भारिबैंक/2011-12/399
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 79
15 फरवरी 2012
विदेशी मुद्रा में कार्यरत सभी प्राधिकृत व्यापारी
महोदया/महोदय,
स्पष्टीकरण – भारत में अचल संपत्ति की खरीद –
रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 21/2000-आरबी अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण) विनियमावली, 2000 के विनियम 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है। उपर्युक्त विनियम के अनुसार, जब भारत से बाहर का कोई निवासी व्यक्ति, जिसने विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारोबार के अन्य स्थान की स्थापना) विनियमावली, 2000 के अनुसार भारत में संपर्क कार्यालय को छोड़कर, किसी शाखा, कार्यालय अथवा कारोबार के संबंध में उपर्युक्त विनिमय के प्रावधानों के अनुसार भारत में कोई अचल संपत्ति अर्जित की है, उक्त व्यक्ति को उन विनियमों को संलग्न फॉर्म आईपीआई में एक घोषणापत्र के साथ इस प्रकार के अधिग्रहण की तारीख से नब्बे दिनों के भीतर रिज़र्व बैंक के पास फाइल करना होगा। चूँकि फॉर्म ऐसे व्यक्तियों द्वारा ही प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है, अत: सही स्थिति प्रतिबिम्बित (reflect) होने के लिए फॉर्म में यथोचित रूप से संशोधन किया गया है ।
2. यह स्पष्ट किया जाता है कि जब भारत से बाहर का कोई निवासी व्यक्ति, जो भारत का नागरिक अथवा पूर्वोक्त अधिसूचना सं. फेमा 21/2000-आरबी के विनियम 2(सी) में यथा परिभाषित भारतीय मूल का व्यक्ति है एवं उल्लिखित अधिसूचना के उक्त प्रावधानों के अनुसार भारत में अचल संपत्ति अर्जित करता है, तब ऐसे लेनदेनों के लिए मौजूदा विनियमों में कोई रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ निर्धारित नहीं हैं । अतएव, ज्यादा स्पष्टता के लिए फॉर्म आईपीआई में तदनुसार संशोधन किया गया है ।
3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।
4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।
भवदीया,
(मीना हेमचंद्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
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