाकिस्तान/बांगलादेश की राष्ट्रीयता/स्वामित्व वाली संस्थाओं द्वारा खाता खोलने के लिए च
xi) बांगलादेश की राष्ट्रीयता वाले व्यक्ति एनआरओ खाता खोल सकते हैं बशर्ते उनके पास वैध वीज़ा हो और संबंधित विदेशी पंजीकरण कार्यालय(एफआरओ)/विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय(एफआरआरओ) से जारी वैध निवास परमिट हो।
डी) विशेष अनिवासी रुपए (एसएनआरआर) खाता
i) कोई भी व्यक्ति जो भारत से बाहर का निवासी हो, यदि भारत में कारोबार करना चाहता है,तो वह वास्तविक लेनदेन रुपए में करने के लिए प्राधिकृत व्यापारी के पास भारतीय रुपए में एसएनआरआर खाता खोल सकता है जो जमा विनियमावली की अनुसूची 4 में निर्दिष्ट शर्तों के अधीन होगा।
ii) एसएनआरआर खाते का नाम उस कारोबार के नाम पर हपोगा जिसके लिए वह खोला गया है और उसपर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा।
iii) खाते में जमा/नामे तथा शेष राशि प्रासंगिक होंगी तथा खाताधारक के कारोबारी परिचालनों के अनुरूप होंगी।
iv) खाते की अवधि खाताधारक की संविदा-अवधि/परिचालन/कारोबार की अवधि के समवर्ती होगी और किसी भी स्थिति में सात वर्ष से अधिक नहीं होगी।
v) एसएनआरआर खाता की शेष राशि को वापस ले जाया जा सकेगा।
vi) पाकिस्तानी/बांगलादेशी राष्ट्रीयता के व्यक्ति/ की संस्था द्वारा इस प्रकार का खाता खोलने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेना होगा।
ई) एस्क्रो (निलंब) खाता
i) निवासी/अनिवासी अधिग्राहक(एक्वायरर्स) तथा अनिवासी कारपोरेट्स प्राधिकृत व्यापारी के पास भारतीय रुपए में एस्क्रो खाता एस्क्रो एजेंट के रूप में खोल सकते हैं जो जमा विनियमावली की अनुसूची 5 में निर्दिष्ट शर्तों के अधीन होगा।
ii) इस खाते में लेनदेन विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गमन) विनियमावली, 2000 और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड(सेबी) की विनियमों के अनुसार होंगे, जैसा भी लागू हो।
iii) इस खाते पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा।
iv) इस खाते की जमाराशि पर किसी प्रकार की निधि/गैरनिधि आधारित सुविधा प्रदान नहीं की जाएगी।
एफ) एनआरआई और पीआईओ से प्रत्यावर्न आधार पर लाई गई राशि को भारत में स्थित कंपनी द्वारा स्वीकार किया जाना
भारत में निगमित कोई कंपनी तथा रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी या एनआरआई और पीआईओ से प्रत्यावर्न आधार पर लाई गइ राशि को स्वीकार नहीं करेंगी। लेकिन वे जमा विनियमावली की अनुसूची 6 के अनुसार स्वीकार की गई जमा को नवीकृत कर सकती हैं।
जी) एनआरआई और पीआईओ से प्रत्यावर्न आधार पर लाई गई राशि को भारतीय स्वामित्व वाली संस्था/फर्म अथवा किसी कंपनी द्वारा स्वीकार किया जाना
एनआरआई और पीआईओ से प्रत्यावर्न आधार पर लाई गई राशि को भारतीय स्वामित्व वाली संस्था/फर्म अथवा किसी कंपनी (रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत कोई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सहित) द्वारा स्वीकार करने की सामान्य अनुमति इन विनियमावली की अनुसूची 7 में निर्दिष्ट शर्तों के आधार पर दी गई है।
6. अन्य जमाराशियां (जमा विनियमावली के विनयम 6 और 7 के अधीन)
i) भारतीय कंपनियों को इस बात की सामान्य अनुमति दी गई है कि वे एनआरआई और पीआईओ से कमर्शियल पेपर जारी करके शर्तों के अधीन जमाराशियां स्वीकार कर सकती हैं।
ii) किसी प्राधिकृत व्यापारी द्वारा उसकी शाखा, प्रधान कार्यालय अथवा भारत से बाहर संपर्की कार्यालय को जमा की गई राशि, और किसी प्राधिकृत व्यापारी की शाखा अथवा भारत से बाहर संपर्की कार्यालय द्वारा जमा की गई राशि, और भारत में उसकी बहियों में धारित करना, इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अनुसार संचालित किया जाएगा।
iii) भारत से बाहर निगमित कोई शिपिंग कंपनी या एयरलाइन कंपनी प्राधिकृत व्यापारी के पास भारत में अपने स्थानीय व्यय को पूरा करने केलिए विदेशी मुद्रा में खाता खोल, धारित कर, बनाए रख सकती है बशर्ते इन खातों में जमा की जाने वाली राशियां भारत में केवल मालभाड़ा अथवा यात्रा किराया वसूली हों अथवा भारत से बाहर उसके कार्यालय द्वारा बैंकिंग चैनल से भेजे गए विप्रेषण हों।
iv) कोई भी प्राधिकृत व्यापारी विदेशी कंपनियों/संस्थाओं कि अनिगमित संयुक्त उद्यमों को भारतीय संस्था के साथ, ब्याजरहित विदेशी मुद्रा खाता तथा एसएनआरआर खाता खोलने एवं रखने के लिए भारत में संविदा निष्पादित करने की अनुमति जमा विनियमावली की अनुसूची 4 में दी गई शर्तों के अनुसार उसके सामान्य कारोबार के लेनदेन करने के उद्देश्य से दे सकते हैं। इन खातों में नामे व जमा प्रविष्टियां अनिगमित संयुक्त उद्यम के कारोबारी लेनदेन की जरूरतों से प्रासंगिक होंगे। खाते की अवधि संविदा की अवधि/अनिगमित संयुक्त उद्यम के परिचालन की अवधि के समरूप होगी और खाते के समस्त परिचालन अधिनियम अथवा नियम अथवा उसके अंतर्गत दिए गए या जारी किए गए निदेश के प्रावधानों के अंतर्गत किए जाएंगे। पाकिस्तान/बांगलादेश की स्वामित्व/राष्ट्रीयता वाली कंपनियों/संस्थाओं द्वारा खोले जाने वाले इस प्रकार के खाते के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेना होगा।
v) भारत में प्राधिकृत व्यापारी के पास प्रतिपक्ष-लेनदेन करने के प्रयोजन से विदेशी मुद्रा लेनदेन करने हेतु विदेशी मुदा एस्क्रो खाता खोलने के लिए रिज़र्व बैंक का अनुमोदन लेना होगा।
7. विदेशी नागरिकों को भारत में उनकी बकाया राशियों की वसूली की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए प्राधिकृत व्यापारी ऐसे विदेशी नागरिकों को यह अनुमति दे सकते हैं कि वे भारत के अपने निवासी खाते को देश में रोजगार समाप्त होने के बाद देश छोड़ते समय पुन: एनआरओ खाते के रूप में रख सकते हैं ताकि वे अपनी बकाया राशियों को प्राप्त कर सकें, बशर्ते बैंक स्वयं संतुष्ट हों कि उस खाते में जमा राशि खाता धारक की बकाया वास्तविक राशि है जब वह भारत में निवासी के रूप में रह रहा था/रही थी। एनआरओ खाते में जमा की गई राशि को तुरंत विदेश ले जाया जाना चाहिए बशर्ते कि भारत में उस राशि पर लागू आयकर एवं अन्य करों की अदायगी कर दी गई हो। विदेश ले जाई गई राशि किसी भी एक वित्तीय वर्ष में 1 अमरीकी बिलियन डालर से अधिक नहीं होना चाहिए। इस खाते में नामे की गई राशि केवल खाताधारक के विदेश के खाते में प्रत्यावर्तित करने के उद्देश्य से होनी चाहिए। खाते को एनआरओ खाता के रूप में नामित कर दिए जाने के तुरंत बाद खाताधारक द्वारा की गई घोषणा के अनुसार समस्त बकाया राशि प्राप्त करके प्रत्यावर्तित की जानी चाहिए तथा उसके बाद उस खाते को तत्काल बंद कर दिया जाए।
8. मीयादी जमाराशि, यदि कोई हो, उसकी परिपक्वता राशि को उस समय के अनिवासी (विशेष) रुपए खाता योजना (एनआरएसआर खाता) जो 1 अप्रैल 2002 से बंद कर दी गई थी, खाताधारक के एनआरओ खाता में जमा कर दिया जाए।
9. खाताधारक की हैसियत निवासी से अनिवासी में बदल जाने पर खाताधारक के विकल्प/अनुरोध पर विनिमय अर्जक विदेशी मुद्रा (ईईएफसी) खाता तथा निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) [आरएफसी(डी)] खाता की शेष राशि को एनआरई/एफसीएनआर(बी) खातों में अंतरित कर दिया जाए।
