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अधिसूचनाएं

बैंकों में अदावी जमाराशियाँ / निष्क्रिय खाते – निष्क्रिय खातों की सूची प्रकाशित करना

आरबीआइ/2011-12/389
बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 81/09.07.005/2011-12

7 फरवरी 2012

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

बैंकों में अदावी जमाराशियाँ / निष्क्रिय खाते – निष्क्रिय खातों की सूची प्रकाशित करना

कृपया 22 अगस्त 2008 का हमारा परिपत्र बैंपविवि.सं.एलईजी. बीसी. 34/09.07.005/2008-09 देखें जिसमें बैंकों को अदावी जमाराशियों / निष्क्रिय खातों पर की जानेवाली कार्रवाई के संबंध में विस्तृत अनुदेश दिये गए हैं। बैंकों को ग्राहक तथा उनके कानूनी वारिसों का पता लगाने के लिए कहा गया था। इन अनुदेशों में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातें शामिल हैं: i) जिन खातों में कोई परिचालन नहीं है ऐसे खातों (निष्क्रिय खाते) की वार्षिक समीक्षा, ii)  ऐसे खातों में परिचालन की अनुमति समुचित सावधानी बरतने के बाद ही दी जाए तथा iii) निष्क्रिय खाते को सक्रिय बनाने के लिए कोई प्रभार नहीं लगाया जाए, आदि.

2. जनहित को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त परिपत्र में निहित अनुदेशों के अतिरिक्त बैंकों को अदावी जमाराशियों/निष्क्रिय खातों के खाताधारकों का पता लगाने के लिए अधिक सक्रिय (प्रो-एक्टिव) भूमिका निभानी चाहिए। अतः बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अपनी वेबसाइटों पर उन अदावी जमाराशियों/ निष्क्रिय खातों की सूची प्रदर्शित करें जो दस वर्ष अथवा उससे अधिक अवधि से निष्क्रिय हैं। वेबसाइटों पर इस प्रकार प्रदर्शित की गयी सूची में अदावी जमाराशियों/ निष्क्रिय खातों से संबंधित खाता धारक (धारकों) के केवल नाम तथा पते होने चाहिए।  यदि ऐसे खाते व्यक्तियों के नाम में नहीं हैं तो खातों को परिचालित करने के लिए प्राधिकृत व्यक्तियों के नाम भी दर्शाए जाने चाहिए। तथापि बैंक की वेबसाइट पर खाता संख्या, उसका प्रकार तथा शाखा का नाम प्रकट नहीं किया जाएगा। बैंक द्वारा इस प्रकार प्रकाशित की गयी सूची में एक "फाइंड (Find)" विकल्प प्रदान किया जाना चाहिए ताकि आम जनता खाता धारक के नाम से खातों की सूची खोज सके।

3. बैंकों को उसी वेबसाइट पर अदावी जमाराशियों के लिए दावा करने/निष्क्रिय खाते को सक्रिय करने की प्रक्रिया से संबंधित जानकारी तथा उसके लिए दावा करने के लिए आवश्यक फार्म तथा दस्तावेज भी देने चाहिए। बैंकों के पास दावेदारों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त परिचालनगत सुरक्षा उपाय होने चाहिए।

4. बैंकों को उपर्युक्त के अनुसार कार्रवाई 30 जून 2012 तक पूरी कर लेनी चाहिए और नियमित अंतरालों पर अपनी वेबसाइट को अद्यतन करते रहना चाहिए।

भवदीय

(दीपक सिंघल)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


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