Click here to Visit the RBI’s new website

अधिसूचनाएं

फैक्टरिंग कंपनियों के लिए बैंक वित्त

आरबीआई/2012-13/199
बैंपविविबीपी.बीसी.सं.40/21.04.172/2012-13

11 सितंबर 2012

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

फैक्टरिंग कंपनियों के लिए बैंक वित्त

कृपया फैक्टरिंग कंपनियों के लिए बैंक वित्त पर दिनांक 12 फरवरी 2008 का हमारा परिपत्र बैंपविवि.बीपी.बी.सी.सं.60/08.12.01/2007-08 देखें जिसके अनुसार बैंक कतिपय मानदण्डों का अनुपालन करने वाली फैक्टरिंग कंपनियों के फैक्टरिंग कारोबार को समर्थन देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर सकते हैं।

2. उक्त परिपत्र के जारी होने के बाद फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम 2011, जो फैक्टरिंग कंपनियों को विनियमित करने के साथ-साथ 'फैक्टर, फैक्टरिंग कारोबार, प्रधान कारोबार (प्रिन्सिपल बिजनेस), असाईनमेंट' इत्यादि शब्दों को परिभाषित भी करता है, लागू हो गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक को परिसंपत्तियों और सकल आय के अनुसार 'प्रधान कारोबार' के लिए शर्तें निर्धारित करने की शक्ति और फैक्टरों को निदेश देने व उनसे सूचना एकत्र करने की शक्ति भी इस अधिनियम ने प्रदान की है।

3. तदनुसार, रिज़र्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) की एक नई श्रेणी, अर्थात् 'गैर- बैंकिंग वित्त कंपनी– फैक्टर्स' आरम्भ की है और इस संबंध में दिनांक 23 जुलाई 2012 की एक अधिसूचना डीएनबीएस.पीडी.सं.247/सीजीएम(यूएस)-2012 जारी की है। उक्त अधिसूचना के पैराग्राफ 6(i) में ऐसी एनबीएफसी के "प्रधान कारोबार" को निर्धारित किया गया है और कहा गया है कि "एनबीएफसी फैक्टर यह सुनिश्चित करेगा कि फैक्टरिंग कारोबार में उसकी वित्तीय परिसंपत्तियाँ उसकी कुल परिसंपत्तियों का कम से कम 75% है और फैक्टरिंग कारोबार से उत्पन्न हुई उसकी आय उसकी सकल आय के 75% से कम नहीं है।''

4. उक्त के मद्देनजर, बैंक वित्त के लिए पात्र फैक्टरिंग कंपनियों की परिसंपत्तियों और आय से संबन्धित मानदण्डों की समीक्षा की गई है। तदनुसार बैंक अब से निम्नलिखित मानदण्डों का पालन करने वाली फैक्टरिंग कंपनियों के फैक्टरिंग कारोबार को समर्थन देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर सकते हैं।

(क) ऐसी कंपनियां जो फैक्टरिंग कंपनियाँ कहलाने की पात्र हैं और अपना कारोबार फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम 2011 तथा इस संबंध में समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी की गई अधिसूचनाओं में दिए गए प्रावधानों के अंतर्गत करती हैं।

(ख) वे अपनी आय का कम से कम 75 प्रतिशत अंश फैक्टरिंग क्रिया-कलापों से प्राप्त करती हैं।

(ग) खरीदी हुई/वित्त प्रदान की हुई प्राप्य राशियाँ चाहे 'रिकोर्स के साथ' या 'रिकोर्स के बिना' आधार पर हों, फैक्टरिंग कंपनी की परिसंपत्तियों का कम से कम 75% भाग हैं।

(घ) उक्त उल्लिखित परिसंपत्तियों/आय में फैक्टरिंग कंपनी द्वारा दी जा रही बिल भुनाने की किसी सुविधा से संबंधित आस्तियाँ/आय शामिल नहीं होंगी।

(ङ) फैक्टरिंग कंपनियों द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता दृष्टिबंधक द्वारा या अपने पक्ष में प्राप्य राशियों के असाइनमेंट द्वारा सुरक्षित की जाती हैं।

भवदीय

(राजेश वर्मा)
मुख्य महाप्रबंधक


2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष