आरबीआई/2025-26/06
सीओ.डीजीबीए.जीबीडी.सं.एस2/31-12-010/2025-2026
1 अप्रैल 2025
सभी एजेंसी बैंक
महोदया/महोदय,
एजेंसी बैंक द्वारा सरकारी कारोबार के संचालन पर मास्टर परिपत्र – एजेंसी कमीशन का भुगतान
कृपया उपर्युक्त विषय पर 1 अप्रैल 2024 का हमारा मास्टर परिपत्र आरबीआई/2024-25/07 सीओ.डीजीबीए.जीबीडी.सं.एस2/31-12-010/2024-2025 देखें। हमने अब मास्टर परिपत्र को संशोधित और अद्यतन किया है जिसमें 31 मार्च 2025 के अंत तक भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपर्युक्त विषय पर जारी किए गए महत्वपूर्ण अनुदेशों को संकलित किया गया है।
2. संशोधित मास्टर परिपत्र की प्रति आपकी सूचना के लिए संलग्न है। यह परिपत्र हमारी वेबसाइट https://mastercirculars.rbi.org.in से भी डाउनलोड किया जा सकता है।
भवदीय
(इंद्रनील चक्रबर्ती)
मुख्य महाप्रबंधक
अनु: यथोक्त
एजेंसी कमीशन के संबंध में मास्टर परिपत्र
प्रस्तावना
1. भारतीय रिज़र्व बैंक अपने स्वयं के कार्यालयों और आपसी सहमति से आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45 के तहत नियुक्त एजेंसी बैंकों के कार्यालयों के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों के सामान्य बैंकिंग व्यवसाय को पूरा करता है। आरबीआई एजेंसी बैंकों को उनके द्वारा किए जाने वाले सरकारी व्यवसाय के लिए एजेंसी कमीशन का भुगतान करता है। यह मास्टर परिपत्र अनुलग्नक 1 में सूचीबद्ध परिपत्रों में निहित निर्देशों को समेकित करता है।
एजेंसी कमीशन के लिए पात्र सरकारी लेन-देन
2. एजेंसी बैंकों द्वारा किए गए निम्नलिखित सरकारी कारोबार से संबंधित लेन-देन आरबीआई द्वारा भुगतान किए जाने वाले एजेंसी कमीशन के लिए पात्र होंगे:
(ए) केंद्र/राज्य सरकारों की ओर से राजस्व प्राप्तियां और भुगतान
(बी) केंद्र/राज्य सरकारों के संबंध में पेंशन का भुगतान और
(सी) कार्य की कोई अन्य मद जिसे रिज़र्व बैंक द्वारा विशेष रूप से एजेंसी कमीशन के लिए पात्र बताया गया हो
3. एजेंसी बैंक लघु बचत योजनाओं (एसएसएस) से संबंधित ऐसे कार्य भी करते हैं, जिसका कमीशन भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है। हालांकि ऐसे एसएसएस पर कमीशन का निपटान आरबीआई द्वारा संसाधित किया जाता है और केंद्रीय लेखा अनुभाग (सीएएस), नागपुर में निपटाया जाता है, एसएसएस लेन-देनों से संबंधित एजेंसी कमीशन की दरें भारत सरकार द्वारा तय की जाती हैं। विशेष जमा योजना (एसडीएस) से संबंधित लेन-देनों (जहां प्रतिरूप (मिरर) खाते आरबीआई में अनुरक्षित किए जाते हैं) पर एजेंसी कमीशन दावों का निपटान भी सीएएस, नागपुर में किया जाता है।
4. वित्तीय संस्थाओं और बैंकों से सीधे जुटाए गए राज्य सरकारों के अल्पकालिक/दीर्घकालिक उधार एजेंसी कमीशन के लिए पात्र नहीं हैं क्योंकि इन लेन-देनों को सामान्य बैंकिंग व्यवसाय की प्रकृति का नहीं माना जाता है। रिज़र्व बैंक सार्वजनिक ऋण के प्रबंधन के लिए एजेंट के रूप में कार्य करने के लिए एजेंसी बैंकों को सहमति के अनुसार अलग से पारिश्रमिक का भुगतान करता है।
5. जब भी एजेंसी बैंक भौतिक रूप या ई-मोड (चालान आधारित) के माध्यम से स्टांप शुल्क एकत्र करते हैं, तो वे एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र होते हैं, बशर्ते कि एजेंसी बैंक इस कार्य को करने के लिए जनता से कोई शुल्क नहीं लेते हैं या राज्य सरकार से पारिश्रमिक प्राप्त नहीं करते हैं।
