इन दिशानिर्देशों की विषयवस्तु को भारतीय रिज़र्व बैंक बैंकिंग कंपनियों में शेयरों अथवा मताधिकारों का अधिग्रहण तथा धारिता) निदेश, 2023 और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के लागू प्रावधानों के साथ पढ़ा जाएगा।
किसी बैंकिंग कंपनी में शेयरों या मताधिकारों के अधिग्रहण के लिए पूर्व स्वीकृति
2. बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 12 बी की उप-धारा (1) के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति, जो शेयर या मताधिकार प्राप्त करना चाहता है और एक बैंकिंग कंपनी का प्रमुख शेयरधारक1 बनना चाहता है, उसे रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है।
3. वह व्यक्ति, जो किसी बैंकिंग कंपनी का प्रमुख शेयरधारक बनना चाहता है, उसे प्रपत्र ए में घोषणा के साथ रिज़र्व बैंक को आवेदन करना होगा। रिज़र्व बैंक आवेदक की ‘उचित और उपयुक्त’ स्थिति का आकलन करने के लिए जांच करेगा। रिज़र्व बैंक आवेदक/संबंधित बैंकिंग कंपनी से अतिरिक्त जानकारी/दस्तावेज़ मांगने और विनियामकों, राजस्व अधिकारियों, जांच एजेंसियों, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों या किसी भी अन्य व्यक्ति से पूछताछ करने के लिए स्वतंत्र होगा।
4. अनुमोदन प्रदान करते समय, रिज़र्व बैंक बैं.वि. अधिनियम, 1949 की धारा 12 बी की उप-धारा (4) के तहत शर्तों को निर्दिष्ट कर सकता है, जिसमें इस तरह के अधिग्रहण को पूरा करने की वैधता अवधि भी शामिल है। इस तरह के अधिग्रहण के बाद, अगर किसी भी समय व्यक्ति की समग्र धारिता2 पांच प्रतिशत से कम हो जाती है, तो बैं.वि. अधिनियम, 1949 की धारा 12 बी की उप-धारा (1) के अनुसार, बैंकिंग कंपनी की कुल चुकता शेयर पूंजी या मताधिकार के पांच प्रतिशत या उससे अधिक की कुल धारिता बढ़ाने के लिए व्यक्ति को रिज़र्व बैंक से फिर से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता होगी।
5. कोई भी व्यक्ति जो किसी बैंकिंग कंपनी में उस सीमा से अधिक शेयर या मताधिकार प्राप्त करना चाहता है जिसके लिए रिज़र्व बैंक से अनुमोदन प्राप्त किया गया था, तो उसे बैंकिंग कंपनी में अपनी समग्र धारिता बढ़ाने के लिए पूर्व अनुमोदन के लिए रिज़र्व बैंक में आवेदन करना आवश्यक है।
6. व्यक्ति जो3 वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के गैर-अनुपालन वाले क्षेत्राधिकार4 में आते हैं को बैंकिंग कंपनी में प्रमुख शेयरधारिता हासिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, ऐसे एफएटीएफ गैर-अनुपालन वाले क्षेत्राधिकारों के मौजूदा प्रमुख शेयरधारकों को अपने निवेश को जारी रखने की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि रिज़र्व बैंक की पूर्व स्वीकृति के बिना भविष्य में कोई और अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। तथापि, रिज़र्व बैंक किसी भी समय शेयरों या मताधिकारों के ऐसे धारकों की ‘उचित और उपयुक्त’ स्थिति की समीक्षा कर सकता है और विधि के अनुसार उनके मतदान अधिकारों को सीमित करने के लिए कदम उठा सकता है।
निरंतर निगरानी के लिए जानकारी प्रदान करना
7. बैंकिंग कंपनी द्वारा मांगी गई जानकारी प्रस्तुत करने के अलावा, प्रमुख शेयरधारक जिन्होंने अनुमोदित5 अधिग्रहण पूरा कर लिया है या आवेदक जिन्होंने प्रमुख शेयरधारिता रखने के लिए अनुमोदन प्राप्त कर लिया है या आवेदक जिन्होंने पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है, वे प्रपत्र ए में प्रदान की गई जानकारी में किसी भी बदलाव या किसी अन्य मामले में जिसका 'उपयुक्त और उचित' स्थिति पर असर पड़ सकता है, के बारे में बैंकिंग कंपनी को सूचित करेंगे।
शेयरधारिता पर सीमाएं
8. किसी बैंकिंग कंपनी में शेयर या मताधिकार प्राप्त करने के लिए रिज़र्व बैंक की अनुमति निम्नलिखित सीमाओं के अधीन होगी:
(ए) गैर-प्रवर्तक:
(i) प्राकृतिक व्यक्तियों, गैर-वित्तीय संस्थानों, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बड़े औद्योगिक घरानों6 से जुड़े वित्तीय संस्थान और ऐसे वित्तीय संस्थान जो व्यक्तियों (रिश्तेदारों और उनके साथ मिलकर काम करनेवाले व्यक्तियों सहित7) के 50 प्रतिशत या उससे अधिक सीमा तक स्वामित्व मे हैं या नियंत्रण में हैं, के मामले में बैंकिंग कंपनी की चुकता शेयर पूंजी या मताधिकार का 10 प्रतिशत, या
(ii) वित्तीय संस्थानों (उपर्युक्त पैरा 8(ए)(i) में उल्लिखित को छोड़कर), सुप्रा नेशनल संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और केंद्र/ राज्य सरकार के मामले में बैंकिंग कंपनी की चुकता शेयर पूंजी या मताधिकार का 15 प्रतिशत।
(बी) प्रवर्तक: बैंकिंग कंपनी के कारोबार शुरू होने के 15 साल8 पूरा होने के बाद बैंकिंग कंपनी की चुकता शेयर पूंजी या मतदान अधिकार का 26 प्रतिशत।
9. 15 साल के पूरे होने से पहले की अवधि के दौरान, बैंकिंग कंपनी के प्रवर्तकों को लाइसेंसिंग शर्तों या बैंकिंग कंपनी द्वारा प्रस्तुत और रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित शेयरधारण विलयन योजना9 के हिस्से के रूप में, उचित समझे जानेवाली शर्तों के साथ, शेयरधारण के उच्च प्रतिशत धारण करने की अनुमति दी जाए।
10. रिज़र्व बैंक मौजूदा प्रवर्तकों द्वारा त्याग, त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई सहित पर्यवेक्षी हस्तक्षेप, बैंकों के पुनर्गठन/पुनर्रचना, मौजूदा प्रवर्तकों की छंटनी या बैंकिंग कंपनी और इसके जमाकर्ताओं के हित में या बैंकिंग क्षेत्र में समेकन आदि परिस्थितियों में मामला-दर-मामला आधार पर उच्च शेयरधारिता [उपरोक्त पैराग्राफ 8 में निर्धारित सीमाओं से अधिक] की अनुमति भी दे सकता है । इस तरह की उच्च शेयरधारिता की अनुमति देने के बाद, रिज़र्व बैंक उपयुक्त समझे जाने वाली शर्तें लगा सकता है (एक समय सीमा के भीतर ऐसी उच्च शेयरधारिता को कम करने सहित)।
11. विशिष्ट मामलों में, जहां राज्य सरकार/केंद्र सरकार/केंद्र शासित प्रदेश/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम/सार्वजनिक वित्तीय संस्थान/विशेष रूप से अनुमतित निवेशक बैंकिंग कंपनियों के प्रवर्तक हैं या कुछ विशेष परिस्थितियों10, में विशेष रूप से रिज़र्व बैंक द्वारा प्रवर्तक / गैर-प्रवर्तक के रूप में उच्च शेयरधारण करने की अनुमति दी हैं, ऐसे धारिताओं के लिए रिज़र्व बैंक एक विभेदित शेयरधारिता विलयन योजना निर्धारित कर सकता है।
लॉक-इन अवश्यताएं
12. अगर रिज़र्व बैंक द्वारा किसी व्यक्ति को बैंकिंग कंपनी की चुकता ईक्विटी शेयर पूंजी11 का 10 प्रतिशत या उससे अधिक लेकिन चुकता ईक्विटी शेयर पूंजी के 40 प्रतिशत से कम के शेयरधारण की अनुमति प्राप्त है, ऐसे शेयर अधिग्रहण पूरा होने की तारीख से प्रथम पाँच साल के किए लॉक-इन के अधीन रहेंगे। अगर किसी व्यक्ति को बैंकिंग कंपनी की चुकता ईक्विटी शेयर पूंजी के 40 प्रतिशत या उससे अधिक के शेयरधारण की अनुमति प्राप्त है तो अधिग्रहण पूरा होने की तारीख से प्रथम पाँच साल की अवधि के लिए केवल 40 प्रतिशत की चुकता ईक्विटी शेयर पूंजी लॉक-इन के अधीन रहेंगी।
13. जो शेयर लॉक-इन के अधीन हैं, उन पर किसी भी परिस्थिति में ऋणभार नहीं डाला जाएगा। प्रवर्तक(ओं) और प्रवर्तक समूह को इन दिशानिर्देशों में दिए गए प्रपत्र बी में निर्दिष्ट प्रारूप में बैंकिंग कंपनी को उन शेयरों पर ऋणभार का सृजन/ आह्वान/ विमोचन जारी करने का विवरण ऐसी घटना के दो कार्य दिवसों के भीतर रिपोर्ट करना आवश्यक है जो लॉक-इन के तहत नहीं है।
14. लॉक-इन अवधि समाप्त होने के बाद, किसी भी न्यूनतम शेयरधारिता की कोई आवश्यकता नहीं है।
मताधिकारों की अधिकतम सीमा
15. दिनांक 21 जुलाई 2016 की राजपत्र अधिसूचना डीबीआर.पीएसबीडी.सं.1084/16.13.100/2016-17 के साथ पठित बैं.वि. अधिनियम, 1949 की धारा 12 की उप-धारा (2) के प्रावधानों के अनुसार, किसी बैंकिंग कंपनी के कोई भी शेयरधारक चुनाव में बैंकिंग कंपनी के सभी शेयरधारकों के कुल मताधिकारों12 के 26 प्रतिशत से अधिक मतदान अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकता।
16. एक डिपॉजिटरी (निक्षेपागार) डिपॉजिटरी रसीद (डीआर) धारक की ओर से केवल उन मामलों में मताधिकारों का प्रयोग कर सकता है जहां यह प्रदर्शित किया जा सकता है कि डीआर धारक की ओर से उनकी धारिता बैं.वि. अधिनियम, 1949 की धारा 12 बी के अनुरूप है, और डीआर धारक से मतदान निर्देशों के अनुसार मतदान अधिकार का प्रयोग करता है। निक्षेपागार करारों में परिवर्तन के लिए रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
17. शेयरों से जुड़े लाभकारी हित13 रखने वाले व्यक्ति के मामले में, मताधिकारों का प्रयोग केवल उन मामलों में किया जा सकता है जहां यह प्रदर्शित किया जा सकता है कि समग्र धारिता बैं.वि. अधिनियम, 1949 की धारा 12 बी के अनुरूप है।
18. कोई व्यक्ति पंजीकृत शेयरधारकों की ओर से केवल उन मामलों में मतदान के अधिकार का प्रयोग कर सकता है जहां यह प्रदर्शित किया जा सकता है कि उनके कुल मताधिकार बैं.वि. अधिनियम, 1949 की धारा 12 बी के अनुरूप हैं।
19. कोई भी प्रमुख शेयरधारक14 जो बैं.वि. अधिनियम, 1949 की धारा 12बी की उप-धारा (3) के तहत शामिल है और रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति प्राप्त नहीं किया है, वह प्रमुख शेयरधारिता के लिए रिज़र्व बैंक का अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही मताधिकार का प्रयोग कर सकता है।
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