10. प्राधिकृत व्यापारी एनआरआई एवं पीआईओ को अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड(आईसीसी) जारी कर सकते हैं, जिसमें डेबिट इस शर्त पर होगा कि आईसीसी का इस्तेमाल निवासी द्वारा किया जाए। आईसीसी के उपयोग का प्रभार एनआरआई/पीआईओ द्वारा आवक विप्रेषण अथवा एनआरई/एफसीएनआर(बी)/ एनआरओ खातों में रखी गई राशि से किया जाए। प्रभारों का निपटान एनआरओ खाते में धारित राशि से एनआरओ खाते में धारित राशि की प्रत्यावर्तन सीमा के अधीन होगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन (आस्तियों का विप्रेषण) विनियमावली, 2016 के विनियम 4(2) में निर्दिष्ट किया गया हो।
11. प्राधिकृत व्यापारी निम्नलिखित परिचालनों की अनुमति अनिवासी खाते में दे सकते हैं जो अनिवासी खाताधारक द्वारा निवासी के पक्ष में दिए गए मुख्तारनामा के अनुसार होगा:
(ए) एनआरई/ एफसीएनआर(बी) खातों का परिचालन निम्नलिखित के लिए सीमित होगा:
(i) स्थानीय भुगतान हेतु आहरण; तथा
(ii) बैंकिंग चैनल के माध्यम से अनिवासी खाताधारक को निधि का विप्रेषण
(बी) एनआरओ खातों का परिचालन निम्नलिखित के लिए सीमित होगा:
(i) समस्त भुगतान रुपए में साथ ही पात्र निवेश हेतु भुगतान जो रिज़र्व बैंक द्वारा बनाए गए प्रासंगिक विनियम के अनुपालन के अधीन होगा; तथा
(ii) अनिवासी वैयक्तिक खाताधारक की भारत में चालू आय को भारत से बाहर विप्रेषण, लागू करों को घटाकर।
निवासी मुख्तारनामा धारक को अनुमति नहीं है कि वह खाते में धारित राशि को भारत से बाहर अनिवासी वैयक्तिक खाताधारक से इतर किसी खाता में निधि को प्रत्यावर्तित करे न ही अनिवासी वैयक्तिक खाताधारक की ओर से उपहार के माध्यम से भुगतान कर सकता है अथवा न ही खाते से किसी अन्य एनआरओ खाते में निधि अंतरित कर सकता है।
12. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को रुपए में एनआरओ/एनआरई खाता खोलने एवं एफसीएनआर(बी) जमाराशि स्वीकार करने की अनुमति है जो रिज़र्व बैंक द्वारा 28 जून 2007 के परिपत्र संख्या आरपीसीडी.के.का.आरआरबी.सं.बीसी 106/03.05.33(सी)/2006-07 में दिए गए पात्रता मानदंडों के अनुसार होगी। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक इस प्रकार के खाते खोलने/जमाराशियां स्वीकार करने के संबंध में प्राधिकार प्राप्त करन हेतु संबंधित विदेशी मुद्रा विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
13. भारत के निवासी किसी व्यक्ति तथा भारत से बाहर निवासी किसी व्यक्ति के बीच किसी प्रकार की जमाराशि जो इस अधिनियम या इन विनियमावली के अंतर्गत नहीं आती है, उसके लिए रिज़र्व बैंक का अनुमोदन लेना होगा।
14. नई विनियमावली को 1 अप्रैल 2016 की अधिसूचना फेमा.5(आर)/2016-आरबी द्वारा अधिसूचित कर दिया गया है, देखें संदर्भ जीएसआर सं. 389(ई) दिनांक 1 अप्रैल 2016 जो 1 अप्रैल 2016 से प्रभावी हुआ है तथा उपर्युक्त विनियम 7(2)(पैरा6(iii))के प्रावधानों को छोड़कर जो 21 जनवरी 2016 से प्रभावी हुआ है। उपर्युक्त संशोधनों शामिल करने के लिए को 2015-16 का मस्टर निदेश सं. 14 को तदनुसार अद्यतन बनाया गया।
15. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराएं।
16. इस परिपत्र में दिए गए निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) के अंतर्गत किसी अन्य क़ानून के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर बिना कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले जारी किए गए हैं।
भवदीय
(शेखर भटनागर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
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