6. यदि एजेंसी बैंक को राज्य सरकार द्वारा फ्रैंकिंग वेंडर के रूप में नियुक्त किया गया है और यह दस्तावेजों को फ्रैंक करने के लिए जनता से स्टांप ड्यूटी एकत्र करता है, तो यह एजेंसी कमीशन के लिए पात्र नहीं होगा क्योंकि राज्य सरकार इसे फ्रैंकिंग वेंडर के रूप में कमीशन दे रही है। हालाँकि, एजेंसी बैंक जो फ्रैंकिंग बार की खरीद के लिए भौतिक या ई-मोड में चालान के माध्यम से ट्रेजरी में जमा करने के लिए फ्रैंकिंग वेंडर द्वारा भुगतान की गई स्टांप ड्यूटी एकत्र करता है, वह एजेंसी कमीशन के लिए पात्र होगा क्योंकि यह ऊपर बताए अनुसार स्टांप ड्यूटी का नियमित भुगतान है।
सरकारी लेन-देन, जो एजेंसी कमीशन के लिए पात्र नहीं हैं
7. एजेंसी बैंक, जो अपनी स्वयं की कर देयताएं अपनी स्वयं की शाखाओं के माध्यम से, अथवा जहां कहीं उनकी स्वयं की प्राधिकृत शाखाएं नहीं है, वहां भारतीय स्टेट बैंक सहित अन्य एजेंसी बैंक की प्राधिकृत शाखाओं के माध्यम से अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों के माध्यम से अदा कर रहे हैं, उन्हें इसे स्क्रॉल में अलग से इंगित करना चाहिए। ऐसे लेन-देन एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र नहीं होंगे। एजेंसी कमीशन का दावा करते समय बैंकों को इस आशय का एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना चाहिए कि उनके द्वारा अदा की गई, उनकी स्वयं की कर देयताएं [स्रोत्र पर काटे गए कर (टीडीएस), कार्पोरेशन कर, इत्यादि] इसमें शामिल नहीं हैं।
8. निम्नलिखित गतिविधियाँ, अन्य बातों के साथ-साथ, एजेंसी बैंक व्यवसाय के दायरे में नहीं आती हैं और इसलिए वे एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र नहीं हैं:-
(ए) सरकारी ठेकेदारों/आपूर्तिकर्ताओं द्वारा एजेंसी बैंकों के माध्यम से प्रस्तुत बैंक गारंटी/जमानती जमाराशियाँ आदि, जो बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों के लिए किया गया बैंकिंग लेन-देन है।
(बी) स्वशासी/ सांविधिक निकाय/ नगरपालिकाओं/ कंपनियों/ निगमों/ स्थानीय निकायों का बैंकिंग व्यवसाय।
(सी) ऐसे भुगतान जिन्हें सरकार द्वारा स्वशासी/ सांविधिक निकायों/नगरपालिकाओं/ निगमों/ स्थानीय निकायों इत्यादि द्वारा उठाई जाने वाली हानियों की पूर्ति के लिए पूंजीगत प्रकृति के रूप में वर्गीकृत किया गया हो।
(डी) पूर्व वित्तपोषित योजनाएं जिनका कार्यान्वयन केन्द्रीय सरकार के मंत्रालय/ विभाग (सीजीए के परामर्श से) अथवा राज्य सरकार के किसी विभाग द्वारा किसी बैंक के माध्यम से किया जा सकता है।
(ई) स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 से संबंधित लेन-देन
(एफ) मंत्रालयों/विभागों आदि की ओर से बैंकों द्वारा खोले गए साख पत्रों/ बैंक गारंटी से उत्पन्न लेन-देन एजेंसी कमीशन के लिए योग्य नहीं हैं क्योंकि आरबीआई केवल सरकारों से प्राप्त अधिदेश के आधार पर बैंकों को भुगतान की गई राशि की प्रतिपूर्ति करता है।
(जी) रिज़र्व बैंक या केंद्र या राज्य सरकार द्वारा विशेष तौर पर एजेंसी कमीशन के लिए अपात्र बताया गया कोई अन्य कार्य।
9. एजेंसी बैंकों को सूचित किया जाता है कि एजेंसी कमीशन के लिए अपात्र लेन-देनों के संबंध में समय-समय पर आरबीआई द्वारा जारी किए गए अनुदेशों का पूरी तरह से पालन करें और तद्नुसार एजेंसी कमीशन के लिए अपने दावों को प्रस्तुत करें। एजेंसी कमीशन का दावा करते समय सभी एजेंसी बैंकों को यह प्रमाणित करना चाहिए कि अपात्र लेन-देनों पर कोई भी एजेंसी कमीशन का दावा नहीं किया गया है।
10. एजेंसी बैंकों द्वारा आरबीआई को लेन-देन की रिपोर्टिंग: एनईएफटी24X7 और आरटीजीएस 24X7 के परिचालनगत होने के बाद वस्तु और सेवा कर ( जीएसटी), ICEGATE के माध्यम से सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क और TIN 2.0 प्रणाली के अंतर्गत प्रत्यक्ष कर संग्रहण के लिए प्राधिकृत एजेंसी बैंक, वैश्विक छुट्टियों अर्थात् 26 जनवरी, 15 अगस्त, 2 अक्टूबर, सभी गैर कार्य दिवस शनिवार, सभी रविवार और कोई अन्य दिन जिसे आकस्मिकताओं के कारण सरकारी लेन-देनों के लिए आरबीआई द्वारा अवकाश घोषित किया हो, को छोड़कर सभी दिवसों में अपनी लगेज़ फाइलें आरबीआई के क्यूपीएक्स/ई-कुबेर में अपलोड करेंगे। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यह लगेज फाइलें आरबीआई के क्यूपीएक्स/ ई-कुबेर में प्रधान मुख्य लेखा नियंत्रक कार्यालय, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड और प्रधान मुख्य लेखा नियंत्रक कार्यालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा निर्धारित 1800 बजे या उससे पहले अपलोड की जाएं। क्यूपीएक्स/ ई-कुबेर में इन लगेज फाइलों को अपलोड करने के लिए आरबीआई द्वारा एजेंसी बैंकों को समय-सीमा में 1800 बजे के बाद कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा।
11. राज्य सरकार के लेन-देन के लिए मासिक शेष राशि अंतरण की तिथि अगले माह की पाँचवी तारीख है। अनुवर्ती माह की चौथी तारीख के बाद रिपोर्ट किए गए पिछले माह के राज्य सरकार के लेन-देन (इलेक्ट्रॉनिक और भौतिक रूप में) और ऐसे लेन-देन, जो उससे पिछले माह के दौरान किए गए थे का विवरण, संबंधित राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकारी से पुष्टि कराए जाने के बाद लेखांकन हेतु अलग विवरणी के रूप में आरबीआई को भेजा जाना चाहिए।
12. केंद्र सरकार के लेन-देन (इलेक्ट्रॉनिक के साथ-साथ भौतिक रूप में) या उसके किसी समायोजन के लिए, यदि लेन-देन की तारीख से 90 दिनों के अंतराल के बाद रिपोर्ट किया जाता है, तो एजेंसी बैंकों को संबंधित मंत्रालय/विभाग से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना होगा और निपटान के लिए ऐसे लेन-देन की रिपोर्टिंग के समय उसे अलग से आरबीआई को प्रस्तुत करना होगा।
एजेंसी कमीशन के लिए दरें
13. एजेंसी बैंक करार के अनुसार, आरबीआई अपनी निर्धारित दरों के अनुसार एजेंसी बैंक को भुगतान करता है। 1 जुलाई 2019 से प्रभावी लागू दरें नीचे दी जा रही है:-
क्र.सं. |
लेन-देन का प्रकार |
ईकाई |
संशोधित दर |
ए. |
(i) |
प्राप्तियां - भौतिक मोड |
प्रति लेन-देन |
₹40/- |
|
(ii) |
प्राप्तियां - ई-मोड |
प्रति लेन-देन |
₹9/- |
बी. |
|
पेंशन भुगतान |
प्रति लेन-देन |
₹75/- |
सी. |
|
पेंशन के अलावा अन्य भुगतान |
प्रति ₹100 का टर्नओवर |
6.5 पैसे प्रति ₹100 |
14. इस संदर्भ में, उपरोक्त सारणी में क्रम संख्या ए. (ii) के सामने दर्शाई गई ‘प्राप्तियां-ई-मोड लेन-देन’ ऐसे लेन-देनों को संदर्भित करते हैं जिनमें धनप्रेषक के बैंक खाते से, इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से, निधि का प्रेषण शामिल है साथ ही ऐसे लेन-देन भी जिनमें नकदी/ लिखतों की भौतिक प्राप्ति शामिल नहीं है। उदाहरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनरेट किए गए तथा नकदी/ लिखतों के साथ प्रस्तुत चालान को भौतिक माध्यम के अंतर्गत किया गया लेन-देन माना जाना चाहिए।
15. जीएसटी व्यवस्था के कार्यान्वयन के संदर्भ में, यह सूचित किया जाता है कि जीएसटी भुगतान प्रक्रिया के अंतर्गत एकल कामन पोर्टल पहचान संख्या (सीपीआईएन) सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर चालान पहचान संख्या (सीआईएन) जनरेट होती है तो उसे एकल लेन-देन माना जाए, भले ही वह एकाधिक प्रधान खाताशीर्ष/ उप प्रधान खाताशीर्ष/ लघु खाताशीर्ष वाले खातों में जमा किया गया हो। इसका आशय यह है कि एकल चालान के माध्यम से अदा किया गया सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी और उपकर आदि एक ही लेन-देन होंगे। इस प्रकार, एक ही चालान यानी सीपीआईएन के तहत शामिल किए गए ऐसे सभी रिकॉर्ड को 1 जुलाई 2017 से एजेंसी कमीशन का दावा करने के उद्देश्य से एकल लेन-देन के रूप में माना जाना चाहिए।
16. इसी प्रकार, जीएसटी के अंतर्गत न आने वाले लेन-देन के मामले में, इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि एक चालान (इलेक्ट्रॉनिक या भौतिक) को केवल एक लेन-देन माना जाना चाहिए, न कि कई लेन-देन, भले ही चालान में कई प्रधान खाताशीर्ष/उप प्रधान खाताशीर्ष/लघु खाता शीर्ष शामिल हों, जिन्हें क्रेडिट किया जाएगा। इसलिए, सफलतापूर्वक संसाधित किए गए एकल चालान के अंतर्गत शामिल किए गए रिकॉर्ड को एजेंसी कमीशन का दावा करने के उद्देश्य से एकल लेन-देन माना जाना चाहिए।
17. एजेंसी बैंक पेंशन लेन-देन के लिए ₹75 प्रति लेन-देन की दर से एजेंसी कमीशन का दावा करने के लिए तभी पात्र होंगे, जब पेंशन की गणना सहित पेंशन के संवितरण का संपूर्ण कार्य उनके द्वारा किया जाता है। यदि पेंशन गणना आदि से संबंधित कार्य संबंधित सरकारी विभाग/कोषागार द्वारा किया जाता है और बैंकों को केवल सरकारी खाते में एक बार डेबिट करके उनके पास रखे गए पेंशनभोगियों के खातों में पेंशन की राशि जमा करना अपेक्षित हो तो ऐसे लेन-देन को 'पेंशन के अलावा अन्य भुगतान ' के तहत वर्गीकृत किया जाएगा और वे 1 जुलाई 2019 से ₹100/- टर्नओवर पर 6.5 पैसे की दर से एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र होंगे।
18. एजेंसी कमीशन के भुगतान हेतु पात्र लेन-देनों की संख्या प्रत्येक पेंशनभोगी र के लिए प्रतिवर्ष 14 से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसमें निवल पेंशन के भुगतान हेतु मासिक जमा का एक लेन-देन तथा मंहगाई राहत में वृद्धि, यदि लागू हो, के कारण बकाए के भुगतान के लिए प्रतिवर्ष अधिकतम दो लेन-देन शामिल है। पेंशन के विलंब से प्रारंभ होने/पुन: प्रारंभ होने के कारण बकाए के भुगतान वाले मामले वाले लेन-देन एजेंसी कमीशन का दावा करने के लिए एकल लेन-देन होंगे। अर्थात् पेंशन के विलंब से प्रारंभ होने/पुन: प्रारंभ होने के कारण बकाए के भुगतान को एकल जमा लेन-देन माना जाएगा न कि अलग मासिक जमा वाले लेन-देन।
19. एजेंसी बैंक को पूरी दर पर एजेंसी कमीशन देय है बशर्ते बैंक द्वारा सभी स्तरों पर लेन-देनों का संचालन किया जाए। तथापि जहाँ ये कार्य दो बैंकों द्वारा किया जा रहा हो तो एजेंसी कमीशन बैंकों के मध्य 75:25 के अनुपात में शेयर किए जाएंगे। इस प्रकार, विस्तृत रूप में यह एजेंसी कमीशन एजेंसी बैंकों को निम्नलिखित ब्यौरे के अनुसार देय है:
(क) ऐसे मामले में पूरी दर पर, जहाँ बैंक द्वारा सभी स्तरों, अर्थात् स्क्रॉल और चालानों/चेकों को भुगतान और लेखा कार्यालयों तथा कोषागारों/ उप-कोषागारों को भेजे जाने तक, पर लेन-देन का संचालन किया जाता है।
(ख) लागू दर के 75% की दर पर, जहाँ डीलिंग शाखा के लिए लेन-देनों का हिसाब रखने के लिए स्क्रॉल और दस्तावेज भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा सरकारी कारोबार करने वाले किसी एजेंसी बैंक की स्थानीय/ निकटतम शाखा को भेजना अपेक्षित हो।
