आरबीआई/2012-13/325
बैंपविवि. सं. एफएसडी. बीसी. 67/24.01.019/2012-13
12 दिसंबर 2012
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय/महोदया
रुपए में मूल्यवर्गित को-ब्रांडेड प्री-पेड/कार्ड जारी करना
कृपया दिनांक 30 अक्तूबर 2012 को घोषित मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा का पैरा 106 तथा 107 (उद्धरण संलग्न) देखें जिनमें कुछ शर्तों के अधीन, यह प्रस्ताव किया गया है कि बैंकों को को-ब्रांडेड डेबिट और रुपए में मूल्यवर्गित प्री-पेड लिखत जारी करने के लिए आम अनुमति प्रदान की जाए ताकि बैंकों को प्रत्येक को-ब्रांडिंग व्यवस्था के लिए रिज़र्व बैंक के पास आने की जरूरत न रहे।
2. रुपए में मूल्यवर्गित प्री-पेड भुगतान लिखत जारी करना, भारतीय रिज़र्व बैंक के भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग (डीपीएसएस) द्वारा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 के अंतर्गत जारी भारत (रिज़र्व बैंक) में प्रीपेड भुगतान लिखतों के निर्गम व परिचालन संबंधी निदेश, 2009 संबंधी अधिसूचना में दी गयी शर्तों के अधीन है। कृपया इस सम्बन्ध में समय-समय पर यथासंशोधित दिनांक 27 अप्रैल 2009 का परिपत्र डीपीएसएस. सीओ. पीडी. सं. 1873/02.14.06/2008-09 देखें । दिनांक 04 नवंबर 2010 के परिपत्र डीपीएसएस. सीओ. सं. 1041/02.14.006/2010-2011 के अनुसार ऐसे को-ब्रांडेड प्रीपेड लिखतों को जारी करने के इच्छुक बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां/अन्य संस्थाएं भारतीय रिज़र्व बैंक से एक बारगी अनुमोदन के लिए आवेदन कर सकती हैं।
3. यह निर्णय लिया गया है कि अनुबंध में दी गयी शर्तों के अधीन अब भारत में रुपए में मूल्यवर्गित को-ब्रांडेड प्री-पेड कार्ड जारी करने के लिए बैंकों को आम अनुमति दी जाए।
4. जिन बैंकों को अतीत में रुपये में मूल्यवर्गित को-ब्रांडेड प्री-पेड कार्डों को जारी करने के लिए विनिर्दिष्ट अनुमोदन दिये गये हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए सूचित किया जाता है कि को-ब्रांडिंग व्यवस्था उपरोक्त अनुदेशों के अनुसार होनी चाहिए।
5. विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गित प्री-पेड कार्ड का जारी किया जाना, को-ब्रांडिंग व्यवस्थाओं सहित, समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के अंतर्गत जारी दिशानिर्देशों के अधीन होगा।
6. इस परिपत्र में निहित व्यवस्था की पृष्ठभूमि में, हम सूचित करते हैं कि बैंकों द्वारा स्मार्ट कार्ड जारी करने पर दिनांक 12 नवंबर 1999 के परिपत्र बैंपविवि.सं. एफएससी. बीसी. 123/ 24.01.019/99-2000, दिनांक 18 जून 2001 के परिपत्र बैंपविवि. सं. एफएससी. बीसी. 133/24.01.019/2000-01 और दिनांक 11 अप्रैल 2002 के परिपत्र बैंपविवि. सं. एफएससी. बीसी. 88/24.01.019/2001-02 के परिपत्र में निहित हमारे अनुदेश वापस लिए जाते हैं।
भवदीया
(सुधा दामोदर)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नकः यथोक्त
अनुबंध
बैंकों द्वारा को-ब्रांडेड प्री-पेड कार्ड जारी किए जाने हेतु नियम एवं शर्तें
i) बोर्ड द्वारा अनुमोदित की गई नीति
को-ब्रांडिंग व्यवस्था बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित की गई नीति के अनुसार होनी चाहिए। इस नीति में विनिर्दिष्ट रूप से, प्रतिष्ठा संबंधी जोखिम सहित, इस प्रकार की व्यवस्था से जुड़े विभिन्न जोखिमों से संबंधित मुद्दों के समाधान तथा जोखिम कम करने हेतु उपयुक्त उपायों का उल्लेख होना चाहिए।
ii) पर्याप्त सावधानी
बैंकों को चाहिए कि ऐसे कार्ड जारी करने के लिए वे जिन गैर-बैंकिंग कंपनियों से गठबंधन करने के इच्छुक हों, उन कंपनियों के संबंध में पर्याप्त सावधानी बरतें, ताकि ऐसी व्यवस्था के कारण उत्पन्न होने वाले प्रतिष्ठा संबंधी जोखिम से वे स्वयं को सुरक्षित कर सकें। किसी वित्तीय संस्था से गठबंधन प्रस्तावित होने पर बैंक यह सुनिश्चित करें कि उस संस्था को उसके विनियामक से इस तरह का गठबंधन करने के लिए अनुमोदन प्राप्त है।
iii) कार्यों/गतिविधियों की आउट सोर्सिंग
कार्ड जारी करने वाला बैंक को-ब्रांडिंग पार्टनर के सभी कृत्यों के लिए उत्तरदायी होगा। बैंक ‘बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाओं की आउट-सोर्सिंग में आचरण संहिता तथा जोखिम का प्रबंधन’ पर समय-समय पर यथासंशोधित दिनांक 3 नवंबर 2006 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. 40/21.04.158/2006-07 में दिए गए दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें।
iv) गैर-बैंक संस्था की भूमिका
गठबंधन व्यवस्था के अंतर्गत गैर-बैंक संस्था की भूमिका कार्डों के विपणन/वितरण तक या दी जाने वाली वस्तुओं/सेवाओं की उपलब्धता कार्डधारक को प्रदान करने तक ही सीमित होनी चाहिए।
v) अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के उत्तरदायित्व का अनुपालन
समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए केवाईसी एएमएल सीएफटी पर बैंकों पर लागू होने वाले अनुदेशों/दिशानिर्देशों का अनुपालन को-ब्रांडिंग व्यवस्था के अंतर्गत जारी किए गए सभी कार्डों के संबंध में किया जाना चाहिए।
vi) ग्राहक सूचना की गोपनीयता
कार्ड जारी करने वाले बैंक को खाता खोलते या कार्ड जारी करते समय प्राप्त की गई ग्राहक से संबंधित किसी सूचना को प्रकट नहीं करना चाहिए तथा को-ब्रांडिंग गैर-बैंकिंग संस्था को ग्राहक के खातों के ऐसे किन्हीं ब्यौरों के संपर्क में नहीं आने देना चाहिए जिससे बैंक की गोपनीयता के उत्तरदायित्वों का उल्लंघन हो सकता हो।
vii) ब्याज का भुगतान
पहले की ही तरह प्री-पेड भुगतान कार्डों को अंतरित किए गए शेष पर कोई ब्याज न दिया जाए।
viii) भारत में प्री-पेड लिखतों को जारी करने तथा उनका परिचालन करने से संबंधित भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग (डीपीएसएस) के दिशानिर्देशों का अनुपालन
यह व्यवस्था भारत में प्री-पेड लिखतों, जिनमें प्री-पेड कार्ड शामिल हैं, को जारी करने तथा उनका परिचालन करने के संबंध में डीपीएसएस द्वारा जारी अनुदेशों का अनुपालन/ अनुसरण किए जाने के अधीन होगी।
उद्धरण
मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा
रुपए में मूल्यवर्गित (डिनोमिनेटेड) को- ब्रांडेड प्री-पेड/डेबिट कार्ड जारी करना
106. प्रत्येक को- ब्रांडिंग व्यवस्था के लिए रिज़र्व बैंक के पास आने की जरूरत न रहे, इसलिए यह प्रस्तावित है कि :
107. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जा रहे हैं । |