भारिबै/2011-12/589
बैपविवि.संख्या.डीआईआर.बीसी.107/13.03.00/2011-12
5 जून 2012
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय / महोदया
आवास ऋण – फोरक्लोज़र प्रभार/ अवधिपूर्व-भुगतान अर्थदंड का लगाया जाना
कृपया बैंक प्रभारों के औचित्य पर दिनांक 2 फरवरी, 2007 का हमारा परिपत्र बैंपविवि॰ सं॰ डीआईआर॰ बीसी॰ 56/13.03.00/2006-2007 देखें ।
2. इस संदर्भ में, हम आपका ध्यान 17 अप्रैल, 2012 को घोषित मौद्रिक नीति वक्तव्य 2012-13 के आवास ऋण पर अस्थिर ब्याज दरों से संबन्धित पैरा 81 से 83 की ओर आकृष्ट करते हैं। बैंकों में ग्राहक सेवा पर समिति (अध्यक्ष एम. दामोदरन) का विचार था कि आवास ऋण के अवधिपूर्व-भुगतान पर बैंकों द्वारा लगाये जाने वाले फोरक्लोज़र प्रभारों का सभी प्रकार के ऋण उधारकर्ताओं द्वारा विशेष रूप से इसलिए विरोध किया जाता है क्योंकि ब्याज दरों के गिरने की स्थिति में बैंक कम हुई ब्याज दरों का लाभ मौजूदा उधारकर्ताओं तक पहुंचाने के अनिच्छुक पाये गए थे। ऐसी स्थिति में फोरक्लोज़र प्रभारों को एक प्रतिबंधात्मक प्रथा के रूप मे देखा जाता है जो उधारकर्ताओं को सस्ते उपलब्ध स्रोत का चयन करने से रोकती है।
3. आवास ऋण पर फोरक्लोज़र प्रभारों/ अवधिपूर्व-भुगतान अर्थदंडों के समापन से मौजूदा और नए उधारकर्ताओं के बीच भेदभाव में कमी होगी, और बैंको के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण अस्थिर दर वाले आवास ऋणों की ब्याज दरों का बेहतर निर्धारण होगा। यद्यपि हाल में कुछ बैंकों ने स्वेच्छा से अस्थिर दर वाले आवास ऋणों पर अवधिपूर्व-भुगतान अर्थदंड को समाप्त कर दिया है, तथापि सम्पूर्ण बैंकिंग प्रणाली में एकरूपता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। अतएव, यह निर्णय लिया गया है कि तत्काल प्रभाव से बैंकों को अस्थिर दर वाले आवास ऋणों पर फोरक्लोज़र प्रभार/ अवधिपूर्व-भुगतान अर्थदंड लगाने की अनुमति नहीं होगी ।
भवदीय,
(दीपक सिंघल)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|