(ग) लागू दर के 25% की दर पर, ऐसी एजेंसी बैंक शाखा के मामले में, जो अन्य बैंकों की डीलिंग शाखाओं से स्क्रॉल और दस्तावेज प्राप्त करती है और ऐसे लेन-देनों के लेखांकन के लिए स्क्रॉल और दस्तावेज को भुगतान और लेखा कार्यालय, कोषागारों आदि को भेजने के लिए जिम्मेदार हैं।
20. सभी एजेंसी बैंकों को निधियों और एजेंसी कमीशन, दोनों से संबंधित अपने एजेंसी लेन-देन का निपटान किसी अन्य एजेंसी बैंक, जो कुछ मामलों में एग्रीगेटर का कार्य करते हैं, के माध्यम से करने के बजाए सीधे भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के माध्यम से करना चाहिए। इसी प्रकार राज्य सरकार/सरकारों की ओर से सभी एजेंसी बैंकों द्वारा किए गए भुगतानों का निपटान भी सीधे भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के माध्यम से करना चाहिए। एजेंसी बैंकों द्वारा एजेंसी लेन-देनों/ स्क्रॉल का ब्यौरा सीधे संबंधित राज्य सरकार/ कोषागार को भेजा जा सकता है। सीधे भारतीय रिज़र्व बैंक से दैनिक आधार पर राज्य सरकार की निधियों (प्राप्ति और भुगतान) के निपटान की नई व्यवस्था 1 जनवरी 2018 से प्रभावी है।
एजेंसी कमीशन का दावा
21. एजेंसी बैंकों को केंद्र सरकार के लेन-देनों से संबंधित अपने एजेंसी कमीशन के दावे सीएएस नागपुर को और राज्य सरकार के लेन-देनों से संबंधित अपने एजेंसी कमीशन के दावे भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को निहित प्रारूप (जीएसटी विवरण के साथ) में प्रस्तुत करने होते हैं। तथापि, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, आरबीआई को रिपोर्ट किए गए जीएसटी प्राप्ति, टिन 2.0 व्यवस्था के अंतर्गत प्रत्यक्ष कर संग्रहण से संबंधित लेन-देन और आइसगेट के माध्यम से अप्रत्यक्ष करों के संग्रहण से संबंधित लेन-देन के संबंध में एजेंसी कमीशन के दावों का निपटान केवल भारतीय रिज़र्व बैंक के मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा किया जाएगा और तदनुसार सभी अधिकृत एजेंसी बैंकों को सूचित किया जाता है कि उक्त प्राप्तियों से संबंधित एजेंसी कमीशन के अपने दावे केवल मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय में ही प्रस्तुत करें। सीएएस, नागपुर, आरबीआई को रिपोर्ट किए गए केंद्र सरकार के लेन-देन के लिए एजेंसी कमीशन के दावों का निपटान, सीएएस, नागपुर, आरबीआई में किया जाना जारी रहेगा। सभी एजेंसी बैंकों के लिए एजेंसी कमीशन का दावा प्रस्तुत करने संबंधी प्रारूप और शाखा के अधिकारियों और सनदी लेखाकार (चार्टर्ड अकाउंटेंट) या लागत लेखाकार (कॉस्ट अकाउंटेट) द्वारा हस्ताक्षर किए जाने वाले अलग और विशिष्ट प्रमाणपत्रों के सेट क्रमश: अनुबंध-2, अनुबंध 2ए और अनुबंध 2बी में दिए गए हैं। ये प्रमाणपत्र, कार्यकारी निदेशक/मुख्य महाप्रबंधक (सरकारी कारोबार के प्रभारी) के इस आशय के नियमित प्रमाणपत्र कि कोई पेंशन बकाया क्रेडिट किया जाना बाकी नहीं है/ नियमित पेंशन/ बकाया जमा करने में कोई देरी नहीं हुई है, के अतिरिक्त होंगे।
22. जहाँ बाह्य लेखापरीक्षक, समवर्ती लेखा परीक्षक/ सांविधिक लेखापरीक्षक भी हैं, ऐसे दावे समवर्ती/ सांविधिक लेखापरीक्षक द्वारा प्रमाणित किए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त एजेंसी बैंकों से यह अपेक्षित है कि वे यह सुनिश्चित करें कि एजेंसी बैंकों के आंतरिक निरीक्षकों/ लेखा परीक्षकों के द्वारा उनके शाखाओं के द्वारा प्रस्तुत किए गए एजेंसी कमीशन के दावे को सत्यापित करें और अपने निरीक्षण/ लेखा-परीक्षा के दौरान इसकी यथार्थता की पुष्टि करें।
23. भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय लेखा अनुभाग, नागपुर से केंद्रीकृत रूप में केंद्र और राज्य सरकार के लेन-देनों के लिए प्राप्त एजेंसी कमीशन पर सेवा कर की प्रतिपूर्ति के लिए दावा करने संबंधी प्रक्रिया के बारे में हमारे 4 नवंबर 2016 के पत्र में निहित अनुदेशों का संदर्भ ग्रहण करें। सेवा कर के वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के तंत्र में शामिल हो जाने के बावजूद भी यह प्रक्रिया जारी थी। केंद्रीकृत रूप में दावों को प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को ऐसी प्रणाली से बदल दिया गया है जिसके अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों/सीएएस, नागपुर, जैसा भी मामला हो, के द्वारा एजेंसी कमीशन के साथ लागू जीएसटी (वर्तमान में 18%) का भुगतान किया जाएगा।
24. दिनांक 01 जुलाई 2019 से किए गए पात्र सरकारी लेन-देनों के लिए एजेंसी बैंक ऊपर उल्लिखित संशोधित एजेंसी कमीशन के दरों के अनुसार लागू जीएसटी की राशि सहित अपने एजेंसी कमीशन के दावे को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी वर्तमान अनुदेशों के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों/ सीएएस, नागपुर में जमा करेंगे। जीएसटी पर टीडीएस के संबंध में सरकार के अनुदेशों के अनुसार एजेंसी कमीशन का भुगतान करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा यथा लागू कटौती की जाएगी।
25. तथापि, 30 जून 2019 तक एजेंसी बैंकों द्वारा किए गए पात्र सरकारी लेन-देनों के लिए एजेंसी बैंक एजेंसी कमीशन के दावों के साथ ही, एसटी/जीएसटी की प्रतिपूर्ति के लिए केंद्रीकृत दावों को पहले की तरह प्रस्तुत करता रहेगा।
26. एजेंसी बैंकों के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि एजेंसी कमीशन का दावा निर्धारित प्रारूप में भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय/केंद्रीय लेखा अनुभाग नागपुर को सही रूप में प्रस्तुत किया जाए। एजेंसी बैंक अपनी शाखाओं को सावधान करें कि वे हमारे क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किए जाने वाले दावों का सही होना सुनिश्चित करें। ऐसे गलत दावे, यदि आंतरिक/समवर्ती लेखापरीक्षकों द्वारा यथाविधि प्रमाणित किए जाते हैं तो तिमाही दावा करने संबंधी इस आवश्यक शर्त के प्रयोजन को अर्थहीन बना देंगे।
27. एजेंसी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे एजेंसी कमीशन संबंधी दावे उस तिमाही, जिसमें ये लेन-देन किए गए हैं, के समाप्त होने के बाद 60 कैलेंडर दिनों के भीतर रिज़र्व बैंक में प्रस्तुत करें। यदि ऊपर उल्लिखित निर्धारित अवधि के भीतर बैंक ये दावे प्रस्तुत करने में असमर्थ रहते हैं तो वे विलंब का कारण बताने के बाद ही ऐसे दावे आरबीआई को प्रस्तुत कर सकते हैं।
गलत दावों के लिए दंडात्मक ब्याज लगाना
28. एजेंसी बैंकों का भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ किए गए करार के अनुसार, सरकार या रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए अनुदेशों का अनुपालन नहीं करने या उल्लंघन करने पर दण्ड लगाया जाएगा। निपटाए गए एजेंसी कमीशन में से गलत दावों के लिए एजेंसी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा यथा अधिसूचित बैंक दर + 2% की दर पर दण्ड ब्याज अदा करना होगा।
अनुबंध 1
मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
क्र. सं |
परिपत्र सं. |
दिनांक |
विषय |
1. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-190/31.12.010/2003-04 |
14 सितंबर 2003 |
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एजेंसी कमीशन पर टीडीएस नहीं काटा जाएगा। |
2. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-41/42.02.001/2003-04 |
22 जुलाई 2004 |
एजेंसी बैंकों के माध्यम से आयकर और अन्य प्रत्यक्ष कर (केंद्र सरकार) तथा राज्य सरकारों के व्यवसाय कर/अन्य कर स्वीकार करने संबंधी योजना |
3. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-1225-1258/42.02.001/2004-05 |
27 अक्तूबर 2004 |
एजेंसी बैंकों के माध्यम से आयकर और अन्य प्रत्यक्ष कर (केंद्र सरकार) तथा राज्य सरकारों के व्यवसाय कर/अन्य कर स्वीकार करने संबंधी योजना |
4. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-2625-2658/31.12.010(सी)/2004-05 |
17 दिसंबर 2004 |
एजेंसी बैंकों द्वारा सरकारी कारोबार करने के लिए पारिश्रमिक-टर्नओवर कमीशन का भुगतान |
5. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-3568-3601/42.01.001/2004-05 |
13 जनवरी 2005 |
एजेंसी बैंकों के माध्यम से आयकर और अन्य प्रत्यक्ष कर (केंद्र सरकार) तथा राज्य सरकारों के व्यवसाय कर/अन्य कर स्वीकार करने संबंधी योजना |
6. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-4530/31.12.010 (सी)/2005-06 |
27 अक्तूबर 2005 |
एजेंसी बैंकों द्वारा प्रस्तुत एजेंसी कमीशन संबंधी दावे – सामान्य अनियमितताएँ |
7. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-11136/31.12.010 (सी)/2005-06 |
31 जनवरी 2006 |
एजेंसी बैंकों द्वारा प्रस्तुत एजेंसी कमीशन संबंधी दावे – सामान्य अनियमितताएँ |
8. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-13118/31.12.010(सी)/2005-06 |
02 मार्च 2006 |
एजेंसी बैंकों द्वारा प्रस्तुत एजेंसी कमीशन संबंधी दावे – सामान्य अनियमितताएँ |
9. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-13034/31.12.010 (सी)/2006-07 |
27 फरवरी 2007 |
पेंशन लेन-देन संबंधी एजेंसी कमीशन |
10. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-1800/31.12.010 (सी)/2009-10 |
21 अगस्त 2009 |
एजेंसी कमीशन दावों मे असामान्य बढ़ोत्तरी |
11. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-3903/31.12.010(सी)/2009-10 |
11 नवंबर 2009 |
एजेंसी कमीशन के दावे बाह्य लेखापरीक्षक /सनदी लेखाकार द्वारा प्रमाणित होने चाहिए |
12. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-160/31.12.010(सी)/2010-11 |
07 जुलाई 2010 |
एजेंसी कमीशन के दावे बाह्य लेखापरीक्षक द्वारा प्रमाणित होने चाहिए |
13. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-670/31.12.010 (सी)/2010-11 |
24 मार्च 2011 |
भारिबैं द्वारा एजेंसी कमीशन पर टीडीएस की कटौती नहीं की जाएगी |
14. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-8852/31.12.010(सी)/2010-11 |
21 जून 2011 |
रजिस्ट्रेशन शुल्क और स्टांप ड्यूटी संकलन हेतु एजेंसी कमीशन का भुगतान |
15. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-7575/31.12.011/2011-12 |
22 मई 2012 |
पेंशन लेन-देन संबंधी एजेंसी कमीशन |
16. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-2529/31.12.010(सी)/2012-13 |
31 अक्तूबर 2012 |
एजेंसी बैंकों द्वारा सरकारी कारोबार का संचालन – एजेंसी कमीशन का भुगतान- बैंकों द्वारा एजेंसी कमीशन का दावा करने संबंधी संशोधित प्रारूप – कार्यदल की अनुशंसाओं को लागू करना |
17. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-2995/31.12.010/2014-15 |
7 जनवरी 2015 |
एजेंसी कमीशन का भुगतान- बाह्य लेखापरीक्षकों द्वारा दावों का स्पष्टीकरण |
18. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.617/31.12.010(C)/2015-16 |
13 अगस्त 2015 |
एजेंसी बैंकों द्वारा सरकारी कारोबार का संचालन – एजेंसी कमीशन का भुगतान |
19. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.1636/31.12.010/2015-16 |
10 नवंबर 2015 |
एजेंसी कमीशन का भुगतान- बाह्य लेखापरीक्षकों द्वारा दावों का स्पष्टीकरण |
20. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.2278/31.12.010/2015-16 |
21 जनवरी 2016 |
पेंशन खातों पर एजेंसी कमीशन का भुगतान |
21. |
डीजीबीए.जीबीडी.सं.3262/31.02.007/2016-17 |
15 जून 2017 |
एजेंसी कमीशन दावे प्रस्तुत करने की अवधि |
22. |
डीजीबीए.जीबीडी.सं.3333/31.02.007/2016-17 |
22 जून 2017 |
सरकारी प्राप्तियों के लिए एजेंसी कमीशन का भुगतान |
23. |
डीजीबीए.जीएडी.सं 2294/15.04.001/2016-17 |
6 मार्च 2017 |
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना |
24. |
डीजीबीए.जीएडी.सं.1007/15.04.001/2017-18 |
17 अक्तूबर 2017 |
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 |
25. |
डीजीबीए.जीबीडी.सं.1324/31.02.007/2017-18 |
16 नवंबर 2017 |
जीएसटी प्राप्तियों के लिए एजेंसी कमीशन |
26. |
डीजीबीए.जीबीडी.सं.1472/31.02.007/2017-18 |
30 नवंबर 2017 |
एजेंसी बैंकों द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को लेन-देनों की रिपोर्ट भेजना |
27. |
डीजीबीए.जीबीडी.सं.1498/31.02.007/2017-18 |
7 दिसंबर 2017 |
कुछ मामलों (निधियों और एजेंसी कमीशन के लिए) में एजेंसी लेन-देनों का निपटान सीधे भारतीय रिज़र्व बैंक से किया जाना |
28. |
भारिबैं/2018-19/16 डीजीबीए.जीबीडी.सं.87/31.02.007/2018-19 |
12 जुलाई 2018 |
एजेंसी कमीशन दावों को प्रस्तुत करने की अवधि |
29. |
डीजीबीए.जीबीडी.सं.1590/44.02.007/2018-19 |
24 दिसंबर 2018 |
एजेंसी बैंकों को एजेंसी कमीशन का भुगतान – जीएसटी के अंतर्गत टीडीएस प्रावधानों की प्रयोज्यता |
30. |
डीजीबीए.जीबीडी.सं.1590/44.02.01/2018-19 |
23 जनवरी 2019 |
एजेंसी बैंकों को एजेंसी कमीशन का भुगतान – जीएसटी के अंतर्गत टीडीएस प्रावधानों की प्रयोज्यता |
31. |
डीजीबीए.जीबीडी.सं.3144/31.02.07/2018-19 |
20 जून 2019 |
सरकारी लेन-देनों पर बैंकों को भुगतान किए जाने वाला एजेंसी कमीशन में संशोधन और तर्कसंगत बनाना |
32. |
डीजीबीए.जीबीडी.सं.5/31.02.007/2019-20 |
31 जुलाई 2019 |
एजेंसी कमीशन- समाधान प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना |
33. |
डीजीबीए. जीबीडी. सं. 648/31.12.007/2019-20 |
25 सितंबर 2019 |
एजेंसी कमीशन- समाधान प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना |
34. |
सीओ.डीजीबीए.जीबीडी.सं.एस957/43-33-005/2022-2024 |
14 नवम्बर 2022 |
टिन (TIN) 2.0 व्यवस्था के अंतर्गत प्रत्यक्ष कर संग्रहण के लिए एजेंसी कमीशन |
35. |
सीओ.डीजीबीए.जीबीडी.सं.एस295/31-12-010/2023-2024 |
14 जून 2023 |
आइसगेट भुगतान गेटवे के माध्यम से अप्रत्यक्ष करों के संग्रहण के लिए एजेंसी कमीशन |
36. |
सीओ.डीजीबीए.जीबीडी.सं.एस1234/31-12-010/2023-2024 |
13 मार्च 2024 |
जीएसटी, आइसगेट और टिन 2.0 लगेज फ़ाइलों को अपलोड करने के लिए समय-सीमा |
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