आरबीआई/2012-13/163
डीपीएसएस. सीओ. सीएचडी. सं. 274/ 03.01.02/2012-13
10 अगस्त, 2012
अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
शहरी सहकारी बैंक/ राज्य सहकारी बैंक /
जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक
महोदय/महोदया
सीबीएस सक्षम शाखाओं द्वारा मल्टीसिटी/सभी शाखाओं पर देय चेकों को जारी करना
जैसा कि आपको पता है, बैंकों में लागू विभिन्न कोर बैंकिंग समाधानों (सीबीएस) के कारण ग्राहक सेवा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। एक शाखा के ग्राहक अब बैंक के ग्राहकों के रूप में निश्चित प्रयोजनों के लिए किसी भी शाखा से अपने खाते का उपयोग कर सकते हैं। सीबीएस द्वारा विभिन्न भुगतान उत्पादों और चैनलों के माध्यम से सीबीएस द्वारा उपलब्ध कराई जा रही नई सुविधाओं ने ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं को बेहतर बनाया है जिसके परिणामस्वरूप देशभर में धन को तेजी से हस्तांतरण संभव हुआ है। सीबीएस का इस्तेमाल करके बैंकों ने चुनिन्दा ग्राहकों को “सममूल्य पर देय”/ “मल्टी सिटी” चेक जारी करना आरंभ कर दिया है जिनमें लेनदेन संबंधी अलग कोड (29, 30 और 31) दिया गया होता है और इसके लिए बैंकों ने सीबीएस सक्षम शाखाओं में ऐसे लेनदेनों का निपटान करने के लिए बुनियादी ढांचे की स्थापना की है।
2. इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक ने उस समय 35,000 से अधिक बैंक शाखाओं में सीबीएस की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए दिनांक 31 अक्टूबर, 2007 के अपने परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.सं. 644/03.01.02/2007-08 के अंतर्गत यह कहा था कि सभी सीबीएस सक्षम शाखाओं के द्वारा “सममूल्य पर देय”/ “मल्टी सिटी” चेक की सुविधा सभी पात्र और अनुरोध करने वाले ग्राहकों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
3. इस संबंध में बैंकों द्वारा अपनाई जा रही पद्धति की समीक्षा करने पर यह पाया गया है कि बैंक इस प्रकार के चेक अलग-अलग ढंग से जारी कर रहे हैं। कुछ बैंक “सममूल्य पर देय”/ “मल्टी सिटी” चेक, मूल्य की सीमा के साथ जारी कर रहे हैं जबकि कुछ बैंक खाते की श्रेणी (उच्च निवल मालियत वाले ग्राहक) के आधार पर चेक जारी कर रहे हैं। मूल शहर से भिन्न किसी अन्य शहर में इन चेकों के समाशोधन होने पर इंटरसोल प्रभार लिए जाने के भी कई उदाहरण सामने आए हैं।
4. देश भर में सभी समाशोधन स्थानों पर बाहरी चेकों के समाशोधन के लिए प्रसंस्करण के बुनियादी ढांचे की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए और और चेक समाशोधन में और भी अधिक कुशलता लाने के लिए, सभी सीबीएस सक्षम बैंकों को यह निर्देश दिया जाता है कि वे सभी पात्र ग्राहकों को केवल “सममूल्य पर देय”/ “मल्टी सिटी” सीटीएस 2010 मानक चेक ही जारी करें। खातों के जोखिम वर्गीकरण पर आधारित यथोचित बोर्ड द्वारा अनुमोदित जोखिम प्रबंध प्रक्रिया को भी अपनाया जा सकता है। चूंकि, ऐसे चेकों (सममूल्य पर देय) को समाशोधन गृहों में स्थानीय चेक के रूप में समाशोधित किया जाता है इसलिए ग्राहकों से अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। इस संबंध में बैंकों की बोर्ड द्वारा अनुमोदित अद्यतन नीति को बैंक की वेब साइट पर उपलब्ध कराया जाए और इस संबंध में ग्राहकों को सूचित किया जाए और उसकी एक प्रति हमें प्रेषित की जाए।
5. उपर्युक्त अनुदेश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के अंतर्गत जारी किए जा रहे हैं।
भवदीय,
(विजय चुग)
मुख्य महाप्रबंधक |