भारिबैंक/2012-13/153
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 11
31 जुलाई 2012
सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/ महोदय,
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) –
के अंतर्गत हुए उल्लंघनों की कंपाउंडिंग
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों एवं उनके घटकों (ग्राहकों) का ध्यान 28 जून 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 56 और तदुपरांत जारी 13 अगस्त 2010 की प्रेस प्रकाशनी की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिनमें 'तकनीकी' उल्लंघन की स्थिति तथा उसके बाद उनकी कंपाउंडिंग के संबंध में स्पष्ट किया गया है ।
2. इस संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि कंपाउंडिंग के लिए विनिर्दिष्ट आवेदन पत्र में उल्लंघन का संदर्भ प्राप्त होने से इतर जब भी रिज़र्व बैंक द्वारा उल्लंघन की पहचान की जाती है या किसी कंपनी (एंटिटी) द्वारा उल्लंघन में शामिल होने की बात बैंक की नोटिस में लायी जाती है, तो बैंक यह निश्चित करना जारी रखेगा कि (i) क्या उल्लंघन तकनीकी और/या हल्के स्वरूप का है और इसलिए तत्संबंध में प्रशासनिक/सचेतक सूचना जारी करने के मार्फत उस पर कार्रवाई की जा सकती है, (ii) क्या उल्लंघन मटीरियल स्वरूप का है और इसलिए उसकी कंपाउंडिंग करना आवश्यक है जिसके लिए पूरी प्रक्रिया को पूरा किया जाए या (iii) क्या उसमें शामिल मुद्दे संवेदनशील/गंभीर स्वरूप के हैं और इसलिए उन्हें प्रवर्तन निदेशालय को संदर्भित करने की जरूरत है । तथापि, एक बार संबंधित कंपनी द्वारा स्वयं कंपाउंडिंग के लिए आवेदन करने एवं उसके उल्लंघन स्वीकार करने पर, उसके 'तकनीकी' या 'मटीरियल' (minor) स्वरूप पर विचार नहीं किया जाएगा और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 15 (1) के साथ पठित विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसिडिंग्ज) नियमावली, 2000 के नियम 9 के अनुसार कंपाउंडिंग की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी ।
3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।
4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं ।
भवदीया,
(डॉ. सुजाता एलिज़ाबेथ प्रसाद)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |